रविवार, 28 जून 2020

मंत्री के अच्छे दिन

तरकश, 28 जून 2020
संजय के दीक्षित
भूपेश कैबिनेट के जिन चार मंत्रियों की छंटनी की खबर अक्सर वायरल होती रहती है, उनमेें राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल का नाम भी लिया जाता है। जय सिंह समर्थकों की परेशानियां भी कुछ दिनों से काफी बढ़ गई थीं। लेफ्ट-राइट कहे जाने वाले उनके कुछ लोगों ने कानून की खौफ से कोरबा छोड़ दिया है। लेकिन, अब पता चला है कि जय सिंह का उपर में सब कुछ ठीक-ठाक हो गया है। सारे गिले-शिकवे दूर हो गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जय सिंह भरोसा जताते हुए उन्हें मरवाही उपचुनाव के लिए प्रभारी अपाइंट किया है। लगातार दो विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस पार्टी के लिए मरवाही उपचुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न होगा। ऐसे चुनाव की कमान अगर जय सिंह को सौंपा गया है तो जाहिर तौर पर जय सिंह की अहमियत सरकार ने बढ़ाई है। कह सकते हैं, जय सिंह के अच्छे दिन आ गए हैं। 

ब्यूरोक्रेट्स और शराब


शराब पावर बढ़ाने का काम करती है…ऐसी कि भिखारी भी अपने को सेठ भिखमचंद समझने लगता है। ऐसी शक्तिशाली औषधि को अगर ब्यूरोक्रेट्स जैसे पावरफुल लोग ग्रहण करें तो आप समझ सकते हैं, क्या होता होगा। आईएएस तो नार्मल सिचुएशन में देश चलाते हैं। दो पैग जाने के बाद तो सीएम, पीएम उसे बौने लगने लगते हैं….अरे ये तो पांच साल के लिए हैं, हम 30 साल वाले। दरअसल, उनसे चूक भी यहीं होती है। हालांकि, होशियार अफसर शुरू होते ही मोबाइल बंद कर देते हैं। क्योंकि, मोबाइल हाथ में पकड़े तो गड़बड़ होगा ही….लगेंगे फोटो मांगने और भेजने। एमपी के हनी ट्र्रैप कांड में भी यही हुआ। व्हाट्सएप चेटिंग ने पूरा खेल बिगाड़ा। और, छत्तीसगढ़ में भी। यहां तो पूरा मामला सेट हो गया था। लेनदेन के बाद रफा-दफा भी। लेकिन, अंगूर की बेटी ने आईएएस का कैरियर तबाह कर दिया। आईएएस के साथ दिक्कत यह है कि शराब के शौकीन हैं लेकिन, थोड़े से ही में नियंत्रण खो देते हैं। उन्होंने रात में अपने इलाके के एक छत्रप के बारे में अनाप-शनाप बक दिया। उसके दो दिन बाद वकील लगाकर हो गई शिकायत। आईएएस निबट गए। अफसरों को इस घटना से सबक लेना चाहिए…चुपचाप डूबकी लगा लेने वाले मंत्रालय के अपने सीनियर अफसरों से सीख भी।

मंत्रियों, अफसरों पर संकट

राजधानी के प्राइम और पावरफुल इलाका शंकर नगर, शांति नगर का स्वरूप अब बदल जाएगा। कई महीनों से अटके इस प्रोेजेक्ट के लिए सरकार ने काम जल्द शुरू करने का आदेश जारी कर दिया है। 19.8 एकड़ में पसरे इस इलाके में मंत्रियों और बड़े अधिकारियों के बंगले हैं। इन्हें तोड़कर शाॅपिंग और रेसिडेंसियल काम्पलेक्स बनाए जाएंगे। उसके बीच में 16 एकड़ का सिटी पार्क भी बनेगा। दावा है, दिल्ली के कनाॅट प्लेस जैसा। 80 फीसदी एरिया ग्रीनरी होगा। हाउसिंग बोर्ड को यह जिम्मा दिया गया है। मगर इस खबर से इस इलाके में बरसों से रह रहे सरकारी अधिकारियों की धड़कनें बढ़ जाएगी। 117 से अधिक मंत्री, आईएएस, आईपीएस से लेकर छोटे लेवल के अधिकारियों के वहां आवास हैं। गरीबों की झुग्गी-झोपडियों की तरह पहली बार पावरफुल लोगों को बेदखल होना पड़ेगा। हालांकि, अभी तक तो उन्हें यह हवा-हवाई लगता था। लेकिन अब सरकार ने आदेश कर दिया है तो किसी भी टाईम उन्हें नोटिस मिल सकती है…घर खाली कीजिए। अब उनके पास दो ही रास्ते होंगे….या तो 30 किलोमीटर दूर नया रायपुर जाएं या फिर अपने निजी आवासों में शिफ्थ हो जाएं। इनमें 99 फीसदी से अधिक अफसर ऐसे होंगे, जिनके पास राजधानी में दो से अधिक खुद के मकान होंगे। लेकिन, शंकर नगर के सरकारी बंगलों के अपने मजे हैं। इसलिए, उनके लिए यह संकट की स्थिति है।

