शनिवार, 21 मार्च 2015

तरकश, 22 मार्च

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उपस्थिति के पीछे

बजट सत्र में नई बात देखने को मिल रही है…..सीनियर, जूनियर अमूमन सभी मंत्री क्लास के अच्छे विद्यार्थी की तरह सदन की कार्रवाइयांे में शरीक हो रहे हैं। जबकि, इससे पहले अहम चर्चाओं के समय भी मंत्री गायब रहते थे। अभी एकदम उल्टा है। पुन्नूराम मोहले और रामसेवक पैकरा के बजट पर भाषण के दौरान लगभग सभी मंत्री मौजूद रहे। इसके पीछे मंत्रिपरिषद का पुनर्गठन बताया जा रहा है। 2 अप्रैल को बेंगलुरु में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद पुनर्गठन की कवायद चालू हो जाएगी। सबसे पहले मंत्री एक साल की उपलब्धियां बताएंगे। इसके आधार पर रिपोर्ट कार्ड तैयार किए जाएंगे। फिर, डा0 रमन सिंह अपने मंत्रिमंडल का पहला विस्तार करेंगे। कुछ के विभाग भी बदले जाएंगे। ऐसे में, मंत्रियों का तन्यमयता के साथ सदन में उपस्थित रहना लाजिमी है।

27 को लास्ट

हालांकि, शिड्यूल के अनुसार विधानसभा का बजट सत्र सात अप्रैल तक चलना था। मगर, जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, अब अगले हफ्ते समाप्त हो जाए, तो ताज्जुब नहीं। याने पांच दिन सदन की कार्रवाई चलेगी। अभी तक पांच मंत्रियों के विभागों पर चर्चा हो गई है। बृजमोहन अग्रवाल की चल रही है। सोमवार को उनके बाद अमर अग्रवाल के विभाग पर चर्चा होगी। मंगल, बुध, गुरूवार तक सीएम समेत राजेश मूणत और रमशीला साहू के विभाग भी निबट जाएंगे। गुरूवार शाम चर्चा के बाद सीएम विनियोग विधेयक पेश करेंगे। और, शुक्रवार को चर्चा के बाद यह पास हो जाएगा। वैसे भी इसके बाद और कोई विषय बचा नहीं है। 2 अप्रैल को बंेगलुरु में भाजपा कार्यकारिणी की बैठक है। उसमें शरीक होने यहां से सीएम समेत पार्टी के कई नेता जा रहे हैं। सो, 27 को सत्र का समापन तय मानिये।

आईएएस पर तलवार

नान घोटाले में 12 अफसरों और कर्मचारियों की गिरफ्तारी के बाद एक आईएएस पर तलवार लटक गई है। डायरी के साथ ही आरोपी अधिकारियों के बयान में कई जगह इस आईएएस का नाम आया है। सो, बजट सत्र के बाद कभी भी अफसर के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

एक के साथ एक….

15 साल के रिकार्ड डेपुटेशन के बाद 87 बैच के आईएएस सुब्रमण्यिम 25 मार्च को पीएमओ से रिलीव हो जाएंगे। खबर है, अप्रैल के फस्र्ट वीक में वे यहां ज्वाईन करेंगे। सुब्रमण्यिम छत्तीसगढ़ बनने से पहले से डेपुटेशन पर हैं। राज्य सरकार ने कई बार उन्हें बुलाने का प्रयास किया मगर कामयाबी नहीं मिली। यहां तक कि सीएम के पत्र के जवाब में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लिखा था कि पीएम को इतना भी अधिकार नहीं कि अपने हिसाब से एक आईएएस पीएमओ में रख सकें। इसके बाद बात खतम हो गई थी। लेकिन, नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद सुब्रमण्यिम को वहां से रिलीव होने का काउंट डाउन शुरू हो गया। बहरहाल, उनके आने से आईएफएस भी एक संख्या बढ़ जाएगी। उनकी पत्नी उमा देवी आईएफएस हैं और जब से सुब्रमण्यिम दिल्ली में है, वे भी वहीं पोस्टेड हैं। उनके साथ उमा देवी भी छत्तीसगढ़ लौटेंगी।

सुबोध का नम्बर

अगले दो-तीन महीने में सुब्रमण्यिम, रेणू पिल्ले और विकासशील डेपुटेशन एवं स्टडी लीव से मूल कैडर में वापिस आएंगे तो सिकरेट्री टू सीएम सुबोध सिंह का नम्बर भी लग गया है। नम्बर इसलिए, क्योंकि वे भारत सरकार में ज्वाइंट सिकरेट्री के लिए इम्पेनल हो गए हैं। और, आईएएस इसी स्टेज में भारत सरकार में जाना चाहते हैं। सुबोध को भारत सरकार में अच्छी पोस्टिंग की चांस इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि, सीएम सचिवालय के साथ ही वे हाउसिंग, पावर में काम कर चुके हैं और अभी माइनिंग और उद्योग देख रहे हैं। अब ये अलग बात है कि यहां की रुतबेदार पोस्टिंग को वे छोड़कर दिल्ली जाना चाहेंगे  और, जाना चाहेंगे तो सरकार उन्हें जाने देगी?

तिवारी बंधु

सरकार ने रिटायर आईपीएस आनंद तिवारी और पीएन तिवारी की संविदा नियुक्ति को एक साल के लिए एक्टेंशन दे दिया है। आनंद को चैथी और पीएन को तीसरी बार एक्सटेंशन मिला है। आनंद की पोस्टिंग पुलिस प्रशिक्षण में तो पीएन सीआइडी में सेवा दे रहे हैं। आनंद का मुकाबला वाईकेएस ठाकुर से है, जो आईपीएस से रिटायर होने के बाद चार साल से मानवाधिकार आयोग में हैं। जून में वे पांच साल का टर्म पूरा करेंगे। इससे पहले, कोई भी आईपीएस दो साल-तीन साल से अधिक संविदा में नहीं रहा। तिवारी वाईकेएस का रिकार्ड ब्रेक करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

खामोश

न्यू रायपुर में निर्माण कार्यो पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने जब बुधवार को एनआरडीए अफसरों को कटघरे में खड़ा किया, तो आवास पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत ने यह कहकर चुप करा दिया कि एनआरडीए के जो अफसर हमारे साथ हैं, वे आपके साथ भी रहे हैं। दरअसल, मूणत का इशारा एसीएस बैजेंद्र कुमार की ओर था। बैजेंद्र एनआरडीए के चेयरमैन हैं। वे अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह के नजदीक काम कर चुके हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. नान घोटाले को कांग्रेस द्वारा ठीक से न उठाने से कौन मंत्री बहुत दुखी हैं?
2. राजधानी के धरमपुरा में हाउसिंग बोर्ड के आफिसर्स कालोनी के पास किस आईएएस अफसर द्वारा 10 एकड़ जमीन खरीदने का मामला एसीबी की नोटिस में है?

शनिवार, 7 मार्च 2015

तरकश, 8 मार्च

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वाह भाई!

सूबे में आईएएस तो कई हैं और कलेक्टर भी, मगर ठसक सबकी एक जैसी नहीं है। अब देखिए न, एक आईएएस ने सरकार से डंके की चोट पर मांग कर जिला लिया। हालांकि, सरकार ने मनचाहा जिला उन्हें नहीं दिया, मगर अफसर शाही अंदाज के जो ठहरे। सो, हवाई जहाज से ज्वाईन करने पहुंचे। अब, भले ही कोई कहे कि खाली प्लेन जा रहा था मगर हवाई मार्ग से पदभार ग्रहण करने जाएंगे तो चर्चा तो होगी ही। ब्यूरोके्रसी में हर जगह लाट साब की ठसक की चर्चा हो रही है।

छुट-पुट चेंजेंस

ऐसा नहीं है कि बजट सत्र चल रहा है, तो प्रशासनिक फेरबदल नहीं होंगे। छुट-पुट चेंजेस होते रहेंगे। आपने देखा ही, होलिका दहन के दिन सरकार ने रायपुर नगर निगम कमिश्नर अवनीश शरण को चेंज किया गया। दो-तीन आईएफएस अफसरों की भी लिस्ट निकली। शनिवार को एडिशनल कलेक्टर भी चेंज किए गए। ऐसे एक-एक, दो-दो नामों की सूची निकलती रहेगी।

टेम्पोरेरी पोस्टिंग

रायपुर नगर निगम कमिश्नर अवनीश शरण को सरकार ने रायपुर का अपर कलेक्टर बनाया है लेकिन इसे टेम्पोरेरी पोस्टिंग ही समझना चाहिए। अवनीश को नगर निगम में पौने तीन साल से अधिक हो गया था। वे पहले डायरेक्ट आईएएस थे, जो दो नगर निगम किए। आमतौर पर एक बार नगर निगम करने के बाद पंचायत सीईओ या कलेक्टरी मिल जाती है। जोगी सरकार के समय पहली बार डा0 एसके राजू को बिलासपुर नगर निगम कमिश्नर से सरगुजा का कलेक्टर पोस्ट किया गया था। इसके बाद मुकेश बंसल और ओपी चैधरी इसी तरह कलेक्टर बनें। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो अगले एक महीने के भीतर कलेक्टरों की जो सप्लीमेंट्री लिस्ट निकलेगी, उसमें 2009 बैच के अवनीश का नाम भी होगा। 2008 बैच में हालांकि, दो आईएएस अभी कलेक्टर बनने के लिए बचे हैं। मगर दो में से एक के सीआर के बारे में कुछ बताने की जरूरत नहीं है। सो, अगली सूची में 2008 बैच में से संभवतः एक और 2009 से अवनीश, किरण कौशल और प्रियंका शुक्ला में से दो का नम्बर लगना लगभग निश्चित माना जा रहा है।

सबको राम-राम

कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी के हरिप्रसाद पिछले हफ्ते रायपुर आए……एक-एक लोगों से मिले और इशारे-इशारे में सबको राम-राम कर गए। बताते हैं, कुछ दिनों के भीतर कांग्रेस कार्यकारिणी का पुनगर्ठन होना है, उसमें उन्हें बदले जाने का संकेत मिल चुका है। यही वजह है कि हरिप्रसाद कई लोगों से यह कहना नहीं भूले कि प्रदेश प्रभारी के तौर पर उनका यह आखिरी छत्तीसगढ़ दौरा होगा। बहरहाल, नए प्रभारी के अपाइंटमेंट के बाद प्रदेश में कांग्रेस के भीतर समीकरण भी कुछ बदलेंगे ही। जाहिर है, पीसीसी चीफ भूपेश बघेल के हरिप्रसाद से रिश्ते प्रगाढ़ थे।

हालत पतली

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का पारफरमेंस भले ही बेहतर हुआ है, मगर 11 साल से सत्ता से बाहर रहने के चलते उसकी माली हालत खास्ता होती जा रही है। खास तौर से केंद्र से गवर्नमेंट जाने के बाद। केंद्र में अपनी सरकार थी तो आफिस खर्च के नाम पर हर महीने दो लाख रुपए आता था। दिसंबर से वह भी बंद हो गया है। फंड जुटाने के लिए पीसीसी ने 250-250 रुपए लेकर 5000 सदस्य बनाने का टारगेट किया है। यही नहीं, एमएलए पर भी पार्टी अब प्र्रेशर बना रही है। एमएलए साल में एक बार बेसिक वेतन पार्टी को देते हैं। कांग्रेस विधायक पिछले साल भी बेसिक जमा नहीं किया था। पार्टी ने फारमान जारी कर बेसिक जमा करने कहा है।

संकटमोचक

विधानसभा में संख्याबल को लेकर कांग्रेस जब संकट में घिरी तो पार्टी से निष्कासित विधायक सियाराम कौशिक और आरके राय संकटमोचक बनकर खड़े हुए। संसदीय कार्यमंत्री अजय चंद्राकर ने यह कहकर हमला बोला कि कांग्रेस के निष्कासित विधायकांे को जब पार्टी मीटिंग में नहीं बुलाया जा रहा तो पार्टी यह बताए कि उसके कितने एमएलए हैं। इसके बाद सत्ताधारी पार्टी ने कांग्रेस को घेरना शुरू किया तो नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव खड़े होकर बाले कि दोनों विधायक मुझे लिखकर दिए हैं कि वे मरते समय तक कांग्रेस में रहेंगे। इसके बाद आश्चर्यजनक घटनाक्र्रम में दोनों विधायकों ने पार्टी में वापसी के लिए आवेदन कर दिया। हालांकि, सत्ताधारी पार्टी के हमले से कुछ होता नहीं, मगर पार्टी की किरकिरी होती। सो, तुरंत डैमेज कंट्रोल किया गया। और, इसके लिए दोनों निष्कासित विधायक आवेदन देने के लिए तैयार हो गए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस कलेक्टर की फेसबुक पर कमेंट की बड़ी चर्चा है?
2. भूपेश बघेल ने विसानसभा में सरकार से अधिक एसीबी चीफ मुकेश गुप्ता को क्यों निशाना बनाया?