शनिवार, 8 जून 2013

तरकश, 9 जून

सलवा-जुडूम

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बस्तर में भले ही सलवा-जुडूम बंद हो गया मगर आईएएस अफसरों के बीच इंटरनेटी सलवा-जुडूम चालू हो गया है। और इसमें खूब ज्ञान बघारे जा रहे हैं और भड़ास भी। दरअसल, छत्तीसगढ से जुड़े आईएएस अफसरों ने दरभा हमले के बाद बस्तर को लेकर पर्सनल मेल ग्रुप  बनाया है। इनमें रिटायर्ड आईएएस से लेकर प्रोबेशनर तक शमिल हैं। इसका इतना नशा हो गया है कि एक सीनियर आईएएस रात के तीन-तीन बजे तक नेट पर बैठ रहे है। सिंगापुर में छुट्टियां मना रही आईएएस रिचा शर्मा भी वहीं से कमेंट दे रही हैं कि बस्तर में विकास के लिए क्या-क्या नहीं हुआ। दिलचस्प यह कि रिचा पिछले 10 साल से छत्तीसगढ़ से बाहर हैं। राज्य के एडिशनल चीफ सिकरेट्री डीएस मिश्रा और सीके खेतान के बीच तो नेट पर जंग के हालात बनते जा रहे हैं। खेतान डेपुटेशन पर दिल्ली में हैं। उन्होंने बस्तर में हुए विकास पर कमेंट करते हुए उसे कंट्रोवर्सी डेवलपमेंट लिख दिया। इससे नाराज होकर मिश्रा ने खेतान को एक के बाद एक कई मेल कर डाला। अंत में यह भी कि मैं आपको हर्ट नहीं करना चाहता। खेतान ने जवाब दिया, ये तो एक बहस है, विचारों का आदान-प्रदान है, इसमें हर्ट की बात कहां से आ गई। एक प्रोबेशनर आईएएस की सुनिये, सीनियर अफसरों के सलवा-जुडूम का हमलोग खूब आनंद ले रहे हैं। 

तू डाल-डाल.....

सरकार के साथ लड़ाई में प्रींसिपल सिकरेट्री केडीपी राव जिस तरह से भारी पड़ रहे हैं, उससे आईएएस अफसर अब महसूस कर रहे हैं कि ला की पढ़ाई अब जरूरी हो गई है। राव ने सिकरेट्री रहने के दौरान 2010 में एलएलबी किया था। वो अब उनके ही काम आ रहा है। 31 मई को राव को कैट से राहत न मिलने पर राज्य सरकार को लगा था कि वे अब स्टे के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट जाएंगे। सो, वहां केवियट लगाया था। मगर राव ने सरकार को गच्चा दे दिया। कैट जबलपुर में है, इसलिए उन्होंने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कैट के फैसले को चुनौती दे दी। और उन्हें राहत भी मिल गई। हाईकोर्ट ने कैट को मामले का जल्द निबटारा करने के साथ ही, तब तक सरकार को राव के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने के लिए कहा है। जबकि, हाईकोर्ट में केवियट लगाने के बाद सरकार बेफिकर थी कि अब राव को स्टे नहीं मिलेगा। अब, सरकार के समक्ष संकट पैदा हो गया है कि केडीपी से किस तरह निबटा जाए।

बड़ा सवाल

केडीपी राव के इंकार कर दिए जाने के बाद बिलासपुर कमिश्नर का पोस्ट 40 दिनों से खाली है। कैट में 31 जुलाई को अगली सुनवाई है। कैट कितना भी जल्दी करेगा, तो भी दो-तीन महीने लग जाएगा। तब तक अचार संहित लग जाएगी। ऐसे में, सरकार को किसी दूसरे आईएएस को बिलासपुर कमिश्नर पोस्ट करना पड़ेगा। अलबत्ता, कमिश्नर लेवल के अफसरों की भारी कमी है। डायरेक्ट आईएएस में कोई कमिश्नर बनने लायक नहीं है। कमिश्नर बोले तो, जो कहंी चल नहीं पा रहा हो। इन दिनों प्रमोटी आईएएस को ही डिवीजन में पोस्ट किया जा रहा है। उधर, सरगुजा कमिश्नर एमएस पैकरा भी इसी महीने रिटायर हो रहे हैं। सो, संकट और गहराएगा। प्रमोटी आईएएस में केआर पिस्दा और बीएस अनंत सिकरेट्री हैं। अनंत रायपुर से बाहर पोस्टिंग के इच्छुक नहीं हैं। पिस्दा को सरगुजा भेजने की खबर है। ऐसे में सरकार के सामने बड़ा सवाल है कि बिलासपुर किसे भेजा जाए। 

सिंहों के सिंह

सिंहों के साथ काम करने की वजह से पीएस टू सीएम बैजेंद्र कुमार का उनके मित्रों ने सरनेम ही बदल दिया है। मजाक में ही सही, उन्हें बैजेंद्र सिंह कहा करते हैं। जाहिर है, दिग्विजय सिंह, अर्जुन सिंह के बाद अब वे रमन सिंह के साथ काम कर रहे हैं। सो, डेसिंग के मामले में भी वे सिंह सरीखे ही हो गए है। मंत्रालय के एकमात्र आईएएस होंगे, जो किसी से हेठा नहीं खाते और मुंह पर ना बोलने का साहस रखते हैं। इसीलिए, सीएम भी उन्हें पसंद करते हैं। और अब, दरभा हमले के बाद ब्यूरोक्रेसी में उन्हें विबियन रिचर्ड कहा जाने लगा है। विब ने सही समय पर क्र्रिकेट से सन्यास ले लिया था। उसी तरह छह साल से पब्लिक रिलेशंस संभाल रहे बैजेंद्र ने अप्रैल में सीएम से बोलकर जनसंपर्क को बाय-बाय कर दिया था। अगर दो महीने और इस पद पर रह गए होते तो सोचिए क्या होता। पुलिस ने उन्हें शून्य पर ला दिया होता। दरभा हमले के बाद सरकार की छबि को पटरी पर लाने के लिए सिकरेट्री पीआर अमन सिंह को आखिर, कौन-कौन से जतन करने पड़ रहे हैं। हमले की रात चार बजे तक वे मीडिया को अपडेट देते रहे। उनका आखिरी एसएमएस विद्याचरण को मेदांता के लिए एयर एंबुलेंस से उड़ान भरने का था।

वल्र्ड हेरिटेज

सिरपुर की स्मृतियों का छत्तीसगढ़ में भले ही कोई मोल न हो, मगर दलाई लामा को वहां खुदाई में निकली बौद्ध की निशानियां इतना प्रभावित किया कि जनवरी में वे तीन दिन के दौरे पर फिर छत्तीसगढ़ आएंगे। उनके दौरे की तैयारियां शुरू हो गई है। तीनों दिन वे सिरपुर में ही कैम्प करेंगे। जाहिर है, वल्र्ड के मैप पर सिरपुर आ जाएगा। मार्च में दलाई लामा के आधा घंटे के विजिट के बाद गूगल पर सिरपुर का सर्च बढ़ गया है। हालांकि, दलाई लामा को सिरपुर लाने का लाभ टूरिज्म बोर्ड के एमडी संतोष मिश्रा का नम्बर बढ़ गया। तमिलनाडू से डेपुटेशन पर आए मिश्रा को सरकार ने फिलहाल टूरिज्म बोर्ड में बनाए रखने का फैसला किया है। वरना, राजनीतिक दबावों की वजह से उनको हटाने की चर्चा चल पड़ी थी। 

बुरी खबर

कैडर रिव्यू के बाद प्रमोशन के सपने देख रहे आईएफएस अफसरों को यह खबर परेशान कर सकता है कि केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने उनके प्रपोजल को मानने से इंकार कर दिया है। काफी विरोध के बाद भी राज्य सरकार ने कैडर रिव्यू का प्रस्ताव दिल्ली भेजा था। मगर वहां अड़ंगा लग गया है। बताते हैं, पीसीसीएफ धीरेंद्र मिश्रा को डीओपीटी के एक अफसर ने दो टू कह दिया कि छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य के लिए इतने बड़े सेटअप की कोई जरूरत नहीं है। इससे पहले, आईएफएस एसोसियेशन जब चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार से इस मामले में मिलने गया था तो उन्होंने कड़ी टिप्पणी की थी, आपलोग पद बड़ा और काम छोटा करना चाहते हैं। असल में, आईएफएस एसोसियेशन सर्किल में सीएफ के बजाए सीसीएफ पोस्ट करना चाहता है। कैडर रिव्यू में मेन प्वाइंट यही था।      

अंत में दो सवाल आपसे

1.    दिग्विजय सिंह ने कहा है, वे गुटबाजी कम करने छत्तीसगढ़ आए थे, इससे आप कितना सहमत हैं?
2.    एक ऐसे आईएएस का नाम बताइये, जो किसानों के पैसे से आला अफसरों को ब्लैकबेरी मोबाइल बांट दिया?

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