शनिवार, 30 अप्रैल 2016

सिस्टम का दोष या….

तरकश, 1 मई


संजय दीक्षित
47 साल की आभा तिवारी पीएससी में टाप आईं। खबर अच्छी है। महिलाओं के लिए मोटिवेटिव भी। गिनिज बुक में उनका नाम भी दर्ज हो सकता है। मगर छत्तीसगढ़ में फ्रेशर्स क्यों पिछड़ते जा रहे हैं, यह गंभीर सवाल है। नौजवानों में जबकि, ज्यादा जोश रहता है। उर्जा भी होती है। सलेक्शन के बाद काम करने के लिए उनके पास लंबा समय भी होता है। लेकिन, छत्तीसगढ़ में उल्टा हो रहा है। आप जानकर हैरान होंगे कि पिछले पीएससी के सिविल परीक्षा में चयनित 165 में से 131 लोग 37 साल से उपर के थे और सब किसी-न-किसी सरकारी नौकरी में थे। यह इसलिए संभव हुआ कि सरकार ने नौकरियों के लिए एज बढ़ा दिया है। इसका लाभ उक्त 131 लोगों को मिला, जिन्होंने सरकार से वेतन लेते हुए पीएससी की तैयारी की और कामयाब हो गए। जरा, सोचिए 44-45 साल की आयु में सलेक्ट होने वाले अफसरों का तो दो-तीन साल सीखने, समझने और प्रोबेशन में ही निकल जाएगा। 50 में कहीं पोस्टिंग पाएगा तब तक वह रिटायरमेंट का दिन गिनने लगेगा। उसके पास समय कम होंगे तो जाहिर तौर पर वह पहले अपना देखेगा। सो, सरकार को एज पर पुनर्विचार करना चाहिए। सरकार को इसमें वोट का भी नुकसान नहीं होगा। आखिर, मोदीजी बोलते ही हैं, देश में 65 फीसदी नौजवान हैं।

हेलिकाप्टर में आदेश

88 बैच के आईएएस केडीपी राव को रेवन्यू बोर्ड का चेयरमैन बनाने का आदेश हेलिकाप्टर में हुआ। बताते हैं, जगदलपुर में शुक्रवार देर रात सीएम ने इस पर सहमति दी थी। इसके बाद रात में ही नोटशीट तैयार की गई। शनिवार को सुबह सीएम जगदलपुर से रायपुर के लिए उड़ान भरे, अफसरों ने उनके समक्ष नोटशीट रख दी। सीएम ने उस पर चिडि़या बिठा दी। डाक्टर साब राजधानी में 11 बजे लैंड किए और पांच मिनट बाद आज केडीपी का आदेश जारी हो गया। हालांकि, हवा में पोस्टिंग का यह पहला मौका नहीं है। इसके पहले 4 अप्रैल को तीन सिकरेट्री के आर्डर निकले थे, उसमें भी कुछ ऐसा ही संयोग हुआ। चीन रवाना होने से चंद समय पहले सीएम की रणनीतिकारों से चर्चा हुई। सीएम ने किसको कहां करना है, टेंटेटिव लिस्ट बनाने के लिए कहा था। रणनीतिकारों ने गणेश शंकर मिश्रा, अशोक अग्रवाल और बीएल तिवारी की पोस्टिंग के लिए तीन सेट बनाए। ताकि, सीएम के सामने आप्सन रहे। दिल्ली जाने के दौरान इंडिगो की फ्लाइट जब 40 हजार फुट की उंचाई पर थी, मुख्यमं़त्री को नोटशीट दिखाई गई। उन्होंने पहले सेट को ही ओके कर दिया। लिहाजा, सीएम और उनकी टीम दिल्ली एयरपोर्ट से छत्तीसगढ़ भवन रवाना हुई, उधर आदेश जारी हो गया। इसी तरह, पीसीसीएफ का तख्ता पलट पर फैसला भी चीन दौरे में शीप से शेनझ्यान से हांगकांग आने के दौरान हुआ था। अर्थात, अब थल के साथ हवा और जल में सफर के दरम्यान भी सरकार फैसले ले रही है। लगता है, अच्छे दिन आने वाले हैं।

बिलासपुर की टिकिट

केडीपी राव बिलासपुर कमिश्नर से माध्यमिक शिक्षा मंडल के चेयरमैन बने थे और यहां से सरकार ने फिर उनको बिलासपुर ट्रेन की टिकिट थमा दी। केडीपी 88 बैच के आईएएस हैं और 2108 में उनका रिटायरमेंट है। याने लगभग ढाई साल बाद। राजस्व बोर्ड में इतने समय तक कोई आईएएस रहा नहीं है। इसलिए, नहीं कहा जा सकता कि वे राजस्व बोर्ड से ही रिटायर होंगे। बल्कि, ब्यूरोक्रेसी में पावर गेम टर्न हुआ तो केडीपी कभी भी रायपुर लौट सकते हैं।

लिटमस टेस्ट

राज्य के दूसरे बड़े सीनियर नौकरशाह डीएस मिश्रा आज राजस्व बोर्ड से रिटायर हो गए। पोस्ट रिटायरमेंट उनकी सूचना आयोग में ताजपोशी की चर्चाएं थीं। मगर कुछ दिन पहले सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि उन्हें फिलहाल कोई पोस्टिंग नहीं दी जाएगी। दरअसल, सरकार ने अघोषित नीति बना रखी है कि रिटायरमेंट के फौरन बाद किसी को संविदा नियुक्ति नहीं दी जाएगी। दिनेश श्रीवास्तव भी अभी खाली ही बैठे हैं। आरएस विश्वकर्मा को भी दो महीेने बाद ही पीएससी की कमान सौंपी गई थी। यद्यपि, इस अघोषित नीति का लिटमस टेस्ट तब होगा, जब इस महीने रायपुर, दुर्ग कमिश्नर ठाकुर राम सिंह रिटायर होंगे। राम सिंह को सबसे प्रभावशाली आईएएस बोल सकते हैं। उन्होंने नौ साल तक लगातार कलेक्टरी करने का रिकार्ड बनाया। सरकार ने डेढ़ महीने के लिए ही सही, उन्हें रायपुर और दुर्ग का कमिश्नर बनाया। ब्यूरोक्रेसी में सबकी नजर इस ठाकुर आईएएस पर टिकी है कि उनके साथ भी अघोषित नीति प्रभावशील होगी या 30 मई को उनकी ताजपोशी का आर्डर निकल जाएगा। चलिये, लिटमस टेस्ट का आप भी इंतजार कीजिए।

जायसवाल होंगे कमिश्नर?

मई चालू होते ही रायपुर, दुर्ग कमिश्नर ठाकुर राम सिंह का काउंट डाउन चालू हो गया है। 30 मई को वे रिटायर हो जाएंगे। लिहाजा, रायपुर के नए कमिश्नर को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि, सब कुछ ठीक रहा तो कमिश्नर पंचायत सुरेंद्र जायसवाल का नम्बर लग सकता है। जायसवाल महासमंुद और जशपुर के कलेक्टर रह चुके हैं। आईएएस अवार्ड होने से पहले रायपुर में वे एडिशनल कलेक्टर रहे।

महीने भर इंगेज

कांग्रेस का अप्रैल महीना भूपेश बघेल और अमित जोगी के बीच जुबानी जंग के नाम रहा। दोनों एक-दूसरे पर रख-रखकर तीर छोड़ते रहे। कोई एक इंच के लिए भी पीछे नहीं हटा। एक के बयान आते थे तो उसके 15 मिनट के भीतर जवाबी प्रहार। बीच-बीच में चरणदास महंत भी छौंक लगाकर अपनी उपस्थिति का अहसास कराते रहे। बहरहाल, अमित ने बघेल को महीने भर इंगेज रखा। इससे संगठन खेमे को कितना फायदा हुआ, मालूम नहीं। लेकिन, एक बात आम कांग्रेसी भी महसूस कर रहा है कि बघेलजी को अपने सिपहसालारों पर पुनर्विचार करना चाहिए। तभी कुछ हो पाएगा। वरना, दाउ के लोगों के मन में लड्डू तो फूट ही रहे हैं।

45 लाख का चेम्बर

वन मुख्यालय के एक आला अफसर ने 45 लाख से अधिक रुपए खर्च कर अपने चेम्बर का कायाकल्प करा लिया। जबकि, छह महीने बाद मुख्यालय नए रायपुर में शिफ्थ होना है। हालांकि, सरकार ने अन्य कारणों से उसकी छुट्टी कर दी। मगर सरकारी धन का अपव्यय करने वालों को इस तरह सहानुभूति जता कर कि उसे पद से हटा दिया गया है, बख्शना ठीक नहीं होगा। इसकी जांच होनी चाहिए। ताकि, आगे एक मैसेज जाए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक आईपीएस का नाम बताइये, जो यूपी में माल बनवाने के लिए हवाला के जरिये हर महीने 50 लाख रुपए भेज रहा है?
2. नए एडिशनल पीसीसीएफ जेएससीराव को 500 करोड़ के बजट वाले कैम्पा में ताजपोशी का हिडेन एजेंडा क्या है?

शनिवार, 23 अप्रैल 2016

एटम बम या फूलझड़ी?

तरकश, 24 अप्रैल


संजय दीक्षित
30 अप्रैल को राजस्व बोर्ड के चेयरमैन डीएस मिश्रा रिटायर हो जाएंगे। मिश्रा को पोस्ट रिटायरमेंट सरकार कौन-सा पद देती है और देती भी है कि नहीं ये सेकेंड्री है। सबसे बड़ा सवाल है, राजस्व बोर्ड में उनकी जगह कौन लेगा। पीएस होगा, एसीएस होगा या उससे भी उपर का। इस चक्कर में कई नौकरशाहों की रात की नींद उड़ गई है। नींद आती भी है तो राजस्व बोर्ड के डरावने सपने आने लगते हैं। आंख खुलने पर फिर वही सवाल, 30 को क्या होगा? हालांकि, बाकी राज्यों में भी यह चीफ सिकरेट्री लेवल का पोस्ट है। सरकार जिन आला नौकरशाहों को मेन स्ट्रीम से बाहर का रास्ता दिखाना चाहती है, उन्हें रेवन्यू बोर्ड में डंप कर देती हैं। अपने यहां डीएस मिश्रा के साथ भी ऐसा ही हुआ। अब, देखना दिलचस्प होगा कि सरकार 30 अप्रैल को एटम बम फोड़ती है या फूलझड़ी से ही काम चला लेगी।

विश्वरंजन, उम्मेन और बोआज

पीसीसीएफ अरबिंद बोआज ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि इस तरह उनका तख्ता पलट हो जाएगा। वे तो अपने मंत्री के साथ केंद्रीय वन मंत्री के कार्यक्रम में हिस्सा लेने भोपाल गए थे। जब उन्हें हटाने का आर्डर हुआ, वे इंस्टिट्यूट आफ फारेस्ट मैनेजमेंट के कार्यक्रम में थे। सरकार ने जोर का झटका इतना जोर से दिया कि चंद मिनटों में ही वे पीसीसीएफ से एक्स पीसीसीएफ हो गए। क्योंकि, नए पीसीसीएफ बीएल सरन ने फौरन एकतरफा चार्ज ले लिया। इससे पहले, डीजीपी विश्वरंजन और चीफ सिकरेट्री पी जाय उम्मेन को सरकार ने तब कुर्सी खिसका दी थी, जब वे छुट्टी पर प्रदेश से बाहर थे। विश्वरंजन तो अपनी बेटी से मिलने अहमदाबाद के लिए उड़े थे कि इधर तख्ता पलट हो गया। अहमदाबाद एयरपोर्ट पर तब के सीएस उम्मेन ने उन्हें मोबाइल पर इसकी सूचना दी थी। इसके बाद उम्मेन का भी लगभग ऐसा ही हुआ। मगर फर्क यह है कि विश्वरंजन और उम्मेन तीन साल से अधिक समय तक कुर्सी का सुख भोग चुके थे। बोआज का विकेट तो 10 महीने में ही गिर गया। एक फर्क और है, वन विभाग ने छह महीने में दो बार दीवाली मना लिया।

फुलप्रूफ इंतजाम

पीसीसीएफ एए बोआज को हटाने से पहले सरकार ने पुख्ता इंतजामात कर लिया था। सरकार को आशंका थी कि बोआज कहीं कोर्ट न चले जाएं। क्योंकि, एक पुराने पीसीसीएफ ने सरकार से नजदीकियों का लाभ उठाकर आर्डर करा लिया था कि बिना किसी ठोक केस के हेड आफ फारेस्ट याने पीसीसीएफ को न हटाया जाए। यही वजह है कि बोआज को हटाने के पहले तस्दीक की गई कि बीएल सरन रायपुर में हैं या नहीं। सरन उस दिन रायपुर में ही थे। यही नहीं, आर्डर होने के बाद सरन को फोन करके तुरंत चार्ज लेने के निर्देश दिए गए। सरन ने वैसा ही किया।

सीएम की कटाक्ष

एक्साइज कमिश्नर एवं सिकरेट्री अशोक अग्रवाल का मंत्रालय में जोरदार वेलकम हो गया। हुआ ऐसा कि बुधवार को सीएम ने मंत्रालय में प्रभारी सचिवों की बैठक बुलाई थी। अग्रवाल का जब नम्बर आया, तो उन्होंने बड़े मासूमियत से कह दिया कि मुझे अभी विभाग में आए चार दिन ही हुए हैं, इसलिए मैं अपने जिले में नहीं जा पाया हूं। इस पर सीएम बोले, चलो एक आदमी ऐसा है, जिसने ईमानदारी से बोल दिया। वरना, कई सिकरेट्री यहां ऐसे होंगे, जो अपने जिले का मंुह नहीं देखे होंगे। इस पर कई सचिव बगले झांकने लगे। बताते हैं, सरकार के रणनीतिकारों ने मीटिंग से पहले कलेक्टरों से जानकारी ले ली थी कौन सिकरेट्री कितने बार जिले में आएं हैं। उसमें पता चला था कि कुछ सिकरेट्री पिछले छह महीने से अपने प्रभार वाले जिले में नहीं गए हैं। जबकि, अपनी दूसरी पारी में सीएम ने सचिवों को महीने में एक रात प्रभार वाले जिलों में बिताने के लिए कहा था। इस पर शायद ही किसी सिकरेट्री ने अमल किया होगा। इस पर सीएम की कटाक्ष तो जायज ही है।

साठा या पाठा

64 की उमर में सीएम डा0 रमन सिंह ने सायकिल चलाने में 24 साल वालों को पीछे छोड़ दिया। मौका था, जल संरक्षण के लिए सायकिल रैली का। बड़े-बड़े लोग लोवर, टी शर्ट और कैप पहनकर आए थे सीएम के साथ सायकिल चलाने के लिए। लेकिन, सीएम ने सरपट सायकिल दौड़ाई कि लोगों को मौका ही नहीं मिल पाया। यहां तक कि एनएसजी के कमांडो भी 100 मीटर पीछे रह गए। मेरिन ड्राइव से करीब 200 मीटर दूर शंकर नगर चैक पर जाकर सबसे पहले डीपीआर राजेश टोप्पो ने सीएम को कवर किया। राजेश हाफ पैंट एवं सायकिलिस्ट हेलमेट पहनकर आए थे। उन्होंने जोर लगाया और सीएम के बगल में पहुंच गए। अखबारों में आपने जितनी फोटुएं देखी होंगी, वे सभी पुलिस मुख्यालय के बाद के हैं। शंकर नगर चैक के बाद सबने बजरंग बली का नाम लेकर ताकत झोंकी तब जाकर सीएम के साथ हो पाए। घड़ी चैक पर जब रैली समाप्त हुई, कुछ लोग हांफते हुए कहा, सीएम साब च्यवनप्राश का विज्ञापन कर सकते हैं। तो कुछ ने कहा, पता करते हैं, डाक्टर साब कौन सा च्यवनप्राश खाते हैं।

प्रमोटी पर भरोसा

सीएम के होम डिस्ट्रिक्ट कवर्धा में कभी डायरेक्ट आईएएस ही कलेक्टर होते थे। सोनमणि बोरा, सिद्धार्थ कोमल परदेशी, मुकेश बंसल, एस प्रकाश, पी दयानंद। मगर अब कलेक्टर और एसपी दोनों प्रमोटी हो गए हैं। पहले धनंजय देवांगन को सीएम ने अपने जिले का कलेक्टर बनाया। और अब डी रविशंकर को एसपी। रविशंकर से पहले राहुल भगत डायरेक्ट आईपीएस थे। राहुल डेपुटेशन पर दिल्ली चले गए हैं। इसके बाद सीएम ने डायरेक्ट की बजाए प्रमोटी पर भरोसा किया। वैसे, दोनों की छबि भी ठीक है। चलिये, इससे प्रमोटी आईएएस, आईपीएस का रुतबा बढ़ेगा।

व्हाट्सअप बना जी का जंजाल

हर पंचायत में एक तालाब की साफ-सफाई कर व्हाट्सअप से फोटो भेजने के फरमान से जिला पंचायतों के सीईओज की चैन छिन गई है। मुश्किल यह है कि फोटो एसीएस पंचायत एमके राउत को भी सेंड करना है। दो-तीन जिलों ने रिस्पांस नहीं किया तो राउत ने अपने स्टाईल में सीईओ की क्लास ले डाली। एसीएस ने टारगेट दिया है कि ग्राम सुराज अभियान तक सभी पंचायतों में एक-एक तालाब का कायापलट हो जाना चाहिए। वह भी बिना पैसे का। श्रमदान से। सूबे में 11 हजार पंचायत हैं। एक तालाब की सफाई में 10 हजार रुपए भी मानें तो 11 करोड़ रुपए होता है। ग्राम पंचायतों में 20 परसेंट तक चलता है। याने पंचायत पदाधिकारियों एवं अधिकारियों का दो करोड़ से उपर का नुकसान हो गया, सो अलग से। जिपं के अफसर अब व्हाट्सअप को कोस रहे हैं। ये नहीं होता तो कागजों में 11 करोड़ के काम हो जाते ना।

छत्तीसगढि़यां सबले बढि़यां

पीएससी में अब बाहरी लोगों की भरती की शिकायतें नहीं मिलेगी। बल्कि, आपको जानकर खुशी होगी कि पिछले पीएससी में 165 प्रतिभागी चयनित हुए, 162 छत्तीसगढि़यां हैं। यह इसलिए संभव हो पाया कि पीएससी ने परीक्षा को छत्तीसगढ़ ओरियेंटेड कर दिया है। लिखित से लेकर इंटरव्यू तक में अधिकांश सवाल छत्तीसगढ़ बेस्ड पूछे जा रहे हैं। इससे बाहरी छात्र कट गए। सो, मेंस और इंटरव्यू की तैयारी कर रहे छत्तीसगढ़ के प्रतियोगियों के लिए अब बढि़यां अवसर है। खैर, इसके लिए अपने पीएससी उम्मीदवारों को कम-से-कम एक बार जय विश्वकर्मा बोलना चाहिए। पीएससी के चेयरमैन बनने के बाद आरएस विश्वकर्मा ने परीक्षाओं के पैटर्न को काफी सुधारा है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक आईएएस का नाम बताए, जो सीएम सचिवालय में प्रमुख सचिव बनने का ख्वाब देख रहे हैं?
2. किन सीनियर आईएएस अफसरों को राजस्व बोर्ड में पोस्टिंग का भूत सता रहा है?

शनिवार, 16 अप्रैल 2016

सीआईसी के लिए जस्टिस?


तरकश, 17 अप्रैल
संजय दीक्षित
छत्तीसगढ़ के मुख्य सूचना आयुक्त के लिए एक और नाम प्रमुखता से उभरा है। शख्सियत हैं न्यायपालिका से। चूकि, सीआईसी का पोस्ट सुप्रीम कोर्ट केजस्टिस के समतुल्य है। रिटायरमेंट के बाद भी ड्राईवर या चपरासी की सुविधा ताउम्र मिलती है। बेसिक भी चीफ सिकरेट्री से अधिक है। 90 हजार। सीएस का बेसिक है, 80 हजार। लाल बत्ती। नौकर, चाकर, गाड़ी, बंगला, सब कुछ। उपर से पांच साल की पोस्टिंग। इसलिए, सीआईसी का अपना चार्म है। ज्यूडीशरी से जुड़े व्यक्ति का नाम आने के बाद 82 बैच के आईएएस डीएस मिश्रा की राह कठिन लग रही है। उन्हें सीआईसी का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। वैसे भी, अभी तक दोनों सीआईसी सीएस या एसीएस लेवल से रिटायर नौकरशाह रहे हैं। सो, डीएस की स्थिति मजबूत थी। लेकिन, अब ऐसा नहीं है। डीएस के रिटायरमेंट में अब 13 दिन बच गए हैं। 30 अप्रैल को वे रिटायर होंगे। इसके बाद ही उनकी स्थिति साफ हो पाएगी।

जरा धीरे…..ओपी

रायपुर की कमान संभालते ही कलेक्टर ओपी चैधरी ने धमाल मचा दिया है। हफ्ते भर में इतने मोर्चे! रजिस्ट्री आफिस में आग लगी तो जिला रजिस्ट्रार को नोटिस। स्कूल वालों को बुलाकर बसों में महिला अटंेडर की अनिवार्यता समेत ढेर सारे निर्देश। व्यापारियों को सात दिन के भीतर डुमरतराई जाने का अल्टीमेटम। ओपी, आखिर ये क्या कर रहे हो। ये रायपुर है। दंतेवाड़ा और जांजगीर नहीं। रायपुर भले ही राजधानी है। यहां पूरी सरकार बैठती है। मगर चलती भइया लोग की है। आपको जानकारी होनी चाहिए, भइया लोगों को असुविधा ना हो इसलिए, सरकार ने अमरेश मिश्रा को रायपुर एसपी बनाने का इरादा ऐन वक्त पर बदल दिया था। आरपी मंडल नाक रगड़ कर रह गए, फाफाडीह से स्टेशन चैक तक 500 मीटर रोड चैड़ीकरण नहीं करा पाए। जाम के चलते कइयों की रोज ट्रेन छूट जाती है। रायपुर के दोनों भइया व्यापारी परिवार से ही ताल्लुकात रखते हैं। सरकार भी व्यापारियों की। ऐसे में ओपी, व्यापारियों से पंगा क्यों। 12 साल पहले आरपी मंडल एक कलेक्टर होते थे। कई नई सड़कें बनवाई। मगर बीजेपी के एक टूटपूंजिये नेता ने उनका विकेट ले लिया। सुबोध सिंह रायपुर में बढि़यां काम कर रहे थे। सिटी ट्रांसपोर्ट उन्हीं ने चालू कराया। लेकिन, उन्हें एक दिन अचानक सीएम सचिवालय पोस्ट कर दिया गया, तो इसका कारण वे भी नहीं समझ पाए। ओपी, आप माटी पुत्र हो। बाकी माटी पुत्रों की तरह आप भी माटी में दिल लगाओ। राजधानी और राजधानी के आसपास बहुत माटी है। जरा सा दिमाग लगाओगे, साल भर में 25-50 प्लाट के मालिक तो तय मानों। दो-चार फार्म हाउसेज भी हो जाएंगे। आप भी खुश। धनपशुएं भी खुश।

जबर्दस्त मैनेजमेंट

मध्यप्रदेश के एसीएस आरएस जुलानिया को गिरफ्तारी से बचाने के लिए दोनों सरकारों ने अद्भूत मैनेजमेंट किया। बताते हैं, शिवराज सिंह ने यहां फोन खटखटाया। उसके बाद यहां का सिस्टम भी हरकत में आया। जुलानिया के आईएएस मित्रों भी आगे आए। मैनेजमेंट का असर ऐसा हुआ कि फरियादी ही पीछे हो गया। जुलानिया के खिलाफ अविभाजित मध्यप्रदेश में जब वे कोरिया में अपर कलेक्टर थे, जब्ती की गई निजी जीप का यूज करने का आरोप था। कोर्ट ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी का समंस जारी किया था। पूरी सेटिंग्स के बाद जुलानिया कोरिया पहुंचे। वहां उन्हें जमानत मिल गई।

अब डांगी भी

आईपीएस रतनलाल डांगी ने भी अब डेपुटेशन पर दिल्ली जाने का मन बना लिया है। उन्होंने सरकार से इसकी अनुमति मांगी है। राजेश मिश्रा और ध्रुव गुप्ता ने भी डेपुटेशन के लिए अप्लाई किया हुआ है। अंकित गर्ग हाल ही में दिल्ली गए हैं। कवर्धा एसपी राहुल भगत भी केद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय के पीएस बन गए हैं। पीएचक्यू को पता लगाना चाहिए कि उनके अफसर दिल्ली की राह क्यों पकड़ रहे हैं।

आईपीएल में पीआइएल का पेंच

रायपुर में होने वाले आईपीएल में हाईकोर्ट का पेंच आ गया है। हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई थी कि सरकार सुरक्षा का खर्चा लिए बगैर स्टेडियम से लेकर खिलाडि़यों को सिक्यूरिटी मुहैया करा रही है। बाकी राज्यों में आईपीएल वाले पुलिस को तीन करोड़ रुपए पे करते हैं। पिछले साल छत्तीसगढ़ पुलिस ने भी आयोजकों से तीन करोड़ मांगा था। पर पुलिस की आवाज नक्कारखाने में दब गई थी। मगर अब, पीआईएल की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने खेल विभाग को नोटिस जारी कर दिया है। तो जाहिर है, मामला अब उछलेगा।

जय बोलो गडकरी की

यूपीए गवर्नमेंट में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री रहने के दौरान कमलनाथ ने अपने गृह राज्य मध्यप्रदेश को उपकृत करने मे कोई कमी नहीं की। रिमोट इलाके में भी सड़कों का जाल बिछा दिया। लेकिन, छत्तीसगढ़ के साथ हमेशा दोहरा व्यवहार ही हुआ। नीतिन गडकरी ने अब इसकी भरपाई कर दी है। बल्कि, यूं कहें कि छत्तीसगढ़ पर अपना प्रेम उड़ेल दिया है। गडकरी ने छत्तीसगढ़ के लिए 54 हजार करोड़ का बजट दिया है। जबकि, अपने से तीन गुना बड़ा मध्यप्रदेश के लिए 50 हजार करोड़। बम्पर बजट का ही तकाजा है कि राज्य सरकार ने अगले तीन साल में सड़क को टाप प्रायरिटी में रखा है। बार-बार सूबे में सड़कों का जाल बिछाने की बात दोहराई जा रही है। बस्तर से सरगुजा तक 40 हजार करोड़ की सड़कों का रोडमैप बनाने का काम भी शुरू हो गया है। बहरहाल, बजट को देखकर पीडब्लूडी से जुड़े नेताओं और अफसरों की नींद उड़ गई है। पूरे सर्विस में इतना नहीं बनाए होंगे पीडब्लूडी के अधिकारी, जितना अगले पांच साल में हो जाएगा। चलो सब मिलकर, जय बोलो गडकरी की।

पहले मंडल, फिर ठाकुर

10 अप्रैल के तरकश में रिकार्ड कलेक्टरी में ठाकुर राम सिंह का जिक्र हुआ था। इसमें आंशिक चूक हुई थी। सिर्फ छत्तीसगढ़ की बात करें तो ठाकुर राम सिंह जरूर पहले नम्बर पर रहे। उन्होंने नौ साल कलेक्टरी की। मगर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की बात करें तो अजीत जोगी के बाद सर्वाधिक समय तक कलेक्टरी का रिकार्ड आरपी मंडल के नाम दर्ज है। मंडल ने नौ साल नौ महीने कलेक्टरी की। खंडवा और दमोह में सबसे अधिक साढ़े छह साल। बिलासपुर में ढाई साल। और, आखिर में जोगी का लेवल लगे होने के बाद भी राजधानी की कलेक्टरी करने में कामयाब रहे।

कमिश्नर भी होंगे चेंज

कलेक्टरों के साथ रायपुर, बिलासपुर समेत कुछ नगर निगमों के कमिश्नर भी चेंज हो सकते हैं। बिलासपुर कमिश्नर मातृत्व अवकाश पर जाने वाली है। सो, वहां तो वैसे भी नया कमिश्नर अपाइंट करना होगा। रायपुर वाले से सरकार बहुत प्रसन्न नहीं है।

अब बात कांग्रेस की

रायपुर में हुई कांग्रेस की प्रदेश स्तरीय बैठक में आज खूब किचकिच हुई…सुझाव आये नहीं…लेकिन एक-दूसरे की शिकायतें जमकर हुई। पदाधिकारियों को कार्यकर्ताओं से… कार्यकर्ताओं को विधायक से….और कोषाध्यक्ष को जिलाध्यक्षों से …सबको सबसे शिकायत….बिलासपुर के जिलाध्यक्ष राजेंद्र शुक्ला ने तो अपने क्षेत्र के विधायकों की सबके सामने ही पोल पट्टी खोल दी। शुक्ला ने कहा बिलासपुर जिले के हमारे विधायक आजकल खुद को संगठन से ज्यादा बड़ा समझने लगे हैं… ना तो वो कार्यक्रम में आते हैं…और ना ही सहयोग करते हैं….ये तो छोडि़ये, मुलाकात तक नहीं होती विधायक से… मैं भी कभी विधायक बनूंगा……लेकिन इसका मतलब क्या खुद को हम संगठन से बड़ा समझने लेगेंगे। सियाराम कौशिक का तो नाम लेकर राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि बिल्हा से सियाराम नहीं कांग्रेस जीती है…वो तो कभी भी संगठन के काम में शामिल ही नहीं होते। खिच्चम-खिंचाई का ये दौर चल ही रहा था कि कि माइक प्रदेश कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल ने थाम लिया। रामगोपाल ने प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के सामने ही विधायकों और जिला संगठनों की शिकायत शुरू कर दी। रामगोपाल अग्रवाल ने कहा कि ….सभी जिला संगठन पैसे के नाम पर कन्नी काट रहे हैं…..कुछ विधायक तो ऐसे हैं.. जिन्होंने पांच-पांच साल से पार्टी फंड में पैसा ही नहीं जमा कराया…..राहुल गांधी भी बार-बार पूछते हैं प्रदेश कार्यालय बनाने का काम कहां तक पहुंचा…और आपलोग पैसा ही नहीं दे रहे तो कैसे बनेगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रामप्रताप सिंह ने आनन-फानन में चेयरमैन मेडिसिनल प्लांट का पदभार ग्रहण क्यों किया?
2. अगले फेरबदल में श्रुति सिंह और संगीता पी को कलेक्टर बनने का मौका मिलेगा?

शनिवार, 9 अप्रैल 2016

कलेक्टरी का रिकार्ड

तरकश,9 अप्रैल

संजय दीक्षित
अविभाजित मध्यप्रदेश में 10 साल कलेक्टरी का रिकार्ड अजीत जोगी के नाम दर्ज है। तो छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक समय तक कलेक्टरी का रिकार्ड ठाकुर रामसिंह ने अपने नाम किया है। पूरे नौ साल। रायगढ़ से उनकी कलेक्टरी का सफर शुरू हुआ, वह दुर्ग, बिलासपुर होते हुए रायपुर में खतम हुआ। दूसरे नम्बर पर हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर और डायरेक्टर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग सिद्धार्थ कोमल परदेशी हैं। परदेशी की कलेक्टरी सात साल रही। राम सिंह की तरह परदेशी ने भी लगातार चार जिला किया। कवर्धा, राजनांदगांव, रायपुर और बिलासपुर। लगातार चार जिले का रिकार्ड भी इन्हीं दोनों आईएएस के नाम दर्ज है। वैसे, मुकेश बंसल और अलरमेल ममगई डी लगातार तीन जिले कर रहे हैं। सो, लगातार चार जिले का रिकार्ड कभी भी टूट सकता है। दोनों की कलेक्टरी सवा पांच साल से अधिक हो गई है। बावजूद इसके जोगी की तरह राम सिंह का नौ साल वाला रिकार्ड टूटना जरा मुश्किल लगता है। राम सिंह को खतरा सिर्फ बंसल से है। वे जिस सधे अंदाज से खेल रहे हैं, कम-से-कम एक जिला और करेंगे। फिर भी, सरकार की इस पारी में नौ साल वाला टूटना संभव नहीं है। और, बंसल अगर ऐसा नहीं कर पाए तो आगे नामुमकिन समझिए। अब तो इतने नए आईएएस आ गए हैं कि दो-तीन जिला हो जाए, तो काफी है। उपर से सरकार आजकल एक जिले के बाद ब्रेक देने लगी है। हिमशिखर गुप्ता और देव सेनापति के बारे में भला किसने सोचा था कि उनकी कलेक्टरी में ब्रेक लग जाएगी।

एक मिश्राजी गए, दूसरे….

सरकार की छबि चमकाने वाले विभाग जनसंपर्क से सिकरेट्री गणेश शंकर मिश्रा गए। उनके बदले में दूसरे मिश्राजी आ गए हैं। दूसरे मिश्राजी बोले तो संतोष मिश्रा। दोनों में अंतर है। पहले वाले माटी पुत्र थे। अभी वाले कानपुर से हैं। अभी वाले घर से भी मजबूत हैं। पत्नी आईपीएस हैं। डीआईजी एडमिनिस्ट्रेशन। नए सिकरेट्री टूरिज्म में कई क्रियेटिव काम कर चुके हैं। सिरपुर का वैभव देखने दलाई लामा तक को ले आए। बहरहाल, नाम संतोष है तो उम्मीद कीजिए, नाम के अनुरुप काम भी देखने को मिलेंगे। आखिर, सुनिल कुमार जैसे सीएस ने उनके काम को देखकर ही कई अहम जिम्मेदारियां सौंप रखी थी।

रमन ने मिलाई जोड़ी

आईएएस अफसरों के फेरबदल में सरकार ने जोड़ी का भी खयाल रखा। सोनमणि बोरा को सिकरेट्री महिला एवं बाल विकास बनाया गया तो डायरेक्टर संजय अलंग को। बोरा जब बिलासपुर कमिश्नर थे तो अलंग मुंगेली कलेक्टर। दोनों गुरू-चेला मुंगेली में स्वच्छ भारत मिशन में बढ़ियां काम कर रहे थे। सरकार ने अलंग को एचओडी बना दिया तो बोरा को उसी विभाग का सिकरेट्री। अब, दोनों महिला एवं बाल विकास का भला करेंगे। इसी तरह, जशपुर कलेक्टर हिमशिखर गुप्ता को मार्कफेड का एमडी अपाइंट किया है। मार्कफेड के चेयरमैन राधाकृष्ण गुप्ता है। याने गुप्ताज के हाथ में मार्कफेड।

सेकेंड लिस्ट का खौफ

सरकार चाइना में है और यहां कलेक्टरों की धड़कनें बढ़ी हुई है। दरअसल, कलेक्टरों की पहली सूची जारी करने के बाद सरकार ने संकेत दिए थे कि चाइना से लौटने के बाद सेकेंड लिस्ट निकलेगी। बीपी बढ़ने के लिए इससे ज्यादा क्या चाहिए। जो कलेक्टर हैं, उन पर जिला खिसकने का खतरा मंडरा रहा है। और, जो क्यूं में हैं उन्हें कलेक्टरी मिलने की बेचैनी। कुल मिलाकर परेशान लगभग सभी हैं।

एसपी भी

टीम रमन के चाइना से लौटने के बाद एसपी लेवल पर भी चेंज हो सकते हैं। खास कर जिनका दो साल हो गया है, उन पर तो तलवार लटकी ही समझिए। सूत्रों की मानें तो चार-पांच एसपी तो चेंज हो ही सकते हैं। खास तौर से उन एसपी का नाम लिस्ट में सबसे उपर बताया जा रहा है, जिनके संरक्षण में जुआड़ियों और कबाड़ियों की पांचों उंगलियां घी में है। याद होगा, पिछले एसपी कांफें्रस में सीएम ने जुआ खिलाने वाले एसपीज पर गंभीर टिप्पणी की था कि पान ठेले वालों को पता रहता है कि जुआ कहां हो रहा है। एसपी को कैसे नहीं मालूम होगा? इसलिए, ठीकरा फूटेगा।

डान को कम मत समझना

एडीजी मुकेश गुप्ता भले ही इंटेलिजेंस में नहीं हैं, मगर जलवा उससे कहीं अधिक है। एसीबी के छापे में आपने देखा ही। भ्रष्ट अफसरों के ठिकानों पर छापे मारने के लिए सरकार ने हेलिकाप्टर दे दिया। देश में यह संभवतः पहला मौका होगा, जब सरकार ने एसीबी के आपरेशन के लिए हेलिकाप्टर मुहैया कराया हो। भ्रष्ट अफसरों को दबोचने के लिए एसीबी की टीम हेलिकाप्टर से कोरबा पहुंची। हालांकि, ऐसा करके चाइना में बैठी सरकार ने दो मैसेज दिया है। पहला, हमारे डान को कम मत समझना। और दूसरा, भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ मुहिम और तेजी की जाएगी। हालांकि, एक स्ट्रोक में विदेशी पिस्तौल समेत 100 करोड़ की संपति का पता लगाकर एसीबी ने अबकी धमाका ही कर दिया।

सोनिया, राहुल का करीबी कौन?

डा0 भीमराव आंबेडकर के जन्मदिन के मौके पर नागपुर में 11 अप्रैल को कांग्रेस एक बड़ा आयोजन करने जा रही है। इसमें सोनिया एवं राहुल दोनों मंच पर होंगे। और, छत्तीसगढ़ से अजीत जोगी तथा भूपेश बघेल भी। सीडी कांड के बाद यह पहला अवसर होगा, जब सोनिया, राहुल के मंच पर एक साथ जोगी और बघेल भी होंगे। जोगी पहले ही ऐलान कर चुके थे एआईसीसी से उन्हें बुलौवा आया है। वहां उनका भाषण होगा। अब, सोनिया, राहुल के मंच से जोगी का संबोधन….नींद तो उड़नी ही थी। भूपेश बघेल ने शनिवार को प्रेस कांफे्रंस कर बताया कि वे भी नागपुर जा रहे हैं। अब, सबकी नजर नागपुर के कार्यक्रम पर टिक गई है कि वहां सोनिया किसे वेटेज देती है…..कौन सोनिया के बगल में बैठेगा, कौन भाषण देगा। सोनिया की मौजूदगी में राहुल किसे लिफ्ट देते हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. हाल ही में हुए फेरबदल में किस सिकरेट्री का घेरकर शिकार किया गया? 
2. टीम रमन के चाइना जाने के बाद बृजमोहन अग्रवाल हिन्दुत्व को लेकर इतना आक्रमक क्यों हो गए हैं?

शनिवार, 2 अप्रैल 2016

सीएम का चाइना ट्रिप

तरकश, 3 अप्रैल

संजय दीक्षित
चाइना इंवेस्टर्स मीट में सीएम डा0 रमन सिंह के साथ आधा दर्जन से अधिक अफसरों का जत्था जा रहा है। टीम रमन चार अप्रैल को हांगकांग होते चीनी प्रांत हेनान की राजधानी जैनजांग पहुंचेगी और 12 को दिल्ली ’लौटेगी। अफसरों में सीएस विवेक ढांड, अमन सिंह, सुबोध सिंह, रजत कुमार, सौरभ कुमार, सुनिल मिश्रा, कार्तिकेय गोयल सीएम के साथ होंगे। 8 अप्रैल को जैनजांग में आयोजित ट्रेड फेयर के सीएम चीफ गेस्ट होंगे। यह पहला मौका होगा, जब आउट आफ कंट्री वहां के सरकारी कार्यक्रम में सीएम चीफ गेस्ट होंगे। सीएम हेनान के गवर्नर से मुलाकात कर नए रायपुर में निवेश की संभावनाएं टटोलेंगे। हेनान को कोर इंडस्ट्रीज, टेक्सटाईल्स और पेट्रोकेमिकल का हब माना जाता है। चलिये, टीम रमन के इस ट्रिप से छत्तीसगढ़ का कुछ भला हो जाए।

चाइनिज मक्खन

सीएम के चाइना टूर में एक ऐसे अफसर का नाम भी शामिल है, जिनका वहां कोई खास रोल नहीं होगा। दरअसल, अफसर की कुर्सी कुछ दिनों से डगमगा रही है। उन्होंने सोचा साब और साब के करीबी अफसरों को मक्खन लगाने का वहां बढि़यां मौका मिलेगा। इसलिए, उन्होंने अपना नाम जुड़वा लिया। मगर इसको लेकर ब्यूरोक्रेसी में खूब चुटकी ली जा रही है। मसलन, चाइना का सामान ड्यूरेबल नहीं होता। सो, चाइना के वातावरण में मक्खन भी ड्यूरेबल नहीं होगा।

पनिशमेंट पोस्टिंग?

97 बैच की महिला आईएएस निहारिका बारिक को सरकार ने बिलासपुर कमिश्नर पोस्ट किया है। देश में अभी कोई महिला कमिश्नर नहीं है। पहले कभी रही है, इसकी जानकारी भी नेट पर एवेलेवल नहीं है। दरअसल, एक कमिश्नरी में तीन से लेकर 10-10 जिले होते हैं। इतने कलेक्टरों को हैंडिल करना आसान नहीं होता। इसलिए, आमतौर पर महिलाएं दो-एक जिले की कलेक्टरी करने के बाद सचिवालय में काम करना बेहतर समझती है। इससे कामधाम भी चल जाता है और परिवार भी। ऐसे में, निहारिका को बिलासपुर कमिश्नर बनाया गया है तो इसके पीछे अपने कारण है। दरअसल, पांच साल का डेपुटेशन 31 जनवरी को पूरा होने के बाद निहारिका बिना छुट्टी स्वीकृत हुए दो महीने के अवकाश पर चली गईं थीं। हालांकि, सरकार ने उनके साथ हमेशा नरमी बरती। 2009 में जब वे पांच साल का डेपुटेशन करके छत्तीसगढ़ लौटी थीं तो उनकी इच्छा के अनुसार आते ही महासमुंद का कलेक्टर बना दिया था। साल भर के भीतर ही 2010 में वे फिर डेपुटेशन पर दिल्ली चली गईं। इतनी रियायतों के बाद बिना अनुमति छुट्टी पर चली जाना सरकार को नागवार गुजरा। निहारिका को झटका देना था इसलिए, मंत्रालय में पोस्ट नहीं किया गया। आफ्शन था कमिश्नरी। तो रायपुर और दुर्ग संभाग में पोस्ट करने से सरकार का मकसद नहीं सधता। बस्तर और सरगुजा? कुछ ज्यादा बेरहमी हो जाती। इसलिए, बिलासपुर को उपयुक्त माना गया। निहारिका अगर रायपुर में पोस्ट की जाती तो सैटर्डे, संडे को परिवार के पास दिल्ली जाने का उनके पास अवसर होता। लेकिन…..लेकिन इस चक्कर में सोनमणि बोरा को बिलासपुर से रायपुर शिफ्थ होना पड़ गया। हालांकि, बोरा का दो साल होने जा रहा था मगर निहारिका एपीसोड अगर नहंी आता तो वे कुछेक महीने और बिलासपुर में रहते।

पनिशमेंट पोस्टिंग-2

बीजापुर कलेक्टर यशवंत कुमार को सरकार ने न केवल छुट्टी कर दी बल्कि बिना विभाग के भी कर दिया। उन्हें मंत्रालय में संयुक्त सचिव बनाया गया है। विभाग? आर्डर में कोई उल्लेख नहीं। हालांकि, छुट्टी बलरामपुर कलेक्टर अलेक्स पाल मेनन की भी हुई है, मगर उनका रिहैबिलिटेशन बढि़यां हो गया। चिप्स सीईओ। पावरफुल सत्ता के एकदम नजदीक। मगर वे जिस सत्ता के करीब गए हैं, वहां उन्हें काम करना पड़ेगा। आरडीए वाला स्टाईल नहीं चलेगा। मनमानी भी नहीं। आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खिल्ली उड़ाने वाले कन्हैया के समर्थन में पोस्ट करने की आजादी भी नहीं होगी। यद्यपि, बस्तर कलेक्टर अमित कटारिया लकी निकले। दूसरी बार भी सब मैनेज हो गया। पहली बार, सरकार तब उनसे खफा हुई थी, जब उन्होंने पीएम मोदी की चाइना विजिट को फीका कर दिया था। रंगीन शर्ट और गागल लगाकर मोदी को वेलकम किया था। इस बार भी सरकार खुश नहीं थी। मगर लाबिंग का जमाना है। आईएएस मि़त्रों ने बचा लिया।

सवा-डेढ़ साल की कलेक्टरी

जिन आईएएस को कलेक्टर बनाकर जिलों में भेजा गया है, उनकी कलेक्टरी सवा या डेढ़ साल की होगी। क्योंकि, 2018 के विधानसभा चुनाव तक इनका पौने तीन साल हो जाएगा। सो, चुनाव आयोग के निशाने पर आ जाएंगे। समझा जाता है कि अगले साल मई-जून में चुनावी हिसाब से सरकार बिसात बिछाएगी, उसमें सब इधर-से-उधर हो जाएंगे। इसलिए, सरकार ने 2009 बैच के जिन अफसरों को छत्तीसगढ़ के तीन छोर पर भेजा है, उन्हें मायूस नहीं होना चाहिए।

33 फीसदी महिलाएं

27 में से छह जिलों में पहले से महिला कलेक्टर थीं। अब, डा0 प्रियंका शुक्ला और किरण कौशल भी जिले में पहुंच गई हैं। याने आठ महिला कलेक्टर। छत्तीसगढ़ से तीगुना बड़ा मध्यप्रदेश में भी इतने कलेक्टर नहीं हैं। उपर से बिलासपुर में कमिश्नर भी महिला। चलिये, रमन सरकार ने कम-से-कम आईएएस की फील्ड पोस्टिंग में 33 फीसदी आरक्षण का कोटा पूरा कर दिया है। अब, इन आठ जिलों में कम-से-कम महिलाओं की स्थिति सुधरनी चाहिए।

महिला जिला

मुंगेली भले ही नया और सूबे का छोटा जिला है मगर यह देश का पहला जिला बन गया है, जहां कलेक्टर, एसपी और सीईओ जिला पंचायत, तीनों महिला हैं। नीतू कमल एसपी, फरिया आलम सिद्दिकी पहले से जिपं सीईओ हैं। अब, किरण कौशल कलेक्टर बनकर पहुंच गई हैं। यही नहीं, डीएफओ भी श्रीमती विजय कुर्रे। नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सवित्री सोनी, जिपं अध्यक्ष दुर्गा बघेल। कई जनपद अध्यक्ष भी महिलाएं। अब, पुन्नूराम मोहले जाने।

सेकेंड लिस्ट

कलेक्टरों की सेकेंड लिस्ट सीएम के चाइना से लौटने के बाद निकलेगी। हो सकता है 15 अप्रैल के आसपास भी निकल जाए। इसमें अंबिकापुर, दुर्ग, धमतरी, महासमुंद का नम्बर लग सकता है। बड़ी लिस्ट निकालने में पेचीदगियां काफी आती है। एक नाम पर भी अगर अड़चन आ गई तो पूरी लिस्ट अटक जाती है। रमन सिंह की पहली और दूसरी पारी का, आपको याद ही होगा। हो रहा है, हो रहा है, करते-करते महीनों निकल जाते थे। इसलिए, तीसरी पारी में सरकार छोटी लिस्ट निकाल रही है।

दुबई में बर्थडे

अजीत जोगी अबकी 29 अप्रैल को दुबई में अपना बर्थडे मनाएंगे। इस बार अमित जोगी नहीं होंगे। पत्नी और बहू रीचा उनके साथ होंगी। पिछला जन्मदिन उन्होंने श्रीलंका में मनाया था। श्रीलंका के बारे में बताने की जरूरत नहीं है। रावण से लेकर लिट्टे तक की गाथा वहीं से जुड़ी है। सो, राजनीतिक दृष्टि से जोगीजी का 2015-16 उतना बढि़यां नहीं गया। वे अबकी चकाचैंध भरे दुबई में जन्मदिन मना रहे हैं। दुआ कीजिए, अगला बरस दुबई की तरह ही चमकदार बीते।

गुड न्यूज

अभी तक सिर्फ जिलों में वीडियोकांफ्रेंसिंग की सुविधाएं थीं। मगर चिप्स में एक बड़ा काम करते हुए सभी 146 तहसीलों को नेटवर्किंग से जोड़ दिया है। 15 अप्रैल को इसका आगाज भी हो जाएगा। चीफ सिकरेट्री तहसीलों के अफसरों के साथ वीसी करेंगे। याने अब मानिटरिंग आसान हो जाएगी। कलेक्टर भी अब तहसीलों के सीधे कंटेक्ट में होंगे। यहीं नहीं, 60 हजार करोड़ के निर्माण कार्यों पर सीधे नजर रखने के लिए चिप्स ने एक साफ्टवेयर तैयार किया है। रायपुर के कंट्रोल रुप में बैठकर सभी कामों को नेट पर देखा जा सकेगा। अफसरों ने कब मुआयना किया, क्या टिप्स दिया, ये सब नेट पर रहेगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. 2009 बैच के आईएएस अपनी पोस्टिंग से खुश हैं?
2. क्या दुर्ग का अगला कलेक्टर भी 2005 बैच का होगा?