पुलिस कमिश्नर सिस्टम

देश में कांग्रेस सरकारों ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम चालू किया था। अब तो इस साल उत्तर प्रदेश सरकार सरकार ने कई जिलों में पुलिस कमिश्नर बिठा दिया। हिन्दी प्रदेशों में सिर्फ राजस्थान, एमपी, बिहार और छत्तीसगढ़ बचा है। साउथ और नार्थ ईस्ट में पहले ही हो चुका है। रमन सरकार के समय भी रायपुर में पुलिस कमिश्नर पोस्ट करने की कई बार चर्चाएं चली लेकिन, ब्यूरोक्रेसी तैयार नहीं हुई। सो, बात आई, गई चली गई। अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। ब्यूरोक्रेसी भी इस स्थिति में नहीं है कि अगर-मगर कर सकें। ऐसे में, इन चर्चाओं में दम हो सकता है कि कम-से-कम रायपुर में कमिश्नर सिस्टम प्रारंभ किया जा सकता है। रायपुर जिले की आबादी 17 लाख के करीब हो चुकी है। राजधानी होने के कारण क्राईम भी है। ये जरूर है कि कमिश्नर प्रणाली से कलेक्टर के पावर कम हो जाएंगे। दंडाधिकारी से लेकर लायसेंस प्रदान करने तक के अधिकारी कमिश्नर को मिल जाएंगे।

संविदा में भी खतरा

नौकरशाहों को अगर संविदा पोस्टिंग मिलती है, तो इस बात की कोई गारंटी नहीं कि 70 बरस एक्सटेंशन मिलता रहेगा। जैसा पिछली सरकार में होता रहा। आईएएस सुरेंद्र जायसवाल को सरकार ने पिछले साल रिटायरमेंट की शाम को ही संसदीय विभाग का सचिव के साथ ही राजभवन का सचिव की संविदा पोस्टिंग दी गई थी, तो लोग चैंक गए थे। तीन महीने बाद उन्हें राजभवन और मंत्रालय से हटाकर पंचायत विभाग के ट्रेनिंग संस्थान निमोरा का डायरेक्टर बनाया गया। एक बरस की संविदा नियुक्ति 31 मई को समाप्त हो गई। सरकार ने उन्हें एक्सटेंशन नहीं दिया।

अंत में दो सवाल आपसे

1. छत्तीसगढ़ के एक मंत्री का नाम बताएं, जो रात नौ बजे होशियार आईएएस की तरह अपना मोबाइल बंद कर देते हैं?
2. आपकी दृष्टि में सरकार में किस आईएएस की सबसे ज्यादा चल रही होगी?

रविवार, 21 जून 2020

हाफ पैंट वाले मंत्रीजी

तरकश, 21जून 2020
संजय के. दीक्षित
भूपेश सरकार के एक होनहार मंत्री के वर्किंग सिस्टम से विभाग के अधिकारी काफी असहज महसूस कर रहे हैं। एक तो दिन चढ़ने के बाद मंत्रीजी की सुबह होती है। उस पर वे झटपट तैयार नहीं होते। चाय से पहिले गुटखा चाहिए। इसके बाद टीवी चालू। अफसर बेचारे फाइल धरे बैठे हैं, तो बैठे रहे। कई बार तो हाफ पैंट पहिने मीटिंग हो जाती है। ऐसी ही एक मीटिंग के बाद मंत्रालय की एक महिला आईएएस खफा हो गईं….मंत्रीजी ने महिला होने का भी लिहाज नहीं किया, हाफ पैंट में सोफे में बैठे मीटिंग शुरू कर दी। वैसे भी, मंत्रीजी के विभाग के लोगों का कहना है, विभाग मंत्री नहीं उनका पीए चला रहा है। मंत्री तो फाइल पढ़ने की जहमत भी नहीं उठाना चाहते…पीए जैसा उन्हें असिस्ट करता है, मंत्रीजी नोटशीट में लिख देते हैं। वैसे, उटपटांग दिनचर्या के मामले में पूर्ववर्ती सरकार के दो सीनियर मंत्रियों के नाम भी आते हैं, लेकिन, काम और विभाग पर पकड़ के मामले में उनका कोई जोर नहीं था।

सिकरेट्री और 40 एसी

आपको याद होगा….भाजपा सरकार के दौरान बड़े पद पर बैठे एक नेता के सरकारी बंगले में 24 एसी लगने पर सूबे में बड़ा बवाल हुआ था। नेशनल मीडिया में ये खबर सुर्खिया बटोरी थी। ऐसा ही मामला एक सिकरेट्री के यहां 40 एसी का आया है। अब इतनी संख्या में एसी कहां लगवाया गया, ये तो जांच का विषय है। मगर यह सही है कि 40 एसी के लिए पैसे का बंदोबस्त किया गया है। एक विभाग के पास राज्य के विभिन्न जगहों पर 75 से अधिक आफिसेज हैं। मगर उनमें से 40 ऐसे हैं, जहां से कलेक्शन बढ़ियां आता है। विभाग के सिकरेट्री के पीए ने उन 40 आफिसों के प्रमुखों को एक-एक कर रायपुर बुलाया और बताया कि सिकरेट्री साब के बंगले में एसी लगाना है, उसके लिए कुछ चाहिए…एक काम करो, 50 हजार छोड़ जाओ। इस तरह एक झटके में 20 लाख। जाहिर सी बात है कि अफसर के बंगले में 40 एसी तो लगेंगे नहीं। बताते हैं, कोरोना लाॅकडाउन में जो नुकसान हुआ है, उसे कंपनसेट करने के लिए सूबे के कई अधिकारियों ने इस तरह का नायाब आइडिया निकाला है।

अफसर क्या करें?

जिन अफसरों ने सिकरेट्री के बंगले में एसी लगाने पैसा दिया, उसके कुछ रोज बाद विभागीय मंत्री के पीए का फोन आया। एक अफसर पीए से मिलने बंगले पहुंचे तो बताया गया, मंत्री होने के कारण खर्चे काफी हो जाते हैं…कार्यकर्ताओं से लेकर पार्टी और मीडिया तक को हैंडिल करना पड़ता है। मंत्रीजी के समधी के यहां 15 छोड़ देना। अफसर भी तेज। बोले…इतना हो नहीं सकता। बाद में दो में फायनल हुआ। जिस अफसर का जिक्र हो रहा, वह वीवीआईपी डिस्ट्रिक्ट में पोस्टेड है। समझ सकते हैं, मंत्रियों के खटराल पीए वीवीआईपी जिले को भी नहंी छोड़ रहे। दुःसाहस की ये पराकष्ठा होगी।

स्पाॅट पर आदेश

नवा रायपुर की तरह अब रायपुर में नवा मरीन ड्राईव भी बनने जा रहा। और, इसमें अच्छी बात यह हुई कि दो मंत्री चीफ सिकरेट्री के साथ स्पाॅट पर पहुंचे और वहीं इस प्रोजेक्ट पर मुहर लगा दी। दरअसल, मैगनेटो माॅल के आगे कृषि विवि के सामने अवंती विहार तरफ तीन किलोमीटर में फैला बड़ा तालाब है। उसके सामने रोड पर कृषि इंजीनियरिंग का आफिस। तालाब नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया के विभाग में आता है और कृषि इंजीनियरिंग कृषि मंत्री रविंद्र चैबे के विभाग में। सीएम भूपेश बघेल ने सीएस आरपी मंडल से कहा कि दोनों मंत्रियों को लेकर मौके पर जाएं। स्पाॅट का जायजा लेने के बाद दोनों मंत्रियों ने तुरंत इसे ओके कर दिया। कृषि विभाग ने बिल्डिंगों को हटाने का आदेश भी दे दिया है। अब रायपुर और नवा रायपुर के बीच एक नवा मरीन ड्राईव होगा। चूकि एरिया बड़ा है और खुला भी, इसलिए दावा किया जा रहा, वह पुराने मरीन ड्राईव से कई गुना बेहतर होगा। इसे आक्सीजोन की तरह डेवलप किया जाएगा। तेलीबांधा मरीन ड्राईव को नगरीय प्रशासन सिकरेट्री रहते आरपी मंडल ने डेवलप किया था। सरकार के निर्देश पर अब वे नवा मरीन ड्राईव बनाएंगे।

भूमिहीनों को पैसा

सरकार एक अहम योजना पर काम कर रही है। भूमिहीनों को हर महीने उनके खाते में जीवकोपार्जन के लिए निश्चित राशि ट्रांसफर करने का। सीएम भूपेश बघेल ने अफसरों को निर्देश दिया है कि इसका पूरा डिटेल तैयार करें कि इस पर कितना खर्च आएगा। जिले वाइज भूमिहीनों का डेटा तैयार होना प्रारंभ हो गया है। सरकार जल्द ही इसका ऐलान करेगी। इस योजना में उन्हें बड़ी राहत मिलेगी, जिनके पास जमीन नहीं है और ओवरएज के बाद मजदूरी करने से लाचार हो जाते हैं।

पोस्टिंग में बड़ी चूक?

हाथियों की मौत मामले में बलरामपुर के डीएफओ प्रणय मिश्रा को रायबरेली कनेक्शन होने के बाद भी वन विभाग ने हटा दिया। लेकिन, जिन्हें भेजा गया है, उनकी काबिलियत के बारे में सुनकर आप चकरा जाएंगे। लक्ष्मण सिंह एसडीओ स्तर के अधिकारी हैं। भांति-भांति के मामलों में कई बार सस्पेंड हो चुके हैं। एक बार बर्खास्त भी। उनका सीआर इतना स्ट्रांग है कि उन्हें कभी आईएफएस अवार्ड नहीं हो सकता। बलरामपुर सूबे का सबसे बड़ा फाॅरेस्ट डिविजन है। सबसे अधिक बजट वाला भी। पता चला है, लक्ष्मण के लिए किसी विधायक का बड़ा प्रेशर था। लगता है, प्रेशर में वन विभाग से बड़ी चूक हो गई।

राजधानी का कप्तान कौन?

रायपुर के एसपी समेत आईपीएस की एक छोटी लिस्ट निकलनी थी, उसे फायनल होने में वक्त लग रहा है। एसएसपी आरिफ शेख की जगह रायपुर की कप्तानी संभालने वालों में अजय यादव और प्रशांत अग्रवाल के नाम सबसे उपर हैं। अजय दुर्ग के एसएसपी हैं और प्रशांत बिलासपुर के एसपी। रायपुर के लिए दो दिन अजय का नाम चलता है तो दो दिन प्रशांत का नाम उपर हो जा रहा। अब देखना है, इनमें से किसी को मौका मिलेगा या फिर कश्मकश में आरिफ को ही कंटीन्यू कर दिया जाए।

मराठी लाॅबी

आईएएस में कभी उड़ीया लाॅबी बड़ी स्ट्रांग होती थी। तब एसके मिश्रा, बीकेएस रे, डीएस मिश्रा, एमके राउत, सुब्रत साहू समेत उड़ीया अफसरों की संख्या भी काफी थी। इस समय अचानक मराठी आफिसर्स ठाक-ठाक पोजिशन में आ गए हैं। सिद्धार्थ परदेशी सीएम के सिकरेट्री हो गए हैं। जशपुर कलेक्टर से राजधानी लौटे नीलेश क्षीरसागर को डायरेक्टर एग्रीकल्चर। इस पोस्ट पर इतना यंग आईएएस कभी नहीं रहा। संदीपन भोस्कर एमडी रोड विकास निगम। डाॅ0 सर्वेश भूरे कलेक्टर दुर्ग। कैसर हक एमडी बिजली वितरण कंपनी। भीम सिंह के स्टार अचानक चमक गए वरना, अय्याज तंबोली भी कलेक्टर रायगढ़ बन गए होते। आईपीएस में आरिफ शेख पुणे से हैं। वे ईओडब्लू, एसीबी चीफ हो गए हैं। हालांकि, मराठी अफसरों में यूनिटी नहीं है। पड़ोस में रहकर एक-दूसरे से मिलते नहीं। यूनिटी के मामले में तमिलनाडू के अधिकारियों का जवाब नहीं है। उनका सब कुछ अपना पैरेलेल है। व्हाट्सएप ग्रुप भी। लाॅकडाउन में जूम के जरिये अफसर एक-दूसरे के संपर्क में रहे।

गुड न्यूज

जापान के एंबेसी ने 17 जून को वेबिनार के जरिये अपने देश के उद्योगपतियों के साथ भारत के जिन पांच राज्यों के साथ इवेस्टमेंट के लिए वेबिनार का आयोजन किया, उसमें महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों के साथ छत्तीसगढ़ भी शामिल था। प्रमुख सचिव इंडस्ट्री मनोज पिंगुआ को वहां के उद्योगपतियों ने अश्वस्त किया कि जल्द ही वे छत्तीसगढ़ का विजिट करेंगे। पता चला है, बिजली, पानी और औद्योगिक शांति को लेकर जापान के एंबेसडर छत्तीसगढ़ से काफी प्रभावित हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. ऐसा क्यों कहा जाता है कि डीजीपी डीएम अवस्थी पर महाकाल की असीम कृपा है?
2. कांग्रेस के एक लक्ष्मीपुत्र नेता वन विभाग के अधिकारियों से किन बातों को लेकर कुपित हो गए हैं?

रविवार, 14 जून 2020

भूपेश की मीटिंग, जोगी की याद

तरकश, 14 जून 2020
संजय के. दीक्षित
पूर्व सीएम स्व0 अजीत जोगी का अफसरों से काम कराने का अंदाज जुदा था। वरिष्ठ नौकरशाहों को आज भी याद है…जोगी एक बार लेबर सिकरेट्री एमएस मूर्ति को कोई टास्क सौंपे थे। नियत समय पर काम हुआ नहीं। जोगी ने देर शाम मीटिंग बुलाई। मूर्ति ने कहा, सर….फाइल डायरेक्ट्रेट में है। जोगी भड़क गए। बोले, आज रात सोने से पहले फाइल मेरे टेबल पर आ जानी चाहिए। मैं फाइल पर दस्तखत करके सोउंगा। एक बार धान खरीदी के लिए जब बारदाना का शार्टेज हुआ तो दो आईएएस अफसरों को भरी मीटिंग से उठाकर कोलकाता भेज दिया था। 10 जून को सीएम भूपेश बघेल की मीटिंग में भी कुछ ऐसा ही हुआ। सीएम कलेक्टरों की मीटिंग ले रहे थे। आठ महीने से घूम रही एक फाइल के मामले में वे बिगड़ पड़े। बोले…फाइल आज ही होनी चाहिए…मैं बता देता हूं, आज रात डेट बदलने से पहले फाइल हो जानी चाहिए। कलेक्टरों को भी उन्होंने साफ वार्निंग दे दी….काम नहीं करना तो कलेक्टरी छोड़ दो। कलेक्टर कांफें्रस खतम होने के बाद सीनियर ब्यूरोके्रट्स जोगी को याद कर रहे थे…जोगीजी की भी काम कराने की यही शैली थी….टाईम मतलब टाईम।

सेल्फ स्टार्ट आईएएस

कलेक्टर कांफ्रेंस में सीएम भूपेश ने नौकरशाहों को स्पष्ट संदेश दे दिया कि काम नहीं करोगो तो हश्र बुरा होगा….काम नहीं तो वेतन नहीं मिलेगा। इतना सख्त लहजे में अफसरों को कभी नहीं चेताया गया होगा। दरअसल, डेढ़ साल में सीएम समझ गए हैं कि अफसर गोल बचाने की कोशिश में ज्यादा है। धक्कापलट। जितना धक्का देंगे, उतना चलेंगे। बात सही भी है। सुनील कुमार, विवेक ढांड, एमके राउत जैसे सेल्फ स्टार्ट और रिजल्ट देने वाले आईएएस अब बचे नहीं। ठीक-ठाक अफसरों को अगर काउंट किया जाए तो उंगली तीन, चार के बाद आगे नहीं बढ़ेगी। बहरहाल, नौकरशाहों को अब सीएम का संदेश समझ में आ जाना चाहिए। वरना, वही होगा, जो वर्तमान में सरकार ने किया है।

सरकार की नाराजगी

छत्तीसगढ़ में सरकारों के अफसरों पर नाराज होने के पहले भी कई मामले हुए हैं। पिछली सरकार ने लैंड के ही एक मामले में एक सीनियर महिला आईएएस को मंत्रालय से हटाकर बिलासपुर रेवन्यू बोर्ड भेज दिया था। केडीपी राव का मामला भी लोग भूले नहीं होंगे। केडीपी प्रिंसिपल सिकरेट्री थे। बीजेपी सरकार ने उन्हें डिमोशन करके बिलासपुर का कमिश्नर बना दिया था। केडीपी ने जब कैट में इसे चैलेंज किया तो सरकार ने कमिश्नर के पद को अपग्रेड करके पीएस लेवल का बना दिया। केडीपी ने आईएएस एसोसियेशन से मदद मांगने का प्रयास किया लेकिन एक अधिकारी उनके साथ नहीं आया। अजीत जोगी भी एक बार पुस्तक प्रकाशन में विलंब होने पर एक सिकरेट्री के उपर एक प्रिंसिपल सिकरेट्री को बिठा दिया था।

गीता का प्रमोशन

हार्वर्ड से मैनेजमेंट कोर्स करके लौटी आईएएस एम गीता को एपीसी मनिंदर कौर द्विवेदी के नीचे कृषि विभाग का सचिव बनाने की तैयारी थी। लेकिन, वक्त का पहिया कुछ ऐसा घूमा कि गीता खुद ही एपीसी के साथ कृषि सचिव बन गई। इसे ही कहते हैं, किस्मत। वरना, गीता से पहले जो अधिकारी बाहर से पढ़ाई करके लौटे या फिर डेपुटेशन से, उन्हें एकाध महीने बाद ही पोस्टिंग मिल पाई।

‘परदेशी’ पर भरोसा

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सिद्धार्थ कोमल परदेशी को अपना सिकरेट्री बनाया है। सीएम सचिवालय में टामन सिंह सोनवानी के पीएससी चेयरमैन बनने के बाद सिकरेट्री की जगह खाली थी। जाहिर है, युवा महोत्सव के आयोजन के बाद परदेशी का ग्राफ तेजी से आगे बढ़ा। सरकार ने एसीएस अमिताभ जैन के साथ उन्हें पीडब्लूडी का सिकरेट्री बनाया था। हाल ही में जैन को पीडब्लूडी से मुक्त कर दिया गया। याने परदेशी पर पूरा भरोसा। और अब सीएम के सिकरेट्री भी। हाई प्रोफाइल परिवार से ताल्लुकात रखने वाले परदेशी लो प्रोफाइल आईएएस हैं। बैलेंस भी। बहरहाल, उनकी नियुक्ति पर चुटकी ली जा रही…सरकार ने ‘परदेशी’ पर भरोसा किया।

दो कृषि सचिव

एम गीता को सरकार ने एपीसी के साथ ही सिकरेट्री एग्रीकल्चर बनाया है। गीता से पहले धनंजय देवांगन भी कृषि सचिव है। गीता की पोस्टिंग के बाद अब एक विभाग में दो सचिव हो गए हैं। पहले मनिंदर कौर द्विवेदी प्रमुख सचिव थीं। इसलिए, चल गया। लेकिन, अब या तो गीता को टाईम से पहले प्रमुख सचिव बनाना होगा। पिछले साल 95 बैच के गौरव द्विवेदी और मनिंदर कौर को सरकार ने प्रमुख सचिव प्रमोट किया था। गीता 97 बैच की हैं। उन्हें या तोे अब प्रमोट करना होगा या फिर धनंजय किसी दूसरे विभाग में शिफ्थ किए जाएंगे। बहरहाल, गीता को यह बड़ा ब्रेके मिला। एपीसी इम्पाॅर्टेंट पोस्ट होता है। सीएस के बाद दूसरे नम्बर का। छत्तीसगढ़ में आईएएस का टोटा है, इसलिए प्रिंसिपल सिकरेट्री को भी कई बार एपीसी बना दिया गया। वरना, एडिशनल चीफ सिकरेट्री रैंक के अफसर ही इस पोस्ट पर नियुक्ति पाते थे। मनिंदर कौर के पहले भी केडीपी राव एसीएस रैंक के ही एपीसी थे।

महिला कलेक्टर

छत्तीसगढ़ के दो बड़े जिले रायपुर और बिलासपुर में अभी तक कोई महिला कलेक्टर नहीं रही हैं। दुर्ग में रीना कंगाले कलेक्टरी कर चुकी हैं। अंबिकापुर में रीतू सेन, रायगढ़ में अलरमेल और शम्मी आबिदी। किरण कौशल फिलहाल कोरबा में हैं। हो सकता है कि रायपुर का यह मिथक टूट जाए। संकेत मिल रहे हैं कि आगे चलकर रायपुर में किसी लेडी कलेक्टर को मौका दिया जा सकता है।

आईएएस अवार्ड पर ग्रहण

छत्तीसगढ़ में आठ अफसरों को आईएएस अवार्ड होना है। इनमें सात पद राज्य प्रशासनिक सेवाओं के लिए है और एक अन्य सेवाओं से। अन्य सेवाओं के लिए एक पद पर तो कोई दिक्कत नहीं है। मगर राप्रसे के जिन सात अफसरों को मेरिट के आधार पर प्रमोशन देना है, उनका मामला सुप्रीम कोर्ट में है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इनकी नियुक्ति में भ्रष्टाचार के आरोपों को सही ठहराते हुए नियुक्ति निरस्त कर दी थी। ईओडब्लू में पीएससी के तत्कालीन चेयरमैन अशोक दरबारी, परीक्षा नियंत्रक बीपी कश्यप समेत सभी चयनित अफसरों के खिलाफ धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार के आधा दर्जन केस पहले से दर्ज हैं। याद होगा, मेरिट में होने के बाद वर्षा डोंगरे का सलेक्शन नहीं किया गया। वर्षा ने अब मुख्यमंत्री को पाती लिखी है कि ऐसे भ्रष्ट अफसरों को आईएएस अवार्ड न किया जाए। वैसे भी, किसी अधिकारी के खिलाफ अगर अपराधिक केस दर्ज है, तो उसे भारत सरकार प्रमोशन नहीं देता। राज्य सरकार ने जरूर इन अधिकारियों को लगातार पदोन्नति देती गई। लेकिन, अब जीएडी के अफसरों का कहना है कि केस होने के कारण राज्य या तो इनका नाम ही नहीं भेजेगी। या फिर भेजेगी तो फिर वहां केस डिसाइड होते तक लिफाफे में नाम बंद कर दिया जाएगा। इसकी भी एक समय सीमा है। अगर उस समय तक केस का फैसला नहीं होगा तो नीचे के अफसरों को आईएएस अवार्ड कर दिया जाएगा।

यंग अफसरों को मौका

आईपीएस में 94 बैच के तीन अधिकारियों को सरकार ने पोस्टिंग दे दी है। अफसरों के विभागों को देखकर कहा जा सकता है कि सीनियर अफसरों की जगह सरकार अब यंग अफसरों को मौका दे रही है। सरकार ने पहले पिछले साल ही आईजी बने आनंद छाबड़ा को खुफिया चीफ बनाया। और इसके बाद डीआईजी आरिफ शेख को ईओडब्लू, एसीबी चीफ। दोनों एडीजी रैंक के पद हैं। राजनीतिक दृष्टि से भी संवेदनशील। पीएचक्यू में सीआईडी के प्रमुख भी डीआईजी हैं। सीआईडी में हमेशा आईजी या एडीजी रहे हैं। पुराने लोगों को याद होगा, डीजीपी विश्वरंजन के दौर में भी एक बार पीएचक्यू में डीआईजी लेवल के अफसरों को अहमियत देकर अधिकांश विभागों का प्रमुख बना दिया गया था। बहरहाल, छाबड़ा और आरिफ अगर ठीक-ठाक परफर्म कर लिए तो कुछ दिन बार छत्तीसगढ़ की प्रभावशाली जोड़ी होगी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. ब्यूरोक्रेसी में आजकल किस स्कैंडल की व्हाट्सएप चेटिंग खूब वायरल हो रही है?
2. पुलिस अधीक्षकों की निकलने वाली लिस्ट भी क्या अब लंबी हो सकती है?

शुक्रवार, 12 जून 2020

मंत्री, ब्यूरोक्रेट्स और हनी

तरकश, 7 जून 2020
संजय के. दीक्षित
मध्यप्रदेश के चर्चित हनी ट्रैप कांड की जांच में यह बात सामने आई थी कि छत्तीसगढ़ के कुछ नौकरशाहों और फाॅरेस्ट अफसरों ने भी उन हनियों के एनजीओ को करोड़ों के काम दिए थे। हाल के घटनाक्रम ने इस पर मुहर लगा दिया है कि एनजीओ को काम देने की आड़ में छत्तीसगढ़ में भी घिनौना खेल चल रहा है। मंत्रालय तक अछूता नहीं है। कुछ बड़े अधिकारियों के इन हनियों के इशारे पर नाचने की बात अब मंत्रालय के लिए नई नहीं है। और-तो-और, एक मंत्री के बारे में चर्चा है एनजीओ संचालिका ने उन्हें बुरी तरह अपने प्रभाव में ले लिया है। हालांकि, सरकारी खुफिया एजेंसी को भी इसके लिए कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए। मंत्रालय में बेधड़क विचरती विषकन्याओं की खबर उसे क्यों नहीं होती….जब पूरे जांजगीर शहर को पता था कि वहां कलेक्ट्रेट में क्या चल रहा, तब खुफिया विभाग ने सरकार को फीडबैक क्यों नहीं दिया। ऐसे ही कामों के लिए ही तो सरकार ने खुफिया विभाग के लिए नौ करोड़ रुपए का आनआॅडिट बजट दे रखा है। हनियों से अफसरों के बचाव के बारे में सरकार को कुछ सोचना चाहिए।

एंटी चेम्बर बंद?

एनआरडीए सीईओ एसएस बजाज ने मंत्रालय में सिकरेट्री के कमरे के पीछे इस उद्देश्य से एंटी चेम्बर बनवाए थे कि व्यस्त कामकाज के बीच अधिकारी कुछ पल वहां आराम कर सकेंगे। लेकिन, जांजगीर कलेक्टर के एंटी चेम्बर में जो कुछ हुआ, उसके बाद मंत्रालय के एंटी चेम्बरों को बंद करने पर विमर्श शुरू हो गया है। हालांकि, ये जानकारी पुष्ट नहीं है मगर सुनने में आ रहा उपर लेवल पर इस पर चर्चा शुरू हो गई है। दरअसल, लंगोट के ढिले कुछ आईएएस अफसरों से सरकार को बदनामी का बड़ा खतरा है। याद होगा, पुराने मंत्रालय में एक महिला दूसरे मंजिल से कूदकर सुसाइड कर ली थी। सोशल मीडिया का वो युग नहंी था, इसलिए रफा-दफा करने में दिक्कत नहीं आई। नया मंत्रालय तो बना भी है बियाबान में। शाम पांच बजे के बाद कर्मचारी भी निकल लेते हैं। जांजगीर जैसी घटना की पुनरावृत्ति से बचने मंत्रालय के सिकरेट्री के एंटी चेम्बर अगर बंद कर दिया जाए, तो आश्चर्य नहीं।

दूसरे डीआईजी

राज्य सरकार ने एडीजी जीपी सिंह को ईओडब्लू, एसीबी चीफ को बदल दिया। उनकी जगह पर रायपुर के एसएसपी आरिफ शेख को इन जांच एजेंसियों का एडिशनल चार्ज दिया गया है। खबर है, वे अब ईओडब्लू और एसीबी में ही कंटीन्यू करेंगे। डीआईजी रहते दोनों जांच एजेंसियों की कमान संभालने वाले आरिफ दूसरे डीआईजी होंगे। राज्य बनने के बाद ईओडब्लू, एसीबी में पहली पोस्टिंग डीआईजी सुभाष अत्रे की हुई थी। वे प्रमोटी आईपीएस थे। अत्रे के बाद हमेशा आईजी या उससे उपर रैंक के अफसरों को ही दोनों जांच एजेंसियों का प्रमुख बनाया गया। डीएम अवस्थी, संजय पिल्ले और मुकेश गुप्ता आईजी में पोस्ट हुए थे और वहीं पर प्रमोट होकर एडीजी बनें। मुकेश गुप्ता तो डीजी भी। मुकेश के बाद ईओडब्लू चीफ बीके सिंह भी डीजी रहे। इस तरह देखें तो आरिफ को बहुत कम समय में बड़ी जांच एजेंसी की कमान मिल गई। आरिफ धमतरी, जांजगीर, बालोद, बलौदा बाजार, बस्तर, बिलासपुर और रायपुर के एसपी रह चुके हैं। याने सात जिलों की कप्तानी।

एसपी के ट्रांसफर

ईओडब्लू और एसीबी में काम ज्यादा होने के कारण आरिफ शेख के लिए अब रायपुर जिले का कप्तान बने रहना संभव नहीं हो पाएगा। लिहाजा, रायपुर में नए कप्तान की पोस्टिंग की जाएगी। रायपुुर के लिए तीन आईपीएस के नाम चल रहे हैं। दुर्ग के एसएसपी अजय यादव, बिलासपुर एसपी प्रशांत अग्रवाल और तीसरा जगदलपुर एसपी दीपक झा। तीनों में अजय यादव का पलड़ा भारी लग रहा है। वे सबसे सीनियर हैं। 2004 बैच के। डीआईजी भी हैं। भाजपा के फायर ब्रांड नेता स्व0 दिलीप सिंह जूदेव ने अजय को टारगेट करते हुए प्रशासनिक आतंकवाद चलाने का जो तीर छोड़ा था, रमन सरकार उसे झेल नहीं पाई। और, आनन-फानन में बिलासपुर एसपी से हटा दिया था। अजय यादव अब फिर से मेन ट्रेक पर हैं। बहरहाल, इन तीनों में से जिन्हें रायपुर लाया जाएगा, वहां दूसरा एसपी भेजना पड़ेगा। कुल मिलाकर एसपी ट्रांसफर का एक छोटा चेन बनेगा। इनमें तीन-चार और जिले का नम्बर लग सकते हैं।

अभिशप्त बैच?

आईपीएस के 94 बैच में तीन अफसर हैं। जीपी सिंह, एसआरपी कल्लूरी और हिमांशु गुप्ता। इस बैच का ग्रह-नक्षत्र ऐसा खराब चल रहा है कि बीजेपी सरकार ने लाख प्रयास के बाद भी टाईम से पहिले प्रमोशन नहीं दिया। कांग्रेस सरकार ने तीनों को प्रमोट करके न केवल एडीजी बनाया बल्कि अहम जिम्मेदारी भी सौंपी। लेकिन, तीनों सस्ते में विकेट गवांकर पेवेलियन लौट गए। कल्लूरी को जब सरकार ने ईओडब्लू का हेड बनाया तो राज्य के लोग आवाक रह गए थे। कुछ दिनों बाद कल्लूरी एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बन गए। लेकिन, उसके बाद ग्रह-नक्षत्र ऐसा बिगड़ा कि वे पीएचक्यू में बिना विभाग के बैठे हैं। हिमांशु गुप्ता को सरकार ने एडीजी होने के बाद भी रेंज आईजी की पोस्टिंग दी थी। इसके बाद खुफिया चीफ। डीजीपी के बाद यह सबसे इम्पाॅर्टेंट पोस्टिंग मानी जाती है। लेकिन, बाउंड्री मारने के चक्कर में वे आसान कैच हो गए। 94 बैच के तीसरे बैट्समैन थे जीपी सिंह। जीपी बाॅल को समझ नहीं पाए। और, स्पिन होती बाॅल ने उनका विकेट उडा दिया। अब तीनों आईपीएस बिना विभाग के हो गए हैं। सुना है, तीनों को एक साथ विभाग देने पर सरकार विचार कर रही है। हो सकता है कि एसपी की पोस्टिंग के साथ ही तीनों एडीजी को भी जिम्मेदारी मिल जाए।

पांचवे आईएएस

जांजगीर के पूर्व कलेक्टर रेप के आरोप में सस्पेंड हो गए। उनको मिलाकर राज्य में सस्पेंड होने वाले आईएएस अफसरों की संख्या पांच पहुंच गई है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद सस्पेंड होने वाले पहले आईएएस थे अजयपाल सिंह। तत्कालीन पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ 2005 में प्रेस कांफ्रेंस करने के आरोप में उन्हें निलंबित किया गया था। अजयपाल के बाद पी राघवन सस्पेंड हुए। राघवन के बाद एसीएस राधाकृष्णन करप्शन के आरोप में नपे। फिर बीएल अग्रवाल। और, अब जनकराम पाठक। पांच में से चार रेगुलर रिक्रूट्ड आईएएस हैं और एक पदोन्नत आईएएस।

लंबी लिस्ट

राज्य प्रशासनिक सेवाओं की पोस्टिंग लिस्ट किसी भी समय निकल सकती है। खबर है, सूची लगभग तैयार हो चुकी है। इनमें बड़ी संख्या में डिप्टी कलेक्टर, ज्वाइंट कलेक्टर और एडिशनल कलेक्टर शामिल हैं। ये संख्या करीब सौ से उपर जा सकती है। इनमें तीन केटेगरी बनाए गए हैं। पहला जो लंबे समय से जमे हैं, दूसरा जिनका पारफारमेंस ठीक नहीं और तीसरा जनप्रतिनिधियों के कंप्लेन।

मीडिया और मर्यादा

करिश्माई नेता अजीत जोगी के अंत्येष्टि के कुछ घंटे बाद ही सोशल मीडिया में जोगी कांग्रेस का कांग्रेस में विलय की खबरें वायरल होने लगी थी। यह वाकई विस्मयकारी था। आखिर, जोगी कांग्रेस के लीडर धर्मजीत सिंह को कहना पड़ा, यह दुख का समय है…प्लीज। सोशल मीडिया को अपनी मर्यादा की लकीर खुद तय करनी चाहिए। पार्टी का विलय या किसी नेता का पार्टी में प्रवेश जश्न का विषय होता है, दुख में ये कार्य कतई नहीं होते। सोशल मीडिया को उतावलेपन से बचना चाहिए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एजुकेशन लीव से लौटीं एम गीता को टामन सिंह सोनवानी के डायरेक्टर एग्रीकल्चर, शक्कर आयुक्त, एवियेशन का चार्ज दिया जाएगा या कोई और विभाग?
2. किसी विभाग के अधिकारियों को मंत्री के समधी और समधी के बेटे से मिलने के लिए कहा जा रहा है?