मंगलवार, 22 जुलाई 2014

तरकश, 20 जुलाई

तरकश


कंपीटिशन

सीनियर आईएएस एमके राउत और एन बैजेंद्र कुमार को एसीएस बनाने के लिए रमन कैबिनेट ने शुक्रवार को दो पोस्ट की मंजूरी दे दी। समझा जाता है, भारत सरकार से प्रोसेज होने के बाद एकाध महीने में डीपीसी भी हो जाएगी। इस तरह सूबे में चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड को मिलाकर एसीएस रैंक के अब सात आईएएस हो जाएंगे। राधाकृष्णन, विवेक ढांड, डीएस मिश्रा, अजय सिंह, एनके असवाल, एमके राउत और बैजेंद्र कुमार। लास्ट वाले दोनों रुतबेदार हैं। जाहिर है, शीर्ष स्तर पर प्रतिस्पर्धा तेज होगा।

आफर लिस्ट

खुफिया चीफ मुकेश गुप्ता का डेपुटेशन पर जाने का रास्ता अब लगभग साफ हो गया है। प्रतिनियुक्ति की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद मिनिस्ट्री आफ होम अफेयर ने उनका नाम आफर लिस्ट में शामिल कर लिया है। आफर लिस्ट में शामिल होने का मतलब है, गृह विभाग के अंतगर्त आने वाला कोई भी विंग लेटर भेजकर उन्हें मांग सकता है। सो, कभी भी उनका लेटर आ सकता है।

पारुल चलीं सीबीआई

छत्तीसगढ़ की एकमात्र महिला पुलिस कप्तान पारुल माथुर डेपुटेेशन पर सीबीआई में जा रही हैं। वहां भी वे एसपी होंगी। उनकी पोस्टिंग की औपचारिकताएं लगभग पूरी हो गई हैं। अगस्त फस्र्ट से सेकेंड वीक तक वे यहां से रिलीव हो जाएंगी। पारुल के हसबैंड बंगलुरू में पोस्टेड हैं। समझा जाता है, पारुल की पोस्टिंग भी वहीं होगी। वे 2009 बैच की आईपीएस हैं और फरवरी 2013 से बेमेतरा जिले की कमान संभाल रही हैं। पारुल छत्तीसगढ़ कैडर के रिटायर एवं चर्चित आईपीएस राजीव माथुर की बेटी हैं। छत्तीसगढ़ बनने से पहले माथुर रायपुर आईजी थे। राज्य बनने पर वे एडीजी प्रशासन, डीजी जेल जैसे पदों पर भी रहे। बाद में वे डेपुटेशन पर दिल्ली चले गए थे। बहरहाल, पारुल सीबीआई में छत्तीसगढ की दूसरी आईपीएस होंगी। अमित कुमार पहल से सीबीआई में हैं।

डबल धमाका

लंबे समय तक वनवास काटने के बाद आईपीएस पवनदेव ने पिछले महीने धमाकेदार वापसी करते हुए बिलासपुर जैसे पुलिस रेंज के आईजी बने थे। और, गुरूवार को उनके घर बड़ी खुशखबरी भी आ गई। वो भी अरसे बाद। सो, बधाइयों का तांता लगा हुआ है। आईपीएस चुटकी ले रहे हैं, पवन ने डबल धमाका कर दिया।

बड़ी चपत

फर्जी राशन कार्ड बनने के कारण सिर्फ रायपुर जिले में सरकारी खजाने को हर महीने सात करोड़ रुपए का चूना लग रहा है। आलम यह है कि जिले में लगभग साढ़े चार लाख परिवार हैं और इतने ही कार्ड भी। याने जितना परिवार, उतना कार्ड। सत्यापन में अभी तक 50 हजार कार्ड अवैध पाए गए हैं। एक लाख कार्ड को संदिग्घ की श्रेणी में रखा गया है। ये ऐसे लोग हैं, जो पकड़े जाने के डर से कार्ड सत्यापन कराने नहीं आ रहे हैं। याने साढ़े चार लाख में से डेढ़ लाख फर्जी। इनमें से एक लाख फर्जी कार्ड के हिसाब से ही कैलकुलेट करें…..एक कार्ड पर 35 किलो चावल….रेट लगभग 20 रुपए किलो….एक लाख से गुणा करें तो सात करोड़ बैठता है। यह मिनिमम है। पूरे प्रदेेश की बात करें तो हर महीने 100 करोड़ रुपए से अधिक का वारा-न्यारा किया जा रहा है।

बढि़यां फैसला

आईएएस रानू साहू को भले ही पति के पास भेजने के लिए जशपुर का एडिशनल कलेक्टर बनाया गया है मगर डायरेक्ट आईएएस को सरकार इसी तरह एडिशनल कलेक्टर बनाने का क्रम जारी रखे तो प्रशासनिक दृष्टि से यह बढि़यां कदम होगा। मध्यप्रदेश के समय कलेक्टर बनने से पहले एडिशनल कलेक्टर बनना लगभग अनिवार्य था। छत्तीसगढ़ बनने के बाद यह परपंरा टूट गई। डायरेक्ट आईएएस एसडीएम और अधिक से अधिक नगर निगम आयुक्त या जिला पंचायत सीईओ के बाद कलेक्टर बनने लगे। एडिशनल कलेक्टर बनने का मतलब था कलेक्टरी में और देरी। सो, युवा आईएएस को भी इसमें रुचि नहीं रही। जोर-जुगाड़ लगाकर वे सीधे कलेक्टर बनने लगे। अधिकांश कलेक्ट्रेट की व्यवस्थाएं पटरी से उतरी है, उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कलेक्टरों को कलेक्ट्रेट की वर्किंग का पता नहीं होता। रिकार्ड रुम की जानकारी नहीं होती। अधिकांश कलेक्टरों को नियम-कायदों में बाबू घूमा देते हैं। शायद यही वजह है कि कलेक्ट्रेट पर से लोगों का विश्वास कम होता जा रहा है। कलेक्टर लोगों से मिल तो आसानी से लेते हैं मगर उनके समस्याओं का निबटारा नहीं हो पाता। आवेदन नीचे जाकर डंप हो जाते हैं।

हीट प्रोजेक्ट

आरडीए का कमल विहार-2 प्रोजेक्ट काम शुरू होने से पहले ही हीट हो गया है। लोकेशन के चलते .हर कोई इसकी लांचिंग को लेकर उत्सुक है। मगर इसे भी तय मानिये, इसके कारण कमल विहार-1 के साथ ही न्यू रायपुर का डेवलपमेंट प्रभावित होगा। जब न्यू रायपुर और ओल्ड के बीच हाई-फाई सुविधाओं वाला प्लाट मिल जाएगा तो लोेग 30 किलोमीटर दूर न्यू रायपुर क्यों जाएंगे। कमल विहार-1 की भौगोलिक स्थिति बेहतर नहीं है….हेवी ट्रैफिक है। कमल विहार-2 न केवल ओल्ड रायपुर से लगा हुआ है, बल्कि खुला होने के साथ ही आवागमन की सहूलियतें हंै। सो, आकर्षण तो रहेगा ही।

वजनदार आईएएस

सरकार ने पीडब्लूडी और जनसंपर्क सरीखे अहम विभाग सौंपकर 88 बैच के आईएएस अफसर अमिताभ जैन को वजनदार बना दिया है। इससे पहले, ये दोनों विभाग किसी एक आईएएस के पास नहीं रहा। पीडब्लूडी के तो कहने ही क्या, जनसंपर्क विभाग के भी अपने मायने हैं। विवेक ढांड से लेकर एमके राउत, बैजेंद्र कुमार, अमन सिंह, सीके खेतान जैसे अफसर इस विभाग को संभाल चुके हैं।

हफ्ते का एसएमएस

एक गिरगिट ने सुसाइड नोट में लिखा, मैं आज कल रंग बदलने में आदमी का मुकाबला नहीं कर पा रहा हूं……इसलिए, मैं जीना नहीं चाहता।

अंत में दो सवाल आपसे

1. पंजाब में आतंकवाद चरम पर था तो वहां की पुलिस बेहद ताकतवर थी और छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद, फिर भी यहां की पुलिस निरीह क्यों है?
2. स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल के खिलाफ माहौल बनाने के लिए कांग्रेस को रसद सामग्री मुहैया कराने में बीजेपी के किन नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें