शनिवार, 13 जून 2015

तरकश, 14 जून

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संजय दीक्षित

 

झूम बराबर…..

जानीवाकर जैसे ब्रांडेड पीने वाले सूबे के एक युवा कलेक्टर को पिछले हफ्ते कुछ नया लेने का सूझा। उनके अफसरांे ने उन्हें जो नए ब्रांड बताए, वे लगभग सभी ले चुके थे। इस पर डीएफओ ने सलाह दी, सर! एक बार हर्बल लेकर देखिए। हर्बल? महुआ…..एकदम अलग फील करेंगे सर। कलेक्टर पहले चैंके, फिर ओके कर दिया। इसके बाद, संडे को कलेक्टर बंगले में महफिल सजी। कलेक्टर के लिए पहला मौका था, हर्बल भी प्योर। सो, तीन पैग के बाद साब होश खोने लगे। बताते हैं, पहले झूमते हुए, झूम बराबर, झूम शराबी….गाए। फिर, चैथे पैग के बाद घूटनों के बल बैठकर नागिन डांस। कलेक्टर साब नागिन बनें और डीएफओ सपेरा। पार्टी में जिले के कई बड़े अफसर थे। हर्बल का रंग उन पर भी चढ़ चुका था। रात तीन बजे तक कलेक्टर बंगले में जमकर हंगामा बरपा। इतना कि अगल-बगल रहने वालों की नींद खुल गई। इसकी चर्चा जिले से निकलकर अब राजधानी पहुंच गई है। बताते हैं, कलेक्टर पार्टी के शौकीन है। कभी सर्किट हाउस तो कभी दूसरे विभागों के विश्रामगृहों में आए दिन महफिल जमती रहती है। इस बार गरमी की छुट्टी में पत्नी मायके गई है। इसलिए, कुछ दिन से बंगले में ही रंग जम रहा है।

लाल बत्ती की रेवड़ी

बोर्ड एवं निगमों में पोस्टिंग की लिस्ट लगभग फाइनल स्टेज में है। एक-दो नामों पर मामला अटका हुआ है। विरोधी खेमे के एक विधायक माईनिंग कारपोरेशन चाह रहे हैं मगर सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। सब कुछ ठीक रहा तो 15 या 16 जून को इसका ऐलान हो सकता है। इनमें युद्धवीर सिंह जूदेव, चेयरमैन वन विकास निगम, शिवरतन शर्मा चेयरमैन सीएसआईडीसी, देवजी भाई पटेल चेयरमैन नागरिक आपूर्ति निगम या वेयर हाउस, भूपेंद्र सवन्नी चेयरमैन बे्रवरेज कारपोरेशन, शिवनारायण तिवारी, श्रम कल्याण मंडल और बद्रीधर दीवान का नाम डिप्टी स्पीकर के लिए चर्चा में है। हाउसिंग बोर्ड, बीज विकास निगम और माईनिंग कारपोरेशन को लेकर अभी जद्दोजहद चल रहा है। जाहिर है, फस्र्ट फेज में अभी बड़े बोर्ड एवं निगमों में पोस्टिंग होगी। इसके बाद छोटे में। हालांकि, पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है, पेंच फंसने के चलते दो-एक रोज में नियुक्तियां नहीं हो पाई तो फिर विधानसभा के मानसून सत्र के बाद ही समझिए।

नाराजगी?

इसे अब आला अधिकारी के साथ नाराजगी माना जाए या कुछ और। मगर खबर सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छत्तीसगढ़ दौरे की एक फोटो में पीएम, गर्वनर, सीएम के साथ अफसर भी खड़े थे। फोटो अच्छी आई थी, इसलिए उसे मढ़वा कर एक पावरफुल हाउस में लगवाया गया। मगर नेक्स्ट डे यह कहते हुए तस्वीर हटवा दी गई कि अफसर की फोटो हाउस में क्यों। आप अनुमान लगा सकते हैं, कौन-सा हाउस होगा और कौन से अफसर।

छह जिला खाली

2004 और 2005 बैच के कलेक्टरों के ट्रेनिंग में मसूरी जाने से आधा दर्जन जिला प्रभार में चल रहा है। सूबे में सर्वाघिक कलेक्टर 2005 बैच से हैं। मुकेश बंसल, राजनांदगांव, ओपी चैधरी, जांजगीर, आर संगीता, दुर्ग, प्रकाश, कोरिया, संजय अलंग, मुंगेली। 2004 बैच की अलरमेल डी ममगई, कलेक्टर रायगढ़ पिछले साल ट्रेनिंग पर नहीं जा पाई थी। सो, इस बार वो भी गईं हैं। मसूरी के बाद साउथ कोरिया में ट्रेनिंग होगी। वहां से लौटकर फिर मसूरी में हफ्ते भर की ट्रेनिंग। सभी 20 जुलाई तक छत्तीसगढ़ लौटेंगे।

संकट

राहुल के पदयात्रा से सबसे अधिक दिक्कत में महिला कांग्रेसी हैं। राहुल के साथ पैदल चलना भी चाहती हैं और मौसम को देखकर मन भी मसोस रही हैं। वो भी इतनी उमस और गरमी में। एक महिला नेेत्री ने ही शेयर किया, तैयार होकर आएंगी लेकिन मुआ पसीना…..। तभी तो कांग्रेस भवन में जब पूछा गया कि कौन-कौन चलेंगी तो जवाब मिला, बताते हैं। बहरहाल, राहुल के पदयात्रा में कई काग्रेसियों की फिटनेस की परीक्षा भी हो जाएगी। राहुल अभी जवां हैं। पैदल भी अच्छा चल लेते हैं। केदारनाथ यात्रा में लोगों ने पहाड़ पर सरपट चढ़ते लोगों ने देखा भी। कांग्रेस पार्टी में भी इसको लेकर उत्सुकता है कि कौन राहुल के बराबर चल पाता है। समझा जाता है, जो बराबर चलेगा, उसका नम्बर बढ़ेगा।

झटका

दुर्ग जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में प्रीतपाल बेलचंदन के चेयरमैन बनने से बीजेपी नेत्री सरोज पाण्डेय को झटका लगा है। पहले, वे लाख कोशिश करके भी दयालदास बघेल को मंत्री बनने से रोक नही ंपाई और अब, बैंक इलेक्शन में उनके समर्थक शिव चंद्राकर को बेलचंदन को टक्कर देने के लिए समर्थक नहीं मिले। हालांकि, चंद्राकर के लिए सरकार पर पार्टी का काफी प्रेशर था। मगर बेलचंदन ने 15 में से 12 डायरेक्टरों को अपने साथ खड़ा कर पासा पलट दिया। दुर्ग सहकारी बैंक इसलिए अहम है कि हाईकोर्ट के निर्देश पर एकमात्र बैंक का चुनाव हुआ है। और, बेलचंदन की एकतरफा जीत हुई है। ऐसे में, वे अगले लोकसभा चुनाव में दुर्ग से मजबूत दावेदार बनने का खतरा भी तो बन गया है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रोटी, भात, बांसी, बोरे खाने की बयानबाजी से राहुल गांधी के दौरे का वेट बढ़ा या कम हुआ?
2. तमाम विवादों के बाद भी महासमंुद कलेक्टर की कुर्सी नहीं हिलने की असली वजह क्या है?

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