रविवार, 25 जनवरी 2015

तरकश, 25 जनवरी

तरकश

दमदारी

झारखंड के छत्तीसगढि़यां सीएम ने रांची में ऐसा दम दिखाया कि पूरे देश की ब्यूरोक्रेसी हिल गई है। हम बात कर रहे हैं, रधुवर दास की। सोमवार को रघुवर टाप ब्यूरोक्रेट्स की मीटिंग ले रहे थे। इस दौरान चीफ सिकरेट्री सजन चक्रवर्ती ने किसी बात पर उन्हें टका सा जवाब दे दिया। इससे रघुवर आग-बबूला हो गए। उन्होंने भरी मीटिंग में चक्रवर्ती को गेट आउट कर दिया। यही नहीं, 10 मिनट में नए सीएस का आर्डर भी निकल गया। सबसे ताकतवर समझे जाने वाले आईएएस लाबी को इससे चिंतित होना लाजिमी है।

गिरेगी गाज!

इधर, पंचायत चुनाव का कोड आफ कंडक्ट लागू नहीं होता, तो छत्तीसगढ़ में भी कुछ बड़े अफसरों पर गाज गिर चुकी होती। भू-तल परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी ने नक्सल प्रभावित राज्यों के पीडब्लूडी मंत्रियों और अफसरों की मीटिंग ली थी। छत्तीसगढ़ होस्ट स्टेट था, इस लिहाज से उसका पारफारमेंस भी उसी तरह का होना था। फिर, गडकरी, ऐसे-वैसे मंत्री भी नहीं है। नागपुर के हैं, पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं। उनके सामने जितना पुअर प्रेजेंटेशन हो सकता था, अपने अफसरों ने दिया। गडकरी इस पर खासे बिगड़े। आखिरकार, सीएम को बात संभालनी पड़ी। पता चला है, सीएम इससे बेहद दुखी हैं। मानकर चलिये, पंचायत चुनाव के बाद होने वाली सर्जरी में सीएम की नाराजगी देखने को मिलेगी।

भगवान मालिक हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर कैबिनेट सिकरेट्री अजीत सेठ ने सोमवार को आदिवासी इलाकों के डेवलपमेंट के लिए राज्यों के अफसरों से वीडियो कांफ्रेंसिंग की। मीटिंग की रिपोर्टिंग सीधे पीएम को होनी थी। सो, इसके इंपोर्टेंस का अंदाजा आप लगा सकते हैं। मगर अपने अफसरों के पास इसकी तैयारी नहीं थी। कैबिनेट सिकरेट्री को फेस करना था। आ बैल मुझे मार वाली गलती क्यों करें, इसलिए, वीडियो कांफ्रेंसिंग में नीचे के अफसरों को भेज दिया गया। कैबिनेट सिकरेट्री से नीचे के अफसर भला क्या बात करते। छत्तीसगढ़ के बारे में कोई चर्चा ही नहीं हुई। ऐसे में पीएमओ में छत्तीसगढ़ की छबि कैसी बनेगी, आप समझ सकते हैं।

तेरे प्यार में पागल…..

पीएचक्यू में तैनात एडिशनल डीजी को एक महिला सब इंस्पेक्टर को मदद करना भारी पड़ गया। महिला एसआई किसी काम से एडीजी के पास गई थी और उन्होंने भले मन से फौरन उसका काम करवा दिया। एडीजी के काम करने की इसी स्टाईल पर महिला इंस्पेक्टर फिदा हो गई और, अब वह शादी करने के लिए हाथ धोकर उनके पीछे पड़ गई है। कभी सिंदूर लेकर पीएचक्यू पहुंच जाती है…..मैं तेरे प्यार में पागल। तो कभी प्यार में जान देने की धमकी देने लगती है। एडीजी को उससे पीछा छुड़ाते नहीं बन रहा। उल्टे, अब उटपटांग आरोप लगाने लगी है। हाल ही की बात है, रायपुर प्रेस क्लब पहुंचकर उसने कई सनसनीखेज आरोप लगा डाले। बताते हैं, महिला की दिमागी दशा ठीक नहीं है। मगर उसके चक्कर में कहीं ऐसा न हो कि एडीजी की मानिसक दशा खराब हो जाए। बहरहाल, आईपीएस लाबी में इस पर खूब चटखारे लिए जा रहे हैं।

