शनिवार, 25 अप्रैल 2015

तरकश, 26 अप्रैल

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15 के बाद

रमन मंत्रिमंडल का बहुप्रतीक्षित फेरबदल और तीन नए मंत्रियों की ताजपोशी अब अगले महीने तक के लिए टल गई है। इसकी वजह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की व्यस्तता बताई जाती है। 25 अप्रैल की रात सीएम की शाह से इस संदर्भ में मुलाकात होनी थी। शाह से हरी झंडी मिलने के बाद संभवतः 27 या 28 अप्रैल को नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण होता। लेकिन, ऐसा नहीं हो पाया। शाह से मुलाकात न होने के कारण ही सीएम 25 अप्रैल की शाम ही दिल्ली से लौट आए। संकेत है, अब लोक सुराज अभियान के बाद याने 15 मई के बाद ही अब मंत्रिमंडल का पुनर्गठन हो पाएगा।

पैरेलेल पीसीसी

अभी तक विधायक रेणु जोगी और अमित जोगी ने रायपुर में सरकारी घर नहीं लिया था। वे अजीत जोगी को आबंटित अनुग्रह में ही रहते थे। मगर अब रेणु जोगी ने अपने लिए बंगला अलाट करा लिया है। जोगी के सागौन बंगले से लगभग सटा हुआ। लेकिन, इसका मतलब आप ये मत समझिए कि जोगी दंपति में कोई ऐसी-वैसी बात हो गई है और मैडम अब जोगीजी से अलग अपने नए आशियाने में रहेंगी। असल में, पूर्व मुख्यमंत्री और दो-दो विधायक के हिसाब से अनुग्रह छोटा पड़ रहा था। फिर, भूपेश बघेल के पीसीसी चीफ बनने के बाद तो प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से जोगी के संबंध खतम ही हो गए हैं। सो, जोगी बंगले को इस रूप में तैयार किया जा रहा, जिससे वो सुविधाओं के मामले में पीसीसी से कम न लगे। अनुग्रह में हाईटेक कार्यालय बनाया जा रहा है। पीसीसी से भी बढि़यां मीडिया सेंटर होगा। मीडियाकर्मियों के लिए यहां न्यूज भेजने के लिए कंप्यूटर और नेट की सुविधा रहेगी। वातानुकूलित कमरे होंगे। विधायकों और बड़े नेताओं के लिए भी इसमें व्यवस्था रहेगी। याने अनुग्रह से अब पैरेलेल कांग्रेस चलेगी।

भूपेश की चुनौती

पीसीसी चीफ भूपेश बघेल की चुनौती अब उनका तकियाकलाम बनता जा रहा है। शायद ही कोई ऐसा दिन होगा, जो बिना चुनौती कि गुजरा हो। कभी रमन सिंह को, कभी अजीत जोगी को, तो कभी पुलिस को। मुख्यमंत्री को नान की डायरी को सदन मे ंरखने की चुनौती। अजीत जोगी को नान के इश्यू पर बोलने की चुनौती। लोक सुराज अभियान चालू होने पर भूपेश ने कहा, मैं चुनौती देता हूं कि रमन सिंह नक्सल इलाके में बिना सुरक्षा के जाकर दिखाए, मैं….रमन सिंह मेरे साथ गाड़ी में बस्तर चलकर दिखाए, मैं….भूूमि अधिग्रहण बिल पर श्वेत पत्र जारी करें, मैं…..भूमि अधिग्रहण बिल पर रमन सिंह मेरे साथ बहस करें, मैं…..पुलिस मारे गए 35 नक्सलियों की बाडी बरामद कर बताए। भूपेश की चुनौती पर अब कांग्रेस भवन में भी मजे लिए जा रहे हैं….देखना अपना भूपेश भैया आज किसको चुनौती देते हंै।

डीजी पारा

राजधानी के न्यू शांति नगर में नेता प्रतिपक्ष के बंगले से लगा अफसरों का एक छोटा कैम्पस है। इनमें अधिकांश आईपीएस रहते हैं। खासतौर से डीजी या पूर्व डीजी। दिवंगत डीजी ओपी राठौर से इसकी शुरूआत हुई थी। विश्वरंजन भी वहीं रहे। अनिल नवानी भी। उसके बाद गिरधारी नायक और अबके डीजी एएन उपध्याय भी वहीं रहते हैं। यही वजह है कि पुलिस महकमे में वह डीजी पारा के नाम से जाना जाने लगा है। अपवाद के तौर पर रामनिवास को छोड़ दे ंतो पुलिस महकमे में माना जाता है कि डीजी पारा में रहने वाला अफसर ही सूबे का डीजीपी बनता है। ऐसे में, आरके विज अगर डीजी पारा में रहने आए हैं तो उनके लोग मजे लेंगे ही। 88 बैच के आईपीएस विज एडिशनल डीजी हैं। पिछले 15 साल से वे भिलाई से अप-डाउन कर रहे थे। सो, उनकी बिरादरी में चुटकी ली जा रही……डीजी बनने के लिए तो विज कहीं डीजी पारा में नहीं आ गए हैं।

