शनिवार, 28 मई 2016

प्रस्ताव पलट गया


 एसपी के लिए पीएचक्यू और गृह विभाग के प्रपोजल कुछ और थे। बिलासपुर में अमरेश मिश्रा, जांजगीर मयंक श्रीवास्तव और दुर्ग अजय यादव। लेकिन, सीएम हाउस में प्रस्ताव पलट गया। सरकार ने अमरेश मिश्रा को दुर्ग, मयंक श्रीवास्तव को बिलासपुर और अजय यादव को जांजगीर का कप्तान बना दिया। बताते हैं, सरकार को प्रपोजल जमा नहीं। खासकर अमरेश को लेकर। सीएम के रणनीतिकारों का मानना था कि अमरेश का जब ट्रांसफर हो ही रहा है है तो फिर सेम रेंज में क्यों। और, उन्हें दुर्ग शिफ्थ कर दिया गया। और, दुर्ग वाले मयंक को बिलासपुर। इस चक्कर में अजय यादव का मामला जरा गड़बड़ा गया। बिलासपुर, बस्तर जैसे बड़े जिले में एसपी रह चुके अजय को जांजगीर से संतोष करना पड़ा। हालांकि, जांजगीर में ला एंड आर्डर का प्राब्लम काफी है। मगर ये अजय के मन में यह कसक तो रहेगी ही कि सीनियर एसपी और जांजगीर में। वे 2004 बैच के आईपीएस हैं। उनसे पहले जांजगीर एसपी प्रशांत अग्रवाल 2008 बैच के थे। याने चार साल जूनियर। बिलासपुर एसपी मयंक भी 2006 बैच के हैं। कहीं, ज्यादा जैक अजय के लिए नुकसान तो नहीं हो गया।

2003 बैच क्लोज

आईएएस, आईपीएस दोनों में सरकार 2003 बैच को कलेक्टर, एसपी के लिए क्लोज करने जा रही है। इस बैच के आखिरी आईपीएस पी सुंदरराज राजनांदगांव के एसपी थे। शुक्रवार को हुए फेरबदल में उन्हें हटाया गया है। आईएएस में रीतू सेन लास्ट बैट्समैन हैं। मगर लगता है, वो भी अब चंद दिनों की ही मेहमान हैं। किसी भी वक्त उनकी रायपुर वापसी हो सकती है।

कलेक्टरों से खुश

पता चला है, लोक सुराज में अधिकांश कलेक्टरों के पारफारमेंस से चीफ मिनिस्टर खुश हैं। वे चाहते हैं कि कलेक्टरों के पास जो वर्क है, उसे पूरा करने के लिए उन्हें मौका देना चाहिए। सो, कलेक्टरों की दूसरी बहुप्रतीक्षित लिस्ट बहुत छोटी होगी। दो-से-तीन नाम हो गए, तो बहुत है। वरना, कलेक्टरों की बड़ी सूची अब बरसात के बाद ही मानकर चलिये।

महापौर नम्बर वन

कांग्रेस के संगठन खेमे का सरकार से भले ही छत्तीस के संबंध हों मगर उसके एक महापौर के तो मत पूछिए। पांचों उंगली….। उनके मुताबिक अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग हो रही है। हो सकता है, आप इस पर विश्वास ना करें, लेकिन यह सच है कि महापौर के मोबाइल पर तीन दिन पहले मैसेज आ गया था कि उनके अफसर को 26 मई को चेंज कर दिया जाएगा। मेयर ने इसे खुद ही सबको दिखाया। और, वैसा ही हुआ। सत्ताधारी पार्टी के महापौर तो सपना भी नहीं देख सकते कि वे कमिश्नर बदलवा सकते हैं।

शेरों के लिए शेर

भिलाई इलाके में कई शेर हैं। मैत्री बाग जू में चार पैर वाले। और, खुले में घूमने वाले दो पैर वाले भी। दो पैर वाले ज्यादा डेंजरस हैं। चार पैर वाले बेचारे दहाड़कर अपने पिंजरे में शांत हो जाते हैं। मगर दो पैर वाले कुछ ज्यादा ही तंगा रहे हैं। जब देखो तो दिल्ली। नजर सिर्फ तख्त पर। कब पलट दें! वैसे भी, भिलाई में सरकार की कम शेरों की ज्यादा चलती है। मगर सरकार ने अबकी सोच-समझ कर वहां एक सवा शेर भेज दिया है। उन्नत नस्ल का। इस नस्ल के दो-एक शेर ही होंगे छत्तीसगढ़ में। उसे कोरबा से शिफ्थ किया गया है। है ठेठ बिहारी। अपनी भी नहीं सुनता। अपराधी तो कांपते ही हैं, गंगाजल-2 टाईप के एसबी सिंह जैसे पुलिस वाले भी पानी मांगते हैं। अब, देखना दिलचस्प होगा, सवा शेर, शेरों को कितना काबू में रख पाता है।

जूते की धमक कहां गई?

