शनिवार, 23 जनवरी 2016

फिर फिसली जुबां


tarkash photo




संजय दीक्षित
खेल एवं श्रम मंत्री भैयालाल रजवाड़े की एक बार फिर जुबां फिसल गई। सीएम हाउस में संसदीय सचिवों के शपथ लेने के बाद एक महिला संसदीय सचिव को वन विभाग मिलने पर मीडिया ने वन विभाग में उनकी प्राथमिकताओं पर सवाल पूछा। संसदीय सचिव इसका जवाब देतीं, इससे पहले बाजू में खड़े रजवाड़े तपाक से बोल पडे़, बोलो ना, वन के साथ मेरा तन है….। रजवाड़े की इस टिप्पणी से न केवल संसदीय सचिव बुरी कदर झेंप गईं बल्कि आसपास खड़े लोग भी एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। याद होगा, पिछले साल आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के एक कार्यक्रम में महिलाओं पर की गई अमर्यादित टिप्पणी पर बड़ा बवाल मचा था। उन्होंने कहा था, पांच सौ की चाकरी, चार हजार की साड़ी, ये है आंगनबाड़ी। रजवाड़े की इस बेतुके बोल पर सरकार को भी शर्मसार होना पड़ा था।

भाई-भाई

छत्तीसगढ़ कांग्रेस और छत्तीसगढ़ पुलिस की हालत लगभग भाई-भाई वाली हो गई है। कांग्रेस में एक-दूसरे को एक्सपोज करने की होड़ मची है। तो पुलिस मुख्यालय के कुछ अफसरों और बस्तर पुलिस में जंग छिड़ी हुई है। जंग है, अधिकार और अहंकार की। बस्तर पुलिस सीएम और डीजीपी के इतर कहीं देखती नहीं। और पीएचक्यू के एक गुट को लगता है, उन्हें बायपास किया जा रहा है। ऐसे में, झगड़े तो होंगे ही। जाहिर है, भूपेश और जोगी की लड़ाई में कांग्रेस की भद पिट रही है तो पुलिस अफसरों की खींचतान में सरकार की। जगदलपुर में नक्सलियों की शादी पर सरकार की आखिर, किरकिरी हो ही गई। बस्तर पुलिस बड़बोलेपन में कह गई थी कि जिन नक्सलियों की शादी हो रही है, वे जीरम कांड-एक और दो में शरीक थे। पुलिस महकमे ने तीन दिन तक इसका खंडन करना भी मुनासिब नहीं समझा। अलबत्ता, विरोधी खेमा चटकारे लेता रहा, फंस गई बस्तर पुलिस…..बड़ा नक्सल एक्सपर्ट बनता है….अब आएगा मजा। उधर, कांग्रेस ने सीधे सरकार पर हमला बोल दिया, जीरम घाटी में कांग्रेसियों को मारने के एवज में सरकार नक्सलियों को शादी करवाकर नौकरी का तोहफा दे रही है। वास्तव में मैसेज भी कुछ ऐसा ही जा रहा था। सरकार भी मानती है कि गर पहले दिन ही इसका खंडन हो गया होता, तो विपक्ष को अवसर नहीं मिलता। सरकार की फटकार के बाद पुलिस जागी और तीन दिन बाद खंडन का ड्राफ्ट तैयार कर हांफते हुए सीएम सचिवालय पहुंचे पीएचक्यू के अधिकारी। मगर तब तक काफी देर हो चुकी थी। सीएम सचिवालय ने यह कहते हुए पुलिस अधिकारियों को झिड़क दिया कि झूठ को झूठ कहने में आपलोगों को तीन दिन लग गए।

जब रमन हुए लाल

पुलिस की आपसी लड़ाई में जब सरकार की छबि दागदार होने लगे तो सरकार को भला गुस्सा कैसे नहीं आएगा। नक्सलियों की शादी और उन्हें नौकरी देने पर जब सरकार पर आरोपों की बौछारें शुरू हो गईं तो गुरूवार को सीएम ने पुलिस और गृह महकमे के आला अफसरों की खबर ली। पूछा, जब झीरम कांड की जांच कर रही एनआईए के एफआईआर तक में दोनों नक्सलियों के नाम नहीं है, तो इसका खंडन क्यों नहीं किया गया। जबकि, पीएचक्यू में प्रवक्ता है, नक्सल सेल बना हुआ है। अब, सीएम के गुस्से का असर दिखना ही था। दिपांशु काबरा को उठाकर सरगुजा भेज दिया गया और लांग कुमेर को रायपुर पुलिस मुख्यालय। जबकि, सरगुजा आईजी के लिए हेमकृष्ण राठौर का नाम लगभग तय था। दिपांशु हाईप्रोफाइल आईपीएस माने जाते हैं। रायगढ़, दुर्ग और रायपुर जैसे जिलों में कप्तानी की है। सो, उनकी दावेदारी दुर्ग या रायपुर के लिए थी। मगर इससे पहले ही सरकार ने तलवार निकाल कर भांज दिया। आने वाले समय में पीएचक्यू में कुछ और उठापटक हो जाए, तो अचरज नहीं।

छाबड़ा का बल्ले-बल्ले

दिपांशु काबरा के सरगुजा जाने से डीआईजी स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच डा0 आनंद छाबड़ा की हर महीने लगभग 60 हजार रुपए की लाटरी निकल जाएगी। दरअसल, एसआईबी में वेतन 50 फीसदी अधिक मिलता है। मगर एसआईबी में सिर्फ आईजी का पोस्ट सेंक्शन होने के चलते छाबड़ा को इसका लाभ नहीं मिल रहा था। हालांकि, पीएचक्यू ने फाइल चलाई थी मगर पोस्ट ना होने के कारण गृह विभाग ने उसे वापिस लौटा दिया था। अब, काबरा हट गए हैं तो छाबड़ा को तो बल्ले-बल्ले समझिए।

अवस्थी होंगे  डीजी

1986 बैच के आईपीएस डीएम अवस्थी को डीजी बनाने के लिए शनिवार को देर शाम मंत्रालय में डीपीसी हो गई। समझा जाता है, दो-तीन दिन में उनका आर्डर भी निकल जाएगा। वे सूबे के चैथे डीजी होंगे। एएन उपध्याय, गिरधारी नायक और डब्लूएम अंसारी पहले से इस रैक में हैं। यह पहला मौका होगा, जब छत्तीसगढ़ पुलिस में चार डीजी होंगे। प्रमोशन होने के बाद हाई प्रोफाइल आईपीएस अवस्थी को अब विभाग क्या मिलता है, इसकी अटकलें लगनी शुरू हो गई है।

सुबह भूपेश, शाम को जोगी

22 जनवरी को कांग्रेस के गुटीय प्रदर्शन में दोपहर तक भूपेश बघेल गुट हावी रहा। तमाम विरोधों के बाद भी संगठन खेमा जगह-जगह अंतागढ़ टेप कांड की सीडी चलाने में कामयाब हो गया। मगर दोपहर बाद जोगी खेमा ने राजधानी में कोलावेरी की पैरोडी चलाकर माहौल खींच लिया। पैरोडी थी, व्हाय दिस फर्जी टेप, फर्जी टेप जी…क्यों भूपेश….दू करोड़ में टेप बनाइंग, बैक डेट में ह महामत्री बनाइंग, ददा संग कांग्रेस चलाइंग, ओला घर के खेती बनाइंग, व्हाय दिस फर्जी टेप, फर्जी टेप जी। ठीक 3 बजे राजधानी में आधा दर्जन मिनीडोर इस पैरोडी को चलाते हुए निकले। उसमें पोस्टर भी चस्पा था, छत्तीसगढ़ में कार्यरत एक राष्ट्रीय पार्टी को आवश्यकता है, एक महामंत्री की। योग्यता-सजायाफ्ता मुजरिम हो, ब्लैकमेलर हो, कम-से-कम पांच आडिया, वीडियो कांड किए हो। योग्य उम्मीदवार को एक नेता का सीडी बनाना होगा। चयन होने के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दो करोड़ रुपए एवं बैकडेट में नियुक्ति आदेश देंगे। मिनीडोर जहां भी गया, लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। हालांकि, इस पर पब्लिक का रियेक्शन अच्छा नहीं था। कुछ लोगों ने बड़ी तल्ख टिप्पणी की….दोनों गुट एक-दूसरे का कपड़ा खोल रहे हैं….इसमें नुकसान कांग्रेस पार्टी का ही होगा।

शक्ति प्रदर्शन

एक ओर कांग्रेस गुटीय शक्ति प्रदर्शन में दम-खम के साथ जुटी हुई है। वहीं, सत्ताधारी पार्टी 2018 के चुनाव के लिए अपना किला मजबूत करने में जुट गई है। बोर्ड एवं निगमों में ताजपोशी के बाद सरकार ने कैबिनेट और राज्य मंत्री का दर्जा देने में देर नहीं लगाई। पहली बार ऐसा हुआ कि दो दिन के भीतर किसको किस तरह की सुविधा की पात्रता होगी, आर्डर जारी कर दिया। वरना, दूसरी पारी में लाल बत्ती का दर्जा के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा था।

अंत में दो सवाल आपसे

1. छत्तीसगढ़ के आईएएस 30 अप्रैल को ब्यूरोक्रेसी में होने वाली किस उठापटक की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं? 
2. कांग्रेस के संगठन खेमे ने सिर्फ जोगी और मंतूराम पवार की सीडी ही क्यों चलाई?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें