शनिवार, 21 मार्च 2020

ब्यूरोक्रेट्स, विदेश और कोरोना

22 मार्च 2020
नौकरशाहों का विदेश प्रेम छिपा नहीं है। अफसर जुगत में रहते हैं कि किसी तरह सरकारी खर्चे में साल में दो-एक विदेश दौरे का मौका निकल आए। साथ में पति, पत्नी, बच्चों को ले जाने की अनुमति मिल जाए, तो फिर क्या कहने! विधानसभा के शीत सत्र में सीएम भूपेश बघेल ने एक सवाल के जवाब में बताया ही था कि सूबे के 63 अफसरों ने 129 निजी विदेश यात्राएं कीं। सरकारी अलग है। लेकिन, कोरोना ने विदेश दौरे के शौकीन अफसरों में खौफ पैदा कर दिया है। अफसर अब आपस में एक-दूसरे से मिलने से कतरा रहे हैं। विधानसभा में सीएम द्वारा दी गई सूची चेक कर रहे हैं कि कौन किस देश का विजिट किया और वहां कोरोना की स्थिति क्या है। बहरहाल, अब कम-से-कम एक साल तक कोई अफसर विदेश जाने की बात नहीं करेगा। न ही पत्नियां दबाव बनाएंगी।

बीवी के हाथ का खाना

कोरोना का खौफ ने खास आदमी को भी आम बना दिया है। नौकर और कूक पर निर्भर लोग भी अपना काम खुद करने की कोशिश कर रहे हैं। खासकर, हाउसवाइफ की मुसीबतें बढ़ गई हैं। स्कूलों की छुट्टी के चलते बच्चों का दिन भर घर में उधम। उपर से आफिस बंद होने से हसबैंड की फारमाइश। बाहर कहीं जाने की गुंजाइश नहीं। दिन भर घरों में कैद। वैसे, कोरोना से डरे अधिकांश अफसरों ने रसोइया को छुट्टी पर भेज दिया है। मैडम लोगों ने किचन संभाल लिया है। इसका एक फायदा यह हुआ है कि अफसरों को पत्नी के हाथ का खाना मिलने लगा है। सीएम हाउस में एक आईएएस ने मीटिंग के दौरान खुशी शेयर की, सालों बाद पत्नी के हाथ का खाना खाने का आनंद मिला, वरना एसडीएम बनने के समय से कूक के हाथ का खाना खा रहा था।

5 दिन के सीएस

मध्यप्रदेश के चीफ सिकरेट्री गोपाल रेड्डी अब तक के सबसे कम समय से चीफ सिकरेट्री होंगे। सरकार संकट में आने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दो दिन पहले उन्हें चीफ सिकरेट्री बनाया था। रेड्डी भारत सरकार से डेपुटेशन से लौटे थे। लेकिन, सोमवार, मंगलवार तक नई सरकार के शपथ के बाद जाहिर है, गोपाल रेड्डी की छुट्ी हो जाएगी।

अप्रत्याशित नहीं

मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी की जगह अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू को सीएम सचिवालय की कमान सौंपी गई है। हालांकि, यह अप्रत्याशित नहीं था। सीएम के अमेरिका जाने के पहले से अटकलें तेज थी कि सुब्रत साहू सीएम के नए सिकरेट्री हो सकते हैं। वैसे भी पिछले महीने अमेरिका से लौटने के बाद सुब्रत का सीएम हाउस आना-जाना बढ़ गया था। अहम मामलों में सुब्रत की सलाह ली जा रही थी। नौकरशाही को भी यह मैसेज हो गया था कि सुब्रत सीएम के ज्यादा क्लोज हो गए हैं। तभी कोई भी आर्डर चीफ सिकरेट्री के साथ ही सुब्रत को भी भेजा जा रहा था। ताकि, उससे वे सीएम को अवगत करा दें। बहरहाल, सुब्रत अब प्रभावशाली सिकेरट्री टू सीएम हो गए हैं। क्योंकि, सीएम ने 15 महीने में सबको देखने, परखने के बाद उन्हें अपना सिकरेट्री अपाइंट किया है।

कलेक्टर और कोरोना

विधानसभा का बजट सत्र टल जाने के बाद कलेक्टरों का ट्रांसफर निश्चित हो गया था। उनकी लिस्ट भी तैयार होने लगी थी। मगर कोरोना के चलते कलेक्टरों के ट्रांसफर पर अब ब्रेक लग गया है। अब सिचुएशन नार्मल होने के बाद ही कुछ हो पाएगा। जाहिर है, कलेक्टरों का तबादला लंबे समय से लंबित है। आधा दर्जन से अधिक जिलों के कलेक्टरों का बदला जाना तय था।

एसपी की लिस्ट अटकी

कोरोना के कारण बलौदा बाजार की पुलिस अधीक्षक नीतू कमल की रिलीविंग अटक गई है। नीतू डेपुटेशन पर सीबीआई जा रही हैं। उन्हें एसपी की पोस्टिंग मिली है। सीएम के विदेश दौरे से लौटने के बाद से ही वे रिलीव होने का वेट कर रही थीं। उनकी फाइल सीएम सचिवालय में पहुंच गई है। लेकिन, कोरोना के चलते वे कुछ दिनों तक कार्यमुक्त नहीं हो पाएंगी। क्योंकि, सरकार में बैठे अफसरों का मानना है कि नीतू की जगह पर आया नया एसपी सिचुएशन को ठीक से समझ नहीं पाएगा।

सिर्फ कोरोना

हालांकि, छत्तीसगढ़ में कोरोना का सिर्फ एक केस आया है। लेकिन, उसका खौफ इस कदर सिर चढ़कर बोल रहा है कि उपर से लेकर नीचे तक के लोग सब कुछ भूल गए हैं। है तो सिर्फ कोरोना। आदमी के मन में आमतौर पर कुछ-न-कुछ उधेड़बून चलते रहता है….कल ये करना है, परसों वहां जाना है, फलां दिन फलां से मिलने जाना है…। मगर कोरोना से लोगों की दिमागी प्लानिंग पर पूरी तरह ब्रेक लगा दिया है। दिख रहा तो केवल कोरोना।

अंत में दो सवाल आपसे

1. कोरोना क्या विदेश घूमने वालों या बाल-बच्चों को विलायत में पढ़ाने वालों की पोल खोल रहा क्या?
2. कोरोना को देखते स्वास्थ्य महकमे में सरकार क्या कुछ बदलाव कर सकती है?

सोमवार, 16 मार्च 2020

होली गिफ्ट

15 मार्च 2020
सरकार ने 2005 बैच के आईएएस मुकेश बंसल को भारत सरकार के लिए रिलीव कर दिया है। मुकेश डेपुटेशन पर केंद्रीय कृषि एवं पंचायत मंत्री के पीएस अपाइंट किए गए हैं। राज्य सरकार डेपुटेशन के लिए पहले ही एनओसी दे चुकी थी। मुकेश 9 मार्च को यहां से रिलीव हो गए। याने होली के एक दिन पहले। मुकेश के लिए तो यह होली गिफ्ट समान ही रहा। वरना, सरकार भले ही एनओसी दी हो, किन्तु जब तक रिलीविंग नहीं हो जाती, धुकधुकी तो बनी रहती है। आखिर, सरकार, सरकार होती है। राज्य में इसके दृष्टांत भी हैं। 94 बैच की आईएएस निधि छिब्बर की केंद्र में पोस्टिंग मिलने के बाद राज्य सरकार ने रिलीव करने से इंकार कर दिया था। भारत सरकार ने नाराज होकर निधि को सेंट्रल डेपुटेशन के लिए पांच साल के लिए डिबार कर दिया। निधि को फिर कैट जाना पड़ा। हालांकि, फैसला निधि के पक्ष़्ा में ही आया। लेकिन, इसमें साल भर लग गया।

पैराशूट लैंडिंग

कांग्रेस की सरकार बनने के पहिले राहुल गांधी रायपुर आए थे। उस दौरान उनका पैराशूट वाला बयान काफी चर्चित हुआ था। राहुल ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दो टूक कहा था, आप निश्चिंत रहिए….पैराशूट नेताओं को पार्टी कोई मौका नहीं देगी…इस पर खूब तालिया बजी थी। अब केटी तुलसी के राज्यसभा सदस्य के लिए प्रत्याशी बनाए जाने पर कांग्रेस में ही सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, ये कोई नया नहीं है….राजनीतिक पार्टियां अपनी सहूलियत के हिसाब से अपने नेताओं या पार्टी से जुड़े लोगों को दूसरे राज्यों से राज्यसभा में भेजती है। लेकिन, यहां मामला कुछ दूसरा था। कांग्रेस के कई नेता राज्य सभा के लिए टकटकी लगाए बैठे थे। प्रदेश महामंत्री गिरीश देवांगन की बेचारगी समझी जा सकती है। उनके लिए यह दूसरा झटका हो गया। लोकसभा चुनाव के दौरान आखिरी वक्त पर प्रमोद दुबे उनकी टिकिट ले उड़े थे और अब तुलसी टपक पड़े।

गिलोटिन से बजट पास

विधानसभा का बजट सेशन कभी निर्धारित तिथि तक नहीं चला है। राज्य बनने के बाद रिकार्ड रहा, हर बार हफ्ता-दस रोज पहिले सत्र समाप्ति की घोषणा कर दी गई। इस बार कोरोना के चलते परिस्थितियां कुछ ऐसी बन रही है कि सत्र आगे चलेगा भी, इस पर संशय के बादल डोल रहे हैं। होली ब्रेक के बाद 16 मार्च से सत्र चालू होना था। लेकिन, वह अब 25 मार्च तक के लिए टल गया है। इसके बाद क्या होगा, कोई भरोसा नहीं। विस में कार्यवाही के नाम पर सिर्फ राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हुई है। विभागों का बजट पास करने के साथ ही विनियोग विधेयक बचा है। सरकार को कुछ बिल भी पास कराने हैं। यानी अभी करीब 80 फीसदी से अधिक बिजनेस बाकी हैं। ऐसे में, गिलोटिन की चर्चा शुरू हो चुकी है। विधानसभा स्पीकर गिलोटिन अधिकार का प्रयोग करते हुए बिना चर्चा के बजट पास करा सकते हैं। हालांकि, छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद गिलोटिन प्रयोग करने के दृष्टांत नहीं हैं। लेकिन, लोकसभा समेत विभिन्न राज्यों में गिलोटिन के जरिये बजट पास हो चुके हैं। मध्यप्रदेश में 1986 में जब राजेंद्र प्रसाद शुक्ल स्पीकर थे, उन्होंने गिलोटिन से बजट पास करने पर रोक लगा दी थी। उनका मानना था, बिना चर्चा के विधेयक पास करना लोकतांत्रिक नहीं है। लेकिन, उनके बाद स्पीकर बने श्रीनिवास तिवारी ने एक मर्तबा गिलोटिन का इस्तेमाल किया था। लिहाजा, स्पीकर चाहें तो गिलोटिन के जरिये यहां भी बिना चर्चा के बजट पास करा सकते हैं।

कलेक्टरों की लिस्ट

कलेक्टरों के ट्रांसफर लंबे समय से पेंडिंग हैं। पहले नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की आचार संहिता का रोड़ा रहा। आचार संहिता खतम होने के बाद ब्यूरोक्रेसी में चर्चा थी, सीएम अमेरिका रवाना होने से पहले फेरबदल को अंजाम देंगे। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। मुख्यमंत्री यूएस से लौटे तो धान खरीदी को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया था। फिर, बजट सत्र प्रारंभ हो गया। मगर अब धान खरीदी की मियाद खतम हो गई है और बजट सत्र भी खतम समान ही है। ऐसे में, कलेक्टरों के फेरबदल की अटकलें फिर गर्म हो गई है। सत्ता के गलियारों से भी इस टाईप के संकेत मिल रहें….कलेक्टरों की लिस्ट किसी भी दिन जारी हो सकती है। ट्रांसफर से प्रभावित होने वालों में आधे दर्जन से अधिक कलेक्टरों की चर्चा है। हो सकता है, और घट-बढ़ जाए। प्रभावित होने वालों में दो बड़े जिले के कलेक्टर भी शामिल हैं। एक के खिलाफ तो वहां के लोगों ने मुख्यमंत्री से शिकायतें की है।

एसपी के भी ट्रांसफर

बलौदा बाजार की एसपी नीतू कमल डेपुटेशन पर सीबीआई जा रही हैं। वहां उनकी एसपी की पोस्टिंग मिली है। नीतू दो-चार रोज में रिलीव हो जाएंगी। लिहाजा, सरकार को बलौदा बाजार में नए एसपी की पदास्थापना करनी होगी। खबर है, बलौदा बाजार के साथ ही कुछ और जिलों के एसपी बदल सकते हैं। किसानों पर डंडा भांजने वाले एक एसपी को भी सरकार बदल सकती है। एक औद्योगिक जिले के कप्तान का भी काफी समय से हटने की चर्चा है। सरकार उन्हें भी रायपुर बुला सकती है।

एक्शन का असर?

सालों बाद यह पहली होली थी, जिसमें सूबे में कोई बड़ी घटना नहीं हुई। इस स्तंभकार ने होली के दिन सूबे के दो बड़े जिले रायपुर और बिलासपुर की पोलिसिंग खुद देखी….पुलिस का ऐसा तगड़ा बंदोबस्त…..आउटर में फोर्स ईनामदारी से डटी हुई थी। राजधानी पुलिस ने तो दो दिन पहले से बेरिकेट्स लगाकर मोर्चा संभाल लिया था। दीगर जिलों से भी कोई घटना की खबर नहीं मिली। पुलिस की इस मुस्तैदी के पीछे विधानसभा में सरकार के एक्शन का असर तो नहीं था। होली से पहले बजट सत्र में एक हफ्ते में सरकार ने विभिन्न केसों में 18 अधिकारियों, कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया था। इनमें सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर बलरामपुर जिले में रेप कांड में थानेदार समेत सात पुलिस कर्मियों का निलंबन भी शामिल था।

हकालने का वेट?

राज्य सरकार नया रायपुर बसाना चाहती है। सीएम भूपेश बघेल खुद कई मौकों पर कह चुके हैं, 8 हजार करोड़ खर्च हो चुका है, इसलिए उसका सदुपयोग होना चाहिए….और जब तक सीएम, मंत्री, अधिकारी नहीं जाएंगे, नया रायपुर बसना चालू नहीं होगा। सीएम खुद भी इस साल के अंत तक नया रायपुर शिफ्थ हो जाएंगे। मगर नौकरशाह वहां जाने के लिए उत्सुकता नहीं दिखा रहे। हालांकि, चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल खुद पहल करते हुए जनवरी में नया रायपुर चले गए थे। उम्मीद थी कि सीएस का अनुशरण करते हुए कुछ और ब्यूरोक्रेट्स नया रायपुर जाकर सरकार के सपनों को पंख लगाएंगे। लेकिन, हालात को देखते लगता है कहीं हकालने की नौबत न आ जाए। क्योंकि, सीएम भी कह चुके हैं….सभी अधिकारियों को वहां जाना होगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. क्या विनय भगत जैसे विधायक के रिश्तेदारों के कुकृत्य से सरकार की साख को बट्टा नहीं लगेगा?
2. क्या संगठन में पोस्टिंग के बाद सरकार निगम, आयोगों की रेवड़ी बांटेगी?

रविवार, 8 मार्च 2020

ब्यूरोक्रेट्स और बंगला

8 मार्च 2020
ब्यूरोक्रेट्स को आमतौर पर बढ़ियां बंगला…..बढ़ियां गाड़ी का बड़ा चार्म रहता है। जब-जब ठेका, सप्लाई वाला कोई विभाग या माल-मसाला वाली पोस्टिंग मिलती है, उनके बंगले का इंटिरियर बदल जाता है। ऐसे नौकरशाहों के लिए एक बैड न्यूज है। सारे नौकरशाहों को सजा-संवरा बंगला छोड़कर साल भर के भीतर नया रायपुर जाना होगा। दरअसल, राजधानी के चुनिंदा पत्रकारों से बजट पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने बताया कि नया रायपुर तभी बस पाएगा, जब सीएम, मंत्री और अधिकारी वहां जाएं। सीएम बोले, मैं भी साल भर के भीतर नया रायपुर चला जाउंगा। उनसे पूछा गया कि चीफ सिकरेट्री नया रायपुर चले गए हैं…क्या अन्य अफसरों को भी आप वहां जाने के लिए कहेंगे क्या, सीएम सख्ती से बोले…जब मैं चला जाउंगा तो उन्हें जाना ही पडे़गा। हालांकि, अफसर बड़े चतुर होते हैं….पोस्टिंग को लेकर संजीदा भी। वो भी जब सीएम भूपेश हों। सो, देखियेगा अफसरों में नया रायपुर जाने के लिए किस तरह होड़ मचेगी।

