गुरुवार, 12 अक्तूबर 2017

लोभी आईएएस!

संजय दीक्षित
 8 अक्टूबर

राबर्ट हरंगडौला को उपर वाले ने क्या नहीं दिया। आईएएस में सलेक्ट हुए। करोड़ में एकाध तो चुने जाते हैं....ढाई करोड़ वाले छत्तीसगढ़ में अबकी एक का ही नम्बर लग सका। बात राबर्ट की....उसने बिलासपुर में कमिश्नर रहते करोड़ों की मिल्कियत बनाई। यहां से रिटायर होने के बाद भी किस्मत ने साथ नहीं छोड़ा। मिजोरम में चीफ इंफारमेशन कमिश्नर की कुर्सी पा गए। लेकिन, धन का अनियंत्रित लोभ ने उन्हें कहीं का नहीं रखा। ड्रग तस्करी में जेल चले गए। अब नाम बदनाम हो रहा है छत्तीसगढ़ का। देश के सारे मीडिया में छप रहा है....छत्तीसगढ़ कैडर का रिटायर आईएएस ड्रग तस्करी में जेल गया।


नस्ल खराब


राज्य बंटवारे के समय दिग्विजय सिंह ने छांट-छांट कर राबर्ट नस्ल के अधिकांश आफिसर्स छत्तीसगढ़ को टिका दिया। इन अफसरों ने 2005-06 तक छत्तीसगढ़ को सिर्फ-और-सिर्फ लूटने का काम किया। असल में, सब भोपाल से अनुभव लेकर आए थे.....जानते थे, राजधानी के आसपास इंवेस्टमेंट का क्या मतलब होता है। रायपुर के चारों दिशाओं में आप पता कर लीजिए, आईएएस, आईपीएस के एकड़ों में जमीन मिलेंगी। इन अफसरों की देखादेखी डेपुटेशन पर आए एक आईएएस ने नया रायपुर के पास इकठ्ठे 70 एकड़ लैंड खरीद लिया। अब, उन्हें रात में नींद नहीं आ रही है कि इतने पैसों को आखिर वह क्या करेगा। बहरहाल, भ्रष्टाचार का ठीकरा नए आईएएस अफसरों पर नहीं फोड़ना चाहिए। दोष राबर्टों का है। राबर्ट जैसे आईएएस ही छत्तीसगढ़ का नस्ल खराब कर डाले।


सीनियर्स जिम्मेदार


सीएम के कार्यक्रमों के लिए अगर सीएम सचिवालय को मानिटरिंग करनी पड़ रही है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं , कलेक्टरों की क्या स्थिति है। हमारा मानना है, इसके लिए सीधे तौर पर सीनियर आईएएस....खासकर कलेक्टर जिम्मेदार हैं। यंग आईएएस की ट्रेनिंग ढंग से नहीं हो रही है। पहले के जमाने में कलेक्टरों के सामने प्रोबेशनरों की कुर्सी पर बैठने की हिम्मत नहीं होती थी। 89-90 का एक वाकया आपको बताते हैं। रायपुर के कलेक्टर आफिस में एक प्रोबेशनर एसडीएम की जीप में आ गया। कलेक्टर भड़क गए...कल के लड़के....प्रोबेशन में तुम जीप लेकर घूम रहे हो। और अब....कलेक्टर नए आईएएस के हमप्याला बन जा रहे हैं....। कमिश्नर और सीईओ कलेक्टरों के मुंंहलगा हो जा रहे हैं....यार टाईप। ऐसे में, भला-बुरा पर उन्हें टोके कौन।

किस्मत के धनी हैं जोगी


रेणु जोगी का एक बड़ा दिलचस्प बयान आया है....उन्होंने दो टूक कहा है कि वे कांग्रेस में बनी रहेंगी। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस बनाते समय उनसे पूछा नहीं गया....उन्हें तो अखबारों में खबर देखकर पता चला। अगर ये सही है तो जोगीजी ने बिना रेणु भाभी को बताए, अपने राजनीतिक कैरियर का सबसे बड़ा दांव लगा दिया। रियली जोगीजी किस्मत के धनी हैं। रेणु भाभी की जगह कोई दूसरी होती तो आप समझ सकते हैं, क्या होता।

बजट बड़ा, दिल छोटा


आईजी एचके राठौर 30 सितंबर को रिटायर हुए। उस दिन उनकी बिदाई की औपचारिकताएं भी नहीं निभाई गई। अफसरां ने तय किया, 3 अक्टूबर को सीनियर सिटीजन हेल्पलाईन के कार्यक्रम में उन्हें बिदाई दे दी जाएगी। एक ही नाश्ते-पानी में दो काम निबट जाएगा। बाद में, किसी ने सलाह दी...मैसेज अच्छा नहीं जाएगा। तो फिर 4 अक्टूबर को दोपहर में बिदाई कार्यक्रम रखा गया। वहीं, पीएचक्यू के सर्वहारा वर्ग के कैंटीन से खाने का डिब्बा आया और बिदाई की रस्म अदा कर दी गई। जबकि, पहले यह परिपाटी रही कि किसी आईपीएस के रिटायरमेंट पर पुलिस आफिसर्स मेस में डिनर होता था। रिटायर आफिसर की पत्नी, बच्चों को भी बुलाया जाता था। लेकिन, एसएस मनी 45 लाख से बढ़कर नौ करोड़ पहुंच गया, पर दिल छोटा होता गया। एसएस मनी की बात हम इसलिए कर रहे हैं कि पुलिस महकमे में अलग से कोई बजट होता नहीं। पुलिस वालों को जेब से पैसा निकालने की आदत भी नहीं होती। आईपीएस को तो और नहीं। ट्रेन से लेकर प्लेन तक की टिकिट थानेदार कराते हैं। महकमे में चाय-पानी से लेकर जितने भी कार्यक्रम होते हैं, वो सिक्रेट सर्विस मनी से ही होते हैं। इस पैसे का कोई हिसाब नहीं होता। नो आडिट। एक पुराने डीजीपी ने इसका खूब सदुपयोग किया। किताब लेखन के साथ ही इसी पैसे से नेशनल, इंटरनेशनल वर्कशॉप करा डाले। लेकिन, 30-32 बरस सेवा करने वाले अफसर की बिदाई नहीं।

मंत्रियों को किया आगे


चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, सरकार आक्रमक होती जा रही है। पहले बड़े-से-बड़े विपक्षी हमलों पर मंत्री आगे नहीं आते थे लेकिन, अब आलम यह है कि नेता प्रतिपक्ष टीए सिंहदेव अंबिकापुर बोनस उत्सव में नाराज क्या हुआ, उन पर पलटवार करने के लिए आदिवासी सांसद और मंत्री को भिड़ा दिया गया। दोनों ने बयान जारी कर टीएस पर तंज कसा, राजा नाराज, जनता प्रसन्न।

जातिवाद पर व्हाट्सएप शो


छत्तीसगढ़ के आईएएस के व्हाट्सएप ग्रुप में 5 अक्टूबर को जातिवाद पर जमकर टॉक शो चला। हुआ यह कि एक अफसर ने दिल्ली के एक आईएएस के जातिवाद पर कमेंट को यह कहते हुए लोकल ग्रुप में शेयर कर दिया कि आईएएस अफसरों को अपना सरनेम हटा लेना चाहिए...इससे जातिवाद की बू आती है। इसके बाद तो कई आईएएस इसमें टूट पड़े। एक सीनियर अफसर ने लिखा...भाई! मैंने तो पहिले से ही हटा लिया है...वरना लोग मुझे सरकार का आदमी समझते थे। देर शाम जातिवाद पर ज्ञान झाड़-झाड़कर जब अफसर थक गए तो जाकर पोस्ट बंद हुआ।

सौरभ चले विलायत


दंतेवाड़ा कलेक्टर सौरभ कुमार का देश के चुनिंदा चार आईएएस में सलेक्शन हुआ है, जो लोग लंदन के स्कूल ऑफ इकॉनोमिस में ई-गर्वनेंस का कोर्स करेंगे। इनमें तीन कलेक्टर हैं और एक राजस्थान के सिकरेट्री। कलेक्टरों में सौरभ के अलावा हैदराबाद और नालदां के कलेक्टर शामिल हैं। स्कूल ऑफ इकॉनोमिस पीएमओ अवार्ड वाले चार अफसरों को हर साल चुनता है। सौरभ आज दिल्ली के लिए रवाना हो गए। वहां से कल दोपहर लंदन के लिए उड़ान भरेंगे।


काम कम, आफिस बड़ा


वन मुख्यालय 14 अक्टूबर से नया रायपुर में शिफ्थ हो जाएगा। न्यू बिल्डिंग में पूरे 300 कमरे हैं। इन तीन सौ कमरे का क्या करेंगे, फॉरेस्ट आफिसर भी नहीं समझ पा रहे हैं। क्योंकि, जंगल कटते जा रहे हैं, काम सिमटते जा रहे हैं....अफसरों की संख्या भी साल-दर-साल घटती जा रही है। वैसे, जरूरत 100 कमरे की भी नहीं थी। लेकिन, बड़ा नहीं बनता तो नगद नारायण ज्यादा कैसे मिलता। आजकल सरकारी योजनाएं बनाने के समय ही कैलकुलेट कर लिया जाता है, इसमें हमारा कितना बनेगा। ऐसा है.....तो फिर गलत नहीं है।         

अंत में दो सवाल आपसे


1. रुलिंग पार्टी से जुड़े किस राजा का एक पावरफुल लेडी अफसर के साथ रिश्तों को लेकर कानाफूसी हो रही है?
2. रेरा का मेम्बर बनने के लिए किस आईएएस ने अनुष्ठान कराया है?


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