बुधवार, 24 जून 2015

तरकश, 21 जून


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मलमास में लालबत्ती

लाल बत्ती अभी बंटी नहीं मगर इसके दावेदारों में मलमास का भय जरूर सताने लगा है। 17 जून से मलमास लगा है। याने इस दौरान कोई शुभ काम नहीं होंगे। राजनीति में वैसे भी शुभ वक्त का बड़ा ध्यान रखा जाता है। सो, चिंता लाजिमी है। लाल बत्ती के लिए जिन बड़े नेताओं के नाम लगभग तय है, उनमें से कुछ ने उपर मैसेज कराए हैं…मलमास चल रहा है, कुछ दिन रुक जाता तो…..। हालांकि, ऐसा होना मुमकिन नहीं दिख रहा। क्योंकि, तैयारी पूरी हो गई है। सौदान सिंह इसी सिलसिले में दिल्ली से आए थे। जैसी कि खबरें आ रही हैं अगले हफ्ते बुध-गुरू तक लाल बत्ती का ऐलान हो जाए, तो आश्चर्य नहीं। पार्टी ने अबकी फार्मूला बनाया है, जो दो टर्म कर चुके हैं, वे संगठन में आएंगे और संगठन वाले बोर्ड एवं कारपोरेशनों में।

बोवाज या सिनहा?

वन विभाग नए मुखिया के लिए अरण्यक में सरगर्मियां तेज हो गई है। जिसको जहां बन पड़ रहा है, उस लेवल से एप्रोच लगा रहा है। पीसीसीएफ रामप्रकाश 30 जून को रिटायर होंगे। जाहिर है, 29 जून की शाम तक नए पीसीसीएफ का ऐलान हो जाएगा। सीनियरिटी की दृष्टि से 79 बैच के एके बोवाज पहले नम्बर पर हैं। उनके साथ प्लस यह है कि उनके रिटायरमेंट में तीन साल बाकी है। दूसरे नम्बर पर बीएन द्विवेदी हैं। और, तीसरा बीके सिनहा। वन विभाग के चाणक्य माने जाने वाले सिनहा अगले साल रिटायर होंगे। सिनहा की काबिलियत पर किसी को संशय नहीं है। सिनहा के विरोधियों का भी मानना है कि उनके पीसीसीएफ बनने से वन विभाग का भला होगा। सरकार में भी वे काम कर चुके हैं। लेकिन, दिक्कत यह है कि इसके लिए उन्हें दो अफसरों को ओवरलुक करना होगा। फिर, राजनीतिक परिस्थितियां भी बहुत ज्यादा उनके अनुकूल नहीं है। यही वजह है, वन महकमे के लोग मान रहे हैं कि सिनियरटी को वेटेज देते हुए सरकार कहीं बोवाज के नाम पर मुहर न लगा दें।

छोटी लिस्ट

कलेक्टरों की एक बड़ी लिस्ट जुलाई में विधानसभा के मानसून सत्र के बाद निकलेगी। मगर दो-तीन कलेक्टरों की लिस्ट अगले हफ्ते निकल सकती है। इनमें सभी छोटे जिले के कलेक्टर शामिल है। इनमें दो प्रमोटी और एक डायरेक्टर आईएएस को एडजस्ट किया जाएगा। खबर है, कुछ छोटे जिलांें के कलेक्टरों की बड़ी शिकायतें है। वे शासन का काम छोड़कर बाकी सब कर रहे हैं।

मनमोहन ठीक थे

विधानसभा के सेंट्रल हाल में सरकार के योगाभ्यास के दौरान मंत्रियों एवं विधायकों ने खूब चूहल भी किए। एक टांग पर खड़े होकर योग करने के बाद एक मंत्री वरिष्ठ मंत्री ने हौले से चुटकी ली, इससे बढि़या मनमोहन सिंह थे। कम-से-कम एक टांग पर खड़ा तो नहीं कराया। अजय चंद्राकर की सेहत ठीक नहीं थी। इसलिए, वे महज हाजिरी लगाने के लिए विधानसभा पहुंचे थे। बिल्कुल योगी अंदाज में। धोती-कुर्ता पहनकर। स्पीकर कक्ष में उनको देखकर प्रेमप्रकाश पाण्डेय बोले, अजय जी जब से हेल्थ मिनिस्टर बनें हैं, इनका स्वास्थ्य खराब होने लगा है।

दोनों कामयाब

राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ दौरे से कांग्रेस का कितना भला हुआ, ये बताने की जरूरत नहीं है मगर संगठन और विरोधी, दोनों खेमा अपने मकसद में शत-प्रतिशत कामयाब रहा। राहुल के बिलासपुर एयरस्ट्रीप पर उतरने से लेकर दूसरे दिन रायपुर में नए कांग्रेस भवन के शिलान्यास तक शत-मात का खेल सबने देखा। पूरे दौरे में संगठन ने विरोधी खेमे को किनारे करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, तो विरोधी खेमा राहुल के दौरे को वाट लगाने में। विरोधी गुट राहुल के हर कार्यक्रम में यह मैसेज देने में कामयाब रहा कि यहां उन्हें इगनोर नहीं किया जा सकता। इगनोर किया गया तो इसी तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ेगा…..पार्टी सुप्रीमो राहुल गांधी के सामने उंगली दिखाकर तू-तू-मैं-मैं होते पूरे देश ने पहली बार देखा ही।

अंत में दो सवाल आपसे

1. राहुल गांधी के दौरे के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता मायूस होकर ऐसा क्यों कहने लगे हैं कि रमन सिंह चैथी बार सरकार बना लेंगे?
2. मंत्रालय में एक आला अधिकारी के दो स्टाफ को किस आरोप में यकबयक हटा दिया गया?

शनिवार, 13 जून 2015

तरकश, 14 जून

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संजय दीक्षित

 

झूम बराबर…..

जानीवाकर जैसे ब्रांडेड पीने वाले सूबे के एक युवा कलेक्टर को पिछले हफ्ते कुछ नया लेने का सूझा। उनके अफसरांे ने उन्हें जो नए ब्रांड बताए, वे लगभग सभी ले चुके थे। इस पर डीएफओ ने सलाह दी, सर! एक बार हर्बल लेकर देखिए। हर्बल? महुआ…..एकदम अलग फील करेंगे सर। कलेक्टर पहले चैंके, फिर ओके कर दिया। इसके बाद, संडे को कलेक्टर बंगले में महफिल सजी। कलेक्टर के लिए पहला मौका था, हर्बल भी प्योर। सो, तीन पैग के बाद साब होश खोने लगे। बताते हैं, पहले झूमते हुए, झूम बराबर, झूम शराबी….गाए। फिर, चैथे पैग के बाद घूटनों के बल बैठकर नागिन डांस। कलेक्टर साब नागिन बनें और डीएफओ सपेरा। पार्टी में जिले के कई बड़े अफसर थे। हर्बल का रंग उन पर भी चढ़ चुका था। रात तीन बजे तक कलेक्टर बंगले में जमकर हंगामा बरपा। इतना कि अगल-बगल रहने वालों की नींद खुल गई। इसकी चर्चा जिले से निकलकर अब राजधानी पहुंच गई है। बताते हैं, कलेक्टर पार्टी के शौकीन है। कभी सर्किट हाउस तो कभी दूसरे विभागों के विश्रामगृहों में आए दिन महफिल जमती रहती है। इस बार गरमी की छुट्टी में पत्नी मायके गई है। इसलिए, कुछ दिन से बंगले में ही रंग जम रहा है।

लाल बत्ती की रेवड़ी

बोर्ड एवं निगमों में पोस्टिंग की लिस्ट लगभग फाइनल स्टेज में है। एक-दो नामों पर मामला अटका हुआ है। विरोधी खेमे के एक विधायक माईनिंग कारपोरेशन चाह रहे हैं मगर सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। सब कुछ ठीक रहा तो 15 या 16 जून को इसका ऐलान हो सकता है। इनमें युद्धवीर सिंह जूदेव, चेयरमैन वन विकास निगम, शिवरतन शर्मा चेयरमैन सीएसआईडीसी, देवजी भाई पटेल चेयरमैन नागरिक आपूर्ति निगम या वेयर हाउस, भूपेंद्र सवन्नी चेयरमैन बे्रवरेज कारपोरेशन, शिवनारायण तिवारी, श्रम कल्याण मंडल और बद्रीधर दीवान का नाम डिप्टी स्पीकर के लिए चर्चा में है। हाउसिंग बोर्ड, बीज विकास निगम और माईनिंग कारपोरेशन को लेकर अभी जद्दोजहद चल रहा है। जाहिर है, फस्र्ट फेज में अभी बड़े बोर्ड एवं निगमों में पोस्टिंग होगी। इसके बाद छोटे में। हालांकि, पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है, पेंच फंसने के चलते दो-एक रोज में नियुक्तियां नहीं हो पाई तो फिर विधानसभा के मानसून सत्र के बाद ही समझिए।

नाराजगी?

इसे अब आला अधिकारी के साथ नाराजगी माना जाए या कुछ और। मगर खबर सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छत्तीसगढ़ दौरे की एक फोटो में पीएम, गर्वनर, सीएम के साथ अफसर भी खड़े थे। फोटो अच्छी आई थी, इसलिए उसे मढ़वा कर एक पावरफुल हाउस में लगवाया गया। मगर नेक्स्ट डे यह कहते हुए तस्वीर हटवा दी गई कि अफसर की फोटो हाउस में क्यों। आप अनुमान लगा सकते हैं, कौन-सा हाउस होगा और कौन से अफसर।

छह जिला खाली

2004 और 2005 बैच के कलेक्टरों के ट्रेनिंग में मसूरी जाने से आधा दर्जन जिला प्रभार में चल रहा है। सूबे में सर्वाघिक कलेक्टर 2005 बैच से हैं। मुकेश बंसल, राजनांदगांव, ओपी चैधरी, जांजगीर, आर संगीता, दुर्ग, प्रकाश, कोरिया, संजय अलंग, मुंगेली। 2004 बैच की अलरमेल डी ममगई, कलेक्टर रायगढ़ पिछले साल ट्रेनिंग पर नहीं जा पाई थी। सो, इस बार वो भी गईं हैं। मसूरी के बाद साउथ कोरिया में ट्रेनिंग होगी। वहां से लौटकर फिर मसूरी में हफ्ते भर की ट्रेनिंग। सभी 20 जुलाई तक छत्तीसगढ़ लौटेंगे।

संकट

राहुल के पदयात्रा से सबसे अधिक दिक्कत में महिला कांग्रेसी हैं। राहुल के साथ पैदल चलना भी चाहती हैं और मौसम को देखकर मन भी मसोस रही हैं। वो भी इतनी उमस और गरमी में। एक महिला नेेत्री ने ही शेयर किया, तैयार होकर आएंगी लेकिन मुआ पसीना…..। तभी तो कांग्रेस भवन में जब पूछा गया कि कौन-कौन चलेंगी तो जवाब मिला, बताते हैं। बहरहाल, राहुल के पदयात्रा में कई काग्रेसियों की फिटनेस की परीक्षा भी हो जाएगी। राहुल अभी जवां हैं। पैदल भी अच्छा चल लेते हैं। केदारनाथ यात्रा में लोगों ने पहाड़ पर सरपट चढ़ते लोगों ने देखा भी। कांग्रेस पार्टी में भी इसको लेकर उत्सुकता है कि कौन राहुल के बराबर चल पाता है। समझा जाता है, जो बराबर चलेगा, उसका नम्बर बढ़ेगा।