सिक्यूरिटी प्राब्लम

सिक्यूरिटी प्राब्लम नहीं होता तो सीएम भूपेश बघेल अभी तक नया रायपुर शिफ्थ हो गए होते। उन्होंने अफसरों से कहा था कि दो-तीन मकानों को जोड़कर सीएम हाउस तैयार कर दिया जाए, वे जाएंगे तभी और लोग भी नया रायपुर जाना शुरू करेंगे। लेकिन, सिक्यूरिटी ने मना कर दिया। पत्रकारों से सीएम बोले….मुझे बंगले का कोई प्रेम नहीं है….अभी तक मैंने इस सीएम हाउस के सभी कमरों को भी नहीं देखा है।

मरीन ड्राइव का सौदा

पिछली सरकार ने नया रायपुर में एक होटल वाले को झील बेच दिया….और अभी तेलीबांधा तालाब जो मरीन ड्राइव के रूप में आकर्षण का केंद्र बन चुका है, स्मार्ट सिटी ने उसे कामर्सियल यूज के लिए मुंबई की प्रायवेट पार्टी को सौंप दिया है। वहां अब रिसोर्ट समेत 150 दुकानों का एक काम्पलेक्स बनने जा रहा है….इसके अलावा और भी बहुत कुछ…। राजधानी में वैसे ही आमोद-प्रमोद के लिए कुछ है नहीं। यही वजह भी है कि मरीन ड्राईव बनते ही हिट हो गया था। बाहर से कोई गेस्ट आए तो लोग उसे मरीन ड्राईव दिखाने ले जाते हैं….छुट्टियों के दिन चौपाटी की भीड़ देखते बनती है। सुबह-शाम लोग दूर-दूर से मॉर्निंग वॉक के लिए आते हैं। यहां तक कि सरकारी गेस्ट हाउस पहुना में रुकने वाले गेस्ट भी मरीन ड्राइव पहुंच जाते हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया को भी वहां कई बार वॉक करते देखा गया है। ऐसी जगह पर अगर व्यावसायिक काम होने लगेगा तो क्या होगा, आप समझ सकते है। रायपुर के कुछ सुधि लोग इसको लेकर सीएम से मिलने वाले हैं। हालांकि, सीएम तालाब और नदी-नालों को लेकर बेहद संवेदनशील हैं। इसलिए, हो सकता है कि उनकी नोटिस में आने पर मरीन ड्राइव धन माफियाओं के हाथ में जाने से बच जाए।

मुकेश भी चलें दिल्ली

सुबोध सिंह के बाद अब आईएएस मुकेश बंसल भी डेपुटेशन पर दिल्ली जा रहे हैं। राज्य सरकार की एनओसी के बाद भारत सरकार ने उन्हें पोस्टिंग दे दी है। मुकेश कृषि और पंचायत मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पीएस बनाए गए हैं। सुबोध और मुकेश, दोनों कर्मठ और रिजल्ट देने वाले अधिकारी माने जाते हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसे अधिकारियों की कमी है। लेकिन, यह भी सही है कि भारत सरकार में अच्छी जगहों पर अफसरों के होने का लाभ स्टेट को मिलता है। शुक्र है, दिल्ली में छत्तीसगढ़ के अफसरों की पोस्टिंग अच्छी मिल रही है। पिछले महीने ही रोहित यादव पीएमओ में ज्वाइंट सिकरेट्री बनाए गए। मुकेश को भी पोर्टफोलियो अच्छा मिल गया है। नरेंद्र सिंह तोमर के पास न केवल दो अहम विभाग हैं बल्कि प्रधानमंत्री के काफी विश्वस्त भी हैं।

