शनिवार, 18 जून 2016

डीएस, राम सिंह की ताजपोशी!

19 जून

आईएएस अफसरों की पोस्ट रिटायरमेंट ताजपोशी के लिए सरकार ने अघोषित क्रायटेरिया बनाया है, रिटायरमेंट के दो-एक महीने बाद पोस्टिंग। देखा ही आपने, ठाकुर राम सिंह जैसे वजनी अफसर भी 18 दिन से घर बैठे हैं। बहरहाल, डीएस मिश्रा को रिटायर हुए अब दो महीना पूरा हो जाएगा। इसलिए, अंदर से आ रही खबरों पर यकीन किया जा सकता है कि जुलाई फस्र्ट वीक तक सूचना आयोग में उनकी ताजपोशी हो जाएगी। बशर्ते उनके नाम के साथ कोई नई पेंच न आए। यद्यपि, पहले इस पोस्ट के लिए ज्यूडिशरी से किसी व्यक्ति का नाम चल रहा था। मगर नौकरशाही इसके खिलाफ एकजुट हो गई। मिश्रा के साथ ठाकुर राम सिंह का भी चुनाव आयोग के लिए आदेश निकल सकता है। दरअसल, राज्य निर्वाचन आयुक्त पीसी दलेई भी इस महीने रिटायर होंगे। दलेेेेेेेेेई को सरकार अपनी सुविधा के अनुसार कुछ दिनों के लिए पद पर बनाए रख सकती है। क्योंकि, निर्वाचन आयुक्त पोस्ट के लिए नियम यह है कि छह साल होने के बाद भी सरकार ने अगर नया अपाइंट नहीं किया, तो अटोमेटिक वे छह महीने तक कंटीन्यू कर सकते हैं। एमपी में लोहानी पांच महीने ज्यादा इस पोस्ट पर रहे थे। यहां भी सुशील त्रिवेदी इस पोस्ट पर दो दिन अधिक रहे। शिवराज सिंह का आदेश निकलने के बाद ही त्रिवेदी बिदा हुए। दलेई के मामले में भी कुछ ऐसा ही हो सकता है।

पैसा खुदा नहीं….

छत्तीसगढ़ में सबके सब आफिसर करप्ट नहीं हैं। ना ही गला दबाकर पैसा कमाने वाला। कुछ ऐसे भी हैं, जिनके लिए सूटकेस कोई मायने नहीं। एक डिस्टलरी का मामला आपको बताते हैं। डिस्टलरी के खिलाफ कार्रवाई हुई। अ-सरदार शराब कारोबारी ने नीचे में तो सेट कर लिया। मगर उपर में दाल गली नहीं। 20 पेटी का आफर लेकर कारोबारी का करिंदा रायपुर पहंुचा बट उसे जमकर डांट पड़ गई। इसके अगले दिन मैंने अ-सरदार को अफसर के सामने गिड़गिड़ाते देखा। कारोबारी ने दोनों हाथ से कान पकड़ा, इस मुद्रा में….साब माफ कर दो। याने पैसा सब कुछ है, ऐसा नहीं कह सकते।

इतिहास दोहरा रहा है

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का इतिहास दोहरा रहा है। आपको याद होगा, अजीत जोगी जब सीएम थे, उन्हें कई लोगों ने विद्याचरण शुक्ल को राज्य सभा में भेजकर टंटा खतम करने का सुझाव दिया था। लेकिन, उन्होंने बिलासपुर से रामाधार कश्यप को झाड़-पोंछ कर बाहर निकाला और उन्हें सांसद बना दिया। ठीक, उसी तरह भूपेश बघेल ने अबकी छाया वर्मा को राज्य सभा में भेजा है। 2003 में जब वीसी ने कांग्रेस छोड़ा था तो कांग्रेस भवन में वीसी के नाम पर कांग्रेसियों ने कालिख पोत दी थी। इस बार अजीत जोगी के नाम पर कालिख पोती गई। तब वीसी ने सात फीसदी वोट लेकर कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया था। अब, देखना दिलचस्प होगा कि इतिहास बदलता है, या दोहराता है।

सीजेसी और नारियल

अजीत जोगी की नई पार्टी का नाम और सिम्बाल क्या होगा, अभी इस पर अंतिम रूप से ऐलान नहीं हुआ है। मगर छत्तीसगढ़ जन कांग्रेस और सिम्बाल के लिए नारियल के नाम पर गंभीरता से विचार चल रहा है। जोगी के कोर ग्रुप के लोग नारियल पर सहमत हैं। इंटरनेट पर भी सर्च कर लिया गया है। नारियल किसी पार्टी का सिम्बाल नहीं है। फिर, छत्तीसगढ़ में नारियल काफी शुभ माना जाता है। लोगों को अपील भी करेगा। सस्ता भी है। ट्रक में लेने पर तीन-चार रुपए ही पड़ेगा। मतदाताओं को नारियल बांटने पर चुनाव आयोग से भी आपत्ति नहीं होगी।

वाह नजीब बाबू!

1975 में रायपुर के कलेक्टर रहे नजीब जंग शनिवार को राजधानी पहंुचे। अभी वे दिल्ली के चर्चित उप राज्यपाल हैं। लिहाजा, पूरे प्रोटोकाल से उनकी आगुवानी की गई। 41 साल पहले उनका ड्राईवर रहा अफरोज को बुलाया गया। अफरोज ने ही उनकी गाड़ी चलाई। नजीब बोले, रायपुर काफी बदल गया है। उधर, अगुवानी करने पहुंचे, रायपुर कलेक्टर ओपी चैघरी को मीडिया वालों ने छेड़ा, रायपुर कलेक्टर रहे आईएएस राज्यपाल बनते हैं। ओपी ने हाथ जोड़ लिया, आपलोग मुझे मरवाओगे!

कलेक्टर्स वार

चीफ सिकरेट्री ने कलेक्टरों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है। इस पर वे कलेक्टरों को निर्देश देते हैं। पिछले हफ्ते एक कलेक्टर ने उन्हंे अपने जिले की उपलब्धि बताई। बताते हैं, सीएस ने उस पर वेरी गुड का रिप्लाई दे दिया। इसके बाद तो कलेक्टरों में एक-दूसरे को कमतर साबित करने की होड़ मच गई। मैंने ये किया तो मैं ये। ऐसा लगा, मानों एक-दूसरे से लड़ जाएंगे।

कोरिया में प्रमोटी?

गरियाबंद कलेक्टर निरंजन दास के हटने के बाद अब मात्र पांच जिले में प्रमोटी आईएएस कलेक्टर बच गए हैं। कभी बारह-बारह जिले के होते थे। ऐसे में, प्रमोटी अफसरों ने सरकार पर प्रेशर बनाना चालू कर दिया है। इसका असर कोरिया में दिख सकता है। कोरिया कलेक्टर एस प्रकाश को दुर्ग शिफ्थ होने की खबर है। उनकी जगह समीर विश्नोई का नाम चल रहा था। मगर ताजा अपडेट यह है कि वहां के लिए समीर के साथ प्रमोटी अफसरों का नाम भी चलने लगा है। हालांकि, प्रमुख दावा तो विश्नोई का है। वे 2009 बैच के आईएएस हैं। दीगर राज्यों में 2010 बैच के आईएएस कब के कलेक्टर बन गए हैं। छत्तीसगढ़ में भी उनके बैच के छह में से पांच कलेक्टर बन गए है। सिर्फ समीर बचे हैं। अब, यह देखना होगा कि अगले लिस्ट में उनका नम्बर लगता है या नहीं।

मुलाजिम से निबट गए साब

लेबर सिकरेट्री एवं आईएफएस अफसर जीतेन कुमार को उनके एक मुलाजिम ने ही निबटा दिया। जीतेन कुमार को लेबर सिकरेट्री से हटाने के लिए जिस वकील ने हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ी, वह पहले लेबर इंस्पेक्टर था। जीतेन कुमाए एंड मंडली ने उसे उसे पेंच लगाकर नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। लेबर इंस्पेक्टर चूकि ला किया था, सो उसने बिलासपुर हाईकोर्ट में वकालत शुरू कर दी। उसने पहला केस जीतेन कुमार के खिलाफ लगाया और उन्हें वन विभाग वापिस भेजवाने में कामयाब हो गया। हालांकि, जीतेन कुमार को बचाने के लिए हाईप्रोफाइल कोशिशें हुई। जीएडी सिकरेट्री दो बार हाईकोर्ट में एपियर हुई। हाईकोर्ट के सख्त आर्डर के बाद भी चतुराई की गई। जितेन कुमार को कमिश्नर से हटाकर सिकरेट्री यथावत रखा गया। इस पर अवमानना याचिका लगाई। इससे हाथ-पांव फुले। और, कोर्ट की छुट्टी खतम होने से पहले सरकार ने जीतेन कुमार की छुट्टी कर दी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक कलेक्टर का नाम बताइये, जिससे पूरा स्टाफ त्राहि माम कर रहा है?
2. चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड ने राजनांदगांव जिले के एक काम के लिए किन तीन सिकरेट्री पर जमकर भड़के?

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