शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

पहला सिकरेट्री?

 संजय के दीक्षित

तरकश, 14 फरवरी 2021
छत्तीसगढ़ के चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन भारत सरकार में सिकरेट्री इम्पेनल हो गए हैं। हालांकि, उनके पहिले तीन आईएएस और सिकरेट्री इम्पेनल हुए हैं। लेकिन, अभी तक इम्पेनल होने के बाद भी अभी तक छत्तीसगढ़ का कोई आईएएस केंद्र में सिकरेट्री नहीं बन पाया। 87 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस बीवीआर सुब्रमण्यिम पिछले साल सिकरेट्री इम्पेनल हुए हैं। वे अभी जम्मू-कश्मीर के चीफ सिकरेट्री हैं। चूकि, उनका अगले बरस रिटायरमेंट है, लिहाजा उनके केंद्र में सिकरेट्री बनने की संभावना कुछ कम होती जा रही है। इधर, अमिताभ जैन का अभी लंबा कार्यकाल है। वे जून 2025 में रिटायर होंगे। ऐसे में, माना जा रहा है कि वे केंद्र में इस पद तक पहुंच सकते हैं। वैसे भी, ऐसे अफसर कम होंगे, जो चीफ सिकरेट्री भी रह लिए और केंद्र में भी सेवा दे चुके हों। अमिताभ पोस्टिंग के मामले में किस्मती अफसर हैं। वे डीपीआर से लेकर सिकरेट्री पीडब्लूडी, वाणिज्यिक कर, आबकारी, फायनेंस, राजभवन जैसे कई जगहों पर काम कर चुके हैं। इसके अलावा सेंट्रल डेपुटेशन भी।


2005 बैच का प्रमोशन

2005 बैच के आईएएस अधिकारियों के सिकरेट्री प्रमोशन की फाइल उपर पहुंच चुकी है। जल्द ही औपचारिकताओं के बाद प्रमोशन का आदेश जारी कर दिया जाएगा। इस बैच में पांच डायरेक्ट आईएएस हैं और दो प्रमोटी। इनमें से खबर है किसी एक आईएएस का प्रमोशन ड्राॅप होगा। बाकी छह सिकरेट्री बन जाएंगे। इस बैच में मुकेश बंसल, आर संगीता, रजत कुमार, राजेश टोप्पो, एस प्रकाश, टीपी वर्मा और नीलम एक्का हैं। ओपी चैधरी ने नौकरी छोड़कर सियासी पारी शुरू कर दी है।

छोटा जिला, बड़े अफसर

गरियाबंद भले ही छोटा जिला हो मगर अफसरों की पोस्टिंग की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण जिला। जनवरी 2012 में अस्तित्व मेें आए इस जिले की खास बात यह है कि वहां कलेक्टर, एसपी, जिपं सीईओ और डीएफओ, चारों रेगुलर रिक्रूट्ड अफसर हैं। नीलेश क्षीरसागर कलेक्टर, भोजराम पटेल एसपी, चंद्रकांत वर्मा जिपं सीईओ और मयंक अग्रवाल डीएफओ। छत्तीसगढ़ के 28 में से तीन-चार जिले ही ऐसे होंगे कि सभी डायरेक्ट अफसर हों। वरना, दीगर जिलों में प्रमोटी अफसर बराबरी में डटे हुए हैं।

यह भी रिकार्ड

आईपीएस रतनलाल डांगी छत्तीसगढ़ के ही नहीं बल्कि देश के संभवतः पहले ऐसे आईपीएस होंगे, जो आईजी प्रमोट हुए बिना तीसरा पुलिस रेंज संभाल रहे हैं। कांग्रेस सरकार बनने के बाद सबसे पहिले दुर्ग के आईजी बनें। फिर सरगुजा और उसके बाद अब बिलासपुर के आईजी हैं। बिलासपुर तो सबसे बड़ा पुलिस रेंज है। वैसे भी डांगी ने छत्तीसगढ़ के तीनों डीआईजी रेंज किया है। वे दंतेवाड़ा, कांकेर और राजनांदगांव के डीआईजी रह चुके हैं। स्वाभाविक तौर पर अब उनकी चिंता यह होगी कि मुकद्दर ने उन्हें इतना कुछ दे दिया है कि…आईजी प्रमोट होने के बाद उनके पास पोस्टिंग के लिए दो ही रेंज बचेगा। रायपुर और बस्तर। उसके बाद एडीजी प्रमोशन होने तक क्या करेंगे? वैसे, डांगी कोरबा में दो बार एसपी रहे हैं। आईजी भी रिपीट हो सकते हैं।

जीत का फार्मूला

जिन राज्यों के लिए विधानसभा चुनाव की रणभेड़ी बनजे वाली है, उनमें कांग्रेस को सबसे अधिक उम्मीद असम से है। असम में पिछली बार कांग्रेस को परास्त कर बीजेपी सत्ता में आई थी। इस बार असम में फिर से अपनी सल्तनत कायम करने कांग्रेस आलाकमान ने छत्तीसगढ़ को पूरा जिम्मा सौंप दिया है। विदित है, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को पर्यवेक्षक बनाया गया है। बूथ मैनेजमेंट की ट्रेनिंग से लेकर घोषणा पत्र तैयार करने के लिए छत्तीसगढ़ से कांग्रेस नेताओं का जत्था गोहाटी पहुंच चुका है। कुछ दिन बाद से मंत्रियों का असम दौरा शुरू हो जाएगा। पार्टी को उम्मीद है कि कांग्रेस ने भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में जिस तरह एकतरफा जीत दर्ज की, असम में भी प्रयास करने पर कामयाबी मिल सकती है।

पूर्व मंत्री का गुस्सा

केंद्रीय बजट की खासियत को पार्टी नेताओं को ब्रीफ करने नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी इस हफ्ते रायपुर आए। इस मौके पर उन्होंने बिलासपुर से हवाई सेवा के डेट का भी ऐलान किया। बावजूद इसके केंद्रीय मंत्री के दौरे और हवाई सेवा की बजाए की बजाए पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर की नाराजगी की खबर को ज्यादा सुर्खिया मिल गई। दरअसल, अजय इसलिए भड़क गए कि उन्हें केंद्रीय मंत्री की बैठक की सूचना नहीं दी गई थी। हालांकि, ये पहली बार नहीं हुआ। रमन सरकार के अधिकांश पूर्व मंत्रियों का दर्द है कि मीटिंग में बुलाया नहीं जाता। बृजमोहन अग्रवाल कोर कमेटी के मेम्बर की हैसियत से, तो अजय चंद्राकर, राजेश मूणत प्रवक्ता के नाते बैठकों में पहुंच जाते हैं। लेकिन, प्रेमप्रकाश पाण्डेय, अमर अग्रवाल जैसे मंत्रियों को दो साल में एक बार भी नहीं बुलाया गया। अमर अग्रवाल तो बजट के बारे में छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक जानकारी रखने वाले नेता माने जाते हैं। वे वित मंत्री रहे हैं। और, केंद्र के जीएसटी मेम्बर भी। लेकिन, विडंबना यह है कि बजट पर चर्चा करने आए केंद्रीय मंत्री की मीटिंग में उन्हें बुलाने की जरूरत नहीं समझी गई। प्रेमप्रकाश और अमर जैसे स्वाभिमानी नेता अब बिना बुलाए तो जाएंगे नहीं।

पुरंदेश्वरी से उम्मीद

तीन साल बाद सरकार बनाने का सपने देख रही बीजेपी के भीतर सब कुछ बढ़ियां नहीं चल रहा। नियुक्तियों को लेकर संगठन में अंतरकलह बढ़ता जा रहा। बात यहां तक पहुंच गई है कि पार्टी नेता आरोप लगाने लगे हैं कि पैसे लेकर नियुक्तियां की जा रही है….सरगुजा संभाग के एक नेता को 10 पेटी लेकर बड़ा पद दिया गया है। तो युवा मोर्चा में 41 साल के एक व्यक्ति को बिठा दिया गया…इस पर भी पार्टी में बहुत कुछ कहा जा रहा है। पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं को अब प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नितिन नवीन से ही उम्मीद है…वे शायद कुछ कर सकें।

बड़ा मंत्रालय

बिहार के बीजेपी नेता नितिन नवीन को लगता है छत्तीसगढ़ का सह प्रभारी बनना फल गया। पटना से विधायक नितिन को मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री बनना तय था लेकिन, पीडब्लूडी जैसे महत्वपूर्ण विभाग मिल जाएगा, इसका किसी को अंदाजा नहीं था। नितिन के पिता नवीन किशोर सिनहा भी पटना से विधायक थे। नितिन 25 साल की उम्र में विधायक बन गए थे। वे सिक्किम के प्रभारी भी रह चुके हैं। वैसे, छत्तीसगढ़ बीजेपी नेताओं को फल जाता है। देख ही रहे हैं जगतप्रकाश नड्डा, रविशंकर प्रसाद, धमेंद्र प्रधान जैसे नेताओं को…ये सभी यहां के प्रभारी रह चुके हैं।

आईएफएस अवार्ड

इस बार राज्य वन सेवा के आठ अधिकारियों को आईएफएस अवार्ड होगा। इसके लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इसके अलावा एडिशनल पीसीसीएफ, सीसीएफ का भी प्रमोशन होना है। एडिशनल पीसीसीएफ के लिए हालांकि, पहली बार ऐसा होगा कि पद अधिक है और दावेदार इकलौता। तीन पद के विरुद्ध सिर्फ सीसीएफ एसएसडी बड़गैया दावेदार हैं। इसी तरह सीसीएफ के पांच और सीएफ के सात पदों ंके लिए डीपीसी होने वाली है। संकेत हैं, बड़गैया को वाईल्डलाइफ चीफ बनाया जा सकता है। बड़गैया के पास अचानकमार टाईगर रिजर्व और बारनवापारा में वाईल्डलाइफ का लंबा अनुभव है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. 2009 बैच के किस आईएएस को एक बड़े जिले का कलेक्टर बनाकर भेजने की चर्चा है?
2. किस बड़े जिले के कलेक्टर के लचर कामकाज से सरकार बेहद नाराज है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें