शनिवार, 28 जनवरी 2012

तरकश २९ जनवरी


महर्षि के नाम पर
वशीर बद्र की एक शेर है, तू इक आदत हो गई है और आदत कभी जाती नहीं.....पूरे सर्विस भर वन टू का फोर किए आईएएस अफसरों का रिटायर होने के बाद भी आखिर आदत जाए तो कैसे? जिन्हें पुनर्वास मिल गया, उनका ठीक है, जिन्हें पुनर्वास नहीं मिला या पुनर्वास भी भोग लिए हैं, वे या तो एनजीओ चला रहे हैं या फिर राजधानी में समाज सेवा एवं धर्म-कर्म की दुकान खोल लिए हंै। नौकरशाही अपनी है, इसलिए काम रुकना नहीं है। शीर्ष पद से रिटायर हुए एक आईएएस और उनकी धर्मपत्नी आज कल यही कर रहे हैं। दोनों ने एक महर्षि के नाम पर रायपुर के कचना जैसे पाश इलाके में एक एकड़ सरकारी जमीन हथिया ली, जहां पांच-सात करोड़ रुपए एकड़ भी जमीन नहीं मिलेगी। पति-पत्नी सत्ता के गलियारों में क्यों घूमते रहते हैं, इसका राज लोगों को अब समझ मंे आ रहा है। 
अपनी किस्मत

सूबे के कुछ सेवारत और रिटायर नौकरशाहों को देखकर कई दफा लगता है, छत्तीसगढ़ उनके लिए ही बना। प्रींसिपल सिकरेट्री अजय सिंह को देख लीजिए.....सिंचाई, उर्जा, नगरीय प्रशासन और अब वित्त एवं आबकारी। आबकारी ऐसा महकमा है, जहां काम के अलावा सब कुछ है। कम उम्र में राज्य बिजली बोर्ड के चेयरमैन रहने का कीर्तिमान भी उन्हीं के माथे पर दर्ज है। देश में यह पहली बार हुआ, जब सचिव लेवल के अधिकारी को चेयरमैन की कुर्सी मिल गई। उन्हंे टक्कर दे रहे हैं, गणेश शंकर मिश्रा। मिश्रा राजनांदगांव और बस्तर में कलेक्टरी करने के बाद वहीं के कमिश्नर बन गए। चुनाव आयोग के नियमों की वजह से उन्हें वहां से रुखसत होना पडा़। मगर रायपुर लौटते ही इसकी भरपाई हो गई। तीन साल से वे एक्साइज एवं कमर्सियल टैक्स कमिश्नर हैं। और अब जरा रिटायर में आइये......एसके मिश्रा चीफ सिकरेट्री के साथ सीएसईबी के चेयरमैन भी रहे। रिटायरमेंट के बाद उन्हें विद्युत नियामक आयोग का चेयरमैन बनाया गया। वहां का कार्यकाल पूरा होते ही सरगुजा संभाग के लिए बनी अधोसंरचना कमेटी के चेयरमैन बन गए। उसका काम खतम हुआ तो गजेटियर लेखन कमेटी के चेयरमैन। और इसके साथ ही, सरकार ने हाल ही में केंद्रीय विवि बिलासपुर और सरगुजा विवि के बीच संपत्ति के बंटवारें के लिए उन्हें आर्बिटेटर अपाइंट कर दिया है। इसमें एक सीटिंग के लिए 25 हजार रुपए मिलेंगे। इसे किस्मत मेहरबान नहीं तो और क्या कहेंगे। 
जोगी दांव
नंदकुमार पटेल और रविंद्र चैबे अजीत जोगी की टीम के प्रमुख खिलाड़ी रहे हैं और कप्तान से जो दांव सीखा, उसे अब उन्हीं पर आजमा रहे हैं। राजनांदगांव में पिछले हफ्ते दोनों ने रमन सिंह के खिलाफ जोगीजी को टिकिट देने का सियासी पांसा फेंका, वह इसी की एक झलक थी। मगर जोगी गुरू ठहरे। पटेल को रायपुर में बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ चुनाव लड़ने का ब्रम्हास्त्र छोड़ा ही, अंदर की खबर है, जोगी खेमा ने रमन सिंह के खिलाफ चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री बनाने की शर्त रख दी है। जाहिर है, पटेल और चैबे का दांव उल्टा पड़ गया। संगठन के लोगों का ही मानना है, पार्टी प्रमुख ने जोगी को चुनाव लड़ाने की बात कहकर गुटबाजी को उजागर कर दिया। वैसे भी, जोगी अब इस स्थिति में नहीं हैं कि किसी भी इलाके में जाकर चुनाव लड़ लें। बिलासपुर लोकसभा चुनाव में उन्हंे जोर का झटका लग चुका है। वो बात पुरानी हो गई, जब वे खम ठोंकते थे। अब नंदकुमार साय बनना नहीं चाहेंगे। 2003 के चुनाव में भाजपा ने बड़ी चतुराई से सायजी को तपकरा से 400 किलोमीटर दूर मारवाही में अजीत जोगी के खिलाफ लड़ा कर निबटा दिया था। लेकिन जोगी और साय मंे अंतर है। 
टाप रेटिंग
मुख्यमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र होने की वजह से राजनांदगांव वीआईपी शहर है। मगर जिस ढंग से वहां काम हो रहा है, आने वाले समय में सूबे के राजनीतिज्ञों को उससे ईष्र्या हो सकती है। शहर को सजान-संवारने का काम तेजी से चल रहा है और चहुमुखी विकास के मायने क्या होते हैं, इसकी झलक वहां दिख रही है। सड़क, नाली, जल आवर्द्धन, एजुकेशन हब, भव्य इंडोर स्टोडियम, आडिटोरियम, पार्क, स्कूल भवनों का जीर्णाेद्धार, शहर का सौंदर्यीकरण और भी बहुुत कुछ एक साथ। शहर को शेप देने के लिए प्रशासन ने सैकड़ों अवैध कब्जों को तोड़ डाला। दो किमी लंबा तो फ्लाईओवर है। गलियां अब चैड़ी सड़कों में बदल गई। लैंको की सोलर पैनल बनाने वाली यूनिट शुरू हो गई है। और सीएम हाउस का निर्माण भी लगभग फिनिशिंग की स्थिति में है। सरकारी योजनाओं का क्रियान्वन अधिक-से-अधिक कैसे हो सकता है, इसका पूरा श्रेय राज्य के टाप रेटिंग के कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल परदेशी को जाता है। परदेशी पहले रमन के गृह क्षेत्र कवर्धा के कलेक्टर रहे। उनका कामकाज देखकर ही उन्हें राजनांदगांव भेजा गया। बिना किसी हो-हल्ला के परदेशी इस ढंग से काम कर रहे हैं कि अफसरों के लिए वह एक नजीर बन सकता है। 
बड़ी शादी
राज्य के वरिष्ठ मंत्री अमर अग्रवाल की डाक्टर बिटिया स्वाति की दो फरवरी को दिल्ली में शादी होने जा रही है। वर-वधु को आर्शीवाद देने पूरी सरकार 2 को दिल्ली में रहेगी। मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, विभिन्न बोर्ड एवं आयोगों के चेयरमैन एवं आला नौकरशाह गुरूवार को दोपहर तक दिल्ली पहुंच जाएंगे। लखीरामजी के निधन के बाद उनके परिवार में पहली शादी है, सो वर-वधु को आर्शीवाद देने देश भर से संगठन के नेताओं के आने की खबर है। बताते हैं, मध्यप्रदेश से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समेत उनके दर्जन भर मंत्रियों का आना कंफार्म हो गया है। पार्टी के आला नेता लालकृष्ण आडवानी, नीतिन गडकरी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली तो रहेंगे ही। अब खबर यह है, पहली बार छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के इतने राजनीतिज्ञ दिल्ली पहंुचेंगे। सो, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश भवन के अधिकारियों को उन्हें रुकने का इंतजाम करने में दिल्ली की ठंड में भी पसीना आ रहा है। मंत्रियों एवं कुछ बड़े नेताओं के लिए मुश्किल से कमरा का इंतजाम हो पा रहा है, बाकी नेताओं को होटलों में अपनी व्यवस्था खुद करनी पड़ेगी।
किस मर्ज की दवा
हर मर्ज की दवा छत्तीसगढ़ में......दावा करने वाला राज्य का हर्बल बोर्ड खुद किस मर्ज का दवा है, उसे पता नहीं है। अपने गठन के आठ साल बाद भी बोर्ड के अधिकारियों को नहीं मालूम कि उसे किसलिए बनाया गया है। इसका खुलासा हुआ बोर्ड की जनरल मीटिंग में। भारत सरकार से आए परियोजना सहायक रामप्रकाश ने बोर्ड की पालिसी के बारे में पूछा तो अधिकारियों को काटो तो खून नहीं। अफसर संभले, फिर बताया, नीति तो बनी नहीं है। रामप्रकाश ने हड़काया, नीति ही नहीं बनी है तो काम क्या करोगे। पहले नीति बनाओं, फिर बैठक बुलाना। नीति बनाने के लिए बोर्ड ने अब लोगों से सुझाव आमंत्रित किया है। ये स्थिति तब है, जब मुख्यमंत्री बोर्ड के चेयरमैन होते हैं और वन मंत्री उपाध्यक्ष। आगे आप समझ जाइये, वन विभाग में क्या चल रहा है। 
अच्छी खबर
कई साल पहले पीएचडी कर ली मगर शादी और घर-गृहस्थी में रमने की वजह से किताबों से नाता टूट गया.....लेकिन आगे पढ़ने की कसक कहीं-न-कहीं रह गई तो उनके लिए यह खुशखबरी हो सकती है। विवि अनुदान आयोग ने ऐसी महिलाओं के लिए पोस्ट डाक्टरल फेलोशिप फार वूमेन नाम से एक अनूठी योजना लांच किया है। इंजीनियरिंग, साइंस एंड टेक्नालाजी, ह्यूमिनिटीज और सोशल साइंस की महिलाएं इस योजना का लाभ उठा सकती हैं। फेलोशिप के लिए एप्लाई करने की अधिकतम उम्र 55 बरस है। इसमें 30 हजार रुपए मासिक छात्रवृत्ति मिलेगी। 50 हजार रुपए आकस्मिक निधि रहेगी, अलग से। एक फेलोशिप पांच साल की होगी। सो, देर नहीं हुई है, अभी भी पीएचडी करवा दीजिए। 


अंत में दो सवाल आपसे


1. किसकी मेहरबानियों की वजह से रिटायर चीफ सिकरेट्री सुयोग्य कुमार मिश्रा को हर कमेटी में जगह मिल जा रही है?
2. जशपुर का विकास न हो पाने के लिए वहां के राजनेता कितने दोषी हैं?


शनिवार, 21 जनवरी 2012

तरकश 22 jan 2012



दुर्भाग्य

 एडिशनल चीफ सिकरेट्री नारायण सिंह का लगता है दुर्भाग्य पीछा नहीं छोड़ेगा। वैसे तो सूबे में उनके ब्रांड के कई आईएएस अधिकारी हैं, मगर किस्मत ही खराब है तो बेचारे क्या करें....मालिक मकबूजा में ऐसे निबटे कि डिमोशन का दाग लगा ही, अब भारत सरकार में सिकरेट्री भी इम्पेनल नही हो पाएंगे। आखिर, हर आईएएस अधिकारी की हसरत होती है, केंद्र में सिकरेट्री बनने का मौका भले न मिले, मगर कम-से-कम पेनल में तो आ जाएं। छत्तीसगढ़ से अभी चीफ सिकरेट्री पी जाय उम्मेन पेनल में हैं। नारायण सिंह का बैच इस बार इम्पेनल होना था। लेकिन भारत सरकार ने राज्य सरकार से जिन शर्तों के साथ विजिलेंस क्लियरेंस मांगा, उसमें नारायण नहीं आ रहे हैं। दरअसल, डीओपीटी ने दर्जन भर बिंदुओं वाला एक प्रोफार्मा भेजा है। जिसमें सबसे अहम है, संबंधित अधिकारी को किसी मामले में सजा न हुआ हो। नारायण सिंह मालिक मकबूजा कांड में डिमोट किए जा चुके हैं। और फर्नीचर घोटाले की ईओडब्लू जांच कर रहा है। इस वजह से नारायण सिंह को विजिलेंस क्लियरेंस देने से राज्य सरकार को इंकार करना पड़ गया। राज्य सरकार का लेटर आज-कल में डीओपीटी चला जाएगा। बताते हैं, नारायण के कैरियर को देखते मुख्यमंत्री ने अंतिम समय तक कोशिश की, कि कोई रास्ता निकालकर विजिलेंस क्लियरेंस दे दी जाए। मगर केंद्र की शर्ते ऐसी थीं कि बात बनीं नहीं। जाहिर है, सिंह के चीफ सिकरेट्री बनने का दावा भी अब कमजोर हो जाएगा। उनको सीएस बनाकर सरकार आखिर सवालों में क्यों घिरना चाहेगी।
छोटा चेंज

 अगले हफ्ते ट्रांसफर की एक छोटी सूची निकल सकती है। इनमें माईनिंग कारपोरेशन, हार्टिकल्चर मिशन और पौल्यूशन बोर्ड शामिल हैं। इन तीनों में आईएफएस अधिकारी तैनात हैं। माईनिंग में राजेश गोवर्धन, हार्टिकल्चर में आलोक कटियार और पौल्यूशन बोर्ड में नरसिम्हा राव हैं। तीनों जगहों के लिए खोज शुरू हो गई है। और संकेत है, अगले सप्ताह के अंत तक आदेश निकल जाएगा। तीनों की वन मुख्यालय वापसी होगी। तीन में से दो में आईएएस की पोस्टिंग की जाएगी। शनिवार को दो आईएएस अधिकारियों की लिस्ट निकली, उसमें से मार्कफेड के एमडी अविनाश चंपावत को आंतरिक समीकरण की वजह से हटना पड़ा। मार्कफेड के इतिहास में पहली बार हुआ था कि चेयरमैन और एमडी बेहद करीब आ गए थे। छह हजार करोड़ की खरीदी-बिक्री में करीब आने का मतलब आप समझ सकते हैं। फिर चंपावत से प्रमुख सचिव भी नाराज थे। सो, उन्हें बीज विकास निगम भेज दिया गया। सरकार ने सुरेंद्र जायसवाल को नया एमडी अपाइंट किया है। जायसवाल निर्विवादित और बैलेंस अधिकारी माने जाते हैं।  
   

संयोग

अपने खाद्य मंत्री पुन्नू राम मोहले के साथ 12 का अदभूत संयोग है। मोहलेजी के 12 बच्चे हैं और उनके मुंगेली जिले का उद्धाटन भी 12 जनवरी को हुआ। उद्धाटन समारोह में मोहलेजी ने खुद ही जब इस बारे में बताया तो मुख्यमंत्री भी हंसने से रोक नहीं सकें। ठीक है, मोहलेजी का 12 भाग्यांक है और इससे वे खूब बढ़े हैं। लेकिन ज्योतिषियों की मानें तो, राजनीतिकों का भाग्यांक भी ग्रह-नक्षत्र के हिसाब से बदलते रहते हैं। मुंगेली में पिछले तीन साल में एक ही काम हुआ है , वह है भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार और जातिवाद का। एक ढेला का विकास नहीं हुआ है। पिछले बार ही चुरावन की जगह खेमसिंह बारमते को कांग्रेस की टिकिट मिल गई होती तो परिदृश्य आज कुछ और होता। बहरहाल, जिला बनने के बाद भी मोहलेजी अगले चुनाव में बारह के भाव में चल दें तो आश्चर्य नहीं।
नए नवाब
 

नए जिलों में तैनात किए गए नए नवाबों याने कलेक्टर, एसपी को छोटी जगह भा नहीं रही है। अधिकांश रात में पास के बड़े शहरों में चले जा रहे हैं। या दो-दो, तीन-तीन दिन गायब रह रहे हैं। खास कर सामान्य वर्ग के हाईप्रोफाइल अधिकारी। मुंगेली के कलेक्टर और कप्तान को ही लीजिए। दोनों अक्सर शाम को जिला मुख्यालय छोड़कर बिलासपुर चले जाते हैं और अगले दिन 11 बजे तक जिला खाली रहता है। पता चला है, कलेक्टर का बंगला तैयार हो रहा है और कंप्लीट होने के बाद ही मुंगेली में रहना शुरू करेंगे। कलेक्टर को जिला छोड़ने से पहले चीफ सिकरेट्री से इजाजत लेनी होती है। मगर अभी तो राम राज है। चीफ सिकरेट्री पी जाय उम्मेन उल्टी गिनती गिन रहे हैं। और उनके जैसे तेज और काबिल अधिकारी को समय से पहले हटाने में सरकार संकोच महसूस कर रही है। सो, सुनील कुमार जैसे अधिकारी को स्कूल शिक्षा में बिठा रखा है। सुनील कुमार अगर चीफ सिकरेट्री होते तो जाहिर है, कलेक्टर-एसपी की जिला छोड़कर भागने की हिम्मत नहीं होती? उनके नाम से अधिकारी घबराते हैं। इसलिए, राजधानी में लोगों ने कहना शुरू कर दिया है, सरकार को सरकार की तरह राजहित में कड़े फैसले लेने में हिचकना नहीं चाहिए।
लखीराम विवि

 बिलासपुर में खुल रहे नए विवि का नाम लखीराम विवि हो सकता है। संगठन के कई नेता इसके लिए प्रयासरत हैं। और मुख्यमंत्री ने भी मना नहीं किया है। डाक्टर साब भी आखिर लखीरामजी के सबसे प्रिय लोगों में थे। सो, कुलपति के साथ ही विवि के नाम की घोषणा भी जल्द हो सकती है। छत्तीसगढ़ भाजपा के पितृ पुरुष कहे जाने वाले लखीराम की खरसिया में एक प्रतिमा भर लगी है। इसके अलावा और कुछ नहीं। जबकि, यह कहने की बात नहीं कि छत्तीसगढ़ में भाजपा को खड़ा करने का श्रेय लखीरामजी को है। पार्टी के नेता ही कहते हैं, काका में पार्टी के प्रति गजब का समर्पण था। पिछले साल एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने भी कहा था कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के जितने भी नेता हैं, सबने लखीरामजी से राजनीति का ककहरा सीखा है। ऐसे में लखीराम विवि का ऐलान हो जाए तो आश्चर्य नहीं।
अपना रायपुर
 
शीर्ष राष्ट्रीय पत्रिका इंडिया टुडे ने देश के तेजी से उभरते पांच शहरों में फरीदाबाद, रांची, जमशेदपुर, ग्वालियर के साथ अपने रायपुर को भी शामिल किया है। अलबत्ता, रायपुर को इनमें पहला स्थान मिला है। पत्रिका के सर्वे के मुताबिक रायपुर की इकानामिक ग्रोथ लोगों को हैरान कर रही है। चार माल बन चुके है और छह कंप्लीट होने की स्थिति में हैं। रायपुर की आबादी 12 लाख है और देश के 20 लाख आबादी वाले शहरों में भी 10 माल नहीं हैं। रायपुर में  हर साल चार हजार मकान बन रहे हैं और इनमें 700 करोड़ से अधिक का निवेश हो रहा है। 2003 की तुलना में कालोनियों की संख्या सात गुनी बढ़ गई है। स्टील उत्पादन में रायपुर पंजाब के मंडी गोविंदगढ़ को पीछे छोड़ नम्बर वन पर कब्जा जमा लिया है। पूर्वी विदर्भ और पश्चिमी उड़ीसा का प्रमुख व्यावसायिक केंद्र होने एवं राजनीतिक स्थिरता की वजह से वह मध्य भारत का ही नहीं बल्कि देश का बड़ा बिजनेस हब बनने की स्थिति में है। रायपुर में रोजाना 32 फ्लाइट आती-जाती है। देश के सभी बड़े शहर एयर कनेक्टिविटी में है। सर्वे की ये बात भी अहम है, नियोजित ढंग से बनने वाला देश का चौथा शहर होगा न्यू रायपुर। राजनीतिक स्थिरता, आजीविका की असीमित संभावनाएं और लोगों के शांतिपूर्ण व्यवहार के चलते बसने और व्यपार करने की दृष्टि से यह लोगों का पसंदीदा शहर बनता जा रहा है। हालांकि, गंदगी, प्रदूषण और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी को शहर की जबर्दस्त खामी बताई गई है। बावजूद इसके, फख्र तो हम कर सकते हैं, ग्रोथ के मामले में देश का ध्यान खींचा है अपना रायपुर। 
अंत में दो सवाल आपसे
1. अप्रैल में डीजीपी अनिल नवानी को खो करने के लिए पीएचक्यू का कौन-सा खेमा अभी से प्रचार शुरू कर दिया है कि नवानी का काम बड़ा स्लो है ?
2. जोगी लेवल वाले सारे अधिकारी मुख्य धारा में हैं मगर स्ट्रांग सीआर होने के बाद भी एसआरपी कल्लूरी का वनवास क्यों खतम नहीं हो पा रहा?