मंगलवार, 11 अगस्त 2015

नाक कट गई


tarkash photo 

9 अगस्त


नान घोटाले में भले ही छत्तीसगढ़ की बदनामी हुई थी। मगर अपने सूबे का वजन भी बढ़ा था…..दूसरे राज्यों में मैसेज गया कि छत्तीसगढ़ अब समृद्धि की राह पर है। आखिर, नान के मैनेजर के दफ्तर में डेढ़-़डेढ़ करोढ़ रुपए कैश मिलना मजाक थोड़े ही है। कंप्यूटर आपरेटर के पास भी 22 लाख रुपए मिले थे। मगर ये रणबीर शर्मा ने 10 हजार रुपए रिश्वत लेकर आईएएस बिरादरी की ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ की नाक कटवा डाली। नौकरशाही भी सकते में है। रणबीर ने बेपरदा कर दिया। आईएएस मे मजाक चल रहा, रणबीर को मसूरी एकेडमी में ट्रेनिंग किसने दी। बाहर के लोग पूछ रहे हैं, छत्तीसगढ़ में इतनी गरीबी है कि आईएएस 10 हजार ले रहे हैं।

आईएएस लाबी भारी

आईएएस रणबीर शर्मा केस में आखिरकार आईएएस लाबी भारी पड़ गई। बुधवार को आईएएस रणबीर शर्मा के रिश्वत लेते एसीबी द्वारा ट्रैप होने के बाद ब्यूरोक्रेसी ने पूरी ताकत लगा दी। मीडिया में खबर फ्लैश होते ही आला आईएएस अफसरों के फोन घनघनाने लगे। खतरा गिरफ्तारी की थी। छत्तीसगढ़ बनने के बाद 300 से अधिक ट्रैप हुए होंगे। और, सभी को दो से तीन महीने जेल की हवा खानी पड़ी। जाहिर था, आईएएस की आरेस्टिंग से बिरादरी की फजीहत होती। इसके लिए देर रात तक जोर-आजमाइश चलती रही। एसीबी आरेस्ट करने पर अड़ी रही। और, आईएएस लाबी मामले को रफा-दफा करने पर। इसके लिए लीगल ओपिनियन लिए गए। तर्क दिए गए कि पैसा चपरासी लिया है, आईएएस आरेस्ट क्यों हो। उपर वालों को बताया गया कि रणबीर के आरेस्ट होने पर दिल्ली में बैठी नौकरशाही भी खफा हो जाएगी। फिर, दिल्ली से कोई काम नहीं हो पाएगा। हाईप्रेशर के बाद आखिरकार चपरासी को आरेस्ट किया गया और आईएएस को ब्यूरोक्रेसी ने अपने पास मंत्रालय में बुला लिया। आईपीएस ध्रुव गुप्ता को मंत्रालय में इंट्री से रोकने के बाद आईएएस लाबी की महीने भर में ये दूसरी सफलता रही।

2008 बैच क्लोज

राजेश राणा और शिखा राजपूत के कलेक्टर बनाए जाने के बाद 2008 बैच अब क्लोज हो गया। इस बैच के दो ही आईएएस कलेक्टर बनने के लिए बचे थे। भीम सिंह इस बैच के सबसे लकी रहे। वे 2007 बैच की शम्मी आबिदी से पहले धमतरी का कलेक्टर बन गए थे। हालांकि, राजेश राणा का नम्बर और पहले लग गया होता। मगर पिछले साल रायगढ़ में जिला पंचायत सीईओ रहते एक मंत्री की अगुवानी करने वे हवाई पट्टी नहीं पहुंच पाए थे। बताते हैं, उनकी गाड़ी दुर्घनाग्रस्त हो गई थी। लेकिन, मंत्री नही माने। रायपुर लौटकर उपर में शिकायत कर दी। इसलिए, सबसे आखिरी में उनका नम्बर लगा।

टफ कंपीटिशन

2009 बैच में कलेक्टर बनने के लिए टफ कंपीटिशन देखने को मिलेगा। इस बैच में प्रियंका शुक्ला से लेकर अवनीश शरण, किरण कौशल, सौरभ कुमार, समीर विश्नोई, तंबोली जैसे आईएएस हैं। प्रियंका अरसे से वीवीआईपी एरिया राजनांदगांव जिला पंचायत की सीईओ हैं। अवनीश बिलासपुर और रायपुर जैसे सबसे बड़े निगमों में कमिश्नर रह चुके हैं। चिप्स के सीईओ होने के कारण सौरभ कुमार सरकार के नजदीक हैं हीं। प्रियंका और किरण में तो कंपीटिशन यूपीएससी में सलेक्शन के समय से शुरू हो गया था। यूपीएससी में किरण तीसरे नम्बर पर थीं और प्रियंका का रैंक था 73वां। मगर एकेडमी में ट्रेनिंग के बाद आलओवर रैंकिंग में प्रियंका किरण से उपर आ गई। वैसे भी यह तय है कि 2009 बैच का खाता भी प्रियंका और अवनीश शरण से खुलेगा। सौरभ कुमार चिप्स में हैं तो अभी कम-से-कम एक साल सरकार उनको वहीं रखेगी।

पीए की करतूत

12 साल से बेदाग छबि वाले एक मंत्रीजी को उनके पीए ने मरवा डाला। पीए ने ही मंत्री और उनकी मैडम को अश्वस्त किया था, लिखने-पढ़ने की आप चिंता न करें, वो सब देख लेगा। आपको बस्तर जाने की जरूरत भी नहंी पड़ेगी, रायपुर में बैठे-बैठे काम हो जाएगा। सीधे-साधे मंत्री पीए की बातों में आ गए। बाद में, आपने देखा ही क्या हुआ। पूरे देश में उनकी भद पिट गई। खटराल पीए से बाकी मंत्रियों को भी अगाह हो जाना चाहिए। मंत्रियों के पीए की कारस्तानियां किसी से छिपी नहीं है। फोन पर खुलेआम तोरी हो रही है। आलम यह है कि अगर एसीबी को खुला छोड़ दिया जाए, तो 12 में से कम-से-कम 10 मंत्रियों को इस्तीफे देने पड़ जाएंगे।

पूजा-पाठ

लगता है, मंत्री बनने के समय महेश गागड़ा ने ठीक से पूजा-पाठ नहीं कराया। वन विभाग को पहले को पहले कोई पूछता नहीं था। अब, रोज चर्चा में है। मंत्री बनते ही भल्ला का प्रमोशन का विवाद हो गया। वनकर्मी को लकड़ी तस्करों ने पीट-पीट कर मार डाला। फिर, रेंजर के चलते ग्रामीण ने सुसाइड कर ली। इससे बड़ा बवाल हो गया। सीएम को कार्रवाई करनी पड़ी। अभी, बस्तर का इकलौता मंत्री बनने का मौका आया, तो हरदा में ट्रेन एक्सीडेंट हो गया। मीडिया का पूरा फोकस उधर हो गया। गागड़ा को किसी अच्छे पंडित से पूजा-पाठ कराना चाहिए।

छोटे जोगी का कद

राजनीतिक अदावत ही सही, अमित जोगी पहले चरणदास महंत को चाचा बोलते थे। कई मौकों पर महंत ने भी उन्हें अपना भतीजा बताया था। मगर मंगलवार को चाचा ने पहली बार भतीजे पर चुन-चुनकर तीर छोड़े। राजधानी में प्रेस कांफ्रेंस लेकर अमित के कोरबा जाने पर न केवल उन्होंने सवाल उठाए, बल्कि, इशारे-इशारे में लोकसभा चुनाव में हार का ठीकरा भी अमित पर फोड़ दिया। महंत जैसे दिग्गज नेता का अमित पर हमला कांग्रेस के नेताओं को भी समझ में नहीं आ रहा है। पुराने मध्यप्रदेश के समय 97 में महंत सीएम के दावेदार थे। इसीलिए, उन्हें हटाकर लोकसभा में भेजा गया था। यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री थे ही। और, इधर अमित। पहली बार के विधायक। ऐसे मंे, महत अगर अमित को टारगेट करते हैं तो जाहिर है, कद तो छोटे जोगी का ही बढ़ेगा न।

व्हाट्सएप से

एक भैंस घबराई हुई जंगल में भागी जा रही थी। एक चूहे ने पूछा, क्या हुआ बहन, कहां भागे जा रही हो? भैंस-जंगल में पुलिस हाथी पकड़ने आई है। चूहा-मगर तुम क्यों भाग रही हो, तुम तो भैंस हो। भैंस-ये भारत है भाई! पकड़े गए, तो 20 साल यह साबित करने में लग जाएंगे कि मैं हाथी नहीं, भैंस हूं। यह सुन भैंस के साथ चूहा भी भागने लगा।

अंत में तीन सवाल आपसे

1. अनूप भल्ला के अमर्यादित बयान के बाद भी किन मजबूरियों के चलते सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भी नहीं दिया?
2. आईएएस अफसर इन दिनों अपने एडिशनल चीफ सिकरेट्री अजय सिंह को दुआ-सलाम क्यों करने लगे हैं?

शनिवार, 8 अगस्त 2015

आल इज माटी पुत्र


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26 जुलाई
नान घोटाले में निबटने वाले ब्यूरोके्रट्स लोकल हैं तो निबटाने वाले भी। प्रिंसिपल सिकरेट्री डा0 आलोक शुक्ला भिलाई से हैं। रायपुर मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किए। इसके बाद आईएएस में सलेक्ट हुए। वहीं, स्पेशल सिकरेट्री अनिल टुटेजा बिलासपुर को बिलांग करते हैं। दोनों को निबटाने वाले एसीबी चीफ मुकेश गुप्ता भी बिलासपुर से ही हैं। वहीं, सामान्य प्रशासन विभाग के हेड याने चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड भी लोकल हैं। रायपुरिया। चाहे जैसे भी हो, दोनों से विभाग छीनने का आर्डर उन्होंने ही निकाला। याने छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े स्केम में बाहरी कोई नहीं है। सभी अपने माटी पुत्र हैं।

लाबिंग बट….

नान स्केम में फंसे आईएएस अफसरों को प्रोटेस्ट करने के लिए सीनियर ब्यूरोक्रेट्स ने खुलकर सामने आने में जब असमर्थता जताई, तो यंग आईएएस ने मोर्चा संभाला। हाल ही में युवा अफसरों के प्र्रतिनिधिमंडल ने पुलिस मुख्यालय जाकर डीजीपी एएन उपध्याय से मुलाकात की। मिलने का मेन मकसद था, किसी तरह एसीबी पर प्रेशर बनें। मगर कहते हैं ना, समय खराब होता है, तो उंट पर बैठने पर भी कुत्ता कूद कर काट लेता है। हुआ कुछ ऐसा ही। पड़ोस में व्यापम पर बवंडर मच गया। ऐसे में, कोई चारा नहीं था। सरकार ने दोनों अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की हरी झंडी दे दी, बल्कि विभाग भी लेने में देर नहीं लगाई। वरना, अभियोजन चलाने की अनुमति मांगने से पहले जीएडी द्वारा मामले को साफ्ट करने की भरपूर कोशिशें की गई। नान के एमडी ब्रजेश मिश्रा से ओपेनियन मंांगा गया था कि पीडीएस के ट्रांसपोंिर्टंग और चावल के क्वालिटी कंट्रोल में इस लेवल पर करप्शन की गुंजाइश है? आईएएस लाबी अश्वस्त भी हो गई थी कि केस अब निबट जाएगा। मगर सब गड़बड़ हो गया।

राइट च्वाइस?

नान घोटाले में सरकार ने डा0 आलोक शुक्ला से हेल्थ डिपार्टमेंट ले लिया। हेल्थ अब विकासशील को दिया गया है। विकास की पोस्टिंग इसलिए की गई है कि उनके खिलाफ नान मामले में कोई आरोप नहीं है। एसीबी की डायरी में भी चार-पांच जगह उनके नाम नहीं है। ना तो उन्होंने नान के पैसे से एयर के टिकिट कराए हैं और ना ही मोबाइल चार्ज समेत कई पर्सनल काम। ऐसे में, विकासशील को राइट च्वाइस मानने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कम-से-कम एसीबी जब तक खामोश है, तब तक।

मंत्रीजी की मुश्किलें

एसीबी ने पिछले हफ्ते काली कमाई के दर्जन भर कुबेरों के यहां दबिश दी, उनमें एक मंत्रीजी का करीबी अफसर भी शामिल है। अफसर के जरिये ही मंत्रीजी के पास ठेकेदारों का माल-मसाला पहंुचता था। लेकिन, एसीबी ने वह भी बंद कर दिया। वैसे भी, एक-एक कर सप्लाई लाइन काटने से मंत्रीजी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है।

सर्वाधिक डायरेक्ट

बिलासपुर सूबे का पहला जिला होगा, जहां न केवल पांच आईएएस पोस्टेड हैं बल्कि सबके सब डायरेक्ट भी। कमिश्नर सोनमणि बोरा से शुरूआत होती है। इसके बाद कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल परदेशी, जिला पंचायत सीईओ सर्वेश भूरे, एडिशनल कलेक्टर जेपी मौर्या, नगर निगम कमिश्नर रानू साहू। रायपुर में भी पांच आईएएस पोस्टेड हैं। मगर इनमें दो प्रमोटी हैं। बिलासपुर में चूकि सबके सब डायरेक्ट है सो, वहां के लोगों की उम्मीदें भी ज्यादा होगी ना।

कलेक्टर नहीं, कमिश्नर

वैसे तो, छत्तीसगढ़ में कई आईएएस हैं, जो कलेक्टर नहीं बन सके। या तो वे रिटायर हो गए या फिर चला-चली की बेला में हैं। लेकिन एसएल रात्रे का केस कुछ हटके हैं। उन्हें कलेक्टर बनने का मौका नहीं मिला। मगर प्रभारी ही सही, कमिश्नर जरूर रह लिए। वो भी बिलासपुर जैसे कमिश्नरी में। करीब साल भर तक। जब केडीपी राव ने कमिश्नर बनने से इंकार कर दिया था। रात्रे का रिटायरमेंट करीब है। वे इस बात से ही प्रसन्न होंगे कि कलेक्टर ना सही, कमिश्नर का सुख तो भोग लिए। वो भी ऐसी जगह, जहां सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, रीना कंगाले, ओपी चैधरी, मुकेश बंसल जैसे हाईप्रोफाइल कलेक्टर रहे या अभी हैं।

हफ्ते का व्हाट्सएप

संता जा रहा था। रास्ते में एक चुड़ैल ने उसे रोक कर कहा, हा..हा….हा……., रुकजा मैं चुड़ैल हूं। संता ने कहा, मैनु पता है। तेरी एक बहिन मेरे नाल ही ब्याही है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. कांग्रेसियों ने रायपुर के शंकर नगर स्थित अमर अग्रवाल के बंगले में तोड़फोड़ की, मगर उनके बाउंड्री से जुड़े बृजमोहन अग्रवाल के बंगले को क्यों बख्श दिया?
2. क्रांतिकारी सी ग्वेरा के अनुयायी कलेक्टर का नाम बताइये, जिन पर माओवादियों के कैम्पों में जाने के आरोप लग रहे हैं?