पिछले एसपी कांफ्रेंस में सीएम को कहना पड़ा था कि एसपी तो ऐसे होने चाहिए, जिसके जूते की धमक से अपराधियों के रोंगटे खड़े हो जाए…..मैं मान ही नहीं सकता कि एसपी की सहमति के बिना जिले में जुआ, सट्टा चल जाए। रमन सिंह जैसे सीएम अगर ऐसी कड़वीं बातें कह रहे हों तो मामला जरा गंभीर हो जाता है। मगर वस्तुस्थिति यही है कि सूबे की पोलिसिंग का बुरा हाल है। एसपी और थानेदार से अपराधियों के कांपने की बात तो दूर अपराधियों से एसपी के गठजोड़ मजबूत होते जा रहे हैं। दरअसल, डाक्टर साब आप तो 60-70 हजार पगार देकर निश्चिंत हो जाते हैं, अधिकांश एसपी महीने में 50 लाख अंदर कर रहे हैं। अब, आप ही बताइये, अपराधियों से गठजोड़ के बिना ये संभव है क्या। ये भी जान लीजिए, 50 लाख वाली बात हम नहीं कर रहे हैं। बल्कि, पुलिस के एक बड़े अफसर ने ही बताया। तरकश के एक कालम में एक सवाल था, एक पुलिस वाला 50 लाख रुपए हर महीने हवाला से यूपी भेजता है। बड़े साब ने इसका उत्तर पूछा। मैंने कहा, आपके महकमे में एक-दो पोस्टिंग ही ऐसी है, जहां यह संभव है। उन्होंने कहा, गलत बोल रहे हो। हमारे कई एसपी भी इससे अधिक भेज रहे हैं। ये तो हाल है पुलिस का। डाक्टर साब अब तो आप समझ गए होंगे कि अपने एसपी के जूते की धमक क्यों नहीं होती। खैर, उम्मीद करते हैं, एक साथ 10 कप्तानों की आपने अलटी-पलटी की है, उससे स्थिति कुछ सुधरे। एसपी में भी अपने कलेक्टरों की तरह कुछ नया करने, नाम कमाने की स्पर्धा विकसित हो।

हनीमून डेस्टिनेशन….

सरकारी निवासों में देश में सिर्फ तीन जगह ही स्वीमिंग पुल है। राष्ट्रपति भवन, पीएम हाउस और छत्तीसगढ़ का डीएफओ बंगला। डीएफओ ने छत्तीसगढ़ का इतना नाम उंचा कर दिया। इसके बावजूद उस पर एक्शन के बजाए नोटिस-नोटिस का खेल क्यों खेला जा रहा है, आपने सोचा है। वह इसलिए कि कार्रवाई हुई तो उपर तक फंस जाएंगे। क्योंकि, स्वीमिंग पुल में कलेक्टर से लेकर एसपी और उनकी घरवालियां भी रोज डूबकी लगाती थीं। सीएम रायपुर में पानी के एक-एक बूंद बचाने के लिए अफसरों के साथ मंथन कर रहे हैं और डीएफओ हाउस में रोज आला अफसरों के लिए स्वीमिंग पुल का पानी बदला जाता था। बस्तर को वैसे भी नौकरशाहों के लिए हनीमून डेस्टीनेशन माना जाता है। काम कुछ रहता नहीं। भारत सरकार के फंड को हवाला के जरिये ठिकाने लगाते जाओ और पारिवारिक लाइफ का भरपूर आनंद लो। बहरहाल, उपर के स्मार्ट अफसरों ने कम से कम इतना तो लिहाज किया कि अपने बंगले में स्वीमिंग पुल बनाने के बजाए डीएफओ बंगले में बनवाया। इसलिए, नरमी दिखाकर सरकार ठीक भी कर रही है। हनीमून में इतना तो बनता ही है।

चालान की इजाजत नहीं

और सुनिये। एसआईबी को खुफिया जानकारी मिली थी कि स्वीमिंग पुल वाले डीएफओ के नक्सलियों से सांठगांठ हैं। एसआईबी के इनपुट पर जिला पुलिस ने उनके घर पर 2013 में छापा मारा था। तब नक्सलियों से संबंधित कोई सामान तो नहीं मिले थे मगर काला धन के कागजात जरूर मिले। इसके बाद एसीबी ने छापा मारा। एसीबी ने 7 अप्रैल 2015 को जीएडी से डीएफओ के खिलाफ चलान पेश करने की अनुमति मांगी। लेकिन, मंत्रालय के खटराल अफसरों ने फाइल ही दबा दी। आप अंदाज लगा सकते हैं, ऐसे अफसरों के हाथ कितने लंबे हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक महिला कलेक्टर और वहां के सहायक वन संरक्षक के बीच आजकल किन बातों की चर्चा हो रही है?
2. क्या डीएस मिश्रा और ठाकुर राम सिंह की ताजपोशी का आर्डर एक साथ ही निकलेगा?

शनिवार, 21 मई 2016

मंत्रीजी को चाहिए फारचुनर

tarkash logo

22 मई
संजय दीक्षित
प्रदेश का मुखिया भले ही सफारी गाड़ी में चलें मगर मंत्रियों को चाहिए फारचुनर। सिर्फ पैदाइशी समृद्ध मंत्री अमर अग्रवाल गाड़ी के मामले में कमजोर हैं। उनके पास आठ लाख वाला डस्टर है। बाकी सबके पास 22 लाख का फारचुनर हैं या उसके बराबर की गाड़ी। दयालदास बघेल तक फारचुनर में चलते हैं। ऐसे में, श्रम एवं खेल मंत्री भैयालाल राजवाड़े यदि फारचुनर मांग रहे हैं तो गलत क्या है। पिछले हफ्ते लेबर विभाग के अफसरों को बुलाकर अपना दर्द शेयर किया…..बोले, उनके समर्थक कहते हैं कि बाकी मंत्री फारचुनर में चलते हैं तो आप क्यों नहीं? इसके बाद अफसरों ने मंत्रीजी की फारचुनर के लिए नोटशीट बढ़ा दी है। फायनेंस ने अगर-मगर नहीं किया तो अगले महीने तक श्रम मंत्री के पास भी फारचुनर होगा।

रामराज!

लगता है, बिलासपुर में रामराज आ गया है। वहां न तो अब कोई काम बचा है और ना ही कोई समस्या! तभी तो जिनके हाथों में संभाग और नगर की बेहतरी की कमान हैं, वे रोड पर कत्थक कर रहीं हैं। हम बात कर रहे हैं, बिलासपुर में पोस्टेड महिला आईएएस अफसरों की। रविवार को दोनों लिंक रोड पर थिरक रहीं थीं। लोग भी कौतूकता से देख रहे थे, लोगों को नचाने वाली नाच कैसे रही हैं। अब, आप सोच रहे होंगे वे किसी की बारात-वारात में नाच रही होंगी। वरना, प्रशासनिक अफसरों के पास सड़क पर नाचने-वाचने का वक्त कहां होता है। मगर ये बात नहीं है। महिला आईएएस राहगिरी डे मनवा रही थी। अपने यहां इस तरह का कल्चर कभी रहा नहीं। गुड़गांव और दिल्ली के कनाट प्लेस में कुछ फुरसतिया लोग जरूर इस तरह की पागलपन करते हैं। उनका मकसद रहता है, कुछ नया किया जाए। सो, जो काम पार्क, गार्डन और घर में करना चाहिए, वो बीच सड़क पर शुरू हो जाते हैं। अलबत्ता, लंपटई के चलते वहां भी अब इसका क्रेज कम हो रहा है। और, अपने यहां इसे चालू किया जा रहा है। वह भी संस्कारधानी में। ग्रेट।

कलेक्टरों की सूची

24 मई को लोक सुराज खतम होने के बाद कलेक्टरों की दूसरी लिस्ट कभी भी निकल सकती है। साथ में कुछ एसपी भी होंगे। हालांकि, लिस्ट बहुत बड़ी नहीं होगी। दो-दो, तीन-तीन ही होंगे। अबकी, कोरिया कलेक्टर प्रकाश को कोई बड़ा जिला मिल सकता है। कोरिया उनका पहला जिला है, जहां वे डेढ़ साल टिके हैं। वरना, कवर्घा में तो तीन महीने में ही निबट गए थे। अभी उनके लिए फेवरेवल टाईम है। उनका 2005 बैच मोस्ट पावरफुल है। उपर से सीएम भी उनसे बेहद खुश हैं। बिलासपुर में अफसरों की बैठक में सीएम ने प्रकाश के कामों का विशेष तौर पर जिक्र किया। इसलिए, वे अंबिकापुर या दुर्ग का कलेक्टर बन जाएं तो आश्चर्य नहीं। वैसे, कोरिया में कलेक्टर रहने वाला अंबिकापुर का कलेक्टर बनता है। मसलन, डा0 कमलप्रीत और रीतू सेन।

एक अंदर, एक बाहर

राज्य के 27 जिलों में से सात में महिला कलेक्टर हैं। दुर्ग, कांकेर, कोंडागांव, बेमेतरा, रायगढ़, मुंगेली, जशपुर और अंबिकापुर। दो और दावेदार हैं। पी संगीता और श्रुति सिंह। श्रुति की दावेदारी कुछ तगड़ी है। लेकिन, अब लगता नहीं कि सरकार महिला कलेक्टरों की संख्या आठ से बढ़ाएगी। सो, आठ में से एक को आउट करके ही दूसरे को इन कराया जाएगा। अब, यह देखना दिलचस्प रहेगा कि इनमें से आउट कौन होता है।

आईपीएल एक्सपर्ट

रायपुर आईजी जीपी सिंह पिछले तीन साल से आईपीएल की सिक्यूरिटी देख रहे हैं। आईपीएल का सबसे मेजर पार्ट सिक्यूरिटी होता है। देश-विदेश के प्लेयर होते हैं। एक तरह से कहें तो लगातार तीन आईपीएल कराकर वे इसके एक्सपर्ट हो गए हैं। मगर हो सकता है, यह उनका आखिरी आईपीएल हो। रायपुर में एज ए आईजी उनका तीन साल से अधिक हो गया है। सो, उन्हें चेंज तो होना ही है। भले ही वह अभी हो या इस साल के अंत तक। मगर, आईपीएल के समय उन्हें तलब जरूर किया जाएगा।

न्यू स्पोर्ट्स डायरेक्टर

आईपीएल और लोक सुराज के बाद कमिश्नर स्पोर्ट्स भी बदलेंगे। पीडब्लूडी की कमान संभाल रहे आईएफएस अधिकारी अनिल राय को सरकार ने हाकी मैच और युवा महोत्सव के लिए कमिश्नर स्पोर्ट्स बनाया था। दोनों इवेंट निपट गए। मगर राय का कुछ हुआ नहीं। अलबत्ता, सरकार ने सोनमणि बोरा को सिकरेट्री स्पोर्ट्स बना दिया। राय काफी सीनियर हैं। 90 बैच के आईएफएस। तो वोरा 99 बैच के। सीनियरिटी में नौ साल का अंतर। जाहिर है, इससे राय ही नहीं, वोरा भी असहज महसूस कर रहे हैं। राय ने सरकार से आग्रह भी किया है कि उन्हें खेल से हटा दिया जाए। सो, मान कर चलिये, लोक सुराज के बाद होने वाले फेरबदल में नया स्पोर्ट्स डायरेक्टर अपाइंट हो जाएगा।

गुड न्यूज

छत्तीसगढ़ बनने के बाद यह पहला मौका होगा, जब राज्य के पांच कालेजों को ए ग्रेड मिला है। इनमें से भी चार बिलासपुर शहर के हैं। एक दुर्ग का साइंस कालेज है। इससे पहले, किसी भी कालेज को ए ग्रेड नहीं मिला है। चलिये, हायर एजुकेशन में बिलासपुर का दबदबा बढ़ा है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किसी कलेक्टर को अगर कोई कहें कि आप घटिया मानसिकता के हैं तो कलेक्टर से किस तरह के जवाब की अपेक्षा करनी चाहिए?
2. एक बड़े बीजेपी नेता के खिलाफ दिल्ली पहुंची कानूनी लड़ाई में किस कांग्रेस नेता ने पांच पेटी का योगदान दिया?

शनिवार, 14 मई 2016

अमन बनें डीएम के सारथी

तरकश,15 मई

संजय दीक्षित
शीर्षक आपको अटपटा लग रहा होगा कि सुबे का सबसे ताकतवर नौकरशाह अमन सिंह सारथी डीएम अवस्थी का! मगर यह सत्य है। लोक सुराज के दौरान देश के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित भेज्जी में सीएम ने जब मोटरसायकिल से विजिट किया, उनके साथ सीएस  विवेक ढांड, पीएस टू सीएम अमन सिंह एवं स्पेशल डीजी नक्सल डीएम अवस्थी थे। इनमें से अमन को छोड़कर सभी मोटरसायकिल पर पीछे बैठे। अमन ने बाइक थामी और डीएम उनके पीछे बैठे। ऐसे में, अमन डीएम के सारथी ही हुए ना। और, अमन जब सारथी बन ही गए हैं तो डीएम को अब चिंता की कोई जरूरत नहीं है। कुशल सारथी के बदौलत अर्जुन कौरवों का विध्वंस कर दिए थे, डीएम के लिए तो सिर्फ एक सीढ़ी बची है।

