रविवार, 21 जून 2020

हाफ पैंट वाले मंत्रीजी

तरकश, 21जून 2020
संजय के. दीक्षित
भूपेश सरकार के एक होनहार मंत्री के वर्किंग सिस्टम से विभाग के अधिकारी काफी असहज महसूस कर रहे हैं। एक तो दिन चढ़ने के बाद मंत्रीजी की सुबह होती है। उस पर वे झटपट तैयार नहीं होते। चाय से पहिले गुटखा चाहिए। इसके बाद टीवी चालू। अफसर बेचारे फाइल धरे बैठे हैं, तो बैठे रहे। कई बार तो हाफ पैंट पहिने मीटिंग हो जाती है। ऐसी ही एक मीटिंग के बाद मंत्रालय की एक महिला आईएएस खफा हो गईं….मंत्रीजी ने महिला होने का भी लिहाज नहीं किया, हाफ पैंट में सोफे में बैठे मीटिंग शुरू कर दी। वैसे भी, मंत्रीजी के विभाग के लोगों का कहना है, विभाग मंत्री नहीं उनका पीए चला रहा है। मंत्री तो फाइल पढ़ने की जहमत भी नहीं उठाना चाहते…पीए जैसा उन्हें असिस्ट करता है, मंत्रीजी नोटशीट में लिख देते हैं। वैसे, उटपटांग दिनचर्या के मामले में पूर्ववर्ती सरकार के दो सीनियर मंत्रियों के नाम भी आते हैं, लेकिन, काम और विभाग पर पकड़ के मामले में उनका कोई जोर नहीं था।

सिकरेट्री और 40 एसी

आपको याद होगा….भाजपा सरकार के दौरान बड़े पद पर बैठे एक नेता के सरकारी बंगले में 24 एसी लगने पर सूबे में बड़ा बवाल हुआ था। नेशनल मीडिया में ये खबर सुर्खिया बटोरी थी। ऐसा ही मामला एक सिकरेट्री के यहां 40 एसी का आया है। अब इतनी संख्या में एसी कहां लगवाया गया, ये तो जांच का विषय है। मगर यह सही है कि 40 एसी के लिए पैसे का बंदोबस्त किया गया है। एक विभाग के पास राज्य के विभिन्न जगहों पर 75 से अधिक आफिसेज हैं। मगर उनमें से 40 ऐसे हैं, जहां से कलेक्शन बढ़ियां आता है। विभाग के सिकरेट्री के पीए ने उन 40 आफिसों के प्रमुखों को एक-एक कर रायपुर बुलाया और बताया कि सिकरेट्री साब के बंगले में एसी लगाना है, उसके लिए कुछ चाहिए…एक काम करो, 50 हजार छोड़ जाओ। इस तरह एक झटके में 20 लाख। जाहिर सी बात है कि अफसर के बंगले में 40 एसी तो लगेंगे नहीं। बताते हैं, कोरोना लाॅकडाउन में जो नुकसान हुआ है, उसे कंपनसेट करने के लिए सूबे के कई अधिकारियों ने इस तरह का नायाब आइडिया निकाला है।

अफसर क्या करें?

जिन अफसरों ने सिकरेट्री के बंगले में एसी लगाने पैसा दिया, उसके कुछ रोज बाद विभागीय मंत्री के पीए का फोन आया। एक अफसर पीए से मिलने बंगले पहुंचे तो बताया गया, मंत्री होने के कारण खर्चे काफी हो जाते हैं…कार्यकर्ताओं से लेकर पार्टी और मीडिया तक को हैंडिल करना पड़ता है। मंत्रीजी के समधी के यहां 15 छोड़ देना। अफसर भी तेज। बोले…इतना हो नहीं सकता। बाद में दो में फायनल हुआ। जिस अफसर का जिक्र हो रहा, वह वीवीआईपी डिस्ट्रिक्ट में पोस्टेड है। समझ सकते हैं, मंत्रियों के खटराल पीए वीवीआईपी जिले को भी नहंी छोड़ रहे। दुःसाहस की ये पराकष्ठा होगी।

स्पाॅट पर आदेश

नवा रायपुर की तरह अब रायपुर में नवा मरीन ड्राईव भी बनने जा रहा। और, इसमें अच्छी बात यह हुई कि दो मंत्री चीफ सिकरेट्री के साथ स्पाॅट पर पहुंचे और वहीं इस प्रोजेक्ट पर मुहर लगा दी। दरअसल, मैगनेटो माॅल के आगे कृषि विवि के सामने अवंती विहार तरफ तीन किलोमीटर में फैला बड़ा तालाब है। उसके सामने रोड पर कृषि इंजीनियरिंग का आफिस। तालाब नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया के विभाग में आता है और कृषि इंजीनियरिंग कृषि मंत्री रविंद्र चैबे के विभाग में। सीएम भूपेश बघेल ने सीएस आरपी मंडल से कहा कि दोनों मंत्रियों को लेकर मौके पर जाएं। स्पाॅट का जायजा लेने के बाद दोनों मंत्रियों ने तुरंत इसे ओके कर दिया। कृषि विभाग ने बिल्डिंगों को हटाने का आदेश भी दे दिया है। अब रायपुर और नवा रायपुर के बीच एक नवा मरीन ड्राईव होगा। चूकि एरिया बड़ा है और खुला भी, इसलिए दावा किया जा रहा, वह पुराने मरीन ड्राईव से कई गुना बेहतर होगा। इसे आक्सीजोन की तरह डेवलप किया जाएगा। तेलीबांधा मरीन ड्राईव को नगरीय प्रशासन सिकरेट्री रहते आरपी मंडल ने डेवलप किया था। सरकार के निर्देश पर अब वे नवा मरीन ड्राईव बनाएंगे।

भूमिहीनों को पैसा

सरकार एक अहम योजना पर काम कर रही है। भूमिहीनों को हर महीने उनके खाते में जीवकोपार्जन के लिए निश्चित राशि ट्रांसफर करने का। सीएम भूपेश बघेल ने अफसरों को निर्देश दिया है कि इसका पूरा डिटेल तैयार करें कि इस पर कितना खर्च आएगा। जिले वाइज भूमिहीनों का डेटा तैयार होना प्रारंभ हो गया है। सरकार जल्द ही इसका ऐलान करेगी। इस योजना में उन्हें बड़ी राहत मिलेगी, जिनके पास जमीन नहीं है और ओवरएज के बाद मजदूरी करने से लाचार हो जाते हैं।

पोस्टिंग में बड़ी चूक?

हाथियों की मौत मामले में बलरामपुर के डीएफओ प्रणय मिश्रा को रायबरेली कनेक्शन होने के बाद भी वन विभाग ने हटा दिया। लेकिन, जिन्हें भेजा गया है, उनकी काबिलियत के बारे में सुनकर आप चकरा जाएंगे। लक्ष्मण सिंह एसडीओ स्तर के अधिकारी हैं। भांति-भांति के मामलों में कई बार सस्पेंड हो चुके हैं। एक बार बर्खास्त भी। उनका सीआर इतना स्ट्रांग है कि उन्हें कभी आईएफएस अवार्ड नहीं हो सकता। बलरामपुर सूबे का सबसे बड़ा फाॅरेस्ट डिविजन है। सबसे अधिक बजट वाला भी। पता चला है, लक्ष्मण के लिए किसी विधायक का बड़ा प्रेशर था। लगता है, प्रेशर में वन विभाग से बड़ी चूक हो गई।

राजधानी का कप्तान कौन?

रायपुर के एसपी समेत आईपीएस की एक छोटी लिस्ट निकलनी थी, उसे फायनल होने में वक्त लग रहा है। एसएसपी आरिफ शेख की जगह रायपुर की कप्तानी संभालने वालों में अजय यादव और प्रशांत अग्रवाल के नाम सबसे उपर हैं। अजय दुर्ग के एसएसपी हैं और प्रशांत बिलासपुर के एसपी। रायपुर के लिए दो दिन अजय का नाम चलता है तो दो दिन प्रशांत का नाम उपर हो जा रहा। अब देखना है, इनमें से किसी को मौका मिलेगा या फिर कश्मकश में आरिफ को ही कंटीन्यू कर दिया जाए।

मराठी लाॅबी

आईएएस में कभी उड़ीया लाॅबी बड़ी स्ट्रांग होती थी। तब एसके मिश्रा, बीकेएस रे, डीएस मिश्रा, एमके राउत, सुब्रत साहू समेत उड़ीया अफसरों की संख्या भी काफी थी। इस समय अचानक मराठी आफिसर्स ठाक-ठाक पोजिशन में आ गए हैं। सिद्धार्थ परदेशी सीएम के सिकरेट्री हो गए हैं। जशपुर कलेक्टर से राजधानी लौटे नीलेश क्षीरसागर को डायरेक्टर एग्रीकल्चर। इस पोस्ट पर इतना यंग आईएएस कभी नहीं रहा। संदीपन भोस्कर एमडी रोड विकास निगम। डाॅ0 सर्वेश भूरे कलेक्टर दुर्ग। कैसर हक एमडी बिजली वितरण कंपनी। भीम सिंह के स्टार अचानक चमक गए वरना, अय्याज तंबोली भी कलेक्टर रायगढ़ बन गए होते। आईपीएस में आरिफ शेख पुणे से हैं। वे ईओडब्लू, एसीबी चीफ हो गए हैं। हालांकि, मराठी अफसरों में यूनिटी नहीं है। पड़ोस में रहकर एक-दूसरे से मिलते नहीं। यूनिटी के मामले में तमिलनाडू के अधिकारियों का जवाब नहीं है। उनका सब कुछ अपना पैरेलेल है। व्हाट्सएप ग्रुप भी। लाॅकडाउन में जूम के जरिये अफसर एक-दूसरे के संपर्क में रहे।

गुड न्यूज

जापान के एंबेसी ने 17 जून को वेबिनार के जरिये अपने देश के उद्योगपतियों के साथ भारत के जिन पांच राज्यों के साथ इवेस्टमेंट के लिए वेबिनार का आयोजन किया, उसमें महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों के साथ छत्तीसगढ़ भी शामिल था। प्रमुख सचिव इंडस्ट्री मनोज पिंगुआ को वहां के उद्योगपतियों ने अश्वस्त किया कि जल्द ही वे छत्तीसगढ़ का विजिट करेंगे। पता चला है, बिजली, पानी और औद्योगिक शांति को लेकर जापान के एंबेसडर छत्तीसगढ़ से काफी प्रभावित हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. ऐसा क्यों कहा जाता है कि डीजीपी डीएम अवस्थी पर महाकाल की असीम कृपा है?
2. कांग्रेस के एक लक्ष्मीपुत्र नेता वन विभाग के अधिकारियों से किन बातों को लेकर कुपित हो गए हैं?

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