गुरुवार, 7 दिसंबर 2017

धमाकों का नवंबर?

5 नवंबर
धमाकों का नवंबर?
नवंबर ब्यूरोक्रेसी के लिए धमाकों का महीना हो सकता है। वैसे भी, मंथ शुरू होने से एक रोज पहिले सरकार ने कई विभागों के सचिवों को बदल दिया। जिन्होंने सपने में भी नहीं सोचा, उनका प्रमोशन हो गया। अब राज्योत्सव के बाद देखते जाइये….क्या-क्या होता है। अगले हफ्ते रेरा चेयरमैन के लिए कमिटी की बैठक हो सकती है। रेरा चेयरमैन की शर्तों के अनुसार सलेक्ट आफिसर को सरकारी पद छोड़ना होगा। चीफ सिकरेट्री होने के नाते विवेक ढांड स्वाभाविक तौर पर इस पोस्ट के मजबूत दावेदार हैं। सूचना आयोग की बात अलग थी। रेरा प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसका गठन न होने से रियल इस्टेट का काम भी गड़बड़ा रहा है। फिर, रेरा कमिटी में हाईकोर्ट के जस्टिस भी मेम्बर हैं। लिहाजा, सूचना आयोग जैसा भी नहीं किया जा सकता कि अपाइंट कर दिए, ज्वाइनिंग बाद में होगी। ऐसे में, प्रशासनिक हल्को में मेजर चेंज होना तय माना जा रहा है। 87 बैच के तीनों आईएएस इस महीने एसीएस बन सकते हैं। इसी महीने कद्दावर आईएएस एमके राउत भी सेवानिवृत्त होंगे। राउत की छबि न केवल एक दबंग नौकरशाह की है बल्कि रिजल्ट देने वाले आईएएस के रुप में जाने जाते हैं। सरकार को टाईम पीरियड में कोई काम करना होता था, तो जेहन में एकमात्र नाम आता था….राउत का। यह शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी कि सुनिल कुमार के रिटायर होने के बाद किसी अफसर के हटने से ब्यूरोक्रेसी में वैक्यूम आएगा….सचिवालय हल्का लगेगा, तो वे राउत ही हैं। इससे इतर खबर है, सरकार आईपीएस लेवल पर भी एक अहम सर्जरी करने का खाका बना रही है। इसमें कुछ दिग्गज आईपीएस निबट सकते हैं। आईएफएस में पीसीसीएफ भी इसी महीने रिटायर होंगे। जाहिर है, 30 नवंबर को नए पीसीसीएफ का भी ऐलान हो जाएगा।

चेहरा और चरित्र

ब्यूरोक्रेसी के भावी निजाम की चाल भले ही बहुत तेज ना हो, मगर चेहरा और चरित्र पर एतबार किया जा सकता है। हालांकि, इससे पहिले के दो चीफ सिकरेट्री…..अशोक विजयवर्गीय और पी जाय उम्मेन भी चाल में तेज नहीं थे। उम्मेन के जमाने में फाइलों की धीमी रफ्तार पर लोग खूब चटखारे लेते थे। लेकिन, दोनों ने अपना चेहरा और चरित्र बेदाग रखा। विजयवर्गीय और उम्मेन जैसे बे-चाल अफसरों ने भी चीफ सिकरेट्री की गरिमा कम नहीं होने दी। भावी सीएस की छबि प्रिंस वाली जरूर रही है…मगर उनका कोई दीगर काम-धाम नहीं है। इसलिए, साफ-सुथरे प्रशासन की उम्मीद की जा सकती है।

राउत और मंडल का मिथक

सरकार ने एमके राउत के रिटायर होने के बाद आरपी मंडल को नेक्स्ट रुरल डेवलपमेंट सिकरेट्री बनाने का आदेश जारी कर दिया है। 1 नवंबर को मंडल दूसरी बार ग्रामीण एवं पंचायत विभाग संभालेंगे। मंडल की पोस्टिंग से ब्यूरोक्रेसी की इस मिथक पर सरकार ने मुहर लगा दिया है कि राउत का विभाग मंडल को मिलता है। इससे पहिले मंडल को राउत से ही लेबर मिला था। सिर्फ लेबर ही नहीं, मंडल ने रेवन्यू, फॉरेस्ट, स्कूल एजुकेशन, ट्राईबल, पीडब्लूडी, अरबन एडमिनिस्ट्रेशन किया है। ये सभी डिपार्टमेंट राउत के पास रहे हैं। राउत को पंचायत दूसरी बार मिला तो अब मंडल को सरकार ने फिर से यह विभाग सौंप दिया है। ये अलग बात रही कि राउत की किस्मत ने साथ नहीं दिया। टाईम कम होने और विवेक ढांड के क्रीज पर जम जाने के चलते उन्हें चीफ सिकरेट्री बनने का मौका नहीं मिल पाया। अब ब्यूरोक्र्रेसी में उत्सुकता है कि राउत और मंडल का मिथक आगे भी कायम रहेगा या फिर मंडल इसे तोड़ कर चीफ सिकरेट्री बनने में कामयाब होंगे।

जय गणेश देवा!

सरकार ने पहली बार नौकरशाहों को दोनों हाथ से दिया….छह सिकरेट्रीज 14 महीने पहिले प्रिंसिपल सिकरेट्री बन गए। दीगर राज्यों में भी शायद ही ऐसा कभी हुआ हो। सरकार बहुत खुश होती है तो छह महीना, साल भर पहले प्रमोशन दे देती है। लेकिन, अबकी विकास शील, निधि छिब्बर, रीचा शर्मा, मनोज पिंगुआ, निवर्तमान आईएएस गणेश शंकर मिश्रा की तो लाटरी ही निकल पड़ी। लेकिन, सरकार को इसका क्रेडिट नहीं मिला। पूरा श्रेय गणेश शंकर मिश्रा लूट ले गए। जिन अफसरों को पीएस बनाया गया है, उनमें सिर्फ अमित अग्रवाल अगले साल जनवरी में प्रमोट हो जाते। लेकिन, बाकी का नम्बर 2019 में आता। अव्वल, ये सभी डायरेक्ट आईएएस हैं। ये सभी अब, जय गणेश देवा….कर रहे हैं। दरअसल, गणेश शंकर का लिस्ट में आखिरी नाम था। उपर वालों का प्रमोशन दिए बिना गणेश शंकर का नम्बर लगता नहीं। अफसरों को लग रहा है….गणेशजी के चक्कर में हम सभी गंगा नहा लिए। ऐसे में, जय गणेश देवा तो बनता ही है….।

मैं भी सीडी

सीडी पर उठे सियासी तूफान के बीच कांग्रेस के बड़े नेता चरणदास महंत कांग्रेस भवन में पीसीसी चीफ भूपेश बघेल से मुलाकात करके बाहर निकल रहे थे। मीडिया वालों ने उनसे पूछ लिया, महंतजी, सीडी पर कुछ बोलिये! महंत बोले, मैं खुद सीडी हूं….सीडी पर क्या बोलूं….चीर परिचित ठहाका लगाते हुए गाड़ी में बैठ गए। जाहिर है, चरणदास को शार्ट में लोग दाउ या सीडी कहते हैं।

हिट विकेट!

