शनिवार, 11 मई 2013

तरकश, 12 मई


कांग्रेस की डील


पिछला हफ्ता कांग्रेस के लिए काफी अहम रहा। और राजधानी में अमितेश शुक्ल के निवास पर कांग्रेस के सभी गुटीय नेताओं का एक टेबल पर बैठकर भोजन करना उतना महत्वपूर्ण नहीं था, जितना कि दिल्ली से दिग्विजय सिंह के साथ रेणू जोगी और अमित जोगी का रायपुर आना रहा। तीनों नियमित विमान के एक्जीक्यूटिव क्लास में साथ आएं। सियासी पंडितों की मानें तो दिल्ली में कोई बड़ी डील हुई और उसके बाद कांग्रेस में परिस्थितियां तेजी से पलटी है। लोगों में उत्सुकता इस बात की है कि दिग्गी ने किस शर्त पर डील कराई। जाहिर है, जोगी गुट कम में तो समझौता किया नहीं होगा। उसकी झलक दिख भी रही है। दिग्गी की वापसी के बाद अमित जोगी ने जब गुरूवार को दो दिनों की बिलासपुर शहर की पदयात्रा शुरू की तो विरोधी गुट के नेता भी अमित के पीछे-पीछे दौड़ते दिखे। अमित हीरो की तरह घूमे और बिलासपुर के बड़े नेता उनके पीछे-पीछे। बिलासपुर के लोग यह नजारा देखकर अवाक थे। चैक-चैराहों पर अमित का स्वागत करने के लिए महंत गुट, पटेल गुट के नेताओं की होड़ लग गई थी। इनमें कुछ तो पिछले एक दशक से जोगी का एलानिया विरोध करते आ रहे थे और पिछले लोकसभा चुनाव में रेणू जोगी को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन डील का ही नतीजा है कि अब, सब कुछ बदल गया है। 

नो कमेंट्स


अपने राज्य में करप्शन की स्थिति क्या है, जरा इस पर गौर कीजिए। मल्टीमीडिया के जरिये 12वीं के छात्रों को साइंस पढ़ाने के लिए एससीईआरटी ने पिछले दिनों टेंडर किया था। टेंडर में तीन पार्टियों ने अप्लाई किया। सबसे लो रेट था 90 लाख और सबसे हाई 30 करोड़। स्कूल शिक्षा विभाग की कोशिश थी कि 30 करोड़ वाले को काम मिल जाए। 30 करोड़ याने 20 फीसदी के हिसाब से छह करोड़ अंदर होने की गारंटी। बल्कि उससे अधिक भी। मगर 90 लाख सबसे कम रेट था और नियमानुसार उसे ही काम मिलना था। 90 लाख वाली मुंबई की पार्टी थी और उसका कहना था कि उसने कम रेट इसलिए कोट किया है कि वह सीबीएसई के लिए इसी तरह का प्रोग्राम बनाती है। उसके लिए यह बेहद आसान है। एससीईआरटी ने मुंबई की पार्टी को फाइनल करते हुए फाइल आगे बढ़ाया। मगर उसे काम नहीं मिलां। सरकार ने टेंडर निरस्त करके दोबारा टेंडर करने का फारमान जारी कर दिया। कारण बताया गया, रेट बहुत कम है, इसलिए वह काम नहीं कर पाएगी। एक ओर, आईपीएल के लिए 32 करोड़ का काम पीडब्लूडी ने 21 करोड़ में करके चमत्कृत कर डाला और दूसरी ओर, स्कूल शिक्षा विभाग मल्टीमीडिया प्रोग्राम को 90 लाख के बजाए 30 करोड़ में कराने के लिए प्रेशर बना रहा है। ताज्जुब यह कि दोनों विभागों का मंत्री एक है। तो फिर गड़बड़ी कहां हो रही है। नो कमेंट्स।

पुनर्वास


रिटायर डीजीपी अनिल नवानी को पुलिस शिकायत प्राधिकरण में पुनर्वास मिलने के बाद कई रिटायर आईपीएस ने कोशिशें तेज कर दी है। खबर तो ये भी है कि विकास यात्रा के बाद एक और रिटायर डीजी का किसी आयोग में एडजस्टमेंट हो जाएगा। इसे देखते एक अन्य रिटायर डीजीपी भी सरकार से रिश्ते सुधारने में जुट गए हैं। असंतुष्टों का जमावड़ा लगाने से उन्हंे आखिर कोई लाभ नहीं हुआ। पिछले हफ्ते वे मंत्रालय में सिकरेट्री टूू सीएम अमन सिंह से मिले। काफी देर तक चर्चा हुई। अब अमन सिंह से मिलने का मतलब समझा जा सकता है।    

अंडर एस्टीमेट


सत्ताधारी पार्टी स्वाभिमान मंच को भले ही हलके में ले रही हो, मगर विधानसभा चुनाव में वह दुर्ग का येदियुरप्पा बन जाए, तो आश्चर्य नहीं। पुराने दुर्ग जिले में 12 सीटें हैं। इनमें से सात भाजपा और पांच कांग्रेस के पास है। दुर्ग जिले में 12 परसेंट साहू वोट है। ओबीसी की बात करें तो 30 फीसदी से अधिक। कांग्र्रेस स्वाभिमान मंच की अहमियत समझ रही है। तभी दिग्विजय सिंह के रायपुर प्रवास में दीपक साहू की उनकी बंद कमरे में मीटिंग कराई गई। पता चला है, चुनाव में कांग्रेस मंच को पूरी मदद करेगी। हर तरह की मदद। बस, उसे अपना प्रत्याशी उतारना होगा।  


अब राजनीति


इस बार का विधानसभा चुनाव इस मायने में भी दिलचस्प होगा कि इसमें कुछ रिटायर नौकरशाह भी राजनीति के मैदान मंे किस्मत आजमाते नजर आएंगे। राज्य सूचना आयोग में पोस्टेड एक रिटायर आईएएस राज्यसभा की ट्रेन छूटने के बाद अब कुनकुरी से विधानसभा में जाने की तैयारी कर रहे हैं। महीने में तीन-चार चक्कर उनका कुनकुरी का लग जा रहा है। आयोग के एक कमिश्नर बेमेतरा से भाजपा की टिकिट के लिए प्रयासरत हैं। गृह विभाग के ज्वाइंट सिकरेट्री एसपी सोढ़ी ने वीआरएस के लिए आवेदन लगाया ही है। खबर है, वे कांकेर के लिए ट्राई कर रहे हैं। तीन साल से अंबिकापुर में पोस्टेड कमिश्नर एमएस पैकरा इस साल जुलाई में रिटायर होंगे। वे भी विधानसभा चुनाव के लिए वार्मअप हो रहे हैं। रिटायर आईएएस एवं गोंडवाना समाज के अध्यक्ष बीपीएस नेताम भी टिकिट की दौड़ में पीछे नहीं हैं। आईजी होमगार्ड आरसी पटेल के चुनाव लड़ने की चर्चा तो काफी पहले से है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इनमे ंसे कितने टिकिट पाने में कामयाब हो पाते हैं। 

दीया तले अंधेरा


याद होगा, मंत्रालय की सुरक्षा में तैनात एक 55 वर्षीय डीएसपी यूपी में 15 वर्षीय बालिका से शादी रचाते पकड़ा गया था। यह मामला मीडिया में खूब उछला और यूपी में छत्तीसगढ़ पुलिस की खासी फजीहत हुई थी। मगर इसके तीसरे दिन डीएसपी वाकी-टाकी धरे मंत्रालय में डृयूटी करते पाया गया। असल में, यूपी में यादवों की सरकार है, छग पुलिस में यादवों का दबदबा है और डीएसपी भी यादव है। ऐसे में कार्रवाई कैसे होगी। अलबत्ता, अफसरों का कु-तर्क है, उसे डार्क में रखकर शादी की जा रही थी। याने नहीं बताया गया कि लड़की नाबालिग है। बात गले नहीं उतर रहा। एक डीएसपी बिना लड़की देखे शादी कर लेगा। बहरहाल, आम आदमी ऐसा गुस्ताखी करें, तो उसे यही पुलिस सलाखों के पीछे भेजने में देर नहीं लगाती। नैतिकता के नाते डीएसपी को कम-से-कम मंत्रालय जैसी जगह से तो हटा देना था। मगर ऐसा नहीं हुआ। याने दीया तले अंधेरा वाली ही स्थिति है। 

अंत में दो सवाल आपसे

1. प्रींसिपल सिकरेट्री केडीपी राव का तबादला क्यांे किया गया?
2. आईएफएस अफसर आनंद बाबू की के्रडा में पोस्टिंग का क्रेडा के किस अफसर के इशारे पर कर्मचारियों ने विरोध किया?



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