रविवार, 28 मई 2017

बंद कमरा और वो डेढ़ घंटे


 28 मई
संजय दीक्षित
आईबी चीफ राजीव जैन पिछले हफ्ते रायपुर आए थे। उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इसके अलावा वे जिस तीसरे शख्स से वन-टू-वन मिले, वे थे पीएस टू सीएम अमन सिंह। अमन से मिलने वे खुद चलकर चिप्स आफिस गए। बंद कमरे में यह मुलाकात करीब डेढ़ घंटे चली। इस चक्कर में मिनट-टू-मिनट प्रोग्राम ही नहीं गड़बड़ाया बल्कि, उनका लंच भी डेढ़ घंटा लेट हो गया। लंच के लिए उन्हें सीआरपीएफ मेस में दोपहर एक बजे पहुंचना था। लेकिन, चिप्स में ही उन्हें ढाई बज गए। जाहिर है, इसको लेकर सत्ता के गलियारों में बेचैनी तो होनी ही थी। आईबी चीफ फोर स्टार वाले अफसर होते हैं। याने आर्मी चीफ के बराबर रुतबा। पावर भी कम नहीं। दिन में कम-से-कम एक बार पीएम को जरूर ब्रीफ करते हैं। ऐसे में, प्रोटोकॉल को दरकिनार करके उनका अमन से मिलना….मंत्रियों से लेकर राजनीतिज्ञों और ब्यूरोक्रेट्स को स्तब्ध कर दिया है….सबको यह सवाल परेशां कर रहा है कि बंद कमरे में आईबी चीफ ने आखिर अमन सिंह से राज्य के बारे में क्या फीडबैक लिया?

मंत्रिमंडल में चेंजेज

बीजेपी प्रमुख अमित शाह का छत्तीसगढ़ में तीन दिन का दौरा कई मंत्रियों की रात की नींद उड़ा दिया है। मंत्रिमंडल में कोई बदलाव होगा या नहीं यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है। लेकिन, शाह के आने का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, राजधानी में चर्चा जोर पकड़ती जा रही है कि एक-दो मंत्रियों के विभाग बदल सकते हैं तो एकाध मंत्री की छुट्टी हो सकती है।

असवाल और संतोष की बिदाई

एडिशनल चीफ सिकरेट्री एनके असवाल 31 मई को रिटायर हो जाएंगे। वे 83 बैच के आईएएस थे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद वे यहां कई अहम विभागों में रहे। बिलासपुर के कमिश्नर समेत साढ़े आठ साल होम एवं ट्रांसपोर्ट भी संभाले। पीएचई एवं ट्राईबल भी उनके पास रहा। उनके रिटायरमेंट को देखते हाल ही में सरकार ने ट्राईबल लेकर उन्हें हल्का कर दिया था। उनके पास अभी प्रशासन अकादमी और 20 सूत्रीय कार्यक्रम जैसे विभाग हैं। किसी एसीएस लेवल के अफसर को डीजी प्रशासन अकादमी का चार्ज देना होगा। असवाल के अलावा सिकरेट्री पीआर एन कल्चर, टूरिज्म संतोष मिश्रा का भी 31 को डेपुटेशन पूरा हो जाएगा। वे भी यहां से तमिलनाडु के लिए रिलीव हो जाएंगे।

एक नीलम जरूरी 

यूं तो कहा जाता है, नाम में क्या रखा है। लेकिन, नाम को लेकर भी कई बार भ्रम की स्थिति बन जाती है। मसलन, नीलम एक्का। राज्य बनने के समय जब वे छत्तीसगढ़ आए थे तो कई मीटिंगों में अफसर पूछते थे, नीलम नहीं आई क्या? बड़े अफसरों में उत्सुकता थी….कौन है नीलम, दिखती कैसी है। तब बताया जाता था, नीलम लेडी नहीं जेंस हैं। उन्हीं नीलम को मुंगेली का कलेक्टर बनाया गया है। सरकार ने बढ़ियां किया है…मुंगेली में कलेक्टर, एसपी, सीईओ, एसडीएम, डीएफओ सब महिलाएं थीं। सरकार भी गौरवान्वित होती थीं…..छत्तीसगढ़ में एक ऐसा जिला है, जहां सभी बड़े पदों पर महिलाएं पोस्टेड हैं….तो पुन्नूराम मोहले की पूछिए मत! अब कलेक्टर, सीईओ को सरकार ने हटा दिया। ऐसे में, महिला जिला का भ्रम बने रहने के लिए एक नीलम जरूरी थे।

किस्मत अपनी-अपनी

रीता शांडिल्य को सरगुजा का कमिश्नर बनाया गया है। राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस बनी रीता सिर्फ एक जिले की कलेक्टर रहीं हैं बेमेतरा की। सरगुजा में उनके अंदर में काम करेंगे कलेक्टर अंबिकापुर किरण कौशल और केसी देव सेनापति। किरण और सेनापति का यह दूसरा जिला है। सेनापति तो दंतेवाड़ा में तीन साल कलेक्टर रहे। अब सेनापति और किरण को रीता को रिपोर्ट करना होगा। हालांकि, सेनापति के लिए डबल झटका होगा, वे 2007 बैच के होने के बाद भी सूरजपुर कलेक्टर हैं और उनसे दो बैच जूनियर किरण कौशल अंबिकापुर जैसे बड़े जिले की। चलिये! किस्मत अपनी-अपनी….वरना, 2004 बैच के हाई प्रोफाइल आईएएस अमित कटारिया को एमडी राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान बनाया गया है और उनके उपर डायरेक्टर एजुकेशन एस प्रकाश हैं। प्रकाश 2005 बैच के आईएएस हैं। अमित का कहीं डेपुटेशन का आर्डर हो जाए तो ठीक, नहीं तो सरकार अब उनकी पोस्टिंग नहीं चेंज करने वाली।

सेकेंड डिस्ट्रिक्ट

श्रूति सिंह, सी प्रसन्ना और सेनापति के बाद इस लिस्ट में हिमशिखर गुप्ता और कैसर हक का सेकेंड डिस्ट्रिक्ट के लिए नंबर लगा। हिमशिखर का पहला जिला उनका जशपुर था। तो कैसर का बीजापुर। हिमशिखर महासमुंद जिले से हालांकि खुश नहीं होंगे…..काफी छोटा है। लेकिन, राहत होगी, रायपुर के नजदीक है। कैसर की जरूर निकल पड़ी। उन्हें कोरबा जैसा जिला मिल गया। हालांकि, एक, दो जिले करके रायपुर में बैठे कुछ आईएएस इस लिस्ट में भी कलेक्टर बनने से चूक गए। इनमें से दो आईएएस सिर्फ इसलिए जिले में नहीं जा रहे क्योंकि, सरकार उन्हें छोड़ना नहीं चाह रही। चलिये, अगली बार सरकार कहीं बन गई तो सिकरेट्री बनते तक ये कलेक्टरी करेंगे।

कलेक्टरी का चांस खतम

सरकार ने लोक सुराज में दो कलेक्टरों की छुट्टी की। फिर 16 को एक झटके में बदल दिया। याने महीना भर के भीतर 18। इसके बाद कलेक्टरी के लिए अब ठीक-ठाक में रायपुर और जांजगीर के अलावा कोई जिला बचा नहीं। अगले साल मार्च के आसपास ओपी चौधरी चेंज होंगे तो तय माना जा रहा है कि उनका एक बैचमेट ही रायपुर का कलेक्टर बनेगा। बचा सिर्फ जांजगीर। जांजगीर में भारतीदासन कलेक्टर हैं। अगले मार्च तक उनका भी लगभग दो साल हो जाएगा। लिहाजा, कलेक्टरी के लिए अब जांजगीर के लिए टफ कंपीटिशिन होगा। जिन्हें कलेक्टर बनने का मौका नहीं मिला है, जाहिर है, सरकार की इस तीसरी पारी में अब चांस मिलने से रहा। वे अब अगले चुनाव में कांग्रेस की कितनी सीटें आएंगी, इसके हिसाब-किताब में जुट गए हैं।

आईपीएस की छोटी लिस्ट

साउथ कोरिया से लौटने के बाद एसपी की एक छोटी लिस्ट निकलेगी। इसमें अधिक-से-अधिक दो-तीन नाम होंगे। फिर भी चेन बनेगा तो इनमें कुछ और नाम जुड़ जाएंगे। रेलवे एसपी पारुल माथुर भी चेंज हो सकती है। सरकार उन्हें पोस्ट करके लगता है, भूल गई है। बहरहाल, एसपी की मेजर लिस्ट निकलेगी अगले साल जनवरी में, जब दर्जन भर आईपीएस डीआईजी बनेंगे। इनमें रायगढ़, जांजगीर, महासमुंद जैसे जिलों के एसपी प्रमोट होंगे।

गुड न्यूज!

कुछ अफसर जिस विभाग में रहते हैं, वहां कुछ नया कर जाते हैं। आरपी मंडल को जब श्रम विभाग भेजा गया था तो शुरू में उन्हें भले ही अटपटा लगा होगा, मगर श्रमिकों के लिए जो उन्होंने योजना बनाई है, उसकी तारीफ करनी होगी। उनका विभाग साठ हजार श्रमिकों के लिए पौष्टिक और गरमागरम भोजन का बंदोबस्त करने जा रहा है। एक्सपेरिमेंट के तौर पर चार हजार श्रमिकों को खाना खिलाना शुरू भी हो गया है। कंसेप्ट यह है, अलसुबह से देर शाम तक खटने वाले श्रमिकों के पास न तो समय होते हैं और न पैसे। चावल-चटनी या चावल-कढ़ी लेकर वे काम पर निकल जाते हैं। ऐसे श्रमिकों को गरमागरम भोजन मिल जाए तो फिर क्या कहने। इस साल के अंत तक 60 हजार श्रमिकों को एक टाईम भोजन मुहैया कराने का टारगेट है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. छत्तीसगढ़ के किस हैवीवेट मंत्री की रात की नींद इन दिनों उड़ी हुई है और क्यों?
2. कलेक्टरों के ट्रांसफर के संदर्भ में सरकार को ऐसी क्या शिकायत मिली कि 23 मई की बजाए 21 मई को ही लिस्ट निकाल दी?

शनिवार, 20 मई 2017

चुनावी टीम

चुनावी टीम

21 मई
संजय दीक्षित
23 मई को कलेक्टरों की वीडियोकांफ्रेंसिंग है। उनके परफारमेंस का अंतिम आंकलन करने के बाद हो सकता है, 23 की देर शाम तक या फिर अगले दिन कलेक्टरों की लिस्ट निकल जाए। क्योंकि, कलेक्टरों के काम तो खुद सीएम उनके जिले में देखकर आ चुके हैं। उन्हें सब पता है कि कौन कितना पानी में हैं। फिर, पिछले कलेक्टर कांफ्रेंस में सीएम ने जो टास्क दिए थे, उसके आउटपुट का ब्यौरा सरकार पहले से ही मंगा चुकी है। बहरहाल, लंबी प्रतीक्षा के बाद ट्रांसफर हो रहे हैं, तो जाहिर है लिस्ट भी लंबी ही होगी। हो सकता है, फिगर दर्जन तक पहुंच जाएं। सलेक्शन भी चुनावी होंगे। याने यही कलेक्टर अगले साल विधानसभा का चुनाव कराएंगे। इसलिए, सरकार ठोक-बजाकर ही अपाइंटमेंट करेगी। हालांकि, एक फायनल लिस्ट अगले साल फरवरी, मार्च तक और निकलेगी। इनमें जो डिरेल्ड होंगे या हिट विकेट, उन्हें फायनल टीम से हटा लिया जाएगा।

भूल-चूक, लेनी-देनी!

