बुधवार, 29 अप्रैल 2020

वाह मंत्रीजी!

संजय कुमार दीक्षित
26 अप्रैल 2020
कोरोना के लॉकाआउट में सूबे के एक मंत्रीजी सिस्टम को डॉज देकर राजधानी से ढाई सौ किलोमीटर दूर एक उद्योग नगरी पहुंच गए। वहां उन्होंने अफसरों से कहा, पर्सनल काम से आया हूं…किसी को बताना नहीं है…मीडिया को तो बिल्कुल नहीं। लेकिन, गुलदस्ता, माला और कार्यकर्ताओं का हुजूम नहीं तो फिर मंत्री होने का मतलब क्या….आखिर उनसे रहा नहीं गया तो खुद ही अपने समर्थकों को फोन कर बताने लगे, मैं फलां जगह हूं। जाहिर है, सोशल मीडिया के युग में मंत्रीजी का प्रवास कैसे छुपता। व्हाट्सएप पर फोटो लगी वायरल होने। नियम-कायदों और लॉकडाउन का सम्मान करने वाले ऐसे-ऐसे तो मंत्री हैं अपने प्रदेश में।

फार्म हाउस

दुर्ग संभाग से जुड़े एक मंत्री का राजनांदगांव के बार्डर पर आलीशान फार्म हाउस तैयार हो रहा है। 30 एकड़ से अधिक जमीन को चारों ओर से घेर दिया गया है। अंदर में एक भव्य बंगला का निर्माण भी युद्धस्तर पर जारी है। ठीक भी है। 15 साल बाद सत्ता आई है। बेटे, नाती, पोते के लिए जितना हो जाए, इंतजाम कर देना चाहिए। कोरोना-वोरोना तो बाद में देखा जाएगा।

कोरोना और सीएम

कोरोना के लॉकडाउन में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ग्राफ बढ़ा है। कृषि गतिविधियों में फास्ट ग्रोथ के लिए आरबीआई गवर्नर ने छत्तीसगढ़ की तारीफ की है, उसके पीछे नरवा, गरूवा…बाड़ी योजना की भूमिका रही। बाड़ी को बढ़ावा देने का ही परिणाम हुआ कि लॉकडाउन में जब पूरा देश लॉक था तो 21 मार्च से 16 अप्रैल के बीच छत्तीसगढ़ में दो लाख 14 हजार क्विंटल सब्जी और फलों की खरीदी-बिक्री हुई। अधिकांश सब्जियां छोटे-छोटे किसानों ने पैदा की। फिर, प्रदेश में लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कराने में भी सीएम ने कड़ाई बरती। एक महीने में चार बार टीवी पर आकर उन्होंने सूबे के लोगों का हौसला बढ़ाया। वे इस बात पर भी नजर रखे रहे कि लॉकडाउन की आड़ में प्रदेश में कहीं कालाबाजारी शुरू न हो जाए।

साहू और भगत

आईएफएस अनिल साहू की संचालक संस्कृति से वन विभाग में वापसी हो गई है। वे नई सरकार आने के बाद ताम्रध्वज साहू के कोटे से डेपुटेशन पर डायरेक्टर कल्चर बने थे। लेकिन, बाद में संस्कृति विभाग मंत्री अमरजीत भगत को मिल गया। जाहिर है, साहू और भगत में फर्क तो होगा ही। सुनते हैं, कुछ दिनों से अमरजीत भगत से अनिल का ठीक-ठाक नहीं चल रहा था। और, लॉकडाउन होने के बाद भी अनिल का संस्कृति से हटाकर मूल विभाग में भेजने का आदेश हो गया। ऐसे में, अमरजीत का प्रभाव तो समझा जा सकता है।

छत्तीसगढ़ियां, सबले बढ़ियां

कोरोना प्रभावित मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और तेलांगना से घिरे होने के बाद भी छत्तीसगढ़ कोरोना से अप्रभावित है तो यहां के लोगों की इम्यूनिटी को भी क्रेडिट देनी चाहिए। छत्तीसगढ़ में कोरोना के कई पॉजिटिव मरीज मिले मगर कटघोरा को छोड़ दें किसी भी केस में फेमिली या कम्यूनिटी संक्रमण की स्थिति पैदा नहीं हुई। यहां तक कि कोरोना पॉजिटिव के घर के लोगों के सेम्पल निगेटिव आ गए। रायपुर, बिलासपुर, भिलाई, दुर्ग, राजनांदगांव…के पॉजिटिव मरीजों के किसी फेमिली मेम्बर में कोरोना के लक्षण नहीं मिले। छत्तीसगढ़ के इस आबोहवा का ये कमाल है।