ओल्ड सीएम सचिवालय

मुकेश बंसल के डेपुटेशन पर जाने के बाद पिछली सरकार के सीएम सचिवालय के सारे अफसर अब प्रतिनियुक्ति पर होंगे। एसीएस टू सीएम एन बैजेंद्र कुमार तो पिछली सरकार की विदाई से साल भर पहिले सीएमडी बनकर एनएमडीसी चले गए थे। पीएस टू सीएम अमन सिंह संविदा पर रहे। इसलिए, उनकी नियुक्ति स्वयमेव खत्म हो गई। सिकरेट्री टू सीएम सुबोध सिंह हाल ही में भारत सरकार गए हैं। ज्वाइंट सिकरेट्री टू सीएम रजत कुमान जनगणना में हैं। वे भी सेंट्रल डेपुटेशन है। और अब मुकेश बंसल। हालांकि, ऐसा जोगी सरकार के अवसान के बाद भी हुआ था। जोगी सरकार में सिकरेट्री टू सीएम रहे सुनिल कुमार भी डेपुटेशन पर भारत सरकार चले गए थे। इसका ये मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि सीएम सचिवालय में काम करने वालों के लिए सरकार बदलने पर खतरा बढ़ जाता है या उनके लिए आगे कोई चांस नहीं रहता। आखिर, वही सुनिल कुमार लौटकर रमन सरकार में ही सीएस बने थे।

पहले विदाई, फिर वेलकम

सूबे के चीफ सिकरेट्री रह चुके आईएएस अजय सिंह की विदाई अच्छी नहीं रही। आयकर छापे की चटपटी खबरों में नौकरशाही ऐसी लीन रही कि किसी का ध्यान ही नहीं रहा कि सबसे सीनियर आईएएस 37 साल की सेवा के बाद रिटायर हो रहे हैं। लेकिन, अजय सिह ने भी अपना जलजला दिखा दिया…रिटायरमेंट के चार दिन के भीतर उसी योजना आयोग में पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग करवा ली, जहां से वे रिटायर हुए थे। वो भी विषम राजनीतिक हालत में। जब लोग मानकर चल रहे थे कि अब होना भी होगा तो बजट सत्र के बाद ही कुछ हो सकता है। इसमें ये भी एक संयोग रहा कि जिस आयोग से चार दिन पहले उन्हें विदाई दी गई, वहीं चौथे दिन फिर वेलकम हुआ।

राम भरोसे खुफिया पुलिस

आयकर छापे में भले ही कुछ नहीं निकला, मगर सूबे की खुफिया पुलिस की जरूर टेस्ट हो गई। बताते हैं, सीआरपीएफ के हथियारबंद जवान एयरपोर्ट के सामने जैनम मंदिर में सुबह चार बजे से पहुंच गए थे। एयरपोर्ट पर आईटी अफसरों के लिए एक साथ 40, 40 इनोवा गाड़ियां लाइन से खड़ी रही और खुफिया पुलिस को भनक तक नहीं लग पाई। किसी ने यह भी पता करने की 40 गाड़ियों में शैक्षणिक पर्यटन भिलाई लिखा है, तो इसके मायने क्या हैं। जबकि, खुफिया पुलिस को रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट जैसी जगहों पर ज्यादा अलर्ट रहने कहा जाता है। इस विभाग को सरकार आखिर 9 करोड़ रुपए इसी बात के लिए देती है। सरकार इस पैसे का कोई आडिट या हिसाब भी नहीं लेती। बहरहाल, आप समझ सकते हैं, खुफिया पुलिस की क्या स्थिति है। राम भरोसे मान लीजिए।

बेचारे मरकाम

अरुण कुमार मरकाम ओएसडी टू सीएम जरूर हैं, लेकिन उस टाईप के नहीं। तीन-पांच से दूर रहने वाले। मगर आयकर छापे के दौरान मीडिया की आपाधापी के शिकार अरुण भी हो गए। खबरें चलने लगी मरकाम के घर पहुंची आईटी टीम। कुछ ने तो बकायदा उनके घर की फोटो भी लगा दी। बाद में, पता चला अरुण के यहां आईटी टीम गई ही नहीं थी। चलिये, अरुण का नाम भी बड़े लोगों में शामिल हो गया। आईटी का रेड छोटे-मोटे लोगों के यहां तो पड़ता नहीं।

एक का विरोध, एक पर मौन?

कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता विवि के कुलपति बलदेव शर्मा की नियुक्ति को लेकर राजभवन और राज्य सरकार के बीच ठन गई है। शर्मा के ज्वाईनिंग के दिन भी एनएसयूआई ने जमकर प्रदर्शन किया। लेकिन, उन्हीं के साथ पं0 सुंदरलाल शर्मा विवि के कुलपति वंश गोपाल सिंह की नियुक्ति पर सिस्टम मौन है। जबकि, सिंह को पिछली सरकार ने कुलपति बनाया था। संघ से जुड़े सिंह की खाकी हाफ पैंट वाली फोटो भी आ चुकी है। इसके बावजूद, वंश गोपाल सिंह कंफर्ट जोन में हैं, तो सवाल उठते हैं।

सस्पेंशन वीक

विधानसभा के बजट सत्र का यह दूसरा सप्ताह अधिकारियों, कर्मचारियों के सस्पेंशन के नाम रहा। इस दौरान विभिन्न मामलों में करीब दर्जन भर अधिकारियों, कर्मचारियों को सदन में निलंबन की घोषणा की गई। सीएम के निर्देश पर बलरामपुर रेप कांड में थाने के टीआई समेत सात पुलिसकर्मी निलंबित हुए, वहीं एक्सप्रेस-वे में ईई समेत आधा दर्जन इंजीनियरों पर गाज गिरी। पंचायत और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी कई को सस्पेंड किया।

अंत में दो सवाल आपसे

1. क्या कुछ बड़े निगम-आयोगों में जल्द ही नियुक्तियां कर सरकार कुछ नेताओं को होली गिफ्ट दे सकती है?
2. केटीयू वीसी सर्च कमेटी के तीन में से दो लोग सरकार और विवि से जुड़े थे, इसके बाद भी आरएसएस से संबंद्ध दावेदारों के नाम उपर में कैसे आ गए?

रविवार, 1 मार्च 2020

सहमी ब्यूरोक्रसी!

1 मार्च 2020
आईटी टीम छापे का जिस तरह दायरा बढ़ाते जा रही है, उससे ब्यूराक्रेसी भी सहम गई है। अफसरों को भय सता रहा न जाने आईटी टीम कौन-सी कड़ी हाथ लग जाए और उसे जोड़ते हुए उनके दरवाजे पर धमक जाए। दरअसल, राज्य बनने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि आईटी का छापा पूर्व चीफ सिकरेट्री तक पहुंच गया है। अभी तक तक नौकरशाही में सिकरेट्री लेवल के अफसर तक इंकम टैक्स का रेड हुआ था। आईएएस बीएल अग्रवाल के ठिकानों पर आईटी का छापा पड़ा था। उनके यहां भी उसी दिन शाम को आईटी अफसरों ने ब्रीफिंग कर दी थी। इस बार तो तीसरा दिन निकल गया, कुछ पता नहीं चल पा रहा। बहरहाल, बीएल के यहां छापे के करीब दशक भर बाद आईटी ने इस तरह की कार्रवाई की है।

मंत्रालय में काम ठप

हाईप्रोफाइल आईटी छापे के बाद पिछले तीन दिन से सरकारी कार्यालयों में कामकाज एकदम से ठहर गया है। मंत्रालय में अफसरों के कमरों में सिर्फ एक ही चर्चा है….छापा क्यों पड़ा….आगे होगा क्या….कौन-कौन लपेटे में आ सकते हैं….क्या ये बदलापुर है। जब तक आईटी डिपार्टमेंट छापे के ब्यौरा का खुलासा नहीं करेगा, तब तक राज्य में यही स्थिति रहने वाली।