कैबिनेट का फैसला और 17 दिन

कैबिनेट बोले तो सरकार का सुप्रीम बाडी। सीएम से भी बड़ा। उसके फैसले को अमल में लाने में अगर 17 दिन लग जाते हैं तो समझा जा सकता है, सिस्टम किस रफ्तार में चल रहा है। हम बात कर रहे हैं, हेलमेट का जुर्माना 200 रुपए करने का। कैबिनेट ने 27 अप्रैल को इसका फैसला किया था। इससे पहले, बजट सत्र में सीएम ने भी इसका ऐलान किया था। इसके बाद भी 13 मई को इसका आदेश जारी हुआ। याने 17 दिन में। अफसर इसको लेकर संजीदा होते तो दो दिन में राजपत्र में प्रकाशित करके तीन-चार दिन के भीतर या अधिकतम हफ्ते भर में उसे क्रियान्वित कर देते। कोई काम अगर समय पर होता है तो उसका रिस्पांस भी मिलता है। 200 की जगह 500 रुपए जुर्माना देने पर लोगों ने 15 दिन सरकार को खूब कोसा….बेवकूफ बना रही है, बोलती है 200 कर दिया और वसूल रही है 500। सरकार को इसे नोटिस में लेना चाहिए। ताकि, कम-से-कम कैबिनेट के फैसले अफसरशाही का शिकार न हो जाए।

मंत्रियों की गरमी के पीछे

लोक सुराज अबकी मंत्रियों के गरम होने के लिए याद किया जाएगा। प्रेमप्रकाश पाण्डेय, पुन्नूराम मोहिले और रामसेवक पैकरा जैसे मंत्रियों को छोड़ दें तो बाकी सबके तेवर तीखे ही रहे। केदार कश्यप ने कोरिया में डीईओ को हटा दिया। तो कुनकुरी में छात्राओं के मेकअप पर बोल विरोधियों को गरम कर दिया। अजय चंद्राकर के बारे में बताने की जरूरत नहीं है। सबसे अधिक सुर्खियां उन्होंने ही बटोरी। महेश गागड़ा ने रेस्ट हाउस ना मिलने पर चार को सस्पेंड कर दिया। राजेश मुणत ने वाटर हार्वेस्टिग के लिए रायपुर में बिल्डरों को हड़काया तो बस्तर में एनएमडीसी को जमकर डोज दे दिया। सबसे सीनियर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विभाग से आईएएस अफसरों को हटाने के लिए चीफ सिकरेट्री को लेटर लिख डाला। यही नहीं, महिला बाल विकास मंत्री रमशिला साहू का बिलासपुर में पारा गरम हो गया। हालांकि, तीखे तेवर का आगाज अमर अग्रवाल ने लोक सुराज के दो दिन पहले ही कर दिया था। बलौदा बाजार की समीक्षा बैठक में उन्होंने सीएमओ को सस्पेंड कर दिया था। सरकार अब इसकी पड़ताल करवा रही है कि वन विभाग ने इस बार कहीं जड़ी-बुटी की मात्रा तो नहीं बढ़ा दी। दरअसल, हर साल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान वन विभाग मंत्रियों को जड़ी बुटियों का बड़ा पैकेट भिजवाता है। उसमें च्यवनप्राश से लेकर सफेद मुसली, अश्वादि जैसी कई गरम करने वाली बुटियां होती हैं। सरकार अब प्रिंसिपल सिकरेट्री आरपी मंडल को निर्देश देने पर विचार कर रही है कि जड़ी बुटियां मानसून सत्र में बंटवाएं जाएं। वरना, मंत्रियों के चक्कर में सरकार का चौपाल फीका पड़ जाएगा। आखिर, लोक सुराज में कई दिन अखबारों के हेडलाइन मंत्री गए।

बृजमोहन और चंद्राकर

सरकार के सबसे सीनियर और तेज मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विभागों में आईएएस की बजाए विभागीय अफसरों को पोस्ट करने के लिए चीफ सिकरेट्री को पत्र लिख कर कहीं अपना कद तो कम नहीं कर लिया है, यह चर्चा इन दिनों सत्ता के गलियारों में सरगर्म है। आखिर, बृजमोहन जैसे मंत्री आईएएस से अनकंफर्ट फील करें, तो फिर उन पर सवाल तो उठेंगे ही। जबकि, उनके कृषि और सिंचाई में मात्र तीन आईएएस हैं। अजय सिंह, समीर विश्नोई और जीएस मिश्रा। अजय सिंह लो प्रोफाइल में काम करने वाले आईएएस हैं तो समीर विश्नोई तो आईएएस में अभी बच्चे ही कहे जाएंगे। जीएस मंत्रियों से बेहतर रिश्ते वाले आईएएस माने जाते हैं। बृजमोहन को अपने पुराने संगी अजय चंद्राकर की ओर भी देखना चाहिए। उनके पंचायत में एमके राउत जैसे तेज-तर्राट एसीएस हैं। हेल्थ में पांच आईएएस हैं। सिकरेट्री विकास शील, ज्वाइंट सिकरेट्री आलोक अवस्थी, टीपी वर्मा, डायरेक्टर हेल्थ आर प्रसन्ना, डायरेक्टर हेल्थ मिशन अविनाश चंपावत। 15 दिन पहले तक उनके पास होम और पुलिस के खटराल अफसर भी थे। कुल मिलाकर बृजमोहन के वेलविशर भी मान रहे हैं कि मोहन भैया को लेटर लिखकर अपनी निरीहता नहीं दिखानी थी।

मु्ुफ्त पब्लिसिटी

सरकार की छबि निखारने के लिए जनसंपर्क तो मीडिया को पैसे देकर पब्लिसिटी करवाता है। मगर जनसंपर्क संचालक राजेश टोप्पो ने तो लोक सुराज की मुफ्त में पब्लिसिटी करवा ली। दरअसल, पिछले हफ्ते राजधानी के पत्रकारों को देर शाम उन्होंने पांच मिनट के गैप में दो मिस्ड काल किया। बाद में पत्रकारों ने कालबैक किया। राजेश अब फोन रिसीव करेंगे….अब….., लोग उनके मोबाइल पर लोक सुराज का सांग सुनते रहे। मगर उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। रात 11.30 बजे राजेश ने काल करके बताया कि मैं तो आपलोगों को लोक सुराज का सांग सुनवाना चाहता था। दरअसल, वे फीडबैक लेना चाह रहे थे कि सांग कैसा है। ओके होने पर अगले दिन से सारे अफसरों के मोबाइल पर लोक सुराज का सांग बजने लगा।

मंडल का झंडा

आरपी मंडल ने राजधानी में कई नई सड़कें बनवाई मगर सबसे अधिक किसी काम को लेकर उनका नम्बर बढ़ा तो 82 फीट के तिरंगा लगाने पर। सीएम ने तो हेलिकाप्टर से उसकी फोटो लेकर ट्यूटर पर डाल दिया। सोशल मीडिया पर ये फोटो वायरल हो गई। उस दिन ये फोटो ट्रेंड में तीसरे नम्बर पर रही। अहम यह कि तीन साल पहले तक तेलीबां तालाब सिर्फ जीई रोड की ओर ही फ्री था। बाकी तीन ओर लोग लोटा लिए दिखते थे। जहां झंडा लगा है, वहां की स्थिति तो और खराब थी। गंदगी इतनी कि आप उसके बगल से भी नहीं जा सकते थे। ऐसे में, मंडल ने देश का सबसे उंचा झंडा लगाने के साथ ही अपना झंडा भी गाड़ दिया। बट….सिर्फ रायपुर ही नहीं,.एज ए पीएस अरबन एडमिनिस्ट्रेशन मंडल को रायपुर के अलावा दीगर शहरों पर भी नजरे इनायत करना चाहिए।

कुल्हाड़ी पर पैर

वन मंत्री महेश गागड़ा की सहमति पर अगर तपेश झा को जगदलपुर सर्किल का सीसीएफ बनाया गया है तो लोग कह रहे हैं, मंत्री ने कुल्हाड़ी पर पैर मार लिया है। उनके बारे में यह धारणा इसलिए बन गई है कि वे जहां भी जाते हैं, विवाद उनके पीछे चला आता है। अचानकमार टाईगर रिजर्व में ढाई साल पोस्टेड रहे। हाथी को लेकर उनकी गलतबयानी से हाईकोर्ट ने पूरे वन विभाग की क्लास ले डाली। झा ने पहले कहा था हाथी को पालतू बना रहे हैं लेकिन केंद्रीय वन मंत्रालय ने जब झिड़की दी तो बाद में वे मुकर गए। हाथी मामले में वन विभाग की भद पिट गई। अलबत्ता, अचानकमार से अच्छी जगह जगदलपुर सर्किल में उनकी पोस्टिंग हुई है। लेकिन, जाते-जाते फेसबुक पर उन्होंने पर्यावरणविद्ों, वन्यजीव प्रेमियों से लेकर मीडिया को कोस कर नाहक विवाद पैदा कर गए। अचानकमार में अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए उन्होंने फेसबुक पर कुछ फोटुएं पोस्ट की है, उनमें तौलिया पहनकर नहाते हुए, सोते हुए दिखाया गया हैं। आप उनके फेसबुक वाल पर फोटुएं देख लीजिए, फिर उसके बाद आप समझ जाएंगे कि लोग क्यों कह रहे हैं वन मंत्री ने कुल्हाड़ी पर…..।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रामसेवक पैकरा के स्वस्थ्य होकर लौटने और अजय चंद्राकर के गृह विभाग से मुक्त होने के बाद आईपीएस अफसरों ने किस होटल में पार्टी की?
2. एक महिला कलेक्टर का नाम बताइये, जो रोज सुबह आठ बजे फेसियल करने आने से मना करने पर ब्यूटिशियन को जेल भेजने की धमकी दे डाली?

रविवार, 8 मई 2016

आईएएस लाबी का प्रेशर

तरकश, 8 मई

संजय दीक्षित
मुख्य सूचना आयुक्त की पोस्टिंग को लेकर सरकार पर भी प्रेशर बढ़ता जा रहा है। खासकर, रिटायर जस्टिस के नाम की चर्चा के बाद आईएएस लाबी एक्टिव हो गई है। आईएएस नहीं चाहते कि सूचना आयोग में ज्यूडिशरी के लोगों की इंट्री हो। दरअसल, इस खतरे को वे समझ रहे हैं। नौकरशाहों के लिए पोस्ट रिटायरमेेंट तीन ही अच्छी पोस्टिंग हैं। सूचना आयोग, विद्युत नियामक आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग। तीनों संवैधानिक पद है, इसलिए एक बार बैठ गए तो पांच साल कोई हिला नहीं पाएगा। अलबत्ता, सूचना आयोग में एक बार अगर ज्यूडिशरी का आदमी बैठ गया तो आगे फिर उन्हीं के लिए रिजर्व समझिए। वैसे, सीआईसी का पोस्ट भी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के समतुल्य है। इस खतरे को भांपकर ही आईएएस लाबी किसी तरह आईएएस को ही सीआईसी बनाने के लिए दबाव बना रही है। हालांकि, सत्ता के गलियारों में चर्चा ये भी है कि डीएस मिश्रा को रोकने के लिए ही कुछ नौकरशाहों ने सीआईसी के लिए रिटायर जस्टिस का नाम आगे बढ़ाया है। असल में, डीएस अगर सीआईसी बन गए तो सूचना आयोग को पूरे पांच साल के लिए ब्लाक कर देंगे। रिटायर जस्टिस से फायदा ये है कि वे दो साल बाद 65 के हो जाएंगे। याने 2017 के बाद रिटायर होने वाले आईएएस अफसरों के लिए सूचना आयोग का विकल्प खुला रहेगा। चलिये, जब तक सीआईसी की पोस्टिंग नहीं हो जाती, पावरफुल लोगों का पावर गेम यूं ही चलता रहेगा।

आईएएस आचरण उन्नयन प्रोग्राम

छत्तीसगढ़ के यंग आईएएस जिस तरह के आचरण कर रहे हैं, उससे मसूरी के आईएएस अकादमी पर सवाल उठने लगे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या मसूरी में अफसरों को इसी तरह की संवेदनशीलता की ट्रेनिंग दी जा रही है। आखिर, रामानुजगंज के एसडीएम ने तो हद ही कर दी। अस्पताल में महिला मरीज के बिस्तर पर जूता पहना पैर रख दिया। पैर भी धोखे में रखा गया तो कोई बात नहीं। जनाब, पलंग पर पैर का टेका लगा बड़े आराम से बात कर रहे थे। एक आईएएस ने आरोपियों को जमानत देेने पर सीधे डिस्ट्रिक्ट जज को फोन लगा दिया था। कोई अपनी पत्नी को ही नौकरी दे रहा है तो बस्तर के एक कलेक्टर अपनी पत्नी को ऐसी सक्रिय समाजसेविका बना दिया है कि बीजेपी महिला मोर्चा की नेत्रियां अपने को उपेक्षित समझने लगी हैं। रंगीन चश्मा और कलरफुल लिबास पहनकर प्राइम मिनिस्टर का अभिवादन को भी लोग भूले नहीं हैं। सरकार भी मानती है कि नए आईएएस को अभी सीखने और सीखाने की जरूरत है। तो फिर देर किस बात की। कोई बड़ी घटना हो जाए, इससे पहले सरकार को कुछ करना चाहिए। कौशल उन्न्यन कार्यक्रम को कुछ दिन के लिए ड्राप करके आईएएस के लिए आचरण उन्नयन कार्यक्रम ही शुरू कर दें। क्योंकि, सूबे के बेरोजगारों से ज्यादा नए आईएएस छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ सरकार की भद पिटवा रहे हैं।

कलेक्टर पर गाज!

