शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

परमानेंट गृह मंत्री?


tarkash photo

21 फरवरी


संजय दीक्षित
सड़क हादसे में गंभीर रूप से जख्मी रामसेवक पैकरा को पूरी तरह स्वस्थ्य होने में दो से ढाई महीने लगेंगे। इससे अधिक भी हो सकता है। सरकार ने तब तक गृह विभाग की कमान अजय चंद्राकर को सौंप दी है। हालांकि, इसके पीछे पीएम विजिट और बजट सत्र बताया जा रहा है मगर सत्ता के गलियारों से जिस तरह के संकेत मिल रहे हंै, चंद्रकार को होम में कंटीन्यू भी किया जा सकता है। जाहिर है, होम के बाद चंद्राकर के पास तीन बड़े विभाग हो गए हैं। पंचायत, स्वास्थ्य और होम। सरकार इनमें से एक कम कर देगी। मसलन, पंचायत को पैकरा के हवाले। जब वे स्वस्थ्य हो जाएंगे। वैसे भी, माओवाद ग्रस्त राज्य होने के चलते ठीक-ठाक गृह मंत्री बनाए जाने की बातें बहुत पहले से चल रही हैं। तीसरी बार जब सरकार बनीं, तब भी अजय चंद्राकर को होम मिनिस्टर बनाने की चर्चाएं हुई थीं। लेकिन, तब नरेंद्र मोदी पीएम नहीं थे। अब, केंद्र भी चाहेगा कि देश के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित स्टेट में तेज-तर्रार गृह मंत्री हो। और, चंद्राकर इसमें फिट बैठते हैं।

जोगी को गुस्सा क्यों?

अजीत जोगी बोले तो सियासत के माहिर खिलाड़ी। जीवट नेता। ऐसा योद्धा जो विपरीत परिस्थितयों में भी हार नहीं मानता। लेकिन, जोगीजी में अब कुछ चेंजेस दिखने लगे है। उन्हें अब गुस्सा आने लगा है। मंगलवार को उन्होंने कुछ मीडिया वालों को बंगले में बुलवाया था। लेकिन, कुछ सवालों पर वे बुरी तरह उखड़ गए। रिपोर्टर्स भी स्तब्ध रह गए। ऐसा तो उनके सीएम रहने के दौरान भी गुस्साते नहीं देखा गया। जोगीजी राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे हैं। अच्छी तरह याद है, दिल्ली में मीडिया के तीखे सवालों को चैके-छक्के की तरह हवा में उछाल देते थे। लगता है, बुरे समय में उनके अपने जिस तरह घोखा दे रहे हैं, वे हिल गए हैं। संगठन खेमा उनके अधिकांश विधायकों को साधने में कामयाब हो गया है। आखिर, सियाराम कौशिक को जीताने के लिए जोगीजी ने क्या नहीं किया। मगर कौशिक के जन्मदिन में संगठन खेमा हावी रहा। अभी तो आरके राय ही उनके साथ खड़े दिख रहे हैं। अपनी ताकत दिखाने अमित जोग पेंड्रा गए तो विधायकों में सिर्फ राय ही मौजूद थे। ऐसे में, जोगीजी का गुस्सा लाजिमी है।

14 वें मंत्री

रमन सरकार का चैदहवां मंत्री बनने का खौफ नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव पर भी सिर चढ़कर बोल रहा है। ये हम नहीं कह रहे हैं। टीएस ने खुद ही इस आशंका को बयां किया। मौका था, क्षत्री समाज का सम्मेलन का। राजधानी में हुए इस कार्यक्रम में ठाकुर नेताओं का जमघट था। सीएम के साथ नेता प्रतिपक्ष भी मंच पर थे। टीएस ने अपने भाषण में चुटकी ली, वे व्यक्तिगत तौर पर भी सीएम से कई बार अनुरोध कर चुके हैं कि वे उन्हें मित्र ना कहें। वरना, लोग उन्हें सरकार का 14वां मंत्री कहने लगेंगे। इस पर जमकर ठहाके लगे।

जब जाम में फंस गए डीजीपी

पीएम विजिट की तैयारी का जायजा लेने के बाद घर लौट रहे सूबेे के डीजीपी अमरनाथ उपध्याय शनिवार को शंकर नगर में जाम में बुरी तरह फंस गए। असल में हुआ ऐसा कि प्रेमप्रकाश पाण्डेय के बंगले के पास वाले चैक पर दोपहर दो बजे के करीब एक कार ने स्कूटी को ठोकर मार दी। स्कूटी के ठीक पीछे डीजीपी की गाड़ी थी। हादसे के बाद उनकी गाड़ी के ठीक सामने कार और स्कूटर वाले तू-तू-मैं-मैं करने लगे। इससे चैक पर जाम लग गया। डीजीपी को गाड़ी में बैठा देखकर ट्रैफिक पुलिस वाले दौड़े। गनमैन भी गाड़ी से उतरकर लोगों को समझाने की कोशिश की। मगर कोई सुनने के लिए तैयार नहीं था। करीब 10 मिनट बाद पुलिस किसी तरह डीजीपी की गाड़ी निकलवाने में कामयाब हो पाई।

धमतरी से शुरूआत

ब्रेन हेम्बे्रज के बाद धमतरी कलेक्टर भीम सिंह मुंबई के अस्पताल में भरती है। उनकी सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है। लेकिन, उन्हें कलेक्टरी संभालने में वक्त लगेगा। तब तक एडिशनल कलेक्टर के भरोसे जिला नहीं चलाया जा सकता। ऐसे में, धमतरी में नए कलेक्टर की पोस्टिंग हो जाए, तो अचरज नहीं। वैसे भी, भीम सिंह का धमतरी से ट्रांसफर होना ही था। उनका दो साल पूरा हो गया है। अगले फेरबदल में उन्हें कोई बड़ा जिला मिलता। मार्च तक अगर वे सेहतमंद हो गए, तो बड़े जिले की उनकी दावेदारी वैसे भी रहेगी। बहरहाल, धमतरी में जो कलेक्टर जाएगा, वह 2009 बैच का होगा। याने इस बैच की शुरूआत धमतरी से होगी।

तीन आईपीएस जाएंगे दिल्ली

अंकित गर्ग, धु्रव गुप्ता के बाद एडीजी प्रशासन राजेश मिश्रा ने भी डेपुटेशन के लिए अप्लाई कर दिया है। इनमें से दो का दिल्ली जाना लगभग तय लग रहा है। गर्ग और गुप्ता का। वजह भी है। दंतेवाड़ा में एसपी रहने के दौरान एस्सार और नक्सली रिलेशंस कांड के बाद से गर्ग हांसिये पर चल रहे हैं। सरकार उन्हें सशस्त्र बल बटालियन में पोस्ट करके भूल गई है। सो, भारत सरकार से अगर ओके हुआ, तो गर्ग दिल्ली की ट्रेन पकड़ने में देर नहीं लगाएंगे। उधर, धु्रव गुप्ता आईपीएस में जरूर सलेक्ट हो गए, मगर उनके तेवर ऐसे हैं कि पुलिस के वर्तमान सिस्टम में फिट नहीं बैठते। ऐसे, अफसरों को अपना समाज, अपना सिस्टम बर्दाश्त नहीं करता। इसीलिए, वे पीएचडी करने कानपुर चले गए थे। और, अब दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. सूबे के किन फेसबुकिया कलेक्टरों से सरकार इन दिनों परेशान है?
2. अजीत जोगी ने जब कहा, वे 30 साल और जीएंगे तथा प्रदेश की सेवा करेंगे, यह सुनकर भूपेश बघेल को कैसा लगा होगा?

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