शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

नाम खराब


26 फरवरी
संजय दीक्षित
देश के नौकरशाह अभी तक रिश्वत लेने के नाम से जाने जाते थे। लेकिन, प्रमुख सचिव बीएल अग्रवाल ने आईएएस़ का नाम खराब कर दिया। बीएल दिल्ली के एक दलाल को रिश्वत देने के मामले में सीबीआई के हत्थे चढ़ गए। रिश्वत देने के आरोप में पकड़े जाने वाले वे देश के पहले आईएएस होंगे। देश में अब तक जितने भी आईएएस पकड़े गए हैं, सब घूस लेने के मामले में अंदर हुए हैं या फिर भ्रष्टाचार के केस में। राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों तक ने भी इस तरह का जुर्म कभी नहीं किया। जाहिर है, आईएएस एसोसियेशन इसको लेकर बेहद गुस्से में है। और, जल्द ही एक मीटिंग लेकर अफसरों को अलार्म करने वाला है कि रिश्वत देकर नौकरशाही की छबि खराब करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा।

देवांगन का खौफ

रिश्वत कांड में प्रमुख सचिव बीएल अग्रवाल के अरेस्ट होने के बाद सत्ता के गलियारों में ये चर्चा आम है कि आईपीएस राजकुमार देवांगन का खौफ बीएल अग्रवाल को ले डूबा। जनवरी में भारत सरकार ने देवांगन को खराब छबि के कारण में नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इस घटना ने सूबे के दागी नौकरशाहों को हिला दिया था। पूछताछ में भी ये बात सामने आई है कि देवांगन एपीसोड के बाद बीएल की मति मारी गई…..उन्हें इस बात का भी इल्म नहीं रहा कि मोदी जैसे पीएम के दौर में पीएमओ का कोई आदमी इस तरह का दुःसाहस करेगा। वरना, ब्यूरोक्रेसी में बीएल को बेहद चतुर आईएएस माना जाता था। आखिर, बहुचर्चित हेल्थ घोटाले में कई अफसर जेल चले गए और बीएल का बाल बांका नहीं हुआ था। लेकिन अब, बिचौलियों के चक्कर में उन्होंने अपना कैरियर तबाह कर लिया।

फिर माटी पुत्र

इसी कॉलम में कुछ दिनों पूर्व लिखा गया था कि माटी पुत्रों के दिन ठीक नहीं चल रहे हैं। इस कड़ी में बीएल अग्रवाल का नाम भी जुड़ गया। इससे पहिले जनवरी में आईजी राजकुमार देवांगन की वर्दी उतर गई। डा0 आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के साथ जो हुआ, वह सबको पता है। आरा मिल मामले में भी 14 आईएफएस में से सिर्फ तीन छत्तीसगढ़ियां फंस गए…..राकेश चतुर्वेदी, एसएसडी बड़गैया और हेमंत पाण्डेय। बाकी 11 ने जोर-जुगाड़ लगाकर अपना नाम कटवा लिया।

अब हरगिज नहीं

बीएल अग्रवाल को प्रमोशन देकर अपना हाथ जला बैठी सरकार अब आउट ऑफ वे जाकर किसी की मदद नहीं करने वाली। भले ही वे आईएएस हो या आईपीएस। विधानसभा के बजट सत्र के बाद डा0 आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को पोस्टिंग देने पर विचार किया जा रहा था। इसके लिए आईएएस लॉबी का भी प्रेशर था। मगर सरकार अब कुंए में छलांग नहीं लगाने वाली। आईजी पवन देव का प्रमोशन भी अब लंबा खींच जाए, तो आश्चर्य नहीं। महिला कांस्टेबल कांड में पिछले महीने उनका प्रमोशन रुक गया था। और, ऐसा समझा जा रहा था कि दो-एक महीने में सरकार धीरे से हरी झंडी दे देगी। लेकिन, अब मुश्किल प्रतीत होता है। अगले साल चुनाव को देखते सरकार अब अपना नाम नहीं खराब करेगी।

साठा या पाठा

आईएएस दिनेश श्रीवास्तव को रिटायरमेंट के बाद सरकार ने भले ही लाल बत्ती नहीं दी, मगर उन्होंने दिखा दिया कि युवा आईएएस अफसरों से वे ज्यादा फिट हैं। हाफ मैराथन में उन्होंने न केवल 21 किलोमीटर की दौड़ लगाई बल्कि पहले और दूसरे नम्बर पर रहे आईएएस मुकेश बंसल और कमलप्रीत सिंह के टक्कर में दौड़े। मैराथन में 61 साल के दिनेश को जिन्होंने दौड़ते देखा वे तो दांतों तले उंगलिया दबाए ही, मीडिया में खबर पढ़कर लोग वाह! कर उठे। दिनेश श्रीवास्तव अब फोन से परेशान हैं। लोग उनसे यह जानने के लिए उत्सुक है कि वे कौन सी कंपनी का च्यवनप्राश खाते हैं। बाबा रामदेव का या किसी और बाबा का?

खेल का क्रेज

सरकार ने कुछ महीने पहिले सोनमणि बोरा से महिला बाल विकास लेकर उनका वजन कम कर दिया था। उनके पास बच गया है समाज कल्याण और खेल तथा युवा कल्याण। बोरा ने खेल में अपना करतब दिखाकर विभाग को हाईलाइट कर दिया है। राजधानी में हाफ मैराथन तो अद्भूत रहा। इसके सफल आयोजन के बाद बोरा और फर्म में आ गए हैं। शुक्रवार को साईं हास्टल की खामियों को लेकर अफसरों को जमकर हड़काया। चलिये, खेल विभाग इसी तरह चार्ज रहा तो हो सकता है, यह भी क्रेजी विभाग बन जाए। वरना, अब तक इसे सबसे निम्न विभाग समझा जाता था। किसी ने इस विभाग ने कभी रुचि ली नहीं।

जान बची, लाखों पाए

उर्जा विभाग में बिना काम के ओएसडी एसके शुक्ला हरियाणा में अक्षय उर्जा के चेयरमैन बन गए हैं। उनके लिए अच्छा हुआ। वरना, कुछ दिन और यहां रुक गए होते तो उनकी नौकरी पर ही बन आई होती। 15 साल से क्रेडा में जमे शुक्ला के खिलाफ बेहिसाब शिकायतें थी। करीबी रिश्तेदार के कारखाने से सोलर पैनल खरीदने से लेकर और न जाने क्या-क्या। चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड ने उनके खिलाफ जांच के लिए लिख दिया था। क्रेडा के चेयरमैन और उर्जा विभाग के सिकरेट्री से उनके कैसे संबंध थे किसी से छिपा नहीं है। चेयरमैन तो हर तीसरे दिन सीएम के पास शिकायतों का पुलिंदा लेकर पहुंचते थे। चलिये, जान बची, लाखों पाए।

जोगी का सिक्का

अप्रैल में अजीत जोगी के सार्वजनिक जीवन में 50 बरस पूरे होने पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी सिक्का बनवा रही है। चांदी के इस सिक्के का नाम होगा, जोगी सिक्का। इसे 2 हजार रुपए में कार्यकर्ताओं को बेचा जाएगा। जोगी कांग्रेस का इससे 20 करोड़ रुपए जुटाने का टारगेट है। सिक्का बनने के लिए मुंबई के एक फर्म को काम दिया गया है। हालांकि, सीएम डा0 रमन सिंह की इस पर कमेंट दिलचस्प रहा…..जोगी सिक्का बनना ही नहीं, चलना भी चाहिए।

जवाब नहीं

छत्तीसगढ़ के डिजास्ट मैनेजमेंट का वाकई जवाब नहीं है। सर्किट हाउस की बिल्डिंग का स्लैब गिरा, सवा घंटा बाद डिजास्टर मैनेजमेंट के लोग पहुंचे। औजार के नाम पर गैस का सिलेंडर। वक्त पर आम लोग और मीडिया वाले अगर हाथ नहीं बढ़ाएं होते तो जन धन का नुकसान हो सकता था। बहरहाल, ये तो छोटी घटना थी, राजधानी के या प्रदेश के किसी हिस्से में कोई बड़ी घटना हो गई तो….? सरकार को कुछ सोचना चाहिए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. बिजली विभाग के खिलाफ शिकवे-शिकायतों के लिए किसी मंत्रालय से फंडिंग से हो रही है?
2. पीडब्लूडी मिनिस्टर के घर के सामने पीडब्लूडी के निर्माणाधीन बिल्डिंग का स्लैब गिरना कितना शर्मनाक है?

शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

सीएस का टोटका

19 फरवरी

संजय दीक्षित
छत्तीसगढ़ में 10-12 साल से ऐसा ट्रेंड चल रहा है कि आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट चीफ सिकरेट्री नहीं बन पा रहे हैं। याद होगा, 2007 में बीके एस रे ने सीएस बनने की कितनी कोशिशें की थीं। लेकिन, नाकामी ही हाथ आई। सरकार ने उन्हें माध्यमिक शिक्षा मंडल में वनवास पर भेज कर शिवराज सिंह की ताजपोशी कर दी थी। इसके बाद नारायण सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। 2012 में सुनिल कुमार का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सरकार ने नारायण को मंत्रालय से नारायण कर दिया था। उनके बाद एसोसियेशन की कमान बैजेंद्र कुमार ने संभाली। बैजेंद्र छत्तीसगढ़ के पहले ऐसे अफसर हैं, जिन्हें तीन मुख्यमंत्रियों के साथ काम करने का तर्जुबा है। अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह और अभी डा0 रमन सिंह। लिहाजा, पूरे फार्म में होने के बाद भी सही समय पर उन्होंने सन्यास ले लिया। अब आईएएस एसोसियेशन के नए प्रेसिडेंट हैं अजय सिंह। 83 बैच के अजय सीएस विवेक ढांड के बाद दूसरे नम्बर के सीनियर आईएएस हैं। हालांकि, रे से पहिले सुयोग्य मिश्रा एक अपवाद हैं, जो आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट के साथ ही चीफ सिकरेट्री भी रहें। बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि अजय सिंह आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट के साथ जो अपशकून चला आ रहा है, उसे वे ब्रेक करते हैं। या…..।

गुड न्यूज

नया रायपुर के जंगल सफारी में शेरों का एक जोड़ा है, शिवा और रागिनी। शिवा ने रायपुर दौरे में पीएम नरेंद्र मोदी का वेलकम किया था और उसकी फोटो देश भर के मीडिया में छपी थी। रागिनी जरा शर्मिली है। वो मोदीजी के सामने भी नहीं आई थी। उनके बीच से एक गुड न्यूज निकल कर आ रहा है। नन्हा मेहमान का। लिहाजा, रागिनी को विशेष केयर के लिए जंगल सफारी से हटा लिया गया है। उसके बदले में शिवा का नया जोड़ा चित्रा को जंगल सफारी भेजा गया है। चलिये, पीएस फॉरेस्ट आरपी मंडल को आप बधाई दीजिए। उन्होंने वहां खूब मेहनत की थी। पीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।

कांग्रेस के गढ़ में रमन

विधानसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल से ज्यादा वक्त बाकी है। लेकिन, सीएम डा0 रमन सिंह ने तूफानी दौरा चालू कर दिया है। पिछले 45 दिन में उन्होंने 30 विधानसभाओं को कवर किया है। और, खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश कांगेस विधायकों का इलाका है। रमन के नजदीकी लोग भी मान रहे हैं कि पिछले 13 साल में इतना मेहनत करते कभी नहीं देखा। दिल्ली में दिन भर मीटिंगों के बाद भी वे शाम को लौटने पर मंत्रालय पहुंच जा रहे हैं। 16 फरवरी को बिलासपुर के कोटा के थकाने वाले कार्यक्रम से लौटने के बाद उन्होंने सीएम हाउस में लोक समाधान शिविर का प्रेजेंटेशन देखकर उसे फायनल किया। बहरहाल, कांग्रेस के गढ़ में सरकार का धावा बोलना, कांग्रेस पार्टी के लिए चिंता का सबब हो सकता है।

तीन सदस्यीय कमेटी

लोक सुराज अभियान का सरकार ने नाम और स्वरूप बदल दिया है। अब लोक समाधान शिविर होंगे और मौके पर ही समस्याओं का निबटारा किया जाएगा। इस दौरान न तो कोई लोकार्पण होंगे और न शिलान्यास। सीएम सिर्फ काम की दो टूक बात करेंगे। 3 अप्रैल से 20 मई तक चलने वाले लोक समाधान के लिए सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। सिकरेट्री टू सीएम सुबोध सिंह, ज्वाइंट सिकरेट्री टू सीएम रजत कुमार और डायरेक्टर पीआर राजेश सुकुमार टोप्पो। बताते हैं, बाद में राजेश को कोआर्डिनेटर बनाया इस अभियान को उनके हवाले कर दिया जाएगा।

लिटमस टेस्ट

लोक समाधान शिविर कलेक्टरों के लिए लिटमस टेस्ट होगा। सरकार को पता चल जाएगा कि उनके कलेक्टर्स कितने पानी में हैं। वरना, लोक सुराज में दिन में पारफारमेंस ठीक ना भी रहा तो शाम को रोड शो में तमाशेबाजी कर कलेक्टर अपनी पीठ थपथपवा लेते थे। लेकिन, सरकार अबकी ऐसा कोई मौका देने वाली नहीं। सरकार सिर्फ और सिर्फ आवेदनों का निराकरण देखेगी। उसी आधार पर कलेक्टरों की नई रैंकिंग तय होगी। और पोस्टिंग भी।

ट्रांसफर अब मई एंड में

कलेक्टरों के ट्रांसफर अब 20 मई के बाद ही होंगे। इससे पहिले शीतकालीन सत्र के जस्ट बाद कलेक्टरों के तबादले होने थे। मगर कैशलेस अभियान ने तब ब्रेक लगा दिया था। इसके बाद कलेक्टर कांफ्रेंस के चलते ट्रांसफर टल गए। जाहिर है, कांफ्रेंस में सरकार ने कलेक्टरों को तीन महीने का टास्क दिया था। लिहाजा, अप्रैल फर्स्ट वीक में कलेक्टरों की लिस्ट निकलना तय माना जा रहा था। लेकिन, लोक समाधान शिविर के चलते एक बार फिर मई तक ट्रांसफर टल गए हैं। अलबत्ता, एकाध दागी कलेक्टरों को सरकार बदल दे तो बात अलग है।

बहू भारी पड़ गई

एसीबी ने नौ आफिसरों के यहां छापा मारा, इनमें से एक को तो उनकी बहू ने ही निबटा दिया। पता चला है, अफसर और उसका परिवार लंबे समय से बहू को प्रताड़ित कर रहा था। जब बर्दाश्त की सीमा पार हो गई तो बहू और उसके मायके वालों ने ससुर की काली कमाइयों की शिकायत एसीबी में कर दी। वह भी पूरे दस्तावेजों के साथ। और, जब बहू ही ससुर के भ्रष्टाचार के खिलाफ सामने आ रही है तो एसीबी कहां चूकने वाली थी।

भूपेश का बाउंसर

पीसीसी चीफ आजकल अफसरों पर खतरनाक बाउंसर फेंक रहे हैं। पहला निशाना उन्होंने बस्तर के पूर्व आईजी एसआरपी कल्लूरी को बनाया। दो साल से क्रीज पर डटकर नक्सलियों से लोहा ले रहे कल्लूरी पर भूपेश ने ऐसा बॉल फेंका कि उसमें वे उलझ गए। कल्लूरी ने सीधे भूपेश को चैलेंज कर दिया कि उनके हटने से अगर बस्तर में नक्सलवाद का खातमा हो जाएगा, तो एक घंटे में यहां से चले जाएंगे। गौर कीजिएगा, कल्लूरी की लाइन एन लेंग्थ वहीं से गड़बड़ाई और वे अपना विकेट गवां बैठे। भूपेश ने दूसरा तेज बॉल एसीबी चीफ मुकेश गुप्ता पर फेंका है। उन्होंने मुकेश को ललकारते हुए उनके मर्द होने पर ही सवाल उठा दिया है। अब यह देखना इंटरेस्टिंग होगा कि मुकेश मंजे हुए बैट्समैन की तरह क्रीज पर डटे रहते हैं या कोई गलती तो नहीं कर बैठेंगे।

जय श्रीराम

सौगंध राम की खाने के बाद भी बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनवा पाई। मगर बीजेपी के शासन वाले छत्तीसगढ़ में बिना किसी हो-हल्ला के राम मंदिर का निर्माण हो गया। रायपुर के वीआईपी रोड पर विश्व हिन्दू परिषद ने भव्य राम मंदिर बनाया है। चलिये, अयोध्या में राम मंदिर नहीं बना, रायपुर में तो बन गया। बीजेपी यहां गर्व से जय श्रीराम तो बोल सकती है।

हफ्ते का व्हाट्सएप

अब कहीं, शराब बेचने की ड्यूटी न लग जाए….? सहमे हुए हैं मास्टर…..।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस जिले के कलेक्टर की सीएम सचिवालय में ज्वाइंट सिकरेट्री की पोस्टिंग हो सकती है?
2. स्पेशल डीजी नक्सल डीएम अवस्थी ने अपनी एक्टिविटी क्यों तेज कर दी है?

शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

कहां हैं सिकरेट्री होम?

 12 फरवरी

संजय दीक्षित
भारत सरकार के गृह सचिव हो या प्रदेश के, दोनों का अपना ओहरा होता है। गृह सचिव के इशारे के बिना पुलिस में पत्ता नहीं हिलता। लेकिन, बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी एपीसोड में लगा ही नहीं कि राज्य में कोई सिकरेट्री होम भी है। सरकार ने जबकि बीबीआर सुब्रमण्यिम को इसी भरोसे से गृह विभाग की कमान सौंपी थी कि पीएमओ में लंबे समय तक रहे हैं, पुलिस के साथ नक्सल मूवमेंट को आसानी से हैंडिल कर लेंगे। लेकिन, पुलिस के आला अधिकारी भी मानते हैं, पीएस होम ने बस्तर के घटनाक्रम को इंटरेस्ट लेकर हैंडिल किया होता तो ये सिचुएशन सरकार को फेस नहीं करने पड़ते। हो सकता था कि कल्लूरी को वहां से हटाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। जाहिर है, बस्तर के संवेदनशीलता को देखते गृह विभाग लगातार रिव्यू किया होता तो ये परिस्थितियां निर्मित नहीं होती। वैसे, गृह मंत्री रामसेवक पैकरा भी अंत तक कहते रहे, कल्लूरी काबिल आफिसर हैं, वे बस्तर के आईजी बनें रहेंगे। याने उन्हें पता ही नहीं था कि वहां क्या रहा है। खैर, उनका दूध-भात। हालांकि, इस प्रकरण में ग्राफ पुलिस महकमे का भी गिरा है। क्योंकि, जिस विभाग में विवाद जितना कम होता है, सरकार उससे उतना ही प्रसन्न रहती है। कल्लूरी प्रकरण में सरकार की जमकर किरकिरी हुई। ऐसे में उसके गुस्से का आप अंदाजा लगा सकते हैं।

जय हो!

कल्लूरी एपीसोड में सबसे ज्यादा कोई नफे में रहा तो वे हैं 86 बैच के आईपीएस डीएम अवस्थी। पिछले साल स्पेशल डीजी नक्सल बनने के बाद से अवस्थी डिफेंसिव खेल रहे थे। कल्लूरी के रहते उनके फास्ट खेलने का मौका भी नहीं था। बस्तर में उनका ऐसा ओहरा बन गया था कि डीएम को वहां कौन पूछता। लेकिन, कल्लूरी के हटने एवं सुंदरराज पी के बस्तर के प्रभारी आईजी बनने के बाद एक तरह से कहें तो नक्सल मूवमेंट की कमान डीएम के हाथों में आ गई है।

किस्मत का खेल

आईपीएस अफसरों के लिए 2017 की ग्रह दशा ठीक नहीं है। साल की शुरूआत ही खराब हो गई….सेकेंड वीक ऑफ जनवरी आईजी राजकुमार देवांगन को सरकार ने जय राम जी कर दिया। इसके बाद जशपुर एसपी गिरिजाशंकर की किस तरह सरकार ने छुट्टी की, बताने की जरूरत नहीं। नक्सलियों को बैकफुट पर जाने के लिए विवश करने वाले एसआरपी कल्लूरी की स्थिति लाइन अटैच जैसी हो गई है। उस कल्लूरी की, जिसके काम के बल पर दिल्ली की मीटिंगों में सरकार अपनी पीठ थपथपाती थी। सूबे के सबसे डेसिंग वाले आईपीएस मुकेश गुप्ता को बेहद मामूली मैटर में हाईकोर्ट का चक्कर लगाना पड़ गया। ज्योतिषियों की मानें तो पुलिस के गुरू में मंगल बैठा है। इसलिए, कम-से-कम जून तक ये चलता रहेगा। इसके बाद ही आईपीएस के दिन फिरेंगे।

सूचना आयोग में दलित कार्ड?

सरकार ने मिड जनवरी में रेवन्यू सिकरेट्री केएम पिस्दा को पीएससी को चेयरमैन बनाकर बड़ा दांव चला था। इसका न केवल आदिवासियों में अच्छा मैसेज गया बल्कि, आदिवासी एक्सप्रेस चलाने की धमकी देने वाले आदिवासी नेताओं के हथियार की धार भी कम कर दिया। पीएससी के बाद अब राज्य में कोई बड़ा संवैधानिक पद बचा है तो वह है, सूचना आयोग। आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त की कुर्सी पिछले 11 महीने से खाली पड़ी है। और, ऐसा माना जाता है कि किसी खास अफसर के लिए कुर्सी पर रुमाल रखा गया है। लेकिन, ध्यान दीजिएगा…..राजनीति में समय-काल महत्वपूर्ण होता है। सरकार का चौथा साल याने सेमीफायनल शुरू हो गया है। इस दौरान जो भी नियुक्तियां होंगी, निश्चित रूप से उसके राजनीतिक मायने होंगे। ऐसे में, सूचना आयोग के दावेदारों में इस बात की बेचैनी बढ़ना लाजिमी है कि सरकार कहीं दलित कार्ड चलते हुए किसी अजा वर्ग के आईएएस को सीआईसी न बना दें। एसीएस ट्राईबल एनके असवाल दो महीने बाद रिटायर होने वाले हैं। सरकार जिस मोड में बैटिंग कर रही है, भरोसा भी नहीं है। आखिर, महीने भर पहिले कल्लूरी नक्सल मोर्चे पर वापिस आएंगे….कल्लूरी आईजी बनें रहेंगे, बयान देने वाली सरकार ने किस तरह उनसे पल्ला झाड़ लिया। संकेत मिल रहे हैं, बजट सत्र के बाद कोई अफसर अब नहीं खेलना है, बोलकर खुद ही पेवेलियन लौट जाए। ताकि, सीआईसी की कुर्सी उसके हाथ न चली जाए। जाहिर है, अप्रैल, मई महीना ब्यूरोक्रेसी के लिए काफी चौंकाने वाला रहेगा। तब तक उत्सुकता तो बनी रहेगी कि सूचना आयोग में सरकार दलित कार्ड चलती है या जिसके नाम का रुमाल रखा है, उसकी ताजपोशी करेगी।

बिदा हुए बैजेंद्र

सहवाग स्टाईल में बैटिंग कर आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट एन बैजेंद्र कुमार बिदा हुए। राजधानी रायपुर में आज शुरू हुए आईएएस कानक्लेव के जनरल बॉडी मीटिंग में 83 बैच के आईएएस अजय सिंह को एसोसियेशन का नया प्रेसिडेंट चुना गया। अजय सिंह सूबे के दूसरे सबसे सीनियर आईएएस हैं। बैजेंद्र आईएएस के लिए हितों के लिए कभी पीछे नहीं हटे। सुनील कुजूर को एसीएस बनाए बिना स्टेट पुलिस सर्विस के अफसर राजीव श्रीवास्तव को जब स्पेशल डीजी बनाया जा रहा था तो बैजेंद्र अड़ गए। जीएडी के अफसरों को उन्हांने जमकर हड़काया। उनके कड़े विरोध का नतीजा रहा कि सरकार को पहले कुजूर को एसीएस बनाया गया। फिर, राजीव को स्पेशल डीजी। अजय सिंह रवि शास्त्री और अंशुमन गायकवाड़ स्टाईल के बैट्समैन हैं। इसलिए, अब वैसे शार्ट्स देखने नहीं मिलेंगे।

रैंक सुधार

कलेक्टर कांफें्रस में मुख्यमंत्री ने कलेक्टर्स एवं सीईओ को पुअर पारफारमेंस वाले अफसरों को रैंक सुधारने के लिए तीन महीने का समय दिया था। अप्रैल में डाक्टर साब इसका रिव्यू करेंगे। और, उसी आधार पर फिर कलेक्टर्स एवं सीईओज को नई पोस्टिंग मिलेंगी। यही वजह है कि सूबे के समूचे कलेक्टर रैंक सुधार में जुट गए हैं। बस्तर में पार्टियां होनी बंद हो गई है। 10 जनवरी को काफें्रस था और 12 को बस्तर में एक बड़ी पार्टी होनी थी। तत्काल उसे कैंसिल किया गया।

विकल्प-ही-विकल्प

एसआरपी कल्लूरी को जब हटाया गया तो सरकार ने भी नहीं सोचा होगा कि एक आईजी की इतनी टीआरपी होगी। आईजी राजकुमार देवांगन की बर्दी उतर गई तो दो दिन में वे मीडिया से आउट हो गए। कल्लूरी के बारे में लोग रोज अनुमान लगाते हैं, अब मामला खतम है। मगर अगले दिन वे दूसरे रूप में प्रगट होकर चौंका देते हैं। सरकार ने जिस दिन उनकी छुट्टी स्वीकृत किया था और वे सभी मित्रों को राम-राम करते हुए इलाज कराने गए थे, किसने सोचा होगा कि वे लौटकर फिर अचंभित करेंगे। पीएचक्यू में कल उनकी ज्वाइनिंग हुई तो समझा गया, मामले की इतिश्री हो गई। लेकिन, उन्होंने तो कौन है भूपेश…..पूछकर ब्यूरोक्रेसी ही नहीं, सियासी नेताओं को भी हिला दिया। इस लहजे में तो बीजेपी के किसी नेता ने भी भूपेश पर पलटवार नहीं किया होगा। नौकरशाह तो ऐसा दुःसाहस कर ही नहीं सकता। कल्लूरी के बयान को देखते ही राजधानी में आज अफवाह फैली कि वे जोगी कांग्रेस से चुनाव लड़ सकते हैं। इस पर बीजेपी के एक नेता की टिप्पणी दिलचस्प रही…..भूपेश के अंदाज में बात करने वाले आदमी की हमारे पास कमी है…। याने कल्लूरी के लिए विकल्प ही विकल्प है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. निधि छिब्बर के दिल्ली जाने के बाद जीएडी का अगला सिकरेट्री कौन होगा?
2. एसआरपी कल्लूरी को हटाने के बाद सरकार ने किस समीकरण को देखते तमिलियन आईपीएस सुंदरराज पी को बस्तर भेजा?

शनिवार, 4 फ़रवरी 2017

ऐसी बिदाई!


4 फरवरी
संजय दीक्षित
बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी की बस्तर से बिदाई चौंकाने वाली रही। बाईपास आपरेशन कराने के महीने भर के भीतर उन्होंने बस्तर लौट कर जीवटता का परिचय दिया था…..तब खुद भी नहीं सोचा होगा कि सरकार उन्हें इस तरह रुखसत कर देगी। हालांकि, इत्तेफाक कहें या…..कि कल्लूरी की अधिकांश जगहों से बिदाई कमोवेश एक-सी रही है। 2003 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद किस तरह बिलासपुर एसपी से हटाए गए थे, लोग भूले नहीं हैं। सरगुजा में नक्सलियों का सफाया करने के बाद बलरामपुर से सरकार ने उन्हें रातोंरात हटा कर पीएचक्यू बुला लिया था। दंतेवाड़ा में डीआईजी रहने के दौरान स्वामी अग्निवेश के काफिले पर टमाटर और पथराव का ठीकरा कल्लूरी पर फूटा और सरकार ने उन्हें गुमनामी में भेज दिया। फरवरी 2014 में अमरनाथ उपध्याय के डीजीपी बनने के बाद कल्लूरी के दिन फिरे। जून में बस्तर में ताजपोशी हो गई। कल्लूरी के लिए प्लस यह रहा कि दूसरा कोई आईपीएस बस्तर जाना नहीं चाहता था और सरगुजा के आईजी रहने के दौरान उपध्याय ने उन्हें बलरामपुर में काम करते हुए देखा था। इसलिए, उन्होंने बस्तर में रिलांच करवाया। लेकिन, बिदाई ऐसी कि…..।

बिलासपुर का प्रस्ताव

बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी को बदलने की कवायद सरकार में कई दिनों से चल रही थी। यकबयक हटाने से वे डिमरलाइज न हों, इसलिए कुछ लोगों ने उन्हें बिलासपुर का आईजी बनाने का प्रस्ताव दिया था। फार्मूला था, विवेकांनद को बिलासपुर से बस्तर और कल्लूरी को बिलासपुर। मगर सरकार को यह प्रस्ताव रास नहीं आया। फिर, डीआईजी के लिए रतनलाल डांगी का नाम आया। डांगी बस्तर जाने के लिए तैयार भी थे। मगर किन्हीं कारणों से सरकार ने डांगी का नाम खारिज करते हुए सुंदरराज पी को बस्तर की कमान सौंप दी। हालांकि, सुंदरराज बस्तर जाने के लिए इच्छुक नहीं थे। मगर मामला इतना हाईप्रोफाइल हो गया था कि उनकी सुनता भी कौन।

स्कोर 3-4 पर

2015-16 में आईएएस लॉबी ने अपने तीन विकेट गंवाए थे। नॉन घोटाले में डा0 आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा। और तीसरा, ट्रेप केस में रणबीर शर्मा। इसके मुकाबिले आईपीएस में आईजी राजकुमार देवांगन नौकरी से ही बाहर हो गए। ऐसा पहली बार हुआ कि बिना डीई शुरू हुए पवनदेव का प्रमोशन रुक गया। जशपुर एसपी गिरिजाशंकर और आईजी बस्तर कल्लूरी का विकेट ऐसा उड़ा कि वे खुद भी नहीं समझ पाए कि गेंद किधर से आई और गिल्ली किधर गई। वो तो राजीव श्रीवास्तव की, हार नहीं मानूंगा….को दाद देनी होगी….रिटायरमेंट के एक रोज पहले वे स्पेशल डीजी बन गए। वरना, स्कोर 3-5 हो गया होता। अब, यह देखना दिलचस्प होगा कि आईपीएस लॉबी की फॉलिंग किस स्कोर पर जाकर रुकती है।

अब खैर नहीं

सीएम के जनदर्शन में मिलने वाले आवेदनों को संबंधित विभागों द्वारा सही ढंग से निराकरण न करने की शिकायत सालों पुरानी है। मगर सरकार अब सख्त हुई है। सीएम ने अफसरों से कहा है कि जनदर्शन के मामलों में कोताही बरतने वाले अफसरों पर कारवाई की जाए। लिहाजा, जिन विभागों के परफारमेंस पुअर है, उनका रिव्यू शुरू हो गया है। एसीएस टू सीएम बैजेंद्र कुमार को इसकी कमान सौंपी गई है। बैजेंद्र ने संबंधित विभागों की क्लास लेना चालू कर दिया है। कल होम, इरीगेशन और एजुकेशन विभाग की बारी थी। चलिये, शायद इससे सीएम के जनदर्शन पर अफसर गंभीर हो जाएं।

दिल बचपन का…..

ऑल इंडिया सर्विसेज के दो सीनियर अफसरों ने हाल ही में शादी रचाई है। इनमें से एक का इस साल रिटायरमेंट है और दूसरे का दो साल बाद। इस साल रिटायर होने वाले अफसर की नई पत्नी 32 बरस की है। याने साब 60 के और बीवी…..। अफसर का सरकारी मकान का तर्जुबा कड़वा रहा है। गृहस्थी तो चौपट हुई ही, कैरियर भी खतम हो गया। लिहाजा, पहले उन्होंने घर बनवाया। फिर, सरकारी बंगला छोड़ वे नए मकान में शिफ्थ हुए हैं। अब, बात दूसरे वाले की। तो उनका गिनना पड़ेगा ये वाली कौन सी नम्बर वाली है।

विस में भी जोगी कांग्रेस

संख्या बल न होने के कारण बजट सत्र में जोगी कांग्रेस सत्ताधारी पार्टी को घेरने में कामयाब हो या ना हो मगर विधानसभा में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने के लिए जरूर इंतजाम कर लिए हैं। पार्टी से जुड़े तीनों विधायक 80-80 सवाल लगाएंगे। विधानसभा में एक एमएलए अधिकतम 80 सवाल लगा सकता है। लेकिन, ऐसा होता नहीं। आमतौर पर सवाल 40 से नीचे ही लगते हैं। कुछ विधायक तो दस-पांच में ही सिमट जाते हैं। जोगी कांग्रेस की रणनीति यह है कि प्रत्येक दिन प्रश्नकाल में तीन-से-चार सवाल उनके रहे। इससे उनकी मौजूदगी झलकेगी ही, मीडिया में कवरेज भी मिलेगा।

याद आ रहे जूदेव

उत्तराखंड और झारखंड जैसे छोटे राज्यों में दो-दो पीएफ आफिस हो गए। मगर छत्तीसगढ़ में अभी रायपुर में ही सिमटा हुआ है। लिहाजा, कोरबा, अंबिकापुर, रायगढ़ तरफ के लोगों को छोटे-छोटे काम के लिए रायपुर का चक्कर लगाना पड़ता है। ऐसे में, प्रायवेट सेक्टर के लोगों को दिलीप सिंह जूदेव याद आ रहे हैं। जूदेव बिलासपुर में पीएफ आफिस खुलवाने के लिए प्रयास कर रहे थे। बल्कि, निधन से पहले लोकसभा में उनका आखिरी सवाल बिलासुपर में पीएफ आफिस का ही था।

गुड न्यूज

नया रायपुर भी मार्च में स्मार्ट सिटी की लिस्ट में शुमार हो जाएगा। हालांकि, नाम कई और हैं। कांपिटिशन भी टॉफ है। मगर नया रायपुर को देखकर माना जा रहा है कि लिस्ट में वह सबसे उपर आ जाए, तो अचरज नहीं। इस तरह रायपुर देश का पहला शहर हो जाएगा, जहां दो-दो स्मार्ट सिटी होगी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक नौकरशाह का नाम बताइये, जो सुप्रीम कोर्ट या मानवाधिकार आयोग में पेशी से पहले ईएल ले लेते हैं?
2. यह अफवाह कौन फैला रहा है कि अजीत जोगी की कांग्रेस में वापसी का फार्मूला तैयार किया जा रहा है….उन्हें पीसीसी अध्यक्ष बनाया जाएगा और भूपेश बघेल को नेता प्रतिपक्ष?