लोक सुराज अभियान के बाद कलेक्टरों की निकलने वाली लिस्ट में सुरजपुर का नाम भी हो सकता है। कारण यह है कि लोक सुराज अभियान के दौरान समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने वहां के एक पंचायत भवन के निर्माण के बारे में पूछा तो कलेक्टर कुछ भी नहीं बता पाए। इसके बाद मुख्यमंत्री उनके नाराज बताए जा रहे हैं।

सब खुश

वहीं, सुरजपुर से लगे बलरामपुर जिले के कलेक्टर अवनीश शरण से छत्तीसगढ़ के सीएम ही नहीं बल्कि झारखंड के सीएम भी प्रसन्न हैं। बलरामपुर बस हादसे को अवनीश ने जिस तरह से हैंडिल किया, उससे झारखंड के 22 जख्मी यात्रियों की जान बच गई। कलेक्टर न केवल 45 मिनट में रेस्क्यू पार्टी लेकर घटनास्थल पर पहुंच गए बल्कि, पूरी रात घायलों के इलाज में जुटे रहे। रात दो बजे उन्होंने हेलिकाप्टर के लिए अपने सीएम से बात की। सीएम ने ओके किया और सुबह साढ़े तीन बजे वहां दो हेलिकाप्र लैंड कर गए थे। इसके लिए यहां कि सीएम ने उनकी पीठ थपथपाई तो झारखंड के सीएम ने उन्हें फोन करके थैंक्स किया।

बिदाई परंपरा की बिदाई?

आईएएस के आपसी झगड़े में बिदाई की परंपरा टूटती जा रही है। आखिर, डीएस मिश्रा को रिटायर हुए हफ्ते भर से अधिक हो गए। जिस दिन रिटायर हुए, उस दिन सैटर्डे था। और, अगले दिन संडे। इसलिए, ये भी नहीं कहा जा सकता कि लोक सुराज अभियान के चलते अफसर व्यस्त थे। असल में, डीएस की बिदाई के लिए आगे बढ़ने का मतलब कइयों से नाराजगी मोल लेना है। इसलिए, कोई पहल नहीं कर रहा है। हालांकि, 30 मार्च को रिटायर हुए दिनेश श्रीवास्तव के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। दिनेश ने तो यह कहते हुए मंत्रायल में सबको लंच करा दिया कि आपलोग बिदाई तो दोगे नहीं मैं ही खाना खिला देता हूं। कुछ पानीदार नौकरशाहों को जब इसका पता चला तो दो दिन बाद दिनेश को लंच में मंत्रालय बुलाकर शाल और नारियल देकर बिदाई की औपचारिकता पूरी की गई। वरना, पहले तो आफिसर्स क्लब में शानदार पार्टी होती थी। संगीत से लेकर जाम छलकते थे। लेकिन, लगता है आईएएस अफसरों को अपनों के लिए भी अब दिल छोटे होते जा रहे हैं।

मैं नहीं, मैं भी नहीं

पिछले तरकश में, अंत में दो सवाल में से एक था, एक आईपीएस का नाम बताएं, जो हर महीने 50 लाख रुपए हवाला के जरिये यूपी भेज रहा है। इस सवाल पर पुलिस महकमे में इतना बवंडर मचा कि यूपी से जुड़े कुछ अफसरों ने उपर में सफाई दी कि मैं नहीं, मैं भी नहीं। वैसे, सवाल का जवाब आईपीएस खुद ही फोन करके एक-दूसरे को बताते रहे।

सीएफ की डीपीसी

प्रमोशन के मामले में आल इंडिया सर्विसेज में अब तक सबसे पीछे माने जाने वाले आईएफएस अफसरों के के दिन बहुर गए हैं। थोक में 11 सीसीएफ को प्रमोट कर एडिशनल पीसीसीएफ बनाने के बाद सरकार ने अब सीएफ को प्रमोशन देने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए मंत्रालय में 10 मई को डीपीसी होगी। इनमें संगीता गुप्ता, ओपी यादव समेत करीब आधा दर्जन सीएफ पदोन्नति पाकर सीसीएफ हो जाएंगे।

32 एडिशनल पीसीसीएफ

एक साथ 11 एडिशनल पीसीसीएफ बनाने के बाद छत्तीसगढ़ में एडिशनल पीसीसीएफ की संख्या बढ़कर 32 हो गई है। इतने तो मध्यप्रदेश में नहीं हैं। 32 में से दो दिल्ली में हैं। बचे 30 छत्तीसगढ़ में हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक मंत्री का नाम बताइये, जो उज्जैन के पास नंदखेड़ा में अनुष्ठान करवा रहे हैं?
2. बिलासपुर में इंजीनियर के यहां पड़े एसीबी छापे में लाकर के असली गहने नकली में कैैसे बदल गए?