वाट एन आइडिया

रातोरात एडीजी बनाए गए एक रिटायर आईपीएस ने संविदा नियुक्ति के लिए अद्भूत आवेदन दिया है। उन्हांेने लिखा है, उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, इसलिए उन्हें सेवा करने का मौका दिया जाए। सरकार में पोस्टिंग का मतलब होगा कि या तो सरकारी खर्चे पर उनका इलाज होगा या पुलिस विभाग के फोकट फंड से। वाट एन आइडिया सर जी।

दो पत्नी का फेर

सरगुजा का एक शिक्षक सफलतापूर्वक दो पत्नी रखने के बाद खुद तो भगवान को प्यारे हो गए मगर जाते-जाते सरकार को फंसा डाला। उसके डबल पत्नी के चक्कर में महालेखाकर आफिस से लेकर मंत्रालय तक के अफसर हलाकान है। असल में, दो पत्नी रखने का मतलब होता है, सरकारी नौकरी से छुट्टी। और, शिक्षक ने सेवा रिकार्ड में दोनों पत्नी का नाम डाल दिया, शांति और कांति। इसके बाद भी नौकरी करता रहा। शिक्षा विभाग ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया और पीएफ, पेंशन आदि में दोनांे पत्नियों का नाम चढ़ा दिया। अब, दोनों पत्नियां पीएफ एवं पेंशन के लिए दावा ठोक दिया है। सरकार को न पेंशन देते बन रहा और ना ही रोकते। एजी आफिस और मंत्रालय के बीच छह महीने से फाइल घूम रही है।

300 करोड़ की चपत

पेट्रोल, डीजल का रेट गिरने से आम आदमी भले ही प्रसन्न हो मगर जरा छत्तीसगढ़ के फायनेंस और टैक्सेशन विभाग से पूछिए कि उन पर क्या गुजर रही है। पेट्रोल, डीजल पर सरकार को 25 फीसदी टैक्स मिलता है। दो रुपए भी कम हुआ, तो सीधे लीटर पर 50 पैसे की चोट। पिछले छह महीने में पेट्रोल का 14 रुपए रेट गिर चुका है। इस हिसाब से राज्य के खजाने को प्रति लीटर लगभग तीन रुपए की मार पड़ रही है। याने साल में तीन से चार सौ करोड़ का झटका लगेगा। एक ओर राज्य की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। सीएसआईडीसी, हाउसिंग बोर्ड और पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन जैसे संस्थाओं से पैसे लेकर वित्त विभाग काम चला रहा है। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने दबंगई से पेट्रोल पर टैक्स 31 फीसदी करके घाटे की एक हद तक भरपाई कर ली। लेकिन, छत्तीसगढ़ सरकार का फिलहाल ऐसा कुछ करने का इरादा दिख नहीं रहा। ऐसे में, वित्त विभाग को ही खर्चाें पर अंकुश लगाकर काम चलाना होगा।

आईएएस का वायरल

लगता है, आईएएस का डायरेक्टर और प्रमोटी का वायरल आईएफएस में आ गया है। पिछले दिनों एक सीनियर आईएएस ने डायरेक्ट और प्रमोटी की अभद्र ढंग से तुलना कर दिया था। इसके बाद आईएफएस में भी डायरेक्टर और प्रमोटी का झगड़ा सतह पर आ गया। आईएफएस एसोसियेशन से 55 प्रमोटी अफसरों ने अध्यक्ष संजय शुक्ला को अपना सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया। प्रमोटी अफसर इस बात को लेकर गुस्से में हैं कि एसोसियेशन में डायरेक्ट आईएफएस का बर्चस्व है और उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। असल में, प्रमोटी आईएफएस अफसरों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि सर्किल में पहले सीएफ बैठते थे, डायरेक्ट अफसरों ने मलाई काटने के लिए उसे सीसीएफ का पोस्ट करा दिया। सीएफ सिर्फ वन मुख्यालय में होंगे। प्रमोटी आईएफएस आमतौर पर सीएफ से उपर पहुंच नहीं पाते। ऐसे में, उन्हें सबको अब हेडक्वार्टर से रिटायर होना पड़ेगा। यही वजह है कि कुछ डीएफओ ने सीएफ प्रमोट होने की बजाए लिख कर दे दिया था उन्हें प्रमोशन नहीं चाहिए। और, प्रमोटी आईएफएस अब प्रेशर बना रहे हैं कि कुछ सर्किलों में सीएफ को भी कमान सौंपी जाए, जिससे वे बेरोजगार न हो सकें।

अंत में दो सवाल आपसे

1. राजधानी की एक ऐसी सड़क का नाम आप बता सकते हैं, जिसे बिल्डरों से दो करोड़ रुपए न मिलने पर सेंक्शन सड़क को डायवर्ट कर दिया गया?
2. आईएएस लाबी वास्तव में इतनी मजबूत हो गई है तो आरएस विश्वकर्मा, सोनमणि बोरा जैसे कई अफसरों का प्रमोशन क्यों नहीं करवा पा रही?

शनिवार, 17 जनवरी 2015

तरकश, 18 जनवरी


तरकश

 ड्राप

पंचायत चुनाव के बाद रमन मंत्रिमंडल में होने वाले फेरबदल में कम-से-कम एक मंत्री ड्राप हो जाएं, जो अचरज नहीं। पता चला है, बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने रमन को फ्री हैंड दे दिया है कि जिसका पारफारमेंस ठीक नहीं है, उनके साथ कोई मरौव्वत न किया जाए। इसके बाद, उच्च स्तर पर जो चर्चाएं चल रही है, एक मंत्री का विकेट गिरना तय दिख रहा है। यही नहीं, तीन से चार मंत्रियों के विभाग भी बदले जाएंगे। तीन नए मंत्रियों की इंट्री होगी। सीएम के पास छोटे-बड़े 15 से अधिक विभाग हैं। पुनगर्ठन के बाद मुख्यमंत्री दर्जन भर से अधिक विभागों को दीगर मंत्रियों को ट्रांसफर करेंगे। हो सकता है, राजेश मूणत का आवास पर्यावरण अब सीएम के पास आ जाए। सूत्रों की मानें तो सीएम के पास अब सिर्फ वित्त, पावर और आवास पर्यावरण रह सकता है।

गजब के रिश्ते

राजधानी में पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्री जगतप्रकाश नड्डा और भाजपा के थिंक टैंक राम माधव के रायपुर आने की जितनी चर्चा नहीं हुई, उससे कहीं अधिक दोनों के सूबे के ताकतवर नौकरशाह अमन सिंह के घर जाने की रही। नड्डा तो यहां के प्रभारी महासचिव रहे हैं, सो उनके स्वाभाविक संबंध हो सकते हैं। लेकिन, राम माधव को लेकर तो पार्टी के बड़े नेता भी हैरान हैं। हवाई जहाज का टायर फट जाने पर राम माधव ने सीधे अमन सिंह को ही फोन लगाया। इसके अलावा वे पार्टी के किसी नेता से मिले और ना ही उनसे कोई बात की। वैसे भी अमन सिंह के रिश्तों और उसे मेंटेन करने का, उनके विरोधी भी दाद देते हैं। शायद ही किसी को पता होगा कि पीके फिल्म का जब भिलाई, दुर्ग में विरोध हो रहा था, तो आमिर खान ने अमन सिंह को फोन करके मदद मांगी थी। इससे पहले, इंडिया टुडे कांक्लेव में अरुण पुरी जब अमिताभ बच्चन के साथ ग्रामीण इलाके में बिजली की किल्लतों पर शेयर कर रहे थे, तो अमिताभ ने उन्हें टोका था कि छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं है…..आप कभी छत्तीसगढ़ जाइये, तो पावरफुल सिकरेट्री अमन सिंह से मिलिए। ऐसे हैं, अमन सिंह के संबंध।

300 करोड़ की चपत

पेट्रोल, डीजल का रेट गिरने से आम आदमी भले ही प्रसन्न हो मगर जरा छत्तीसगढ़ के फायनेंस और टैक्सेशन विभाग से पूछिए कि उन पर क्या गुजर रही है। पेट्रोल, डीजल पर सरकार को 25 फीसदी टैक्स मिलता है। दो रुपए भी कम हुआ, तो सीधे लीटर पर 50 पैसे की चोट। पिछले छह महीने में पेट्रोल का 14 रुपए रेट गिर चुका है। इस हिसाब से राज्य के खजाने को प्रति लीटर लगभग तीन रुपए की मार पड़ रही है। याने साल में तीन से चार सौ करोड़ का झटका लगेगा। एक ओर राज्य की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। सीएसआईडीसी, हाउसिंग बोर्ड और पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन जैसे संस्थाओं से पैसे लेकर वित्त विभाग काम चला रहा है। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने दबंगई से पेट्रोल पर टैक्स 31 फीसदी करके घाटे की एक हद तक भरपाई कर ली। लेकिन, छत्तीसगढ़ सरकार का फिलहाल ऐसा कुछ करने का इरादा दिख नहीं रहा। ऐसे में, वित्त विभाग को ही खर्चाें पर अंकुश लगाकर काम चलाना होगा।

शादी या शक्ति प्रदर्शन?

इस महीने के अंत में प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और अमर अग्रवाल के बेटे की शादी होगी। अमर के बेटे की 29 को और बृजमोहन के बेटे की शादी 31 जनवरी को है। इनमें से एक की तैयारी जिस अंदाज में चल रही है, उससे लगता है, छत्तीसगढ़ की अब तक की यह सबसे हाईप्रोफाइल शादी होगी। राजधानी में नेशनल हाईवे पर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के सामने 30 एकड़ जमीन का समतलीकरण किया जा रहा है। इसके लिए महीने भर से कई भीमकाय जेसीबी लगे हैं। वर-वधु को आर्शीवाद देने के लिए तीन राज्यों के राज्यपाल, तीन सीएम और दर्जन भर से अधिक केंद्रीय मंत्री के आने की सहमति मिल चुकी है। दूसरे राज्यों के दर्जन भर से अधिक मंत्री भी आएंगे। रायपुर एयरपोर्ट पर इसके लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। कई चार्टर प्लेन जो आएंगे। वैसे भी, राजनेताओं के यहां की शादियां शक्ति प्रदर्शन का जरिया तो होती ही है।

बिन बुलाए मेहमान

14 जनवरी को दिल्ली पहुंचे अपने आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों की हालत देखने लायक थी! बात यह नहीं थी कि बीेजेपी नेतृत्व ने अगले महीने होने वाले फेरबदल में उन पर खतरे की तलवार लटका दी थी। मामला था, बिन बुलाए मेहमान का। असल में, रायपुर के हाईप्रोफाइल भवन से इन मंत्रियों को शादी का न्यौता मिला था। मंत्रियों से उसके डेट देखने में चूक हो गई। हालांकि, महीना भर पहले आए शादी के मनुहार पत्र में डेट 14 जनवरी लिखा था। उसके हिसाब से मंत्रियों ने 14 का टिकिट करा लिया। इसके बाद शादी का निमंत्रण पत्र आया, उसमें मंत्रियों को 17 जनवरी को रिशेप्सन का न्यौता था। कार्ड पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। और, उड़ गए दिल्ली के लिए। वहां छत्तीसगढ़ भवन में पता चला कि आपलोगों का रिशेप्सन का न्यौता है। मंत्रियों का मुंह अब देखने लायक था। चिंतन-मनन के बाद मंत्रियों ने तय किया कि अब आ गए हैं, तो चला जाए। सकुचाते, शर्माते हुए मंत्रीगण शादी में ही पहुंच गए। बुके दिए और कोई देखे मत, जल्दी से खिसक लिए।