कलेक्टर्स रिचार्ज

कोरोना में छत्तीसगढ़ के कलेक्टरों ने जिस तरह खौफ के बीच काम किया है, वैसा शायद इससे पहिले कभी नहीं हुआ होगा। खौफ भी एक नहीं, दो-दो। पहला, कोरोना का, और दूसरा ठीक से काम नहीं किए तो कलेक्टरी छीन जाने का। शायद कलेक्टरों की इसी भय रूपी सजगता का कमाल कहें कि कोरोना यहां ज्यादा असर नहीं दिखा पाया। दरअसल, कलेक्टरों को सरकार ने कई लेयर पर टाईट करके रखा। सीएम भूपेश बघेल एक महीने में तीन बार वीडियोकांफें्रसिंग लिए और एक टीम लीडर की भूमिका निभाते हुए उन्होंने कलेक्टरों का हौसला अफजाई किया। प्रशासनिक मुखिया आरपी मंडल अपने ट्रेडिशनल अंदाज में कलेक्टरों की क्लास लेते रहे, सुनो मिस्टर! तुम्हारे लाइफ में काम करके दिखाने का ऐसा अवसर फिर नहीं मिलेगा, जिले को ग्रीन रखना…रेड हुआ तो समझ लेना तुम रेड कर दिए जाओगे। एसीएस टू सीएम सुब्रत साहू कलेक्टरों से दिन में एक बार जरूर अपडेट लेते हैं। बात नहीं तो व्हाट्सएप संदेश तो पहुंच ही जाता है कलेक्टरों के पास। अब सीएम के एसीएस बात करते हैं तो समझिए, सीएम ही बात कर रहे। इसके बाद लेबर सिकरेट्री सोनमणि बोरा का फोन। वे श्रमिकों के संबंध में एक बार कलेक्टरों से बात करते हैं या फिर उनका लेटर चला जाता है। ट्रांसपोर्ट, फूड और जीएडी सिकरेट्री डॉ0 कमलप्रीत सिंह की भी कलेक्टरों से एक बार बात हो जाती है। सोनमणि और कमलप्रीत ने कलेक्टरों से कोआर्डिनेट करके 51 हजार मजदूरों को सूबे के विभिन्न कल-कारखानों में पहुंचा दिया। याने लॉकडाउन में भी इतना काम! चलिये, कलेक्टर्स अब पूरी तरह रिचार्ज हो गए हैं। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कोरोना में 28 कलेक्टरों में से किसका कितना नम्बर बढ़ा।

महिलाएं और ब्यूटी पार्लर

लॉकडाउन-2 में अब धीरे-धीरे व्यवसायिक गतिविधियां चालू होती जा रही है। सड़कों पर चहल-पहल भी बढ़ गई है। ऐसे में, महिलाएं अधीर हो रहीं हैं…मोदीजी ब्यूटी पार्लर खोलने का कोई संकेत नहीं दे रहे। एक महीने से अधिक हो गए हैं पार्लर बंद हुए। असली-नकली सब अब सामने आने लगे हैं। सबसे अधिक दिक्कत राजनीति और एनजीओ से जुड़ी महिलाओं को हो रही है। लॉकडाउन में मिली ढील के बाद भी वे घरों से बाहर नहीं निकल पा रहीं। मोदीजी को आधी आबादी के बारे में भी सोचना चाहिए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. क्या शराब पीने वाले हतोत्साहित न हो जाएं, इसलिए आबकारी विभाग शराब दुकानों को इकठ्ठे 3 मई तक बंद रखने की जगह एक-एक हफ्ते का आर्डर निकाल रहा है?
2. दीगर प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ में लगभग आधे रेट पर पीपीई कीट की खरीदी हुई, इसकी क्या वजह हो सकती है?

सोमवार, 20 अप्रैल 2020

अपना भारत महान

संजय कुमार दीक्षित
19 अप्रैल 2020
वो भी एक दौर था, जब ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड देशों के क्रिकेटर इंडिया आना नहीं चाहते थे। ऑस्ट्रेलियन टीम के कप्तान एलन बॉर्डर तो अपने लिए मेलबोर्न से पानी मंगवाते थे ताकि भारत का पानी पीने से उनका पेट खराब न हो जाए। अमरीकियों के नखरे तो और भी अलग थे। लेकिन, कोरोना संक्रमण के दौरान अमेरिका ने जब अपने देश के लोगों को दिल्ली से वापिस बुलाने 800 सीटर प्लेन इंडिया भेजा तो मुश्किल से दस फीसदी लोग वापिस जाने की सहमति दी। 90 परसेंट ने कह दिया, हम इंडिया में सेफ हैं। और यह भी, उसी सुपरपावर अमेरिका को दुनिया ने हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन टेबलेट के लिए भारत से रिरियाते, गुस्साते भी देखा। कोरोना के खौफ और निगेटिविटी के बीच ये घटनाएं लोगों में आशा की किरण जगाते हैं। आखिर, यह मानने वालों की कमी नहीं है कि कोरोना के बाद वर्ल्ड बदलेगा। अमेरिका में अभी ही 30 लाख नौकरियां चली गई हैं। कोरोना में अगर बड़े देशों की बात करें तो सिर्फ इंडिया ही है जो सब से कम प्रभावित हुआ है। कोरोना के बाद जाहिर है, यूरोपीय देश गुस्से में चाइना को बॉय-बॉय कर देंगे। तब भारत दुनिया का एक अहम कारोबारी केंद्र बन सकता है।

आईएएस और मजदूर

दूसरे राज्यों में फंसे छात्रों और मजदूरों को वापिस बुलाने पर सिर्फ टीवी चैनलों में ही डिबेट नहीं चल रहा। छत्तीसगढ़ के आईएएस अफसरों के सोशल मीडिया ग्रुपों में अफसर अपने-अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। यूपी गवर्नमेंट के कोटा से छात्रों को वापिस बुलाने पर कुछ अधिकारियों ने वाजिब ठहराया तो कुछ अफसरों ने मजदूरों की हिमायत करते हुए बेबाकी से अपनी राय व्यक्त की। चलिये, अच्छी बात है। अब उच्च स्तर पर मजदूरों की बातें भी होने लगी है। वरना, देश के मजदूर, श्रमिक कभी चर्चा के विषय नहीं रहे। देश के मजदूर सिर्फ वोट और राजनीति के विषय रहे हैं। कोरोना में आए बदलाव का ये असर है….।

चर्चित ब्यूरोक्रेट्स

भारत सरकार में ऐसा कोई नौकरशाह नहीं होगा, जिसे पूरा देश जानता हो। देश-दुनिया की खबर रखने वाले चुनिंदा लोग कैबिनेट सिकरेट्री, होम सिकरेट्री जैसे दो-एक अफसरों के नामों से जरूर वाकिफ होंगे। बाकी आम आदमी नहीं। लेकिन, कोरोना में केंद्र के दो आईएएस अफसरों का चेहरा जनमानस में बैठ गया है। इनमें सबसे उपर हैं स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वाइंट सिकेरट्री लव अग्रवाल। और सेकेंड, गृह मंत्रालय की ज्वाइंट सिकरेट्री पुण्य सलिला श्रीवास्तव। खासकर, लव अग्रवाल का नाम एकदम जाना-पहचाना हो गया है। देश में कोरोना का जब से संक्रमण बढ़ा है, वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता के तौर पर नियमित शाम को टेलीविजन स्क्रीन पर आते हैं। चूकि, उनके पास देश के विभिन्न राज्यों का अधिकृत आंकड़े होते हैं, लिहाजा लोग उनका वेट करते रहते हैं। आलम तो ये….लोग इन दिनों आपस की चर्चाओं में लव अग्रवल की बात करने लगे हैं….वो लव अग्रवाल ने आज बताया।

मुश्किल में सांसद

कोरोना के लिए सांसद निधि से एक करोड़ रुपए देने की घोषणा कर छत्तीसगढ़ से राज्य सभा सदस्य छाया वर्मा मुश्किल में फंस गईं हैं। कोरोना के मद्देनजर भारत सरकार ने दो साल के लिए सांसद निधि पर बैन लगा दिया है। इससे पहिले छाया वर्मा ने मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपए देने का ऐलान कर दिया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि छाया वर्मा एक करोड़ देंगी या….?

नारी शक्ति

यह एक संयोग हो सकता है कि छत्तीसगढ़ की हेल्थ सिकरेट्री निहारिका बारिक सिंह, एनआरएचएम की डायरेक्टर डॉ0 प्रियंका शुक्ला, सर्वाधिक कोरोना प्रभावित जिले की कलेक्टर किरण कौशल और सर्वाधिक कोरोना प्रभावित तहसील की एसडीएम सूर्यमणि अग्रवाल चारों महिला हैं। किन्तु यह सही है कि कोरोना के फ्रंट पर सबसे अधिक यही जूझ रही हैं। इनमें जाहिर तौर पर उपर की तीन महिलाएं आईएएस हैं। कटघोरा की संकरी गलियों में जब सरकारी अमला बिना पीपीई किट के जाने में घबरा रहे था, तब ये महिला अफसर अपनी और अपने छोटे बच्चों की परवाह किए बगैर वहां डटी हुई थीं।

छोटा जिला, बड़ा काम

सूरजपुर बोले तो छोटा जिला….आईएएस अफसरों की फर्स्ट कलेक्टरी वाला। इस जिले के कलेक्टर दीपक सोनी कोरोना के दौरान लोगों को टेलीमेडिसिन सुविधा शुरू करने में सबसे आगे निकल गए हैं। सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर इस योजना की प्लानिंग बनी और दीपक ने अपने जिले में इसे र्स्टाट कर दिया। सूरजपुर में दीपक कई ऐसे अनोखे काम कर रहे हैं, जो दूसरे जिलों के लिए नजीर बन सकते हैं। दीपक 2011 बैच के आईएएस हैं। रायपुर में जिपं सीईओ थे। भूपेश सरकार ने उन्हें पहली कलेक्टर करने सूरजपुर भेजा।

लेटर वार!

छत्तीसगढ़ में कोरोना के पैरेलेल सियासतदानों में लेटर वार भी चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह ने कोरोना के प्रबंधन में सरकार के फैसलों पर सवाल उठाए तो सीएम के मीडिया सलाहकार रुचिर गर्ग ने उसका जवाब दिया। इसके बाद एक्स सीएम की ओर से पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी और भाजपा मीडिया सेल के पंकज झा ने कमान संभाली। दोनों ने रुचिर के पत्र का जवाब दिया। सत्ताधारी पार्टी की ओर से ओपी चौधरी के लेटर का जवाब मीडिया सेल के प्रमुख शैलेष नीतिन त्रिवेदी ने दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि लेटर वार यहीं पर एंड हो जाएगा या बीजेपी खेमे से शैलेष के पत्र का जवाब आएगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. क्या लॉकडाउन खुलने के बाद मंत्रालय के कुछ विभागों में सिकरेट्री लेवल पर बदलाव होगा?
2. क्या दिल्ली की तरह छत्तीसगढ़ में मंत्रियों के खटराल पीए पर अब ध्यान रखा जाएगा?

मंत्री बंगलों में कैद

संजय कुमार दीक्षित
तरकश, 12 अप्रैल 2020
फूल-मालाओं…जिंदाबाद…कार्यकर्ताओं से घिरे रहने वाले नेताओं की हालत इस समय मत पूछिए! लॉकडाउन में बेचारे बंगले में कैद जैसा हो गए हैं। आम आदमी तो पुलिस से लुका छिपी करके एकाध चक्कर लगाकर आ जा रहा। मगर सोशल मीडिया के युग में बड़े नेताजी या मंत्री लोग ये भी नहीं कर सकते। मिनटों में उनकी पिक वायरल हो जाएगी। पता चला है, तीन मंत्रियों की तबियत नासाज रहने लगी है। शुगर और रक्तचाप बढ़ गया है। क्या करें बेचारे, मंत्री बनने का अभी ठीक से मजा भी नहीं ले पाए थे कि कोरोना आ गया। नेता को क्या चाहिए….पब्लिक और मीडिया में स्पेस। और, वही नहीं है। काश! डिस्टेंस मेंटेन करने वाली बीमारी नहीं होती तो मंत्रीजी, नेताजी लोग दाल, चावल, फल-फू्रट बांटते घूम-घूमकर फोटो खींचवा रहे होते। मगर वो भी मयस्सर नहीं। उपर से जो जहां, जिस हालत में फंसा है, वो वहां से हिल नहीं पा रहा। जो मंत्री रायपुर में हैं, वे अपने क्षेत्र नहीं जा पा रहे और जो अपने क्षेत्र में हैं, वे वहीं सिमटकर रह गए हैं। ठीक मुंह से बात नहीं करने वाले मंत्रियों को सुबह से देखते-देखते शाम हो जाती है, कोई मिलने वाला नहीं होता। क्या दिन थे…क्या हो गए।

अफसरों का हाल जुदा नहीं

अफसरों का हाल भी मंत्रियों से जुदा नहीं है। खासकर, नौकरशाहों का। हेल्थ जैसे दो-एक आवश्यक सेवाओं वाले विभागों के अफसरों को छोड़ दें तो सबको घरवालियों के साथ किच-किच का सामना करना पड़ रहा है। वो भी जमाना था….आफिस में बिना हाट-हूट किए कुछ अधिकारियों को चैन नहीं मिलता था….मिलने आई पब्लिक या छोटे मुलाजिम को वेट नहीं कराया तो अफसर काहे का। मगर अब लॉकडाउन में किस पर रौब झाड़े, किसको घंटी बजाकर बुलाए…इंटरकॉम पर पीए की कैसे क्लास लें। न प्यून है, न पीए और न पब्लिक। घर में बैठे-बैठे अब हालत ये हो गई है कि लॉकडाउन जब खुलेगा तो दो-चार दिन आफिस से घर नहीं आएंगे…आफिस में ही सो जाएंगे।

फिजिकल डिस्टेंस

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 10 अप्रैल को मीडिया के साथ बातचीत में फिजिकल डिस्टेंस पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अब सोशल डिस्टेंस से काम नहीं चलेगा। दाउ को शायद मालूम नहीं, लॉकडाउन में घरों में स्वयमेव फिजिकल डिस्टेंस के हालात बन गए हैं। पहले तीन-चार दिन होली की छुट्टी रही…फिर 24 से लॉकडाउन। महीना भर आदमी घर में बैठ जाए, तो वही होगा….पति एक कमरे में सोएगा तो पत्नी दूसरे कमरे में। लॉकडाउन के बाद घरों में दो-चार दिन पिकनिक जैसी स्थिति रही। लेकिन, परिवार के सदस्यों के बीच बातचीत का टॉपिक भी खतम हो गया है। पुराने कलेवर के रामायण, महाभारत में भी लोगों को मजा नहीं आ रहा। ऐसे में, बच गई है सिर्फ खामोशी और चेहरे लटकाए हुए…वही सुबह होती है, शाम होती है।

पुलिस में कमाल की पोस्टिंग

छत्तीसगढ़ पुलिस की पोस्टिंग किस तरह होती है, पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे….राजधानी रायपुर में सात-सात एडिशनल एसपी हैं। बिलासपुर में आधा दर्जन। जांजगीर में एक पोस्ट पर दो एडिशनल एसपी। ऐसे में, आपको लगेगा कि देश के सर्वाधिक माओवाद प्रभावित बस्तर के एक-एक जिलों में तो चार-चार, पांच-पांच एडिशनल एसपी तो होंगे ही। पर आपका भ्रम टूट जाएगा। दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर, जहां एक तरह से कहा जाएं तो युद्ध के हालात हैं, वहां आज की तारीफ में एक भी एडिशनल एसपी नहीं हैं। दंतेवाड़ा में जनवरी से पद खाली है। पिछले हफ्ते सरकार ने एक की पोस्टिंग की है। लेकिन, उन्होंने अभी ज्वाईन नहीं किया है। और, अब जरा सुकमा और बीजापुर का सुन लीजिए….दोनों जिलों में आरआई से प्रमोट हुए अधिकारियों को एडिशनल एसपी बनाया गया है। आरआई बोले तो पुलिस का इंतजाम अली। वह पुलिस लाइन में रहकर लाइन का काम देखता है। फील्ड ड्यूटी का उसे कोई अनुभव नहीं होता। सुकमा में 17 जवानों के शहीद होने के बाद भी पुलिस महकमे ने वहां के सेटअप की सुध लेने की जरूरत नहीं समझी। सुकमा में एसपी के पास अगर रेगुलर एडिशनल एसपी के रूप में हैंड होता तो हो सकता था कि 21 मार्च को सीआरपीएफ के साथ कोआर्डिनेट करके मौके पर कोबरा बटालियन को भेज दिया जाता। ऐसे में, इतना बड़ा नुकसान नहीं होता।

जुगाड़ की पोस्टिंग

पुलिस के लिए सबसे कम काम और बिना जोखिम कमाई वाला कोई जिला है तो वह है जांजगीर। जांजगीर में 16 डीएसपी पोस्टेड हैं। एक जिले का यह रिकार्ड होगा। इतने तो रायपुर, बिलासपुर में नहीं हैं। यही नहीं….एक पोस्ट पर दो-दो। एडिशनल एसपी के एक पद पर दो अफसर बैठा ही है, जांजगीर में डबल एसडीओपी हो गए हैं। पता नहीं, एक का तनख्वाह कहां से निकालते होंगे। खैर, जुगाड़ में अगर पोस्टिंग हो सकती है तो वेतन क्यों नहीं?

कलेक्टर का अंग्रेजी प्रेम

सूबे के एक कलेक्टर साब कोरोना में अंग्रेजी सीख रहे हैं। उनके लिए लॉकडाउन में भी 17 किलोमीटर दूर से एक अंग्रेजी ट्यूटर आता है। कलेक्टर साब की सरकारी गाड़ी ट्यूटर को लेने जाती है फिर छोड़ने। खैर, कलेक्टर के लिए लॉकडाउन में ट्यूटर…..यह सामान्य बात है। खास बात यह है कि कलेक्टर जरा रंग-बिरंगे स्वाभाव वाले हैं। उनका एक अतिप्रिय डिप्टी कलेक्टर हैं। मेल-मुलाकात, दौरा फ्रिक्वेंटली जारी रहे इसलिए कलेक्टर ने उन्हें एसडीएम अपाइंट कर लिया है। एसडीएम को अच्छी अंग्रेजी आती है। एसडीएम से इंस्पायर होकर कलेक्टर ने अंग्रेजी सीखने शुरू कर दिया है। तो ये है अंग्रेजी सीखने की वजह।

कमिश्नर के घर बंधक?

सोशल डिस्टेंस के फेर में काम करने वाले नौकर-चाकर, रसोइये को लोगों ने छुट्टी दे दी है या फिर वे खुद ही आना बंद कर दिए हैं। ऐसे में, बड़े लोगों की दिक्कतें बढ़ गई है। अपर मीडिल क्लास के लोग एकाध काम करने या खाना बनाने वाले को घर में ही रुका लिए हैं। लेकिन, सरकारी सुख-सुविधाओं में रहने वाले ऐसे लोग जिनका काम एक-दो से नहीं चलने वाला, उन्हें काफी दिक्कतें हो रही हैं। सूबे के एक डिविजनल कमिश्नर के यहां भी एक एक काम करने वाले की बंधक जैसी स्थिति हो गई है। पता चला है, सर्वेंट के घर वालों ने पुलिस से इस बारे में फरियाद की है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस जिले के पुलिस अधीक्षक का भाई उधारी में ट्रैक्टर खरीदकर यूपी चला गया और अब एजेंसी वाला पैसे के लिए चक्कर लगा रहा?
2. किस मंत्री के पीए से मंत्री की कुर्सी चले जाने का खतरा पैदा हो गया है?

छत्तीसगढ़ का आईएएस

5 अप्रैल 2020
कोरोना संकट के दौर में छत्तीसगढ़ के लोगों को ये खबर सुकून दे सकती है कि देश में सेनेटाईजर्स की आपूर्ति निर्बाध जारी रखने में अपने सूबे के एक आईएएस अधिकारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दरअसल, फरवरी लास्ट में देश में कोरोना ने पांव फैलाने शुरू किए तो देश में सेनेटाईजर्स का शार्टेज होने लगा। सबकी चिंता यही थी कि व्यापक पैमाने पर सप्लाई के लिए सेनेटाईजर्स का प्रोडक्शन कैसे बढ़ाया जाए। भारत सरकार ने इनिशियेटिव लिया….डिस्टीलरी समेत अन्य यूनिटों को सेनेटाईजर्स बनाने का लायसेंस दिया जाए। इसका जिम्मा इसी जनवरी में डेपुटेशन पर भारत सरकार गए सुबोध सिंह को सौंपा गया। सुबोध सिंह ने चार दिन के भीतर न केवल रुल-रेगुलेशन बना दिया बल्कि, सभी राज्यों से कोआर्डिनेट किया कि जितना जल्दी हो सके, अपने राज्यों के डिस्टलरी को लायसेंस प्रदान कर दें। नतीजा हुआ कि 150 डिस्टीलरीज में सेनेटाईजर्स बनाने का काम प्रारंभ हो गया। इसके अलावा देश के 750 अन्य यूनिटों में भी सेनेटाईजर बनने लगे। यही वजह है कि सेनेटाइजर्स का शार्टेज नहीं पड़ा। सामान्यतया देश में प्रति महीने डेढ़ से दो लाख लीटर सेनेटाइजर का प्रोडक्शन होता था। मगर अब हर रोज 10 लाख लीटर सेनेटाईजर बनाने की क्षमता हो गई है। जाहिर है, सुबोध रिजल्ट देने वाले आईएएस माने जाते हैं।

वीसी पर बैन

अब कोई सिकरेट्री कलेक्टरों से वीडियोकांफ्रेंसिंग नहीं कर सकेगा। सरकार ने इस पर रोक लगा दी है। चीफ सिकरेट्री आफिस ने इस बारे में आदेश निकाल दिया है। आदेश में दो टूक कहा गया है कि मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव की अनुमति के बगैर कोई सचिव कमिश्नर्स, कलेक्टर्स की वीसी नहीं लेगा। हालांकि, ये आदेश पहले से था। सीएम, सीएस के अलावे कोई और अधिकारी कलेक्टर, एसपी की वीसी नहीं लेता था। न ही कांफ्रेंस होती थी। साल में एक से दो बार कलेक्टर, एसपी कांफ्रेंस होती थी। सरकार ने अब फिर से इस आदेश को निकाला है कोई बात तो होगी ही।

कलेक्टरों पर लोड!

पहले कलेक्टरांं को अपने हिसाब से काम करने की आजादी थी। मसूरी में इसकी ट्रेनिंग भी मिलती है। यही वजह है कि लगभग हर कलेक्टर कोई-न-कोई एक अलग काम करने का प्रयास करता था। लेकिन, अबके दौर में काम कम, मीटिंग, वीसी ज्यादा होने लगी है। उपर से सिकरेट्री का छोटे-छोटे काम के फोन। पिछली सरकार से ही ये शुरू हुआ है….जिस काम के लिए अपने विभागीय अधिकारियों से बात की जा सकती थी, उसके लिए सिकरेट्री कलेक्टरों को फोन खड़का देते हैं। जबकि, सिस्टम में कलेक्टर्स को सीधे मुख्यमंत्री के अधीन किया गया है, क्योंकि, वह स्वतंत्र होकर काम कर सकें। प्रशासनिक मुखिया होने के नाते सिर्फ चीफ सिकरेट्री को यह सीएम से अधिकार मिला हुआ है कि वे कलेक्टर समेत किसी भी आईएएस से संवाद कर सकते हैं। एक कलेक्टर 15 लाख, 20 लाख लोगों का मुखिया होता है। सरकार की तमाम योजनाओं का क्रियान्वयन कराने के साथ ही उसके पास डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी भी होती है। समझा जा सकता है, अनावश्यक लोड बढ़ाने में वह काम कैसे कर पाएगा?

जीपीएम बोले तो…

छत्तीसगढ़ का जीपीएम जिला…..अधिकांश लोग यह नाम पढ़कर चौंकेंगे….अभी तक राजस्व जिला, पुलिस जिला होता था, ये जीपीएम जिला कहां से आ गया। दरअसल, जीपीएम छत्तीसगढ़ के नया जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही का शर्ट नेम है। सरकारी पत्रों में भी लंबे नाम की जगह जीपीएम लिखा जा रहा है। वैसे भी, राजनीतिक कारणों की वजह से सही, नाम कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया। तीन अलग-अलग जगहों के नाम वाला जिला शायद देश में कहीं और नहीं होगा। जीपीएम नाम ठीक भी है। छत्तीसगढ़ में दो शहरों के नामों को मिलाकर जिन जिलों का नामकरण किया गया, उनमें उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। वह जांजगीर-चांपा हो या बलौदा बाजार-भाटापारा। चांपा और भाटापारा के लोगों का शिकायत रहती है कि बोलचाल में लोग जांजगीर और बलौदा बाजार ही लोग कहते हैं।

सबसे बड़ा विभाग

कोरोना में छत्तीसगढ़ का हेल्थ विभाग अभी सबसे बड़ा विभाग बन गया है। इसमें पोस्ट होने वाले आईएएस अफसरों की संख्या नौ पहुंच गई है। सिकरेट्री निहारिका बारिक, एमडी मेडिकल कारपोरेशन भूवनेश यादव, एमडी एनआरएचएम डॉ0 प्रियंका शुक्ला और डायरेक्टर नीरज बंसोड़ पहले से थे। इनके अलावा कोरोना के लिए आईएएस राजेश टोप्पो, भास्कर विलास संदीपन, प्रभात मलिक, अभिजीत सिंह और राहुल वेंकट ओएसडी अपाइंट किए गए हैं। जाहिर है, हेल्थ अभी टॉप प्रायरिटी पर है। मंत्रालय अभी क्लोज है। इसलिए, सर्किट हाउस को हेल्थ विभाग का कैम्प आफिस बनाया गया है। यहीं से कोरोना की मानिटरिंग हो रही है।

राजेश की वापसी

2005 बैच के आईएएस राजेश टोप्पो की 15 महीने बाद सिस्टम में वापसी हुई। सरकार ने उन्हें ओएसडी हेल्थ बनाया है। इसके साथ ही उन्हें कोरोना के लिए बनी क्रय समिति के चेयरमैन का दायित्व सौंपा गया है।

टीम 28 और कोरोना

छत्तीसगढ़ में इंकम टैक्स की दबिश के बाद खुफिया पुलिस ने अपने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए टीम 28 बनाई। इनमें प्रदेश भर से छांटकर जमीनी पकड़ वाले इंस्पेक्टर, सब इस्पेक्टर, हवलदार, सिपाही को शामिल किया गया। लेकिन, 14 मार्च को टीम 28 का आदेश निकला और इसके जस्ट बाद कोरोना आ गया। ऐसे में, टीम 28 की ड्यूटी कोरोना कंट्रोल रुम में लगा दी गई है। वैसे भी इस समय सारा कुछ ठप है तो वे इंटेलिजेंस इनपुट क्या देंगे।

आईपीएस पिछड़े

सूबे में एसपी से लेकर आईजी, डीजी तक के आईपीएस अधिकारियों का प्रमोशन लटका हुआ है। लेकिन, हवलदार, एसआई बाजी मार ले गए। डीजीपी डीएम अवस्थी ने उनका प्रमोशन आर्डर जारी कर दिया। हालांकि, ये ठीक भी है। कोरोना में दिन-रात ड्यूट बजा रही पुलिस का इससे मनोबल बढ़ेगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रायपुर मेडिकल कॉलेज की डीन डा0 आभा सिंह का ट्रांसफर आर्डर 24 घंटे में ही कैसे बदल गया?
2. क्या सांसद और विधायक निधि की राशि को पीएम और सीएम रिलीफ फंड में देना वाजिब है?

विदेश का क्रेज और कोरोना-1…तरकश के तीर

29 मार्च 2020
छत्तीसगढ़ से करीब ढाई हजार स्टूडेंट्स विदेशों में पढ़ते हैं। उनके अलावा छत्तीसगढ़ से इस बार लगभग 400 लोग होली मनाने दुबई, लंदन, हांगकांड और इटली गए थे। ये सभी अब छत्तीसगढ लौट चुके हैं। ट्रेवल एजेंसियों के जिम्मेदार लोग बताते हैं, होली में छत्तीसगढ़ से 12 सौ से 15 सौ लोग विदेश जाते हैं। कोरोना के चलते ये संख्या इस बार तिहाई में रही। बावजूद इसके, इन चार सौ लोगों का होली में फॉरेन जाना दुःसाहस नहीं है? ऐसे समय में जब इंडिया में कोरोना का दस्तक हो चुका था। अबकी होली में भी कोरोना का असर दिखा भी। लेकिन, ये 400 लोग फॉरेन का मोह नहीं छोड़ पाए। वैसे, अब सिर्फ और सिर्फ स्टेट्स सिंबल के लिए बच्चों को लंदन में पढ़ाने वाले लोगों को अब विचार करना चाहिए। ये ढाई हजार बच्चे ऐसे नहीं हैं, जो कैट और जीमेट क्लियर करके विलायत गए हैं। या फिर कैंब्रिज अथवा हार्वर्ड में पढ़ रहे हों। ये केवल पैसे के जोर पर वहां दाखिला लिए हैं। कोरोना के चलते छत्तीसगढ़ में जितने लोग क्वारंटाइन किए गए हैं, उनमें से अधिकांश लोग विदेश से लौटे हुए हैं। ऐसे में, विदेश प्रेम पर प्रश्न तो उठेंगे ही।

विदेश का क्रेज और कोरोना-2

बेटों को विलायत में पढ़ाने का क्र्रेज लोगों में किस कदर सिर चढ़कर बोल रहा है कि दो परिवारों को कोरोना में क्वारंटाइन होना पड़ गया। यह मामला राजधानी के एक पार्षद के परिवार से जुड़ा है। कुछ दिन पहले तक बीजेपी में रहे ठेकेदार पार्षद ने अपने बेटे को विलायत भेजा तो घर में बवाल मच गया। छोटे भाई की पत्नी ने छत को सिर पर उठा लिया कि मेरा बेटा भी लंदन जाएगा। पार्षद ने भतीजे को भी विलायत भेज कर घर का महाभारत शांत कराया। लेकिन, अब दोनों को विलायत से भाग कर रायपुर आना पड़ा है। दोनों फेमिली अब क्वारंटाइन में हैं।

सीएम सचिवालय प्रभावशाली

किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री सचिवालय ताकतवर होता है। वो सिर्फ इसलिए नहीं कि सारी अहम फाइलें सचिवालय के अफसरों से होते हुए सीएम तक पहुंचती हैं। बल्कि, इसलिए भी क्योंकि वहां जो भी अफसर होते हैं, वे सीएम के बेहद भरोसेमंद होते हैं। हाल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एसीएस बनाए गए सुब्रत साहू ने भी अब आगे बढ़कर मोर्चा संभाल लिया है। वे अफसरों के साथ वीडियोकांफ्रेंसिंग कर रहे, तो कोरोना से बचाव के लिए अधिकारियों के साथ मंथन भी। ब्यूरोक्रेसी के लिए भी ये राहत की बात है। आखिर, आईएएस राजेश टोप्पो को पोस्टिंग मिल गई। वे 15 महीने से बिना पोस्टिंग के रहे। इससे नौकरशाही में पॉजीटिव मैसेज गया है।

फोन पर सीएम

18 घंटे काम करने वाले मुख्यमंत्री को कोरोना के चलते अगर घर में कैद हो जाना पड़े, तो जाहिर है आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि इन दिनों उनका टाईम पास कैसे हो रहा होगा। पता चला है, सीएम भूपेश बघेल इस समय का भी बखूबी उपयोग कर रहे हैं। वे कार्यकर्ताओं और परिचितों से सीधे फोन लगाकर सरकार की योजनाओं पर फीडबैक ले रहे हैं। भूपेश न केवल फोन कर रहे बल्कि वे कॉल रिसीव भी कर रहे। कल दोपहर भिलाई के एक कार्यकर्ता ने उन्हें मोबाइल पर सब्जियों के रेट अनाप-शनाप होने की बात साझा की तो उन्होंने वीडियोकांफें्रसिंग में कलेक्टरों को निर्देश दे दिया कि किसी भी सूरत में आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी नहीं होना चाहिए। एक किसान ने उन्हें तरबूज की फसल के लिए फोन किया…तरबूज तैयार है मगर ढुलाई की व्यवस्था नहीं हो रही, उन्होंने तुरंत अफसरों को निर्देश दिए।

पुलिस की चुनौती

लॉकडाउन में पुलिस की चुनौती बढ़ गई है। सीएस आरपी मंडल ने अपने वीडियोकांफ्रेंसिंग में आईजी और एसपी से स्पष्ट तौर पर कहा कि परीक्षा की घड़ी है…संयम से काम लें, आम आदमी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। डीजीपी ने शाम को आदेश निकाल दिया, लोगों के साथ दुर्व्यवहार होने पर एएसपी और सीएसपी पर कार्रवाई होगी। उधर, लोग अभी भी घरों से निकलने से रुक नहीं रहे। वास्तव में, ये पुलिस के लिए कठिन समय है। बल प्रयोग भी नहीं करना है और लॉकडाउन को सफल भी। वो भी कोरोना के खतरे के बीच।

चिंताजनक स्थिति

राज्य बनने के बाद यह पहली बार हुआ नक्सलियों ने वीडियो बनाकर अपनी ताकत की नुमाइश की। सुकमा हमले में मारे गए तीन नक्सलियों का अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर शवयात्रा निकाली। वो भी बिना चेहरा छिपाए। शवयात्रा में बड़ी संख्या में महिला नक्सली शामिल थीं। नक्सलियों ने तीनों माओवादियों के अंतिम संस्कार का वीडियो भी बनाया। राज्य सरकार और राज्य पुलिस के लिए यह चिंता की बात हो सकती है। क्योंकि, नक्सलियों का यह कृत्य एक तरह से कहें तो सिस्टम को ललकारना ही हुआ।

श्रवण का डिमोशन?

आईपीएस डी श्रवण को सरकार ने मुंगेली का एसपी बनाया है। श्रवण कोरबा और बस्तर जैसे बड़े जिले के एसपी रह चुके हैं। और, ढाई ब्लॉक का जिला मुंगेली आमतौर पर किसी आईपीएस के लिए पहला जिला होता है। श्रवण का डिमोशन क्यों किया गया, आईपीएस बिरादरी में ये सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, आईपीएस की फेरबदल से राजधानी में डंप किए गए कई आईपीएस को काफी उम्मीदें थीं। लेकिन, वे फिर चूक गए। कोरबा में मीणा को मीणा ने रिप्लेस किया। जीतेंद्र मीणा हटे तो उनकी जगह अभिषेक मीणा ने ली।

अंत में दो सवाल आपसे

1. छत्तीसगढ़ के कितने नेताओं और नौकरशाहों के बच्चे विदेशों में तालिम हासिल कर रहे होंगे?
2. आईपीएस की डीपीसी न होने से क्या पुलिस महकमे की वर्किंग पर उसका प्रभाव पड़ रहा है?