सोमवार, 17 फ़रवरी 2014

तरकश

महंगा पड़ा
सरकार से रार ठानना एक आईएएस अफसर को महंगा पड़ गया. सरकार ने विदेश प्रवास के फिजूलखर्ची की डेढ़ लाख से ज्यादा की रिकवरी निकाल दी है. और,उन्हें अब उसको चुकता करना होगा. आईएएस के साथ एक सैर-सपाटे वाले बोर्ड के चेयरमैन और महाप्रबंधक सरकारी दौरे पर 6 मार्च 2013 को बर्लिन गए थे. उन्हें कायदे से 10 मार्च को लौट आना था, मगर वे इंडिया आने के बजाए स्विटजरलैंड चले गए और वहां 11 से 14 मार्च तक रहे. प्रत्येक ने वहां होटल का 70 हजार रुपये और वाहन का 85 हजार का बिल दिया था. सरकार इस बात की पड़ताल कर रही है कि वहां वे अलग-अलग वाहन में घूमे नहीं होंगे. फिर, बिल अलग-अलग सब्मिट क्यों किये. अगर एक गाड़ी में घूमे और बिल तीन गाड़ी का दिए हैं, तो मामला और पेचीदा हो जाएगा. बहरहाल, गेंहूं के साथ घुन पिस जाता है. जीएम से रिकवरी चालू हो गई है. हर महीने वे अपने वेतन से पैसा कटवा रहें हैं. आईएएस का अगर सरकार से टकराव नहीं होता, जीएम साब से भी वसूली नहीं होती. इससे पहले, ऐसा हमेशा होता आया है, अफसर विदेश जाते हैं और अपनी मर्जी से घूम-घामकर बाद में एप्रव्हूल ले लेते थे.
उम्मीदें
कांग्रेस लेवल वाले आईपीएस अफसर आरसी पटेल को रिटायरमेंट की शाम आईजी से एडीजी प्रमोट कर देने के बाद सरकार से डिस्टेंस वाले कई आईपीएस अफसरों को भी दिन फिरने की उम्मीदें बढ़ गई हैं. पटेल को समय से 11 महिने पहले प्रमोट कर सीएम ने जिस तरह दरियादिली दिखाई, उसका पुलिस महकमे में बढ़िया मैसेज गया है. आईपीएस अफसरों में भी यह मानने वाले की कमी नहीं है कि अगर अजीत जोगी भी सीएम होते, तो पटेल का प्रमोशन नहीं हो पाता. इसके बाद से कम से कम आधा दर्जन आईपीएस अफसरों की उम्मीदें जवां हो गई है कि उनका भी कुछ हो सकता है.
एसपी का रिकार्ड
छत्तीसगढ़ के डीजीपी बनने जा रहे डा. आनंद कुमार देश के पहले आईपीएस हैं, जिन्होंने एसपी के रूप में 10 जिलो में काम किया है. भोपाल, ग्वालियर, मुरैना, सिहोर, रतलाम,, छत्तीसगढ़ में रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग. ये तीनों विभाजित होकर अब 12 जिलें बन गए हैं. कुमार का 10 जिलों का रिकार्ड अभी टूटा नहीं है. छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक छह जिले का रिकार्ड स्व. बीएस मरावी के नाम दर्ज है.
मौजा ही मौजा
11 साल में यह विधानसभआ का पहला सेशन होगा, जब सरकार इतना कंफर्ट फील कर रही है और मंत्रियों का तो मत पूछिये. कोई टोकने वाला नहीं है कि सवाल का जवाब क्या होना चाहिये और वे क्या बोल रहे हैं. यह सब इसलिये हो रहा है कि विपक्ष के सारे दिग्गज इस बार निपट गए. सत्तू भैय्या अकेले कितना करी. पहले मंत्रियों को घेरने के लिए रविंद्र चौबे के साथ धरमजीत सिंह, मोहम्मद अकबर जैसे विधायक किसा मसले पर एक साथ खड़े होते थे. मई तक तो नंदकुमार पटेल भी थे. अमितेष शुक्ला, ताम्रध्वज साहू और शिव डहरिया का खरी-खरी भी लोग खूब सुनते थे. मगर नए विधायकों की वजह से अब नजारा बदला हुआ है. विपक्ष के बजाए सत्ताधारी पार्टी के देवजी भाई पटेल और संतोष बाफना ज्यादा तीखें सवाल कर रहे हैं.
एसपी की लिस्ट
लोकसभा चुनाव के पहले आईपीएस की छोटी लिस्ट निकल सकती है. पिछले दिनों पुलिस महकमे के आला अधिकारियों के साथ सीएम हाउस में इसे लेकर प्रारंभिक चर्चा भी हुई है. चुनावी हिसाब से इसमें दो-तीन एसपी हो सकते हैं. बिलासपुर आईजी राजेश मिश्रा हालांकि पदोन्नत होकर एडिशनल डीजी बन गए हैं, मगर विकल्प की कमी की वजह से फिलहाल उन्हें रेंज में बनाए रखने के संकेत मिल रहे हैं. वैसे, एडीजी को रेंज में रखने के कई उदाहरण हैं. भोपाल रेंज में एडीजी विजय यादव लंबे समय तक रहे. चुनाव आयोग का कहीं कोई लोचा नहीं आया, तो मिश्रा भी बिलासपुर में रह सकते हैं.
वास्तुदोष
धरमलाल कौशिक ने चुनाव हारने के बाद स्पीकर बंगले को खाली कर दिया, मगर गौरीशंकर अग्रवाल उसमें शिफ्ट नहीं हुए हैं. बंगले का रंग-रोगन के साथ ही वास्तुदोष दूर किया जा रहा है. बंगले के आफिस के बगल में एक छोटा सा तालाबनुमा घड्ढ़ा था, उसे पाट दिया गया है. आफिस के मेन गेट की दिशा बदल दी गई है. वास्तुशास्त्रियों ने दावा किया है कि बंगले में कुछ आवश्यक चेंज के बाद कोई भी स्पीकर चुनाव नहीं हारेगा. काश? पहले ऐसा हो गया होता.
अंत में दो सवाल आपसे
- प्रधानमंत्री के सलाहकार का लोकसभा चुनाव के ऐन पहले बस्तर का मुआयना करने का क्या मतलब था ?
- किस आईपीएस का वजन सरकार बढ़ा सकती है ?
संजय दीक्षित

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