शनिवार, 31 दिसंबर 2016

नए प्लेयर पर दांव


1 जनवरी
संजय दीक्षित
भिलाई-चरौदा एवं सारंगढ़ चुनाव में सीनियर एवं अनुभवी की बजाए नए खिलाड़ियों पर दांव लगाना लगता है, कांग्रेस को महंगा पड़ गया। दिग्गज नेताओं को छोड़ कांग्रेस ने चरौदा में रायपुर के महापौर प्रमोद दुबे और भिलाई के महापौर देवेंद्र यादव को चुनाव संचालक बनाया था। तो सारंगढ़ में स्व0 नंदकुमार पटेल के एमएलए बेटे उमेश यादव को। जबकि, सत्ताधारी पार्टी ने अपने दोनों सीनियर मंत्रियों को मैदान में उतारा था। चरौदा में बृजमोहन अग्रवाल और सारंगढ़ में अमर अग्रवाल। दोनों मंत्री पिछले दो दशक से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। जाहिर है, इलेक्शन मैनेजमेंट में इनका कोई जोर नहीं है। वहीं, प्रमोद दुबे और देवेंद्र यादव पहली बार बार कोई बड़ा चुनाव जीतकर मेयर बनें हैं। यही स्थिति उमेश पटेल के साथ रही। दोनों जगह शुरू से ही कांग्रेस का चुनाव अभियान बिखरा-बिखरा रहा। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस में बृजमोहन और अमर के मुकाबिले कोई नेता नहीं हैं। फिर भी कांग्रेस ने प्रमोद और देवेंद्र को आगे किया तो कुछ तो लोग कहेंगे ही। लोग कह रहे हैं कि प्रमोद और देवेंद्र पार्टी में तेजी से उभर रहे हैं, इसलिए उन्हें चरौदा में निबटाया गया है। चलिये, कांग्रेस हारी है तो उसे इस तरह की बातों को फेस करने ही पड़ेंगे।

अहम चुनाव

चरौदा और सारंगढ़ महज नगर निगम और नगर पालिक के चुनाव नहीं थे। बीजेपी के लिए इन दोनों स्थानीय चुनाव के बड़े मायने थे। खासकर प्रदेश सरकार के लिए। दरअसल, नोटबंदी के बाद देश में छोटे-छोटे से चुनावों पर पीएमओ नजर रख रहा है। चंडीगढ़ के बाद छत्तीसगढ़ में दो सीटों पर चुनाव थे। इसमें अगर बीजेपी शिकस्त खाती तो मैसेज जाता, नोटबंदी के चलते भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। तभी तो पीएमओ रिजल्ट की पल-पल की खबर ले रहा था। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी ट्विट कर जीत के लिए बधाई दी।

अंत बुरा

कांग्रेस के लिए 2016 का अंत अच्छा नहीं रहा। साल खतम होने के एक दिन पहले डबल झटका मिल गया। चुनाव में पार्टी चारों खाने चित तो हुई ही नोटबंदी के लिए छत्तीसगढ़ बंद कराया, वो भी बुरी कदर फ्लाप हो गया। दरअसल, बंद का डेट भी कांग्रेस ने ठीक से नहीं चुना। 30 दिसंबर के सुबह से बीजेपी के पक्ष में रूझान आने शुरू हो गए थे। इससे व्यापारियों में मैसेज गया कि नोटबंदी के बाद जनता सत्ताधारी पार्टी पर विश्वास जता रही है तो वे बंद करके सरकार को नाराज क्यों करें। कांग्रेस अगर एक दिन पहले बंद का आयोजन की होती तो 30 दिसंबर से तो अच्छी स्थिति होती। अब तो राजनीतिक पार्टियां बंद कराने से पहिले दस बार सोचेंगी।

राजीव और दिनेश

स्टेट पुलिस सेवा से आईपीएस बनें राजीव श्रीवास्तव रिकार्ड बनाकर आज रिटायर हो गए। देश के वे तीसरे आईपीएस होंगे, जो स्टेट पुलिस से डीजी तक पहुंचे। इससे पहिले सिक्किम और हरियाणा में एक-एक बार ऐसा हो चुका है। राजीव के जज्बे को एप्रीसियेट करना होगा, ताकतवर आईएएस लॉबी से जुझकर वे डीजी बनने में कामयाब हो गए। एक तरह कहें तो साल 2016 राजीव को वो दे गया, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना नहीं की होगी। हालांकि, आईएएस में दिनेश श्रीवास्तव का 2016 अच्छा नहीं कहा जा सकता। राजीव की तरह श्रीवास्तव होने के बाद भी वे अपना प्रमोशन नहीं करा सकें। मार्च में उन्हें सिकरेट्री से ही बिदा लेना पड़ा।

बड़ा फेरबदल

राजीव श्रीवास्तव के रिटायर होने के बाद पुलिस मुख्यालय में एक अहम फेरबदल होना तय हो गया है। राजीव के पास सीआईडी था। सीआईडी के साथ डीजीपी कुछ और विभागों में बदलाव के लिए सोच रहे हैं। यही वजह है कि पीएचक्यू के अफसरों ने डीजीपी के आगे-पीछे होना तेज कर दिया है।

2 को डीपीसी

आईजी अरूणदेव गौतम, पवनदेव समेत 10 आईपीएस अफसरों की डीपीसी 2 जनवरी को होगी। इनकी डीपीसी राजीव श्रीवास्तव के साथ ही 16 दिसंबर को होनी थी। मगर कुछ अफसरों के एसीआर नहीं होने के कारण मामला आगे बढ़ गया था। डीपीसी के बाद गौतम और पवनदेव एडीजी प्रमोट हो जाएंगे।

कलेक्टरों की क्लास

नए साल के नए महीने में अबकी पहली बार सीएम कलेक्टर्स, एसपी की क्लास लेने जा रहे हैं। वरना, पिछले 13 साल से मई, जून में रमन सर की कलेक्टर्स, एसपी की क्लास लगती थी। वजह, चुनाव का समय नजदीक आते जा रहा है। कायदे से कहें तो सरकार के पास काम करने के लिए नौ महीने शेष हैं। चुनावी साल में काम-धाम होते नहीं। घोषणाएं ज्यादा होती है। फिर तीन महीना आचार संहिता। बचा 2017। इसमें तीन महीने बरसात ले जाएगा। बचे नौ महीने में राज्योत्सव, क्रिसमस, होली, दिवाली सब है। लिहाजा, सरकार अब ट्वेन्टी-ट्वेंटी के स्टाईल में बैटिंग करने की रणनीति बना रही है। इसलिए, कलेक्टर, एसपी को तलब किया जा रहा है। 9 जनवरी को सीएम कलेक्टर्स और जिला पंचायतों के सीईओ से जवाब-तबल करेंगे और अगले दिन 10 जनवरी को कलेक्टर्स एवं एसपी से।

ट्रांसफर अब अप्रैल में?

कलेक्टरों के ट्रांसफर अब और आगे जा सकता है। हो सकता है, अप्रैल न पहुंच जाए। पहले, दिसंबर में होना था। लेकिन, कैशलेस के चलते टल गया। सरकार ने कैशलेस के लिए कलेक्टरों को 31 दिसंबर का टारगेट दे दिया था। अब, कलेक्टर्स, एसपी कांफ्रेंस के चलते फिर इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि अब बजट सत्र के बाद तबादले किए जाएं। तब तक कई कलेक्टरों के दो साल पूरे हो जाएंगे। या जिनका कम है उनका कम से कम डेढ़ साल तो हो ही जाएंगे। कलेक्टरों की सूची अप्रैल में निकालने के पीछे सरकार की रणनीति यह भी होगी कि जिन कलेक्टरों को जिले में भेजा जाएं, चुनाव तक वे लगभग डेढ़ साल कंप्लीट करें। अभी पोस्टिंग का मतलब होगा, नवंबर 2018 तक लगभग दो साल होने को आ जाएगा। ऐसे में, चुनाव आयोग की तलवार उन पर लटकी रहेगी। डेढ़ साल होने पर चुनाव आयोग के राडार से कलेक्टर बच जाएंगे। अलबत्ता, 9 एवं 10 जनवरी को जिन एक-दो कलेक्टरों का परफारमेंस एकदम पुअर दिखेगा, उनकी सेम डे छुट्टी कर सकती है सरकार।

अंत में दो सवाल आपसे

1. डीजी बनने के बाद राजीव श्रीवास्तव को पोस्ट रिटायरमेंंट पोस्टिंग मिलेगी?
2. दुधमुंहा बच्चे होने के बाद भी आईएएस रानू साहू को सरकार ने अंबिकापुर क्यों ट्रांसफर कर दिया?

शनिवार, 24 दिसंबर 2016

आ बैल मुझे मार

25 दिसंबर

संजय दीक्षित
पीडब्लूडी की मानिटरिंग सरकार कुछ दिनों से खुद कर रही है। मंथ में एक बार रिव्यू होता है। इसमें सीएम से लेकर उनके सचिवालय के आफिसर मौजूद रहते हैं….बैजेंद्र कुमार, अमन सिंह, सुबोध सिंह, रजत कुमार याने सभी। अबकी 20 दिसंबर को मीटिंग में कुछ इंजीनियरों ने एक संवेदनशील विभाग को टारगेट कर दिया। खासकर सीएम ने जब रायपुर-बिलासपुर फोर लेन पर सवाल किया। इंजीनियर बोले, सर, वो फलां विभाग क्लियरेंस नहीं दे रहा….अधिकारी काम नहीं होने दे रहे हैं। बैठक में उस विभाग के सिकरेट्री भी मौजूद थे। और, मंत्री तो खुद सीएम हैं ही। सरकार को यह नागवार गुजरा। लगा, अपनी नाकामी छिपाने…..। सो, तीसरे दिन पीडब्लूडी का निजाम ही बदल दिया। सुबोध सिंह सिकरेट्री अपाइंट हो गए। और, सुबोध के सिकरेट्री होने का मतलब समझ सकते हैं। एक तरह से कहा जाए तो पीडब्लूडी इंजीनियरों के लिए आ बैल मुझे मार वाला हाल हो गया।

न्यू ईयर गिफ्ट!

पीसीसी चीफ भूपेश बघेल रमन सिंह और अजीत जोगी के रिश्ते पर सवाल उठाने से नहीं चूकते। आज छोटे जोगी ने भूपेश के साथ सीएम को जोड़ कर एक नया टाईप का आरोप लगाया। भूपेश के जमीन मामले में क्लीन चिट पर मीडिया ने पूछा तो अमित बोले, सरकार ने भूपेश को न्यू ईयर गिफ्ट दिया है….हमने सीएम से इसकी शिकायत की थी…..मगर उल्टा हो गया….भूपेश पर नजरे इनायत कर दी सरकार ने। याने अगले चुनाव तक अब चलेगा, रमन का तू दोस्त….नहीं, तू दोस्त। चलिये, गिफ्ट का दांव सटीक निकला।

राम-राम

फायनेंस सिकरेट्री अमित अग्रवाल से सरकार खुश नहीं थी। खासकर उनके एटीट्यूड से। आखिर, सबसे विवाद। सरकार कुछ करना चाह रही थी। मगर विकल्प मिल नहीं रहा था। ऐसे में, अमित ने दिल्ली लौटने की इच्छा जताई तो सीएम के रणनीतिकारों ने उनकी फाइल मंगाकर हरी झंडी दिलाने में देर नहीं लगाई। 22 दिसंबर को जैसे ही उनकी दिल्ली में पोस्टिंग का आर्डर निकला, सरकार ने उन्हें राम-राम कर अमिताभ जैन को नया पीएस फायनेंस बना दिया।

प्रमोशन लिफाफे में

प्रिंसिपल सिकरेट्री सुनील कुजूर के साथ उनके बैचमेट डा0 आलोक शुक्ला का भी एसीएस पद पर प्रमोशन हो गया है। मगर फिलहाल नान घोटाले में उनके खिलाफ मामला चल रहा है, इसलिए डिपार्टमेंट प्रमोशन कमेटी ने नियमानुसार उनके प्रमोशन के रिकमांडेशन को लिफाफे में बंद कर दिया। याने मामले से वे बरी होने पर उनके लिए अलग से डीपीसी की जरूरत नहीं होगी। वे एसीएस प्रमोट हो जाएंगे। जीएडी को सिर्फ दो लाइन का आर्डर निकालना होगा। हालांकि, 86 बैच के ही आईएएस अजयपाल सिंह का नाम डीपीसी में पुटअप नहीं हुआ। अजयपाल का एसीआर इतना गड्मगड है कि ब्यूरोक्रेट्स भी हैरान हैं कि वे पिं्रसिपल सिकरेट्री कैसे बन गए। अलबत्ता, नान घोटाले से पहिले आलोक शुक्ला का एसीआर आउट स्टैंडिंग था।

जो जीता, वो सिकंदर

आईपीएस राजीव श्रीवास्तव को स्पेशल डीजी बनाने को लेकर आईएएस लॉबी में ज्वार आया था, वह कल शाम ठंडा हो गया। सरकार ने सुनील कुजूर की डीपीसी कर एसीएस का आर्डर भी निकाल दिया। वरना, राजीव की डीपीसी के दिन 16 दिसंबर को मंत्रालय में विकट स्थिति निर्मित हो गई थी। आईएएस लॉबी ने प्रमोशन से संबंधित विभाग के अफसरों से यहां तक कह डाला कि आप लोगों को शर्म आनी चाहिए…..कुछ तो शर्म कीजिए आपलोग। हालांकि, आईएएस के लिए राजीव श्रीवास्तव कोई इश्यू नहीं थे। राजीव का किसी से वैर लेने का स्वभाव भी नहीं है। इश्यू था आईएएस का 86 बैच। 86 बैच पोस्ट होने के बाद भी प्रमोशन का बाट जोह रहा था। और, 87 बैच के आईपीएस के लिए कैबिनेट से स्पेशल पोस्ट स्वीकृत करा कर आनन-फानन में डीपीसी भी हो गई। यही आग में घी का काम किया। बहरहाल, आईएएस-आईपीएस के बीच कड़वाहट पैदा हुई, इसके लिए जीएडी को जिम्मेदार माना जा रहा है। सीएम से अल्टीमेटम मिलने से पहिले ही जीएडी अगर सुनील कुजूर का प्रमोशन करा दिया होता तो आक्वड सिचुएशन क्र्रियेट नहीं होता। इस चक्कर में राजीव श्रीवास्तव का मामला भी अटक गया। चलिये, जो जीता, वो सिकंदर।

डीई धारी कलेक्टर

देश में संभवतः यह पहला केस होगा, जिसमें डिपार्टमेंटल इंक्वायरी वाले आईएएस कलेक्टरी कर रहे हां। बात कर रहे हैं, सूरजपुर और नारायणपुर कलेक्टर की। सूरजपुर कलेक्टर जी चुरेंद्र के खिलाफ गरियाबंद में पोस्टिंग के दौरान एक मामला बना था। और, नारायणपुर कलेक्टर टामन िंसंह सोनवाने के खिलाफ जांजगीर में मनरेगा के केस में विभागीय जांच चल रही है। दोनों के खिलाफ कलेक्टर बनने के बाद जांच शुरू हुई है। लेकिन, जातीय समीकरणों के चलते सरकार ने फौरन कोई एक्शन लेना मुनासिब नहीं समझा। अब, कुछ दिनों में कलेक्टरों की लिस्ट निकलने वाली है, इसमें दोनों का नम्बर लगना तय माना जा रहा है।

लंबी लिस्ट

कलेक्टरों के फेरबदल लिस्ट में सूरजपुर, नारायणपुर, सुकमा, कांकेर, कवर्धा, महासमुंद, दुर्ग, बेमेतरा के नाम प्रमुख बताएं जा रहे हैं। इनमें से कुछ अपग्रेड किए जाएंगे तो कुछ को शंट। हालांकि, नए आईएएस को मौका देने के लिए सरकार 2004 बैच को क्लोज करना चाहती है। लेकिन, कुछ अफसरों के परफारमेंस को देखते उलझन की स्थिति है। इस बैच में अमित कटारिया, अंबलगन पी, अलरमेल डी मंगई कलेक्टर हैं। अंबलगन बिलासपुर को संयत ढंग से चला रहे हैं तो उनकी पत्नी मंगई रायगढ़ में उनसे भी आगे हैं। अंबलगन का वैसे भी सवा साल ही हुआ है। वैसे, काम के मामले में दुर्ग कलेक्टर संगीत पी का भी रिपोर्ट कार्ड बढियां बता रही है सरकार। मगर उनका ढाई साल से अधिक वक्त हो गया है। लिहाजा, संगीत का चेंज अवश्यसंभावी है। सुकमा कलेक्टर नीरज बंसोड़ को सीएम अपने गृह जिले में ले जा सकते हैं। तो शम्मी आबिदी का महासमुंद के लिए चर्चा है। महासमुंद से बलौदा बाजार लगा है। बलौदा बाजार में उनके हसबैंड शेख आरिफ कप्तान हैं। वैसे, ज्यादा संभावना है कि लिस्ट एक फेज में ही निकले।

न्यू ईयर का जश्न

बस्तर के कलेक्टर, एसपी जश्न मनाने का कोई मौका नहीं चूकते। तभी तो न्यू ईयर की पार्टी आज से शुरू हो रही है। एक बड़े जिले के कलेक्टर कल एक ग्रेंड पार्टी देने जा रहे हैं। इसमें शिरकत करने के लिए बस्तर के सभी जिलों के कलेक्टर्स, एसपी और सीईओ को न्यौता भेजा गया है। साथ ही, दिल्ली के कुछ तीन दर्जन से अधिक मित्र भी आ रहे हैं। उनके लिए बस्तर के समूचे रिसार्ट एवं होटल बुक हैं। कल से शुरू हुई पार्टी 10 जनवरी तक चलेगी। छह जिलों के कलेक्टर, एसपी को इसके लिए सुविधा के अनुसार डेट बताने के लिए कहा गया है। कांकेर में चूकि महिला कलेक्टर हैं, इसलिए उन्हें इन सब से अलग रखा जाता है। इससे पहिले दिवाली मिलन के नाम पर भी बस्तर में खूब पार्टियां हुई थीं। खैर, इसमें कोई गलत नहीं है। बस्तर में काम-वाम तो है नहीं। पइसा बेहिसाब है। कागजों में उसे खर्च करने के पावर भी अधिक है। ऐसे में, कलेक्टर करें क्या? लोग पार्टीबाज कहते हैं तो कहें, क्या फर्क पड़ता है….अपनी सरकार तो कुछ नहीं कर रही है न।

सुकून की बात

बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह रायपुर विजिट के बाद दिल्ली लौटने पर बीजेपी मुख्यालय की लायब्रेरी की बड़ी तारीफ की है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा है कि बीजेपी के प्रदेश कार्यालयों में रायपुर पहला कार्यालय होगा, जहां लायब्रेरी तैयार हो गई। वो भी दो महीने में। कलेक्शन भी उसमें गजब का है। शाह ने यह भी लिखा है कि लायब्रेरी के चलते छत्तीसगढ़ प्रवास विशिष्टता पूर्ण रहा। चलिये, पंचायत मिनिस्टर के लिए यह सुकून की बात होगी। क्योंकि, लायब्रेरी का जिम्मा सरकार ने चंद्राकर को सौंपा था। मगर तब शाह के दौरे में दूसरा ही एपीसोड हो गया था। इसके चलते लायब्रेरी को मीडिया में एक लाइन भी जगह नहीं मिली।

अंत में दो सवाल आपसे

1. मुख्य सूचना आयुक्त का पद किसके लिए आरक्षित रखा गया है
2. धुर विरोधी नेता भूपेश बघेल को जमीन मामले में क्लीन चिट देने में सरकार ने देर नहीं लगाई। इसकी क्या वजह है?

शनिवार, 17 दिसंबर 2016

नींद से जागे, जब…..

18 दिसंबर

संजय दीक्षित
86 बैच के आईएएस सुनील कुजूर का प्रमोशन एक साल से ड्यू था। उन्हें पिछले साल दिसंबर में ही एसीएस बन जाना था। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। आईएएस लाॅबी 13 दिसंबर को नींद से तब जागी जब कैबिनेट में प्रमोटी आईपीएस आरसी श्रीवास्तव को स्पेशल डीजी बनाने का प्रस्ताव आ गया। खबर सुनते ही आईएएस नेता आंख मलते हुए सीएम के चेम्बर की ओर दौड़े। कैबिनेट खतम कर डाक्टर साब जैसे ही अपने चेम्बर में पहुंचे, आईएएस भीतर घुसे….मुंह लटकाए हुए। डाक्टर साब 13 साल के सीएम हो गए हैं…. माजरा समझ गए…..मुस्कराते हुए पूछे, कहो! क्या हुआ? आईएएस हाथ जोड़कर बोले, साब, घोर अन्याय हो गया। सही में कलयुग आ गया है….आईएएस का 86 बैच पोस्ट खाली होने के बाद भी टकटकी लगाए बैठा है और स्टेट पुलिस वाला डीजी बन जाए…..वो भी कैबिनेट में स्पेशल पोस्ट क्रियेट कर…कुछ कीजिए….वरना, इस प्रदेश में हमें पूछेगा कौन। डाक्टर साब हल्के मूड में थे, पूछे, क्या हुआ, साफ-साफ बताओ! आईएएस बोले, सरररर…वो सुनील कुजूर….। डाक्टर साब सिर हिलाकर बोले, हूं…., उसका भी हो जाएगा। तभी चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड जैकेट ठीक करते हुए कमरे में इंटर किए। डाक्टर साब ने ढांड से पूछ डाला, क्यों विवेक, कुजूर का क्यों नहीं हो रहा है। ढांड बोले, सर, हो जाएगा, एकदम हो जाएगा सर….मैं अभी बात करता हूं सर! इस पर सीएम बोले, इस महीने किसी भी तरह हो जाना चाहिए। इसके बाद अफसर थैंक्यू बोले, सिर उठाया और फिर चेम्बर से बाहर निकल गए। चलिये, एक साल बाद ही सही, बेचारे कुजूर के लिए आईएएस लाॅबी जागी तो सही।

क्रिसमस का तोहफा?

सीएम के भरोसा देने के बाद आईएएस सुनील कुजूर की फाइल तेजी से मूव हुई और अब उनका बहुप्रतीक्षित प्रमोशन अगले हफ्ते किसी भी दिन हो सकता है। वे अब एडिशनल डीजी बन जाएंगे। उनकी डीपीसी के लिए भारत सरकार ने लेटर जारी कर दिया है। डीओपीटी ने कमेटी के लिए अपना मेम्बर भी अपाइंट कर दिया है। इसलिए, 25 दिसंबर से पहिले कुजूर का प्रमोशन तय मानिये। याने क्रिसमस का तोहफा उन्हें मिलेगा। हालांकि, कुजूर को इस तोहफे की अनुभूति तब होगी, जब उन्हें कोई और विभाग मिले। ग्रामोद्योग में ही एसीएस कन्टीन्यू करने पर भला तोहफा का अहसास कैसे होगा।

लौटेंगे बीके

रमन सरकार ने 87 बैच के आईपीएस राजीव श्रीवास्तव को स्पेशल डीजी बनाया है। इसलिए, इसी बैच के रेगुलर रिक्रूट्ड आईपीएस बीके सिंह को भी प्रमोशन देना लाजिमी था। बीके बैच वाइज वैसे भी श्रीवास्तव से सीनियर हैं। फिलहाल वे डेपुटेशन पर आईबी में पोस्टेड हैं। छत्तीसगढ़ से बाहर होने के कारण उन्हें प्रोफार्मा प्रमोशन दिया गया है। अंदर की खबर है, बीके फरवरी, मार्च तक छत्तीसगढ़ लौट सकते हैं। बीके अब पावर गेम के तहत छत्तीसगढ़ लाए जा रहे हैं या अपनी इच्छा से, वक्त आने पर इसका पता चलेगा।

चेयरमैन को चपरासी

वेयर हाउस के चेयरमैन नीलू शर्मा और तब के एमडी राधाकृष्णन को अपवाद स्वरुप छोड़ दें तो अधिकांश बोर्डो के चेयरमैन और एमडी के बीच रिश्ते छत्तीस के ही होते है। एमडी से या तो लेनदेन को लेकर विवाद होता है या फिर इगो का टकराव। राजधानी में 10 हजार करोड़ से अधिक का कारोबार करने वाली एक संस्था में चेयरमैन और एमडी के बीच तकरार चरम पर पहंुच गई है। दरअसल, एमडी ने सिस्टम को ऐसा कस दिया है कि चेयरमैन की हालत चपरासी से भी बदतर हो गई है। ट्रांसफर के सीजन में चेयरमैन साब हर साल चार से पांच खोखा अंदर कर लेेते थे। रुटीन में जो कमीशन था, वह अलग। लेकिन इस साल एक तो मोदी की नोटबंदी और उपर से एमडी के कड़े तेवर ने सब कबाड़ कर दिया। पता चला है, एमडी को उपर से भी इशारा है, चेयरमैन पर लगाम लगाओ। एमडी ने ऐसा लगाम लगाया है कि बेचारे फड़फड़ा भी नहीं पा रहे हैं। हो सकता है, इसमें फायदा एमडी को भी हो जाए। समीर विश्नोई ने बीज विकास निगम में सप्लायरों को ऐसा शिकंजा कसा कि कई लोग पहुंच गए सरकार के पास। ऐसे में हो सकता है, समीर की तरह एमडी को भी कलेक्टर का एक और मौका मिल जाए।

चंद्राकर का राहू

पंचायत एवं हेल्थ मिनिस्टर अजय चंद्राकर के धार्मिक स्थलों से होकर आने के बाद भी राहू ने उनका पीछा नहीं छोड़ा है। लौटते ही अमित शाह एपीसोड हो गया। मंत्रिमंडल के उनके मजबूत मित्रों ने खबर को वायरल करने में देर नहीं लगाई। चंद्राकर कैंप को इसलिए जोर का झटका लगा कि मंत्रीजी ने मेहनत करके हाईटेक लायब्रेरी बनवाई और यह गौण हो गया। हेडलाइन बन गया, मंत्री को फटकार। मंत्रीजी को एक बार त्रयंबकेश्वर हो आना चाहिए। वहां भांति-भांति के ग्रहों का निराकरण किया जाता है। वैसे भी, चंद्राकर के लोग बताते हैं, कुछ ज्यातिषियों ने सलाह दी है कि बीजेपी में ओबीसी के चंद्राकर सबसे तेज नेता हैं। इसलिए, मंत्रिमंडल के साथियों का उनके प्रति विशेष अनुराग है। इसके लिए उन्हें कुछ अनुष्ठान करना चाहिए।

जोगी का मित्र कौन?

संसाधनों में जोगी कांग्रेस ओरिजिनल कांग्रेस से कहीं आगे न निकल जाए। गुरू घासीदास जयंती में सतनामी इलाके में जोगी की तुफानी सभाओं के लिए मुंबई से हेलिकाप्टर पहंुच चुका है। हेलिकाप्टर से कल गिरौदपुरी से जोगी को दौरा शुरू होगा। एक दिन में वे तीन से चार सभा करेंगे। 30 दिसंबर को जांजगीर में इसका समापन करेंगे। मीडिया ने जोगी से जब पूछा कि नोटबंदी में हेलिकाप्टर का कैसे इंतजाम कर लिए, जोगी बोले, मित्रों ने मुहैया कराया है। अब भूपेश बघेल कहीं पूछ दें कि मित्र कौन? तो जोगी क्या जवाब देंगे।

ऐसी दुश्मनी देखी नहीं?

अजीत जोगी और भूपेश बघेल के बीच जुबानी जंग फिर तेज हो गई है। दोनों नेता कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। पीसीसी चीफ भूपेश बघेल के आरोप कि जोगी का दिमाग खराब हो गया है, शनिवार को मीडिया ने जब जोगी से पूछा तो उन्होंने छूटते ही कहा, भूपेश का क्या-क्या खराब हो गया है, मैं बताउं क्या। बहरहाल, दोनों के झगड़े पारिवारिक स्तर पर पहंुच गए हंै। पत्नी-बच्चे, बाप-दादाओं तक। अंदाज वहीं, तू चोर, नहीं तू हमसे बड़ा चोर। ये ठीक नहीं है। छत्तीसगढ़ में इस तरह की सियासी दुश्मनी का कभी टे्रंड नहीं रहा। सियासत अपनी जगह और रिश्ते अपनी जगह होते थे। पुराने लोगों को शायद याद होगा, इमरजेंसी के दिनों में लखीराम अग्रवाल जब जेल में थे, और उनकी पत्नी बीमार पड़ी तो कांग्रेसियों ने आगे आकर लखीराम को पेरोल पर छुड़वाया था। यह तो एक बानगी है, ढेरों उदाहरण आपको मिल जाएंगे। छत्तीसगढ़ के लोगों ने राघवेंद्र राव, रविशंकर शुक्ल, श्यामचरण, विद्याचरण, पुरूषोतम कौशिक, बृजलाल वर्मा के दौर को भी देखा है। इनमें कभी कटुता नहीं रही। ना कभी मर्यादा टूटी। पत्नी-बच्चों पर आक्षेप की तो कोई सोच ही नहीं सकता था।

अंत में दो सवाल आपसे

1. 87 बैच के आईपीएस के प्रमोशन के लिए गृह विभाग बेताब क्यों था? 
2. कैबिनेट में आरसी श्रीवास्तव को डीजी प्रमोट करने का किस मंत्री ने विरोध किया और क्यों?

शनिवार, 10 दिसंबर 2016

बंदूक की तरह

11 दिसंबर

संजय दीक्षित
13 साल में पहली बार ब्यूरोक्रेसी बंदूक की तरह काम करती दिख रही है। खास कर सीएम के अमेरिका से लौटने के बाद से। ऐसा क्यों, यह आपको बाद में बताएंगे। पहले इसे समझिए, मंत्रालय की मीटिंगों में जिन एसीएस, पीएस के मुंह से आवाज नहीं निकलती थी, वे खुद इनिसियेटिव लेकर बोल रहे हैं….लीड लेने की कोशिश कर रहे हैं….बताना चाह रहे हैं कि उनका सब कुछ सरकार के प्रति समर्पित है। यह भी पहली बार हुआ कि सीएम ने कैशलेस के लिए प्रभारी सचिवों की बैठक ली और उसी दिन प्रभारी सचिवों ने प्रभार वाले जिलों की ट्रेन पकड़ ली या अगले दिन सुबह ही गाड़ी से निकल पडे़। कलेक्टर कैशलेस के लिए सड़क पर उतर गए हैं….ठेलों पर चाय पी रहे हैं….किराना दुकान में जाकर ईपेमेंट कर रहे हैं। ऐसा तो जोगी के समय भी नहीं था। ब्यूरोक्रेसी के चार्ज होने के पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं। पहला, कैशलेस का टास्क मोदी ने दिया है। सो, मामला गड़बड़ाया तो सरकार अपनी सौम्यता नहीं दिखाने वाली। दूसरा, एसीएस अपना पारफरमेंस इसलिए दिखाना चाह रहे हैं क्योंकि मंत्रालय के गलियारों में चर्चा तेज है कि फरवरी, मार्च याने बजट सत्र तक नया चीफ सिकरेट्री तय होना है। तीसरा, कुछ अफसर रिटायर होने वाले हैं, उन्हें ठीक-ठाक पुनर्वास चाहिए। और चौथा, जिलों में कलेक्टरों से लेकर मंत्रालय में सचिवों के तबादले होने हैं। ऐसे में, आज्ञाकारी बच्चे की तरह गुरूजी को प्रसन्न नहीं रखे तो मतलब आप समझ सकते हैं। पूरा जुगाड़ और स्वार्थ का मामला है। इसके अलावा कुछ और नहीं। आखिर, अफसर ऑफ द रिकार्ड यह सवाल उठा ही रहे हैं, छत्तीसगढ़ में कैशलेस संभव है?

थ्री आईएएस…..

तीन प्रमोटी आईएएस अफसरों का आईएएस अवार्ड खतरे में पड़ गया है। भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग डीओपीटी ने उनका आईएएस कांफर्मेशन रोक दिया है। हालांकि, फिलहाल कोई कारण नहीं बताया गया है। मगर माना जा रहा है कि सीआर खराब होने के कारण डीओपीटी ने यह कदम उठाया है। बताते हैं, राज्य सरकार से प्रोबेशन क्लीयर करने के लिए डीओपीटी ने रिपोर्ट मांगी थी। जीएडी ने तीनों आईएएस अफसरों के खिलाफ चल रहे मामलों का पूरा ब्यौरा भेजा था। इसके बाद उनका प्रोबेशन लटक गया। जानकारों की मानें तो सीआर या केसेज के मामलों में डीओपीटी का रवैया बड़ा सख्त होता है। लिहाजा, तीनों आईएएस अफसरों पर डीओपीटी कोई बड़ी कार्रवाई कर दें तो अचरज नहीं।

और अपना जीएडी

जीएडी बोले तो सामान्य प्रशासन विभाग। अब नाम ही सामान्य तो काम भी तो नाम के अनुरुप ही होगा न! केंद्र के डीओपीटी को देखिए, सामान्य मामलों पर भी पैनी नजर रखता है। अपना जीएडी बड़े-बड़े प्रकरणों पर भी आंख मूंद लेता है। छत्तीसगढ़ में दर्जनों ऐसे प्रकरण हैं, जिसमें सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों के खिलाफ गंभीर अपराध दर्ज होने के बाद भी प्रमोशन मिल गया। बहुचर्चित 2005 पीएससी केस में डिप्टी कलेक्टर से लेकर सहकारिता निरीक्षक तक सभी 183 के खिलाफ एसीबी में चार सौ बीसी से लेकर कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज है। मगर किसी का न प्रोबेशन रुका, न प्रमोशन। यह तो एक बानगी है। ऐसे ढेरों प्रकरण हैं। और, इसीलिए वो डीओपीटी है और यह जीएडी।

 नए साल में

कैशलेस के चलते कुछ दिनों के लिए कलेक्टरों के ट्रांसफर टल गए हैं। दरअसल, सरकार ने कैशलेस के लिए अभियान छेड़ दिया है। कलेक्टरों को 31 दिसंबर तक अल्टीमेटम दिए गए हैं। ऐसे में, कलेक्टरों का बदलना मुनासिब नहीं समझा जा रहा। क्योंकि, नए कलेक्टरों को नए जिले को समझने-बूझने में भी वक्त निकल जाएगा। सो, मानकर चलिए अब नए साल में ही कलेक्टरों के तबादले होंगे।

अजय चंद्राकर का तीर्थाटन

पंचायत एवं हेल्थ मिनिस्टर अजय चंद्राकर दक्षिण के तमाम देवी-देवताओं से आर्शीवाद एवं ताकत लेकर छत्तीसगढ़ लौट आए हैं। उन्होंने हफ्ता भर से ज्यादा समय साउथ में बिताया। बालाजी में मुंडन भी कराए। चलिये, नया साल उनका बढ़ियां जाए। 2015 तो बहुत बुरा रहा। जिसमें कोई मामला नहीं बनता, उसमें भी वे उलझ गए। उनको खुद नहीं समझ में आ रहा था कि ये क्या हो रहा है। कई बार उनके जुबां फिसल गए। तो उन्हें जान से मारने की सुपारी वाली खबर भी चर्चा में रही। उनकी राजनीतिक निष्ठा पर भी सवाल उठते रहे। कभी लोग बोलते थे, वे सरकार के पाले में हैं तो कभी विरोधी मंत्रियों के गुट में।

बड़ा भीम

बस्तर आईजी शिवराम प्रसाद कल्लूरी बड़े भीम निकल गए। धमतरी कलेक्टर भीम सिंह को ब्रेन हैम्ब्रेज होने के बाद समझ लिया गया था कि वे कलेक्टर की ट्रेक से अब गए। मगर आश्चर्यजनक तौर पर रिकवरी करते हुए 15 दिन में धमतरी में प्रगट होकर काम संभाल लिया। बल्कि, प्रमोट होकर अंबिकापुर के कलेक्टर बन गए। वैसा ही कुछ कल्लूरी के मामले में हुआ है। कल्लूरी को जब विशाखापटनम शिफ्थ किया गया तो वे इतने तकलीफ में थे कि हेलिकाप्टर में उन्हें खड़े होकर जाना पड़ा। यूरिन नहीं होने से उनका यूरिन ब्लाडर भर गया था। इसके चलते वे बैठ नहीं पा रहे थे। इसीलिए, एयरफोर्स के एम-17 हेलिकाप्टर से उन्हें भेजा गया। उसकी उंचाई अधिक होती है। वहां किडनी के साथ ही मल्टीब्लॉकेज निकल गया। बाईपास के हफ्ते भर के भीतर वे बस्तर के अफसरों से फोन पर बात भी कर रहे हैं। आपरेशन के दो दिन बाद से कल्लूरी पेप्सी की फारमाइश शुरू कर दी थी। कोल्ड ड्रिंक उनका पंसदीदा पेय है। बहरहाल, कोई आश्चर्य नहीं कि दो-तीन दिन बाद वे जगदलपुर लौट आएं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. मंत्रालय में होने वाली बैठकों में कौन दो एडिशनल चीफ सिकरेट्रीज अतिसक्रिय हो गए हैं?
2. रमन सिंह ने मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना को खारिज कर दिया है। क्या ऐसा ही होगा?

शनिवार, 3 दिसंबर 2016

दागी कलेक्टर

4 दिसंबर
संजय दीक्षित
अभी तक आपने दागी अफसर सुने होंगे, दागी कलेक्टर नहीं। मगर छत्तीसगढ़ में एक ऐसा कलेक्टर हैं, जिनके खिलाफ गंभीर मामला है। जीएडी में उनके खिलाफ विभागीय जांच की फाइल तैयार है। मगर उसे हरी झंडी नहीं मिल रही, क्योंकि मैसेज अच्छा नहीं जाएगा….लोग क्या कहेंगे….कलेक्टर के खिलाफ डीई! इसमें हिट यह भी है कि अविभाजित मध्यप्रदेश के समय तत्कालीन बस्तर कमिश्नर विवेक ढांड ने आर्थिक अनियमितता के मामले में इस अफसर को सस्पेंड किया था। तब वे वहां डिप्टी कलेक्टर थे। वही ढांड आज चीफ सिकरेट्री हैं। और, उन्हीं के दस्तखत से उस अफसर को कलेक्टर बनाया गया। जाहिर है, ढांड की आत्मा भी कचोट रही होगी। मगर क्या करें, सरकार की अपनी राजनीतिक मजबूरिया होती हैं। जातीय समीकरण के चलते उन्हें कलेक्टर बनाया गया। और, इसी के चलते उन्हें हटाने में सरकार आगे-पीछे हो रही है।

बस्तर में नए आईजी?

बस्तर आईजी शिवराम प्रसाद कल्लूरी की बाईपास सर्जरी के बाद जाहिर है, उन्हें पूर्ण स्वस्थ्य होने में वक्त लगेगा। उनके हार्ट में मल्टीब्लॉकेज था। रविवार को वे आईसीयू से प्रायवेट रुम में शिफ्थ होंगे। याने वे जल्दी नहीं लौटने वाले। सरकार ने हालांकि, बिलासपुर आईजी विवेकानंद को बस्तर का एडिशनल चार्ज दिया है। लेकिन, बस्तर संवेदनशील रेंज है, इसलिए लंबे समय तक प्रभारी के भरोसे छोड़ा भी नहीं जा सकता। अलबत्ता, टीम रमन के 6 दिसंबर को अमेरिका से लौटने के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी। अगर बस्तर में नए आईजी की पोस्टिंग होगी तो दो-एक रेंज के आईजी और इधर-से-उधर हो सकते हैं। क्योंकि, आईपीएस अमित कुमार सीबीआई डेपुटेशन से कभी भी छत्तीसगढ़ लौट सकते हैं। उनका पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के केसेज उनके पास हैं। इसलिए, अनुमति के लिए एपेक्स कोर्ट को लिखा गया है। अमित को मानकर चलिये, उन्हें ठीक-ठाक पोस्टिंग मिलेगी। याने बढ़ियां रेंज। सो, आईजी में बड़ी उठापटक हो जाए, तो आश्चर्य नहीं।

एमपी में 48, सीजी में 3 एडीजी

पुलिस मुख्यालय में सीनियर लेवल पर अफसरों का टोटा डीजीपी के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। खासकर एडीजी और आईजी के मामले में। पीएचक्यू में फिलहाल पांच एडीजी हैं। संजय पिल्ले, आरके विज, अशोक जुनेजा, राजीव श्रीवास्तव और लांग कुमेर। राजीव श्रीवास्तव इस महीने रिटायर हो जाएंगे। लांग कुमेर भी नागालैंड जाने के लिए जोर मार रहे हैं। कभी भी उनका आदेश आ सकता है। ऐसे में, बचेंगे तीन। पिल्ले, विज और जुनेजा। इनके बाद 92 बैच में तीन आईपीएस हैं। पवनदेव, अरुणदेव गौतम और राजकुमार देवांगन। जनवरी में ये बैच एडीजी के लिए एलिजिबल हो जाएगा। लेकिन, इसमें लोचा यह है कि देवांगन का सीआर खराब है। वो तो विश्वरंजन ने आईजी बनवा दिया वरना….। पवनदेव के खिलाफ विशाखा कमेटी की जांच अभी पूरी नहीं हो पाई है। इस महीने कमेटी की रिपोर्ट नहीं आई तो सिर्फ गौतम एडीजी बन पाएंगे। लेकिन, इससे पीएचक्यू को कोई लाभ नहीं होगा। क्यांकि, वे मंत्रालय में सिकरेट्री होम हैं। सरकार वहीं उनको प्रमोट कर देगी। याने एडीजी की संख्या तीन पर टिकी रहेगी। जबकि, मध्यप्रदेश में 48 एडीजी हैं। आईजी में तो स्थिति और खराब है। रेंज के लिए भी ढंग के अफसर नहीं हैं। पीएचक्यू में गिन के चार आईजी हैं। पवनदेव, जीपी सिंह, एचके राठौर एवं बीपी पौषार्य। ऐसे में, आप समझ सकते हैं, पुलिस का काम कैसे चल रहा होगा। और, आगे क्या होगा?

बदलेंगे कलेक्टर्स

सीएम के अमेरिका से लौटने के बाद कुछ कलेक्टरों का बदलना तय माना जा रहा है। इनमें प्रमोटी में से पांच में से चार कलेक्टरों की छुट्टी होगी…..भले ही दो फेज में ही क्यों ना हो। तो कुछ जिले के कलेक्टरों को बड़ा जिला मिलेगा। जो कलेक्टर्स अपग्रेड होंगे, उनमें नीरज बंसोड़ सुकमा, उमेश अग्रवाल महासमुंद और शम्मी आबिदी कांकेर प्रमुख हैं। उमेश का दुर्ग के लिए चर्चा है। यशवंत कुमार के लिए भी खूब लॉबिंग हो रही है। सरकार पर जीएडी से लेकर बिहार, यूपी तक से प्रेशर है। प्रमोटी में अबकी टीपी वर्मा, नीलम एक्का, नरेंद्र दुग्गे का नम्बर लग सकतु है।

2010 बैच भी दावेदार

कई राज्यों में 2010 बैच के आईएएस कलेक्टर बन गए हैं। बिहार, यूपी में तो पिछले साल ही उनका नम्बर लग गया था। लेकिन, छत्तीसगढ़ में 2010 बैच पिछड़ गया है। इसमें चार आईएएस हैं। कार्तिकेय गोयल, सारांश मित्तर, जेपी मौर्य और रानू साहू। अगले कुछ महीनों में सरकार को इन सभी को कलेक्टर बनाना होगा। 2009 बैच के छह आईएएस पहिले से छह जिलों को आकोपाई किए हुए हैं। ये सभी बढियां काम कर रहे हैं। सो, लगता नहीं कि सरकार इनमें से किसी को डिस्टर्ब करेगी।

कलेक्टर की पत्नी

एक कलेक्टर की वाइफ का ओडीएफ पर भाषण इस हफ्ते सोशल मीडिया में वायरल हुआ। लोगों को झकझोड़ने वाला ऐसा ओजस्वी और बेलाग बोल कि साध्वी ऋतंभरा भी फेल हो जाए। यकीनन, कम-से-कम छत्तीसगढ़ में वैसा लच्छेदार बोलने वाला कोई पालीटिशियन नहीं है। न कांग्रेस, न भाजपा में। पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर और एसीएस पंचायत एमके राउत को यह भाषण सुनना चाहिए। शायद एक जिले की बजाए पूरे प्रदेश में उनका उपयोग किया जा सकें। वरना, कोई राजनीतिक दल उन्हें अपनी पार्टी में जोड़ने की पेशकश ना कर दे।

सतनामी वोट पर नजर

अजीत जोगी ने विधानसभा में डा0 आंबेडकर की प्रतिमा लगाने की मांग कर दलित कार्ड खेला। अब कांग्रेस भी इसी कार्ड को साधने के लिए राहुल गांधी को सतनामी बहुल इलाके में जंगी सभा कराने की तैयारी कर रही है। याद होगा, राहुल गांधी पिछली बार गिरौदपुरी गए थे। इस बार सतनामी बहुल मुंगेली के अमरटापू में राहुल की सभा कराने की तैयारी की जा रही है। राहुल इस महीने किसी तारीख को छत्तीसगढ़ आ सकते हैं।

प्रतिष्ठा दांव पर

आठ नगरीय निकायों के चुनाव में पीसीसी चीफ भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। आमतौर पर उप चुनाव या निकाय चुनाव के नतीजे सरकार के खिलाफ जाते हैं। मगर आठ में से चार निकाय भी अगर कांग्रेस की झोली में आ गए तो ठीक वरना भूपेश की मुश्किलें बढ़ सकती है। क्योंकि, इसके बाद अब सीधे विधानसभा चुनाव होना है। वैसे, चुनाव दोनों ही पार्टियों के लिए लिटमस टेस्ट होगा। क्योंकि, चुनौतियां सरकार के सामने भी हैं। नोटबंदी के बाद हो रहे इस स्थानीय चुनाव के नतीजों पर दिल्ली की भी नजर रहेगी। कि जनता ने नोटबंदी को किस तरह लिया। इसीलिए, भिलाई-चरौदा का प्रभारी बृजमोहन अग्रवाल को और सारंगढ़ का प्रभारी अमर अग्रवाल को बनाया गया है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. नगरीय निकाय कैडर के अफसर किस बात के लिए गर्वान्वित महसूस कर रहे हैं?
2. माइनिंग घोटाले में किस बड़े सीमेंट प्लांट की गर्दन फंस गई है?

शनिवार, 19 नवंबर 2016

सीएम के फॉरेन ट्रिप का खौफ


संजय दीक्षित
पिछले बार टीम रमन जब चाइना गई थी तो हवाई जहाज में ट्रांसफर के फैसले हो गए थे। रायपुर से फ्लाइट टेकऑफ करने के करीब आधा घंटा बाद जब इंडिगो का प्लेन 20 हजार फीट की उंचाई पर पहुंचा तो सीएम ने अपने बगल में बैठे राइट हैंड से चर्चा की और लिस्ट तैयार हो गई। दिल्ली एयरपोर्ट से सीएम का काफिला छत्तीसगढ़ सदन के लिए रवाना हुआ और उधर आर्डर निकालने के लिए सूची जीएडी को व्हाट्सएप कर दी गई। अबकी 26 नवंबर को सीएम अमेरिका जा रहे हैं। अफसरों को डर सताने लगा है कि इस बार कहीं हवा में उनका नम्बर न लग जाए।

कुजूर का प्रमोशन

सीएम के अमेरिका जाने से पहिले 86 बैच के आईएएस सुनील कुजूर को सरकार एडिशनल चीफ सिकरेट्री बना सकती है या फिर वहां से लौटने के फौरन बाद। कैडर रिव्यू में सीएस का एक पोस्ट बढ़ गया है। सो, तकनीकी तौर पर भी कोई दिक्कत नहीं है। कुजूर का प्रमोशन जनवरी से ड्यू है। कुजूर छत्तीसगढ़ के पहले आईएएस होंगे, जिनका प्रमोरशन ड्यू डेट से 11 महीने बाद भी लटका हुआ है। 86 बैच में कुजूर के अलावे दो आईएएस और हैं। डा0 आलोक शुक्ला और अजयपाल सिंह। एसीबी केस के चलते शुक्ला का प्रमोशन संभव नहीं है। और, अजयपाल सिंह का सीआर ठीक नहीं है। इसलिए, सिंगल पोस्ट के लिए ही डीपीसी होगी। इसलिए, कुजूर का नाम तय मानिये।

सरकार से पंगा नहीं

डेढ़ महीने बाद जनवरी में आईएएस का 87 बैच भी एडिशनल चीफ सिकरेट्री के लिए एलिजिबल हो जाएगा। इस बैच में छत्तीसगढ़ कैडर में तीन आईएएस हैं। बीबीआर सुब्रमण्यिम, सीके खेतान और आरपी मंडल। इनमें से खेतान सेंट्रल डेपुटेशन पर दिल्ली में हैं। 2011 में तीनों आईएएस ड्यू डेट से छह महीने पहिले सिकरेट्री से प्रिंसिपल सिकरेट्री प्रमोट हुए थे। मगर वो वक्त दूसरा था। सुब्रमण्यिम दिल्ली में थे और खेतान यहां। एक नवंबर को पीएम विजिट और पांच नवंबर को यूनियन होम मिनिस्टर विजिट में हुए विवादों के बाद सुब्रमण्यिम सरकार के निशाने पर हैं। लिहाजा, 87 बैच को प्रमोशन की उम्मीद ना करें तो बेहतर होगा। क्योंकि, इस बैच में सुब्रमण्यिम पहले नम्बर पर है। उनके बाद खेतान और फिर मंडल। ऐसे में पूरा खतरा है कि सुब्रमण्यिम के चलते खेतान और मंडल का प्रमोशन लटकेगा। आखिर, सुनील कुजूर का उदाहरण सामने है। सरकार ने नहीं किया, तो नहीं किया। अलबत्ता, सुब्रमण्यिम का मामला न निबटा तो हो सकता है कि अगले साल भी तीनों का प्रमोशन ना हो पाए। क्योंकि, अगले साल एसीएस एनके असवाल के रिटायर होने पर हो सकता है, सरकार अजयपाल सिंह को प्रमोशन देकर 87 बैच का बता दें कि सरकार, सरकार होती है….सरकार से होशियारी नहीं।

तब भी कल्लूरी, अब भी कल्लूरी

छत्तीसगढ़ बनने के बाद 16 साल में विधानसभा में विपक्ष के सर्वाधिक निशाने पर कोई अफसर रहा है तो वे हैं आईपीएस एसआरपी कल्लूरी। दो मौका तो कोई भूल नहीं सकता। पहला, याद कीजिए अक्टूबर 2003 के शीतकालीन सत्र को। नवंबर में चुनाव था, इसलिए जोगी सरकार ने कोरम पूरा करने के लिए अक्टूबर में तीन दिन का सत्र बुलाया था। बीजेपी ने पहले दिन सेकेंड हाफ में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। ढाई दिन की चर्चा में डेढ़ दिन कल्लूरी के नाम रहा। कल्लूरी उस समय बिलासपुर एसपी थे। तब बीजेपी नेता कल्लूरी के बारे में बोलते-बोलते मर्यादाओं को लांघ गए थे। और दूसरा, यही काम इस बार कांग्रेस ने किया। पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने शीतकालीन सत्र में 19 नवंबर को कल्लूरी पर ऐसे-ऐसे जहर बूझे तीर छोड़े कि लोगों को 2003 की याद आ गई। फर्क इतना रहा कि उस समय कांग्रेस ने कल्लूरी का जमकर बचाव किया था। इस बाद कल्लूरी के फेवर में सिर्फ गृह मंत्री रामसेवक पैकरा खड़े हुए। सार यह कि कल्लूरी की वर्किंग ऐसी है कि वे स्वाभाविक तौर पर विपक्ष के निशाने पर आ जाते हैं। अब, विपक्ष में कांग्रेस हो या भाजपा।

असवाल होंगे प्रभारी सीएस?

चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड 26 नवंबर से आठ दिसंबर तक सीएम के साथ अमेरिका के दौरे पर रहेंगे। ढांड के बाद सीनियरिटी में 83 बैच के अजय सिंह हैं। मगर तीन नवंबर को उनकी बेटी की शादी है। जाहिर है, वे भी छुट्टी पर जाएंगे। उनके बाद 83 बैच के ही एनके असवाल एसीएस हैं। असवाल भले ही सीएस न बन पाएं मगर 13 दिन के लिए प्रभारी सीएस जरूर बनेंगे।

मुसीबत में दैवेभो

नोटबंदी के बाद सूबे में सबसे अधिक कोई परेशान हैं तो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी। आफिस से लेकर अफिसरों के बंगलों में बड़ी संख्या में दैवोभो काम करते हैं। उनके एकाउंट में पैसा डलवाना अफसर सर्वाधिक सेफ और सुविधाजनक मान रहे हैं। दैवोभो के सामने दिक्कत यह है कि पैसा जमा न कराएं तो नौकरी जाने में मिनटों नहीं लगेंगे। और, पैसा जमा करा दिया तो 30 दिसंबर के बाद इंकम टैक्स आफिस में पेशी होने की खतरा। इंकम टैक्स महकमा दैवेभो के एकाउंट चेक कर लें तो बड़ी संख्या में आफिसर बेनकाब होंगे।

ऐसे-ऐसे खेल

काली कमाई वाले अफसर किस तरह उसे व्हाइट कर रहे हैं, एक बानगी आपको बताते हैं। रायपुर रजिस्ट्री आफिस का अक्टूबर का बिजली बिल आया था 72,620 रुपए। बिल सीधे चेक से भुगतान हो सकता है। मगर अफसर ने 19 नवंबर को कलेक्ट्रेट परिसर स्थित ओरियेंटल बैंक से चपरासी से चेक के जरिये पैसा निकलवाया। और, नए नोट को लेकर घर से लेकर आए पुराने नोट चपरासी को देकर बिजली दफ्तर भेज दिया। हालांकि, ये छोटा एमाउंट है। लेकिन, सरकारी आफिसों में इस टाईप के खेल खूब चल रहे है।

रिकार्ड एनकाउंटर

बस्तर पुलिस के लिए नवंबर गुड रहा। नवंबर में नक्सली एनकाउंटर का पिछले सात साल का रिकार्ड टूट गया। 2009 में बस्तर में 109 नक्सली मारे गए थे। और, इस साल नवंबर में यह संख्या 225 पर पहुंच गया। पिछले तीन दिन में ही फोर्स ने 15 नक्सलियों को मार गिराएं हैं। हालांकि, पिछले साल भी नवंबर में सर्वाधिक 18 माओवादी मारे गए थे। फिर भी 109 का रिकार्ड नहीं टूटा था। लेकिन, इस साल हर महीने नक्सली ढेर होते रहे। इसलिए, एनकाउंटर का रिकार्ड बन गया।

95 फीसदी लॉकर खाली

लॉकर जब्ती की अफवाह से काली कमाई करने वाले खासे डरे हुए हैं। आलम यह है कि पिछले एक हफ्ते में बड़़े लोगों ने 95 फीसदी लॉकर खाली कर दिए। एक राष्ट्र्रीकृत बैंक के मैनेजर की मानें तो 9 नवंबर से पहिले दिन में चार-से-पांच लोग लॉकर आपरेट करने आते थे। नोटबंदी क बाद रोज 30 से 35 लोग आ रहे हैं। हालांकि, लॉकर का माल घर में रखने से लोगों की रात की नींद भी उड़ चली है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. अजीत जोगी की पार्टी का रजिस्ट्रेशन कराने से बचने के पीछे क्या कोई रणनीति हैं?
2. किस संभाग के कलेक्टर-एसपी काम-धाम छोड़कर इन दिनों दीपावली मिलन कार्यक्रम आयोजित करने में व्यस्त हैं।

शनिवार, 12 नवंबर 2016

दो दिल मिल रहे हैं…..


13 नवंबर
संजय दीक्षित
सूबे के एक महिला जिलाधिकारी और वहां के नगरीय निकाय के प्रमुख अफसर के बीच चुपके-चुपके कुछ चल रहा है। बताते हैं, 15 अगस्त की तैयारी के दौरान दोनों का दिल धड़का। और, अब मामला काफी आगे बढ़ चुका है। नगरीय निकाय के चाकलेटी अफसर प्रायवेट गाड़ी लेकर महिला अफसर के बंगला पहुंच जाते हैं। और, वहां से दोनों एक फ्लैट में। महिला अफसर तो सिंगल रहती है मगर नगरीय निकाय वाले का भरा-पूरा परिवार है। लिहाजा, कोशिश है चुपके-चुपके सब चलता रहे। मगर इश्क है कि छुपाए नहीं छुपता। सो, चुपके-चुपके ब्यूरोक्रेसी में भी इसकी खबरें फैलने लगी है। मंत्री को पीछे छोड़ा
काली कमाई के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के बाद खबर है, एक मंत्री ने 40 करोड़ रुपए व्हाइट किया। आधी रात को दो सूमो में कार्टून में नोट मार्केट में भिजवाए गए। लेकिन, फील्ड में तैनात एक नौकरशाह ने मंत्रीजी को पीछे छोड़ दिया। बताते हैं, 70 करोड़ रुपए खपाने के लिए अफसर बेचैन है। कह सकते है, काली कमाई में अफसर ने मंत्री को पीछे छोड़ दिया।

नौकर हो गए लखपति

प्रधानमंत्री ने चुनाव से पहले काले धन से हर खाते में 15-15 लाख रुपए ट्रांसफर करने का वादा किया था। काली कमाई के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करके उन्होंने ढाई लाख रुपए गरीबों के एकाउंट में डलवा ही दिया। काली कमाई के कुबेरांं ने पैसा ठिकाने लगाने के लिए गरीबों को मोहरा बनाया ही, राजधानी में मंत्रियों और नौकरशाहों के नौकर-चाकर लखपति हो गए। एक मंत्री ने अपने दो दर्जन स्टाफ के नाम पर 60 लाख जमा करा कराया। तो देवेंद्र नगर में एक अफसर के रसोइया के घर में पांच एकाउंट हैं। पांचों के नाम पर ढाई-ढाई लाख जमा हो गए। ये तो एक बानगी है। व्यापक स्तर पर यह खेल हुआ है।

नो कमेंट्स

एक वो भी दौर था….जब विधानसभा सत्र के दौरान मंत्री मुख्यालय से हिलते नहीं थे। यहां तक कि घर में शादी-ब्याह के डेट भी इस हिसाब से रखे जाते थे कि सत्र से टाईम न टकराए। दरअसल, तब विधानसभा का अपना ओहरा था। मगर अब ये पुरानी बात हो गई। सत्र चालू होने के पहले ही पीडब्लूडी मिनिस्टर राजेश मूणत यूरोप के दौरे पर चले गए हैं। स्पेन, प्राग की स्मार्ट सिटी देखकर जब तक लौटेंंगे, सत्र खतम हो गया रहेगा। खैर, मंत्री हैं, इसलिए नो कमेंट्स।

ओवरलोड रहेंगे चंद्राकर

विधानसभा सत्र में अजय चंद्राकर अबकी ओवरलोड रहेंगे। उनके पास पंचायत, स्वास्थ्य और संसदीय कार्य जैसे विभाग तो हैं ही, राजेश मूणत के विदेश दौरे पर होने की वजह से पीडब्लूडी, आवास पर्यावरण और ट्रांसपोर्ट विभाग के जवाब भी उन्हें देने होंगे। विधानसभा में 50 परसेंट प्रश्न तो पंचायत, हेल्थ और पीडब्लूडी के होते हैं। मंत्रीजी के लोग इसको लेकर बड़ा चिंतित हैं। डर है कि ज्यादा बोलने पर मंत्रीजी किसी बात पर फंस न जाए।

तू चल, मैं आया

पिछले दो महीने से विदेश जाने के लिए मंत्रियों की लाइन लगी है। हेल्थ मिनिस्टर अजय चंद्राकर आए तो स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप निकल लिए। केदार लौटकर आए तो पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री दयालदास बघेल सूटकेस लेकर तैयार थे। बघेल अभी लौटे नहीं कि राजेश मूणत यूरोप भ्रमण पर रवाना हो गए हैं। याने तू चल, मैं आया। अपवाद हैं, अमर अग्रवाल। अमर ने पिछले महीने ताइवान की टिकिट हो जाने के बाद भी जाने से मना कर दिया।

नोटों के गिफ्ट पैक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अफसरों की पत्नियां भी खूब कोस रही हैं। मोदीजी ने दीवाली खराब कर दी। जाहिर है, हर साल मलाईदार विभागों के अफसरों के घर ड्रायफू्रटस के डिब्बे के साथ नोटों के गिफ्ट पैक आते हैं। ठेकेदार, सप्लायर हैसियत के अनुसार एक लाख से लेकर 5 लाख तक के नोटों के गिफ्ट पैक भेट करते हैं। खास बात यह है कि इसे अफसर खुद नहीं लेते….आवाज लगाते हैं, देखो जी…फलां तुम्हें दीवाली विश करने आए हैं। पत्नियां इस पैसे से लक्ष्मी पूजा करती हैं। इस पैसे पर हक भी उन्हीं का होता है। अपने हिसाब से वे उसका इंवेस्टमेंट करती हैं। लेकिन, इस बार डिस्पोजल अभी हो नहीं पाया था कि मोदीजी ने सर्जिकल स्ट्राइक कर दी।

सीएम नाराज

मुख्यमंत्री के मना करने के बाद भी स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर के पीए के विदेश जाने से मुख्यमंत्री बेहद नाराज बताए जाते हैं। बताते हैं, चंद्राकर के साथ विदेश जाने वालों की सूची में पीए का भी नाम भी शामिल था। फाइल जब एप्रूवल के लिए सीएम के पास पहुंची तो उन्होंने पीए का नाम काट दिया। लेकिन, पीए के हौसले को दाद दीजिए! राज्य के मुखिया की मनाही के बाद वह अपने पैसे से विदेश चला गया।

अंत में दो सवाल आपसे

1. 500-1000 के नोटबंदी पर प्रधानमंत्री को कोसने वालों को किस केटेगरी का समझना चाहिए, ईमानदार या…..?
2. मोतीलाल वोरा ने पीसीसी के किस नियुक्ति के प्रस्ताव को वीटो लगाकर रोक दिया?

शनिवार, 5 नवंबर 2016

हैदराबाद से बिरयानी

6 नवंबर

संजय दीक्षित
इस खबर पर आप हैरान होंगे मगर हंड्रेड परसेंट सही है कि एक साउथ इंडियन आईएएस एवं उनकी पत्नी को हैदराबाद का चिकन बिरयानी इतना पसंद है कि उनके लिए हवाई जहाज से मंगाया जाता है। हफ्ते में दो बार या ज्यादा मन मचल गया तो तीन बार भी। आफिस का स्टाफ प्लेन के टाईम में एयरपोर्ट जाता है। और, पार्सल लेकर आईएएस के घर पहुंचा आता है। आईएएस खाने-पीने के बड़े शौकीन माने जाते हैं। हाल में एक बडे होटल में विभागीय डिनर था। अफसर ने रात में लौटते हुए बच्चों के लिए 8200 रुपए के नानवेज के विभिन्न आयटम पैक करा लिए। क्लास तो तब हो गया जब वे एक आफिस का इंस्पेक्शन करने पहुंचे। उन्होंने वहां पिज्जा और कोल्ड कॉफी की फारमाइश की। चपरासी को नहीं मालूम था कि बड़े लोग कॉफी भी कोल्ड पीते हैं। समझा साब को सर्दी-जुकाम होगी। सो, उसने पिज्जा के साथ मेडिकल स्टोर्स से कोल्ड कफ का टेबलेट लेकर आ गया। चपरासी ने टेबल पर पिज्जा के साथ टेबलेट रखा तो आईएएस का गुस्सा मत पूछिए! अब, विभाग को निर्देश दिए जा रहे हैं कि साब को खुश रखना हो तो खाने-पीने का प्रबंध जरा बढ़ियां किया जाए।

मंत्रिमंडल में चेंजेंस

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 8 नवंबर को रायपुर में होंगे। इस दौरान वे संगठन से लेकर सरकार तक की क्लास लगाएंगे। खबर ये भी छनकर आ रही है, राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ मंत्रिमंडल के पुनगर्ठन पर रायशुमारी की जाएगी। कारण कि दो-एक मंत्रियों का विभाग बदलना सरकार अपरिहार्य मान रही है। कुछ के विभाग भी बदलने हैं। शाह से अगर हरी झंडी मिल गई तो उनके जाने के बाद इसी महीने सरकार फेरबदल को अंजाम दे देगी।

भगवान मालिक

सरकार ने सूबे में सड़कों का जाल बिछाने के लिए सड़क विकास निगम का गठन किया था। मगर आलम यह है कि तीन साल में निगम ने एक इंच सड़क नहीं बना पाया। जबकि, सरकार ने सड़क विकास निगम को प्रिफरेंस देते हुए 2002 बैच के आईएएस रोहित यादव को सीएम सचिवालय से वहां भेजा था। सुनने में आ रहा है अब आईएफएस संजय शुक्ला को निगम का एमडी बनाने पर विचार किया जा रहा है।

लोहा को लोहा….

कांग्रेस में कुछ ऐसे लोगों की भी इंट्री की जा रही या फिर कद बढ़ाया जा रहा है, जो अजीत जोगी के साथ काम किए हों या उनसे कुछ गुरू मंत्र लिया हो। ये जरूरत इसलिए पड़ रही है कि पीसीसी के नेता जोगी के चाल को पकड़ नहीं पा रहे हैं। अलबत्ता, सियासत के हर दांव-पेंच में जोगी खेमा भारी पड़ रहा है। बस्तर के रोड शो में जोगी ने बस्तर से डिप्टी सीएम बनाने का शिगूफा छोड़ दिया। जाहिर है, कोंटा से चार बार के कांग्रेसी विधायक कवासी लकमा का मन भी स्वाभाविक रूप से मचलेगा….कांग्र्रेस से मैं क्यों नहीं। कांग्रेस अगर ना-नुकुर की तो कवासी के पास जोगी कांग्रेस का विकल्प है ही। आखिर, उन पर लेवल तो जोगी का ही लगा है। बहरहाल, पीसीसी की नोटिस में ये बात भी है कि 2018 का चुनाव सीडी वार होगा। कई नेताओं के सीडी आएंगे। विरोधियों के पास इसका जखीरा है। लिहाजा, सेम कैरेक्टर वाले कुछ लोग कांग्रेस में अग्रणी भूमिका में होंगे। संभवतः पीसीसी के नेताओं की सोच होगी, लोहा को लोहा काटता है। अगर ऐसा है तो कांग्रेस के लोगों को परेशान नहीं होना चाहिए।

पीएम का एलबम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले दो विजिट में कार्यक्रमों का एलबम बनाकर उन्हें सौंपने में जनसंपर्क विभाग को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। सो, इस बार नए रायपुर में ही प्रिटिंग मशीन लगा दी गई थीं। पीएम की फोटो खींचती गई और उसके प्रिट निकलते गए। पीएम दिल्ली जाने के लिए हेलीकाप्टर से एयरपोर्ट पर लैंड किए और उधर एलबम सीएम के हाथ में पहुंचा दिए गए। सीएम ने उसे भेंट किया। कवर के उपर शेर वाली फोटो लगी थी। पीएम को एलबम इतना अच्छा लगा कि वे स्टाफ को देने की बजाए अपने हाथ में लिए प्लेन की सीढ़ी चढ़ गए। चलिये, जनसंपर्क का नम्बर बढ़ गया।

हाई टी पार्टी

पीएम के ग्रेंड सक्सेस प्रोग्राम के शाम सीएम हाउस में हाई टी का आयोजन किया गया। इनमें सबको बुलाया गया, जिन्होंने पीएम विजिट में रात-दिन एक किया। मगर हीरो रहे एमके राउत और ओपी चौधरी। आखिरी में पहुंचे सौदान सिंह। उन्होंने भी दोनों को एप्रिसियेट किया। हालांकि, काम पुलिस का भी अच्छा रहा। रायपुर पुलिस पीएम विजिट के साथ-साथ कांग्रेस का जेल भरो आंदोलन, शिक्षाकर्मियों के प्रदर्शन से भी निबटी। मगर पुलिस में आगे बढ़कर क्रेडिट लेने वाले अफसर हैं नहीं। आईजी प्रदीप गुप्ता बेहद शांत स्वभाव के आईपीएस हैं। एसपी संजीव शुक्ला की अपनी लिमिटेशन है। डीजीपी एएन उपध्याय का फ्रंट पर रहना स्वभाव नहीं। फिर भी, शाबासी पुलिस को भी मिलनी थी।

जोगी कांग्रेस का रजिस्ट्रेशन

जोगी कांग्रेस के रजिस्ट्रेशन के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने 17 नवंबर को पार्टी प्रमुख अजीत जोगी को दिल्ली बुलाया है। पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि आवश्यक प्रक्रियाओं को निबटाने के बाद इस महीने के अंत तक छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के रूप में चुनाव आयोग में पंजीयन हो जाएगा। वैसे, चुनाव आयोग ने अक्टूबर में भी एक डेट दिया था। मगर बस्तर में रैली के चलते जोगी ने आयोग से टाईम ले लिया था।

आखिरी बात हौले से

विधानसभा में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा लगाई जानी है। सामान्य प्रशासन विभाग को चाहिए कि सर्कुलर जारी कर सारे नौकरशाहों को उनके बारे में अवगत करा दे। वरना, कोई फेसुकिया आईएएस, सवाल पूछ कर सरकार को मुसीबत में डाल देगा, ये श्यामा प्रसाद कौन?

हफ्ते का व्हाट्सएप

झंगलू-भइया मंगलू, जंगल सफारी मा मोदी हा शेर के साथ का बात करत रहिस, कुछ पता चलिस का??
मंगलू-झंगलू, शेर हा मोदी के पास आ के पूछिस, अच्छे दिन कब आहि मोदीजी? ता मोदी हा मुस्करा के बोलीस नंदन वन के पिंजरा से छूट कर जंगल सफारी में जे तेहा घूम पात हस, इहि ता अच्छे दिन हवे। अउ का चाहि तोला, राइपुर में घूमे के चाहत हस का?

अंत में दो सवाल आपसे

1. पीएम विजिट में किन दो एपीसोड से ब्यूरोक्रेसी की बड़ी भद पिटी है?
2. सीएम के साथ अमेरिका विजिट के बाद किस अफसर की कुर्सी बदल सकती है?

शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

विदेश में कलेक्टर का बर्थडे


23 अक्टूबर
संजय दी़क्षत
बस्तर के एक कलेक्टर फेमिली के साथ इजीप्त एवं तुर्की के निजी दौरे पर गए हैं। इजिप्त में उन्होंने अपना जन्मदिन मनाया। इससे पहले बस्तर के एक एसपी और राजधानी में पोस्टेड एक आईएएस यूरोप की सैर करके आ चुके हैं। पहले सिकरेट्री बनने के बाद ही आईएएस अपने खर्चे से विदेश जाने के लिए सोच पाते थे। मगर अब तो प्रोबेशन के साथ ही वे शुरू हो जा रहे हैं। इसलिए, धन-वन की दिक्कत रहती नहीं। तभी तो आईएएस में छत्तीसग़ढ़ को टॉप कैडर माना जा रहा है। उसमें भी बस्तर तो उनके लिए स्वर्ग ही मानिये।

सीएम ने नाम काटा और पीए….

छत्तीसगढ़ में विदेश जाने के लिए मंत्रियों, अधिकारियों में होड़ मची हुई है, तो पीए कैसे पीछे रहेंगे। वो भी 13 साल वाले। हाल की बात है। एक सीनियर मंत्री और उनके अफसर सरकारी दौरे पर विदेश गए थे। पीए ने जिद किया तो मंत्री ने उसका नाम भी लिस्ट में जोड़ दिया। फाइल सीएम के पास गई। डाक्टर साब को नागवार गुजरा कि पीए भी…। उन्होंने उसका नाम काट दिया। लेकिन, ढिठाई देखिए, सीएम की मनाही के बाद पीए अपने खर्चे पर मंत्री के साथ विदेश उड़ गया। सचमुच रामराज ही आ गया है छत्तीसगढ़ में।

मेंटर के लिए मेंटर

एक आईएएस ने एंबुलेंस चालक को थप्पड़ जड़ दिया। असल में, चालक नशे में एंबुलेंस को लहरा कर चला रहा था। आईएएस ने देखा तो एंबुलेंस को रोककर ड्राईवर का नशा उतार दिया। बाद में, उसे सस्पेंड भी कर दिया गया। हेल्थ विभाग के कर्मचारियों में इसको लेकर बड़ा रंज है….आईएएस थप्पड़ कैसे मार सकता है। आपको बता दें, जिसने थप्पड़ मारा है, उसे आईएएस शिवअनंत तायल एपीसोड के बाद आईएएस एसोसियेशन ने मेंटर अपाइंट किया है। याने वह डिरेल आईएएस को समझा-बूझा कर लाइन पर लाएगा। मगर लगता है, एसोसियेशन को अब मेंटर के लिए मेंटर अपाइंट करना पड़ेगा।

चौथी महिला सिकरेट्री

2001 बैच की महिला आईएएस शहला निगार की सिकरेट्री के लिए शुक्रवार को डीपीसी हो गई। शनिवार को उनका आर्डर भी निकल गया। मंत्रालय में वे चौथी महिला सिकरेट्री होंगी। कभी सिर्फ रेणू पिल्ले होती थीं। लेकिन, अब रीचा शर्मा, एम गीता और अब शहला भी। शहला को सरकार ने हाल ही में स्पेशल सिकरेट्री के रूप में पीएचई की कमान सौंपी थी। बढ़ियां है, शहला अब मेन ट्रेक पर आ गई हैं। वरना, अपने बैच के सेकेंड टॉपर रही शहला को 15 साल में कभी अच्छी पोस्टिंग मिली नहीं। कलेक्टर के रूप में कोरिया भेजी गई। मगर वहां से भी साल भर में ही रायपुर बुला ली गईं। उसके बाद ज्यादा समय उनका फायनेंस में ही गुजरा। शहला को फायनेंस सिकरेट्री अमित अग्रवाल को थैंक्स बोलना चाहिए। अमित के फायनेंस संभालने के बाद ही शहला को फायनेंस से मुक्ति मिली।
थकान मिटाने स्विटजरलैंड
फिनलैंड के स्टडी टूर के बाद सिकरेट्री एजुकेशन विकास शील रायपुर लौट आए हैं। लेकिन, शिक्षा मंत्री केदार कश्यप, डायरेक्टर एजुकेशन कैसर हक और डायरेक्टर एससीआरटी सुधीर अग्रवाल और उनकी पत्नियां अध्ययन की थकान मिटाने पर्सनल टूर पर फिनलैंड से स्विटजरलैंड चले गए हैं। विकास शील करते भी क्या। पूरी टीम में वे अकेले सिंगल थे। उनकी निधि तो यहीं थीं। फिनलैंड में सभी मौज-मस्ती कर रहे थे। और, विकास शील बोर हो रहे थे। आखिर, धूंए की छल्ले कितना उडाते। बहरहाल, जिन अफसरों के नाम कटवा कर पत्नियों के नाम जोड़े गए, सरकार को जरा उनका हाल भी पूछ लेना चाहिए। उनके नाते-रिश्तेदारों तक खबर हो गई थी, फलां विदेश जा रहे हैं। अब घर से निकलना दूभर हो गया है।

शिखा का बदलेगा विभाग?

कोंडागांव कलेक्टर शिखा राजपूत को सरकार ने पिछले महीने ही स्वच्छ भारत मिशन का डायरेक्टर अपाइंट किया था। कोंडागांव जाने से पहिले वे पंचायत में रह चुकी थीं। लिहाजा, उनके आग्रह पर सरकार में उनका विभाग बदलने पर विचार किया जा रहा है।

फर्स्ट टाईम सत्र नवंबर में

राज्य बनने के बाद यह पहला मौका होगा, जब विधानसभा का शीतकालीन सत्र नवंबर में होगा। विधानसभा ने इसके लिए 15 से 19 नवंबर की तारीख मुकर्रर की है। वरना, पहले दिसंबर फर्स्ट या सेकेंड वीक में ही शीतकालीन सत्र होता था। दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष समेत उनका अमला दिसंबर में विदेश जा रहा है। इसलिए, अबकी समय से पहले सत्र निबट जाएगा।

कटियार की छुट्टी क्यों?

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के सीईओ एवं आईएफएस अफसर आलोक कटियार की सरकार ने एक झटके में छुट्टी कर दी। कटियार साधारण आईएफएस नहीं हैं। रमेश बैस के दामाद के बड़े भाई ठहरे। सत्ता के गलियारों में उनके रुतबे का क्या कहने। मंत्रालय की हाई प्रोफाइल मीटिंगों में टीशर्ट और जिंस पहनकर जाने पर भी किसी आईएएस की टोकने की हिम्मत नहीं होती थी। पिछले साल उन्हें खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का सीईओ बनाया गया था। तो कमजोर पोस्टिंग मान उन्होंने महीना भर तक ज्वाईन नहीं किया। बाद में, सरकार ने उनके लिए पीएमजीएसवाय से सुधीर अग्रवाल को हटाकर कटियार का सीईओ का आर्डर निकाला। तब जाकर उन्होंने दोनों जगहों पर ज्वाईन किया। लेकिन, वक्त देखिए! कटियार को अब खादी ग्रामोद्योग में ही वक्त गुजारना होगा, जिसे वे अपने हैसियत से छोटा मान ज्वाईन नहीं कर रहे थे। रमेश बैस का अमित शाह के दूत बीएल संतोष के समक्ष सरकार के खिलाफ भड़ास निकालना कटियार के लिए कहीं भारी तो नहीं पड़ गया।

आखिरी बात हौले से

प्रधानमंत्री के दौरे को देखते पता चला है रमन सरकार ने काला चश्मे की बिक्री पर पाबंदी लगाने जा रही है। सरकार को खुफिया इनपुट्स मिले हैं कि सूबे के कुछ फेसबुकिया आईएएस काला चश्मा पहनकर सुर्खिया बटोरने की कोशिश कर सकते हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस कलेक्टर के खिलाफ विभागीय जांच की तैयारी चल रही है?
2. एक पीए को लेकर किस मंत्री के बंगले के स्टाफ में बगावत के हालात निर्मित हो गए हैं?

शनिवार, 15 अक्तूबर 2016

बड़ा उलटफेर

16 अक्टूबर

संजय दीक्षित
एक नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद राज्य में बड़ी उलटफेर की खबरें निकल कर आ रही है। न केवल मंत्रिमंडल में बल्कि ब्यूरोक्रेसी में भी पता चला है, डाक्टर साब बड़ा बदलाव करेंगे। आला सूत्रों की मानें तो कुछ मंत्रियों के पारफारमेंस से सीएम प्रसन्न नहीं हैं। खासकर नए मंत्रियों से। लिहाजा, कम-से-कम एक मंत्री को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। ऐन वक्त पर संख्या दो भी पहुंच सकती है। यही नहीं, कुछ सीनियर मंत्रियों को भी हल्का किया जाएगा। इसी के साथ ब्यूरोक्रेसी में भी बड़ा बदलाव हो जाए, तो अचरज नहीं। दो-तीन विभागों के सिकरेट्री से भी सरकार खुश नहीं है। उन्हें डंप किया जा सकता है। बदलाव की बयार से मंत्री भी अनभिज्ञ नहीं है। कई मंत्री सीएम हाउस में बुके लेकर दौड़ते दिखे।

डीएस से हो गई चूक

जब ठाकुर राम सिंह का निर्वाचन आयुक्त के लिए आर्डर निकल रहा था, बहुत कम लोगों को मालूम है कि रिटायर आईएएस डीएस मिश्रा से भी पूछा गया था। दरअसल, सरकार चाहती थी कि राम सिंह के साथ सहकारिता आयोग के लिए डीएस का भी आर्डर निकल जाए। सीएम हाउस से डीएस को फोन गया। मगर वे ठीक से जवाब नहीं दे पाए। बताते हैं, वे लगे ढुल-मुल बात करने…..मैं अभी रायपुर से बाहर हूं….देखता हंू……। इसके बाद सरकार के दूत ने ओके बोल कर फोन काट दिया। डीएस के लिए वह एक बढ़ियां अवसर था। लाल बत्ती तो मिल ही जाती। मगर वे डिसीजन नहीं ले पाए। और, मामला गड़बड़ा गया। अब, आगे क्या होगा, वक्त बताएगा।

लांग कुमेर भी चले नागालैंड

एडीजी यातायात लांग कुमेर डेपुटेशन पर अपने गृह राज्य नागालैंड जा रहे हैं। नागालैंड सरकार ने इसके लिए एनओसी दे दी है। फाइल भारत सरकरा को गई है। सो, लांग कुमेर की कभी भी नागालैंड की टिकिट कट सकती है।

भूपेश के बाद अब बाबा

पीसीसी चीफ भूपेश बघेल के बाद नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव के खिलाफ भी जमीन की हेराफेरी के केस में सरकारी शिकंजा कस सकता है। दोनों ही मामलों के सूत्रधार हैं अजीत जोगी। जोगी ने पहले भूपेश के खिलाफ सरकार को पत्र लिखा। भूपेश की जमीन की जांच चालू हो गई। अब, टीएस के खिलाफ लिखा है। क्या लिखा है, उसकी थीम आपको बताते हैं। सिंहदेव परिवार की अंबिकापुर शहर के बीचोबीच 53 एकड़ जमीन है। पहले वहां तालाब था। राजपरिवार ने उसे निस्तारी के लिए सरकार को दे दी थी। बाद में, एमएस सिंहदेव जब एमपी के चीफ सिकरेट्री बनें तो। राजपरिवार ने जमीन को वापिस लेने के लिए आवेदन लगाया। और, वह सिंहदेव परिवार को वापिस मिल गई। जोगी का ब्लेम है, जमीन के स्थानांतरण में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। बहरहाल, आज की तारीख में उस जमीन की कीमत छह करोड़ रुपए एकड़ है। याने करीब 300 करोड़ की जमीन होगी। पता चला है, जोगी की शिकायत को सरकार ने परीक्षण के लिए भेज दिया है। चलिये, सरकार के अब दोनों ही हाथ में लड्डू है। एक में भूपेश और दूसरे में टीएस।

जोगी का बस्तर शो

बस्तर की अहमियत अजीत जोगी बखूबी जानते हैं। आखिर, उसी बस्तर ने 2003 में उनकी लुटिया डूबो दी थी। यही वजह है कि 13 अक्टूबर को आयोग में पार्टी के पंजीयन का डेट होने के बाद भी जोगी ने मोहलत मांग ली। मगर बस्तर का प्रोग्राम चेंज नहीं किया। बस्तर में जोगी का प्रोग्राम सुपरहिट रहा। जोगी ने यह कहकर दीगर पार्टियांे को सोचने पर मजबूर कर दिया कि हमारी सरकार आएगी तो बस्तर का डिप्टी सीएम होगाा।

बस्तर के मत्रियों को देखिए

एक तरफ बीजेपी बस्तर में कार्यसमिति की मीटिंग कर रही है। जोगी पंजीयन का डेट छोड़कर बस्तर को वेटज दे रहे हैं। दूसरी ओर, बस्तर के 600 साल पुराने मुरिया दरबार में पहली बार अबकी वहां के एक भी मंत्री शरीक नहीं हुए। जबकि, मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह ने 13 अक्टूबर को खासकर इसीलिए जगदलपुर में थे। बस्तर से मंत्री केदार कश्यप विदेश दौरे पर हैं। और, महेश गागड़ा उसी दिन बीजापुर से प्लेन से रायपुर आ गए थे। उनके परिवार में हफ्ते भर पहिले कोई गमी हुई है। मगर मुरिया दरबार का भी अपना इम्पोर्टेंस है। इसी से समझा जा सकता है कि सीएम इसमें हर साल शरीक होते हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस रिटायर आईएएस के खिलाफ विभागीय जांच के लिए सरकार ने भारत सरकार से अनुमति मांगी है?
2. प्रधानमंत्री के लिए भीड़ जुटाने के लिए रायपुर और दुर्ग संभाग के किन-किन कलेक्टरों को जिम्मा दिया गया है?

शनिवार, 8 अक्तूबर 2016

दस का दम


9 अक्टूबर
संजय दीक्षित
13 साल में पहली बार सरकार ने दस का दम दिखाया। और, भाजपा के प्रेरणा पुरुष पं0 दीनदयाल उपध्याय की उपलब्धियों पर सवाल उठाने वाले आईएएस के खिलाफ खबर वायरल होने के 12 घंटे के भीतर कार्रवाई करते हुए मंत्रालय अटैच कर दिया। वरना, इससे पहले अलेक्स पाल मेनन के केस में जीएडी उल्टे अलेक्स की चिरौरी कर रहा था….मेननजी मैंने नोटिस दिया है, प्लीज उसका जवाब दे दीजिए। दोबारा-तिबारा नोटिस देने के बाद मेनन ने जवाब दिया…..वो तो मैंने दोस्तों के साथ चेटिंग में न्यायपालिका के बारे में यूं ही लिख दिया था। और, जीएडी ने उसे तुरंत लपकते हुए मेनन को पूरे सम्मान के साथ बरी कर दिया। मगर इस बार मामला लक्ष्मण रेखा लांघने का था। लिहाजा, सेकेंड सटर्ड छुट्टी होने के बाद भी सरकार ने सुबह 10 बजे प्रभारी सीएस अजय सिंह को निर्देशित किया और साढ़े दस बजे दो लाइन का तायल की छुट्टी का आर्डर जारी हो गया।

पहले निकम्मे और अब सिर-फिरे

छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य है, दिग्विजय सिंह ने गुनतारा भिड़ाकर मध्यप्रदेश के अधिकांश रिजेक्टेड आईएएस अफिसरों को यहां भेज दिया। और, अब जो नए आईएएस आ रहे हैं, उनमें सिर-फिरे एवं कामरेड टाइप के ज्यादा हैं। वरना…..जरा सोचिए कोई नार्मल अफसर न्यायपालिका पर सवाल उठा सकता है। वो भी दलितों एवं अल्पसंख्यवाद का हवाला देकर। आखिर, छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री को गॉगल पहनकर वेलकम करते हुए भी एक आईएएस को पूरे देश ने देखा। और, अब तायल ने तो मुर्खता को चरम पर पहुंचा दिया। वैसे, तायल का ट्रेक रिकार्ड ऐसा ही रहा है। सीएम के राजनांदगांव से इसी चक्कर में उन्हें हटाया गया था। वहां जिला पंचायत अध्यक्ष के पति के खिलाफ जनाब कुछ बोल गए थे। इसको लेकर पंचायत सदस्य धरने पर बैठ गए थे। पुलिस ने किसी तरह उन्हें बाहर निकाला था। तायल के बारे में राजनांदगांव के कलेक्टर मुकेश बंसल से कोई पूछ लें। कैसे वे हलाकान रहे। मगर जीएडी तो तायल से भी बड़ा वाला निकला…..जो अफसर वीवीआईपी जिले में कांड कर दिया, उसे शंट करने की बजाए कांकेर का सीईओ बना दिया। ईश्वर जीएडी को सद्बुद्धि दे।

पहले रिजाइन, फिर…..

नए आईएएस कैसे दुःसाहसी हो गए हैं कि अपने सीनियरों की समझाइस का भी उन पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। जब एलेक्स पाल मेनन एपीसोड हुआ था, तो एसीएस टू सीएम एन आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट एन बैजेंद्र कुमार ने 28 मई को फेसबुक पर अफसरों को आगाह किया था……सिविल सरवेंट तथा गवर्नमेंट आफिसरों को सोशल मीडिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कितना अधिकार है, इसे अब स्पष्ट करना जरूरी हो गया है….सोशल मीडिया ऐसा प्लेटफार्म नहीं है कि कोई कुछ भी लिख दें। खासकर, सिविल सर्विस, पुलिस सेवा और मिलिट्री सर्विस में तो और अधिक रेस्ट्रीक्शन होती है। आईपीसी, सीआरपीसी, सायबर लॉ के नियमों के अलावा शासकीय सेवा कोड ऑफ कंडक्ट में बंधे होते हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में जो बातें नहीं की जा सकती, वो सोशल मीडिया में भी नहीं लिखी जा सकती। इसके बाद भी कोई अफसर नियम-कायदों के बाहर जाकर लिखना चाहता है तो वह सर्विस से रिजाइन करके अपना शौक पूरा कर सकता है। बैजेंद्र कुमार के इतना सख्त कमेंट के बाद भी तायल ने पराकाष्ठा कर दी, आप समझ सकते हैं, नए आईएएस की कैसी ब्रिड आ रही है।

दर्जन भर योजनाएं

पं0 दीनदयाल उपध्याय के नाम से रमन सरकार दर्जन भर योजनाएं चला रही है। दिसंबर 2003 में सरकार बनीं और पहली योजना हाउसिंग बोर्ड ने 2005 में पं0 दीनदयाल आवासीय योजना के नाम से लांच किया। जिला पंचायतों में भी विभिन्न योजनाएं पं0 उपध्याय के नाम से चल रही हैं। इसके बाद भी सवाल? सरकार को पहले अपने अफसरों को योजनाओं के बारे में बताना चाहिए। बाद में फिर पब्लिक को।

बैकफुट पर कमल विहार

लगता है, कमल विहार को ठीक-ठाक मुहूर्त में लांच नहीं किया गया। पहले सरकार कोर्ट केस से परेशान रही। और, अब उसके प्लाट न बिकने से। पता चला है, आरडीए अब 20 फीसदी रेट कम कर दिया है। बोर्ड से भी इसे हरी झंडी मिल गई है। बहुत जल्द वह नया लेवल चिपका कर इस प्रोजेक्ट को रिलांचिंग करने जा रहा है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि कमल विहार के आवासीय प्लाट भी अभी 40 प्रतिशत नहीं बिके हैं। कामर्सियल का हाल तो और बुरा है। इसमें 20 परसेंट ही बुकिंग हुई है।

मंत्रियों पर चाबुक

बीजेपी के बस्तर कार्यसमिति में कार्यकर्ताओं का गुस्सा आखिर रंग दिखाया। संगठन अब मंत्रियों के लिए पार्टी कार्यालय में हफ्ते में दो दिन बैठना अनिवार्य करने जा रही है। इसमें कार्यकर्ता पहले से बिना टाइम लिए भी मंत्री से सीधे मिल सकेंगे। कार्यकर्ताओं का काम अगर वाजिब होगा तो मंत्री उसके आवेदनों पर सहयोग लिखा हुआ सील लगा देंगे। इसका मतलब प्राथमिकता से काम करना होगा। अफसरों को भी निर्देश दिया जाएगा कि सहयोग सील लगे आवेदनों पर फूर्ति दिखाएं।

ये हुई ना बात!

शिक्षा विभाग की सात सदस्यीय टीम अध्ययन यात्रा पर फिनलैंड रवाना हो गई है। खास यह है कि इसमें मंत्री के साथ अफिसरों की बीवी-बच्चे भी शामिल हैं। दरअसल, पहले शिक्षा मंत्री के साथ संसदीय सचिव अंबेश जांगड़े, सिकरेट्री विकास शील, डायरेक्टर एजुकेशन कैसर हक, डायरेक्टर एससीआरटी सुधीर अग्रवाल, डिप्टी सिकरेट्री ओपन स्कूल निर्मल अग्रवाल और डिप्टी सिकरेट्री सर्वशिक्षा अभियान संजय शर्मा का नाम शामिल था। अंबेश ने निजी कारणों से अपना नाम विड्रो कर लिया। निर्मल और संजय स्कूल के मास्टर है, इसलिए चीफ सिकरेट्री ने उनका नाम काट दिया। जबकि, फिनलैंड में इंतजामात सात लोगों के हो गए थे। सो, अफिसरों ने दिमाग लगाई और शिक्षा मंत्री के साथ अपनी बीवियों को भी टीम में शामिल कर लिया।

गुड न्यूज

नया रायपुर में अगले सत्र से एक इंटरनेशनल स्कूल चालू हो जाएगा। एनआरडीए ने मुंबई के हिल स्प्रींग गु्रप से एमओयू किया है। हिल स्प्रींग ने 10 एकड़ लैंड भी परचेज कर लिया है। अफसरों का दावा है, इस तरह के इंटरनेशनल स्कूल मध्यप्रदेश में भी नहीं है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक मंत्रीजी का नाम बताइये, जिन्होंने अपनी मस्तानी को शंकर नगर के हाउसिंग बोर्ड अपार्टमेंट में मकान खरीद कर दिया है?
2. बस्तर में क्या इतनी कमाई है कि वहां के पोस्टेड आईएएस, आईपीएस आजकल निजी दौरे पर विदेश जा रहे हैं?