शनिवार, 16 नवंबर 2019

आईएएस, आईपीएस और चपरासी

17 नवंबर 2019
र्शीर्षक देखकर आप चौंक गए होंगे….आईएएस, आईपीएस और चपरासी का क्या कांबिनेशन हो सकता है। लेकिन, सूबे के चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल का काम कराने का जुदा अंदाज है….कई बार वे ऐसे उदाहरण दे देंगे कि….। 15 नवंबर की बात है….मंडल स्कूटी में राजधानी में साफ-सफाई का जायजा लेने निकले। शास्त्री चौराहे पर उन्होंने नगरीय निकाय के अफसरों से कहा, अविभाजित मध्यप्रदेश के समय तीन बड़े शहर होते थे। पहले नम्बर पर इंदौर, दूसरा रायपुर और तीसरा भोपाल। साफ-सफाई में इंदौर देश में पहले नम्बर पर आ गया। भोपाल दूसरा और रायपुर 105 वें पर खिसक गया। मंडल बोले, तीन भाई में से एक आईएएस बन गया, दूसरा आईपीएस तो रायपुर चपरासी जैसा क्यों? आईएएस, आईपीएस नहीं बना तो कम-से-कम उसे आईएफएस तो बनना ही चाहिए था। उन्होंने अफसरों से कहा, रायपुर को किसी भी सूरत में साफ-सफाई में अंडर थ्री लाना है। बताते हैं, सीएम भूपेश बघेल ने नए सीएस को टास्क दिया है कि रायपुर को साफ-सफाई के मामले में अव्वल लाना है।

आईपीएस का लास्ट विकेट

डीजी जेल बीके सिंह 30 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। याने 13 दिन बाद। छत्तीसगढ़ के आईपीएस कैडर के लिए 2019 पहला साल होगा, जिसमें चार आईपीएस रिटायर हो चुके हैं….पांचवे का नम्बर है। इनमें तीन तो डीजी लेवल के। सबसे पहिले गिरधारी नायक। फिर, एएन उपध्याय। और, अब 87 बैच के बीके सिंह। छत्तीसगढ़ जैसे छोट कैडर के लिए यह बड़ा वैक्यूम कहा जाएगा, जिसमें छह महीने के भीतर डीजी लेवल के तीन आईपीएस रिटायर हो गए। इसी साल डीआईजी एसएस सोरी और डीएल मनहर भी रिटायर हुए। कुल मिलाकर पांच। हालांकि, आईएएस में भी इस साल सीएस, एसीएस समेत सात अफसर रिटायर हुए। लेकिन, आईएएस का कैडर बड़ा है।

नो पोस्टिंग का रहस्य!

2006 बैच के आईएएस बसव राजू को राज्य सरकार ने आखिरकार कर्नाटक कैडर के लिए रिलीव कर दिया। कर्नाटक बसव का होम स्टेट है। पिछले सरकार के समय से उनका वहां जाने का चल रहा था। याद होगा, डेपुटेशन फायनल होने के बाद जब वे बंगलुरु जाने के लिए पैकिंग कर रहे थे, तो बाई डिफाल्ट वे रायपुर कलेक्टर बन गए। दरअसल, विधानसभा चुनाव के ऐन पहिले रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी के इस्तीफा दे देने के बाद सरकार अंकित आनंद को रायपुर का कलेक्टर बनाना चाहती थी। इसके लिए चुनाव आयोग को तीन नामों का पैनल भेजा गया। लेकिन, आयोग ने दूसरा पैनल मांग लिया। इसमें भी अंकित का नाम सबसे उपर था। सिर्फ कोरम पूरा करने के लिए बसव राजू का नाम नीचे जोड़ा गया था। बट चुनाव आयोग ने सबसे नीचे वाले नाम पर टिक लगा दिया। और, बसव राजधानी रायपुर के कलेक्टर बन गए। उन्होंने विधानसभा चुनाव कराया और फिर लोकसभा भी। एक समय जब यह कहा जाने लगा था कि बसव अब पिच पर टिक गए हैं, अब वे शायद ही कर्नाटक जाएं, लोकसभा चुनाव के बाद मई एंड में बसव का अचानक विकेट उखड़ गया। इसके बाद से वे बिना विभाग के थे। कहां रायपुर के कलेक्टर और एकदम से जमीन पर….ब्यूरोक्रेसी भी स्तब्ध थी….आखिर हुआ क्या। बसव की नो पोस्टिंग अब भी रहस्य के घेरे में है।

छोटा जिला, बड़ा काम

कलेक्टर कांफ्रेंस और फूड डिपार्टमेंट के रिव्यू में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए कि बड़े जिलों की तुलना में छोटे जिले आउटस्टैंडिंग काम कर रहे हैं। सीएस आरपी मंडल ने जिन जिलों के कामों की तारीफ की, उनमें सूरजपुर, कोंडगांव, दंतेवाड़ा, गरियाबंद और सुकमा शामिल हैं। कलेक्टर कांफ्रेंस की खास बात यह रही कि सुबह दस बजे से दोपहर ढाई बजे तक चली बैठक में नो ब्रेक रहा। साढ़े चार घंटे तक तेज रफ्तार में चली बैठक में कई कलेक्टर पसीने पोंछते नजर आए। दरअसल, कलेक्टरों को यह भ्रम था कि सीएस फील्ड के अफसर हैं, आंकड़ों में उलझाकर वे सफाई से निकल लेंगे। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। मंडल पूरी तैयारी से बैठक में आए थे। वे जब पूछना शुरू किए….मिस्टर! तुम्हारे जिले में फलां महीने में, फलां प्रकरण का इतने ही निबटारा क्यों हुए….कलेक्टर लगे बगले झांकने। सीएस के निशाने पर अधिकांश बड़े जिलों के कलेक्टर रहे। छोटे जिलों में नारायणपुर का पारफारमेंस पुअर रहा। देश के 110 आकांक्षी जिलों में नारायणपुर का नम्बर 104वां है।

जेल किसे?

डीजी जेल और होमगार्ड बीके सिंह इस महीने रिटायर होंगे तो उनकी कुर्सी कौन संभालेंगे, पीएचक्यू में यह बड़ा सवाल है। जेल और होम गार्ड में अभी तक डीजी लेवल के अफसर ही पोस्टेड रहे हैं। वासुदेव दुबे से लेकर राजीव माथुर, संतकुमार पासवान, गिरधारी नायक, बीके सिंह सभी डीजी रैंक के आईपीएस थे। अब दिक्कत यह है कि उपर लेवल में अफसरों की बेहद कमी हो गई है। डीजीपी डीएम अवस्थी के बाद दूसरे, तीसरे नम्बर पर कोई बचेगा ही नहीं। गिरधारी नायक, एएन उपध्याय और अब बीके सिंह रिटायर हो जाएंगे। लिहाजा, डीजी लेवल पर अवस्थी अकेले बच जाएंगे। जबकि, पोस्ट चार का है। पिछली सरकार में तो ये पांच हो गया था। ये स्थिति इसलिए निर्मित हुई है कि 88 बैच के तीन आईपीएस डीजी बन गए थे, उनका डिमोशन हो गया है। वे सभी अब एडीजी हैं। इनमें से अब मुकेश गुप्ता का नाम कट जाएगा। संजय पिल्ले और आरके विज को प्रमोट करने के लिए भारत सरकार से इजातत मांगी गई है। ऐसे में, जेल और होमगार्ड की कमान सरकार को किसी एडीजी को ही सौंपना पड़ेगा।

सीएम की 51 चिठ्ठी

सीएम ने पिछले 11 महीने में चीफ सिकरेट्री को विभिन्न मामलों में 51 लेटर लिखा है। इसमें प्रशासनिक सुधार से लेकर योजनाओं के क्रियान्यवन से संबंधित पत्र शामिल हैं। चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल 14 नवंबर को कलेक्टर कांफ्रेंस में पहुंचे तो यही 51 चिठ्ठियां उनके हाथ में थीं। उन्होंने कलेक्टरों से कहा, ये 51 चिठ्ठियां मेरे लिए 51 जिम्मेदारी हैं, 51 क्विंटल के बराबर। उन्होंने कुछ पत्रों को पढ़कर सुनाया। बोले….यह सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. नगरीय निकाय चुनाव नियत टाईम पर होगा या आगे बढ़ सकता है?
2. सिर्फ अल्पसंख्यक आयोग में नियुक्ति करके सरकार ने क्या संदेश दिया है?

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