मंगलवार, 2 जनवरी 2018

डीआईजी का गिफ्ट

31 दिसंबर
भारत सरकार से प्रमोशन के लिए सहमति नहीं आने की वजह से डीआईजी का प्रमोशन अब नए साल में ही हो पाएगा। हालांकि, डीआईजी में ज्यादा दिक्कत नहीं है। मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर से एक लाईन का आर्डर भर मंगाना है। चूकि, शनिवार, रविवार छुट््टी है। सो, संकेत हैं फर्स्ट वीक ऑफ जनवरी में किसी भी दिन डीआईजी की डीपीसी हो जाएगी। डीआईजी की डीपीसी में भारत सरकार के प्रतिनिधि की जरूरत भी नहीं होती। सीएस, पीएस होम और डीजीपी बैठकर कभी भी इस पर मुहर लगा सकते हैं। वैसे, आमतौर पर ईयर एंड तक एमएचए से रुटीन प्रमोशन के लिए अनुमति मिल जाती थी। लेकिन, डीजी के दो नए पदों के चक्कर में अबकी डीआईजी का मामला गड़बडड़ा गया। चलिये, ज्यादा लेट नहीं होगा। नए साल में सरकार प्रमोशन का गिफ्ट देगी। जाहिर है, पांच जिलों के एसपी समेत 11 आईपीएस डीआईजी बनने की बाट जोह रहे हैं।

एसपी की लिस्ट

एसपी की लिस्ट साल के आखिरी दिन या फिर उसके दो-तीन दिन के भीतर  निकलने की चर्चा है। बताते हैं, उच्च स्तर पर मंथन के बाद सरकार ने सूची तैयार कर ली है। लिस्ट को लेकर सरकार में असमंजस इसलिए थी कि भारत सरकार से डीआईजी के प्रमोशन के लिए हरी झंडी नहीं आई है। लेकिन, सरकार में बैठे लोग अब मान रहे हैं कि बाध्यता नहीं है कि डीआईजी बनने जा रहे एसपी को प्रमोशन के बाद ही वहां से हटाया जाए। ट्रांसफर के बाद भी उनका प्रमोशन किया जा सकता है। ऐसे में, अत्यधिक संभावना है कि 3 january से पहिले सरकार एसपी की लिस्ट जारी कर दे। हालांकि, 2008 में 31 दिसंबर को ऐसा ही हुआ था, जब लेट नाईट सरकार ने आईपीएस की लिस्ट जारी कर चौंका दिया था। वैसे, लिस्ट बड़ी होगी। 13 से 14 जिले इससे प्रभावित होंगे।

पारुल की याद

2008 बैच की आईपीएस पारुल माथुर को रेलवे एसपी बनाकर लगता है, सरकार भूल गई है। पारुल को रेलवे में गए तीन बरस से ज्यादा हो गए हैं। पारुल रिटायर आईपीएस राजीव माथुर की बेटी हैं। उनके पिता को भी जब वो अहमियत नहीं मिली, जिसके वे हकदार थे, तो उन्होंने 2007 में भारत सरकार का रुख कर लिया था। बहरहाल, पारुल बेमेतरा की एसपी रह चुकी हैं। फेमिली कारणों के चलते वे बेमेतरा से ही छुट्टी पर गईं थीं। इसके बाद उन्हें जिला नहीं मिला। राज्य में अभी दो महिला एसपी हैं। नेहा चंपावत महासमुंद और नीथू कमल मुंगेली। नेहा डीआईजी बनने वाली हैं और नीथू जा रही हैं सीबीआई डेपुटेशन पर। ऐसे में, सरकार को कहीं पारुल की याद आ गई तो उन्हें जिला मिल सकता है। वरना….।

प्रशासन अकादमी की रेटिंग?

छत्तीसगढ़ में जिन संस्थाओं को पोस्टिंग के हिसाब से लूप लाईन माना जाता था, सरकार ने लगता है उसकी रेटिंग बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है। मसलन, प्रशासन अकादमी। अकादमी एक्चुअल में डंप करने वाली पोस्टिंग मानी जाती थी। किसी से सरकार नाराज है तो उसे प्रशासन अकादमी भेज दिया जाता था। मगर इन दिनों दिल्ली डेपुटेशन से जो सीनियर आईएएस छत्तीसगढ़ आ रहे हैं, उन्हें सबसे पहिले प्रशासन अकादमी का डायरेक्टर जनरल बनाया जा रहा है। सीके खेतान को तो दिल्ली से लौटते ही इसका जिम्मा मिल गया था। गौरव द्विवेदी के टाईम तो प्रशासन अकादमी का क्रेज कुछ ज्यादा ही बढ़ा दिया गया। गौरव 25 नवंबर को सरकार में ज्वाईनिंग दिए थे। ठीक एक महीना बाद उन्हें 24 दिसंबर को प्रशासन अकादमी का डीजी अपाइंट किया गया। लोग अब चुटकी ले रहे हैं….प्रशासन अकादमी के लिए महीने भर का वेट….सरकार का ये कैसा हिसाब? अब कोई कुछ भी कहें, जाहिर है अकादमी की रेटिंग बढ़ रही है।

ग्रह-नक्षत्र

प्रशासन अकादमी की पोस्टिंग से आईएएस गौरव द्विवेदी को झटका लगा होगा। मगर ऐसा देखा जा रहा है, डेपुटेशन से लौटने के बाद सरकार जिन अफसरों को झूला कर पोस्टिंग देती है, उनके कई ग्रह-नक्षत्र शांत हो जाते हैं….भारत सरकार की खुमारी भी उतर जाती है। सीके खेतान को प्रशासन अकादमी में पोस्टिंग के 15 दिनों के भीतर ही सरकार ने उन्हें एसीएस फॉरेस्ट का आर्डर निकाल दिया था। यहीं नहीं, पीएस होम सुब्रमण्यिम को पटखनी देकर खेतान अपने बैच में सीनियरिटी की लड़ाई जीत गए हैं। वे अब आगे चलकर चीफ सिकरेट्री के तगड़े दावेदार हो जाएंगे। इसी तरह अमिताभ जैन को भी सरकार ने महीने भर तक बिना विभाग का रखा। उसके बाद उन्होंने धमाकेदार पारी शुरू की। पीडब्लूडी के बाद अब वे सबसे अहम विभाग फायनेंस और टैक्सेशन विभाग संभाल रहे हैं। अमित अग्रवाल को भी झुलाया गया था। लेकिन, विभाग उन्हें भी बाद में बढ़ियां मिला। फायनेंस। ये अलग बात है कि उन्होंने खुद ही मैदान छोड़ दिया। और, डा0 आलोक शुक्ला? बेहद काबिल इस आईएएस अफसर को याद होगा, सरकार ने लाल जाजम बिछा कर स्वागत किया था। आलम यह था कि चुनाव आयोग से छत्तीसगढ़ के लिए रिलीव होने के पहिले ही फूड और हेल्थ विभाग का आर्डर निकल गया था। लेकिन, आलोक राहू के ऐसे शिकार हुए कि उनका सब कुछ खतम हो गया। अब ऐसा है तो….ठीक है।

अंसारी का जाना

छत्तीसगढ़ में सीनियरिटी में दूसरे नम्बर के आईपीएस डब्लूएम अंसारी 31 जनवरी को रविवार होने के चलते एक दिन पहिले 30 दिसंबर को रिटायर हो गए। अंसारी एएन उपध्याय से वरिष्ठ होने के बाद भी डीजीपी नहीं बन पाए और ना ही छत्तीसगढ़ में उन्हें ढंग की पोस्टिंग मिली। इससे उन्हें शायद कोई रंज नहीं होगा। जितना दुख रिटायरमेंट के 15 दिन पहिले उनसे विभाग छीनने से हुआ होगा। भारत सरकार ने एक अत्यंत छोटे मामले में डीई का आदेश दिया है। भारत सरकार का लेटर आते ही गृह विभाग इतना हरकत में आया कि अंसारी के रायपुर से बाहर होने के बाद भी पवनदेव को एकतरफा चार्ज दिलवा दिया। अंसारी की इस कदर बिदाई से आईपीएस अफसर ही नहीं बल्कि लोग भी सकते में हैं। दरअसल, सरकार का ऐसा चरित्र रहा नहीं है कि किसी अफसर को जाते-जाते ऐसा सलूक किया जाए। दो डीई के बाद भी राधाकृष्ण को सम्मानपूर्वक चेन्नई जाने दिया गया। फिर, छत्तीसगढ़ में तो विभागीय जांच वाले आईएएस ठसके से कलेक्टरी कर रहे हैं। कांकेर कलेक्टर टामन सिंह सोनवाने को भ्रष्टाचार के मामले में जब नारायणपुर कलेक्टर थे, डीई शुरू हुई थी। इसके बाद उन्हें हटाने की बजाए कांकेर जैसे जिले का कलेक्टर बनाकर उनका वजन बढ़ा दिया गया। और, राज्य सरकार अगर केंद्र का पैटर्न अपना लें तो छत्तीसगढ़ के सारे आईएएस, आईपीएस के खिलाफ उसे विभागीय जांच शुरू करनी पड़ जाएगी।

सौदान का कैंप

चुनाव के एक साल पहिले सौदान सिंह जैसे नेता का बस्तर में कैंप करने का मतलब आप समझ सकते हैं। दरअसल, सरकार के तमाम बोनस और सौगातों के बाद भी बीजेपी की बस्तर में स्थिति सुधर नहीं रही है। सरकार तो वहां अपना काम कर आती है, वहां के लोकल लीडर घर से निकल नहीं रहे हैं। बस्तर से दो मंत्री हैं, दोनों सुरक्ष़्ा कारणों से हवा-हवाई हो चुके हैं। पुलिस के हेलिकाप्टर से अपने गांव-घर जाते हैं, और उसी में शाम ढलते ही लौट आते हैं। कोंडगांव से पराजित विधायक लता उसेंडी रायपुर में ही रहती हैं। कोंटा में बीजेपी के संभावित प्रत्याशी के कांग्रेस से सेटिंग की खबर आ रही है। जबकि, कांग्रेसी विधायक दीपक बैज, लखेश्वर बघेल, मोहन मरकाम, कवासी लखमा बेहद सक्रिय हैं। यहां तक कि देवती कर्मा भी गांव-गांव घूम रही हैं। ऐसे में, संगठन ने अगर कुछ नहीं किया तो पिछले बार चार सीट आ गई थी, इस बार और दिक्कत हो सकती है। सौदान इस चीज को समझकर ही बस्तर का रुख किए हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं ने आजकल ताम्रध्वज साहू से मेल-मुलाकात क्यों बढ़ा दिए हैं?
2. डीजी के दो नए पदों की स्वीकृति रोकने के लिए कौन लोग मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर में फोन कर उसे अटकाने के लिए प्रेशर बना रहे हैं?

1 टिप्पणी:

  1. चुनावी साल शुरू
    अब नज़र नज़र आएंगे गुरु ही गुरु

    नववर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाएं!

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