रविवार, 15 फ़रवरी 2015

तरकश, 15 फरवरी

tarkash photo



पीए की डायरी

एसीबी अफसरों को नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी के पीए से मिली डायरी ने राजधानी के बड़े-बड़ों की नींद उड़ा दी है। बताते हैं, डायरी में 100 से अधिक राइस मिलरों के साथ ही कुछ नौकरशाहों के नाम मिलें हैं। जिन अफसरों के यहां पैसे जाते थे, उसका हिसाब डायरी में रहता था। उसका यदि खुलासा हो गया तो कई साफ-सुथरे चेहरे बेनकाब हो जाएंगे। अब, एसीबी के हाथ उन तक पहुंच पाएंगे या नहीं, यह तो वक्त बतलाएगा। मगर राइस मिलरों पर शिकंजा कसना तय है। आपको याद होगा, तीन साल पहले राइस मिलरों और सरकार में तनातनी हुई थी तो मिलरों ने अफसरों को हर साल 100 करोड़ रुपए देने का आरोप लगाया था। बाद में, मिलर पलटी मार दिए थे कि हमने एफसीआई पर आरोप लगाया था। एसीबी उस बयान को भी जांच में लेने वाली है।

जीरो टालरेंस

छत्तीसगढ़ के लोग सालों से जीरो टालरेंस की बातें सुनते आ रहे थे, मगर पहली बार गुरूवार को लोगों ने इसे महसूस किया। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि नान के आर्गेनाइज करप्शन का एसीबी इस तरह पर्दाफाश करेगा। बताते हैं, जनवरी एंड में सीएम ने उच्च स्तरीय बैठक ली थी, जिसमें एसीबी चीफ मुकेश गुप्ता से कहा था कि जीरो टालरेंस को सफल बनाने में एसीबी अहम रोल निभा सकता है। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो ऐसे बड़े छापे अब लगातार चलते रहेंगे। भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कारगर कार्रवाई करने के लिए सरकार ने मुकेश गुप्ता को एसीबी के साथ इंटेलीजेंस बरकरार रखा है। और, उपर के लोगों की मानें तो नान के खिलाफ हिला देने वाले छापे के बाद मुकेश के पास इंटेलीजेंस आगे भी बना रहेगा।

इंकम टैक्स स्टाइल

एसीबी ने नागरिक आपूर्ति निगम के मुख्यालय समेत अन्य ठिकानों पर इंकम टैक्स और सीबीआई स्टाइल में दबिश दी। एसीबी के अफसर पखवाड़े भर से इस मिशन पर काम कर रहे थे। छापे के तीन दिन पहले 28 टीमें बना ली गई थी। इसके लिए पूरे प्रदेश भर से एसीबी के साथ ही ईओडब्लू के स्टाफ को रायपुर बुलाया गया था। छापे के पूर्व रात में एसीबी चीफ मुकेश गुप्ता ने राजधानी के चुनिंदा संपादकों और पत्रकारों को डिनर दिया। तब किसी को इल्म नहीं था कि एसीबी इतनी बड़ी कार्रवाई करने जा रही है। गुप्ता भी डिनर में लगातार ठहाके लगाते रहे। डिनर के बाद पत्रकारों को बिदा करने के बाद बताते हैं, गुप्ता ने रात दो बजे तक पूरे आपरेशन का रिव्यू किया और जरूरी टिप्स दिए।

वास्तुदोष?

नगरीय निकाय के बाद पंचायत चुनाव में बीजेपी की हार कहीं उसके नए प्रदेश कार्यालय के वास्तुदोष के कारण तो नहीं हो रही है…..पार्टी के भीतर इसकी खूब चर्चा है। पार्टी नेता खुलकर इसकी शिकायत कर रहे हैं कि बिल्डिंग में वास्तु की जो खामियां रह गई थी, पार्टी उसका शिकार हो रही है। दलीलें भी दी जा रही कि विधानसभा चुनाव का संचालन पुराने कार्यालय से हुआ और पार्टी की हैट्रिक बन गई। नगरीय निकाय चुनाव की सारी बड़ी बैठकें और तैयारियां नए कार्यालय से संचालित की गई। चुनाव भी पूरी गंभीरता के साथ लड़ा गया। लेकिन, नतीजा चैंकाने वाला आया। जाहिर है, पूरे देश में जब कांग्रेस सिकुड़ती जा रही है तो छत्तीसगढ़ में वह दिनोंदिन मजबूत हो रही है…..गुटबाजी और भीतरघात जैसी कांग्रेस की बीमारी आखिर भाजपा में आ गई। राजधानी के वास्तुविद् भी मानते हैं कि पार्टी का नया दफ्तर बीेजेपी के लिए बड़ा संकट का कारण बन रहा है। पं0 देवनारायण शर्मा की मानें तो कार्यालय में दो प्रवेश द्वार हैं, एक नै़ऋत्य और दूसरा अग्नि कोण पर। वास्तुशास्त्र में इसे सर्वविनाशक माना जाता है। अध्यक्ष के बैठने की जगह भी गलत है, उत्तर-पश्चित दिशा में हाईटेंशन लाइन गुजर रहा है, जैसी वास्तु से जुड़ी अनेक खामियां हैं। हालांकि, कई लोग इस तरह की बातों पर एतबार नहीं करते मगर संकटों का दौर शुरू होने पर कई बार नास्तिक लोग भी तंत्र-मंत्र की शरण में पहुंच जाते हैं। भाजपा नेताओं की तकलीफें समझनी चाहिए

सर्जरी टलेगी?

पंचायत चुनाव के बाद होने वाली प्रशासनिक सर्जरी अप्रैल तक के लिए टल सकती है। इसके पीछे 2 मार्च से शुरू होने वाला बजट सत्र बताया जा रहा है। हालांकि, इस पर अंतिम तौर पर मुहर नहीं लगाया गया है मगर सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों का मानना है कि विधानसभा सत्र के समय कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों का ट्रांसफर उचित नहीं होगा। बजट सत्र वैसे भी महत्वपूर्ण होता है। नए कलेक्टरों से विधानसभा के जवाबों को तैयार करने में दिक्कतें होंगी। फिर, नौ जिला पंचायतों में दो रोज पहले ही नए सीईओ तैनात किए गए हैं। ऐसे में, अगर कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ, दोनों नए हो जाएंगे तो जिले का कामकाज प्रभावित होगा। जाहिर है, इस बार दर्जन भर से अधिक कलेक्टरों को चेंज करने की तैयारी है। कई इधर-से-उधर होंगे, तो कुछ ड्राप भी किए जाएंगे।

नाट आउट

पहले ही जिले में साढ़े तीन साल। आमतौर पर ऐसा होता नहीं। मगर बलौदा बाजार के कलेक्टर राजेश टोप्पो ने यह रिकार्ड बना डाला है। बलौदा बाजार को नया जिला बनाने के बाद उन्हंे वहां पहले ओएसडी और फिर कलेक्टर पोस्ट किया गया था। उस समय से वे क्रीज पर टिके हुए हैं। हर फेरबदल में उनकी चर्चा तो होती है लेकिन ऐन वक्त पर चेंज हो जाता है। चलिये, एक जिले में लंबे समय तक कलेक्टरी का रिकार्ड तो उन्होंने बना ही लिया। छत्तीसगढ़ में कोई भी कलेक्टर एक जिले में साढ़े तीन साल नहीं रहा है।

नए एमडी

सरकारी बिजली कंपनियों के सबसे अहम विद्युत वितरण कंपनी में भी अगले फेरबदल में नए एमडी की पोस्ंिटग की जाएगी। फिलहाल, सुबोध सिंह एमडी हैं और उन्हें वहां तीन साल से अधिक हो गया है। वैसे भी उन पर वर्क लोड बढ़ता जा रहा है। सिकरेट्री टू सीएम का काम ही अपने आप में काफी महत्वपूर्ण होता है। उस पर, बिजली वितरण कंपनी के एमडी होने के साथ उन्हंें माईनिंग और उद्योग की कमान भी उनके पास है। बहरहाल, बिजली वितरण कंपनी के लिए इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले आईएएस की तलाश हो रही है। छत्तीसगढ़ कैडर में ऐसे तीन आईएएस हैं। सिद्धार्थ परदेशी, मुकेश बंसल और अंकित आनंद। निश्चित तौर पर इन्हीं में से कोई एक वितरण कंपनी का एमडी बनेगा। बिजली विभाग सीएम के पास है और इसके सिकरेट्री अमन ंिसंह हैं तो जाहिर है, ठीक-ठाक आईएएस को ही इस विभाग में पोस्ट किया जाएगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रायपुर में झुग्गी-झोपडि़यों की बेतरतीब बसाहट को लेकर किस कांग्रेस नेता को याद किया जाता है?
2. नागरिक आपूर्ति निगम में एमडी के पीए की डायरी में किन-किन आईएएस अफसरों के नाम हो सकते हैं?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें