शनिवार, 8 नवंबर 2014

तरकश, 8 नवंबर

तरकश


खैर नहीं

मुख्यमंत्री को जनदर्शन में या उनके दौरे में मिलने वाली जन शिकायतों को हल्के से लेना, अब कलेक्टरों एवं अन्य अफसरों को भारी पड़ सकता है। सरकार उन्हें बुलाकर जवाब तलब करने वाली है। और, सही कारण न बताने पर उन पर गाज भी गिर सकती है। पता चला है, कौंवा मारकर टांगने जैसी कार्रवाई भी हो सकती है, जिससे आगे से कोई अफसर जनदर्शन की शिकायतों को टरकाने की हिमाकत न कर सकें। बताते हैं, मुख्यमंत्री के नोटिस में यह बात आई थी कि जनदर्शन की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। सीएम ने अपने सचिवालय के अफसरों को इस पर सख्ती बरतने का निर्देश दिया। इसके बाद अफसर हरकत में आए और करीब 150 केस का फिजिकल वेरीफिकेशन कराया गया, जिसमें पता चला कि कागजों में शिकायतों का निबटारा कर दिया गया। मसलन, हैंड पंप लगा नहीं, मगर रिकार्ड में वह खुद गया। इनमें से कुछ कलेक्टरों की जल्द ही पेशी होने वाली है।

अब सिकरेट्री भी

आम जन के लिए यह अच्छी खबर होगी…..सीएम के जनदर्शन का स्वरुप बदला जा रहा है। जनदर्शन में आमतौर पर सीएम हाउस के स्टाफ होते थे। मगर अब सुनिश्चित किया जा रहा है कि विभिन्न विभागों के सिकरेट्रीज भी इस मौके पर मौजूद रहें। ताकि, तत्काल कुछ मामलों का निपटारा किया जा सकें। जनदर्शन में सर्वाधिक शिकायतें पंचायत और शिक्षा विभाग से होती है। इसलिए, गुरूवार के जनदर्शन में दोनों विभागों के सिकरेट्री को बुलाया गया था। एडिशनल सिकरेट्री पंचायत एमके राउत के बाहर रहने पर उनके सचिव आए तो स्कूल शिक्षा सिकरेट्री सुब्रत साहू पूरे समय जनदर्शन में मौजूद रहे। आगे से अब सभी अहम विभागों के सिकरेट्री जनता दरबार में सीएम के साथ नजर आएंगे।

नए ओआईसी

व्यवस्था की दृष्टि से सीएम के चारों ओएसडी को एक-एक संभाग का ओआईसी याने आफिसर्स इनचार्ज बनाया गया है। विक्रम सिसोदिया बस्तर, अरूण बिसेन बिलासपुर, विवेक सक्सेना दुर्ग और ओपी गुप्ता को सरगुजा की कमान सौंपी गई है। सीएम के इन इलाके के दौरे में संबंधित ओआईसी उनके साथ रहेंगे। सो, अब यह पता लगाना मुश्किल नहीं होगा कि फलां जगह के दौरे में सीएम के साथ कौन आएगा। इसके साथ ही, उन इलाके के सांसद एवं विधायकों के जनहित से जुड़े मामले भी ओआईसी देखेंगे। एमपी और एमएलए की शिकायतें रहती थीं कि उनके पत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। बार-बार वे सीएम से मिल नहीं सकते। मगर अब वे ओआईसी को अपनी तकलीफें शेयर कर सकते हैं।

वाह भाई!

मान गए भाई…..पैसे कमाने के लिए अपने सूबे के एक डीएसपी ने क्या तरीका निकाला……कुछ खूबसूरत लड़कियों से सांठ-गांठ की और सेठ-साहूकारों के पीछे लगा दिया। बाद में, उनसे मोटी रकम ऐंठी गई। पुलिस के अधिकारी ही बताते हैं कि दर्जन भर से अधिक सेठों को ब्लैकमेल करके डीएसपी ने इतना पैसा बनाया, जितना एसपी दो साल में नहीं कमा पाते होंगे। मगर पीएचक्यू के आला अफसरों की नोटिस में ये बात आने के बाद खेल खतम हो गया। डीएसपी को ऐसे जगह पर भेजा गया है, जहां सुंदर लड़कियां होंगी, न सेठ-साहूकार।

लटके जैन

90 बैच के आईएएस अफसर एवं बस्तर कमिश्नर आरपी जैन का प्रमोशन लटक गया है। उन्हें प्रींसिपल सिकरेट्री बनना है मगर भारत सरकार ने उनकी डीपीसी का अनुमोदन करने से मना कर दिया है। उनका प्रमोशन अगर हो जाता तो प्रमोटी आईएएस में पीएस बनने वाले सूबे के वे दूसरे आईएएस होते। इससे पहले, जवाहर श्रीवास्तव कुछ महीने के लिए पीएस बने थे। जैन अगले साल अप्रैल में रिटायर हो जाएंगे। जीएडी के सूत्रों की मानें तो जैन का प्रपोजल एक बार फिर भारत सरकार को भेजा जाएगा।

करोड़पति विधायक

छत्तीसगढ़ भले ही गरीब प्रदेश हो, मगर अपने विधायकजी लोगों की संपत्ति में दिन दूनी रात चैगुनी बढ़ोतरी हो रही है। एसोसियेशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म द्वारा जुटाए गए आंकड़ों की मानें तो 2008 में विधायकों की औसत संपति 1.45 करोड़ रुपए थी। 2014 में यह बढ़कर 8.8 करोड़ हो गई। धन की बढ़ोतरी में अपने विधायक मध्यप्रदेश को पीछे छोड़ दिए हैं। एमपी के विधायकों की औसत संपत्ति 5.25 करोड़ है। यही नहीं, राज्य के 70 फीसदी एमएलए की औसत संपत्ति एक करोड़ रुपए से अधिक है।

फस्र्ट साहित्यिक महोत्सव

छत्तीसगढ़ में पहली बार राष्ट्रीय स्तर का साहित्यिक आयोजन होगा। 12, 13 और 14 दिसंबर को न्यू रायपुर में होने वाले इस आयोजन का नाम रायपुर साहित्य महोत्सव रखा गया है। यह जयपुर साहित्य महोत्सव से भी बढि़यां हो, इसके लिए व्यापक तैयारियां शुरू हो गई है। इसमें देश के नामी साहित्यकारों का जमावाड़ा होगा। केदारनाथ सिंह से लेकर निदा फाजिली, अशोक बाजपेयी, मैनेजर पाण्डेय, प्रयाग शुक्ल, वाणी शुक्ला, नादिरा बब्बर जैसे राष्ट्रीय स्तर की शख्सियतें मौजूद रहेंगी। लोकल साहित्यकार भी होंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अनुपम खेर से लेकर कैलाश खेर जैसे कलाकार आएंगे। अनुपम खेर का मोनो प्ले होगा। जनसंपर्क संचालक रजत कुमार इस कार्यक्रम के सूत्रधार हैं। अगर यह सफल हो गया तो जयपुर टाईप से हर साल रायपुर साहित्य महोत्सव आयोजित किया जाएगा। जाहिर है, छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ सरकार और रायपुर की ब्रांडिंग के लिए जनसंपर्क ने क्रियेटिव तरीका निकाला है।

पीठ थपथपायी

पुलिस के लिए संभवतः अरसे बाद यह पल आया होगा…..जब नक्सल मामले को लेकर केंद्र सरकार द्वारा उसकी पीठ थपथपाई गई। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में हुई मीटिंग में कहा कि छत्तीसगढ़ देश का पहला स्टेट है, जहां माओवादी उन्मूलन के लिए गंभीरता से प्रयास चल रहा है। उन्होंने बस्तर में नक्सलियों के चल रहे लगातार आत्मसमर्पण का भी जिक्र किया और कहा कि अन्य राज्यों को भी इस लाइन पर चलना चाहिए। ऐसे में, पीएचक्यू के अफसरों के चेहरे खिलना लाजिमी है।

अच्छी खबर

अमेरिकी कौंसिल की टीम 16 दिसंबर को रायपुर आ रही है। वह यहां हेल्थ और एजुकेशन के फील्ड में निवेश की संभावनाएं तलाशेगी। हालांकि, कौंसिल के दौरे में दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद का नाम था। मगर टीम के प्रायोजकों में आवास पर्यावरण के सिकरेट्री संजय शुक्ला के फें्रड निकल गए। सो, उन्होंने रायपुर को शामिल करा कर अपना नम्बर बढ़ा लिया। यही वजह है, संजय को इस कमेटी के दौरे का नोडल अधिकारी बनाने का।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक डीएसपी का नाम बताइये, जो ट्रांसफर होते ही बीमार पड़ गए?
2. जंगल में मंगल मनाने वाले सरगुजा संभाग में पोस्टेड कलेक्टर को सरकार नोटिस तक देने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रही है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें