रविवार, 28 जुलाई 2013

तरकश, 28 जुलाई


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वन टू का थर्टी

अपने स्कूल शिक्षा विभाग मंे जो हो जाए, वह कम है। एक सप्लायर ने विभाग को एलईडी के बजाए बल्क में एलसीडी टिका दिया। इसकी जांच अभी चल ही रही थी कि वन टू का थर्टी, मामले ने टैक्स डिपार्टमेंट के अफसरों को हिला दिया है। अफसरों ने रायपुर के एक सप्लायर से चार सौ रुपए के एंटीवायरस को साढ़े पांच हजार रुपए में खरीद लिया। ऐसे तीन हजार एंटीवायरस परचेज किए गए। जांच में पता चला है, सप्लायर ने 12 लाख रुपए में तीन हजार एंटीवायरस खरीदा था और शिक्षा विभाग से डेढ़ करोड़ ऐंठ लिया। घपला तब उजागर हुआ, जब कमर्सियल टैक्स आफिस में टैक्स को कैलकुलेट किया जा रहा था। इसकी शिकायत वित्त विभाग की गई और मंत्रालय से सप्लायर को ब्लैकलिस्टेड करने का आदेश जारी हो गया है। कमर्सियल टैक्स ने भी सप्लायर को 57 लाख रुपए टैक्स चुकाने का नोटिस थमा दिया है। मगर यह तो एक बानगी है। स्कूल शिक्षा विभाग में वन टू का ट्वेंटी के भी अनेक मामले मिल जाएंगे।

हाय-तोबा

83 बैच के आईपीएस गिरधारी नायक के डीजी बन जाने और उन्हीं के बैच के दो आईएएस को अभी तक प्रींसिपल सिकरेट्री बने रहने पर आईएएस में हाय-तोबा मच गया है। यह पहली बार हुआ है कि प्रमोशन में आईएएस पीछे रह गया। वरना, आईएएस में एडवांस प्रमोशन चलता है। असल में, एसीएस लेवल पर पोस्ट का टोटा है। नारायण सिंह के बिजली नियामक आयोग में शिफ्थ होने पर एक पोस्ट खाली हुआ है मगर कंडीडेट दो हैं। अजय सिंह और एनके असवाल। पिछले हफ्ते आईएएस एसोसियेशन ने डाक्टर साब के दरबार में जाकर दुखड़ा रोया। डाक्टर साब ने पूछा, क्या बात है, आप लोग चिंतित क्यों हैं? मुंह लटकाए अफसरों ने कहा, सरकार! आईपीएस हमसे आगे निकल गया। आप कुछ कीजिए। आईएएस की व्यथा सुनने के बाद डाक्टर साब ने ढांढस बंधाया, चिंता ना करें, कुछ किया जाएगा।

एक दिन का सीएस

एक दिन के लिए सीएस बनना एक एसीएस को भारी पड़ गया। दरअसल, बुधवार को सांसद निधि के कार्यांे की समीक्षा के लिए चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार ने मंत्रालय में सांसदों की बैठक बुलाई थी। ऐन मौके पर उन्हें दिल्ली जाना पड़ गया। ऐसे में बैठक की अध्यक्षता एक एसीएस को करनी पड़ी। मगर सांसदों ने सीएस की कुर्सी का मजा खराब कर दिया। रमेश बैस ने मीटिंग में आते ही सवाल कर डाला, आप इस कुर्सी पर कैसे? हास-परिहास के लहजे में एसीएस ने जवाब दिया, आज की सीएस मैं हूं। इसके बाद बैस उन्हीं के विभाग पर बरस पड़े। कह सकते हैं, साब का अनुभव अच्छा नहीं रहा।

सीडी वार

कांग्रेस ने भले ही बैंक घोटाले की सीडी से सरकार को बैकफुट पर जाने के लिए विवश कर दिया है। अलबत्ता, हालत उसके नेताओं की भी खराब हो रही है…….कुछ मंत्रियों की भी रात की नींद उड़ी हुई है। खबर है, एक कांग्रेस नेता के पास अपनी ही पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के बेडरुम की सीडी है। इसी टाईप की सीडी दो मंत्रियों की भी है। दरअसल, चुनाव के ऐन पहिले सीडी का मतलब समझा जा सकता है। टिकिट तो जाएगी ही, कैरियर भी ब्लाक हो जाएगा। सो, बेचैनी समझी जा सकती है।

महंत की त्याग

विधायक रामसुदंर दास महंत अबकी अपनी पांरपरिक सीट जैजैपुर से शायद ही चुनाव लड़ें। खबर है, अपनी पार्टी के एक शीर्ष नेता की पत्नी को अपनी सीट त्याग करने के लिए वे राजी हो गए हैं। जैजैपुर कांग्रेस के लिए काफी शेफ है। इसीलिए, नेताजी की पत्नी को वहां से उतारने की तैयारी की जा रही है। महंत के अब चांपा से चुनाव लड़ने की खबर आ रही है। हालांकि, पहले वे इसके लिए राजी नहीं थे। लेकिन, चांपा में भाजपा की स्थिति अच्छी न होने के चलते वे वहां के लिए तैयार हो गए हैं। फिर, फ्यूचर भी तो देखना है। सरकार आने पर नेताजी कुछ बन गए तो महंतजी का मंत्री बनने से कोई रोक नहीं पाएगा।

कहां हो अजातशत्रु?

बैंक घोटाले में नार्को टेस्ट करने वाली महिला डाक्टर मालिनी भले ही तेलगी और आरूषि हत्याकांड की सीडी लीक करने की आरोपी रही हो मगर यह मानने वालों की कमी नहीं कि बैंक घोटाले की सीडी रायपुर लेवल पर ही लीक हुई है। अंदर से जो बातें निकलकर आ रही है, बंगलोर से सीडी आने पर एसपी अमित कुमार ने उसे विवेचना अधिकारी को दे दी थी। उसके बाद किसी ने उसकी सुध नहीं ली। जबकि, आला अफसरों को पता था कि सीडी बेहद संवेदनशील है। अमित कुमार अब सीबीआई में डेपुटेशन पर हैं। नार्को टेस्ट की इजाजत देने वाले डीजीपी विश्वरंजन रिटायर हो चुके हैं। और टेस्ट कराने वाले एडिशनल एसपी अजातशत्रु लंबी छुट्टी पर राजधानी से बाहर हैं। अब अजातशत्रु को ढूंढा जा रहा है। शायद वे कुछ बता सकें।

तीसरे नम्बर पर

छत्तीसगढ़ में दूसरे बड़े शहर की हैसियत रखने वाला बिलासपुर अब तीसरे नम्बर पर खिसक जाए, तो अचरज नहीं। उसे सबसे बड़ी चुनौती उस रायगढ़ से मिल रही है, जो 90 के दशक में एक तंग गलियों वाला कस्बा था। मगर इंडस्ट्रीलाइजेशन ने रायगढ़ को कहां से कहां पहुंचा दिया। कोरबा को वह कब का पीछे छोड़ दिया है और अब तो वह दूसरे नम्बर की ओर बढ़ रहा है। रायगढ़ में एयरपोर्ट बनाने के लिए एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया से एमओयू हुआ है। और एयरपोर्ट बनने के बाद वहां हवाई सेवा भी शुरू हो जाएगी। विमानन विभाग के सूत्रों की मानें तो रायपुर से फ्लाइट पकड़ने वाले पैसेंजरों में 15 से 20 फीसदी हिस्सा रायगढ़ का होता है। जबकि, एसईसीएल, एनटीपीसी होने के बाद भी बिलासपुर पीछे है। बिलासपुर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत वहां के लोगों की अति सजगता है। अदद एक पेड़ काटने को लेकर लोग कोर्ट चले जाते हैं। अब आप समझ सकते हैं।

हथियार डाला

आजादी के बाद पहली बार वन विभाग में रिफार्म की कोशिश शुरू की गई थी। आईएफएस संजय शुक्ला ने इसका बीड़ा उठाते हुए 2 हजार से अधिक बीट गार्डों की भरती की। वनों की सुरक्षा खातिर युवाओं को आगे लाने फारेस्टर के 15 फीसदी पोस्ट परीक्षा के जरिये भरने का तय किया गया था। मगर कर्मचारी संघों के प्रेशर में आकर वन प्रशासन ने हथियार डाल दिया। हालांकि, कर्मचारी संघों से बातचीत करने और समझाने के लिए तेज और काबिल आईएफएस बीके सिनहा को कमान सौंपी गई थी। मगर उनका हूनर भी कोई काम नहीं आया। विभाग के लिए यह अच्छा नहीं हुआ। आखिर, 50 और 55 साल के फारेस्टर वनों की क्या हिफाजत कर पाएंगे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस आईपीएस अधिकारी ने कारोबारी पिता-पुत्र को गिरफ्तारी से बचाने डेढ़ खोखा ले लिया था, मगर आईजी जीपी सिंह ने दोनों को अरेस्ट कर अफसर का खेल बिगाड़ दिया?
2. नंदकुमार पटेल के स्पीड में भूपेश बघेल जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं, कांग्रेस नेता उन्हें हजम कर पाएंगे

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