शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

तरकश, 17 फरवरी

संजय दीक्षित

ना बाबा

वीडियोकान की भूल आईपीएल में न दोहराई जाए, इसको लेकर अब सतर्कता बरती जा रही है। याद होगा, 2011 के राज्योत्सव में वीडियोकान ने सलमान खान का छोटा सा कार्यक्रम कराया था। और सलमान ने मंच से वीडियोकान की मदद करने की अपील करके सरकार की भद पिटवाई ही, कंपनी की भी मिट्टी पलीद कर दी थी। अब, आईपीएल की, जो टीम रायपुर आने वाली है, उसका मालिक जीएमआर पावर एनर्जी है। जीएमआर का तिल्डा के पास पावर प्लांट लग रहा है। जीएमआर पावर के चेयरमैन जीएम राव पिछले हफ्ते रायपुर आए थे। वे स्टेडियम गए और आईपीएल की तैयारियों का जायजा लिया। मगर किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई। मीडिया को भी नहीं। 

आईपीएल का मतलब

वैसे तो आईपीएल का मतलब इंडियन प्रीमियम लीग होता है। मगर छत्तीसगढ़ के संदर्भ में इसके कई और अर्थ निकलते हैं। आईपीएल ठीक-ठाक निबट गया, तो छत्तीसगढ़ को बीसीसीआई का 31 वां सदस्य बनना तय मानिये। अगले साल से रणजी टीम की मान्यता मिल जाएगी और उसके बाद, अंतरराष्ट्रीय मैच का रास्ता भी खुल जाएगा। चुनावी साल में रमन सरकार के लिए आईपीएल के अपने मायने हैं। भोपाल और इंदौर में अब तक आईपीएल नहीं हुआ है। यूथ को अट्रेक्ट करने के लिए और क्या चाहिए। मगर, इसके खतरे पर भी गौर करना होगा। जरा-सी भी चूक हुई, तो समझिए गई भैंस पानी में। रणजी तो भूल जाइये, बीसीसीआई की सदस्यता के भी लाले पड़ जाएंगे। अलबत्ता, टाईम भी कम है। आधा फरवरी निकल गया है, सिर्फ मार्च बचा है। और अभी कंसलटेंट अपाइंट करने की कवायद हो रही है। छत्तीसगढ़ की साख का सवाल है, सरकार को इसमें अपने बेस्ट लोगों केा झोंकना होगा। 

ओवरकांफिडेंस

कामयाबी मिलने पर अक्सर ऐसा होता है कि आदमी का ओवरकांफिडेंस बढ़ जाता है। आईपीएल के मामले में भी कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। तभी, तो जो कहीं और कभी न हुआ, वह यहां हो गया। राज्य निर्माण के बाद से खेल में सीनियर आईजी बैठते रहे हैं। राजीव श्रीवास्तव से लेकर संजय पिल्ले, अशोक जूनेजा तक। खेल आयुक्त राजकुमार देवांगन को हटाने के बाद आश्चर्यजनक रूप से राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर जितेंद्र शुक्ला को उसकी कमान सौंप दी गई। जितेंद्र बढि़यां अफसर हैं। रायपुर, बिलासपुर और कोरबा के ननि आयुक्त रह चुके हैं। और जोगी के सीएम रहने के दौरान उनके इलाके के एसडीएम थे। मगर इसका ये मतलब नहीं कि कोई सिकरेट्री आउटस्टेंडिंग वर्क कर रहा है, तो उसे चीफ सिकरेट्री बना दो। नो दाउट, प्रमुख सचिव के लिए आरपी मंडल बेस्ट च्वाईस थे। मगर, डायरेक्टर के मामले में लगता है, सरकार ने आम फाइलों की तरह बिना देखे दस्तखत कर दी। जाहिर है, आईपीएल में देश-विदेश के खिलाड़ी आएंगे। 15 दिन पहले बीसीसीआई अफसरों का दौरा शुरू हो जाएगा। इंवेट मैनेजमेंट की प्रोफेशनल टीम रायपुर में आकर बैठ जाएगी। उनको हैंडिल करना, उनकी अंग्रेजी की टर्मिनालाजी समझना, उन्हें टेकल करना, इतना आसान नहीं होगा, जितना समझा जा रहा है। आखिर, ओवरकांफिडेंस से नुकसान ही होता है।

घर का जोगी....

आईपीएल कराने के लिए खेल विभाग की टीम नागपुर से लेकर दिल्ली की खाक छान रही है। वहां के स्टेडियम का जायजा लिया जा रहा है। तैयारी की बारीकियां समझी जा रही है। पर, कामनवेल्थ जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन को नजदीक से देखने वाले दुर्ग आईजी अशोक जूनेजा की इसमें कोई भूमिका परिलक्षित नहीं हो रही है। जबकि, आईपीएल में वे उनके तजुर्बों का लाभ मिल सकता था। जूनेजा, न केवल राज्य के खेल आयुक्त रहे हैं, बल्कि दिल्ली में हुए कामनवेल्थ गेम्स के सिक्यूरिटी इंचार्ज भी थे। वे गेम्स आपरेशंस पर किताब लिख रहे हैं। ऐसा भी नहीं कि सरकार से उनके समीकरण ठीक नहीं है। ऐसा होता, तो उन्हें दुर्ग जैसे रेंज का आईजी थोड़े ही बनाया जाता। इसीलिए, लोगों को आश्चर्य हो रहा है। कहीं, घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध, वाली बात तो नहीं है।

लिफाफे का खेल

रमन सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री दान-दक्षिणा के मामले में जितने उदार हैं, उनका स्टाफ उतना ही गुरूघंटाल है। मंत्रीजी अपने जान-पहचान वालों की शादियों में जाना नहीं भूलते। भले ही आधी रात हो जाए। समझा जा सकता है, दिलेर मंत्री का लिफाफा भी दिलरी वाला ही होगा। मगर इस साल कुछ गड़बड़ हो रहा है। लिफाफे में इस बार 101 रुपए निकल रहे हैं। अब, मंत्रीजी को कोई कैसे बताए। संघ से जुड़े एक कार्यकर्ता ने इस स्तंभकार से शेयर किया। बताते हैं, मंत्रीजी के बंगले में गुरूघंटाली हो रही है। दरअसल, बंगले में हर काम के लिए लोग अपाइंट हैं। लिफाफा तैयार करने के लिए भी। अब मंत्रीजी जेब में रखने से पहले लिफाफा, तो देखते नहीं। इसलिए, बड़े नोट जेब में और 101 रुपए लिफाफे में। 

अच्छी खबर

देश में रायपुर से अधिक बस्तर और दंतेवाड़ा को जाना जाता है। उस बस्तर से एक अच्छी खबर निकल कर आई है। बस्तर और सरगुजा विश्वविद्यालय के कुलपति के लिए पहली बार अखबारों में विज्ञापन निकालकर आवेदन मंगाए गए। अचरज वाली बात है कि सबसे अधिक 120 आवेदन बस्तर के लिए थे। दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक, राजस्थान के शिक्षाविदों ने अप्लाई किया था। वहीं, सरगुजा के लिए आवेदकों की संख्या सौ से नीचे रही।  

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस रिटायर आईएएस अफसर ने 50 करोड़ रुपए में बिलासपुर की अपनी जमीन बेची है?
2. रेंज आईजी की बैठक में किस बड़े आईपीएस की गैर मौजूदगी पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बना है?

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