शनिवार, 22 अप्रैल 2017

तेरी साड़ी सफेद क्यों


23 अप्रैल
संजय दीक्षित
दसवीं बोर्ड के नतीजे आने के बाद आईएएस के व्हाट्सएप ग्रुप में बवाल मच गया। हुआ ऐसा कि कल एक स्मार्ट ज्वाइंट सिकरेट्री ने छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक 80 फीसदी रिजल्ट आने के लिए दंतेवाड़ा जिले को एप्रीसियेट कर दिया। इसके बाद तो पूछिए मत! पहले कुछ महिला कलेक्टर्स कूदीं…..हाट टॉक हुआ….मेरी साड़ी से तेरी साड़ी सफेद क्यों। फिर कलेक्टर्स की लाइन लग गई…नहीं हमने…., नहीं हमारे यहां का रिजल्ट तुमसे बढ़ियां आया है। नहीं, तुम्हारा फिगर गलत है। इस व्हाट्सएप ग्रुप में चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड समेत सीनियर आईएएस, कलेक्टर्स, सीईओज हैं। बच्चों के रिजल्ट पर कलेक्टरों को झगड़ते देख मंत्रालय में लोगों ने खूब चटखारे लिए। अलबत्ता, ये अच्छा साइन है। काम को लेकर कम-से-कम कलेक्टरों में इतना कांपिटिशन तो हो गया है।

23 साल पहिले

सीएम ने दो कलेक्टरों को चना-मुर्रा की तरह चलता कर दिया। हेलीपैड पर मीडिया के जरिये कोरिया और सूरजपुर कलेक्टर्स की छुट्टी कर दी। इसको देखकर 23 साल पुराना वाकया याद आ गया। 94 में एडी मोहिले रायपुर के कमिश्नर थे। उस समय मध्यप्रदेश था और सीएम थे दिग्विजय सिंह। दिग्गी रायपुर आए थे। उनसे कैरोसिन तेल के वितरण को लेकर शिकायतें हुई। दिग्विजय को जब बोलने का मौका आया तो उन्होंने पहली लाइन बोली, आपके बीच जल्द ही नए कमिश्नर होंगे। अगले दिन कमिश्नर का आर्डर निकल गया था। हालांकि, मोहिले ने इस एपीसोड के बाद वीआरएस ले लिया था।

 कुर्सी का भय

माध्यमिक शिक्षा मंडल के चेयरमैन का पोस्ट चीफ सिकरेट्री लेवल का है। सीएस ना हों तो कम-से-कम प्रिंसिपल सिकरेट्री लेवल का तो होना चाहिए। केडीपी राव भी पीएस थे। मगर कुछ दिनों से इसे एडिशनल चार्ज में रखा गया है। स्कूल एजुकेशन सिकरेट्री विकास शील इसके इंचार्ज चेयरमैन हैं। सरकार ने इस पोस्ट को प्रभार में क्यों रखा है, इसको लेकर एसीएस लेवल के अफसरों को डरना स्वाभाविक है। याद होगा, 2007 में शिवराज सिंह जब सीएस बने थे, तो उनसे सीनियर बीकेएस रे को मंत्रालय से हटाकर माशिमं भेज दिया गया था। रे की नाराजगी को दूर करने के लिए ही चेयरमैन के पद को चीफ सिकरेट्री के बराबर घोषित किया गया था। ऐसे में, भय की वजह आप समझ सकते हैं।

लेटर वार

सत्ताधार पार्टी बैठक-पर-बैठक कर अपना घर मजबूत कर रही है तो कांग्रेस लेटर वार में उलझी हुई है। रेणु जोगी ने सोनिया गांधी को खत भेज कर भूपेश बघेल की शिकायत की। बघेल ने फेसबुक पर अजीत जोगी को लंबी पाती लिख डाली। पाती की लच्छेदार भाषा और सधी हुई प्रस्तुतिकरण से लगता है, भूपेश को उसे लिखने में कम-से-कम दो-तीन घंटे तो लगे ही होंगे। भूपेश के फेसबुकिया पाती का जवाब देने में जोगी कैम्प ने भी देर नहीं लगाई। भूपेश पर कटाक्ष करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिख डाला, हम गरीबों की लड़ाई सरकार से लड़ रहे हैं और भूपेश मेरे परिवार से। चलिये, सत्ताधारी पार्टी को और क्या चाहिए।

डैमेज कंट्रोल

बाबूलाल अग्रवाल के तिहाड़ जेल जाने से छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी की पूरे देश में भद पिटी थी। लोग मजाक उड़ा रहे थे…..आईएएस रिश्वत लेता है, ये देने वाला आईएएस छत्तीसगढ़ में कहां से आ गया। मगर आईएएस रजत कुमार के हावर्ड में सलेक्शन और दंतेवाड़ा कलेक्टर सौरभ कुमार के पीएम अवार्ड मिलने से ब्यूरोक्रेसी पर जो दाग लगे थे, उससे हद तक डैमेज कंट्रोल हुआ है।

हार्ड लक

पीएम अवार्ड के लिए तीन नाम थे। ओपी चौधरी, नीरज बंसोड़ और सौरभ कुमार। ओपी का नाम फायनल 30 के लिए जरूर लिस्टेड हो गया था मगर इस तरह के पुरस्कार दूसरी बार मिलते नहीं। बचे नीरज और सौरभ। नक्सल प्रभावित एरिया में कैशलेस का कमाल दिखाने वाले सौरभ पीएम अवार्ड चुन लिए गए। बट नीरज का सुकमा में वर्क भी आउटस्टैंडिंग था। अगर दोनों का जिला अगल-बगल नहीं होता तो यकीन मानिये छत्तीसगढ़ को दो पीएम अवार्ड मिलते। दंतेवाड़ा में एजुकेशन सिटी के जो काम हुए हैं, नीरज ने सुकमा में उसे उतार दिया हैं। बल्कि, बोल सकते हैं, उससे भी बढ़ियां। सीएम किसी कलेक्टर के काम से सबसे अधिक प्रसन्न रहते हैं तो वो हैं सकमा कलेक्टर। बावजूद इसके पीएम अवार्ड से नीरज चूक गए तो तकलीफ तो होगी ही। हार्ड लक नीरज!

दंतेवाड़ा की लगेगी बोली

पहले ओपी चौधरी ने दंतेवाड़ा का क्रेज बढ़ाया और अब सौरभ कुमार ने। कहीं ऐसा न हो कि दंतेवाड़ा का कलेक्टर बनने के लिए बोली लगने लगे। आखिर, सौरभ को भी दंतेवाड़ा जाने के लिए कितना फाइट करना पड़ा था। उस दंतेवाड़ा में, जिसके नाम से लोग घबराते थे। लेकिन, एजुकेशन सिटी में काम करके ओपी ने दंतेवाड़ा की रेटिंग बढ़ा दी थी। यही वजह है कि 2009 बैच के आईएएस को जब कलेक्टर बनने का मौका आया तो लोग टूट पड़े। सौरभ के रिश्ते उपर में एक खास अफसर से थे, इसलिए गाड़ी निकल गई। वरना, सामने वालों ने भी बड़े-बड़े जैक लगा रखे थे।

….तो सैल्यूट कीजिए

सूबे के कुछ कलेक्टर्स एजुकेशन और हेल्थ में आउटस्टैंडिंग काम कर रहे हैं। तभी तो मुंगेली जैसा ढाई ब्लॉक वाले छोटे जिले में पांच-पांच लड़के मेरिट में आ गए। जशपुर जैसे रिमोट ट्राईबल डिस्ट्रिक्ट में दो मेरिट में और वो भी चौथे नम्बर पर। दो लड़के एक-एक नम्बर से मेरिट में छूट गए। वरना, चार हो गए होते। मुंगेली पिछले बार 27वें नम्बर पर था, इस बार सातवें पर आ गया। दंतेवाड़ा 80 फीसदी रिजल्ट लाकर प्रदेश में सबसे उपर पहुंच गया। कवर्धा का रिजल्ट पिछले साल से 15 फीसदी बढ़कर दूसरे पायदान पर आ गया। सुकमा दूसरा एजुकेशन सिटी बन गया है। रायपुर में आरटीई में ऐसा काम हो रहा है कि प्रायवेट स्कूलों की शामत आ गई है। अब हेल्थ की बात करें। बलरामपुर में टेलीमेडिसिन, मोबाइल हेल्थ यूनिट रन करने लगा है। बीजापुर में तो हेल्थ के सेक्टर में ऐसा काम हुआ है कि यहां लिखने में जगह कम पड़ जाएगी। एक लाइन में आपको बता देते हैं, रायपुर के प्रायवेट अस्पताल से बढ़ियां चिकित्सा सुविधाएं बीजापुर के सरकारी अस्पतालों में मिल रही हैं। सफाई तो पूछिए मत! छत्तीसगढ़ शिक्षा और हेल्थ की दृष्टि से बेहद पिछड़ा हुआ है। इस फील्ड में कोई कलेक्टर अगर मन तन-मन से काम कर रहा है तो उन्हें सैल्यूट करना चाहिए…..अगर अवार्ड पाने के लिए वे नहीं कर रहे हों तो।

अंत में दो सवाल आपसे

1. अंबिकापुर जेल में भूपेश बघेल के कैदी से मिलने के मामले में क्लीन चिट देने में सरकार ने जल्दी क्यों दिखाई?
2. रिव्यू कमेटी की खबर को मिसफिड करने वाले किस आईपीएस अधिकारी से पीएचक्यू नाराज है?

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