शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

तरकश, 28 फरवरी

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एक और लिस्ट

आईएएस, आईपीएस के ट्रांसफर अभी कंप्लीट नहीं हुए हैं। बजट सत्र के बाद नौकरशाही की एक और लिस्ट निकलेगी। जाहिर है, पहली लिस्ट में कई कलेक्टरों का किन्ही कारणों से नम्बर नहीं लग पाया या फिर अभयदान मिल गया था। मसलन, राजेश टोप्पो साढ़े तीन साल से बलौदा बाजार में कलेक्टर हैं। और, लंबी कलेक्टरी का रिकार्ड अपने नाम कर लिया है। हर बार फेरबदल में उनका नाम चलता है। इस बार भी लगभग तय माना जा रहा था। लेकिन, ऐन वक्त पर लिस्ट से नाम निकल गया। इधर, रायपुर नगर निगम कमिश्नर अवनीश शरण को भी जिला मिलना तय माना जा रहा है। स्वास्थ्यगत कारणों से इस बार उनका नम्बर नहीं लग पाया। अगले फेरबदल में अवनीश को बलौदा बाजार भेजा सकता है। दंतेवाड़ा कलेक्टर सेनापति का राज्य निर्वाचन आयोग से पंगा होने के बाद ट्रांसफर भी तय था। लेकिन, विकल्प के अभाव में अगले फेरबदल तक के लिए टाल दिया गया। इसी तरह अगली सूची में कुछ और जिले प्रभावित हो सकते हंै।

अच्छे दिन

2007 बैच की आईएएस अफसर शम्मी आबिदी को कलेक्टरी की पारी शुरू करने में विलंब हुआ। उनके कई जूनियर आईएएस कलेक्टर बन चुके हैं। मगर उपर वाले ने दिया तो….। शम्मी को कांकेर का कलेक्टर पोस्ट किया गया। और, इसके दो दिन बाद उनके पति शेख आरिफ को सरकार ने बालोद का पुलिस कप्तान बना दिया। आरिफ का यह तीसरा जिला है। इससे पहले, वे धमतरी और जांजगीर संभाल चुके हैं और कुछ दिनो ंसे पीएचक्यू में अच्छे दिन का इंतजार कर रहे थे। कलेक्टरी और कप्तानी के चक्कर में पति-पत्नी में दूरियां न बढ़े, सरकार ने इसका भी बखूबी ध्यान रखा। कांकेर और बालोद एकदम सटा हुआ है। चलिये, आरिफ दंपति के अच्छे दिन आ गए।

हैट्रिक

अलरमेल ममगई डी छत्तीसगढ़ की पहली महिला आईएएस बन गईं हैं, जिन्हें सरकार ने लगातार कलेक्टरी करने का तीसरा मौका दिया है। ममगई महासमुंद में दो साल कलेक्टर रहीं। इसके बाद ढाई साल कांकेर में और अब उन्हें रायगढ़ जैसे बड़े जिले की कमान सौंपी गई है। हालांकि, दुर्ग कलेक्टर संगीता पी और कोरबा कलेक्टर रीना बाबा कंगाले का भी तीसरा जिला है लेकिन संगीता का कवर्धा और महासमुंद के बीच बे्रक हुआ। तो इसी तरह का कुछ रीना के साथ भी हुआ। इसके अलावा छत्तीसगढ़ की कोई महिला आईएएस एक-दो से ज्यादा जिला नहीं किया। बहरहाल, ममगई और संगीता दोनों सरकार के गुडबुक में हैं और आश्चर्य नहीं कि रायपुर कलेक्टर ठाकुर राम सिंह ठाकुर और बिलासपुर कलेक्टर सिद्धार्थ परदेशी का रिकार्ड ब्रेक कर दें। दोनों नाट आउट रहकर चैथा जिला कर रहे हैं।

झटका

हालांकि, डायरेक्ट आईएएस अफसरों को इससे झटका लगा होगा…..मगर सरकार ने मध्यप्रदेश की तर्ज पर प्रमोटी आईएएस गणेश शंकर मिश्रा पर भरोसा जताते हुए जनसंपर्क सिकरेट्री के साथ ही आयुक्त जनसंपर्क की भी अहम जिम्मेदारी सौंप दी। इससे पहले, 2006 में प्रमोटी आईएएस दिनेश श्रीवास्तव डीपीआर के साथ विशेष सचिव रहे। मगर सीपीआर कोई नहीं हुआ। मिश्रा का मीडिया के साथ रिलेशंस भी बढि़यां हैं…..बस्तर के कलेक्टर और कमिश्नर रहने के दौरान रायपुर और दिल्ली के अखबारों में वहां की खबरें छप जाती थी। इसको देखते ही सरकार ने उनका चयन किया। उनके पास आबकारी आयुक्त, आबकारी सचिव, पंजीयन और मुद्रांक सचिव का भी प्रभार यथावत रहेगा। सो, यह मानने में कोई हर्ज नहीं कि ब्यूरोक्रेसी में मिश्रा का कद और बढ़ गया है।

दो पत्नी वाले साब

दो पत्नी के चक्कर में एक आईपीएस अफसर डीआईजी नहीं बन पा रहे हैं। असल में, पहली पत्नी ने सीएम से आईपीएस की शिकायत कर दी थी। सीएम के निर्देश पर बिलासपुर के तत्कालीन आईजी डीएस राजपाल ने दबाकर जांच कर दी। जांच में इतने सारे तथ्य आ गए हैं कि पुलिस महकमा चाहकर भी अपने अफसर को बचा नहीं पा रहा है। कार्रवाई टालने के लिए विभागीय जांच जरूर शुरू कर दी गई है, जो आठ साल से जारी है। और, पुलिस विभाग की स्ट्रेज्डी के तहत आगे भी जारी रहेगी, जब तक कि आईपीएस रिटायर न हो जाएं।

कवर्धा के पीछे

पारिवारिक परिस्थितियों के चलते रायगढ़ एसपी राहुल भगत अपेक्षाकृत छोटा जिला कवर्धा में शिफ्थ हो गए। राहुल के बेटे की पिछले साल ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। राहुल की चूकि ठीक-ठाक आईपीएस की छबि है, इसलिए डीजीपी ने भी उनकी सिफारिश की थी। बताते हैं, सीएम ने खुद राहुल से बात की और कवर्धा के लिए ओके कर दिया। दरअसल, कोई नहीं चाहता था कि राहुल को फिलहाल साइडलाइन किया जाए। बहरहाल, कवर्धा भले ही वीवीआईपी जिला हो मगर आकार, प्रकार में छोटा है। यही वजह है कि वहां कलेक्टर, एसपी तो ठीक-ठाक पोस्ट किए जाते हैं लेकिन लगभग सभी की स्टार्टिंग पोस्टिंग होती है। सोनमणि बोरा से लेकर सिद्धार्थ परदेशी, मुकेश बंसल सबने शुरूआत में ही कवर्धा किया।

20-20 मैच

बजट सत्र के पहले दुर्ग एसपी की पोस्टिंग पर पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने जिस तरह से बैटिंग की है, उससे लगता है, सदन में विपक्ष 20-20 स्टाइल में ही बैटिंग करने के लिए उतरेगा। कहीं ऐसा हुआ तो मध्यप्रदेश विधानसभा में जो हुआ, उसकी पुनरावृति छत्तीसगढ़ में भी हो सकती है। वैसे भी, जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, 12 मार्च को बजट पेश होने के बाद दसेक रोज में चर्चा कराने के बाद बजट पास कर सत्र समाप्त कर दिया जाएगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. जनवरी में राजधानी में तीन दिन का आईएएस कार्निवाल किया गया था। उससे डायरेक्ट आईएएस अफसरों को लाभ हुआ या नुकसान?
2. अमित कटारिया को बस्तर का कलेक्टर कैसे बना दिया गया?

शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

तरकश, 22 फरवरी


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डाक्टर या बिचैलिया

नागरिक आपूर्ति निगम में कमीशनखोरी के केस में एंटी करप्शन ब्यूरो राजधानी के एक डाक्टर की तलाश कर कर रही है। एसीबी को नान के कंप्यूटर से डाक्टर का नाम मिला था। पूछताछ में यह बात सामने आई कि नान के अधिकारी डाक्टर के क्लिनिक में पैसे पहुंचाते थे और वहां से फिर आगे डिस्ट्रीब्यूट होता था। सिर्फ नवंबर और दिसंबर में डाक्टर को 70 लाख रुपए दिए गए। पीए की डायरी में भी हर तीसरा नाम डाक्टर का है। याने वह डाक्टरी छोड़कर बिचैलिया बन गया था। एसीबी अब, डाक्टर के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर रही है।

बड़े-बड़े लोग

पत्नी भी नौकरशाह, और खुद भी। इसके बाद भी जनाब ने इंतेहा कर दी। विभाग से हटने के बाद भी नागरिक आपूर्ति निगम को दूहने मे उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। हवाई जहाज का टिकिट से लेकर मोबाइल के बिल तक का भुगतान भी नान से होता था। तो डोमिनो से पिज्जा और केएफसी का चिकन भी। वैसे, पीए की डायरी की अगर जांच हो जाए तो कई ब्यूरोक्रेट्स के चेहरे का पानी उतर जाएगा। आईएएस अपने घर के लोगों का कपड़े भी नान से सिलवाते थे। डायरी में एक जगह लिखा है, मैडम का कपड़ा और सिलाई के लिए 29 हजार। एक जगह लिखा है, फलां मंत्रीजी के यहां शादी के लिए 11 हजार लिफाफा। साब के घर के राशन का भुगतान। फलां सर के यहां एसी तो फलां के यहां आईफोन। अक्टूबर 2013 में कुछ आईएएस विदेश गए, उन्हें डालर और यूरो दिए गए। इसका भी डायरी में उल्लेख है। डायरी में नौकरशाहों के यहां भिजवाने वाले कई ऐसे आयटम हैं, जिसको यहां लिखा नहीं जा सकता।

छोटी लिस्ट

आईएएस-आईपीएस की मेगा सर्जरी तो बजट सत्र के बाद होगी, अलबत्ता, एक छोटी लिस्ट एक-दो दिन में निकल सकती है। इनमें कुछ जिलों के कलेक्टर होंगे तो कुछ एसपी। दुर्ग एसपी डा0 आनंद छाबड़ा का नाम इनमे ंसबसे उपर बताया जा रहा है। जाहिर है, दुर्ग एसपी बदलेंगे तो एक चेन बनेगा। इसमें राजनांदगांव एसपी संजीव शुक्ला का नम्बर भी लग सकता है। दुर्ग के लिए उनका अरसे से नाम चल रहा है।

महामहिम जी!

राज्यपाल बलरामदास टंडन ने बुधवार को साक्षरता मिशन की जरूरत पर तल्खी से सवाल उठाया। उन्होंने यहां तक कह दिया, क्या अनंत काल तक साक्षरता मिशन चलता रहेगा या कभी बंद भी होगा। महामहिमजी आपको समझना चाहिए कि अगर यह बंद हो गया, तो कइयों की दुकान बंद हो जाएगी। मिशन का लगभग 200 करोड़ रुपए का बजट है। किताबों की खरीदी, छपाई, फर्जी सप्लाई, किराये की गाडि़यों पर करोड़ों का खेल होता है। मिशन ने एक मोबाइल कपनी से मोटी कमीशन लेकर उन जगहों पर भी सैकड़ों सिम बांट दिए, जहां उस कंपनी का नेटवर्क ही नहीं है। अभी दस करोड़ रुपए की पुस्तकें खरीदी जानी है। इसके लिए दिल्ली के एक प्रकाशक से डेढ़ करोड़ पेशगी मिल गई है। मिशन का आलम यह है कि काम एक ढेले का नहीं दिख रहा और खेल करोड़ों का हो रहा। 2003 में संविदा में दो सहायक प्रबंधक अपाइंट हुए, वे ही आज भी मिशन को चला रहे हैं। संविदा के लोगों को डीडीओ का पावर नहीं होता। लेकिन, वहां सब चलता है। लोग जापान से लेकर थाइलैंड तक तफरी करने जा रहे हैं। हालाकि, गड़बडि़यों की शिकायत ईओडब्लू मंे भी हुई है। अब, देखना है, नान की तरह साक्षरता पर ईओडब्लू की भौंहे कब टेढ़ी होती है।

बल्ले-बल्ले

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री बनने के बाद स्मृति ईरानी 8 मार्च को पहली बार रायपुर आ रही हैं। 8 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। वे इंडोर स्टेडियम में 10 हजार से अधिक महिलाओं को संबोधित करेंगी। इसके लिए भारत सरकार ने 90 लाख रुपए का फंड दिया है। आयोजन साक्षरता मिशन को करना है।

आवास क्रांति

सरकार का नया भाड़ा नियंत्रण कानून को आवास के क्षेत्र में क्रांति के रूप में देखा जा सकता है। पहले किरायेदार से मकान खाली करना इतना जटिल था कि लोग मकान किराये में देने से पहले दस बार सोचते थे। मगर अब एक महीने की नोटिस पर घर या दुकान खाली कराया जा सकता है। सरकार ने इसके लिए भाड़ा नियंत्रक बोर्ड को अधिकरण बनाने के बाद उसे हाईकोर्ट के समकक्ष पावर प्रदान कर दिया है। अधिकरण को अधिकतम छह महीने में फैसला देना होगा। इसकी अपील सुप्रीम कोर्ट में ही हो सकती है। याने हाईकोर्ट का चक्कर नहीं रहेगा। आवास पर्यावरण सिकरेट्री संजय शुक्ला का दावा है, इस कानून से छत्तीसगढ़ में हाउसिंग फील्ड में निवेश बढ़ेगा। क्योंकि, अब मकान कब्जा करने का डर लोगों को अब नहीं खाएगा।

जवाब तलब

राजधानी के पड़ोसी पुलिस रेज के एक आईजी अपने अंदाज में काम करने के लिए जाने जाते हैं। उनके रेंज में अगर सीएम का विजिट हो, तब भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। जबकि, नक्सल बहुल प्रदेश होने के कारण सीएम के विजिट में आईजी मौजूद रहते हैं। पुलिस मुख्यालय ने इसको लेकर आईजी से जवाब तलब किया है। इसका असर हुआ है। आईजी अब हरकत मे आ गए हैं।

तीन नाम

पीसीसीएफ रामप्रकाश के रिटायरमेंट में भले ही अभी तीन महीने बचे हो मगर पर्दे के पीछे जोर-आजमाइश शुरू हो गई है। रामप्रकाश के बाद सीनियरिटी में आरके बोवाज हैं। उनके बाद बीएन द्विवेदी और बीके सिनहा का नम्बर आता है। बोवाज तो हर संभव कोशिश कर रहे हैं। मगर जरूरी नहीं कि उनका नंबर लग जाए। द्विवेदी और सिनहा कम थोड़े ही हैं। सिनहा को वन विभाग का मास्टर ब्रेन माना जाता है। लंबे समय तक नगरीय निकाय संचालक रहे हैं। अगर उनका मास्टर स्ट्रोक चल गया, तो वे भी शीर्ष पद प्राप्त कर सकते हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. नान के पीए की डायरी में किन नौकरशाहों और मंत्रियों के पीए के नाम सामने आए हैं?
2. नान की कमीशनखोरी से किस ब्यूरोक्रेट्स का आफिसर्स क्लब का लाइफटाइम फीस के रूप में 95 हजार रुपए जमा किया गया?

तरकश, 8 फरवरी

तरकश


नया नजारा

प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अनुशासनहीनता के मामले में कड़े तेवर दिखाते हुए दो विधायकों को भले ही निलंबित कर दिया मगर वे अब पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बनने वाले हैं। खास तौर से पीसीसी चीफ भूपेश बघेल और लीडर आपोजिशन टीएस सिंहदेव के लिए। सूत्रों की मानें तो निलंबित विधायक सियाराम कौशिक और आरके राय निलंबन समाप्त कराने के लिए चिरौरी नहीं करेंगे बल्कि, निलंबित रहकर पार्टी के क्षत्रपों को बेपर्दा करेंगे।़ विधानसभा के बजट सत्र में इसकी झलक देखने को मिलेगी। जब कौशिक और राय अपनी ही पार्टी के नेताओं पर तीर बरसाएंगे। सो, लोगों को अबकी सदन में नया नजारा देखने को मिलेगा। पहला मौका होगा, जब विपक्ष के भीतर ही एक-दूसरे पर तीर चलेंगे…..आरोप-प्रत्यारोप होंगे। जाहिर है, बजट सत्र अबकी काफी दिलचस्प रहेगा। सताधारी पार्टी के लिए इससे बढि़यां बात क्या होगी।

गुड न्यूज

छत्तीसगढ़ अब सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होने जा रहा है। बिलासपुर के चकरभाटा में सैन्य छावनी पर काम शुरू हो गया है। और, इधर रायपुर में एयरफोर्स का बेस स्टेशन बनाने की भी भारत सरकार ने मंजूरी दे दी है। बताते हैं, मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह ने इसके लिए डिफेंस मिनिस्टर से आग्रह किया था। रायपुर न केवल एयरफोर्स के लड़ाकू विमानों का रिफ्यूलिंग सेंटर होगा, बल्कि एयरफोर्स के मारक विमानों के साथ ही साजो सामान का भंडारण केंद्र भी होगा। एयरफोर्स इसके लिए माना एयरपोर्ट का इस्तेमाल किया करेगा। यहां से उड़कर हवा में ही विमानों में रिफ्यूलिंग किया जाएगा। यही नहीं, रायपुर में एयरफोर्स के 10 हजार जवानों का कैम्प भी होगा। सीएम के निर्देश पर अफसरों ने तत्परता से नए रायपुर में एयरफोर्स को एक हजार एकड़ जमीन अलाट कर दिया है।

15 के बाद

पंचायत चुनाव के कारण लटकी प्रशासनिक सर्जरी अब 15 के बाद ही हो पाएगी। शनिवार शाम सीएम दिल्ली जा रहे हैं। वे 11 की शाम लौटेंगे। 15 को रेल मंत्री आ रहे हैं। उनके साथ रेल कारिडोर पर अहम मंत्रणा होने वाली है। सो, उसकी भी व्यापक तैयारी होगी। सीएम के करीबी सूत्रों का कहना है कि अब 15 के बाद ही फेरबदल होगा।

मंत्रिमंडल का पुनगर्ठन

प्रशासनिक सर्जरी की तरह मंत्रिमंडल का पुनगर्ठन भी विधानसभा के बजट सत्र तक टल जाए, तो अचरज नहीं। हालांकि, मीडिया में इसको लेकर जबर्दस्त अटकलें है। मगर उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो अभी इस पर कोई चर्चा नहीं है। बजट सत्र महत्वपूर्ण होता है। इसके पहले अगर मंत्रियों का नए सिरे से विभाग बंटवारा होगा, तो पारफारमेंस पर असर पड़ेगा। सो, इस बात से इंकार नहीं किया जा रहा कि बजट सत्र के बाद ही अब परिवर्तन हो पाए।

प्रेम में निलंबन

सूबे में एक भृत्य को डिप्टी कलेक्टर से प्रेम का इजहार करना भारी पड़ गया। बताते हैं, एक डिप्टी कलेक्टर के प्रति उसके मन मेें कुछ-कुछ होने लगा था। और, मौका देखकर उसने इसे व्यक्त कर दी। जाहिर है, इसका खामियाजा तो उसे भुगतना ही था। मैडम ने कलेक्टर से बोलकर उसे फौरन निलंबित करा दिया।

अप्रिय प्रसंग

सरकार में बैठे अफसर ही सरकार की भद पिटवाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे। दंतेवाड़ा कलेक्टर सेनापति के मामले में तो यही लगता है। सामान्य प्रशासन विभाग ने एक ओर तो सेनापति से लिखित में कहा कि वे चुनाव आयोग से परमिशन लेकर मनरेगा का अवार्ड लेेने दिल्ली जाएं और दूसरी ओर आला अफसरों ने फोन पर उन्हें मौखिक अनुमति दे दी। असल में, राज्य निर्वाचन आयुक्त पीसी दलेई को अफसरों ने बेहद हल्के में लिया। यहां तक कि दलेई ने सेनापति के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा तो उसे भी तवज्जो नहीं दिया गया। बताते हैं, दलेई ने निर्वाचन आयोग की गरिमा बनाए रखने के लिए जीएडी के अफसरों से आग्रह किया कि वे सेनापति के खिलाफ सांकेतिक कार्रवाई ही कर दे। लेकिन, जीएडी से उन्हें कोई रिस्पांस नहीं मिला। तो जाकर आयोग ने सेनापति के निर्वाचन अधिकार सीज कर लिए। छत्तीसगढ़ में इस तरह का पहला वाकया हुआ, जब आप कलेक्टर तो रहोगे मगर चुनाव नहीं कराओगे। इस पूरे एपीसोड में भद किसकी पिटी। सरकार की ही न। मैसेज तो यही जाएगा कि छत्तीसगढ़ में संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा का खयाल नहीं रखा जा रहा। अफसर चाहते तो इस अप्रिय प्रसंग को रोक सकते थे।

अब कोर्ट में

सेनापति प्रकरण को कांग्रेस कोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया है कि पंचायत विभाग ने सेनापति को दिल्ली जाने की इजाजत नहीं दी तो अवार्ड लेने कैसे चले गए। आखिर, नारायणपुर के कलेक्टर तो नहीं गए। पंचायत विभाग ने दंतेवाड़ा जिला पंचायत के सीईओ को पुरस्कार लेने के लिए अधिकृत किया था। फिर, सेनापति ने उसे ओवरलुक कर खुद कैसे चले गए। पंचायत चुनाव के दौरान बिना किसी को चार्ज दिए वे जिले से बाहर रहे। जबकि, दंतेवाड़ा नक्सल दृष्टि से भी संवेदनशील जिला है। याने बड़ों के चक्कर में सेनापति की मुश्किलें भी बढ़ सकती है। सीआर में दर्ज होगा, सो अलग।

पावर में अदानी

अदानी ग्रुप का कारोबार अब छत्तीसगढ़ में पसरने लगा है। अभी तक ग्रुप के पास सरगुजा में कोयल के खनन काम था। मगर हाल ही में उसने रायगढ़ जिले में स्थित कोरबा वेस्ट पावर को टेकओवर किया है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. मुख्यमंत्री ने कहा, जो चुनाव जीतवाते थे, वे अब हरवा रहे हैं, उनका इशारा किसके ओर था? 
2. मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री के बीच तनातनी की बातें कहां से क्रियेट कराई जा रही?

रविवार, 15 फ़रवरी 2015

तरकश, 15 फरवरी

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पीए की डायरी

एसीबी अफसरों को नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी के पीए से मिली डायरी ने राजधानी के बड़े-बड़ों की नींद उड़ा दी है। बताते हैं, डायरी में 100 से अधिक राइस मिलरों के साथ ही कुछ नौकरशाहों के नाम मिलें हैं। जिन अफसरों के यहां पैसे जाते थे, उसका हिसाब डायरी में रहता था। उसका यदि खुलासा हो गया तो कई साफ-सुथरे चेहरे बेनकाब हो जाएंगे। अब, एसीबी के हाथ उन तक पहुंच पाएंगे या नहीं, यह तो वक्त बतलाएगा। मगर राइस मिलरों पर शिकंजा कसना तय है। आपको याद होगा, तीन साल पहले राइस मिलरों और सरकार में तनातनी हुई थी तो मिलरों ने अफसरों को हर साल 100 करोड़ रुपए देने का आरोप लगाया था। बाद में, मिलर पलटी मार दिए थे कि हमने एफसीआई पर आरोप लगाया था। एसीबी उस बयान को भी जांच में लेने वाली है।

जीरो टालरेंस

छत्तीसगढ़ के लोग सालों से जीरो टालरेंस की बातें सुनते आ रहे थे, मगर पहली बार गुरूवार को लोगों ने इसे महसूस किया। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि नान के आर्गेनाइज करप्शन का एसीबी इस तरह पर्दाफाश करेगा। बताते हैं, जनवरी एंड में सीएम ने उच्च स्तरीय बैठक ली थी, जिसमें एसीबी चीफ मुकेश गुप्ता से कहा था कि जीरो टालरेंस को सफल बनाने में एसीबी अहम रोल निभा सकता है। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो ऐसे बड़े छापे अब लगातार चलते रहेंगे। भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कारगर कार्रवाई करने के लिए सरकार ने मुकेश गुप्ता को एसीबी के साथ इंटेलीजेंस बरकरार रखा है। और, उपर के लोगों की मानें तो नान के खिलाफ हिला देने वाले छापे के बाद मुकेश के पास इंटेलीजेंस आगे भी बना रहेगा।

इंकम टैक्स स्टाइल

एसीबी ने नागरिक आपूर्ति निगम के मुख्यालय समेत अन्य ठिकानों पर इंकम टैक्स और सीबीआई स्टाइल में दबिश दी। एसीबी के अफसर पखवाड़े भर से इस मिशन पर काम कर रहे थे। छापे के तीन दिन पहले 28 टीमें बना ली गई थी। इसके लिए पूरे प्रदेश भर से एसीबी के साथ ही ईओडब्लू के स्टाफ को रायपुर बुलाया गया था। छापे के पूर्व रात में एसीबी चीफ मुकेश गुप्ता ने राजधानी के चुनिंदा संपादकों और पत्रकारों को डिनर दिया। तब किसी को इल्म नहीं था कि एसीबी इतनी बड़ी कार्रवाई करने जा रही है। गुप्ता भी डिनर में लगातार ठहाके लगाते रहे। डिनर के बाद पत्रकारों को बिदा करने के बाद बताते हैं, गुप्ता ने रात दो बजे तक पूरे आपरेशन का रिव्यू किया और जरूरी टिप्स दिए।

वास्तुदोष?

नगरीय निकाय के बाद पंचायत चुनाव में बीजेपी की हार कहीं उसके नए प्रदेश कार्यालय के वास्तुदोष के कारण तो नहीं हो रही है…..पार्टी के भीतर इसकी खूब चर्चा है। पार्टी नेता खुलकर इसकी शिकायत कर रहे हैं कि बिल्डिंग में वास्तु की जो खामियां रह गई थी, पार्टी उसका शिकार हो रही है। दलीलें भी दी जा रही कि विधानसभा चुनाव का संचालन पुराने कार्यालय से हुआ और पार्टी की हैट्रिक बन गई। नगरीय निकाय चुनाव की सारी बड़ी बैठकें और तैयारियां नए कार्यालय से संचालित की गई। चुनाव भी पूरी गंभीरता के साथ लड़ा गया। लेकिन, नतीजा चैंकाने वाला आया। जाहिर है, पूरे देश में जब कांग्रेस सिकुड़ती जा रही है तो छत्तीसगढ़ में वह दिनोंदिन मजबूत हो रही है…..गुटबाजी और भीतरघात जैसी कांग्रेस की बीमारी आखिर भाजपा में आ गई। राजधानी के वास्तुविद् भी मानते हैं कि पार्टी का नया दफ्तर बीेजेपी के लिए बड़ा संकट का कारण बन रहा है। पं0 देवनारायण शर्मा की मानें तो कार्यालय में दो प्रवेश द्वार हैं, एक नै़ऋत्य और दूसरा अग्नि कोण पर। वास्तुशास्त्र में इसे सर्वविनाशक माना जाता है। अध्यक्ष के बैठने की जगह भी गलत है, उत्तर-पश्चित दिशा में हाईटेंशन लाइन गुजर रहा है, जैसी वास्तु से जुड़ी अनेक खामियां हैं। हालांकि, कई लोग इस तरह की बातों पर एतबार नहीं करते मगर संकटों का दौर शुरू होने पर कई बार नास्तिक लोग भी तंत्र-मंत्र की शरण में पहुंच जाते हैं। भाजपा नेताओं की तकलीफें समझनी चाहिए

सर्जरी टलेगी?

पंचायत चुनाव के बाद होने वाली प्रशासनिक सर्जरी अप्रैल तक के लिए टल सकती है। इसके पीछे 2 मार्च से शुरू होने वाला बजट सत्र बताया जा रहा है। हालांकि, इस पर अंतिम तौर पर मुहर नहीं लगाया गया है मगर सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों का मानना है कि विधानसभा सत्र के समय कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों का ट्रांसफर उचित नहीं होगा। बजट सत्र वैसे भी महत्वपूर्ण होता है। नए कलेक्टरों से विधानसभा के जवाबों को तैयार करने में दिक्कतें होंगी। फिर, नौ जिला पंचायतों में दो रोज पहले ही नए सीईओ तैनात किए गए हैं। ऐसे में, अगर कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ, दोनों नए हो जाएंगे तो जिले का कामकाज प्रभावित होगा। जाहिर है, इस बार दर्जन भर से अधिक कलेक्टरों को चेंज करने की तैयारी है। कई इधर-से-उधर होंगे, तो कुछ ड्राप भी किए जाएंगे।

नाट आउट

पहले ही जिले में साढ़े तीन साल। आमतौर पर ऐसा होता नहीं। मगर बलौदा बाजार के कलेक्टर राजेश टोप्पो ने यह रिकार्ड बना डाला है। बलौदा बाजार को नया जिला बनाने के बाद उन्हंे वहां पहले ओएसडी और फिर कलेक्टर पोस्ट किया गया था। उस समय से वे क्रीज पर टिके हुए हैं। हर फेरबदल में उनकी चर्चा तो होती है लेकिन ऐन वक्त पर चेंज हो जाता है। चलिये, एक जिले में लंबे समय तक कलेक्टरी का रिकार्ड तो उन्होंने बना ही लिया। छत्तीसगढ़ में कोई भी कलेक्टर एक जिले में साढ़े तीन साल नहीं रहा है।

नए एमडी

सरकारी बिजली कंपनियों के सबसे अहम विद्युत वितरण कंपनी में भी अगले फेरबदल में नए एमडी की पोस्ंिटग की जाएगी। फिलहाल, सुबोध सिंह एमडी हैं और उन्हें वहां तीन साल से अधिक हो गया है। वैसे भी उन पर वर्क लोड बढ़ता जा रहा है। सिकरेट्री टू सीएम का काम ही अपने आप में काफी महत्वपूर्ण होता है। उस पर, बिजली वितरण कंपनी के एमडी होने के साथ उन्हंें माईनिंग और उद्योग की कमान भी उनके पास है। बहरहाल, बिजली वितरण कंपनी के लिए इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले आईएएस की तलाश हो रही है। छत्तीसगढ़ कैडर में ऐसे तीन आईएएस हैं। सिद्धार्थ परदेशी, मुकेश बंसल और अंकित आनंद। निश्चित तौर पर इन्हीं में से कोई एक वितरण कंपनी का एमडी बनेगा। बिजली विभाग सीएम के पास है और इसके सिकरेट्री अमन ंिसंह हैं तो जाहिर है, ठीक-ठाक आईएएस को ही इस विभाग में पोस्ट किया जाएगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रायपुर में झुग्गी-झोपडि़यों की बेतरतीब बसाहट को लेकर किस कांग्रेस नेता को याद किया जाता है?
2. नागरिक आपूर्ति निगम में एमडी के पीए की डायरी में किन-किन आईएएस अफसरों के नाम हो सकते हैं?