शनिवार, 27 अप्रैल 2013

तरकश, 28 अप्रैल


छक्का


आईपीएल में चैका-छक्का पड़ने के दो रोज पहले ही मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह ने शिक्षाकर्मियों को रेगुलर टीचर के सामान वेतन और सुविधाएं देने का ऐलान करके सियासी छक्का लगा दिया। इस छक्के के दर्द को कांग्रेस से अधिक भला कौन महसूस कर सकता है। कहां इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी हो रही थी। आखिर, सवा लाख शिक्षक कम नहीं होते। ग्रामीण इलाके में वोटों के समीकरण को बनाने-बिगाड़ने में इनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सो, आंदोलन के दौरान शिक्षाकर्मियों और सरकार के बीच तल्खी आई तो विरोधी पार्टियांे की बांछे खिल गई थी। उन्हें लगा, सवा लाख एजेंट हमें मुफ्त में मिल गए। इसे गुगली के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। जोगी सरकार के समय लाठी खाने के बाद भी शिक्षाकर्मियों का स्वाभाविक झुकाव कांग्रेस की ओर बढ़ रहा था। मगर रमन ने गुगली पर छक्का जड़ कर बता दिया कि हैट्रिक बनाना है, इसलिए कोई मौका नहीं देंगे।

मुसीबत 


आईपीएल को लेकर सूबे के लोगों में भले ही जबर्दस्त उत्साह हो, मगर 90 विधायकों और छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के टिकिट के चार सौ से अधिक दावेदारों के लिए यह किसी मुसीबत से कम प्रतीत नहीं हो रहा हैं। कितने को आईपीएल की टिकिट दें और किसे नाराज करें। सिर्फ टिकिट ही नहीं, गाड़ी में रायपुर लेकर आने से लेकर ठहरने, खाने-पीने का भी इंतजाम। आईपीएल में दोनों पार्टियों के नेता लंबे से उतर रहे हैं। टिकिट का शार्टेज ऐसे ही नहीं हुआ। खेल विभाग के एक आला अधिकारी की मानें तो चुनावी साल में आधे से अधिक टिकिट तो नेताओं ने खरीद लिया। 90 में से 55 विधायकों ने 14 हजार टिकिट लिया है। एक मंत्रीजी ने अकेले 2 हजार टिकिट का इंतजाम किया है। यह अलग बात है कि इसके लिए आधा दर्जन ठेेकेदारों को टोपी पहनाया गया। अब, ऐसे में टिकिट की क्रायसिस तो होनी ही थी।

दीवानगी


राज्य के मंत्रियों को क्रिकेट से कोई लगाव नहीं है लेकिन कई नौकरशाहों में इसकी जबर्दस्त दीवानगी है। मंत्रालय में अधिकांश अफसरों के चेम्बर में काम के दौरान क्रिकेट भी चलता रहता है टीवी पर। सीएम सचिवालय में अमन सिंह और सुबोध सिंह एवं पीएस एमके राउत और आरपी मंडल क्रिकेट प्रेमी अफसरों मंे सबसे उपर हंै। फाइलों में डूबे होने के बाद भी अमन की एक आंख टीवी पर रहती है। आसपास के शहरों में कहीं मैच हो, तो राउत और मंडल वहां जाना हीं भूलते। इनमें से कई तो चंडीगढ़ और मुंबई तक हो आते हैं। इसलिए, ब्यूरोक्रेसी में नौकरशाही का क्रेज समझा जा सकता है।

भरोसा


अजीत जोगी सरकार के समय डिप्टी एडवोकेट जनरल रहे युवा अधिवक्ता संजय अग्रवाल को रमन सरकार ने जब एडवोकेट जनरल बनाना चाहा तो संगठन के भीतर ही कई तरह की बातें हुई थीं। मगर संघ की पृष्ठभूमि के पूर्व एजी जो काम न करा सकें, वह संजय अग्रवाल ने करा दिया। सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट कमल विहार, पीएससी, सब इंस्पेक्टर भरती जैसे कई केसेज में सरकार के पक्ष में फैसले हुए हैं। कमल विहार के खिलाफ तो दर्जन भर से अधिक याचिकाएं लगी थी। और ज्यादातर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने लगवाई थी। हाईकोर्ट ने समूची याचिकाओं को खारिज कर दिया। 48 वर्ष के अग्रवाल देश के सबसे युवा एजी होंगे। और साढ़े नौ साल में पहला मौका है, जब सरकार एजी के पारफारमेंस से प्रसन्न है। ठीक की कहा गया है, लेवल के बजाए काम पर जाना चाहिए। तेज आदमी पर किसी का भी लेवल लगा हो, वह काम में तेज ही होगा।

जन्मोत्सव 


राजनेताओं को ताकत दिखाने के लिए जन्मदिन से बढि़यां कोई मौका नहीं होता। उपर से चुनावी साल हो, तब तो मत पूछिए। अजीत जोगी का 29 अप्रैल और बृजमोहन अग्रवाल का 1 मई को जन्मदिन है और दोनों के यहां इसकी जोर-शोर से तैयारी चल रही है। खासकर अजीत जोगी के सागौन बंगले में। उनके लिए इस जन्मदिन का अबकी विशेष महत्व है। वे रोबेटिक पैरों पर चलकर समर्थकों के बीच आएंगे। इसके इत्तर, चुनावी साल मंे विरोधियों को हैसियत भी दिखानी है। इसलिए, कोई कमी नहीं रखी जा रही। बताते हैं, पूरे जिलों से कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगेगा। 30 विधायकों के आने की सहमति मिल चुकी है। जोगी खेमे की तो इसकी संख्या और बढ़ सकती है। और भाजपा से ज्यादा कांग्रेस नेताआंे को यह संदेश दिया जाएगा कि सूबे में कांग्रेस का कोई छत्रप है, तो वह अपने साहब हैं।

पद बड़ा और....


कैडर रिव्यू कराकर आईएफएस अफसरों ने आल इंडिया सर्विसेज में बाजी मार ली। आईएफएस की देखादेखी आईएएस का भी कैडर रिव्यू का प्रपोजल दिल्ली गया है। आईपीएस का तो अभी अता-पता नहीं है। अलबत्ता, आईएफएस के कैडर रिव्यू के कुछ प्वाइंट जरूर लोगों को खटक रहे है। अभी तक वन विभाग के सर्किल में सीएफ होते थे, अब सीसीएफ पोस्ट होंगे। ऐसा ही हुआ, जैसे कमिश्नर कलेक्टरी करेगा। आईएएस में भी बहुत पहले प्रयोग के तौर पर कमिश्नर लेवल के अफसरों को राजधानी का कलेक्टर बनाया था, मगर बाद में इसे दुरुस्त कर लिया गया। आईएफएस एसोसियेशन कैडर रिव्यू के लिए पिछले दिनों जब एक शीर्ष अफसर से मिलने गया था तो उन्होंने तीखे कमेंट किए थे, आप लोग पद बड़ा और काम छोटा करना चाहते हैं। आईएफएस इस पर खूब झेंपे।

 
अंत में दो सवाल आपसे

1. जन्मदिन के जरिये अजीत जोगी खेमा भाजपा को अपनी ताकत दिखाना चाहता है या कांग्रेस नेताओं को?
2. पीडब्लूडी के बदनाम इंजीनियरों ने आईपीएल के लिए 32 करोड़ के बजट में से 21 करोड़ में काम कैसे कर दिया?  

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