रविवार, 16 अप्रैल 2017

घर के रहे, न…..


9 अप्रैल
संजय दीक्षित
छत्तीसगढ़ के आईपीएस अफसरों से राहू-केतू का साया हटने का नाम नहीं ले रहा है। जनवरी में राजकुमार देवांगन की वर्दी उतरने से बुरे दिन शुरू हुए थे, वो अभी भी जारी है। अलबत्ता, पीड़ितों की सूची लंबी होती जा रही है…..एसआरपी कल्लूरी, पवनदेव, जशपुर एसपी गिरिजाशंकर जायसवाल, सुकमा एसपी एलासेना, विवेकानंद सिनहा, सुंदरराज पी। विवेकानंद को बिलासपुर गए नौ महीने भी नहीं हुए थे। इसी नवरात्रि के प्रथम दिन विधिवत पूजा-पाठ कराकर बंगले में शिफ्थ हुए थे कि उन्हें सरकार ने बस्तर जाने का फरमान दे दिया। उधर, सुंदरराज पी के लिए तो न घर के रहे, न घाट जैसी स्थिति हो गई। अच्छा भला एसआईबी में डीआईजी थे। एसआईबी के कारण 50 फीसदी वेतन भी ज्यादा मिल रहा था। जनवरी एंड में अचानक एक दिन उनका बस्तर का आर्डर निकल गया। कल्लूरी का असर कम करने के लिए प्रभारी आईजी के तौर पर सरकार ने सुंदरराज को इर्म्पोटेंस भी दिया….लगा वे अब फुलफ्लैश आईजी हो गए। देश भर से बैच मेट्स की बधाइयां मिलनी शुरू हो गई….अरे! तूने तो लंबा हाथ मार दिया। इतनी जल्दी आईजी? वो भी बस्तर का। सुंदरराज की सल्तनत मजबूत करने के लिए सरकार ने जगदलपुर और सुकमा के एसपी की छुट्टी कर दी। लेकिन, लोक सुराज शुरू होने से एक रोज पहिले सरकार ने विवेकानंद को आईजी बनाकर भेज दिया। सुंदरराज के लिए तो कुर्सी से औंधे मुंह गिरने वाली ही घटना होगी। आईजी से डीआईजी बनकर बेचारे दंतेवाड़ा चले गए।

पारी समाप्त?

पीएचक्यू में डीआईजी एडमिनिस्ट्रेशन सोनल मिश्रा को सरकार ने चंदखुरी पुलिस एकेडमी का डायरेक्टर अपाइंट किया है। रिटायर आईपीएस आनंद तिवारी की 30 मार्च को संविदा समाप्त होने के बाद सरकार ने यह आर्डर निकाला। तिवारी 2012 में आईपीएस से रिटायर हुए थे। इसके बाद पिछले पांच साल से संविदा में एकेडमी के डायरेक्टर थे।

डिप्टी कलेक्टर बेचेंगी शराब?

पिछले हफ्ते चीफ सिकरेट्री की वीडियोकाफ्रेंसिंग में कुछ कलेक्टरों ने शराब बिकवाने में मदद करने के लिए डिप्टी कलेक्टरों की संख्या बढ़ाने का आग्रह किया था। सीएस ने जीएडी को निर्देश दिया। जीएडी ने बिलासपुर, दुर्ग को एक-एक जेंस और रायपुर के लिए दो लेडीज डिप्टी कलेक्टर्स का आर्डर निकाल दिया। रायपुर एडमिनिस्ट्रेशन के लिए तो यह सिर पकड़ने वाली बात होगी।

कलेक्टर्स की कुंडली

21 मई को ट्रांसफर की लिस्ट निकलने से पहिले सरकार कलेक्टरों की कुंडली तैयार करा रही है। कलेक्टरों से तीन उपलब्धियों तो मांगी ही गई है, कामों के डिस्पोजल के जरिये भी पारफारमेंस का आंकलन किया जा रहा है। सरकार ने इसका जिम्मा एसीएस बैजेंद्र कुमार को दिया है। जाहिर है, कलेक्टरों के ट्रांसफर में कुंडली की भूमिका अहम होगी।

आर्डर में चूक!

बीएल अग्रवाल के तिहाड़ जाने के बाद एडिशनल चीफ सिकरेट्री सुनील कुजूर को सालों बाद ऐसा कोई विभाग मिला, जिसे वे अब बाहर में बताने में दिक्कत महसूस नहीं करेंगे। हालांकि, हायर एजुकेशन को कोई बड़ा या मलाईदार विभाग नहीं माना जाता। मगर सम्मानजनक तो है। कुजूर को लंबे अरसे से ढंग की पोस्टिंग नहीं मिली थी। वे ग्रामोद्योग, निर्वाचन और राजभवन में घूमते रहे। अब जीएडी की विडंबना देखिए। हायर एजुकेशन को एडिशनल कर दिया और ग्रामोद्योग को मूल पोस्टिंग। कायदे से हायर एजुकेशन को मूल पोस्टिंग करना चाहिए था और ग्रामोद्योग को एडिशनल। इसमें किसी को छटाक भर का नुकसान नहीं था। सिर्फ सम्मान की बात थी। लेकिन, जीएडी में सम्मान की किसको पड़ी है।

ठाकुर के बाद ब्रेक

पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग पर सरकार ने एक तरह से कहें तो ब्रेक ही लगा दिया है। पिछले साल सात आईएएस रिटायर हुए थे। दिनेश श्रीवास्तव, डीएस मिश्रा, एसएल रात्रे, ठाकुर राम सिंह, बीएस अनंत और राधाकृष्ण्न। इनमें से सिर्फ राम सिंह की ताजपोशी हुई। डीएस मिश्रा, राधाकृष्णन और राधाकृष्णन का जोर भी काम नहीं आया। अब इनकी फाइल क्लोज ही समझिए। वैसे, 2015 में रिटायर एमएस परस्ते, ब्राम्हणे घर में आराम ही कर रहे हैं। इस साल रिटायरमेंट में पहला नम्बर लगने वाला है एसीएस एनके असवाल का। वे 31 मई को सेवानिवृत्त होंगे। असवाल अगर लोकल होते तो चुनावी दृष्टि से उनकी पोस्टिंग निश्चित मानी जाती। लेकिन, वे राजस्थान से हैं। 2013 विस चुनाव से पहिले सरजियस मिंज की सूचना आयोग में इसलिए पोस्टिंग मिल गई थी कि वे स्थानीय थे। बाकि तो किस्मत अपनी-अपनी। हां, ये तय है कि अगले एक साल में रिटायर होने वाले तीन आफिसर्स तगड़े दावेदार होंगे।

डीआईजी इम्पेनल

2003 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के तीनों आईपीएस भारत सरकार में डीआईजी इम्पेनल हो गए हैं। रतन डांगी, सुंदरराज पी और ओपी पाल। डांगी फिलहाल पीएचक्यू में डीआईजी एसएएफ एवं कमांडेंट सेकेंड बटालियन हैं। वहीं, सुंदरराज डीआईजी दंतेवाड़ा और पाल एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर। इन तीनों में किस्मत के धनी तो पाल ही हैं। बिना कुछ किए, पांचों उंगली घी में।
अंत में दो सवाल आपसे
1. लोक सुराज अभियान में फिर ऐसा क्या हो रहा है कि चीफ सिकरेट्री के दावेदार सशंकित हो गए हैं?
2. हेलिकाप्टर खरीदी का खंडन करने में जोगी कांग्रेस को 24 घंटे क्यों लग गए?

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