रविवार, 13 दिसंबर 2020

आईएएस की शादी

 संजय के दीक्षित

तरकश, 13 दिसंबर 2020
छत्तीसगढ़ के 2013 बैच के आईएएस जगदीश सोनकर आखिरकार परिणय सूत्र में बंध गए। उन्होंने आईआरटीएस अफसर परिणिता के साथ सात फेरे लिए। दुर्ग के रहने वाले जगदीश फिलहाल वाटरशेड में सीईओ हैं। लोकल होने के बाद भी जगदीश के साथ विडंबना ये रही कि उन्हें कभी अच्छी पोस्टिंग नहीं मिल पाई। बीजेपी के समय भी ऐसा ही हुआ और अभी भी। चलिये, जगदीश की अब शादी हो गई है। अपने यहां माना ही जाता है पत्नी के भाग्य से....। उम्मीद करते हैं, परिणिता के जिंदगी में आने के बाद उन्हें जल्द ही कलेक्टरी करने का अवसर मिलेेगा। विनीत नंदनवार ने कलेक्टर बनकर उनके बैच में खाता खोल ही दिया है।

एक आईएएस और...?

2018 बैच के आईएएस संबित मिश्रा आंध्रप्रदेश कैडर की अपने बैचमेट आईएएस से शादी करने जा रहे हैं। संबित फिलहाल धरमजयगढ़ के एसडीएम हैं। शादी करने के बाद जाहिर है, दोनों में से कोई एक अपना कैडर चेंज कराएगा। पति-पत्नी के बेस पर डीओपीटी एक बार कैडर चेंज करने की इजाजत देता है। ऐसे में, शादी के बाद संबित या तो अपना कैडर चेंज कराकर आंध्र जाएंगे या फिर उनकी होने वाली धर्मपत्नी छत्तीसगढ़ आ जाएंगी। यानी, छत्तीसगढ़ में आईएएस के कैडर में एक का इजाफा होगा या फिर एक घट जाएगा। बहरहाल, बैचमेट से शादी करने वाले संबित छत्तीसगढ़ के पांचवे आईएएस होंगे। पहले नम्बर पर हैं, विकास शील और निधि छिब्बर। वे 94 बैच के आईएएस हैं। दूसरे, 95 बैच के गौरव द्विवेदी और मनिंदर कौर। तीसरे, अंबलगन पी और अलरमेल मंगई डी 2004 बैच। चैथे 2010 बैच के जयप्रकाश मौर्य और रानू साहू। उसके बाद 2018 बैच के संबित मिश्रा दंपति।

मोस्ट एलिजेबल....

विलंब से ही सही, 2013 बैच के आईएएस जगदीश सोनकर की शादी हो गई। 2018 बैच के यंग अफसर संबित की भी परिणय सूत्र में बंधने वाले हैं। मगर 2012 बैच के आईएएस रीतेश अग्रवाल अभी भी मोस्ट एलिजेबल.....बने हुए हैं। फिलहाल, वे बीजापुर कलेक्टर हैं। आईएएस की शादियों में इतना लेट होता नहीं। ज्यादतर रिश्ते मसूरी ट्रेनिंग के दौरान तय हो जाते हैं या फिर प्रोबेशन और नीेचे की पोस्टिंग के दौरान। छत्तीसगढ़ में कलेक्टर बनने के बाद किसी आईएएस की शादी होने के सिर्फ एक उदाहरण है। ओपी चैधरी की जब शादी हुई तो उस समय वे जांजगीर के कलेक्टर थे। उससे पहले वे दंतेवाड़ा में कलेक्टरी कर चुके थे। अब देखना है, रीतेश कब तक मोस्ट एलिजेबल....बने रहते हैं।

सीएस की विनम्रता

अमिताभ जैन के चीफ सिकरेट्री बनने के बाद सीएस की मीटिंग में अब अधिकारियों को चाय सर्व होने लगी है। आरपी मंडल ने मीटिंग में डिस्टर्बेंस का हवाला देकर चाय बंद करा दिया था। हालांकि, खबर ये नहीं है....खबर है सुप्रीम पद पर बैठने के बाद भी सीनियर के सम्मान का। मुख्य सचिव का कार्यभार ग्रहण करने के बाद अमिताभ जैन ने मंत्रालय में सचिवों की पहली बैठक ली। बैठक में स्कूल और तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डाॅ0 आलोक शुक्ला भी मौजूद थे। 86 बैच के आईएएस आलोक अमिताभ से तीन बैच सीनियर हैं। मीटिंग के बीच में जब चाय आई तो परंपरा के अनुसार काॅफी हाउस के वेटर ने पहले चीफ सिकरेट्री की ओर चाय बढ़ाई। लेकिन, उन्होंने इशारा करते हुए पहले आलोक शुक्ला को चाय देने कहा। फिर, सचिवों से विभागों के कामकाज के बारे में पूछताछ के दौरान जब आलोक शुक्ला का नम्बर आया तो सीएस विनम्रता से बोले....सर आपसे तो हमलोगों ने ट्रेनिंग ली है, आपसे मैं क्या पूछूं। वैसे, आईएएस में एक चीज होती है, वो है सीनियरों को वे जल्दी भूलते नहीं। पद से हटने के बाद भी छह महीने, साल भर आईएएस का वजूद बना रहता है। सबसे बुरी स्थिति आईपीएस और आईएफएस में है। आईपीएस को रिटायर होने के घंटे भर बाद उनके जूनियर पहचानना बंद कर देते हैं। इससे बदतर स्थिति आईएफएस में है।

पापा कहते हैं....

एक्स पीसीसीएफ एवं सीजी काॅस्ट के डायरेक्टर जनरल मुदित कुमार के डाॅक्टर बेटे को कोविड के दौरान मुस्तैदी से मरीजों की सेवा करने के लिए दिल्ली में सम्मानित किया गया है। किसी पिता के लिए इससे बड़ी फख्र की बात क्या हो सकती है। वो भी ऐसे में, जब माना जाता है कि आॅल इंडिया सर्विसेज के अधिकांश आफिसरों के बाल-बच्चे अपने पापा का नाम आगे नहीं बढ़ा पाते। उल्टे एनजीओ, ठेकेदारी, सप्लायर बनकर खराब करने का काम करते हैं।

दो खिलाड़ी

एक वो भी समय था....जब खेल विभाग में मामूली से दो मुलाजिम बड़े-बड़े आईएएस, आईपीएस को उंगली पर नचाते थे। वो चाहे खेल विभाग के सिकरेट्री कोई आईएएस हो या फिर डायरेक्टर के रूप में कोई आईपीएस, दोनों मायावी संसार से ऐसा परिचित कराते कि उसके बाद अधिकारी उनके चंगुल से बाहर नहीं निकल पाते थे। लेकिन, उनके करतबों को जानने के बाद सरकार ने अब दोनों को सूबे के उत्तरी, दक्षिणी छोर पर भेज दिया है। चलिये, बढ़ियां है...खेल विभाग रैकेट से प्रभाव से उबरने लगा है।

पीसीसीएफ की गैरमौजूदगी

आरपी मंडल के चीफ सिकरेट्री रहने के दौरान आईएफएस अधिकारियों को काफी वेटेज मिला। यहां तक मंडल दौरे में जाते थे, तो बगल में पीसीसीएफ जरूर होते थे। आपने देखा भी होगा....वीडियोकांफ्रेंसिंग के दौरान भी सीएस मंडल के एक तरफ डीजीपी डीएम अवस्थी होते थे, तो दूसरी ओर पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी। लेकिन, अमिताभ जैन की आईजी, कलेक्टर्स, एसपी की पहली वीडियोकांफ्रेंसिंग में पीसीसीएफ नजर नहीं आए। डीजीपी जरूर थे।

बैड दिसंबर

नौकरशाहों का लगातार ये तीसरा दिसंबर है, जो खराब जा रहा। वरना, उससे पहिले कोई भी क्रिसमस ऐसा नहीं गया होगा, जिसमें वे न्यू ईयर मनाने किसी मनमोहक डेस्टिनेशन पर नहीं गए हों। सिंगापुर, बैंकाक जाना तो आम बात थी। दरअसल, 2018 इलेक्शन ईयर था। उसमें ऐहतियात के तौर पर नौकरशाहों ने एडवांस टिकिट नहीं कराया कि पहले रिजल्ट देख लें....सरकार रिपीट हो गई तो बल्ले-बल्ले और नहीं हुई तो नए सरकार से इक्वेशन ठीक करने की प्राथमिकता पहले। मगर चुनाव में तख्ता पलट गया। 17 दिसंबर को शपथ लेने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने ऐसे तेवर दिखाए कि अफसरों को 2019 के दिसंबर में भी सैर-सपाटे के लिए छुट्टी मांगने की हिम्मत नहीं पड़ी। और, 2020 में कोरोना आ गया।

अंत में दो सवाल आपसे

1. स्पीकर चरणदास महंत को लेकर लोगों की उम्मीदें फिर क्यों बढ़ने लगी है?
2. एसपी के ट्रांसफर की बहुप्रतीक्षित सूची क्या अब निकलने वाली है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें