शनिवार, 26 अगस्त 2023

फ्लैशबैक...चार्टर प्लेन से बी फार्म

 तरकश, 27 अगस्त 2023

संजय के. दीक्षित


फ्लैशबैक...चार्टर प्लेन से बी फार्म

विधानसभा चुनाव का मौका है तो फ्लैशबैक की कुछ घटनाओं की चर्चा भी लाजिमी है। आज हम बी फार्म की अहमियत को इस वाकये से बताना चाहेंगे कि मध्यप्रदेश के समय 1998 में बिलासपुर में कांग्रेस प्रत्याशी का बी फार्म नामंकन जमा होने से घंटे भर पहले चार्टर प्लेन से भेजना पड़ा। दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने पहले अनिल टाह को प्रत्याशी घोषित करने के साथ ही बी फार्म भेज दिया था। मगर नामंकन के आखिरी दिन की पूर्व संध्या भोपाल में पर्दे के पीछे बड़ी सियासी उठकपटक हुई। और पार्टी ने प्रत्याशी चेंज कर पूर्व मंत्री बीआर यादव के बेटे राजू यादव का नाम फायनल कर दिया। चूकि नामंकन जमा करने का आखिरी डेट था और सड़क या ट्रेन से भोपाल से बी फार्म भेजा जाता तो समय पर पहुंच नहीं पाता। सो, आनन-फानन में मुंबई से किराये पर चार्टर प्लेन मंगाया गया। नामंकन जमा होने के दो घंटे पहले बिलासपुर के चकरभाटा हवाई पट्टी पर चार्टर प्लेन उतरा। इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना नामंकन दाखिल किया। प्रत्याशी बदलने का खामियाजा यह हुआ कि बिलासपुर से कांग्रेस 20 साल के लिए बाहर हो गई। इस चुनाव में बीजेपी के कद्दावर नेता लखीराम अग्रवाल के बेटे अमर अग्र्रवाल को पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया था। कांग्रेस बिलासपुर के अपने सबसे मजबूत गढ़ में चुनाव हार गई जहां 1977 में जनता पार्टी की लहर में भी वह जीत गई थी।

कलेक्टर, एसपी की क्लास

निर्वाचन आयोग की बैठक में कल कलेक्टर, एसपी के साथ जो हुआ, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। पूरी बैठक में इन अफसरों की हालत फुटबॉल की तरह रही। कोई इधर से मार रहा था, कोई उधर से। ऐसा भी नहीं कि एक बार पूछे, कमी पाई गई तो डपट दिए और चेप्टर क्लोज। घूम फिरकर चुनिंदा अधिकारियों की दिन भर खिंचाई...तुमने ऐसा क्यों नहीं किया...समझ लो, ऐसा नहीं हुआ तो हटा देंगे। आयोग के तेवर देख लगा कि क्या करना है, वे इसका पूरा होम वर्क करके आए थे। खास बात यह रही कि उन्होंने सिर्फ बड़े जिलों के कलेक्टर, एसपी को टारगेट किया। दोपहर लंच तक अफसरों की स्थिति ये हो गई थी खौफ में लंच भी ठीक से नहीं कर पाए, पता नहीं शाम तक और क्या होगा। किसी ने सैलेट का दो-एक टुकड़ा खाया तो कुछ सूप पीकर कांफ्रेंस हॉल में लौट गए...अब कोई निकम्मा करार दे तो खाना खाया भी कैसे जाएगा। कलेक्टर, एसपी इलेक्शन कमिश्नर अनूपचंद पाण्डेय का चेहरा नहीं भूल पाएंगे। रात में सपने में भी उन्हें पाण्डेय दिखाई पड़ रहे थे। पाण्डेय यूपी के चीफ सिकरेट्री रह चुके हैं। उनके तीर इतने मारक थे कि कलेक्टर-एसपी को भीतर तक वेध जाता था। मीटिंग के बाद एक कलेक्टर ने अपनी व्यथा इन शब्दों में प्रगट की...धोबी की तरह धो दिया।

आयोग के शिकार

चुनाव आयोग ने कलेक्टर, एसपी की बैठक में जिस तरह तेवर दिखाए उससे साफ हो गया है कि आचार संहिता प्रभावशील होते ही कई कलेक्टर, एसपी आयोग के शिकार बनेंगे। दरअसल, बैठक में आयोग ने कुछ खास अफसरों को टारगेट किया। इससे प्रतीत होता है कि सारे कलेक्टर, एसपी की कुंडली आयोग के पास है। मीटिंग का मजमूं पढ़ कई अफसर भी मान रहे हैं कि इस बार आधा दर्जन कलेक्टर, एसपी की छुट्टी हो सकती है। तीन-से-चार कलेक्टर और दो-से-तीन एसपी।

कैरियर पर फर्क नहीं?

निर्वाचन आयोग की कार्रवाइयों से कलेक्टर, एसपी के कैरियर पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। हां...उन्हें अपमान से जरूर गुजरना पड़ता है। असल में, किसी भी कलेक्टर के लिए प्रेसिडेंट और प्राइम मिनिस्टर का विजिट कराना तथा चुनाव कराना प्राउड की बात मानी जाती है। ऐसे में, ठीक चुनाव के बीच छुट्टी हो जाए तो जाहिर तौर पर पीड़ा तो होगी ही, देश भर में खबर पहुंच जाती है कि फलां कलेक्टर, एसपी को आयोग ने हटा दिया। छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आने के बाद तीन विधानसभा और तीन लोकसभा चुनाव हुए हैं। इन चुनावों में अब तक करीब दर्जन भर आईएएस, आईपीएस अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है। सबसे अधिक कलेक्टर, एसपी 2003 के विधानसभा चुनाव में इलेक्शन कमीशन के शिकार हुए। बता दें, छत्तीसगढ़ में अब तक जितने अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हुई, उनमें से अधिकांश उच्च पदों पर पहुंचे या फिर अभी भी ठीक-ठाक मुकाम पर हैं। सिर्फ मंत्री से मिलने के कारण चुनाव आयोग के निशाने पर आ गए एक कलेक्टर विधानसभा के बाद लोकसभा इलेक्शन में भी हटाए गए। वे अभी भारत सरकार में पोस्टेड हैं। दूसरा मामला...आयोग ़द्वारा हटाए गए एक कलेक्टर न केवल बाद में फिर बड़े जिले के कलेक्टर बने बल्कि ब्यूरोक्रेसी के शीर्ष पद तक पहुंचे। कहने का आशय यह है कि चुनावी कार्रवाइयों की चर्चा चुनाव के बाद खतम हो जाती है। कैरियर पर उसका कोई असर नहीं होता। वैसे भी आयोग की कुछ कार्रवाइयां कौवा मारकर टांगने जैसी भी होती है। ताकि बाकी कलेक्टर, एसपी चौकस हो जाएं।

कुल्हाडी पर पैर

संसदीय सचिव और कुनकुरी के विधायक यूडी मिंज ने लगता है सोगड़ा आश्रम की खिलाफत कर कुल्हाड़ी पर पैर मार लिया है। सोगड़ा का अघोरेश्वर आश्रम आस्था का ऐसा केंद्र है, जहां आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े नेता और ब्यूरोक्रेट्स मत्था टेकने जाते हैं। इस आश्रम पर कभी किसी पार्टी का लेवल नहीं लगा। मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह भी वहां जाते थे और वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी। मगर यूडी मिंज का पत्र वायरल होते ही जशपुर में बीजेपी को वहां एक संवेदनशील मुद्दा मिल गया। बीजेपी के चुनाव प्रभारी ओम माथुर अध्यक्ष अरुण साव को लेकर जशपुर पहुंच गए। दिलीप सिंह जूदेव के दौर में इस जिले की तीनों सीटें बीजेपी को मिलती थी। मगर उनके परिवार वाले इसे मेंटेन नहीं रख पाए। 2018 के चुनाव में तीनों सीटें कांग्रेसी की झोली में चली गई। अलबत्ता, कांग्रेस की अभूतपूर्व लहर में भी यूडी मिंज करीब साढ़े चार हजार वोट से जीत पाए थे। इस बार सोगड़ा आश्रम के खिलाफत के बाद कुनकुरी में बीजेपी ही नहीं, बल्कि दो पूर्व आईएएस भी सक्रिय हो गए हैं। एसीएस से रिटायर हुए सरजियस मिंज पिछले बार भी दावेदार थे और इस बार सरगुजा कमिश्नर से रिटायर जेनेविवा किंडो का नाम भी दावेदारों में जुड़ गया है। जेनेविवा हाल ही में कांग्रेस पार्टी ज्वाईन की हैं। कुल मिलाकर यूडी मिंज ने अपनी मुश्किलें बढ़ा ली हैं।

एक सीट, दो दावेदार

जशपुर जिले के कुनकुरी में एशिया का सबसे बड़ा चर्च होने का दावा किया जाता है। उस विधानसभा सीट पर टिकिट के लिए बीजेपी नेताओं में जमकर शह-मात का खेल चल रहा है। इस सीट से खड़े होकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और चार बार के सांसद विष्णुदेव साय विधानसभा पहुंचना चाहते हैं तो उधर रायगढ़ से लोकसभा सदस्य गोमती साय अपना दावा ठोक रही हैं। गोमती कुनकुरी विधानसभा की रहने वाली हैं और विष्णुदेव कुनकुरी के बार्डर के गांव का। गोमती पढ़ी-लिखी हैं...लोकसभा में उनका प्रदर्शन भी ठीक रहा है। इसलिए उनके समर्थकों को लग रहा वे अगर विधायक बन गई तो आगे चलकर आदिवासी महिला होने की वजह से सीएम फेस भी हो सकती हैं।

बीजेपी की दूसरी सूची

बीजेपी के प्रत्याशियों की दूसरी सूची सितंबर के पहिला सप्ताह में किसी दिन जारी हो जाएगी। कांग्रेस की पहली लिस्ट भी छह-सात सितंबर को आनी है। इसी के आगे-पीछे भाजपा की दूसरी सूची भी आएगी। पार्टी ने पहली सूची में 21 उम्मीदवारों के नाम घोषित किया था। दूसरी सूची में दसेक प्रत्याशियों के नाम होंगे। पता चला है, बीजेपी इसी तरह तीन-चार सूची जारी करेगी। उसकी रणनीति यह है कि बड़े चेहरों के नाम आखिरी लिस्ट में जारी किए जाएंगे। क्योंकि, अभी से बड़़े नेताओं का नाम जारी हो जाने से वे अपने विधानसभा ़क्षेत्रों में फोकस हो जाएंगे। पार्टी के रणनीतिकारों की कोशिश है कि बड़े नेताओं का दूसरी सीटों पर कार्यक्रम कराकर माहौल बनाया जाए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. बीजेपी ने जिन 21 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए हैं, उनमें जितने वाले कितने होंगे?

2. इस खबर में कितनी सच्चाई है कि कुछ मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में ड्रॉप कर उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारा जाएगा?


शनिवार, 12 अगस्त 2023

Chhattisgarh Tarkash: उम्र 84 की, हौसला...

 तरकश, 13 अगस्त 2023

संजय के. दीक्षित

उम्र 84 की, हौसला...

छत्तीसगढ़ के सबसे वरिष्ठ विधायक रामपुकार सिंह जशपुर जिले के पत्थलगांव विधानसभा सीट से आठवी बार नुमाइंदगी कर रहे हैं। वे अजीत जोगी सरकार में मंत्री रहे और मध्यप्रदेश के समय दिग्विजय सरकार में भी। 2013 में सिर्फ एक बार चुनाव हारे, जब पत्थलगांव को जिला बनाने का वादा कर बीजेपी के शिव शंकर पैकरा चुनाव जीतने मे कामयाब हो गए थे। उम्र की बात करें तो रामपुकार सिंह इस समय 84 क्रॉस कर रहे हैं। जीवन का ये ऐसा पड़ाव होता है...जहां 80 फीसदी से अधिक लोग पहुंच नही पाते और पहुंच भी गए तो देश-दुनिया से उनका कोई वास्ता नहीं रह जाता। मगर इस सीनियर आदिवासी विधायक के हौसले को सैल्यूट करना चाहिए...इस उम्र में भी वे फिर से चुनाव लड़ने तैयार दिख रहे हैं। हाल ही में सीएम भूपेश बघेल ने सूबे में अपने दम पर चुनाव जीतने वाले नेताओं में रामपुकार का नाम का जिक्र किया था। रामपुकार सिंह का सबसे बड़ा प्लस यह है कि इतनी लंबी सियासी पारी के बाद भी उन्होंने अपनी छबि निर्विवाद और बेदाग रखा।

पैलेस बेअसर!

जशपुर जिले की तीन विधानसभा सीटों पर कभी दिलीप सिंह जूदेव का जादू चलता था। जब तक वे रहे, कम-से-कम इन तीन सीटों पर बीजेपी की जीत की गारंटी रही। मगर उनके असमय दिवंगत होने के बाद परिवार वाले जूदेव की विरासत को संभाल नहीं पाए। उपर से करेला और नीम चढ़ा...पैलेस में वर्चस्त की लड़ाई तेज हो गई। इसका नतीजा यह हुआ कि 2018 के विस इलेक्शन में तीनों सीटों कांग्रेस की झोली में चली गई। जूदेव परिवार के लिए पुराना वैभव याने जिले की तीनों सीटों को फिर से हासिल करना जैसी कोई इच्छा नहीं दिख रही। राजा रणविजय सिंह पिक्चर से गायब हैं। प्रबल प्रताप सिंह सरगुजा के किसी विधानसभा सीट से किस्मत आजमाने की कोशिश कर रहे तो युद्धवीर जूदेव की पत्नी चंद्रपुर सीट पर दावा करने वहां शिफ्थ हो गई हैं। बीजेपी के लिए खटकने वाली बात ये भी होगी कि उसके तीन बड़े नेता याने संगठन मंत्री पवन साय, पूर्व केंद्रिय मंत्री विष्णुदेव साय और पूर्व संगठन मंत्री रामप्रताप सिंह जशपुर जिले से आते हैं मगर वे पैलेस पर इस कदर आश्रित हो गए कि खुद के जिले में अदद एक सीट दिलाने की गारंटी नहीं दे सकते।

कमिश्नर, कलेक्टर सेम बैच

पोस्टिंग में आमतौर पर सीनियर, जूनियर का खयाल रखा जाता है। खासकर ब्यूरोक्रेसी में। मगर इन दिनों से मामला गडबड़ाया हुआ है। सरगुजा में 2008 बैच की आईएएस शिखा राजपूत कमिश्नर हैं तो उन्हीं के बैच के नरेंद्र दुग्गा मनेंद्रगढ़ जैसे नए नवेले जिले के कलेक्टर। इसी तरह बिलासपुर में 2009 बैच के के डी कुंजाम को कमिश्नर बनाया गया है। बिलासपुर में 2009 बैच के ही आईएएस सौरव कुमार कलेक्टर थे। कुछ दिन पहले ही उनका कोरबा ट्रांसफर हुआ है। कोरबा भी बिलासपुर संभाग में आता है। मतलब सरगुजा जैसी स्थिति यहां भी रहेगी। एक ही बैच का अफसर कमिश्नर रहेगा और उसी बैच का कलेक्टर। सरगुजा में तो फिर भी डायरेक्टर और प्रमोटी का फर्क है। शिखा आरआर याने डायरेक्ट आईएएस हैं और दुग्गा प्रमोटी। बिलासपुर में उल्टा है...सौरव के लिए कष्टदायक भी। बिलासपुर में प्रमोटी आईएएस कमिश्नर हैं और कोरबा कलेक्टर डायरेक्ट आईएएस। बिलासपुर के एडिशनल कमिश्नर कुमार चौहान की पीड़ा भी समझी जा सकती है। चौहान 2009 बैच के आईएएस हैं। और उन्हीं के 2009 बैच के केडी कुंजाम को कमिश्नर बना दिया गया। याने एक ही ऑफिस में सेम बैच का अफसर बॉॅस और सबआर्डिनेट होंगे। बहरहाल, इसके साइड इफेक्ट सामने आने लगे हैं। सरगुजा कमिश्नर मनेद्रगढ़ में एक तहसीदार की पोस्टिंग की। अगले दिन कमिश्नर के आदेश को ताक पर रखते हुए मनेंद्रगढ़ कलेक्टर ने तहसीलदार को हटाकर अपने पसंदीदा को तहसीलदार पोस्ट कर दिया।

सबसे बड़ा पुलिस रेंज

पुलिस रेंज के पुनर्गठन के बाद बिलासपुर छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा पुलिस रेंज हो गया है। इसमें जिलों की संख्या बढ़कर अब नौ हो गई हैं। बिलासपुर, मुंगेली, जीपीएम, कोरबा, जांजगीर, सक्ती, रायगढ़, सारंगढ़ और जशपुर। जशपुर पहले सरगुजा में था, उसे भी अब बिलासपुर में शामिल कर दिया गया है। जशपुर के कारण झारखंड बार्डर भी अब बिलासपुर रेंज में आ गया है। कुल मिलाकर बिलासपुर आईजी डॉ0 आनंद छाबड़ा का औरा बढ़ा है। छत्तीसगढ़ के लगभग एक तिहाई एरिया के वे पुलिस चीफ होंगे। जिस रेंज में कोरबा और रायगढ़ जैसे इंडस्ट्रियल जिला शामिल हो, उस रेंज की अहमियत समझी जा सकती है।

जशपुर के साथ न्याय?

पुलिस रेंज के पुनर्गठन मे जशपुर को सरगुजा पुलिस रेंज से निकालकर बिलासपुर रेंज में शामिल किया गया है। इसके पीछे गृह विभाग की सोच यह बताई जा रही कि रायगढ़ नया पुलिस रेंज बनेगा तो उसमें जशपुर को शामिल कर लिया जाएगा। ठीक है, ये जब होगा, तब होगा। अभी तो जशपुर के लोगों के लिए दिक्कतें बढ़ गई। कमिश्नर आफिस सरगुजा रहेगा और पुलिस रेंज बिलासपुर। जशपुर से रोड कनेक्टिविटी की ये स्थिति है कि बिलासपुर के लोग रायगढ़ से उड़ीसा के झारसुगड़ा होकर जशपुर पहुंचते हैं। या फिर अंबिकापुर होकर। जब तक रायगढ़ नया रेंज नहीं बन जाता, तब तक जशपुर को सरगुजा में ही रहने देना न्यायसंगत होगा।

वक्त का खेल

रिटायर पीसीसीएफ एसएस बजाज को राज्य सरकार ने उस न्यू रायपुर डेवलपमेंट अथारिटी का चेयरमैन अपाइंट किया है, जिसके पी जाय उम्मेन, एन बैजेंद्र कुमार, अमन सिंह, आरपी मंडल जैसे आईएएस चेयरमैन रहे हैं। इसी एनआरडीए के सीईओ रहने के दौरान एक मामले में 2019 में बजाज सस्पेंड हो गए थे। तब उन पर आरोप लगा था कि सोनिया गांधी पोता चेरिया में नया रायपुर की आधारशिला रखीं थीं, उसके शिलालेख को बजाज ने उखड़वाकर आईआईएम कैम्पस में रखवा दिया। बाद में पता चला, खुले में पड़े शिलालेख की हिफाजत की दृष्टि से बजाज ने ऐसा किया था। मगर, वक्त का खेल देखिए...उसे महसूस हुआ कि कुछ गड़बड़ हुआ है। और फिर बजाज न केवल रिस्टेट हुए बल्कि कैबिनेट में पोस्ट क्रियेट कर उन्हें पीसीसीएफ प्रमोट किया गया। रिटायरमेंट के बाद उन्हें तुरंत सीजीकॉस्ट का डायरेक्टर जनरल की पोस्टिंग दी गई। और अब एनआरडीए चेयरमैन की कमान। कह सकते हैं, वक्त ने बजाज को जितना जख्म दिया, ब्याज समेत गरिमा और सम्मान लौटा दिया। बजाज नया रायपुर के शिल्पी रहे हैं। सीईओ के तौर पर वे करीब 10 साल काम किए और नया रायपुर में चमचमाती सड़कें, मंत्रालय, विभागाध्यक्ष भवन दिख रहा है, सब उनका बनवाया हुआ है। बीई सिविल के बाद आईएफएस अफसर बने बजाज ने 245 किमी फोर लेन सड़क निर्माण के साथ ही साढ़़े पाच हजार हेक्टेयर प्रायवेट लैंड का अधिग्रहण किया। समझा जा सकता है कि नए रायपुर को शेप देने में उनकी कैसी भूमिका रही होगी।

दूसरी पोस्टिंग

आईएफएस अधिकारी अरुण प्रसाद को आईएएस सारांश मित्तर की जगह डायरेक्टर इंडस्ट्री और सीएसआईडीसी का एमडी बनाया गया है। सीएसआईडीसी में अरुण की ये दूसरी पोस्टिंग होगी। इससे पहले भी इसी सरकार में वे सीएसआईडीसी के एमडी रहे हैं। उनके पास पौल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मेम्बर सिकरेट्री की जिम्मेदारी है, जो यथावत रहेगी। पौल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में वे पहले भी एक बार मेम्बर सिकरेट्री रह चुके हैं।

सिस्टम पर भारी

स्कूल शिक्षा की कुख्यात लॉबी सिस्टम पर भारी पड़ जा रही है। सरकार ने वहां के माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए दो डिप्टी कलेक्टरों की तैनाती की। मगर इस पर कुछ लोग कोर्ट चले गए। और उस पर ब्रेक लग गया। शिक्षा विभाग के खेल में सिर्फ विभाग के अधिकारी, बाबू ही नहीं शिक्षक नेता और सियासी लोग भी संलिप्त हैं। पोस्टिंग घोटाले को ही लीजिए...इसमें करीब 50 करोड़ का वारा-न्यारा हुआ। मगर यह पैसा सिर्फ जेडी के जेब में नहीं गया। कुछ शिक्षक नेता भी मालामाल हुए। एक जिले के दो विधायकों को 40-40 पेटी मिला ताकि संरक्षण बना रहे। पुराने मंत्री के यहां से चूकि फाइल वापिस लौटती नहीं थी इसलिए तीन-तीन आईएएस होने के बाद भी वे कुछ कर नहीं पा रहे थे। मगर अब नए मंत्री आए तो ताबड़तोड़ कार्रवाइयां हो रही है। मगर सिस्टम इतना बिगड़ चुका है कि उसे पटरी पर लाने में वक्त लगेगा।

विभाग की रेटिंग

अभी तक पीडब्लूडी, एक्साइज, इनर्जी, इरीगेशन, इंडस्ट्रीज जैसे विभाग की रेटिंग अच्छी मानी जाती थी मगर पोस्टिंग घोटाले ने स्कूल शिक्षा विभाग और दवा खरीदी घोटाले ने लेबर डिपार्टमेंट की रेटिंग बढ़ा दी है। स्कूल शिक्षा विभाग का वौल्यूम काफी बड़ा है...कोई दो लाख के करीब शिक्षक। सो, थोड़े-थोड़े में बड़ा खेल हो जाता है। ट्रांसफर के सीजन में कई खोखा का काम हुआ तो इस विभाग की रेटिंग हाई करने में डीएमएफ का भी बड़ा योगदान है। बिलासपुर के अंग्रेजी स्कूल में डीएमएफ के पैसे से चौगुने रेट में परचेजिंग की गई। ऐसा अमूमन सभी जिलों में हुआ। इसलिए क्योंकि डीएमएफ का पैसा खर्च करना था। खर्च करेंगे तभी तो कमीशन मिलेंगे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. दूसरी बार कांग्रेस छोड़ने वाले आदिवासी नेता अरविंद नेताम विस चुनाव में फ्यूज बल्ब साबित होंगे या कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे?

2. शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण के आदेश में कैबिनेट के फैसले की बजाए महाधिवक्ता के अभिमत का हवाला क्यों दिया गया?


रविवार, 6 अगस्त 2023

Chhattisgarh Tarkash: पुलिया कमिश्नर की शुरुआत

 तरकश, 6 अगस्त 2023

संजय के. दीक्षित

पुलिस कमिश्नर की शुरूआत

छत्तीसगढ़ जैसे राज्य को आठ पुलिस रेंज में विभक्त करने के सरकार के फैसले को पुलिस कमिश्नर सिस्टम से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, देश में अब सिर्फ बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ तीन राज्य ऐसे बच गए हैं, जहां कमिश्नर सिस्टम नहीं है। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में भी पिछले साल से कमिश्नर सिस्टम प्रारंभ हो गया है। छत्तीसगढ़ में तीन बड़े शहर है...रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग। फिलहाल इन तीन में से दो में पुलिस कमिश्नर पर विचार किया जा रहा है। वैसे भी, रायपुर में तो इसकी नितांत जरूरत महसूस की जा रही है। पुलिस कमिश्नर सिस्टम से पुलिस का सेटअप काफी बढ़ जाएगा। आईजी रैंक के आईपीएस कमिश्नर होंगे वहीं, एसपी लेवल के चार डीसीपी और एडिशनल एसपी रैंक के दर्जन भर एसीपी होंगे। रायपुर का फैलाव अब इतना अधिक हो गया है कि चार एडिशनल एसपी से क्राइम को कंट्रोल नहीं किया जा सकता। हालांकि, आईएएस लॉबी पुलिस कमिश्नर सिस्टम के पक्ष में नहीं होती क्योंकि, शस्त्र लायसेंस और 151 जैसे दंडात्मक कार्रवाइयों का अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाता है।

संविदा पोस्टिंग

डीजी जेल से रिटायर हुए पूर्व आईपीएस संजय पिल्ले को सरकार संविदा पोस्टिंग देने जा रही है। गृह विभाग से इसकी फाइल जीएडी को भेजी जा चुकी है। जीएडी के मुखिया खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं। उनके अनुमोदन के बाद आदेश जारी हो जाएगा। पता चला है, संजय को जेल विभाग में ही एक साल की संविदा नियुक्ति मिल रही है। वे इसी 31 जुलाई को आईपीएस से रिटायर हुए हैं। बहरहाल, इस सरकार में संविदा नौकरी वाले पिल्ले सूबे के दूसरे आईपीएस होंगे। उनसे पहिले अप्रैल में डीएम अवस्थी को रिटायरमेंट के बाद ईओडब्लू, एसीबी चीफ बनाया गया था। डीजी गिरधारी नायक राज्य मानवाधिकार आयोग के प्रमुख बनाए गए थे, मगर वह पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग थी न कि संविदा नियुक्ति।

टूरिज्म में फिर आईएएस

आईएएस जितेंद्र शुक्ला को सरकार ने पर्यटन बोर्ड का नया प्रबंध संचालक नियुक्त किया है। जितेंद्र से पहले आईएफएस अनिल साहू बोर्ड के प्रबंध संचालक थे। वे करीब एक साल इस पद पर रहे। राज्य बनने के बाद चार बार आईएफएस इस बोर्ड के एमडी रहे हैं। राकेश चतुर्वेदी, सुनील मिश्रा, आलोक कटियार, तपेश झा और अनिल साहू। इसके अलावा हमेशा आईएएस अधिकारियों को ही टूरिज्म बोर्ड में पोस्ट किया गया। बहरहाल, बोर्ड के चेयरमैन अटल श्रीवास्तव बिलासपुर से हैं और जितेंद्र शुक्ला भी वहां से जुड़े हुए हैं...। याने टूरिज्म बोर्ड में अब बिलासपुर का दबदबा रहेगा।

पीएससी के नए चेयरमैन

पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी का कार्यकाल अगले महीने समाप्त हो जाएगा। याने सरकार को 30 सितंबर या इससे पहले नए चेयरमैन का आदेश निकालना पड़ेगा। बता दें, इस पद के लिए पिछले महीने रिटायर हुए आईएएस अमृत खलको का नाम सबसे टॉप पर रहा। मगर पीएससी में उनके दोनों बच्चों का डिप्टी कलेक्टर बनने का मामला गरमाने के बाद पीएससी में उनकी दावेदारी एक तरह से कहें तो खतम हो गई है। यही वजह भी है कि रिटायरमेंट के बाद सरकार ने उन्हें एक साल के लिए संविदा पोस्टिंग देकर समाज कल्याण विभाग का सचिव बना दिया है। बहरहाल, सरकार के पास विकल्प बहुत कम है। आईएएस से अभी कोई रिटायर होने वाला अफसर दिख नहीं रहा है। पीएससी के लिए रायपुर कमिश्नर संजय अलंग एक बेहतर नाम हो सकते हैं। अलंग लिखने-पढ़ने वाले साहित्यिक मिजाज के अफसर हैं। अगले साल जुलाई में उनका रिटायरमेंट है। अक्टूबर में अगर वीआरएस लेकर वे पीएससी की कमान संभालते हैं तो दो साल आठ महीना इस पद पर रहेंगे। पीएससी चेयरमैन का एज 62 साल है। इससे पहले भी केएम पिस्दा और टामन सिंह सोनवानी ने भी वीआरएस लेकर पीएससी चेयरमैन का पद संभाला था।

हेड ऑफ फॉरेस्ट

श्रीनिवास राव को राज्य सरकार ने प्रभारी पीसीसीएफ से प्रमोट कर पूर्णकालिक पीसीसीएफ बना दिया है। मगर हेड ऑफ फॉरेस्ट की नियुक्ति अभी बची है। संजय शुक्ला के रिटायर होने के बाद से यह पद खाली है। राव को चूकि सरकार ने सात आईएफएस अधिकारियों को सुपरशीट करके वन विभाग का मुखिया बनाया था, इसलिए अभी हेड ऑफ फॉरेस्ट की नियुक्ति करने में कोई जल्दी नहीं है। हेड ऑफ फॉरेस्ट के लिए पहले सीनियरिटी मापदंड माना जाता था। मगर संजय शुक्ला को योग्यता के आधार पर अतुल शुक्ला के सीनियर होने के बाद भी हेड ऑफ फॉरेस्ट बनाया गया था। हो सकता है कि आचार संहिता प्रभावशील होने से पहले श्रीनिवास राव को भी हेड ऑफ फॉरेस्ट का तोहफा मिल जाए।

इलेक्शन में पोस्टिंग

इलेक्शन में पोस्टिंग का खौफ इतना ज्यादा होता है कि मध्यप्रदेश में एक महिला डिप्टी कलेक्टर को एसडीएम के पद से हटाकर निर्वाचन आयोग में भेजा गया तो उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। असल में, निर्वाचन में काम करने से लगभग सभी घबराते हैं, उसकी वजह यह है कि यह तलवार की धार पर चलने सरीखा होता है। चुनाव के दौरान किसी सियासी पार्टी के खिलाफ कार्रवाई हो गई और उसकी सरकार बन गई तो फिर उसकी कीमत अफसर को चुकानी पड़ती है। छत्तीसगढ़ में भी ऐसे उदाहरण रहे हैं। बहरहाल, चुनाव आयोग के एप्रूवल पर 2011 बैच के आईएएस नीलेश क्षीरसागर को ज्वाइंट सीईओ बनाया गया है। अभी एडिशनल सीईओ की नियुक्ति बची है। नए मापदंड के अनुसार न्यूली सिकरेट्री को एडिशनल सीईओ बनाया जाएगा। 2007 बैच इस साल नया सिकरेट्री बना है। समझा जाता है, इसी बैच के किसी आईएएस को एडिशनल सीईओ की कमान मिलेगी। मगर कब? बताते हैं एक पेनल को निर्वाचन आयोग लौटा चुका है। इसके बाद सभी जगह रहस्यमयी खामोशी है।

तनाव में कलेक्टर, एक्स कलेक्टर

ईडी ने माइनिंग विभाग से डीएमएफ के बारे में 2016 से लेकर अब तक का डिटेल मांग लिया है। इससे वर्तमान कलेक्टरों के साथ ही पूर्व कलेक्टरों का तनाव बढ़ गया है। 2016 से लेकर 2018 तक पिछली सरकार में जो कलेक्टर रहे वे भी परेशान हैं और अभी वाले भी। क्योंकि, ईडी ने रिपोर्ट मांगी है तो मामला फंसेगा ही। ब्यूरोक्रेसी के लोगों का मानना है कि डीएमएफ में कई कलेक्टरों, पूर्व कलेक्टरों की मुश्किलें बढ़़ जाएंगी।

वीवीआईपी सभास्थल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डेढ़ महीने के भीतर दूसर बार 17 अगस्त को रायगढ़ आ रहे हैं। कोंडातराई में उनकी पब्लिक मीटिंग होगी। इससे पहले 2019 में वे इस मैदान पर सभा कर चुके हैं। उनसे पहले अजीत जोगी सरकार के दौरान 2003 में कांग्रेस की शीर्ष नेत्री सोनिया गांधी की भी सभा हो चुकी है। दरअसल, रायगढ़ की हवाई पट्टी के पास ही ये मैदान है। इसके चारों तरफ घनी बस्तियां हैं। मैदान की क्षमता भी 40 से 50 हजार भीड़ की है। सो, रायगढ़ में अगर सभा करनी हो तो कोंडातराई प्रायरिटी पर रहता है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. आईएएस भीम सिंह ने डेढ़ महीने में ही बिलासपुर कमिश्नर से धमाकेदार वापसी कैसे की?

2. इन चर्चाओं में कितनी सचाई है कि महाराष्ट्र के गवर्नर रमेश बैस अगले चुनाव में बीजेपी के चेहरा होंगे...दिल्ली के निर्देश पर उन्होंने जन्मदिन समारोह के जरिये इसका मैसेज दिया?