शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

सीएस का टोटका

19 फरवरी

संजय दीक्षित
छत्तीसगढ़ में 10-12 साल से ऐसा ट्रेंड चल रहा है कि आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट चीफ सिकरेट्री नहीं बन पा रहे हैं। याद होगा, 2007 में बीके एस रे ने सीएस बनने की कितनी कोशिशें की थीं। लेकिन, नाकामी ही हाथ आई। सरकार ने उन्हें माध्यमिक शिक्षा मंडल में वनवास पर भेज कर शिवराज सिंह की ताजपोशी कर दी थी। इसके बाद नारायण सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। 2012 में सुनिल कुमार का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सरकार ने नारायण को मंत्रालय से नारायण कर दिया था। उनके बाद एसोसियेशन की कमान बैजेंद्र कुमार ने संभाली। बैजेंद्र छत्तीसगढ़ के पहले ऐसे अफसर हैं, जिन्हें तीन मुख्यमंत्रियों के साथ काम करने का तर्जुबा है। अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह और अभी डा0 रमन सिंह। लिहाजा, पूरे फार्म में होने के बाद भी सही समय पर उन्होंने सन्यास ले लिया। अब आईएएस एसोसियेशन के नए प्रेसिडेंट हैं अजय सिंह। 83 बैच के अजय सीएस विवेक ढांड के बाद दूसरे नम्बर के सीनियर आईएएस हैं। हालांकि, रे से पहिले सुयोग्य मिश्रा एक अपवाद हैं, जो आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट के साथ ही चीफ सिकरेट्री भी रहें। बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि अजय सिंह आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट के साथ जो अपशकून चला आ रहा है, उसे वे ब्रेक करते हैं। या…..।

गुड न्यूज

नया रायपुर के जंगल सफारी में शेरों का एक जोड़ा है, शिवा और रागिनी। शिवा ने रायपुर दौरे में पीएम नरेंद्र मोदी का वेलकम किया था और उसकी फोटो देश भर के मीडिया में छपी थी। रागिनी जरा शर्मिली है। वो मोदीजी के सामने भी नहीं आई थी। उनके बीच से एक गुड न्यूज निकल कर आ रहा है। नन्हा मेहमान का। लिहाजा, रागिनी को विशेष केयर के लिए जंगल सफारी से हटा लिया गया है। उसके बदले में शिवा का नया जोड़ा चित्रा को जंगल सफारी भेजा गया है। चलिये, पीएस फॉरेस्ट आरपी मंडल को आप बधाई दीजिए। उन्होंने वहां खूब मेहनत की थी। पीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।

कांग्रेस के गढ़ में रमन

विधानसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल से ज्यादा वक्त बाकी है। लेकिन, सीएम डा0 रमन सिंह ने तूफानी दौरा चालू कर दिया है। पिछले 45 दिन में उन्होंने 30 विधानसभाओं को कवर किया है। और, खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश कांगेस विधायकों का इलाका है। रमन के नजदीकी लोग भी मान रहे हैं कि पिछले 13 साल में इतना मेहनत करते कभी नहीं देखा। दिल्ली में दिन भर मीटिंगों के बाद भी वे शाम को लौटने पर मंत्रालय पहुंच जा रहे हैं। 16 फरवरी को बिलासपुर के कोटा के थकाने वाले कार्यक्रम से लौटने के बाद उन्होंने सीएम हाउस में लोक समाधान शिविर का प्रेजेंटेशन देखकर उसे फायनल किया। बहरहाल, कांग्रेस के गढ़ में सरकार का धावा बोलना, कांग्रेस पार्टी के लिए चिंता का सबब हो सकता है।

तीन सदस्यीय कमेटी

लोक सुराज अभियान का सरकार ने नाम और स्वरूप बदल दिया है। अब लोक समाधान शिविर होंगे और मौके पर ही समस्याओं का निबटारा किया जाएगा। इस दौरान न तो कोई लोकार्पण होंगे और न शिलान्यास। सीएम सिर्फ काम की दो टूक बात करेंगे। 3 अप्रैल से 20 मई तक चलने वाले लोक समाधान के लिए सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। सिकरेट्री टू सीएम सुबोध सिंह, ज्वाइंट सिकरेट्री टू सीएम रजत कुमार और डायरेक्टर पीआर राजेश सुकुमार टोप्पो। बताते हैं, बाद में राजेश को कोआर्डिनेटर बनाया इस अभियान को उनके हवाले कर दिया जाएगा।

लिटमस टेस्ट

लोक समाधान शिविर कलेक्टरों के लिए लिटमस टेस्ट होगा। सरकार को पता चल जाएगा कि उनके कलेक्टर्स कितने पानी में हैं। वरना, लोक सुराज में दिन में पारफारमेंस ठीक ना भी रहा तो शाम को रोड शो में तमाशेबाजी कर कलेक्टर अपनी पीठ थपथपवा लेते थे। लेकिन, सरकार अबकी ऐसा कोई मौका देने वाली नहीं। सरकार सिर्फ और सिर्फ आवेदनों का निराकरण देखेगी। उसी आधार पर कलेक्टरों की नई रैंकिंग तय होगी। और पोस्टिंग भी।

ट्रांसफर अब मई एंड में

कलेक्टरों के ट्रांसफर अब 20 मई के बाद ही होंगे। इससे पहिले शीतकालीन सत्र के जस्ट बाद कलेक्टरों के तबादले होने थे। मगर कैशलेस अभियान ने तब ब्रेक लगा दिया था। इसके बाद कलेक्टर कांफ्रेंस के चलते ट्रांसफर टल गए। जाहिर है, कांफ्रेंस में सरकार ने कलेक्टरों को तीन महीने का टास्क दिया था। लिहाजा, अप्रैल फर्स्ट वीक में कलेक्टरों की लिस्ट निकलना तय माना जा रहा था। लेकिन, लोक समाधान शिविर के चलते एक बार फिर मई तक ट्रांसफर टल गए हैं। अलबत्ता, एकाध दागी कलेक्टरों को सरकार बदल दे तो बात अलग है।

बहू भारी पड़ गई

एसीबी ने नौ आफिसरों के यहां छापा मारा, इनमें से एक को तो उनकी बहू ने ही निबटा दिया। पता चला है, अफसर और उसका परिवार लंबे समय से बहू को प्रताड़ित कर रहा था। जब बर्दाश्त की सीमा पार हो गई तो बहू और उसके मायके वालों ने ससुर की काली कमाइयों की शिकायत एसीबी में कर दी। वह भी पूरे दस्तावेजों के साथ। और, जब बहू ही ससुर के भ्रष्टाचार के खिलाफ सामने आ रही है तो एसीबी कहां चूकने वाली थी।

भूपेश का बाउंसर

पीसीसी चीफ आजकल अफसरों पर खतरनाक बाउंसर फेंक रहे हैं। पहला निशाना उन्होंने बस्तर के पूर्व आईजी एसआरपी कल्लूरी को बनाया। दो साल से क्रीज पर डटकर नक्सलियों से लोहा ले रहे कल्लूरी पर भूपेश ने ऐसा बॉल फेंका कि उसमें वे उलझ गए। कल्लूरी ने सीधे भूपेश को चैलेंज कर दिया कि उनके हटने से अगर बस्तर में नक्सलवाद का खातमा हो जाएगा, तो एक घंटे में यहां से चले जाएंगे। गौर कीजिएगा, कल्लूरी की लाइन एन लेंग्थ वहीं से गड़बड़ाई और वे अपना विकेट गवां बैठे। भूपेश ने दूसरा तेज बॉल एसीबी चीफ मुकेश गुप्ता पर फेंका है। उन्होंने मुकेश को ललकारते हुए उनके मर्द होने पर ही सवाल उठा दिया है। अब यह देखना इंटरेस्टिंग होगा कि मुकेश मंजे हुए बैट्समैन की तरह क्रीज पर डटे रहते हैं या कोई गलती तो नहीं कर बैठेंगे।

जय श्रीराम

सौगंध राम की खाने के बाद भी बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनवा पाई। मगर बीजेपी के शासन वाले छत्तीसगढ़ में बिना किसी हो-हल्ला के राम मंदिर का निर्माण हो गया। रायपुर के वीआईपी रोड पर विश्व हिन्दू परिषद ने भव्य राम मंदिर बनाया है। चलिये, अयोध्या में राम मंदिर नहीं बना, रायपुर में तो बन गया। बीजेपी यहां गर्व से जय श्रीराम तो बोल सकती है।

हफ्ते का व्हाट्सएप

अब कहीं, शराब बेचने की ड्यूटी न लग जाए….? सहमे हुए हैं मास्टर…..।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस जिले के कलेक्टर की सीएम सचिवालय में ज्वाइंट सिकरेट्री की पोस्टिंग हो सकती है?
2. स्पेशल डीजी नक्सल डीएम अवस्थी ने अपनी एक्टिविटी क्यों तेज कर दी है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें