शनिवार, 9 अगस्त 2014

तरकश, 10 अगस्त

तरकश

बैचमेट बनाम बैचमेट

आईजी राजकुमार देवांगन के खिलाफ विभागीय जांच में सरकार ने बिलासपुर रेंज के आईजी पवनदेव को प्रस्तुतकर्ता अधिकारी बना दिया है। प्रस्तुतकर्ता अधिकारी बोले तो सरकारी वकील। डीजी जेल और होमगार्ड गिरधारी नायक जांच अधिकारी हैं। पवनदेव का काम होगा नायक के समक्ष सरकार का पक्ष रखना। बाराद्वार डकैती कांड में देवांगन के खिलाफ डीई हो रही है और पवनदेव जांच अधिकारी के समक्ष देवांगन के खिलाफ खड़े होंगे। जबकि, दोनों बैचमेट हैं। 92 बैच के आईपीएस। बैचमेट के खिलाफ बैचमेट को खड़ा करके सरकार ने पवनदेव के खिलाफ अजीब धर्मसंकट खडा कर दिया है। देवांगन नप गए तो आरोप लगेगा बैचमेट ने मदद नहीं की। और, बच गए तो जोर से वकालत कर दी।

फिर महिला

अक्सर ऐसा कहा जाता है, किसी बात को प्रचारित करना हो तो किसी महिला से शेयर कर लो। मगर आईएएस के मामले में ऐसा नहीं है। सामान्य प्रशासन विभाग के आईएएस सेल में आमतौर पर महिला आईएएस को ही पोस्ट किया जाता है कि सूचना सुरक्षित रहे। कुछ महीने के लिए विकास शील जरूर इस विभाग में रहे लेकिन उनके डेपुटेशन पर जाने के बाद शहला निगार को दूसरी बार इस विभाग की कमान सौंप दी गई। इससे पहिले रेणू पिल्ले, ईशिता राय, निधि छिब्बर, शहला निगार और रीतू सेन इस पोस्ट पर रह चुकी हैं। रीतू को अंबिकापुर कलेक्टर बनने के बाद विकास शील को टेम्पोरेरी तौर पर जीएडी सिकरेट्री बनाया गया था।

भूचाल

भारी डिप्रेशन में चल रहे एक सीनियर आईएफएस अफसर के साथ अगर कुछ गलत हो गया तो न केवल सरकार कटघरे में आ जाएगी बल्कि, ब्यूरोक्रेसी में भी भूचाल आ जाएगा। आईएफएस का पत्नी से तलाक हो गया है। तलाक क्यों हुआ, नौकरशाही में सबको पता है। आईएफएस ने तलाक के कुछ कारण भी कोर्ट में बताए थे। दूसरा, डीपीसी होने के आठ महीने बाद भी प्रमोशन को हरी झंडी नहीं दी जा रही है। मंत्रालय के अफसर भी मानते हैं कि आईएफएस के खिलाफ कोई गंभीर मामला नहीं है। उससे गंभीर केस में फंसे आईएएस सिकरेट्री, प्रिंसिपल सिकरेट्री और आईपीएस डीआईजी, आईजी प्रमोट हो गए मगर आईएफएस को अटका दिया गया है।

जय हो

अपने चेले को पीसीसीएफ बनाने के लिए एक सीनियर आईएफएस अफसर चार लोगों का उद्धार कर गए। वन विभाग में अभी पीसीसीएफ के चार पोस्ट हैं। साब का चंपू पीसीसीएफ नहीं बन पा रहा था, इसलिए जाते-जाते याने 31 जुलाई को रिटायरमेंट के दिन पीसीसीएफ के चार नए पोस्ट का प्रपोजल भिजवा दिया। प्रस्ताव के मुताबिक चारों को पीसीसीएफ का दर्जा दिया जाएगा। अगर एक पोस्ट का प्रपोजल होता तो हल्ला मचता कि अपने आदमी के लिए उन्होंने पोस्ट क्रियेट कराया है। सो, चार-चार कर दिया। अब, बीएल शरण से लेकर जीतेंद्र उपध्याय, एनसी पंत और बीके सिनहा तक पीसीसीएफ बन जाएंगे। विभाग में अब पुराने साब का जय-जय हो रहा है।

ऐसा भी होता है

हिदायतुल्ला ला यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति एमके श्रीवास्तव बरकउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल में सस्पेंड होे गए हैं। उन पर महिला कर्मी के साथ दुव्र्यव्यहार का आरोप लगा है। वीसी का कार्यकाल समाप्त होने के बाद श्रीवास्तव अपने मूल संस्थान में लौट गए थे। कुलपति बड़ा सम्मानित पद होता है। वह भी कानून की पढ़ाई वाले विश्वविद्यालय का। पद से हटने के बाद भी अगर वह सस्पेंड होगा, तो लोगों को झटका तो लगेगा ही।

आईजी का गुस्सा

एक बड़े कांग्रेस नेता को यह बयान देना भारी पड़ गया कि राज्य में फर्जी नक्सलियों का समर्पण कराया जा रहा है। एक आईजी को जब इसका पता लगा तो उन्होंने नेताजी को फोन लगाकर जमकर सुनाया…..प्रेशर बनाकर नक्सलियों को किस तरह हम समर्पण करवा रहे हैं और, आप लोग राजधानी में बैठकर इस तरह की बातें कर रहे हैं। हालांकि, नेताजी मुकर गए….हमने ऐसा कुछ कहा नहीं। हालांकि, नेताजी का बयान टीवी में चल चुका था। मगर आईजी के फोन का असर यह हुआ कि कांग्रेसी अब इस विषय पर बोलने में हिचकने लगे हैं।

धरम और उसेंडी

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के नाम का ऐलान हो जाएगा। अंदरखाने से जो खबर आ रही है, पार्टी के शीर्ष नेताओं के समक्ष इस पोस्ट के लिए मुख्य तौर पर दो नाम है। धरमलाल कौशिक और विक्रम उसेंडी। हालांकि, सांसद रमेश बैस ने छत्तीसगढ़ को आदिवासी की बजाए पिछड़ा राज्य का हुंकार भर कौशिक की मुश्किलें बढ़ा दी है। मगर फायनल इन दो नामों में से ही होगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. दो सीनियर आईपीएस अफसरों की पुरानी जोड़ी क्यों बिछड़ गई?
2. आईजी राजकुमार देवांगन के खिलाफ गिरधारी नायक से विभागीय जांच कराने के पीछे वजह क्या हो सकती है?

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