शनिवार, 29 मार्च 2014

तरकश, 30 मार्च

तरकश

 तलवार

चुनाव आयोग द्वारा यूपी में एकमुश्त 22 कलेक्टर, 19 एसपी और तीन डीआईजी के हटाए जाने के बाद सूबे के कुछ अफसरों को डरावने सपने आने लगे हैं। इनमें दो कलेक्टर भी शामिल हैं। एक कलेक्टर का सताधारी पार्टी के प्रत्याशी से मधुर संबंध छिपा नहीं है। कलेक्टर साब ने जिले में न केवल प्रत्याशी के बेटे का धंधा पानी जमवाया है, बल्कि, अपुष्ट खबर ये भी है कि टिकिट फायनल होने में कलेक्टर के रिकमांडेशन की भी भूमिका रही। इसकी आयोग में शिकायत हुई है। हालांकि, विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा किसी को भी टच न करने पर अफसर कंफार्ट फील कर रहे थे। ब्यूरोक्रेसी में चर्चा यही थी कि चीफ इलेक्शन कमिश्नर वीएस संपत काफी लिबरल हैं। मगर अब धारणा बदल गई है।

पहली बैठक

चीफ सिकरेट्री बनने के बाद विवेक ढांड ने शुक्रवार को मंत्रालय में सभी विभागों के सिकरेटीज की पहली बैठक ली। और, इसमें यह तय हो गया कि नए सीएस का फोकस बस्तर और वहां की नक्सल प्राब्लम पर रहेगा। तभी तो तीन घंटे से अधिक चली बैठक में घंटे भर से अधिक चर्चा सिर्फ बस्तर पर हुई। सीएस ने सभी सिकरेट्रीज से बस्तर समस्या के समाधान के लिए लिखित में अपनी राय मांगी है। ढांड, राज्य निर्माण के दौरान बस्तर के कमिश्नर रहे। जाहिर है, वहां के सिचुएशन से वे भली-भांति वाकिफ होंगे। फस्र्ट मीटिंग में ही उन्होंने इंटरेस्ट दिखाया है। सो, उम्मीद तो अच्छे की ही करनी चाहिए।

रिलेक्स

दो साल में पहला मौका था, जब शुक्रवार को मंत्रालय में सीएस मीटिंग में सारे सिकरेट्रीज रिलेक्स होकर बैठे थे। बिल्कुल, नो टेंशन…….न डांट खाने का डर। पहले की मीटिंगों में गड़बड़ टाईप के अफसर मुंह सिले रखना ही मुनासिब समझते थे…..आ बैल मुझे मार, क्यों करें? मगर शुक्रवार की बैठक में सबके चेहरे खिले हुए थे। और, सभी खुलकर बोले भी। खासकर, वो भी जो पिछले दो साल में एक लाइन नहीं बोले थे। कुछ तो बेहद एक्साइटेड थे……आखिर, अरसे बाद यह मौका आया है। बस्तर के नक्सल समस्या पर एक्सपर्ट की मानिंद ढेरों सलाह दे डाली। एक आईएएस ने तो यहां तक कह डाला, सर, टाटा का प्लांट लग जाता तो नक्सल समस्या खतम हो जाती। मेरे रहते, टाटा की पूरी तैयारी हो गई थी। मगर मेरे हटने के बाद वहां टाटा का आना असंभव है। इस पर सीएस को टोकना पड़ा कि ऐसा नहीं है, टाटा अभी भी आ सकता है।

खुलकर

भले ही संघ प्रमुख ने कहा हो कि नमो-नमो करना संघ का काम नहीं है। मगर वास्तविकता यह है कि मोदी को सता की शीर्ष पर बिठाने के लिए संघ भी इस बार खुलकर मैदान में आ गया है। पिछले हफ्ते स्टेशन रोड स्थित एक होटल में मुस्लिम वोटों को लेकर संघ की बैठक हुई। संघ के बैनर में लोगोें ने पहली बार मुस्लिम नेताओं का इस तरह जमावड़ा देखा। मंच पर बैनर पर मुस्लिम नेताओं और धार्मिक नेताओं की फोटुएं लगी थीं। मुस्लिम नेताओं ने कहा भी कि मोदी को पीएम बनाना है, इसलिए हमलोग उनके लिए काम कर रहे हैं।

सिर्फ त्यागी

मार्च से लेकर जुलाई तक पांच आईएएस अफसर रिटायर होंगे। 31 मार्च को दुर्गेश मिश्रा, 30 अप्रैल को एमके त्यागी और एमएस परस्ते एवं 31 जुलाई को आरपीएस त्यागी और एनके मंडावी। याने पांच। इनमें से सिर्फ एमके त्यागी को संविदा में पोस्टिंग मिल सकती है। वे फिलहाल सिकरेट्री सीएम के साथ माईनिंग देख रहे हैं। त्यागी साफ-सुथरी छबि के आईएएस में शुमार होते हैं। इसीलिए, कोरबा कलेक्टरी से हटने के बाद सीएम ने अपने साथ रखा था। सूत्रों की मानें तो उनकी संविदा नियुक्ति भी सीएम सचिवालय में ही होगी।

नो टेंशन

भाजपा में किस्मत वालों की कमी नहीं है। एक भैया तो लगभग इसी के सहारे लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। अबकी तो मैदान और साफ नजर आ रहा है। उपर से नगद नारायण से लेकर मैन पावर की कोई कमी नहीं। सबको पता है, एनडीए की गवर्नमेंट बनने पर भैया को अबकी कैबिनेट मंत्री बनने से कोई रोक नहीं पाएगा। लिहाजा, भैया के घर पर हर तरह के मददगारों की लाईन लग रही है। सार यह है कि भैया के घर से अबकी कुछ नहीं लगने वाला।

अंत में दो सवाल आपसे

1. दुर्ग लोकसभा सीट पर कांटे की लड़ाई की चर्चा क्यों है?
2. आईएएस एलएस केन को कोर्ट द्वारा दो साल की सजा होने पर पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर को क्यों खुश होना चाहिए?

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