शनिवार, 23 मई 2015

तरकश, 24 मई

tarkash photo

 

फ्री हैंड…बट

मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह के ग्रह-नक्षत्र लगता है, फिर स्ट्रांग हो गए हैं। नगरीय निकाय चुनाव के बाद एक दौर वह भी आया था, जब उनकी कुर्सी हिलती दिख रही थी। सीनियर मंत्रियों ने दिल्ली विजिट तेज कर दिया था। मगर, छत्तीसगढ़ दौरे में जिस तरह प्रधानमंत्री ने उनकी पीठ थपथपाई और अमित शाह ने मंत्रिमंडल के पुनर्गठन के लिए उन्हें फ्री हैंड दिया, पार्टी में उनके विरोधी भी स्तब्ध हैं। जिन अमित शाह से मुलाकात न होने के चलते पिछले महीने मंत्रिमंडल विस्तार टल गया था, पिछले हफ्ते मुलाकात हुई तो बताते हैं, उन्होंने इस पर चर्चा भी करने की जरूरत नहीं समझी। संगठन के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो मुलाकात के दौरान सीएम ने जैसे ही मंत्रिमंडल विस्तार की बात शुरू की, शाह ने कहा, रमनजी इसे आप देख लीजिए। जबकि, सीएम पूरी तैयारी के साथ गए थे। मंत्रियों के साथ ही सीनियर विधायकों की सूची भी थी। लेकिन शाह ने एक वाक्य में चेप्टर क्लोज कर दिया। फिर, पीएम का बस्तर विजिट, डेवलपमेंट और नक्सल इश्यू पर चर्चा होने लगी। अब, ये अलग बात है कि सीएम ने फ्री हैंड का लाभ नहीं उठाया। नए मंत्रियों या फिर संसदीय सचिवों की पोस्टिंग में क्षेत्र, जाति और सामुदाय में संतुलन रखा। अलबत्ता, लोगों की उम्मीदें थी और उत्सुकता भी, कि कुछ पुराने चेहरे को बदलकर वे अपनी टीम को और कसेंगे। बट…..।

बड़ी खबर

अंदर की खबर है……मंत्रिमंडल के विस्तार से पहले सूबे के दो मंत्री और एक विधायक दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मिले थे। मकसद था, एक विधायक को मंत्री बनाना और मंत्रीजी को ठीक-ठाक विभाग मिल जाए। बताते हैं, शाह ने पहले तो मिलने का टाईम नहीं दिया। बाद में, जोर-जुगाड़ लगाकर उनसे मिलने में कामयाब हो गए तो शाह ने यह पूछकर नेताओं के उत्साह पर ठंडा पानी डाल दिया कि फलां समय जो कांड हुआ था, उसे आपलोगों ने ही कराया था न! शाह बेहद प्रोफेशनल राजनीतिज्ञ हैं। जिन नेताओं को वे अपाइंटमेंट देते हैं, उनके बारे में उनका स्टाफ पूरा फीडबैक उन्हें दे देते हैं। शाह के इस सवाल के बाद अब कुछ गंुजाइश बची नहीं थी। इसके बाद ही कुछ मंत्रियों को ड्राप करने की बातें उड़ी थीं।

कटारिया इम्पैक्ट

राजभवन में तीन नए मंत्रियों के शपथग्रहण में कटारिया एपीसोड हावी रहा। खासकर, ब्यूरोके्रट्स पर। ड्रेस के मामले में वे बेहद सजग दिखे। कुछ ने बंद गला का सूट पहन रखा था। जो सूट नहीं पहने, वे भी शोबर पोशाक में थे। सलिके से। हाफ शर्ट मंे तो कोई नहीं। शपथ के बाद दरबार हाल में ड्रेस ही चर्चा का केंद्रबिंदु रहा। किस मंत्री को कौन-सा विभाग मिलेगा, यह सवाल लगभग गौण था। लाइट कलर शर्ट भी अगर किसी ने पहनी थी तो लोग चुटकी लेते थे, आप भी कटारिया की तरह तो नहीं।

अमर का वजन

मंत्रिमंडल के विस्तार में सर्वाधिक कोई नफा में रहा तो वे हैं अमर अग्रवाल। हेल्थ से मुक्ति मिल गई और उपर से उद्योग और वाणिज्य जैसे अहम विभाग भी मिल गए। रमन की फस्र्ट इनिंग में अमर इन दोनों विभागों को संभाल चुके हैं। वजनदार विभागों के मामले में अब वे सबसे उपर हो गए हैं। नगरीय प्रशासन होने के कारण बड़े शहरो से लेकर नगर पंचायतों तक उनकी दखल तो है ही। इंडस्ट्री और कामर्स भी अब उनके हाथ में है। वाणिज्यिक कर विभाग भी उनके पास यथावत रहेगा। हालांकि, अजय चंद्राकर के पास पंचायत के साथ हेल्थ मिला है। इस तरह उनके पास दोनों बड़े विभाग हो गए हैं। लेकिन, यह भी सही है कि बेमन से ही वे हेल्थ लिए होंगे। इसके लिए कोई तैयार नहीं हो रहा था।

ना बाबा….

नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद राजभवन के दरबार हाल में सबसे अधिक उत्सुकता थी कि हेल्थ किसको मिल रहा है। हेल्थ को लेकर लोग खूब चटखारे ले रहे थे। अजय चंद्राकर ने प्रेमप्रकाश पाण्डेय से मजाक किया, हेल्थ आपको मिल रहा है। पाण्डेय के हाथ में चोट लगी है। वे स्क्रेप बैंड बांध कर आए थे। उन्होंने अपना हाथ दिखाते हुए तपाक से कहा, जो अपना हेल्थ नहीं सुधार सकता, वह दूसरों का हेल्थ क्या सुधारेगा। इस पर खूब ठहाके लगे।

सोशल मीडिया की हीरोइन

एक जिला पंचायत की सीईओ भी अमित कटारिया की तरह सोशल मीडिया की हीरोइन बनने की राह पर चल पड़ी हैं। हालांकि, वे सार्वजनिक नल पर पानी पीने जैसा ढांेग तो नहीं कर रही मगर काम कुछ उसी तरह का है। पहले वे सिस्टम में खामियां निकालकर अफसरों को जमकर फटकार लगाती हैं, फिर उसके वीडियो व्हाट्सएप पर लोड कर दिए जाते हैं। सरकार की नोटिस में यह बात आ गई है। जल्द होने वाले फेरबदल में उनकी छुट्टी तय मानिये।

कलेक्टरों की बारी

मंत्रिमंडल का विस्तार और संसदीय सचिवों की नियुक्ति के बाद अब कलेक्टरों की लिस्ट निकलेगी। चार से पांच जिलों के कलेक्टरों के बदलने की खबरें आ रही हैं। बलौदा बाजार का नाम इनमें सबसे उपर है। राजेश टोप्पो को वहां साढ़े तीन साल से उपर हो गया है। दंतेवाड़ा कलेक्टर सेनापति का भी नम्बर लग सकता है। सबसे बड़ी दिक्कत टोप्पो को लेकर आ रही है। बड़ा जिला कोई खाली नहीं है और छोटे जिले में उन्हें अब भेजा नहीं जा सकता। बड़े जिलों में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जांजगीर, रायगढ़, कोरबा, राजनांदगांव, अंबिकापुर, सभी फुल है। जांजगीर, रायगढ़ और राजनांदगांव में हाल ही में पोस्टिंग हुई है। सो, वहां चांस नहीं है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. अमित कटारिया आखिर, इस बात का खंडन क्यों नहीं करते कि वे एक रुपए वेतन लेते हैं?
2. सोशल मीडिया ने अतिसक्रियता दिखाकर अमित कटारिया का नुकसान कराया या फायदा?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें