बुधवार, 16 अगस्त 2017

लक्ष्मी पुत्रों के दिन खराब


13 अगस्त
संजय दीक्षित
आमतौर पर लोग कहते हैं, छत्तीसगढ़ में अग्रवालों की सरकार है….अच्छी पोस्टिंग के लिए वैश्य होना जरूरी है। मगर राहु एवं गुरू के गोचर होने के कारण वैश्य नेताओं और अफसरों के अब बुरे दौर शुरू हो गए हैं। सबसे पहिले मोहन भैया की बात करें। राहु और गुरू के एक साथ आने का कुप्रभाव कहें कि उनके जैसे मैच्योर लीडर खम ठोककर लगा ललकारने…..सुन लो….तुम्हारे भी बाल-बच्चे हैं। राहु का दूसरा शिकार बनें डीआईजी केसी अग्रवाल। 5 अगस्त को दिन भर पीएचक्यू में नौकरी बजा कर शाम सात बजे भिलाई स्थित घर पहुंचे थे। अगले दिन संडे था। डिनर के बाद परिवार के साथ संडे का प्लान बना रहे थे कि कॉल बेल बजा। दरवाजा खोले तो देखा एआईजी अभिषेक पाठक हाथ में लिफाफा लिए गमगीन मुद्रा में खड़े हैं। पाठक से लिफाफा लेकर जब उसे खोला तो केसी के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। उन्हेंं नौकरी से रिटायर कर दिया गया था। केसी के खिलाफ आरोप क्या है, किसी को नहीं मालूम। ना कोई डीई, ना ही जांच….फिर भी निबट गए। 11 अगस्त को प्रिंसिपल सिकरेट्री रैंक के आईएएस बाबूलाल अग्रवाल की छुट्टी हो गई। और, इसी दिन धमतरी की अग्रवाल महिला ने जिन आईपीएस अफसरों के साथ अपने रिश्ते जोड़े हैं, वे भी आखिर लक्ष्मीपुत्र ही हैं। ऐसे में, दीगर अग्रवाल नेताओं और अफसरों को कोई नुकसान हो, इससे पहिले उन्हें राहु को ठंडा करने का कोई उपाय करा लेना चाहिए।

3-2 का स्कोर

5 अगस्त को दो डीआईजी को फोर्सली रिटायर करने की खबर ने आईपीएस बिरादरी को हिला दिया। कई अफसरों की तो सदमे जैसी स्थिति थी। 6 को रविवार था। पीएचक्यू के 90 परसेंट से अधिक अफसरों ने अपना मोबाइल बंद कर दिया था। या फिर फोन पिक नहीं किया। बेचारे अपने मुंह से इस बुरी खबर की पुष्टि करना नहीं चाहते थे….लग रहा था, अपना कोई चला गया। गुस्सा भी था….आईपीएस ही क्यों….? तीन-तीन आईपीएस और आईएएस एक भी नहीं। ये तो पक्षपात है….आईएएस को बचाया जा रहा है। आईपीएस अफसरों के चेहरे पर चमक तब आई जब 11 अगस्त को सुबह अचानक स्कोर बोर्ड 3-2 बताने लगा। आईएएस अजयपाल और बाबूलाल पेवेलियन लौट चुके थे। चलिये, आईपीएस में कम-से-कम ये बात अच्छी है, वे अपने प्रमोटी आईपीएस के लिए भी दुखी होते हैं। आईएएस लॉबी प्रमोटी को बड़ा बाबू से ज्यादा नहीं समझती।

महिला होने का वेटेज

ऑल इंडिया सर्विस रिव्यू कमेटी ने तीन आईएएस के नाम भारत सरकार को भेजे थे। इनमें अजयपाल और बाबूलाल के अलावा एक महिला आईएएस भी थीं। महिला अफसर के खिलाफ जमीन से संबंधित कोई पुराना मामला है। महिला एक वर्ग विशेष से भी आती है। जाहिर है, उनकी छुट्टी होने पर मैसेज अच्छा नहीं जाता। लिहाजा, डीओपीटी ने उन्हें कंसीडर कर लिया।अब आईएफएस का नम्बरआईपीएस, आईएएस से पांच अफसरों की छंटनी के बाद अब ऑल इंडिया सर्विस में आईएफएस कैडर बच गया है। रिव्यू कमेटी ने आईएफएस अफसरों के नाम भी भारत सरकार को भेजा है। इस कैडर से भी कम-से-कम दो आफिसर्स के रिमूव होने की चर्चा है।

कलेक्टरी के दावेदार

राप्रसे के 9 अफसरों के आईएएस अवार्ड होने के बाद कलेक्टरी के दावेदारों की संख्या और बढ़ गई है। इनमें जितेंद्र शुक्ला को जिला मिलना इसलिए तय लग रहा है क्योंकि, उन्हें 2009 बैच मिला है। सूबे में 2010 बैच के चार में से तीन आईएएस कलेक्टर बन गए हैं। दूसरा, जितेंद्र सरकार के लिए टेस्टेड हैं। जोगी के समय उनके गृह जिले के एसडीएम रहे। और, बीजेपी सरकार में बिलासपुर, कोरबा और रायपुर जैसे निगम के कमिश्नर। लंबे समय से वे राजघानी में सरकार के नजदीक रहकर काम कर रहे हैं। हालांकि, रसूख के मामले में तारण सिनहा का जवाब नहीं है। मगर उनका बैच 2011 मिला है। इस बैच के आईएएस अभी कलेक्टर बने नहीं है। अगर समरथ को नहीं…..वाला मामला रहा तो तारण को भी मौका मिल सकता है।

 साब! 500 ले लो…

रायपुर नगर निगम ने खुले में शौच करने वालों के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। कमिश्नर रजत बंसल से लेकर पूरा अमला सुबह पांच बजे निकल पड़ता है। इस दौरान निगम अफसरों को ऐसे वाकयों से साबका पड़ रहा है कि बताने में वे शरमा जा रहे हैं। जोन क्रमांक तीन के अफसरों को शुक्रवार को एक अधेर व्यक्ति से पाला पड़ा, जो काफी प्रेशर में था। अफसरों ने कहा, तूने अगर यहां……तो 500 रुपए जुर्माना देना होगा। जवाब मिला….साब! 500 ले लेना, मगर अभी तो मत रोको और वहीं बैठ गया। अफसरों को मुंह घुमाने के अलावा कोई चारा नहीं था। हालांकि, उसकी इमरजेंसी देखकर हेल्थ आफिसर ने उसे माफी दे दी। बहरहाल, लोगों को टायलेट का यूज करने के लिए प्रेरित करने में निगम अमले को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। समता कालोनी से लगे झुग्गी-झोपड़ी इलाके में अफसर जब समझाइस देने पहुंचे तो कुछ लोगों ने ऐसी व्यथा सुना दी कि अफसर निरुत्तर हो गए….साब, टॉयलेट तो बन गया है, लेकिन बंद जगह पर प्रे..श…..र बनता नहीं है। लगता है, मोदीजी के इस अभियान को सफल होने में अभी वक्त लगेगा।

आ बैल मुझे मार

दंतेवाडा के पालनार कन्या छात्रावास में जो कुछ हुआ, उसे पुलिस के लिए आ बैल मुझे मार से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता। आला अफसरानों को इसकी जांच करनी चाहिए कि किसके निर्देश पर सीआरपीएफ के जवानों को लड़कियों के हॉस्टल में राखी बंधवाने के लिए भेज दिया गया। और, वो भी दो सौ से अधिक जवानों को। कॉमन सेंस होना चाहिए, इतनी अधिक संख्या में पैरा मिलिट्री फोर्स के जवानों को कंट्रोल नहीं किया जा सकता। दो-एक सिरफिरे निकल ही जाते हैं। फिर, राखी में डांस….इससे पहिले कभी नहीं हुआ। पालनार कन्या छात्रावास में दंतेवाड़ा के पुलिस अधिकारी, सीआरपीएफ अफसर नाचने में इतने मस्त हो गए कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उनके जवान क्या कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़ियां

देश में आईएएस, आईपीएस से जिन आठ अफसरों की भारत सरकार ने छुट्टी की है, उनमें पांच छत्तीसगढ़ से हैं। याने 27 राज्यों से तीन और ढाई करोड़ आबादी वाले छत्तीसगढ़ से पूरे पांच। आठ करोड़ वाले यूपी से एक भी नहीं। चीफ सिकरेट्री की अध्यक्षता वाली रिव्यू कमेटी ने पांच अफसरों को बर्खास्तगी की सिफारिश करके वाकई छत्तीसगढ़ का नाम उंचा कर दिया….पूरे देश में छत्तीसगढ़ की चर्चा हो रही है। ठीक ही कहते हैं, छत्तीसगढ़ियां सबले बढ़ियां।

चार माटी पुत्र

छत्तीसगढ़ से जिन पांच आईएएस, आईपीएस को नौकरी से हकाला गया है, इनमें चार माटी पुत्र हैं। सिर्फ अजयपाल सिंह बाहर से हैं। बाकि, आईपीएस में राजकुमार देवांगन जांजगीर, एएम जुरी कांकेर, केसी अग्रवाल बिलासपुर और आईएएस में बाबूलाल अग्रवाल रायपुर। दिलचस्प यह है कि माटी पुत्रों को मारने वाले भी माटी पुत्र हैं। गजब कि न्यायप्रियता है भाई! अपना-पराया कुछ नहीं…सिर्फ न्याय।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस आईजी ने अपनी महिला मित्र को रायपुर में फ्लैट खरीदकर दिया है उसके नाम पर स्वागत विहार के पास आठ एकड़ जमीन खरीदा है?
2. रिटायर आईएएस डीएस मिश्रा को साल भर पहिले जब सहकारी निर्वाचन आयुक्त का ऑफर दिया गया था, तो उन्होंने ठुकरा दिया था। अब कैसे तैयार हो गए?

सर्वज्ञानी अफसर


6 अगस्त
संजय दीक्षित
सतत् विकास और प्रशासकीय सुधार पर स्टेट प्लानिंग कमीशन ने नया रायपुर में नेशनल वर्कशॉप किया। इसमें देश भर से एक दर्जन से अधिक जाने-माने नौकरशाहों ने भी शिरकत की। 64 बैच के डा0 एनसी सक्सेना, 73 बैच के फार्मर सिकरेट्री सत्यानंद मिश्रा, तो तीन प्रधानमंत्रियों के ज्वाइंट सिकरेट्री रहे 68 बैच के एसएस मीनाक्षीसुंदरम भी। वर्कशॉप के समापन समारोह में सीएम डा0 रमन सिंह भी पहुंचे। कार्यक्रम में दिग्गज हस्तियां को देखकर सीएम ने अफसोस जाहिर किया…..दिग्गज ब्यूरोक्रेट्स एवं डिफरेंट फील्ड से देश के नामचीन विद्वान छत्तीसगढ़ आए हैं….काश! मैं दोनों दिन वर्कशॉप में मौजूद रहता तो मुझे और सीखने को मिलता। मगर हैरानी की बात ये कि इस वर्कशॉप में एक भी ब्यूरोक्रेट्स नजर नहीं आए। जबकि, विधानसभा भी एक दिन पहले दोपहर में समाप्त हो गया था। वैसे, छत्तीसगढ़ के सर्वज्ञानी नौकरशाहों को सीखने की जरूरत भी नहीं है। दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश से चुन-चुनकर छंटे हुए अफसरों को जो यहां भेजा है….।

 वेट फॉर सुटेबल आईएएस?

बिल्डरों पर लगाम लगाने के लिए बनाए जा रहे रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन में अभी कुछ और वक्त लग सकते हैं। वजह? सुटेबल कंडिडेट नहीं मिल रहा है। सरकार ने जस्टिस प्रितिंकर दिवाकर की अध्यक्षता में कमिटी बना दी है। पीएस आवास एवं पर्यावरण अमन सिंह और पीएस लॉ आरके शर्मा इसके सदस्य हैं। चेयरमैन के लिए दो आवेदन भी आए हैं…..रिटायर एसीएस डीएस मिश्रा और एनके असवाल के। लेकिन, कमिटी की अभी एक भी बैठक नहीं हुई है। लिहाजा, माना जा रहा है, इस रसूखदार पद के लिए सरकार की तलाश अभी पूरी नहीं हुई है। चेयरमैन के लिए रिटायर प्रिंसिपल सिकरेट्री से लेकर चीफ सिकरेट्री तक अप्लाई कर सकते हैं। ऐसे में, सवाल तो उठते हैं….सरकार कहीं किसी सुटेबल आईएएस के रिटायर होने की प्रतीक्षा तो नहीं कर रही है?

बीजेपी डिफेंसिव

बीजेपी की थर्ड इनिंग में यह पहिला मौका होगा, जब सत्ताधारी पार्टी डिफेंसिव दिखी। प्रेमप्रकाश पाण्डेय और अजय चंद्राकर की सलामी जोड़ी ने पारी संभालने की भरपूर कोशिश की। मगर जिस तरह के कांफिडेंस पहले दिखते थे, वह नदारत था। कांग्रेस ने इसका लाभ उठाने में कोई गलती नहीं की। मुख्य विपक्षी पार्टी के लिए भी हॉवी होने का यह पहला मौका था। नेता प्रतिपक्ष का उत्साह देखिए, पार्टी से अलग लाइन लेने पर सियाराम कौशिक और आरके राय को उन्होंने विधानसभा की लॉबी में ही बोल दिया…..निष्कासित किए जाएंगे। और, अगले दिन नोटिस भी इश्यू हो गई। कांग्रेस ने अपना घर दुरुस्त करना शुरू कर दिया है तो सत्ताधारी पार्टी को सोचना चाहिए।

 हार्ड लक

यूपीएससी में अबकी छत्तीसगढ़ के लिए बड़ा हार्डलक रहा। सिर्फ एक आईएएस से संतोष करना पड़ा। डिप्टी कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा सलेक्ट हुए। सर्वाधिक अफसोस दंतेवाड़ा की नम्रता जैन के लिए हुआ। 99 रैंक आने के बाद भी वे आईएएस के लिए सलेक्ट नहीं हो पाईं। इस बार उन्होंने यूपीएससी भी नहीं दिया। शायद उन्हें पूरा भरोसा रहा होगा। लानत है, बस्तर में पोस्टेड आईएएस अफसरों को। आमतौर पर परिपाटी रही है, यूपीएससी में परफार्म करने वाले प्रतिभागियों से वहां पोस्टेड आईएएस बुलाकर मिलते थे….एंकरेज करते थे…..उन्हें बताते थे कि अगली बार ये चूक मत करना। लेकिन, बस्तर के किसी भी नौकरशाह ने नम्रता को नहीं बताया कि रिस्क लेने की बजाए यूपीएससी फिर कंपीट करो।

पोस्टिंग या वरदान

यूपीएससी के इंटरव्यू के हफ्ते भर पहिले चंद्रकांत वर्मा को सरकार ने जब जनपद सीईओ बनाकर कोंटा भेजा, तो जाहिर है, उन्हें बुरा लगा होगा….सरकार ने कहां आंध्र के बार्डर पर पटक दिया। मगर कोंटा की पोस्टिंग चंद्रकुमार वर्मा के लिए वरदान बन गई। धुर नक्सल प्रभावित बस्तर लाइमलाइट में है। जाहिर है, वहां नौकरी करने वालों के प्रति स्वाभाविक तौर पर एक अलग दृष्टिकोण बनता है। वरना, चंद्रकांत का 352 रैंक था। कह सकते हैं, एकदम बाउंड्री पर। ऐसे में, कुछ भी हो सकता था।

चोरी और सीनाजोरी

सर्वेश्वर एनईकट के टेंडर में सिंचाई विभाग के अफसरों ने 15 करोड़ का खेल कर दिया। 41 और 42 करोड़ रेट देने वाली पार्टियों को कितने डेसिंग के साथ बाहर किया गया, इसके सारे पेपर हैं। कंट्रक्शन कंपनियों को जिस आधार पर बाहर किया गया, उन्हें कुछ दिन बाद फिर उसी बेस पर टेंडर प्रदान किया गया। इसके बाद भी सिंचाई विभाग सफाई दे रहा है, तो ये चोरी और सीनाजोरी ही तो हुआ।

अंत में दो सवाल आपसे

1. कांग्रेस नेताओं की जमीन की जांच-पड़ताल, नापी-जोखी अब सरकार करवाएगी?
2. सरकार के किस मंत्री की आजकल जोगी कांग्रेस से खूब छन रही है?  

समरथ को नहीं दोष गोसाई

23 जुलाई

संजय दीक्षित
राज्य प्रशासनिक सेवा के सुधाकर खलको और भरतलाल बंजारे का आईएएस अवार्ड लटक गया। इनका मामला कोई बहुत गंभीर भी नहीं था। सीआर में गुड और वेरी गुड का चक्कर था। अलबत्ता, एक ऐसे राप्रसे अफसर के आईएएस अवार्ड को हरी झंडी मिल गई, जिन पर करोड़ों के जमीन घोटाले की तोहमत है। जनाब ने एसडीएम रहने के दौरान सरकारी जमीन बिल्डर को सौंप दी….प्रति प्लाट दो पेटी लेकर ले आउट एप्रुव कर दिया। अब 50 से अधिक लोग अपनी जमीन के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। बिल्डर की हर्ट अटैक से असामयिक मौत हो गई। आईएएस अलेक्स पाल मेनन की जांच रिपोर्ट में राप्रसे अफसर के खिलाफ गंभीर टिप्पणी की गई है। सीएम भी बोल चुके हैं…. अब जीरो टॉलरेंस। इसके बाद भी दिल्ली में हुई डीपीसी में दागी अफसर को आईएएस अवार्ड के लिए हरी झंडी मिल गई। ऐसे में, खलको और बंजारे को तुलसीदासजी की चौपाई को याद करके संतोष कर लेना चाहिए…..समरथ को नहीं दोष गोसाई…..।

अंतरात्मा की आवाज

राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी को दो वोट अधिक मिल गए। जाहिर है, क्रॉस वोटिंग को लेकर कांग्रेस और जोगी कांग्रेस में मुश्कें कसनी ही थी…..दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे पर क्रॉस वोटिंग का आरोप लगा रही हैं। मगर अंदर की बात यह है कि एक वोट तो कांग्रेस के ही एक विधायक ने खराब कर डाला। बेचारे ज्यादा पढ़े-लिखे हैं….वोट डालने का सिस्टम समझ ही नहीं पाए। कांग्रेस का दूसरा वोट जानबूझकर इनवैलिड किया गया। कांग्रेस नेताओं को शक है कि दीगर दलों के प्रति वफादारी के चक्कर में बिलासपुर जिले के विधायक ने गड़बड़ कर डाला। रही बात कांग्रेस के निलंबित विधायक अमित जोगी और आरके राय की, दोनों ने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट दिया होगा। इसके बाद अब मत पूछिएगा, कोविंद को दो वोट अधिक कैसे मिल गए।

ये है कांग्रेस का हाल!

अजीत जोगी के कांग्रेस से अलग होने के बाद समझा गया था कि अब कांग्रेस के सारे प्राब्लम छू-मंतर हो गए। अब, सत्ता में आने से कोई रोक नहीं सकता। लेकिन, विचित्र पार्टी है….कभी एक हो नहीं सकते। राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग को ही बानगी लें। पीसीसी चीफ भूपेश बघेल गोलमोल बोले, जोगी परिवार पर विश्वास नहीं किया जा सकता। लेकिन, शिव डहरिया तीन कदम आगे बढ़कर रेणु जोगी को पार्टी से निकालने की ही मांग कर डाली। दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष का बयान आया, रेणु जोगी जिम्मदार और भरोसेमंद नेत्री हैं….वे क्रॉस वोटिंग कर ही नहीं सकती। याने तीन नेता, तीन बयान…..ये है कांग्रेस का हाल।

 नजर लागे राजा…

.प्रायवेट सेक्टर के यंग प्रोफेशनल्स को सरकारी विभागों से जोड़ने के लिए रमन सरकार ने एक नायाब फेलोशिप शुरू की है। सीजी सीएम गुड गवर्नेंस फेलोशिप प्रोग्राम। यह प्रोग्राम शुरू करने वाला छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य है। इससे पहिले, सिर्फ हरियाणा में चल रहा है। दो-दो साल के फेलोशिप में 42 प्रोफेशनल्स को चुना जाना है। इसमें पगार भी जोरदार है। एक लाख से लेकर ढाई लाख तक। ऐसे में, नौकरशाहों के नाते-रिश्तेदारों का मन भला कैसे नहीं ललचेगा। कुछ अफसरों की पत्नियां दो नम्बर में लुके-छिपे कुछ-कुछ करते ही रहती हैं। प्रोग्राम के लांच होते ही एक कलेक्टर ने सरकार से एप्रोच कर डाला। लेकिन, उपर से दो टूक जवाब मिल गया। फेलोशिप में किसी के नाते-रिश्तेदारों के लिए कोई जगह नहीं होगी…..सीएम साब चाहते हैं….ऐसे लोग चुने जाएं, जिनके अपाइंटमेंट से विभागों का परफारमेंस सुधरे। संदेश साफ है, दीगर कलेक्टर या ब्यूरोक्रेट्स अपनों के लिए ट्राई नहीं करें।

खबरों में अफसर

वीवीआईपी जिले के आला आफिसर्स अपनी पत्नियों के साथ मंगलवार को दाल-भात केंद्र में लंच क्या किया, सोशल मीडिया में उन्हें सैल्यूट करने वालों की बाढ़ आ गई। कोई उन्हें गरीबों का मसीहा बता रहा था तो किसी ने लिखा, दाल-भात केंद्र में खाना खाने वाला कलेक्टर इस राज्य में कभी हुआ ही नहीं। उसी जिले में सिद्धार्थ कोमल परदेशी से लेकर मुकेश बंसल, पी दयानंद, धनंजय देवांगन जैसे कलेक्टर रहे हैं। लेकिन, आपको याद नहीं होगा, इस अंदाज में इनकी फोटो कहीं दिखी होगी। बुद्धिमान अफसर इस तरह के कृत्य कभी करते भी नहीं….फिर जिला वीवीआईपी का हो तब तो और संजीदा रहना चाहिए। दाल-भात केंद्र के खाने का अगर टेस्ट ही करना था, तो बिना फोटोबाजी के भी इसे किया जा सकता था। दरअसल, दोष अफसरों का नहीं है। आफिसर्स तो अच्छे हैं, पर छत्तीसगढ़ में ढंग से उनकी ट्रेनिंग हो नहीं पाई। उन्हें यह नहीं बताया गया कि अच्छे अफसर खुद खबर नहीं बनता….राजनेताओं को आगे रखता है। बाकी वह दिल से काम किया होगा, तो अल्टीमेटली क्रेेडिट उसे मिलेगा ही।

बहादुर आईपीएस

इस हफ्ते राज्य पुलिस सेवा के तीन अफसरों को आईपीएस अवार्ड करने के लिए डीपीसी हुई। खबर है, तीनों के नाम को कमेटी ने एप्रुवल दे दिया है। अगले महीने तक नोटिफिकेशन भी हो जाएगा। मगर इनमें से एक अफसर की बहादुरी के बारे में आपको जानना जरूरी है। राजनांदगांव एसपी विनोद चौबे के शहीद होने के बाद इस बहादुर अफसर को सरकार ने वहां के एक सबडिविजन में एसडीओपी बनाया था। लेकिन, आदेश निकलते ही अफसर को रात में नक्सलियों के डरावने सपने आने लगे….एके-47 लिए माओवादियों ने उन्हें घेर लिया है। लिहाजा, जान है, तो जहां है…..उन्होंने वहां ज्वाईन करने से इंकार कर दिया। चले गए छुट्टी पर। लौटने पर कुछ साल तक लूप लाइन में रहे। उसके बाद फील्डिंग करके मुख्य धारा में आए और अब आईपीएस भी बन जाएंगे। देश के धुर नक्सल प्रभावित स्टेट में अगर ऐसे बहादुर आईपीएस होंगे, तो नक्सलिज्म खतम होने में देर नहीं होगी।

सीएम हलाकान?

पीसीसी चीफ भूपेश बघेल के जमीन एपीसोड पर सीएम भी कम परेशान नहीं हैं। जोगी कांग्रेस हर तीसरे रोज मय दस्तावेज जमीन घोटाला पेश कर देता है। और, मीडिया को जवाब देना पड़ता है सीएम को। जोगी कांग्रेस जब भी आरोप लगाती है, मीडिया वाले हेलीपैड पर डाक्टर साब को घेर लेते हैं….क्या कार्रवाई होगी? डाक्टर साब चीर परिचित गंभीर मुद्रा में जवाब देते हैं….कलेक्टर इसकी जांच करेंगे। डाक्टर साब भी सोच रहे होंगे, जमीन कब्जा किया किसी ने, आरोप कोई और लगा रहा है और जवाब मुझे देना पड़ रहा है।

 अंत में दो सवाल आपसे

1. भूपेश बघेल और चरणदास महंत के बीच चौड़ी होती खाई की मेन वजह क्या है?
2. बलरामपुर एसपी के लिए नाम चला आईपीएस इंदिरा कल्याण का तो आचला कैसे बाजी मार ले गए?