यह पहला मौका होगा, जब कलेक्टरों को ट्रांसफर का टेंटेटिव टाईम पता है। 23 की शाम से लेकर दो-एक दिन के भीतर। अधिकांश को ये भी पता है, उनका क्या होने जा रहा? लिहाजा, कई कलेक्टर्स अपना बोरिया-बिस्तर समेटने लगे हैं। कुछ तो ठेकेदारो, सप्लायरों से भूल-चूक, लेनी-देनी में व्यस्त हो गए हैं। वैसे भी, लोक सुराज भी अब खतम हो गया है। ट्रांसफर में जो जिले प्रभावित होने वाले हैं, वहां तीन-चार दिन काम ठप्प ही रहेंगे।

तीन क्वांरे विधायक

छत्तीसगढ़ में चार क्वांरे विधायक थे। सभी बीजेपी से। लेकिन, संख्या अब एक कम हो जाएगी। आरंग विधायक नवीन मार्केण्डेय सरला जोशी के साथ दांपत्य सूत्र में बंध गए हैं। बच गए देवजी भाई पटेल, अवधेश चंदेल और अशोक साहू। सरकार की कई कन्यादान योजनाएं चल रही हैं…..सरकार को उन्हें मोटिवेट करना चाहिए कि वे भी घर बसा लें। वरना, अगले साल चुनाव के चक्कर में 2018 भी निकल जाएगा।

आईएफएस के लिए गुड

भारतीय वन सेवा के अफसरों के लिए के लिए मई गुड रहा। अल्पज्ञात आईएफएस एसएल साव को सरकार ने झाड़-पोंछकर पीएससी में बिठा दिया। पीसीसीएफ के सुब्रमण्यिम छत्तीसगढ़ साइंस एन टेक्नालॉजी कौंसिल के डीजी बन गए। वहां रिटायरमेंट का एज 70 साल है। याने सरकार कहीं रिपीट हो गई तो फिर 2023 तक कोई हिला नहीं पाएगा। एडिशनल पीसीसीएफ केसी यादव स्टेट रुरल इंस्टिट्यूट से बैक हुए तो उन्हें फॉरेस्ट प्रोटेक्शन का चार्ज मिल गया। दो और आईएफएस पोस्टिंग की लाइन में हैं। चलिये, बढ़ियां है।

पीएस होम की तलाश

पीएस होम बीबीआर सुब्रमण्यिम तीन महीने की छुट्टी पर अमेरिका गए हैं। उनके लौटने से पहिले हो सकता है, उनका होम खिसक जाए। सरकार ने सुब्रमण्यिम के विकल्प की तलाश शुरू कर दी है। सबसे पहला नाम एसीएस सुनील कुजूर का लिया जा रहा है। लेकिन, अभी ये सिर्फ चर्चा है। ऐन वक्त पर कोई नया चेहरा भी आ जाए, तो अचरज नहीं।

इंवेस्टर्स मीट में नक्सल

हेडिंग से आप चौंकिएगा मत! इंवेस्टर्स मीट में इतनी सुरक्षा होती है कि वहां नक्सली नहीं पहुंच सकते। हम बात कर रहे हैं, इंवेस्टर्स में नक्सलियों को लेकर बेचैनी की। पिछले हफ्ते अहमदाबाद में इंवेस्टर्स मीट हुआ। इंडस्ट्री मिनिस्टर अमर अग्रवाल, चेयरमैन छगन मूंदड़ा समेत उनका पूरा अमला पहुंचा था। अमर अग्रवाल को आधा वक्त तो यह समझाने में लग गया कि नक्सली रायपुर के आसपास नहीं, 400 किलोमीटर दूर हैं। तब जाकर इंवेस्टर्स छत्तीसगढ़ आने के लिए उत्साहित हुए।

निधि के बाद अमित

निधि छिब्बर के बाद अमित कटारिया भी जल्द दिल्ली के लिए कूच कर सकते हैं। सरकार ने उनके डेपुटेशन के लिए हरी झंडी देने में देर नहीं लगाई। उनका एनओसी डीओपीटी को भेज दिया गया है। संकेत हैं, निधि की तरह अमित को भी डिफेंस में पोस्टिंग मिल सकती है। सो, बस्तर से हटाने के बाद अमित को हल्की-फुल्की पोस्टिंग ही मिलेगी। जिससे उन्हें रिलीव करने में सोचना न पड़े।

निहारिका बैक होंगी

बिलासपुर कमिश्नर निहारिका बारिक सिंह रायपुर बैक हो सकती है। मंत्रालय में सिकरेट्री की संख्या लगातार कम होती जा रही है। इस महीने ही तीन कम हो जाएंगे। निधि छिब्बर दिल्ली चली गई हैं। एसीएस एनके असवाल 31 मई को रिटायर हो जाएंगे। सिकरेट्री पीआर संतोष मिश्रा का भी इसी महीने डेपुटेशन पूरा हो जाएगा। निर्वाचन में भी किसी की पोस्टिंग करनी होगी। लिहाजा, निहारिका को रायपुर बुलाने पर विचार चल रहा है। वैसे भी, कमिश्नर की पनिशमेंट पोस्टिंग हो गई है। चार में से सिर्फ निहारिका ही डायरेक्ट आईएएस हैं। बाकी, तीन के तो भगवान ही मालिक हैं। 97 बैच की आईएएस निहारिका को भी बिलासपुर नहीं भेजा जाता। आखिर, एम गीता और रीचा शर्मा भी तो लंबे समय बाद डेपुटेशन से लौटीं थीं। लेकिन, निहारिका ब्यूरोक्रेसी की पालीटिक्स का शिकार हो गई।

2010 बैच की पोस्टिंग

कलेक्टरों की पोस्टिंग में 2010 बैच का भी इस बार नंबर लगेगा। इस बैच में यहां चार आईएएस हैं। जेपी मौर्य, कार्तिकेय गोयल, सारांश मित्तर और रानू साहू। इनमें से मौर्य और गोयल को कलेक्टर बनने की संभावना सबसे अधिक है। रानू साहू जेपी मौर्य की पत्नी है। लिहाजा, दोनों को एक साथ सरकार शायद ही कलेक्टर बनाएं। पति-पत्नी कलेक्टर वाला छत्तीसगढ़ में अभी दो ही पेयर है। एक बार विकास शील बिलासपुर और निधि छिब्बर जांजगीर कलेक्टर थी। और, दूसरा वर्तमान में अंबलगन पी बिलासपुर और अलरमेल मंगई डी रायगढ़ में कलेक्टर हैं।

सीईओ में इक्के-दुक्के

जिला पंचायत सीईओ में इक्के-दुक्के ही ट्रांसफर होंगे। बिलासपुर जिला पंचायत के सीईओ जेपी मौर्य को चूकि कलेक्टरी ड्यू है और अपने बैच में सबसे सीनियर भी हैं। इसलिए, उनका जिले में जाना लगभग तय समझा जा रहा है। एकाध के परफारमेंस से सरकार अगर नाराज होगी, तो उन्हें बदला जाएगा। बाकी, पीएम अवास से लेकर कई निर्माण कार्य चल रहे हैं। ऐसे में, ट्रांसफर होने पर काम प्रभावित होंगे। लिहाजा, सरकार ने तय किया है कि सीईओ को डिस्टर्ब नहीं किया जाएगा।

होटल पर गाज

केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामकृपाल यादव को भूखे रहने का खामियाजा होटल को भुगतना पड़ रहा है। होटल का भुगतान रोक दिया है। दरअसल, केंद्रीय मंत्री बीजेपी की बैठक लेने आए थे। बैठक समाप्त होने के बाद वे फ्रेश होने गए, तब तक भाजपाइयों ने रायपुर के नामी होटल के लजीज नाश्ते को सफाचट कर दिया। मंत्रीजी पहुंचे तो प्लेटे बिखरी पड़ी थी। इस पर रायपुर के एक मंत्री ने पहले तो होटल के स्टाफ को अपने अंदाज में जमकर हड़काया। होटल वाले को अब पेमेंट के लिए चक्कर काटना पड़ रहा है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. जनसंपर्क का अगला सिकरेट्री क्या कोई ज्वाइंट सिकरेट्री लेवल का आईएएस होगा?
2. सत्ताधारी पार्टी में महिला नेत्रियों की संख्या क्यों बढ़ती जा रही है?

शनिवार, 13 मई 2017

भावी सीएस का ट्रेलर


14 मई
संजय दीक्षित
एसीएस टू सीएम बैजेंद्र कुमार का चीफ सिकरेट्री बनने की चर्चा बड़ी तेज है। उनकी ताजपोशी कब होगी, इसी जून में होगी या फिर अगले साल, ये तो डाक्टर साब बताएंगे। मगर बैजेंद्र ने आज दस का दम दिखाया। आपको बता दें, सूबे की सीमेंट कंपनियां इतनी ताकतवर हो गई थी कि मंत्रालय में होने वाली हाई प्रोफाइल मीटिंगों में आना उन्हें गवारा नहीं था, वो शनिवार को बैजेंद्र कुमार के दरवाजे पर घूटनों के बल खड़ी थीं….मिन्नतें कर रही थीं, आप जैसा कहेंगे, वैसे हम करेंगे। दरअसल, रेट को लेकर मनमानी पर उतर आई सीमेंट कंपनियों ने कारटेल बनाकर रेट 270 कर दिया है। चिल्हर में तो 280 तक बिक रहा है। यहीं नहीं, कंपनियां इस कोशिश में थी कि रेट 300 से उपर ले जाया जाए। लेकिन, जब मीडिया का प्रेशर बढ़ा तो सरकार ने बैजेंद्र को फ्री हैंड दे दिया। और, उन्होंने सीमेंट प्लांटों की ऐसी नस दबाई कि शनिवार छुट्टी का दिन होने के बाद भी त्राहि माम करते हुए कंपनियों के अफसर उनके बंगले पर पहुंच गए। दरअसल, अल्ट्राटेक और एसीसी को सरकार ने आज बंद कर दिया था और एक नई कंपनी की भी माइनिंग लीज खतम करने का आदेश जारी होने वाला था। कंपनी ने माईनिंग में बड़ा गड़बड़झाला किया है। चलिये, सीमेंट कंपनियों की गलतफहमी दूर हो गई….आखिर, सरकार, सरकार होती है। सरकार जब कुछ करने पर आ जाएं तो किसी की कोई मजाल नहीं।

रांग नम्बर डायल

लोक सुराज में बिलासपुर के एक ब्लॉक कांग्र्रेस अध्यक्ष रांग नम्बर डायल कर पुलिस के हत्थे चढ़ गया। दरअसल, एसीएस पंचायत एमके राउत बेलगहना के पास चौपाल लगाए थे। ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष नया लड़का है, वह राउत के ओहरा से वाकिफ नहीं था। सो, उसने नेतागिरी चालू कर दी। राउत ने पहले उसे प्रेम से चौपाल में बिठाया। मगर, वह सुनने के लिए तैयार नहीं था। जब उसकी नेतागिरी की पराकाष्ठा हो गई तो राउत भृकुटी चढ़ाते हुए पुलिस अधिकारियों पर भड़के….लोक सुराज को डिस्टर्ब किया जा रहा है….तुमलोग क्या कर रहे हो…? इस पर वहां मौजूद तमाम अफसर सकपका गए। पुलिस वाले ने तुरंत कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई का कांग्रेस की ओर से इसलिए विरोध नहीं हुआ कि रायपुर, बिलासपुर के बीजेपी और कांग्रेस के जितने नेता है, सभी राउत के सामने बड़े हुए हैं। राउत उस समय दोनों जिलों के कलेक्टर रहे, जब बिलासपुर में कोरबा, जांजगीर, मुंगेली और रायपुर में धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद शामिल था।

मजबूरी का नाम डीडी सिंह

सिकरेट्री जीएडी निधि छिब्बर सेंट्रल डेपुटेशन के लिए रिलीव हो गईं। उनके पास निर्वाचन के साथ जीएडी में आईएएस सेक्शन का चार्ज था। आईएएस काफी संजीदा विभाग माना जाता है। आईएएस के खिलाफ जांच से लेकर नोटिस-वोटिस सब इसी में आता है। इसलिए, हमेशा इसमें रेगुलर रिक्रट्ड याने आरआर आईएएस को ही पोस्ट किया जाता था। वैसे भी, इस पोस्ट पर ज्यादातर महिला आईएएस रही हैं। इशिता राय से लेकर शहला निगार, रेणु पिल्ले, रितू सेन, निधि छिब्बर तक लंबी फेहरिश्त है। निधि के डेपुटेशन पर जाने के बाद राज्य में पहली बार आईएएस सेक्शन का जिम्मा राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर आईएएस बने डीडी िंसंह को दिया गया है। बताते हैं, जीएडी के आईएएस सेक्शन देखने के लिए अबकी कोई आईएएस तैयार नहीं हुआ। जीएडी वैसे भी माल-मसाला वाला विभाग है नहीं। उपर से आईएएस सेक्शन का मतलब चीफ सिकरेट्री के सीधे नियंत्रण में। लिहाजा, मजबूरी का नाम डीडी सिंह….सरकार ने इस विभाग को डीडी सिंह के हवाले कर दिया।

उल्टी गिनती

कलेक्टरों के ट्रांसफर की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 20 को लोक सुराज खतम होगा। 23 को कलेक्टरों का परफारमेंस परखने के लिए सीएम कलेक्टर कांफ्रेंस करने जा रहे हैं। इसी रोज कैबिनेट भी है। जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, 23 की शाम को ही कलेक्टरों के आर्डर जारी हो जाएंगे। कलेक्टर कांफ्रेंस के तुरंत बाद कलेक्टरों का उनका रिपोर्ट कार्ड बताया जाएगा। अत्यधिक संभावना इस बात की भी है कि कांफ्रेंस के बाद कलेक्टर अपने जिले में पहुंचेंगे, उससे पहिले उनका आर्डर पहुंच जाएगा। सो, कलेक्टरों में बेचैनी लाजिमी है।

ईमानदारी को ईनाम

आईएफएस के सुब्रमण्यिम किन्हीं कारणों से भले ही सीएम सचिवालय से बाहर हो गए हों मगर सीएम ने अपने साथ काम करने और उनकी ईमानदारी को पुरस्कृत किया। छत्तीसगढ़ साइंस एन टेक्नालॉजी कौंसिल के डीजी का पद हाल ही में खाली हुआ है। बताते हैं, सीएम ने इसके लिए सुब्रमण्यिम को बुलाकर उन्हें इस पद पर पोस्ट करने की सूचना दी। राज्य में ऐसी पोस्टिंग शायद ही हुई होगी, जिसे सीएम ने खुद ऑफर किया हो। सुब्रमण्यिम वन विभाग में दो-एक गिने चुने अफसरों में शामिल हैं, जिनकी आनेस्टी की चर्चा होती है।

अब हिंदी भाषी प्रभारी

दिग्विजय सिंह के बाद कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी बीके हरिप्रसाद की किसी भी दिन छुट्टी हो सकती है। दिल्ली गए कांग्रेस नेताओं को राहुल गांधी ने इसके संकेत दिए हैं। बताते हैं, पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने पार्टी आलाकमान से अबकी किसी हिन्दी बेल्ट के नेता को प्रभारी बनाने का आग्रह किया है। सो, यूपी, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश या राजस्थान जैसे किसी प्रदेश के तेज-तर्रार कांग्रेस नेता को यह जिम्मा मिल जाए, तो आश्चर्य नहीं। असल में, पार्टी नेता चाहते हैं कि अगले साल चुनाव को देखते किसी गरजने वाले नेता को छत्तीसगढ़ की कमान दी जाए।

अब पछता रहे कांग्रेसी

राहुल गांधी से मिलने दिल्ली गए कांग्रेस नेताओं को ये पता नहीं था कि राहुल गांधी से वन-टू-वन मिलने का इस तरह मौका मिल जाएगा। राहुल ने पहले पार्टी दफ्तर में मिलने का टाईम दिया था। लेट हुआ तो घर बुला लिया। भूपेश और टीएस के साथ कांग्रेस के लोग बंगले पहुंचे तब तक सबको यही भान था कि जैसे पहले राहुल दो मिनट में हाउ डू यू करते आगे बढ़ जाते थे, वैसा ही कुछ इस बार भी होगा। लेकिन, विजिटर्स रुम में जैसे ही राहुल आए, बोले, वन-टू-वन मिल लेते हैं…इस पर पहले तो सभी सकपका गए। फिर, मोतीलाल वोरा बोले, पहले मैं मिलता हूं। तब लोगों ने चुटकी भी ली….काका! आप तो रोज ही मिलते हो। बहरहाल, जो नेता दिल्ली नहीं गए वे अब पछता रहे हैं….उन्हें भी मन का गुबार निकालने का मौका मिल जाता।

अंत में दो सवाल आपसे

1. भूपेश बघेल के खिलाफ ईओडब्लू में एफआईआर से सत्ताधारी पार्टी को फायदा होगा या नुकसान?
2. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की बैठक में मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह किस केंद्रीय मंत्री पर भड़क गए?

शुक्रवार, 12 मई 2017

डाक्टर ने गरमी खराब कर दी!


7 मई
संजय दीक्षित
सरकार को पहले शराब ना पीने वालों का गुस्सा झेलना पड़ा। अब, पीने वाले लोग नाराज हैं…..डॉक्टर ने गरमी खराब कर दी। चिल्ड बीयर का आनंद लेने के लिए लोग गरमी का इंतजार करते थे। लेकिन, पूरा वॉट लगा दिया। सरकारी दुकानों में एक तो पसंदीदा ब्रांड की बीयर मिल नहीं रही, और जो मिल रही, वह भी गरम। पीना है, तो घर के फ्रीज में ले जाकर ठंडा करो और बोनस में पत्नी की दो-चार ताने भी सुनो। वैसे, वहीस्की पीने वाले लोग भी कम परेशां नहीं हैं। उनका मनपसंद ब्रांड सरकारी दुकानों में एवेलेवल नहीं है। मंत्रियों, नेताओं और अफसरों के लिए सप्लायर, ठेकेदार गोंदिया से कैरेट मंगवा दे रहे हैं। मगर सबको ऐसी गॉड गिफ्टेड फैसिलिटी कहां? बेचारों को अनाप-शनाप दाम पर बाहर से मंगवाना पड़ रहा है। जाहिर है, लोग सरकार को कोसेंगे ही।

बैड मई

रमन सरकार के शराब बेचने के फैसले से सिर्फ पीने वाले ही दुखी नहीं हैं, जिनके संरक्षण में शराब ठेकेदारों का काम फल-फूल रहा था, उनके घरों में भी अवसाद पसरा है। आबकारी विभाग से लेकर आईजी, एसपी, एसडीएम, तहसीलदार, थानेदार और सिपाही। सबका बंधा था। एक से पांच तारीख तक सबके लिफाफे घर, आफिस या थानों में पहुंच जाते थे। इस बार पांच तारीख निकल गई। अब, घरवालियां पूछ रही….क्या हुआ। दरअसल, रेट सबका तय था। शराब दुकान वाले थाने के प्रत्येक सिपाही को कम-से-कम पांच हजार। थानेदार को 50 हजार। और अगर सिपाही, थानेदार सरकार से ज्यादा शराब ठेकेदार की ड्यूटी बजाते दिए, तो यह एमाउंट बढ़ भी जाता था। बड़े जिलों के एसपी को 2 से पांच लाख। कलेक्टर्स को महीना नहीं एकमुश्त मिल जाता था। ठेके के समय चाहे ऑनलाइन हो या मैन्यूल कलेक्टरों को बंधा था। ए केटेगरी के जिलों के कलेक्टरों को 75 लाख से एक करोड़ और छोटे जिलों के कलेक्टर्स को 25 से 50 लाख। ये राशि ठेका होते ही मिल जाती थी। वह भी बिना मांगे। अब, सभी कलेक्टर्स एवं एसपी शराब ठेकेदारो की सेवा को ग्रहण करते होंगे, ये मैं नही कह रहा। बट, रेट यही था। दिक्कत राजनेताओं को भी कम नहीं हो रही। पहले कार्यक्रमों में भीड़ जुटाने के लिए 100 रुपए के साथ एक पौवा दे दो तो लोग दौड़े चले आते थे। आखिर, एक फोन पर ठेकेदार कार्टून-के-कार्टून पहुंचवा देता था। अब ये अतीत की बात हो गई। दुखी मीडिया वाले भी कम नहीं हैं। खासकर, मीडिया का लेवल लगाए पत्रकारों को पर्ची मिल जाती थी….फलां दुकान में चले जाइये। सरकार ने सबकी मई बैड कर दी।

दावा प्रबल

एसीएस टू सीएम एन बैजेंद्र कुमार भारत सरकार में सिकरेट्री के समकक्ष पोस्ट के लिए इम्पैनल हो गए हैं। याने प्रदेश के चीफ सिकरेट्री के बराबर। ऐसे में, बैजेंंद्र का सीएस का दावा जाहिर है, अब और मजबूत हो जाएगा। बैजेंद्र 85 बैच के आईएएस हैं। सीएस के लिए उनका तगड़ा कांपीटिशन अजय सिंह से हैं। अजय सिंह 83 बैच के आईएएस हैं। बैजेंद्र से दो बैच सीनियर। मगर सीएस के सलेक्शन में सीएम का वीटो चलता है। आखिर, शिवराज सिंह के बीके कपूर, बीकेएस रे और पी राघवन को पार करते हुए सीएस बनने का दृष्टांत है ही। बैजेंद्र को तो अब भारत सरकार ने भी चीफ सिकरेट्री के समकक्ष मान लिया है।

10 में से चार पीएस

छत्तीसगढ़ में सिकरेट्री, प्रिंसिपल सिकरेट्री लेवल पर अफसरों का टोटा हो गया है। खासकर, पीएस लेवल पर तो स्थिति और खराब हो गई है। स्टेट कैडर में कहने के लिए वैसे 10 पीएस हैं। इसमें से तीन डिरेल्ड हो गए हैं। अजयपाल सिंह, डॉ0 आलोक शुक्ला और बीएल अग्रवाल। बीएल कल तिहाड़ जेल से छूटे हैं। अजयपाल और आलोक को सरकार ने कोई काम नहीं दिया है। बचे सात। इनमें सीके खेतान दिल्ली डेपुटेशन पर हैं। केडीपी राव राजस्व बोर्ड में हैं। बीबीआर सुब्रमण्यिम तीन महीने की छुटटी पर कल ही निकले हैं। इस तरह 10 में से चार बचे। आरपी मंडल, रेणु पिल्ले, अमिताभ जैन और सुब्रत साहू। इनके उपर ही सरकार के मीडिल क्रम का पूरा दारोमदार रहेगा।

घर बिठा कर तनखा क्यों?

डॉ0 आलोक शुक्ला, अजयपाल सिंह और अनिल टुटेजा को सरकार घर बिठाकर पैसा दे रही है। तीनों के पास कोई काम नहीं है। आलोक और अनिल को नॉन घोटाले की वजह से सरकार ने कोई विभाग नहीं दिया है। अजयपाल को जनशिकायत जैसा एक ऐसा विभाग है, जिसके होने न होने का कोई मतलब नहीं। अलबत्ता, बड़े सम्मान के साथ हर महीने करीब दो लाख रुपए उनके खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है। आलोक और अनिल को नॉन घोटाले की वजह से सरकार ने कोई काम नहीं दिया है। भारत सरकार ने दोनों के खिलाफ चालान पेश करने की मंजूरी दे दी है। लेकिन, सरकार ने कोई कार्रवाई कर रही और ना ही उन्हें कोई काम दिया जा रहा। आलोक को हर महीने दो लाख और अनिल को लगभग इसका आधा उनके एकाउंट में ट्रांसफर कर देती है सरकार। ऐसे में, दो साल का हिसाब लगा लीजिए। कायदे से दोनों को वेतन दिया जा रहा है तो काम भी लेना चाहिए। राज्य में अफसरों की वैसे भी कमी है। दोनों की काबिलियत पर कोई संशय भी नहीं। फिर, मुफ्त का वेतन क्यों?

नारी की जगह नारी

चीफ इलेक्शन आफिसर एवं सिकरेट्री जीएडी निधि छिब्बर डेपुटेशन पर दिल्ली जा रही हैं। वहां उनको डिफेंस में पोस्टिंग मिली है….एज ए ज्वाइंट सिकरेट्री। लिहाजा, ब्यूरोक्रेसी में चर्चा खूब है, निर्वाचन में निधि की जगह कौन लेगा। निर्वाचन में सबसे ज्यादा समय गुजारने वाले सुनील कुजूर अब एसीएस हो गए हैं। उन्हें सरकार भेजेगी नहीं। पीएस में अफसर वैसे भी कम हैं। सिकरेट्री में भी कमोवेश वही स्थिति है। लेकिन, किसी को तो अपाइंट करना ही होगा। वो भी रेगुलर रिक्रूट्ड आईएएस होना चाहिए। ऐसे में, किसी महिला सिकरेट्री को सरकार निर्वाचन की जिम्मेदारी सौंप दें, तो आश्चर्य नहीं। क्योंकि।

अंत में दो सवाल आपसे

1. छत्तीसगढ़ का अगला मुख्य निर्वाचन अधिकारी कौन होगा?
2. छत्तीसगढ़ में किस आईपीएस को बाहुबलि और किसे कटप्पा बताया जा रहा है?

एक और रिहैबिलिटेशन पोस्ट

30 अप्रैल
संजय दीक्षित
कैबिनेट द्वारा रियल एस्टेट अथॉरिटी को हरी झंडी देने के बाद इसके गठन का रास्ता अब साफ हो गया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के रिटायर नौकरशाहों के पुनर्वास का एक और मलाईदार ठिकाना तैयार हो गया है। इस अथारिटीका हेड चीफ सिकरेट्री या इसके समकक्ष ऑल इंडिया सर्विसेज के अफसर होंगे। सीएस, एसीएस से रिटायर होने वाले आईएएस के लिए सूबे में अभी तक दो ही जगह थी। सूचना आयोग या फिर इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन। हालांकि, शिवराज सिंह बिजली कंपनियों के चेयरमैन हैं। लेकिन, उनको अपवाद ही समझिए। रही बात सूचना आयोग की तो इसमें सुख-सुविधाओ का पूरा बंदोबस्त है मगर महात्मा गांधी वाला स्कोप खतम हो जाता है। अलबत्ता, इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी की तरह रियल एस्टेट की पोस्टिंग पांचों उंगली घी की तरह होगी। सारे बिल्डर्स अब अथॉरिटी के अंतगर्त इनरोल होंगे। अथॉरिटी जब चाहे, तब बिल्डरों के कान मरोड़ सकता है। इससे बढ़ियां और क्या चाहिए….जय हो!

तारीफ के मायने

हमसफर एक्सप्रेस के हरी झंडी दिखाने के कार्यक्रम में सीएम ने लोकल एमपी रमेश बैस की इतनी तारीफ कर दी कि लोग सोच में पड़ गए….ये हुआ कैसे। बैस की गिनती अभी तक ऐसे असंतुष्ट नेता के तौर पर होती थी, जो सरकार के क्रियाकलाप पर खुलकर असहमति जताते हैं। मगर रेल मंत्री की मौजूदगी में सीएम ने राजधानी के विकास का पूरा क्रेडिट बैस को दे डाला। बोले, रायपुर में जो भी काम हुए हैं, सब बैसजी ने कराया है। ध्यान रहे, इस समारोह में रायपुर के दोनों मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत आमंत्रित नहीं थे। रायपुर में शायद ही कोई बड़ा समारोह हो, जिसमें बृजमोहन न रहते हां। नया रायपुर में पीएचक्यू के उद्घाटन में न बुलाने पर उन्होंने स्पष्ट तौर पर नाराजगी जाहिर कर दी थी। बहरहाल, लोग अपने-अपने हिसाब से राजनीति के उलझे तारों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

कलेक्टर को दुर्ग पसंद है

कलेक्टर्स इन वेटिंग की संख्या को देखते सरकार अब 2004 बैच को क्लोज करने पर विचार कर रही है। इस बैच के अभी तीन कलेक्टर्स हैं। अमित कटारिया बस्तर, अंबलगन पी बिलासपुर और अलरमेल मंगई रायगढ़। इनमें से एक कलेक्टर की कलेक्टरी की अभी मन भरा नहीं है। वे सरकार में लगातार एप्रोच करवा रहे हैं कि एक बार उन्हें दुर्ग जिला मिल जाए। इसके बाद वे फिर जिले की माग नहीं करेंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार कलेक्टर की पसंद को तवज्जो देते हुए 2004 बैच को कंटीन्यू करती है या फिर अगले महीने रायपुर बुला लेगी।

जब अफसर दौड़े विधानसभा

जीएसटी बिल पर विधानसभा में हो रही चर्चा के दौरान अफसर दीर्घा खाली रहा। सिर्फ फायनेंस और टैक्सेशन के चार-पांच अफसर बैठे थे। जबकि, सीट 25 से ज्यादा है। विपक्ष कहीं हंगामा न कर दें, इसलिए संसदीय कार्य विभाग के अफसरों से कहा गया फौरन सभी अफसरों को मैसेज कर हाउस पहुंचने के लिए कहा जाए। और, एक लाइन के व्हाट्सएप पर अफसर रायपुर और नया रायपुर से विधानसभा के लिए दौड़ पड़े। बता दें, विधानसभा के अफसर दीर्घा में आमतौर पर वे ही अफसर बैठते हैं, जिनके विभाग की चर्चा रहती है। जीएसटी चूकि फायनेंस और टैक्सेशन से जुड़ा सब्जेक्ट है, इसलिए अधिकांश आफिसर्स विधानसभा नहीं गए। लिहाजा, आफिसर दीर्घा काफी देर तक खाली रहा।

कलेक्टर्स, एसपी का जमावड़ा

बुर्कापाल नक्सली हमले के बाद बस्तर के कमिश्नर, आईजी, डीआईजी समेत सातों जिले के कलेक्टर, एसपी 2 मई को रायपुर में रहेंगे। मंत्रालय में भारत सरकार के र्शीर्ष अफसरों के साथ उनकी वीडियोकांफ्रेंसिंग होगी। दिल्ली में नेशनल सिक्यूरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल भी वीसी में बैठेंगे। इससे 2 मई की बैठक की अहमियत बढ़ गई है।

फ्लैट वाला डीजीपी

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने योगी जैसे ही अपना डीजीपी चुना। सुलखान सिंह के पास संपत्ति के नाम पर लखनउ में एक तीन कमरों वाला फ्लैट है। माता-पिता आज भी गांव के खपरैल मकान में रहते हैं। इस खबर को देश के मीडिया में खूब माइलेज मिला। हालांकि, अपने डीजीपी भी योगी से कम नहीं हैं। ईमानदारी और लिविंग में तो एएन उपध्याय का जवाब नहीं है। आज भी उनके पास 1200 रुपए वाला दो इंच स्क्रीन का मोबाइल है। घर-परिवार भी आज भी साधारण ही है। लेकिन, वह यूपी है ये छत्तीसगढ़। यहां की खबरों की दिल्ली में टीआरपी नहीं होती।

सीएम जब भड़के

मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह भड़क भी सकते हैं….यकबयक कोई यकीन नहीं करेगा। लेकिन, गुरूवार को आदिवासी विभाग के रिव्यू मीटिंग में जो कुछ हुआ, उस पर एतबार करना पड़ेगा। बताते हैं, आदिवासी इलाके के विकास के लिए भारत सरकार ने 700 करोड़ रुपए दिए हैं। लेकिन, तीन साल में एक ढेला का काम नहीं हुआ है। विभाग के अफसरों और मंत्री के कुछ करीबी स्टाफ के पचड़े में यह फंड फंस गया है। रिव्यू में मुख्यमंत्री बिगड़ पड़े। बोले,….तो मंत्री क्या कर रहे हैं। विभागीय मंत्री उनके बगल में ही बैठे थे। वे भी सकपका गए। 15 साल में किसी मंत्री को उसके मुह पर सीएम ने ऐसा नहीं बोला था। जाहिर है, सीएम हाउस के कांफ्रेंस हॉल में सन्नाटा पसर गया।

स्टेपनी या….

कुछ दिन से ऐसा हो रहा है, सूबे से कोई आईएएस डेपुटेशन पर जाए या फिर छुट्टी पर उसका विभाग प्रिंसिपल सिकरेट्री अमिताभ जैन को टिका दिया जा रहा है। अमित अग्रवाल डेपुटेशन पर दिल्ली गए तो उनका फायनेंस अमिताभ को सौंप दिया गया। अब, पीएस होम बीबीआर सुब्रमण्यिम 5 मई से तीन महीने की लंबी छुट्टी पर जा रहे हैं तो होम का प्रभार अमिताभ को दिया गया है। अविनाश चंपावत के साथ भी कुछ दिन तक ऐसी हुआ था। यही वजह रहा कि दो साल में चंपावत के चार-पांच पोस्टिंग मिल गई थी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. स्पेशल डीजी नक्सल बनना डीएम अवस्थी के लिए फायदे का सौदा रहा या नुकसान का ?
2. पीएस होम बीबीआर सुब्रमण्यिम ने तीन महीने की छुट्टी पर जा रहे हैं। इसके पीछे कोई वजह है या नार्मल छुट्टी है?