झटका

दुर्ग जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में प्रीतपाल बेलचंदन के चेयरमैन बनने से बीजेपी नेत्री सरोज पाण्डेय को झटका लगा है। पहले, वे लाख कोशिश करके भी दयालदास बघेल को मंत्री बनने से रोक नही ंपाई और अब, बैंक इलेक्शन में उनके समर्थक शिव चंद्राकर को बेलचंदन को टक्कर देने के लिए समर्थक नहीं मिले। हालांकि, चंद्राकर के लिए सरकार पर पार्टी का काफी प्रेशर था। मगर बेलचंदन ने 15 में से 12 डायरेक्टरों को अपने साथ खड़ा कर पासा पलट दिया। दुर्ग सहकारी बैंक इसलिए अहम है कि हाईकोर्ट के निर्देश पर एकमात्र बैंक का चुनाव हुआ है। और, बेलचंदन की एकतरफा जीत हुई है। ऐसे में, वे अगले लोकसभा चुनाव में दुर्ग से मजबूत दावेदार बनने का खतरा भी तो बन गया है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रोटी, भात, बांसी, बोरे खाने की बयानबाजी से राहुल गांधी के दौरे का वेट बढ़ा या कम हुआ?
2. तमाम विवादों के बाद भी महासमंुद कलेक्टर की कुर्सी नहीं हिलने की असली वजह क्या है?

सोमवार, 8 जून 2015

तरकश, 7 जून


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सिरदर्द

नए मंत्रियों में से एक मंत्री मुख्यमंत्री के लिए सिरदर्द बन सकते हैं। इसकी झलक मिलने भी लगी है। शपथ लेते ही वे चालू हो गए। वैसे भी, मंत्रीजी की शौक मिजाजी नई बात नहीं है। औरों से अंतर यह है कि वे चोरी-छिपे कुछ नहीं करते। बल्कि, डंके की चोट पर। मित्राणियां हैं, तो साथ लेकर घूमने में क्या दिक्कत। इसी वजह से पिछले साल उनके बेटे ने घर से निकाल दिया था। मंत्रीजी को नौ
दिन सर्किट हाउस में बिताने पड़े थे। बड़े जद्दोजहद के बाद घर वाले माने थे। तब वे एमएलए थे। इसलिए, चल गया। मगर अब मंत्री हैं। ऐसे में, सरकार की दिक्कतें बढ़ जाएंगी।

मेढ़क और बिच्छू

एक बार बाढ़ में बिच्छू फंस गया। उसने मेढ़क से नदी किनारे पहुंचाने का आग्रह किया। मेढ़क ने कहा, भाई! तुम डंक मारते हो, तुम्हारी मदद कर मुसीबत क्यों लूं। बिच्छू ने कहा, कैसी बात करते हो यार! तुम मेरी मदद करोगे और मैं तुम्हें डंक मारूंगा। और फिर, तुम मरोगे तो भला मैं कैसे बच पाउंगा। मैं भी तो डूब जाउंगा। बिच्छू की चिकनी बातों से मेढ़क पसीज गया। बिच्छू को पीठ पर बिठा कर जैसे ही मेंढ़क नदी के बीच में गया, बिच्छू ने डंक मार दिया। दर्द से बिलबिलाते हुए मेंढ़क ने पूछा, भाई तुमने तो प्रामिस किया था….। बिच्छू बोला, माफ करना भाई! डंक मारना तो मेरा स्वभाव है। ऐसा ही कुछ सरकार और एक सीनियर ब्यूरोक्रेट्स के बीच चल रहा है। 12 साल के शासन काल में बिच्छू ने कई बार मेढ़क को डंक मारा। मेढ़क विचलित होता है। बस, अब नहीं। मगर बिच्छू कुछ दिन में भरोसा जीत कर फिर उसकी पीठ पर सवार हो जा रहा है। अब, आप अनुमान लगाइये, मेढ़क और बिच्छू में कौन सरकार है और कौन ब्यूरोक्रेट्स?

माटी पुत्र

छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र नौकरशाहों को माटी के लिए भी कुछ काम करना चाहिए। मगर अधिकांश सिर्फ माटी का काम कर रहे हैं। माटी याने भूमि का। ऐसे माटी पुत्रों ने पिछले 10 साल में रायपुर, न्यू रायपुर और आसपास के इलाके में खासी जमीनें बनाई हैं। इतना कि आपको यकीन नहीं होगा। हाल में एक नौकरशाह ने रायपुर के पास 40 एकड़ लैंड का सौदा किया है। ठीक भी है। माटी पुत्र हैं।

सिंगल आर्डर?

इस महीने आईजी का सिंगल आर्डर निकल सकता है। अंबिकापुर के आईजी लांगकुमेर को पीएचक्यू में बुलाने पर विचार किया जा रहा है। उनकी जगह दिपांशु काबरा अंबिकापुर जा सकते हैं। हालांकि, एक स्थिति यह भी बन रही है कि लांगकुमेर जनवरी में एडिशनल डीजी प्रमोट हो जाएंगे। उसके बाद उन्हें पीएचक्यू पोस्ट किया जाए। अगर ऐसा हुआ तो फिर दिसंबर एंड या जनवरी फस्र्ट वीक में एक साथ तीन-चार आईजी बदले जाएंगे। हफ्ते-दस दिन में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। बहरहाल, दिपांशु के लिए प्रेशर काफी है। वे आईजी हो गए हैं। मगर रेंज कोई खाली है नहीं। ट्रांसपोर्ट में ओपी पाल चले गए। रायपुर, बिलासपुर, बस्तर और दुर्ग में से तत्काल कोई खाली होगा नहीं। दुर्ग रेंज की रिपोर्ट भी पोजिटिव आ रही है।

मीणा पर मुहर

राजधानी के पुलिस कप्तान के लिए दो आईपीएस के नाम सरकार की लिस्ट में थे। अमरेश मिश्रा और बद्रीनारायण मीणा। बताते हैं, अमरेश का नाम लगभग फाइनल हो गया था। मगर उनकी छबि पोस्टिंग में आड़े आ गई। जाहिर है, वे अलग मिजाज के आईपीएस हैं। कोरबा को उन्होंने बढि़यां टाईट किया है। मगर, रायपुर में इस टाईप के अफसर को पसंद नहीं किया जाता। भइया लोग शिकायत करना शुरू कर देते। सरकार ने सोचा, हटाओ….। इसके बाद मीणा का नाम फाइनल कर दिया गया।

बिना तिकड़म के

एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पहले आईजी लेवल के आईपीएस पोस्ट किए जाते थे। पहली दफा, पिछले बार डीआईजी हेमकृष्ण राठौर को ट्रांसपोर्ट की कमान सौंपी गई थी। और, इस बार एसपी लेवल के ओपी पाल को। लेवल एक-एक केटेगरी नीचे खिसकने से अब दावेदारों की संख्या बढ़ जाएंगी। पहले आईजी लेवल के आईपीएस ही जोर-आजमाइश करते थे। मगर अब एसपी से लेकर आईजी तक दांव लगाएंगे। सो, सरकार सामने अफसरों का टोटा नहीं रहेगा। बहरहाल, रायपुर एसपी ओपी पाल की ट्रांसपोर्ट में पोस्टिंग से यह साफ हो गया है कि बिना तीन-तिकड़म के भी अच्छी पोस्टिंग मिलती है। वरना, कई दिग्गज आईपीएस पिछले छह महीने से एक सूत्रीय अभियान में लगे थे।

पति और पत्नी

साल भर के अध्ययन अवकाश से लौटने के बाद सरकार ने 94 बैच के आईएएस विकासशील को सामान्य प्रशासन विभाग में पोस्ट किया है। सिकरेट्री जीएडी। उनकी पत्नी निधी छिब्बर पहले से जीएडी में हैं। याने पति-पत्नी एक ही विभाग में। दोनों सिकरेट्री। जीएडी में कई विंग होते हैं। निधी के पास आईएएस का चार्ज है। विकासशील का अभी तय नहीं हुआ है। बहरहाल, छत्तीसगढ़ पहला राज्य होगा, जहां आईएएस दंपति एक ही डिपार्टमेंट में सिकरेट्री हों।

हफ्ते का व्हाट्सएप

मैगी पर प्रतिबंध लगने के बाद सबसे अधिक परेशानी उन लड़कियां की है, जो अपने बायोडाटा में, i know cooking लिख रखा है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. ब्यूरोक्रेसी में पावर गेम के तहत किस आला आईएएस के खिलाफ एसीबी जांच के लिए प्रेशर बनाया जा रहा है?
2. एक कलेक्टर का नाम बताइये, जो पड़ोसी राज्य से मिल रहे आक्सीजन पर चल रहे हैं?