शनिवार, 30 मार्च 2013

तरकश, 31 मार्च


दुर्भाग्य


31 को रविवार होने के चलते डीजी होमगार्ड संतकुमार पासवान एक दिन पहले शनिवार को रिटायर हो गए। राज्य बनने के बाद पासवान तीसरे आईपीएस रहे, जो डीजी बनने के बाद भी डीजीपी न बन सकें। उनके पहले वासुदेव दुबे, राजीव माथुर के साथ भी ऐसा ही हुआ। सालने वाली बात यह रही कि राज्य के बंटवारे के समय तीनों ने मांगकर छत्तीसगढ़ कैडर लिया था। और तीनों पुलिस की शीर्ष कुर्सी तक नहंीं पहंुच पाए। अलबत्ता, माथुर को छोड़कर दुबे और पासवान होमगार्ड से रिटायर हुए। माथुर डेपुटेशन पर चले गए थे, वरना वे भी....। बहरहाल, मध्यप्रदेश के समय भी पासवान की ज्यादा सेवा छत्तीसगढ़ में ही रही। रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव के एसपी। फिर, बस्तर के आईजी। एडीजी इंटेलिजेंस। मगर सब भाग्य का खेल है।

झटका


कलेक्टरों की लिस्ट में एक वीवीआईपी जिले के कलेक्टर का नाम भी चर्चा में है। चर्चा इसलिए, क्योंकि उन्हें पोस्ट हुए साल भर भी नहीं हुआ है। मगर वीवीआईपी को उनका काम नहीं भा रहा है। सो, वहां किसी डायरेक्ट आईएएस को भेजने की बात चल रही है। दंतेवाड़ा कलेक्टर ओपी चैधरी की ताजपोशी भी वहां हो जाए, तो चैंकिएगा मत। दंतेवाड़ा में चल रहे काम सरकार की नोटिस में है। आखिर, सीएम ने अपने पसंद से उन्हें दंतेवाड़ा भेजा था। वैसे, अंदर से जो खबरें निकलकर आ रही हैं, उसके अनुसार काफी हैरतनाक लिस्ट होगी। जिनकी कोई चर्चा नहीं, उनकी कुर्सी भी खिसक जाए, तो अचरज नहीं। हालांकि, शनिवार को लिस्ट को लेकर काफी उत्सुकता रही। कई कलेक्टर पता कराते रहे, उनका नाम भी है क्या? मगर लिस्ट की खबर हवा-हवाई रही।


आब्लीगेशन


आईपीएल के पास किसी को नहीं मिलेंगे। इसमें कोई गलत नहीं है। आईपीएल में पास के प्रावधान होते भी नहीं। मगर कई राज्यों में ऐसा होता है कि वहां के क्रिकेट संघ को विकेट के दोनों ओर के हजार, दो हजार टिकिट दे दिए जाते हैं। नागपुर स्टेडियम विदर्भ क्रिकेट एसोसियेशन का है और वहां ऐसा ही होता है। अपने स्टेडियम को सरकार ने बनाया है। 125 करोड़ से अधिक खर्च आया है। मगर पास किसी को नहीं। असल में, रायपुर में होने वाले दोनों मैच पहले दिल्ली में होने वाले थे। सरकार के कहने पर जीएमआर ने आईपीएल बोर्ड से बात कर दोनों मैच रायपुर शिफ्थ कराया। सो, सरकार आब्लाइज है। यही वजह है, फ्री टिकिट के लिए कड़ाई नहीं हो पा रही है।


आईपीएल गिफ्ट


आईपीएल के पास नहीं मिलने से सबसे अधिक कोई हलाकान है, तो वे हैं ठेकेदार और सप्लायर्स। पता चला है, 60 हजार कुर्सियों की क्षमता वाले स्टेडियम की आठ हजार से अधिक टिकिट ठेकेदारों ने खरीदा है। चीफ सिकरेट्री सुनील कुमार अफसरों को पास न मांगने के लिए कितना भी हड़का लें, असलियत यह है कि आईएएस, आईपीएस के पास थोक में टिकिट पहुंचाए जा रहे हैं। उनके परिजनों से लेकर मित्रों तक के लिए। आलम यह हो गया है कि जिसका कोई काम अटका है, वह आईपीएल का टिकिट लेकर अफसर या जनप्रतिनिधि से मिलने जा रहा है। इस बार होली में रंग-गुलाल के आकर्षक पैकेट के साथ आईपीएल टिकिट के लिफाफे भी खूब बंटे हैं।  

कंधे पर


अपनी पुलिस भी आजकल दूसरों के कंधे पर रखकर बंदूक चलाने लगी है। मामला है, सब इंस्पेक्टरों की भरती का। दरअसल, पीएचक्यू ने इंटरव्यू के लिए यूपीएससी के पैटर्न पर पांच बोर्ड बनाने का प्रपोजल गृह विभाग को भेजा था। इधर, गृह से कोई जवाब आए बिना इंटरव्यू भी चालू कर दिया। याने, हमने तो प्रस्ताव भेजा था, वहां से जवाब नहीं आया तो क्या करें। फिलहाल, एक ही बोर्ड है। उसी के पास लिखित परीक्षा के नम्बर भी हैं। बोर्ड के सदस्यों को पता है कि इंटरव्यू में कितना नम्बर देने से फलां कंडीडेट का चयन हो जाएगा। ऐसे में पारदर्शिता और गोपनीयता कहां रही। तभी तो आठ से दस लाख पेटी की चर्चा है। हाईकोर्ट के भरती निरस्त करने वाले फैसले से पुलिस अफसरों के प्राण सूख गए थे। मगर डबल बेंच से इजाजत मिल जाने के बाद अब जान में जान आई है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. असंतुष्ट गतिविधियों को लेकर कांग्रेस के किस नेता पर कार्रवाई का खतरा मंडरा रहा है?
2. राज्य की एक महिला नेत्री ने विवि में पीएचडी की थीसिस जमा की है, उनकी थीसिस किसने लिखी है?

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