शनिवार, 15 जुलाई 2023

Chhattisgarh Tarkash: मंत्री को हड़काया

 तरकशः 16 जुलाई 2023

संजय के. दीक्षित

मंत्री को हड़काया

सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर बिलासपुर के जेडी स्कूल शिक्षा के खिलाफ जांच का आदेश दिया गया है, उस करप्शन के तौर-तरीके सुनकर आप दंग रह जाएंगे। बताते हैं, आरगेनाइज ढंग से इस पोस्टिंग घोटाले को अंजाम दिया गया। सहायक शिक्षकों के प्रमोशन के बाद पोस्टिंग की काउंसलिंग के दौरान अफसरों ने शहरों के आसपास के स्कूलों के रिक्त पदों को शो करने की बजाए उसे छुपा लिया। मजबूरी में शिक्षकों को दूरस्थ इलाकों में पोस्टिंग लेनी पड़ी और जैसे ही वे ज्वाईन कर लिए जेडी आफिस से खटराल बाबुओं ने फोन करना शुरू कर दिया...इस स्कूल को डेढ़ लाख...उसका दो लाख लगेगा। आरोप है...जेडी ने ऐसा करके करीब 400 ट्रांसफर को संशोधित कर डाला। बताते हैं, कुछ कांग्रेस नेताओं ने दो-एक संशोधन के लिए फोन किया तो जवाब मिला...किसी से भी फोन कराइये...पैसे लगेंगे। इस बात से नाराज होकर एक प्रभावशाली नेता ने एक मंत्री को फोन लगाया और बाबू की शिकायत की। बोले...सरकार की बदनामी हो रही है। मंत्रीजी बोले...आपके कहने से थोड़े हटा दूंगा। गुस्से में नेताजी ने मंत्री को हड़का दिया...हमलोग खून-पसीना बहाए हैं तो आप मंत्री बने हो...। और भी बहुत कुछ...जिसे लिखा नहीं जा सकता। बहरहाल, बिलासपुर का मामला कांग्रेस नेताओं के चलते बाहर आ गया...मगर वास्तविकता यह है कि लगभग सभी संभागों में ज्वाइंट डायरेक्टरों ने खुला खेल किया पोस्टिंग में।

चर्चा रुद्र की, निबट गए प्रेमसाय

मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान पीएचई मंत्री रुद्र गुरू को ड्रॉप करने की चर्चा थी। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा था कि सतनामी समाज से दो मंत्री हैं। रुद्र और शिव डहरिया। जबकि, बीजेपी के 15 साल की सरकार में अनुसूचित जाति से एक-एक ही मंत्री रहे। लिहाजा, रुद्र को हटाने में कोई दिक्कत नहीं। मगर सतनामी वोट बैंक को देखते कांग्रेस पार्टी ने अल्टीमेटली कोई रिस्क लेना मुनासिब नहीं समझा। स्कूल शिक्षा में करप्शन की शिकायतों से सरकार भी नाखुश थी। इस विभाग में रैकेट इतना तगड़ा है कि सरकार ने विभाग के कामों को पटरी पर लाने के लिए दो डिप्टी कलेक्टरों को अपर संचालक पोस्ट किया तो उसके खिलाफ हाई कोर्ट से स्टे ले लिया गया। एक समय तो ऐसा हो गया था...एक ही अफसर डीईओ, वहीं असिस्टेंट डायरेक्टर और मंत्री का निज सचिव भी। विभाग में करप्शन की शिकायत इतनी ज्यादा थी कि डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के करीबी होने के बाद भी वे मंत्री पद गंवा बैठे। बता दें, विधायक बृहस्पति सिंह के आरोपों से क्षुब्ध होकर सिंहदेव जब विधानसभा से बाहर निकल गए थे, तब उन्हें पोर्च तक छोड़ने जाने वालों में सिर्फ प्रेमसाय सिंह टेकाम थे।

मोदी और शाह के भरोसे

विधानसभा चुनाव की तैयारियों में देखें तो 15 साल सरकार में रही बीजेपी सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के भरोसे दिख रही। रट वही...मोदीजी आएंगे, अमित शाहजी आएंगे...सब ठीक हो जाएगा। पिछले पखवाड़े मोदीजी भी आए और अमित जी भी। दोनों के दौरे के बाद बीजेपी थोड़ा चार्ज हुई। फिर वहीं शून्यता। सूबे में सत्ताधारी पार्टी सत्याग्रह कर रही और बीजेपी? अमित भाई अगले हफ्ते आएंगे...मोदीजी रायगढ़ में आएंगे...प्रतीक्षा कर रही। इसके उलट कांग्रेस अपने घर को तेजी से मजबूत करना चालू कर दिया है। इससे आप समझ सकते हैं कि सीएम भूपेश बघेल ने अपना उर्जा विभाग टीएस सिंहदेव को दे दिया। साहू वोटों पर पकड़ मजबूत करने ताम्रध्वज साहू को कृषि विभाग देकर उनका कद और बढ़ा दिया गया। निहितार्थ यह है कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ में पंजाब जैसी चूक नहीं करना चाहती।

सहमे कलेक्टर

आईटी और ईडी से छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी पहले से ही सहमी हुई थी। इस समय कई कलेक्ट्रेट में किसी सेंट्रल एजेंसी के छापे की चर्चाओं से कलेक्टरों की रात की नींद उड़ी हुई है। बातें तो यहां तक हो रहीं...छापे के लिए बाहर से अफसर आ रहे...फोर्स का इंतजाम किया जा रहा। निशाना डीएमएफ है। अब छापा पड़े या फिर अफवाह निकले...बेचारे कलेक्टर्स परेशान तो हो ही रहे हैं। खासकर, डीएफएफ बहुल जिले के कलेक्टर। सूबे में डीएमएफ बहुल 12 जिले हैं। भले ही सभी कलेक्टर डीएमएफ का खेला न किया हो, मगर यह तो बाद में पता चलेगा....इस समय उन्हें ही जांच का सामना करना पड़ेगा।

धान और बीजेपी

छत्तीसगढ़ की चुनावी सियासत में धान और किसान हमेशा बड़ा फैक्टर रहा है। 2008 में एक रुपए किलो चावल का ऐलान कर बीजेपी दूसरी बार सरकार बनाने में कामयाब हो गई थी। 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने धान और किसान पर लड़ा और एकतरफा जीत दर्ज की। पता चला है, बीजेपी इस बार धान पर कुछ बड़ा करने की तैयारी में है। पार्टी हाईकमान ने इसके लिए सूबे के काफी पढ़े-लिखे युवा नेता से डिटेल रिपोर्ट मंगाई थी। युवा नेता ने काफी मेहनत कर रिपोर्ट तैयार की और दिल्ली में बड़े नेताओं के समक्ष उसका प्रेजेंटेशन भी दिया। अब देखना है, बीजेपी क्या कुछ बड़ा कर रही।

फिर अजय चंद्राकर

भाजपा ने पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को आरोप पत्र तैयार करने वाली समिति का प्रमुख बनाया है। इससे पहले 2003 में अजीत जोगी सरकार के खिलाफ भी आरोप पत्र तैयार करने की जिम्मेदारी चंद्राकर को मिली थी। कुल मिलाकर भाजपा सभी पूर्व मंत्रियों को कोई-न-कोई जिम्मेदारी दे रही है। प्रेमप्रकाश पाण्डेय, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत एक-एक करके जिम्मेदारियां आबंटित करते जा रही।

मरकाम खुश हों या...

कांग्रेस पार्टी ने मोहन मरकाम को पीसीसी चीफ से हटाकर भूपेश सरकार में मंत्री बना दिया। मरकाम मंत्री तो बनना चाहते थे...कई मौकों पर उन्होंने इशारों में इच्छा भी व्यक्त किया था। मगर इस समय जब आचार संहिता लगने में ढाई महीने का समय बच गया हो...मंत्री बनकर वे खुशी मनाए या दुखी होंए, वे खुद भी समझ नहीं पा रहे होंगे। दरअसल, मंत्री के लिए काम करने या पद का इंजॉय करने के लिए चार साल ही होते हैं। इलेक्शन ईयर में अफसर सुनते नहीं। चुनाव के समय में तो और नहीं। मरकाम को संतोष इस बात से करना होगा कि उनके नाम के आगे अब पूर्व मंत्री लिखा जाएगा और मंत्री के तौर पर चार दिन के विधानसभा सत्र का सुख मिल जाएगा।

अ-सरदारों के चक्रव्यूह

दीपक बैज पीसीसी के नए चीफ बन गए हैं। वे युवा हैं। मात्र 42 साल के। बढ़ियां प्रोफाइल है। छात्र जीवन से राजनीति में। दो बार के विधायक। फिर सांसद। सौम्य हैं...सियासत करने के लिए लंबा टाईम भी। आदिवासी समुदाय को उनसे उम्मीदें भी होंगी। वो इसलिए...क्योंकि, सूबे के अधिकांश आदिवासी नेता रायपुर आते ही लक्ष्मीपुत्रों और अ-सरदारों से घिर कर डिरेल्ड हो जाते हैं। बीजेपी और कांग्रेस की सियासत में अनेक ऐसे नाम हैं, जो राजधानी के खटराल लक्ष्मीपुत्रों और अ-सरदारों के चक्रव्यूह में फंस कर अपना बड़ा नुकसान करा बैठे। दीपक अगर लंबी पारी खेलना चाहते हैं तो उन्हें अपनी अलग लकीर खींचनी होगी।

सरगुजा में महिला कलेक्टर

चूकि 2 अगस्त से मतदाता सूची का काम प्रारंभ हो जाएगा और जब तक मतदाता सूची का काम समाप्त नहीं हो जाएगा तब तक सरकार कलेक्टरों को हटा नहीं पाएगी। हटाने के लिए निर्वाचन आयोग से अनुमति लेनी होगी। लिहाजा, कलेक्टरों की आखिरी लिस्ट 2 अगस्त से पहले निकल जाएगी। कह सकते हैं विधानसभा के मानसून सत्र के बाद कभी भी। इसमें चार-पांच कलेक्टरों के बदले जाने के संकेत मिल रहे हैं। अंबिकापुर में कोई महिला कलेक्टर जा सकती हैं। कुंदन कुमार इधर किसी जिले में शिफ्थ किए जा सकते हैं। इसके अलावे भी लिस्ट में कुछ नाम और हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. फॉरेस्ट से बाहर पोस्टेड एक आईएफएस अफसर का नाम बताइये, जो अपने विभागीय मंत्री का मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दिए हैं?

2. क्या अमित शाह की क्लास के बाद बीजेपी में पुराने और नए नेताओं के बीच सामंजस्य कायम हो गया?



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें