रविवार, 5 अगस्त 2018

वनवास खतम

5 अगस्त
सरकार ने आईएएस अविनाश चंपावत का वनवास खतम कर दिया है। उन्हें सरगुजा से बुलाकर अब सिंचाई विभाग की कमान सौंप दी है। जाहिर है, उन्हें अच्छी पोस्टिंग मिली है। चंपावत को पिछले साल लेबर विभाग में चल रहे विवादों के बाद सरगुजा भेज दिया था। हालांकि, बाद में उनकी आईपीएस पत्नी नेहा चंपावत के लिए सशस्त्र बल में डीआईजी का नया पोस्ट क्रियेट कर वहां भेज राहत दी थी। अब, चूकि अविनाश रायपुर लौट रहे हैं। इसलिए, नेहा का आर्डर भी समझिए जल्दी ही निकलेगा।

टेंशनलेस लिस्ट!

सरकार ने 21 आईएएस अफसरों प्रभार में फेरबदल किया। इतनी बड़ी संख्या के बाद भी सरकार ने गजब की जादुगरी दिखाते हुए सबको संतुष्ट किया। कोई भी मायूस नहीं हुआ। भुवनेश यादव और यशवंत कुमार को भी कुछ-न-कुछ दिया। भुवनेश को तो एमडी नॉन का चार्ज मिल गया। बस्तर कलेक्टर धनंजय देवांगन को भी सरकार ने हटाया तो वहीं पर प्रमोट करते हुए उन्हें वहां का कमिश्नर बना दिया। बस्तर कमिश्नर दिलीप वासनीकर हटे तो वो भी रायपुर और दुर्ग का कमिश्नर बनकर। प्रसन्ना आर को फिर से कमिश्नर हेल्थ का चार्ज। कांकेर कलेक्टर को भी प्रमोट करके कमिश्नर सरगुजा। डॉ0 कमलप्रीत को जीएडी का अतिरिक्त प्रभार देकर उनका वजन बढ़ा दिया। अलरमेल मंगई डी, संगीता पी, निरंजन दास का दायित्व भी सरकार ने बढ़ाया है। संगीता पी को जीएसटी में आउटस्टैंडिंग काम करने का सरकार ने इनाम दिया।

उम्मीदें टूटी

फोर्सली रिटायर डीआईजी केसी अग्रवाल को हाईकोर्ट से आखिरकार राहत नहीं मिल सकी। कोर्ट ने कैट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें अग्रवाल के रिटायरमेंट के खिलाफ फैसला दिया था। इससे अग्रवाल को झटका लगा ही, कई और नौकरशाहों की उम्मीदें टूट गईं। भारत सरकार ने पिछले साल आईजी राजकुमार देवांगन, डीआईजी केसी अग्रवाल, एएम जुरी, प्रिंसिपल सिकरेट्री अजय पाल सिंह और बीएल अग्रवाल को सेवा से रिटायर कर दिया था। इनमें से केसी अग्रवाल और बीएल अग्रवाल के पक्ष में कैट का निर्णय आया था। इससे बाकी अफसरों की भी नौकरी में लौटने की उम्मीदें बढ़ी थीं। लेकिन, केसी के मामले में भारत सरकार बिलासपुर हाईकोर्ट में अपील करके अफसरों की उम्मीदों को तोड़ दिया।

तीन नाम

एडिशनल इलेक्शन आफिसर अपाइंट करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने तीन आईएएस अफसरों के नामों का पेनल भारत निर्वाचन आयोग को भेजा था। इनमें एस भारतीदासन, यशवंत कुमार और शिखा राजपूत शामिल थी। निर्वाचन आयोग ने इनमें से 2006 बैच के आईएएस भारतीदासन के नाम को हरी झंडी दे दी। पता चला है, चीफ इलेक्शन आफिसर सुब्रत साहू भी भारतीदासन को चाह रहे थे। वैसे भी, निर्वाचन आयोग सीईओ की सलाह से ही आयोग में नियुक्तियां करता है ताकि कामकाज में समन्वय बना रहे। लिहाजा, जीएडी ने ऐसा पेनल बनाया कि भारतीदासन को अपाइंट करने में कोई दिक्कत नहीं हुई।

ऐसा भी होता है

निर्वाचन आयोग ने कलेक्टरों का चुनावी ज्ञान परखने के लिए परीक्षा ली। इसके लिए तीन सेंटर बनाए गए थे। रायपुर, बिलासपुर और बस्तर। परीक्षा सुचारु रुप से हो, इसके लिए दिल्ली से दो पर्यवेक्षक आए थे। लेकिन, उन्हें बिलासपुर और बस्तर भेज दिया गया। रायपुर सेंटर पर बिना पर्यवेक्षक का इंतजाम हुआ। लोकल अफसर एग्जाम कंडक्ट कराए। और, सबसे बढ़ियां रिजल्ट रायपुर सेंटर का रहा। सबसे अधिक कलेक्टर और एआरओ बिलासपुर और बस्तर केंद्र से फेल हुए। बताते हैं, रायपुर केंद्र में परीक्षार्थियों में समन्वय का अद्भूत नजारा दिख रहा था। सभी ने मिलजुल कर परीक्षा दी। जाहिर है, रिजल्ट तो बढ़ियां आएगा ही।

शराब और युवा कल्याण

नए फेरबदल में आबकारी आयुक्त एवं सचिव डीडी सिंह को शराब के साथ-साथ खेल एवं युवा कल्याण विभाग सिकरेट्री का अतिरिक्त प्रभार देकर इस सीधे-साधे अफसर को सरकार ने उलझन में डाल दिया है। डीडी अब सरकारी दुकानों में शराब बिकवाएंगे और दूसरी ओर खेल और युवाओं के कल्याण पर काम करेंगे। ये तो उलटबांसी हो गई। बहरहाल, उनकी परेशानी इस बात को लेकर है कि युवाआें के बीच वे नशाबंदी की बात कैसे करेंगे। कोई उल्टे सवाल दाग दिया तो?

पति-पत्नी कलेक्टर

सरकार ने 2010 बैच की आईएएस रानू साहू को कांकेर कलेक्टर बनाया है। वे पिछले साल से कलेक्टर की वेटिंग में थीं। इस बैच में चार आईएएस हैं। इनमें से तीन कलेक्टर बन चुके हैं। उनके हसबैंड जेपी मौर्य भी इसी बैच के हैं और वे सुकमा कलेक्टर हैं। कलेक्टर बनने से छूटी थीं सिर्फ रानू। ऐसे में, उनके मन की पीड़ा समझी जा सकती थी। लेकिन, सरकार ने कांकेर जैसे जिले का कलेक्टर बनाकर इसकी भरपाई कर दी। आमतौर पर किसी आईएएस का कांकेर दूसरा जिला होता है। लेकिन, रानू को पहली बार में कांकेर मिल गया। उन्हें कलेक्टर बनाकर सरकार ने 2010 बैच को भी क्लोज कर दिया है। चलिये, अब 2011 बैच की उम्मीदें बढ़ेगी।

तीसरे कलेक्टर दंपति

राज्य बनने के बाद जेपी मौर्या और रानू साहू तीसरे कलेक्टर दंपति होंगे। इससे पहिले विकास शील बिलासपुर और निधि छिब्बर जांजगीर में एक समय में कलेक्टर थे। इसके बाद अंबलगन पी और अलरमेल मंगई डी भी कलेक्टर रहे। और अब जेपी मौर्य और रानू साहू को ये मौका मिला है। मौर्य दंपति पर एक पुराने अफसर इतने मेहरबान थे कि जेपी को सुकमा और रानू को सरगुजा भेज दिया गया था। लेकिन, वक्त बदला। सरकार ने अब दोनों को न केवल कलेक्टर बना दिया बल्कि नजदीक भी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. फेरबदल में वे कौन से दो कलेक्टर बच गए, जिनका विकास यात्रा फेज-2 के बाद ट्रांसफर किया जाएगा?
2. क्या विभागीय जांच की वजह से सरकार ने कांकेर कलेक्टर को हटाकर सरगुजा भेज दिया?

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