रविवार, 30 नवंबर 2014

तरकश, 30 नवंबर

तरकश

सत्र के बाद

मंत्रिमंडल में फेरबदल अब विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद ही होगा। इससे पहले, नो चांस समझिए। नसबंदी कांड के बाद जोर की चर्चा थी कि राजभवन में शपथ ग्रहण की खबर कभी भी आ सकती है। मगर जानकार सूत्रों का कहना है कि जनवरी के पहले या दूसरे हफ्ते मंे ही चेंजेस की उम्मीद की जा सकती है। तब, तीन खाली पदों को भी भरा जाएगा। कुछ मंत्रियों के विभाग भी बदले जाएंगे। ताजा अपडेट यह है कि दिल्ली ने सीएम को फ्री हैंड दे दिया है……अपने हिसाब से वे निर्णय लें। आपको ध्यान होगा, पिछले सप्ताह सीएम जब दिल्ली गए थे, तो यहां एयरपोर्ट पर मीडिया से कहा था कि मंत्रिमंडल में परिवर्तन किसी भी समय हो सकता है। मगर अगले दिन जब वे लौटे तो उनका सूर बदला हुआ था। उन्होंने कहा, महीना, दो महीना, छह महीना बाद भी हो सकता है फेरबदल।

जनवरी में

दिसंबर फस्र्ट वीक में होने वाला ब्यूरोक्रेटिक चेंजेंस भी अब टल गया है। सरकार ने सभी कलेक्टरों एवं एसपी को राहत देते हुए जनवरी में फेरबदल करने का फैसला किया है। अति विश्वस्त सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कलेक्टर, एसपी अपने जिलों में ही नया साल मनाएंगे। जनवरी फस्र्ट या सेकेंड वीक तक होंगे अब चेंजेस। नसबंदी कांड के बाद कुछ जिलों के कलेक्टर, एसपी और आईजी के बदलने की चर्चा तेज थी। पुलिस महकमे में वैसे भी दिसंबर में लिस्ट निकलती है। 2008 में तो 31 दिसंबर को देर रात आईपीएस की लिस्ट निकल गई थी। लेकिन, इस बार यकीनन ऐसा कुछ नहीं होने वाला।

न्यायिक आयोग, कांग्रेसी वकील

नसबंदी कांड के न्यायिक जांच आयोग में कांग्रेसी वकील मेम्बर बनते-बनते रह गए। बताते हैं, जोगी शासन काल के समय बड़े पोस्ट पर रहे एक लायर ने बिलासपुर हाईकोर्ट के अपने रिश्तेदार को जांच आयोग के लिए रिकमांड करवा लिया था। एक अफसर के जरिये सीएम सचिवालय तक इसकी फाइल पहुंची। लेकिन, इससे पहले वहां कहीं से इसके बारे में जानकारी आ गई थी। सो, तुरंत नाम काटा गया। और, सरकार को जान में जान आई।

अब रिजल्ट चाहिए

गृह विभाग की समीक्षा के दौरान सीएम डा0 रमन सिंह ने पहली बार तल्खी दिखाई। उन्होंने दो टूक कहा कि नक्सल इलाकों में करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं, मगर रिजल्ट कुछ नहीं है। पुलिस महकमा सिर्फ संसाधनों पर जोर देता है, आखिर दिल्ली को कुछ बताना भी तो पड़ेगा कि पुलिस यहां क्या कर रही है। उन्होंने पुलिस अफसरों को टिप्स दी कि जिस तरह सरगुजा से नक्सलियों का सफाया हुआ, उसी तरह एक-एक जिलों को टारगेट में रखकर नक्सल मुक्त किया जाए। हालांकि, उन्होंने बस्तर में लगातार चल रहे माओवादियों के समर्पण पर प्रसन्नता व्यक्त की।

वजनदार आईएएस

सिकरेट्री टू सीएम सुबोध सिंह का वजन लगातार बढ़ता जा रहा है। सीएम सिकरेट्री की पोस्टिंग वैसे ही रुतबेदार होती है। उसके बाद बिजली वितरण और ट्रेडिंग कंपनी का दायित्व। फिर, इस साल माईनिंग जैसे अहम विभाग मिल गया। और, शनिवार को कामर्स और इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट भी सरकार ने उनके हवाले कर दिया। कामर्स एंड इंडस्ट्रीज एन बैजेंद्र कुमार के पास था। सुबोध साफ-सुथरी और निर्विवाद छबि के आईएएस माने जाते हैं। माईनिंग और इंडस्ट्रीज सरकार सबको नहीं दे सकती। ऐसे में, सुबोध पर लोड बढ़ता जा रहा है।

जाना पहचाना नाम

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर का नाम छत्तीसगढ़ के लिए भले ही नया हो, मगर बस्तर के लिए जाना-पहचाना चेहरा है। बस्तर बीजेपी के दो दर्जन से अधिक नेताओं के पास खट्टर के पर्सनल मोबाइल नम्बर हैं। सीएम बनने के बाद अब सीधे तो उनसे बात नहींे हो पाती मगर पीए के जरिये आज भी कई लोग उनके संपर्क में हैं। असल में, खट्टर 2003 में बस्तर में पार्टी के प्रभारी थे। बीजेपी के नेता खट्टर के फक्कड़ स्वभाव को आज भी याद करते हुए कहते हैं कि चुनाव के समय जहां शाम हो जाए, सामान्य कार्यकर्ता के घर भी वे रात गुजार लेते थे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रमन सरकार के किन दो मंत्रियों में ट्रांसफर को लेकर अनबन चल रहा है?
2. नसबंदी कांड पर कांग्रेस का एक धड़ा जब सीएम हाउस को घेरने की तैयारी कर रही थी, तो दूसरा धड़ा सीएम से क्यों मिलि रहा था?

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