सुबह पीसी

आईटी अधिकारी 1 मार्च की सुबह रेड का खुलासा कर सकते हैं। खबर है, रायपुर या दिल्ली में इंकम टैक्स अधिकारी कल सुबह प्रेस कांफ्रेंस करें। वैसे भी इंकम टैक्स रेड प्रोटोकॉल के अनुसार आईटी टीम को 72 घंटे के अंदर में छापे का ब्यौरा देना पड़ता है। इसको देखते संकेत है, 1 मार्च की सुबह आईटी अधिकारी पीसी करेंगे।

अजय सिंह की विदाई

छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर आईएएस अधिकारी एवं राज्य योजना आयोग के वाइस चेयरमैन अजय सिंह आज 37 बरस की सर्विस के बाद रिटायर हो गए। हालांकि, उन्हें योजना आयोग में ही संविदा पोस्टिंग देने के चर्चा थी। लेकिन, राज्य में परिस्थितियां कुछ ऐसी बन गई, वे न तो उपर में कुछ बोल सकें और न उनके लिए कोई बात कर पाया। सूत्रों का कहना है, सरकार उन्हें संविदा पोस्टिंग देने के लिए तैयार थी। अगर इंकम टैक्स का एपीसोड नहीं हुआ होता तो आदेश निकल भी जाता। लेकिन, अब क्या होगा, कोई इसका दावा नहीं कर सकता। क्योंकि, रिटायरमेंट के साथ ही अगर पोस्टिंग हो जाती है तो ठीक वरना आगे दिक्कतें शुरू हो जाती है। रिटायरमेंट के बाद तो सीएम हाउस में इंट्री के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है।

छप्पड़ फाड़ के

ठीक ही कहते हैं, उपर वाला देता हैं तो…..। 2009 बैच के आईएएस अफसर समीर विश्नोई का एक वो भी वक्त था कि कोंडागांव कलेक्टर से हटाकर पिछली सरकार ने उन्हें निर्वाचन में डंप कर दिया था। नई सरकार भी लगभग उन्हें भूल ही गई थी। मगर समीर का वक्त बदला। पिछले महीने उन्हें चिप्स का सीईओ बनाया गया। और, आज उन्हें डायरेक्टर माईनिंग के साथ ही, माईनिंग कारपोरेशन के एमडी की पोस्टिंग मिल गई। माईनिंग कारपोरेशन की पोस्टिंग काफी अहम मानी जाती है। इस पद पर अभी 2013 बैच के आईएएस अजीत बसंत पोस्टेड थे। उनके बैच का कलेक्टर बनने का खाता भी अभी नहीं खुला है। इतना जूनियर अफसर माईनिंग कारपोरेशन का कभी प्रबंध निदेशक रहा नहीं। सरकार ने उन्हें एडिशनल कलेक्टर बनाकर नया जिला पेंड्रा रवाना कर दिया है। चलिये, कारपोरेशन की कमान सीनियर अफसर को मिल गई है।

जुनेजा को वेट

आईपीएस अशोक जुनेजा के लिए गुड न्यूज है कि भारत सरकार ने डीजी के तीसरे पद के लिए कंफारमेशन दे दिया है। जुनेजा इस पद के प्रबल दावेदार है। लेकिन, उन्हें अभी कुछ और दिन इंतजार करने पड़ सकते हैं। क्योंकि, विधानसभा में हुई डीपीसी में उन्हें डीजी बनाने के नाम पर अड़चन आ गई। दरअसल, मुकेश गुप्ता सस्पेंड हुए हैं रिटायर नहीं। यह पेंच फंस जा रहा कि उन्हें इग्नोर करने पर कोर्ट को जवाब देना पड़ेगा। हालांकि, पहले ऐसे कई उदाहरण हैं कि अधिकारी दिल्ली डेपुटेशन पर रहे हैं तब भी प्रमोशन हो गया है। बहरहाल, जुनेजा मामले में सरकार को वीटो लगाना पड़ेगा, तब ही उनका प्रमोशन हो पाएगा। और, इस हालात में ऐसा प्रतीत होता नहीं कि जल्दी कुछ हो पाएगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस कलेक्टर के बारे में कहा जाता है कि जहां उनकी पोस्टिंग होती है, वहां चिल्हर की कमी पड़ जाती है?
2. बलौदा बाजार का नया पुलिस कप्तान बनने का मौका किसे मिलेगा?