सरकारी दलाल

कमल विहार का प्लाट बेचने रायपुर विकास प्राधिकरण अब दलालों का सहारा लेने जा रही है। दलालों का रजिस्ट्रेशन करने के लिए आरडीए ने बकायदा आवेदन मंगाया था। 7 जनवरी इसका लास्ट डेट था। पता चला है, दो दर्जन से अधिक दलालों ने आरडीए की दलाली करने के लिए आवेदन लगाए हैं। आरडीए उन्हें एक फीसदी कमीशन देगा। उधर, हाउसिंग बोर्ड ने भी मकान बेचने के लिए दलालों की मदद लेना चालू कर दिया है। यद्यपि, इसमें सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता। मगर इसमें सबसे बड़ा खतरा यह दिख रहा कि आरडीए और हाउसिंग बोर्ड में काम करने वाले दलाल अपने को सरकारी दलाल बताना शुरू कर दिए हैं। यह ठीक नहीं है।

नागपुर की फ्लाइट

रायपुर में विमान सेवाओं की शुरूआत से ही रायपुर से नागपुर सीधे कनेक्टेड था। एयर इंडिया की फ्लाइट दिल्ली से रायपुर, नागपुर होते हुए फिर दिल्ली लौटती थी। याने सुबह में नागपुर के लिए सीधी फ्लाइट थी। मगर प्रफुल्ल पटेल के नागरिक उड्डयन मंत्री बनते ही यह सुविधा हमसे छीन गई। दरअसल, पटेल नागपुर के हैं और उन्हें दिल्ली से रायपुर होते हुए नागपुर जाने में घंटा भर समय जाया होता था, इसलिए उन्होंने रुट चेंज कराकर दिल्ली, नागपुर, रायपुर, दिल्ली करा दिया था। पटेल के हटने के बाद एक बार फिर कोशिशें शुरू हुई है कि एयर इंडिया की फ्लाइट नागपुर होकर दिल्ली जाए। लेकिन देखना होगा, यह कब तक हो पाता है।

अनूठी कोशिश

दंतेवाड़ा जैसे धुर नक्सल प्रभावित एरिया में एजुकेशन के फील्ड में काम करके देश-दुनिया में पहचान बना चुके यंग आईएएस ओपी चैधरी जांजगीर में युवाओं के कैरियर को लेकर अनूठा काम चालू किया है। जिले के 462 हाईस्कूल और 51 कालेजों में कैरियर गाइंडेस के लिए मास्टर ट्रेनर बनाया गया है। हर शनिवार को कैरियर पर अनिवार्य रुप से एक पीरियड होता है। प्रार्चायों को अनिवार्य तौर पर ओरियेंटेंशन प्रोग्राम कराया जा रहा। कलेक्टर ने 250 पेज की एक कैरियर मार्गदर्शिका नाम से पुस्तक प्रकाशित कराई है, जिसमें 75 परीक्षाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है। चैधरी खुद भी हफ्ते में कम-से-कम दो-से-तीन स्कूल या कालेजों में जाकर क्लास लेते हैं, प्रश्न पूछते हैं, सही जवाब मिलने पर ईनाम के तौर पर कैरियर मार्गदर्शिका दी जाती है। बच्चों को इसके लिए भी मोटिवेट किया जा रहा है कि वे कैरियर में क्या बनना चाहते हैं, स्कूल में ही तय कर लें। है न अच्छी कोशिश।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक आईपीएस अफसर चीन की सैर करने क्यों गए थे?
2. थोक के भाव में यंग आईएएस अफसर होने के बाद भी दो-तीन बड़े जिल के कलेक्टर के लिए ठीक-ठाक अफसर क्यों नहीं मि हैं?

शनिवार, 10 जनवरी 2015

तरकश, 11 जनवरी

तरकश, 11 जनवरी

 

अय्याशी का तमगा

नेशनल सब जूनियर टेबल टेनिस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने गए खिलाडि़यों ने एक बार फिर अपने शर्मनाक हरकतों से छत्तीसगढ़ के खेल जगत को कलंकित कर दिया। होटल के सीसी टीवी के फूटेज से खुलासा हुआ है कि खिलाड़ी रात-रात भर कमरे में रंगरेलियां मनाते रहे। टीम के कोच और दो लड़कियांे ने कमरे में जो किया, सो किया ही, होटल के बरामदे में भी बेहूदगी की हद कर डाली। इसका फूटेज आने के बाद जाहिर है, हड़कंप मचना ही था। छत्तीसगढ़ टेबल टेनिस एसोसियेशन के महासचिव ने इस्तीफा दे दिया है। और, कोच को नेशनल टीम में जाने से रोक दिया गया है। बहरहाल, इस घिनौने खेल से छत्तीसगढ़ टीटी एसोसियेशन सवालों के घेरे में है। आखिर, जिस खिलाड़ी को नेशनल खेलने के लिए 8 जनवरी को पांडिचेरी जाना था, उसे कोच बनाकर हफ्ते भर पहले कैसे राजमंुदरी भेज दिया गया। महिला खिलाडि़यों के साथ कायदे से महिला कोच जाना चाहिए। मगर टीम के साथ एक भी महिला कोच नहीं गई। अभिभावकों को सुनियोजित तौर पर दूसरे होटल में रुकाया गया और कोच ने लड़कियों के कमरे के ठीक सामने वाला कमरा आबंटित करा लिया। और, प्लेयर तथा कोच रात भर रंगरेलियां मनाएंगे, तो अगले दिन खेलेंगे क्या? अपनी टीम सभी मैच गंवा कर लौट आई है। साथ में लाई है, अय्याशी का तमगा।

अच्छी खबर

खेल को कलंकित करने वाली घटना के साथ एक अच्छी खबर आ रही है। भारतीय हाकी टीम की पूर्व कप्तान सबा अंजूम को अबकी पद्श्री मिल सकता है। इस सम्मान के लिए छत्तीसगढ़ से जिन तीन खिलाडि़यों के नाम भारत सरकार को भेजा गया है, उनमें सबा का नाम सबसे आगे और मजबूती से रिकमांड किया गया है। 25 जनवरी को दोपहर पद्श्री का ऐलान होगा।

धमाकेदार वापसी

राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, मगर इतना जल्द और वह भी ऐसी धमाकेदार वापसी इसके पहले देखी नहीं गई। बात कर रहे हैं, स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल की। महीने भर में ही सब बदल गया। नसबंदी कांड में सबसे बड़े विलेन करार दिए गए अमर ने बिलासपुर में विपरीत परिस्थितियों में 35 हजार से अधिक वोटों से पार्टी को जीत दिलाई। उस बिलासपुर में, जहां 13 महिलाओं की मौत हुई थी। जो नसबंदी कांड का केंद्र रहा, कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी वहां पहुंचे और वहीं से कांग्रेस ने महतारी यात्रा निकाला था। बावजूद इसके, बिलासपुर के लोगों ने अमर के विधानसभा चुनाव से दोगुना लीड देकर महापौर बनाया।

दिपांशु जाएंगे सीआरपीएफ?

स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच के डीआईजी दीपांशु काबरा की पोस्टिंग सीआरपीएफ में हो गई है। इसका आर्डर भी आ गया है। उन्हें डीआईजी बनाया गया है। दिपांशु 97 बैच के आईपीएस हैं एवं डीपीसी हो जाती तो एक जनवरी को आईजी बन जाते। चूकि, आईजी लेवल पर अफसरों का टोटा है। इसलिए, नहीं लगता कि सरकार से उन्हें हरी झंडी मिल पाएगी। और, दिपांशु भी रेंज आईजी छोड़कर सीआरपीएफ में भला क्यों जाना चाहेंगे। पिछले साल छत्तीसगढ़ से एडीजी मुकेश गुप्ता और दिपांशु काबरा ने भारत सरकार में डेपुटेशन के लिए अप्लाई किया था। मुकेश की पोस्टिंग अभी वेटेड है।

अब पारुल का नम्बर

सीबीआई में नए डायरेक्टर की नियुक्ति के बाद बेमेतरा एसपी पारुल माथुर का डेपुटेशन पर पोस्टिंग भी अब जल्द हो जाएगी। पारुल का पिछले साल सितंबर में सीबीआई में एसपी के पोस्ट पर सलेक्शन हुआ था। मगर किन्हीं कारणों से ब्यूरो में एसपी के पोस्ट पर किसी भी आईपीएस की नियुक्ति नहीं हो पाई। उसके बाद सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिनहा के रिटायरमेंट का समय आ गया। और, फाइल पेंडिंग हो गई। अब किसी भी समय उनका आदेश आ सकता है। हालांकि, वे छह महीने की मैटरनिटी लीव पर फिलहाल बंगलोर में हैं।

कैसा न्याय?

प्रमोटी और डायरेक्ट आईएएस में कितना फर्क है, आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि पिछले 10 साल में शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि डायरेक्ट आईएएस के प्रमोशन में जरा-सा भी लेट हुआ हो। कोई छह महीने पहले बन गया तो कोई साल भर पहले। और, जरा इसे समझिए, आबकारी और वाणिज्यिक कर आयुक्त एवं सिकरेट्री आरएस विश्वकर्मा इस महीने 31 को रिटायर हो जाएंगे। आज से ठीक 20वें रोज। और, अभी डीपीसी भी नहीं हुई है। कायदे से उन्हें प्रींसिपल सिकरेट्री बन जाना था। मध्यप्रदेश में 91 बैच के आईएएस पीएस बन भी गए हैं। विश्वकर्मा की फाइल मंत्रालय में घूम रही है। विश्वकर्मा एलायड सर्विस से आईएएस में आए हैं। याने प्रमोटी हैं। जवाहर श्रीवास्तव को भी आखिरी दिन प्रमोट किया गया था। पिछले दिनों एक सीनियर आईएएस की गंभीर और अमर्यादित टिप्पणी सामने आई थी। उन्होंने डायरेक्ट और प्रमोटी के बीच घोड़ा और गदहा से तुलना की थी। विश्वकर्मा के प्रमोशन में कहीं यही मानसिकता तो आड़े नहीं आ रही है।

मेजर सर्जरी

नौकरशाही में बहुप्रतीक्षित फेरबदल को अंजाम देने पर विचार शुरू हो गया है। हालांकि, अभी पंचायत चुनाव की आचार संहिता प्रभावशील है। मगर सू़त्रों का कहना है, चुनाव आयोग से परमिशन लेकर 31 जनवरी के आसपास लिस्ट निकल सकती है। 31 जनवरी को आरएस विश्वकर्मा रिटायर होंगे। उनकी जगह वाणिज्यिक कर और आबकारी आयुक्त पद पर किसी सीनियर आईएएस को पोस्ट करना होगा। मंत्रालय की लिस्ट तो छोटी होगी, मगर जिलों में कलेक्टरों की लिस्ट अबकी लंबी होगी। 27 में से मान कर चलिए, दर्जन भर से अधिक जिलों के कलेक्टर बदले जाएंगे। कुछ युवा आईएएस को भी ठीक-ठाक जिले दिए जाएंगे। जिनका समय लंबा हो गया है, उन्हें भी चेंज किया जाएगा।

जीत का जश्न

नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत का जश्न दस जनपथ में मनाया जाएगा। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को 11 साल बाद मुस्कराने का मौका मिला है। सो, पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी ने कांग्रेस नेताओं को 12 जनवरी को दिल्ली बुलाया है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. प्रमोद दुबे के रायपुर का महापौर बनने से किरणमयी नायक क्यों राहत महसूस कर रही हैं?
2. नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी के पुअर पारफारमेंस से किस मंत्री की हैसियत सर्वाधिक प्रभावित हुई है?