छुपे रुस्तम

दिल्ली में 24 अप्रैल को पंचायत दिवस पर प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के साथ अपने पंचायत मिनिस्टर अजय चंद्राकर को जिसने भी देखा, कहा, चंद्राकरजी तो छुपे रुस्तम निकले। दरअसल, चंद्राकर ई-पंचायत का राष्ट्रीय पुरस्कार ग्रहण करने गए थे। प्रधानमंत्री ने दीगर राज्यों के पंचायत मंत्रियों की ओर ध्यान नहीं दिया मगर चंद्राकर जैसे ही मंच पर आए, मोदी ने उनके कंधे पर हाथ रखकर कहा, कैसे हो? ठीक है! यही नहीं, मोदी ने छत्तीसगढ़ में पंचायत विभाग के बेहतर काम की तारीफ भी की। अब मोदी जैसे प्राइम मिनिस्टर किसी मंत्री के कंधे पर हाथ रख दें तो सत्ता के गलियारों में तो चर्चा होगी ही। अभी तक राज्य के दो मंत्रियों को ही मोदी जानते थे…..चाहे जिस रूप में हो। एक बृजमोहन अग्रवाल और दूसरे अमर अग्रवाल। सबसे अधिक अमर को। क्योंकि, तबके प्रचारक मोदी के लखीराम अग्रवाल के साथ व्यक्तिगत रिश्ते थे। मोदी कई बार लखीराम के खरसिया और बिलासपुर के घर पर रुक चुके हैं। यहीं नहीं, नवंबर 2000 में नेता प्रतिपक्ष के चुनाव के समय एकात्म परिसर में जब तोड़फोड़ एवं आगजनी हुई थी, तो लखीराम ने ही उन्हें प्रोटेक्ट किया था। बहरहाल, बीजेपी के लोग भी जानना चाह रहे हैं कि कुरुद में पले-बढ़े चंद्राकर ने आखिर कौन-सी गोटी फीट कर ली।

नया अफसर, नया तेवर

प्रधानमंत्री कार्यालय में एक दशक से भी अधिक समय तक काम करके लौटे प्रिंसिपल सिकरेट्री होम एंड ट्रांसपोर्ट बीवीआर सुब्रमण्यिम ने अपनी अलग कार्यशैली से विभाग का ध्यान अपनी ओर खींचा है। उन्हें पहले से पता है कि प्रदूषण के मामले में रायपुर देश के चंद शहरों में शामिल है। सो, उन्होंने कोशिश शुरू की है कि कम-से-कम गाडि़यों का प्रदूषण ही कम हो जाए। इसके लिए गाडि़यों में पौल्यूशन की जांच अनिवार्य किया जा रहा है। पेट्रोल पंपों को जल्द ही निर्देश जारी किए जाएंगे कि बिना पौल्यूशन अंडर कंट्रोल के लेवल चस्पा के वाहनों को फ्यूल न दिया जाए। अफसरों का मानना है कि इससे 50 फीसदी से अधिक व्हीकल पौल्यूशन कंट्रोल हो जाएगा।

पीएम सिक्यूरिटी

छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस विवेकानंद सिनहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिक्यूरिटी में हैं। हाल के फ्रांस और कनाडा दौरे में वे पीएम के साथ थे। विवेकानंद राजनांदगांव, बस्तर और बिलासपुर के एसपी रह चुके हैं। डीआईजी बनने के बाद वे कुछ दिनों तक पुलिस मुख्यालय में भी रहे। 2013 में वे डेपुटेशन पर देश की सबसे बड़ी सुरक्षा एजेंसी एसपीजी में गए थे।

हफ्ते का व्हाट्सअप

मोदी सरकार को शराब का रेट दोगुना कर देना चाहिए! और, आधा पैसा पीने वाले की पत्नी के एकाउंट में सब्सिडी के रूप में वापिस कर देना चाहिए। इसके दो फायदे होंगे। पहला, पत्नियां अपने पतियों को पीने के लिए कभी मना नहीं करेगी दूसरा, जिस पत्नी का एकाउंट नहीं होगा, उसका भी खुल जाएगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. जोगी खेमा संगठन चुनाव के पक्ष में है और संगठन खेमा उससे बचना चाह रहा है, इसके पीछे वजह क्या है?
2. मार्कफेड के चेयरमैन ने कुर्सी संभालते ही दो फीसदी से अधिक धान का शार्टेज देने वाले डीएमओ की सूची मंगवाई है। सूची कार्रवाई करने के लिए मांगी गई है या इसका कुछ और मतलब है?

शनिवार, 18 अप्रैल 2015

तरकश, 19 अप्रैल

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नजर लागे राजा….

नौकरशाहों का गाड़ी और बंगले का शौक नई बात नहीं है। पोस्टिंग मिलने के बाद पहली कोशिश होती है कि बंगला सज-संवर जाए और न्यूनतम दो गाड़ी मिल जाए। लेकिन, ग्रह-नक्षत्र का योग कहिए कि अबकी एक आईएएस आफिसर को बंगले का शौक भारी पड़ गया। काफी जद्दोजहद के बाद छत्तीसगढ़ लौटे आईएएस ने देवेंद्र नगर आफिसर्स कालोनी में बंगला अलाट होते ही इंजीनियरों को तलब करके उसे फर्नीश्ड करने का फारमान सुना डाला। अब, सिकरेट्री का आर्डर है, तो उसे भला नजरअंदाज करने का साहस किसमें। ठेकेदारों और सप्लायरों से चंदा-चकोरी करके विभाग ने बंगले में सात-आठ लाख का काम कराया। दो-तीन लाख रुपए के काम अभी और बाकी थे। तब तक सरकार की नोटिस में यह बात आ गई। बताते हैं, जिन ठेकेदारों ने पैसा दिया था, उनमें से ही किसी के जरिये उच्च पदों पर बैठे लोगों के पास यह माजरा पहंुच गया। इसके बाद सरकार ने सिकरेट्री से विभाग छीनने में देर नहीं लगाई।

कांग्रेस की फ्लाइट्स

शनिवार की दिल्ली जाने वाली सभी फ्लाइट्स कांग्रेस नेताओं के नाम रही। दिल्ली में 19 को होने वाली किसान रैली में हिस्सा लेने के लिए 300 से अधिक कांग्रेसी नेता हवाई जहाज से दिल्ली रवाना हुए। दिल्ली जाने वाली शनिवार की इंडिगो, जेट और एयर इंडिया की तीनों फ्लाइट कांग्रेसियों से फुल थी। कांग्रेस नेताओं ने पहले से इसकी टिकिट बुक करा ली थी। दिल्ली में बीजेपी सांसदों का कल से ट्रेनिंग प्रोग्राम है। उसमें जाने के लिए बड़ा जैक लगाने पर पांच सांसदों को टिकिट का जुगाड़ हो पाया। बहरहाल, सवाल यह नहीं कि हवाई जहाज से किसान रैली में जाने वाले 300 में से कितने कांग्र्रेसी किसान थे। सवाल इस पर है कि कौन कहता है, कांग्रेस की माली स्थिति खराब है। और, वह दस बरस से विपक्ष में है। संगठन की आर्थिक स्थिति भले ही कमजोर हो मगर नेताओं के साथ ऐसा नहीं है। एक-दो नहीं, सैकड़ों ऐसे नेता हैं, जो विपक्ष में होने के बाद भी सत्ताधारियों से भी बेहतर रुतबेदार लाइफ जी रहे हैं। और, बीजेपी के हैट्रिक बनाने के पीछे वजह भी यही है। धंधा-पानी, रुतबे के लिए आखिर, कंप्रोमाइज तो करने पड़ेंगे ना।

2 को आएंगे मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2 मई को छत्तीसगढ़ आना लगभग तय माना जा रहा है। पीएमओ ने टेंटेटिव डेट देते हुए राज्य सरकार को पीएम विजिट की तैयारी करने के निर्देश दे दिया है। अभी तक के कार्यक्र्रम के अनुसार प्रधानमंत्री पहले दंतेवाड़ा जाएंगे। उसके बाद नए रायपुर में 110 करोड़ की लागत से निर्मित ट्रीपल आईटी बिल्डिंग का लोकार्पण करेंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का यह पहला छत्तीसगढ़ दौरा होगा। लिहाजा, सरकार भी उसी हिसाब से तैयारी कर रही है।

बेस्ट टीम

सोमवार को हुए फेरबदल के बाद रमन सरकार के पास सिकरेट्री की बेस्ट टीम हो गई है। सुब्रमण्यिम को होम, अमित अग्रवाल को फायनेंस एवं कामर्सियल टैक्स और रेणु पिल्ले को तकनीकी शिक्षा का जिम्मा सौंपा गया। इनमे से पहले दो, पीएमओ मे अरसे तक काम किए हैं। पिल्ले की भी साफ-सुथरी एवं फास्ट काम करने वाली आईएएस की छबि है। खास बात यह कि इन तीनों की ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं किया जा सकता। सीएम सचिवालय में बैजेंद्र कुमार, अमन सिंह और सुबोध सिंह के रूप में पहले से उर्जावान लोगों की टीम है। पंचायत में एमके राउत। अरबन में आरपी मंडल। जनसंपर्क में जीएस मिश्रा। राजस्व बोर्ड में डीएस मिश्रा जैसे अनुभवी अफसर। कलेक्टरों में, रायपुर, बिलासपुर, जांजगीर, कोरबा, रायगढ़, दुर्ग, राजनांदगांव जैसे जिलों के कलेक्टरों के पारफारमेंस से सीएम भी काफी खुश हैं। रायपुर, बिलासपुर और बस्तर के आईजी की अपनी अलग पहचान है। अब जरूरत है, सिर्फ मानिटरिंग की। अपना-पराया, राग-द्वेष, पूर्वाग्रह को छोड़कर अब इन अफसरों से अगर काम लिया जाए, तो बढि़यां रिजल्ट मिल सकता है।

खौफ या….

सोमवार को सीनियर आईएएस की छोटी लिस्ट निकली। मंगलवार को आंबेडकर जयंती की छुट्टी थी। बुधवार को 10.30 बजे मंत्रालय का काम चालू होते ही सामान्य प्रशासन विभाग याने जीएडी ने नोटशीट चला बुधवार को पांच बजे तक सभी से चार्ज हैंडओवर करने का निर्देश दे दिया। मंत्रालय के गलियारों में इस पर खूब चुटकी ली जा रही…..इसके पीछे कहीं डीएस मिश्रा का डर तो नहीं……मिश्रा 10 साल सीएम के नजदीक रहे हैं। डाक्टर साब का दिल कहीं पसीज गया तो….सब गड़बड़ हो जाता। सो, जल्दी से उन्हें चलता किया गया।

हम रुकेंगे नहीं

सीनियरिटी में नम्बर दो के नौकरशाह डीएस मिश्रा रिटायरमेंट से एक साल पहिले मुख्यधारा से भले ही बाहर हो गए, मगर उनके तेवर बताते हैं, वे न चुप बैठने वाले हैं और ना ही रुकने वाले। उनके करीबी लोगों की मानें तो राजस्व बोर्ड में उनकी दमदारी दिखेगी। इसकी झलक उन्होंने मंत्रालय से रिलीव होने से पहले कलेक्टरों को एसएमएस भेजकर दे दिया। उन्होंने कलेक्टरों और कमिश्नरों को सारे दस्तावेज दुरूस्त करने का निर्देश दिया है। बहुत जल्द कलेक्टरों की वे मीटिंग भी लेंगे। सो, आश्चर्य नहीं कि जमीनों के खेल का कोई बड़ा मामला सामने आए।

एक आईएएस, एक आईपीएस

इस महीने 30 अप्रैल को बस्तर कमिश्नर आरपी जैन एवं पुलिस अकादमी में डीआईजी निलकंठ सिंह रिटायर हो जाएंगे। जैन के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता मगर निलकंठ सिंह को संविदा मे कोई पोस्ट मिल सकती है। इसी के साथ बस्तर कमिश्नर के लिए तलाश शुरू हो गई है। बस्तर के लिए फिलहाल दो नाम चर्चा में है। एक विकास शील और दूसरा निर्मल खाखा।

मजबूरी का नाम

ब्यूरोक्रेसी के लिए पिछला हफ्ता बड़ा उथल-पुथल वाला रहा। कोई स्ट्रांग हो गया तो कोई हिट विकेट। सुब्रमण्यिम को यह बात तय थी कि उन्हें होम दिया जाएगा मगर यह हफ्ते-दस दिन बाद होता। लेकिन, नक्सली हमले के चलते सोमवार को ही सुब्रमण्यिम को होम की कमान सौंपनी पड़ गई। दूसरा, फेरबदल में इस बात का भी मैसेज दिया गया कि सरकार, सरकार होती है। सीएम का एक लाइन का आर्डर किसी का ब्यूरोके्रेटिक डेथ कर सकता है। तो किसी की दुनिया बदल सकती है। बहरहाल, फेरबदल के कुछ फैसले मजबूरी वाले ही रहे। सरकार के पास ऐसा करने के अलावा कोई चारा नहीं था।

हफ्ते का व्हाट्सअप

राहुल गांधी के स्वागत में बैंडवालों की इसलिए पिटाई हो गई क्योंकि, उन्होंने-तुम तो ठहरे परदेशी, साथ का निभाओगे-बजा दिया था।

अंत में दो सवाल आपसे

1. पीएचई सिकरेट्री एम गीता को सरकार ने दो महीने में ही क्यों हटा दिया? 
2. आतंकवादी जब इंडियन मिलिट्री को टारगेट करते हैं तो लोग पाकिस्तान को गालियां देते हैं मगर नक्सली हमले में जवानों के शहीद होने पर उल्टे पुलिस को क्यों कोसा जाता है?

तरकश, 12 अप्रैल

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मोदी का विजिट

विदेश दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छत्तीसगढ़ आएंगे। वे लाइवलीहूड कालेज देखने दंतेवाड़ा जाएंगे और वहां से लौटकर रायपुर में ट्रीपल आईटी एवं नए पुलिस मुख्यालय भवन का उद्घाटन करेंगे। 120 करोड़ की लागत से ट्रीपल आईटी भवन बना है। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो एकाध हफ्ते में उनके विजिट का ऐलान हो जाएगा। अप्रैल लास्ट या मई फस्र्ट वीक तक मोदी का प्रोग्राम बन सकता है। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का यह पहला छत्तीसगढ़ दौरा होगा। सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। पीएचक्यू एवं ट्रीपल आईटी बिल्डिंग को इसी हिसाब से तैयार किया जा रहा है।

बहुत देर कर दी….

प्रिंसिपल सिकरेट्री बीवीआर सुब्रमण्यिम ने डेपुटेशन से लौटने में बहुत देर कर दी। 18 साल दिल्ली में रहे। मध्यप्रदेश के समय 97 में भारत सरकार में चले गए थे। उन्हें छत्तीसगढ़ कैडर अलाट हुआ। एक बार भी छत्तीसगढ़ नहीं आए। सुनिल कुमार सरीखे कद्दावर आईएएस भी पांच साल बाद लौट आए थे। सूबे में सचिव लेवल के अफसरों का जब टोटा हुआ, तो सीएम डा0 रमन सिंह ने भी उन्हें बुलाने की काफी कोशिशें कीं। खुद प्रधानमंत्री को डीओ लेटर लिखा। तबके चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार ने लास्ट ट्राई किया। मगर बात बनी नहीं। अब, सीएम पत्र लिखे और उसका कोई रिजल्ट न आए तो आप समझ सकते हैं….लाल जाजम बिछा कर वेलकम तो नहीं किया जाएगा। ऐसे में, सुब्रमण्यिम जब लौटे हैं, तो उन्हें पोस्टिंग के लिए कुछ दिन की प्रतीक्षा करनी ही होगी। 6 अप्रैल को वे यहां ज्वाईन किए। अभी तक उन्हें पोस्टिंग नहीं मिली है। अलबत्ता, उनके चक्कर में रेणु पिल्ले भी फंस गई हैं। जनगणना का काम पूरा होने के बाद पखवाड़ा भर पहिले उन्होंने मंत्रालय में ज्वाइनिंग दे दी है। मगर एक साथ लिस्ट निकलने के चलते उनकी पदास्थापना नहीं हो पा रही है।

12 नाइट हाल्ट

सरकार का लोक सुराज अभियान अबकी कुछ हटके होगा। मंत्री के साथ अफसरों को भी इस बार सभी 27 जिलों का दौरा करना होगा। वहीं, सीएम भी इस बार 12 जिला मुख्यालयों में नाइट हाल्ट करेंगे। इससे पहले, ग्राम सुराज अभियान में मुश्किल से दो-तीन जिले में नाइट हाल्ट हो पाता था। जिला मुख्यालयों में डिनर के पहले अफसरों और जनप्रतिनिधियों के साथ लोकल समस्यओं का रिव्यू करेंगे। फिर, अधिकांश जिलों में वे आदिवासी आश्रम या हास्टल में जाकर बच्चों के साथ रात का भोजन करेंगे। संभावना है, पहला नाइट हाल्ट वे कांेंडागांव में करें।

मजा किरकिरा

लोक सुराज अभियान ने नौकरशाहों का आईपीएल देखने का मजा किरकिरा कर दिया। 9 और 12 मई को मैच है और इस दरम्यान अफसर लोक सुराज में रहेंगे। वरना, लग्जरी कारपोरेट बाक्स में परिवार के साथ बैठकर मैच देखने का मजा ही कुछ और होता है। साथ में, फ्री में सितारा होटलों के खान-पान का लुत्फ….हर तरह का पेय भी। असल में, कारपोरेट बाक्स अधिकांश खाली होते हैं। उसमें ब्यूरोके्र्रट्स का कब्जा हो जाता है। पिछले साल चैंपियन लीग मैच में हफ्ते भर तक कई नौकरशाहों और उनके परिजनों ने घर में डिनर नहीं किया। मगर इस बार सुबोध सिंह को अफसर कोस रहे हैं। इस बार लोक सुराज अभियान का कंसेप्ट सुबोध ने ही तैयार किया है। पहले, अफसर सिकरेट्री अपने प्रभार वाले जिलों में जाकर फुरसत पा लेते थे। मगर इस बार 40 से 45 डिग्री गरमी में प्रदेश का दौरा करना होगा।

डायरी से फसाद

नान की डायरी से कांग्रेस में फसाद हो गया है। ऐसा फसाद जो पिछले 15 साल में नहीं हुआ। जीरम नक्सली हमले के समय भी नहीं। बिल्कुल आमने-सामने वाली स्थिति है। चुन-चुनकर तीर छोड़े जा रहे हैं। ऐसा क्यों हुआ, हम आपको बताते हैं। कांग्रेस ने डायरी के जो पन्ने जारी किए उसमें एक शर्टनेम था। उसे कांग्रेस के एक दिग्गज नेता का नाम कहकर प्रचारित किया गया। आलाकमान से इसकी शिकायत भी की गई। लिहाजा, वरिष्ठ नेता को भड़कना ही था। नेताजी के लोगों की मानें तो विरोधी पक्ष ने एक तीर से दो शिकार करने का प्रयास किया। एक सरकार और, दूसरा साब को। अब, साब इसे कैसे बर्दाश्त करेंगे। फिर, तोप का मंुह खोल दिए। नतीजा यह हुआ कि सरकार वर्सेज कांग्रेस की लड़ाई कांग्रेस वर्सेज कांग्रेस की होकर रह गई।

दुआ कीजिए

14 साल तक बीएड कालेज में टेम्पोरेरी तौर पर संचालित पुलिस मुख्यालय 13 अप्रैल से नया रायपुर के नए भवन में शिफ्थ हो जाएगा। सरकार के निर्देश पर डीजीपी ने इसके लिए बकायदा आर्डर निकाल दिया है। सो, बोरिया बिस्तर बंधनी शुरू हो गई है। पुराने पीएचक्यू में आठ डीजीपी बदले। नौंवे एएन उपध्याय हैं। इनमें ओपी राठौर का सबसे बेहतरीन कार्यकाल माना जाता है। पीएचक्यू को उनकी असामयिक मौत को बर्दाश्त करना पड़ा। नक्सल हिंसा में 500 से अधिक जवान शहीद हो गए। जांबाज एसपी विनोद चैबे और दो एडिशनल एसपी की शहादत को भी उसे देखना पड़ा। और-तो-और, पीएचक्यू शिफ्थ होने के 36 घंटे पहले दोरनापाल में सात जवान शहीद हो गए। दुआ कीजिए, पीएचक्यू के नए भवन को ऐसा कुछ फेस करने की स्थिति निर्मित ना हो।

एफसीआई की जांच

एसीबी की जांच में नान के 50 से 60 फीसदी चावल मिलावटी निकला। उधर, एफसीआई भी चावल की क्वालिटी की जांच कराने का फैसला किया है। जाहिर है, एफसीआई अगर क्वालिटी की जांच करा दी तो प्रदेश के राइस मिलर दोनों ओर से घिर जाएंगे। एक ओर एसीबी, दूसरी ओर एफसीआई। एसीबी की जांच में यह बात आई है कि अधिकांश मिलर बाहर से घटिया चावल खरीदकर एफसीआई एवं नान में सप्लाई करते थे एवं मार्कफेड से खरीदा गया चावल चूकि बढियां किस्म का होता है, उसे महंगे रेट पर बाजार में बेच देते थे। ऐसे में, तीन दर्जन से अधिक राइस मिलर एसीबी के निशाने पर हैं।

एसीबी का मैटर

प्रदेश के सबसे बड़े रायपुर नगर निगम में डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के नाम पर जो खेल हुआ है, वह एसीबी की जांच का मैटर हो सकता है। इंजीनियरों की फौज होने के बाद भी नगर निगम ने बाहर के इंजीनियरों की सेवाओं पर पांच साल में 86 करोड़ रुपए खर्च कर दिया। याने प्रति वर्ष 17 करोड़ से भी अधिक। अब, इसमें से कितना इंजीनियरों को दिया गया और कितना भीतर हुआ, यह तो जांच में ही पता चलेगा। मगर मेयर प्रमोद दुबे को यह सब देखकर होश उड़ गए हैं।

आईपीएस की ड्यूटी

लोक सुराज अभियान में पहली बार पीएचक्यू के आला आईपीएस अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। पीएचक्यू के आईजी, एडीजी लेवल के अफसरों को दो-दो जिलों का प्रभारी बनाया गया है। उन्हें सीएम की सिक्यूरिटी का जिम्मा दिया गया है। छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित तो है ही, अब आतंकवादी गतिविधियां भी सामने आ रही है। इसको देखते सीएम की सिक्यूरिटी के लिए एहतियात के तौर पर यह कदम उठाया गया है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक ऐसे सीनियर आईएएस का नाम बताइये, जो नान घोटाले में नाम न होने के बाद भी घबराए हुए हैं और एसीबी की नोटिस से बचने के लिए सीएम एवं उनके करीबी अफसरों के आगे-पीछे हो रहे हैं?
2. मानवाधिकार आयोग के अगले चेयरमैन के लिए कौन-कौन से रिटायर आईपीएस ट्राई मार रहे हैं?

बुधवार, 8 अप्रैल 2015

तरकश, 5 अप्रैल

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बड़ों में तकरार

रिटायरमेंट के पहले चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार ने दो आला अधिकारियों के बीच सुलह कराई थी, वो किसी काम नहीं आई। दोनों के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। भरी मीटिंग में टांट, टोका-टोकी आम हो गई है। कुछ रोज पहले ही की बात है, मीटिंग में दोनों के बीच इस कदर गरमागरम बहस हो गई कि एक अफसर मीटिंग छोड़कर चले गए। बड़ों के बीच का मामला है, सो बात सीएम तक तो पहंुचनी ही थी। वैसे, दोनों अरसे से सीएम से एक-दुसरे की शिकायत कर रहे हैं....वो हमको अपमानित कर रहे हैं तो वो हमको नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। तभी तो मंत्रालय में तो चर्चा शुरू हो गई है कि दोनों में से अब कोई एक ही रहेगा या किसी तीसरे की इंट्री न हो जाए। 

अब बायोडाटा


राजभवन ने राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगने वालों के लिए अब बायोडाटा अनिवार्य कर दिया है। मकसद यह है कि जिनसे मिलना है, महामहिम उनके बारे में जान लें आदमी किस स्टेट्स का है और उसे कितना समय दिया जाना चाहिए। पहले कुछ केस हुए हैं, गड़बड़ टाइप के या काले दामन वाले लोग राजभवन पहुंच गए थे। अब किसी भी लेवल का आदमी हो, उसे बायोडाटा देना होगा। हाल ही में एक मंत्री का स्टाफ इसी बात को लेकर नाराज हो गया कि उनसे मंत्रीजी का बायोडाटा मांगा गया। आखिरकार, मंत्रीजी को बायोडाटा देना पड़ा।

मंत्री भी अब पांव-पांव 


पहले ग्राम सुराज अभियान में चीफ मिनिस्टर पसीना बहाते थे और मंत्री अपने गृह नगर और प्रभार वाले जिला का दौरा करके मुक्ति पा लेते थे। मगर लोक सुराज अभियान का जो फ्रेम तैयार हुआ है, उसमें मंत्रियों को भी अब गांव-गांव, पांव-पांव जाना होगा। उन्हें भी पूरे 27 जिलों का दौरा करना है। सुकमा से लेकर बलरामपुर तक। सरकार ने इस बार सुराज अभियान में कई तब्दीलियां की है। सीएम अब हेलीकाप्टर से हर जिले के एक गांव में तो लैंड करेंगे और चैपाल तो लगाएंगे ही, इसके साथ ही वे वहां को कोई एक प्रोजेक्ट को चलकर खुद देखेंगे। वो चाहे सड़क, नाली हो या एनटी कट या कोई बड़ा डेम। इसके बाद जिस जिला मुख्यालय में सीएम नाइट हाल्ट करेंगे, उसके आसपास के जिलों के कलेक्टरों समेत अन्य अधिकारियों को बुलाकर वहां चल रहे विकास कार्यो का रिव्यू करेंगे। इसमें खास बात यह है रिव्यू में एमएलए, सांसद समेत अन्य जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे। सीएम के सामने वे खुलकर समस्याओं पर बोल सकेंगे। सो, अफसरों के लिए यह मुश्किल वाला मामला होगा। बहरहाल, ग्राम की बजाए लोक सुराज नाम इसलिए दिया गया है कि

बस्तर में विकास


बस्तर कमिश्नर आरपी जैन इस महीने 30 अप्रैल को रिटायर हो जाएंगे। सो, इस महीने के अंत में बस्तर में नए कमिश्नर अपाइंट करना भी सरकार की नोटिस में है। वैसे, स्पेशल सिकरेट्री को भी अब कमिश्नर बनाया जा रहा है। पहले टीएस महावर, सोनमणि बोरा और अभी अशोक अग्रवाल को रायपुर का कमिश्नर पोस्ट किया गया है। हालांकि, बोरा अब पदोन्नत होकर सिकरेट्री बन गए हैं। मगर महावर और अग्रवाल अभी भी विशेष सचिव हैं। बस्तर कमिश्नर के लिए कुछ स्पेशल सिकरेट्री के साथ ही मई में स्टडी लीव से लौट रहे विकासशील का नाम भी चल रहा है। विकास से सरकार वैसे भी खुश नहीं है। उन्हें मुश्किल से लीव पर जाने की अनुमति मिली थी। इस बीच नान घोटाला भी सामने आ गया। ऐसे में बहुत आश्चर्य नहीं होगा, जब सरकार विकास को बस्तर रवाना कर दें।

नया मंत्री, नया सिकरेट्री


फूड पहला विभाग होगा, जिसके मंत्री और सिकरेट्री इस बार दोनों ंबदल जाएंगे। नान घोटाले के बाद सरकार ने डा0 आलोक शुक्ला से फूड लेकर टेम्पोरेरी तौर पर एसीएस अजय सिंह को दे दिया था। आसन्न फेरबदल में फूड में फुलफ्लैश सिकरेट्री बिठाया जाएगा। तो नया मंत्री भी। फूड के लिए अमर अग्रवाल या राजेश मूणत का नाम चर्चा में है। मूणत का आवास पर्यावरण सीएम अपने पास रख सकते हैं। पहली बार मंत्री बन रहे महेश गागड़ा को वन तो अजय चंद्राकर को पंचायत के साथ स्वास्थ्य भी मिल सकता है। ये अलग बात है कि स्वास्थ्य विभाग कोई मंत्री लेने के लिए तैयार नहीं हो रहा है। यद्यपि, तैयार तो अमर अग्रवाल भी नहीं थे। तीसरी बार सरकार बनने पर उन्होंने स्वास्थ्य न देने का आग्रह किया था। इसलिए, होगा वही, जो रमन सिंह चाहेंगे।

सोशल मीडिया और ब्यूरोके्रट्स


सोशल मीडिया के मामले में सूबे के ब्यूरोक्रेट्स भी पीछे नहीं हैं। सुबोध सिंह, गणेशशंकर मिश्रा, सोनमणि बोरा, मुकेश बंसल, अवनीश शरण के पोस्ट को 800 से एक हजार तक लाइक हो जाता है। आश्चर्य यह कि इनमें 80 फीसद से अधिक उनके फालोवर आम आदमी है। या फिर लो प्रोफाइल के उनके जानने वाले। अलबत्ता, पुलिस वालों की स्थिति ठीक इसके उलट है। सोशल मीडिया में एक भी आईपीएस नहीं हैं। रापुसे के अफसर एवं राजनांदगांव के एडिशनल एसपी शशिमोहन सिंह जरूर कुछ दिनों तक फेसबुक पर एक्टिव रहे मगर बाद में वे खुद को समेट लिए।

अंत में दो सवाल आपसे


1. राशन कार्ड निरस्तीकरण की बजाए प्रति व्यक्ति सात किलो चावल देने का ऐलान अगर नगरीय निकाय चुनाव के पहले कर दिया गया होता, तो क्या बीजेपी का पारफारमेंस सुधर सकता था?
2. नान घोटाले को सीएम हाउस की ओर टर्न करने में क्या ब्यूरोक्रेट्स के कुछ लोगों का हाथ था क्या?


शनिवार, 4 अप्रैल 2015

तरकश, 29 मार्च


tarkash photo

 


नए होम सिकरेट्री


सरकार को आखिरकार एडिशनल होम सिकरेट्री नरेंद्र कुमार असवाल का विकल्प मिल गया। राज्य बनने के बाद पांच अप्रैल को पहली बार छत्तीसगढ़ आ रहे 87 बैच के आईएएस सुब्रमण्यिम का प्रींसिपल सिकरेट्री होम की कमान संभालन लगभग तय हो गया है। असवाल की तरह वे ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और उसके सिकरेट्री भी होंगे। सुब्रमण्यिम 25 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय से रिलीव हो गए। यहां वे 6 अप्रैल को आमद देंगे। राज्य बनने के पहले से वे सेंट्रल डेपुटेशन पर थे। बहरहाल, सर्वाधिक समय तक किसी एक विभाग का सिकरेट्री रहने का रिकार्ड असवाल के नाम दर्ज हो गया है। वे आठ साल होम में हैं। रमन सिंह की पहली पारी के आखिरी समय में वे इस विभाग के सिकरेट्री बनें थे। दूसरी पारी में वे इसी विभाग में पीएस और तीसरी पारी में एसीएस हो गए। उन्होंने अपने सीनियर डीएस मिश्रा का रिकार्ड ब्रेक कर दिया। मिश्रा लगातार साढ़े छह साल वित्त में रहे थे। हालांकि, वे अभी भी वित्त में हैं। मगर बीच में दो साल का ब्रेक आ गया था।

हाट अप्रैल


अप्रैल महीना ब्यूरोक्रेसी के लिए काफी हाट रह सकता है। सुब्रमण्यिम के आने के बाद जाहिर है, एक लिस्ट निकलेगी। उसमें कुछ विभागों के सिकरेट्री तो बदलेंगे ही, सरकार कोई और बड़ा धमाका करके ब्यूरोक्रेसी को हिला दें, तो आश्चर्य नहीं। सत्ता के गलियारों में चर्चा भी कुछ इसी तरह के हैं। वैसे, पहली लिस्ट सात से आठ मार्च को निकल सकती है। सीएम दो और तीन अप्रैेल को बेंगलुरु में रहेंगे। पांच को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्रियों को दिल्ली में रात्रि भोज दे रहे हैं। सीएम छह अप्रैल को रायपुर लौटेंगे। इसके बाद फेरबदल को अंतिम रूप दिया जाएगा।

15 के बाद


मंत्रिमंडल का बहुप्रतीक्षित पुनर्गठन भी अब 15 अप्रैल के बाद ही हो पाएगा। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात अप्रैल को हफ्ते भर के लिए कनाडा समेत पांच देशों की यात्रा पर जा रहे हैं। जाहिर है, प्रधानमंत्री के देश के बाहर रहने पर बीजेपी का कोई सीएम मंत्रिमंडल का पुनर्गठन या सर्जरी नहीं करेगा। सो, सरकार के करीबी सूत्रों की मानें तो 20 अप्रैल के आसपास तीन नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के लिए राजभवन से न्यौता आ सकता है।

बंगले का अपशकुन


नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव अपने सरकारी बंगले की बजाए राजकुमार कालेज के गेस्ट हाउस में रहने का फैसला किया है। हालांकि, रविंद्र चैबे ने नेता प्रतिपक्ष का बंगला खाली कर दिया है। चैबे को विजय बघेल का बंगला अलाट हुआ है। शंकरनगर स्थित नेता प्रतिपक्ष के बंगले में अब सिंहदेव का आफिस रहेगा। सिंहदेव ने ठीक ही किया है। छत्तीसगढ़ में कोई नेता प्रतिपक्ष चुनाव नहीं जीता है। नंदकुमार साय से लेकर महेंद्र कर्मा और रविंद्र चैबे तक। चैबे तो उस सीट को गवां दिए, जिस पर आजादी के बाद से उनके परिवार का कब्जा था। नेता प्रतिपक्ष के बंगले में जाकर सिंहदेव भला रिस्क क्यों लेंगे। उधर, भाजपा के एक नेताजी भी ने डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक में जीर्णोद्धार एवं रंग-रोगन कराने के बाद शंकरनगर स्थित बंगले में एक दिन भी रहने नहीं गए। किसी वास्तुविद् ने उन्हें सलाह दे डाली कि वहां जाने पर उनके साथ कोई अनिष्ट हो सकता है। इसके बाद, तीन-चार एकड़ में फैले बंगले को उन्होंने आफिस में कंवर्ट कर दिया है।

कांटे का टक्कर


पहली बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के लिए जुलाई में चुनाव होगा। चुनाव के लिए कांग्रेस में जिस तरह के दांव-पेंच चल रहे हैं, उससे साफ हो गया है कि संगठन और विरोधी खेमे में कांटे का टक्कर होगा। जोगी खेमे ने तो इसकी जबर्दस्त ढंग से तैयारी शुरू कर दी है। सागौन बंगले में शनिवार को अजीत जोगी की बंद कमरे में रविंद्र चैबे से घंटे भर की मुलाकात हुई। सत्यनारायण शर्मा भी जोगी से अलग नहीं रहेंगे। भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव को चरणदास महंत का साथ मिल सकता है। हालांकि, संगठन खेमा आम सहमति से अध्यक्ष बनाए जाने की बात कर रहा है, जिस तरह मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह और माधवराव सिंधिया के बीच चुनाव होना था। मगर आलाकमान के निर्देश पर सिंधिया को नाम वापस लेना पड़ा था। लेकिन छत्तीसगढ़ में यह संभव नहंी होने वाला। जोगी शायद ही इस पर तैयार होने वाले। जााहिर तौर पर जोगी बोलेंगे हमें अध्यक्ष बनाओ या चुनाव कराओ। असल में, जोगी के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई है। कई साल से वे सत्ता और संगठन से दूर हैं। अपनी ताकत दिखाने के लिए जोगी हर हाल में चाहेंगे कि वे अध्यक्ष का चुनाव जीतें। कुल मिलाकर चुनाव दिलचस्प रहेगा। सरकार को भी राहत मिलेगी। नान मामले पर सरकार पर चलने वाले तीर अब आपस में ही चलेंगे।

गुगली


विधानसभा में नान घोटाले की चर्चा के दौरान पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर ने यह कहकर भूपेश बघेल की ओर गुगली फेंकी कि एसीबी पर आपको भरोसा है कि नहीं। मगर बघेल भी चतुर ठहरे। उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। दरअसल, चंद्राकर का दांव यह था कि बघेल बोल दें कि उन्हें एसीबी पर यकीन नहीं है, तो उन्हें घेरा जाए। जोगी सरकार में बघेल जब मंत्री थे, उस समय पीएचई का एक मामला सरकार ने एसीबी को जांच के लिए दिया था। 2008 में एसीबी ने इसका खात्मा कर दिया। बघेल अगर कहते कि उन्हें एसीबी पर भरोसा नहीं है तो फिर सत्ता पक्ष उनके मामले का खात्मा पर सवाल उठाता।

व्हाट्सअप से


कन्या को मरवा दिया जिसने पत्नी की कोख में, वे ही कन्या ढूंढ रहे हैं नवरात्रि के भोज में। नौ दिन कन्याओं की पूजन करते हैं पर नौ महीने गर्भ में नहीं रख पाते हैं, माता का दर्शन करने के लिए नौ दिन पैदल चलकर जाते हैं, लेकिन एक कन्या को जन्म देने से घबराते हैं। आप नौ दिन पूजा करके किस माता को मना लोगे, अगर कन्या नहीं बची धरती पर तो बेटों से काम चला लोगे, कन्याओं को मारकर गर्भ में क्या माता का आर्शीवाद पा लोगे।

अंत में दो सवाल आपसे


1. नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव विधानसभा में नान घोटाले में कुछ नामों को पार्टी विधायकों द्वारा उठाने पर खेद प्रगट किया और अगले दिन दिल्ली से लौटते ही वे फिर आक्रमक कैसे हो गए?
2. बीजेपी के किस विधायक ने मंत्री बनने के लिए नवरात में तांत्रिक अनुष्ठान कराया है?