आईएएस अविनाश चंपावत हिट विकेट होकर सरगुजा चले गए। सरगुजा जाने का मतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहिले वहां से लौटने का कोई चांस नहीं। 2003 बैच के चंपावत रेगुलर रिक्रूट्ड आईएएस हैं। चंपावत पर सरकार की भृकुटी इसलिए चढ़ी कि उनका अपने अफसरों के साथ टकराव शुरू हो गया था। बताते हैं, बात कोई बड़ी नहीं थी। सीनियर ब्यूरोक्रेट्स या आईएएस एसोसियेशन चाहता तो समझा-बूझाकर इस अप्रिय एपीसोड को समाप्त करा सकता था। इससे सरकार की भी किरकिरी नहीं होती। मगर तरकश के सवालों पर मंत्रालय में त्राहि माम मचा देने वाले ब्यूरोक्रेट्स अपने साथी को हिट विकेट हो जाने दिया। वैसे, छोटे-छोटे कारपोरेट हाउसों में एचआर डिपार्टमेंट होता है। एचआर अपने लोगों के प्राब्लम का पता लगाकर उसे शार्ट आउट करने का प्रयास करता है ताकि हाउस काम प्रभावित न हो। जीएडी का भी काम भी एचआर की तरह ही होता है। लेकिन, ब्यूरोक्रेसी में आक्व्ड सिचुऐशन क्यों निर्मित हो रहा है, जीएडी के पास इसके लिए फुरसत नहीं है।

स्पेशल सिकरेट्री ओरियेंटेड

सरकार ने दो और स्पेशल सिकरेट्री को विभागों की कमान सौंप दी है। प्रसन्ना आर को स्पेशल सिकरेट्री समाज कल्याण, युवा एवं खेल तथा संगीता आर को लेबर का स्वंतत्र प्रभार ही नहीं बल्कि लेबर कमिश्नर का दायित्व भी सांप दिया है। संगीता को तो सरकार ने जबर्दस्त कद बढ़ाया है। लेबर में अब तक प्रिंसिपल सिकरेट्री से नीचे कभी कोई अफसर नहीं रहा। नारायण सिंह से लेकर विवेक ढांड, एमके राउत, आरपी मंडल, केडीपी राव जैसे सीनियर आफिसर लेबर संभाल चुके हैं। उससे पहिले मूर्ति और राबर्ट हरंगडौला भी पीएस लेवल के थे। ढांड और राउत तो एसीएस रहे। सरकार ने ऐसे विभाग में कई बड़े अफसरों को नजरअंदाज करते हुए संगीता पर भरोसा जताया है तो उनके लिए यह बड़ी बात होगी। बहरहाल, मंत्रालय में फुलफ्लैश विभाग संभालने वाले स्पेशल सिकरेट्री की संख्या बढ़कर अब आठ हो गई है….डा0 कमलप्रीत सिंह, डा0 रोहित यादव, सिद्धार्थ कोमल परदेशी, रीना बाबा कंगाले, प्रसन्ना, मुकेश बंसल, राजेश सुकुमार टोप्पो और संगीता।

जोर का झटका

पोर्न स्टार सनी लियोनी कंसर्ट के आयोजकों को रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी ने जोर का झटका बड़े धीरे से दिया। 3 नवंबर को आयोजक यह मान लिए थे कि अब विरोध खतम हो गया है। यही सोचकर पासों का बंडल लेकर ओपी के पास पहुंचे। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं, पास लेने से ओपी ने मुस्कुराते हुए मना कर दिया….कार्यक्रम मेंं जाने का मेरे पास समय कहां होता है। आयोजक बोले, साब…अब कोई विरोध नहीं करेगा….बात हो गई है, मीडिया में भी अब कुछ नहीं आएगा। ओपी ने कहा, मैं देखता हूं। आयोजक बेफिकर होकर निकले, पीछे से एडीएम का आर्डर निकल गया, अनुमति नही मिलेगी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. सत्ता के गलियारों में किस…..भाभी की चर्चा बड़ी तेज है, जो आईएएस अफसरों को नचा भी रही है और भिड़ा भी रही….?
2. कटप्पा ने बाहुबलि को क्यों मारा, बाहुबलि-2 में इसका जवाब मिल गया….लेकिन, सेक्स सीडी एपीसोड में 12 घंटे के भीतर असली सीडी किसने और कैसे ढूंढ़ निकाली….इसे कोई बताएगा?

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