सोमवार, 23 सितंबर 2013

तरकश, 22 सितंबर

फीका प्रवास 

जीरम नक्सली हमले के समय आकस्मिक प्रवास को छोड़ दें तो प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह आठ साल बाद छत्तीसगढ़ आए। इसके बावजूद उनका प्रवास फीका रहा। विधानसभा चुनाव सामने है इसलिए, सत्ताधारी पार्टी द्वारा इसे महत्व देने का सवाल ही नहीं था। कांग्रेस ने भी उत्साह दिखाने की कोई कोशिश नहीं की। आलम यह रहा कि अरसे बाद छत्तीसगढ़ आए प्रधानमंत्री का राजधानी रायपुर में वह एक कार्यक्रम नहीं ले पाई। न एक बैनर और ना ही एक पोस्टर। मीडिया में भी पीएम विजिट की खबर खानापूर्ति समान ही लगी। अलबत्ता, मीडिया को यह खबर अधिक अहम लगी कि अजीत जोगी को मंच पर नहीं बिठाया गया। सो, पीएम गौण हो गए और जोगी लीड समाचार बन गए।

अब डीएस भी

 चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार के बाद शनिवार को एसीएस डीएस मिश्रा ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपने खिलाफ सीबीआई जांच करने का आग्रह कर दिया। उन्होंने सीएम को लिखा है कि मैरे विरुद्ध कतिपय लोगों ने सायकिल और फर्नीचर खरीदी में चीफ विजिलेंस कमिश्नर से जांच की मांग की गई है। मैं चाहता हूं कि इसकी उच्च स्तरीय जांच की जाए, ताकि दूध-का-दूध और पानी-का-पानी हो जाए। अब, यह देखना दिलचस्प होगा कि तीसरा कौन आईएएस इस तरह का साहस दिखाता है।

तू-तू, मैं-मैं

 नौकरशाही में शीर्ष पद के दो दावेदार पिछले हफ्ते जमकर उलझ पड़े। मौका था, राज्य कर्मकार मंडल की बैठक का। इसमें विभागीय आईएएस इस बात को लेकर अड़े थे कि कैश ट्रांसफर उन पर लागू नहीं होता। इसलिए, असंगठित मजदूरों को सायकिल, सिलाई मशीन ही वितरित की जाएगी। और खजाना वाले आईएएस का कहना था, ऐसा संभव नहीं है। उन्हें कैश ही ट्रासंफर किया जाएगा। बताते हैं, इस पर दोनों आला अधिकारी इतने गरम हो गए कि तू-तू, मैं-मैं होने लगीं। आलम यह था कि सिर्फ हाथापाई नहीं हुई। बाकी सब हो गया। हालांकि, आखिर में तय यही हुआ कि कैश दिया जाए।

नेतागिरी का चक्कर


आईएएस अफसरों की नेतागिरी के चक्कर में प्रींसिपल सिकरेट्री अजय सिंह मारे गए। जनवरी से प्रमोशन ड्यू होने के बाद भी अब तक वे एडिशनल चीफ सिकरेट्री नहीं बन पाए। नारायण सिंह के विद्युत नियामक प्राधिकरण में जाने से एक पोस्ट खाली हुआ था। लेकिन 83 बैच के आईपीएस गिरधारी नायक के डीजी बन जाने से आईएएस अफसरों ने आत्मसम्मान का प्रश्न बना लिया और नायक के बैच के आईएएस एनके असवाल को एसीएस बनाने के लिए लाबिंग कर दी। पहंुच गए सीएम के दरबार में। सीएम तो वैसे भी उदार है, तथास्तु कह दिया। इसके बाद असवाल के लिए 20 अगस्त की कैबिनेट में स्पेशल तौर पर एक पोस्ट क्रियेट किया गया। मगर भारत सरकार की अनुमति की पेंच में मामला फंस गया है। दिल्ली से हरी झंडी मिलें तो डीपीसी हो, मगर अभी कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। आचार संहिता के बाद तो मुश्किल ही लगता है।

मेष राशि का लफड़ा


अजय सिंह ही नहीं मेष राशि वाले सभी अफसरों के साथ ऐसा ही चल रहा है। अमिताभ जैन सिकरेट्री होने के बाद भी स्पेशल सिकरेट्री वाला पद पाए हैं, तो अमित अग्रवाल को पोस्टिंग के लिए 11 दिन तक मंत्रालय में धक्के खाने प़ड़े। जगदलपुर के कलेक्टर अंकित आनंद और एसपी अजय यादव एक हादसे में बाल-बाल बचे। बड़ों के प्रेशर में आलोक अवस्थी यूज होकर मुसीबत मोल ले ली।  

चोरी और सीनाजोरी

 34 करोड़ रुपए के पेपर टेंडर घोटाले में पाठ्य पुस्तक निगम चोरी और सीनाजोरी पर उतर गया है। निगम की ओर से जारी बयान में कहा गया है, पेपर की जब खरीदी ही नहीं हुई तो गड़बड़ी कैसे हो गई। ये तो वैसा ही हुआ कि चोर अगर घर का ताला तोड़ते हुए पकड़ा जाए और कहे कि उसने अभी चोरी नहीं की है, तो वह चोर कैसे हो गया। 12 सितंबर को टेंडर ओपन हुआ और उसी दिन वर्क आर्डर जारी कर दिया गया। मन में कहीं से यह डर तो था ही कि शिकायत होने पर मामल बिगड़ न जाए।

अंत में दो सवाल आपसे


1. किस युवक कांग्रेस नेता की वसूली की शिकायत दिल्ली पहुंच गई है और वहां से इसकी क्वेरी भी शुरू हो गई है?
2. मुख्यमंत्री द्वारा कैश ट्रांसफर लागू करने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग और कर्मकार मंडल अब वित्त विभाग से बजट क्यों नहीं मांग रहा है? 

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