तरकश, 21 जुलाई 2024
संजय के. दीक्षित
छत्तीसगढ़ के किस्मती आईएएस अफसर
डोमन सिंह को राज्य सरकार ने बस्तर का डिवीजनल कमिश्नर नियुक्त किया है। डोमन भारत देश के पहले प्रमोटी कलेक्टर हैं, जिनके नाम सात जिलों की कलेक्टरी करने का रिकार्ड दर्ज है। छत्तीसगढ़ में इतने जिलों की कलेक्टरी किसी आरआर याने डायरेक्टर आईएएस को भी नसीब नहीं हुआ। सोनमणि बोरा, सिद्धार्थ कोमल परदेशी, पी. दयानंद, ठाकुर राम सिंह चार जिलों से आगे नहीं बढ़ पाए। नए वालों में भीम सिंह, किरण कौशल और चंदन कुमार चार जिले के कलेक्टर रहे हैं। और नीलेश क्षीरसागर, दीपक सोनी फोर्थ डिस्ट्रिक्ट क्लब में अभी पहुंचे हैं। याने छत्तीसगढ़ में कोई आईएएस कलेक्टरी में चार जिलों को क्रॉस नहीं कर पाया। मगर डोमन सिंह को पिछली सरकार में पांच साल में पांच जिलों की कलेक्टरी करने का गौरव प्राप्त हुआ। हालांकि, रमन सिंह सरकार में डोमन की कलेक्टरी की पारी शुरू हुई थी। बीजेपी सरकार में वे मुंगेली और कोरिया कलेक्टर रहे। फिर भूपेश बघेल सरकार में कांकेर, महासमुंद, जीपीएम और राजनांदगांव के कलेक्टर बनाए गए। दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ में बीजेपी की नई सरकार गठन होने के बाद उन्हें राजनांदगांव से हटाया गया। डोमन 2009 बैच के आईएएस हैं। उनका भाग्य कितना प्रबल है, इस बात से आप समझ सकते हैं कि एक तरफ वे कलेक्टरी का कीर्तिमान बना डाले और उनके बैच के बेचारे आरआर अवनीश शरण, डॉ0 प्रियंका शुक्ला और अय्याज तंबोली को दो-तीन जिले से आगे मौका नहीं मिल पाया। बहरहाल, सात जिलों के कलेक्टर रहे डोमन को अब सात जिलों वाले बस्तर संभाग का कमिश्नर बनाया गया है। ब्यूरोक्रेसी में चुटकी ली जा रही...डोमन पोस्टिंग प्राप्ति का ज्ञान बढ़ाने कौन सा चूरण खाते हैं...जिले के बाद क्या अब कमिश्नरी में पोस्टिंग का रिकार्ड बनाएंगे।
एक लिस्ट और
राज्य सरकार ने कल चार आईएएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया। इसमें बस्तर कमिश्नर डोमन सिंह की पोस्टिंग देखकर प्रतीत हो रहा कि जल्द ही एक लिस्ट और आएगी। दरअसल, डोमन सिंह के बैच वाले दो प्रमोटी आईएएस बस्तर में कलेक्टर हैं। अब एक ही बैच का कमिश्नर और कलेक्टर कैसे होगा? दरअसल, डोमन 2009 बैच के आईएएस हैं और बीजापुर कलेक्टर अनुराग पाण्डेय और नारायणपुर कलेक्टर विपीन मांझी भी उन्हीं के बैच के। अलबत्ता, मांझी तो डोमन से बैचवाइज सीनियर हैं। अनुराग पाण्डेय चूकि अगले महीने रिटायर हो रहे, इसलिए उतना चल सकता है। मगर मांझी का रिटायरमेंट अगले साल है। ऐसे में सीनियर कलेक्टर रहेगा, और जूनियर कमिश्नर, इसमें सीनियरिटी का इश्यू तो आएगा ही। सवाल यह भी है कि जूनियर अफसर सीनियर का सीआर कैसे लिखेगा? सो, लिस्ट देखकर लगता है...पोस्टिंग में सीनियरिटी और जूनियरिटी का फर्क मिटाने बस्तर में सरकार कुछ और कलेक्टरों को चेंज करेगी। वैसे भी रायपुर और बिलासपुर के कमिश्नर डॉ. संजय अलंग इस महीने रिटायर होने जा रहे हैं। विधानसभा का मानसून सत्र और अलंग का रिटायरमेंट लगभग एक साथ समाप्त होगा। सत्र का उल्लेख करने का आशय यह है कि इसके बाद 31 जुलाई को आईएएस पोस्टिंग की लिस्ट निकलेगी, जिसमें रायपुर और बिलासपुर में नए कमिश्नर अपाइंट किए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ की पूजा खेड़कर-1
छत्तीसगढ़ में भी कई पूजा खेड़कर हैं, जिन्होंने फर्जी जाति, विकलांगता और ईडब्लूएस के सर्टिफिकेट के जरिये नौकरी हथियाने में कामयाब हो गईं। एक लेडी डिप्टी कलेक्टर के खिलाफ मामला बिलासपुर हाई कोर्ट तक मामला पहुंचा। महिला अफसर ने कान से कम सुनाई देने का हवाला दिया और विकलांग कोटे से पीएससी में उप जिलाधीश सलेक्ट हो गई। दिव्यांगों की समिति ने उनका कोटा हड़पने का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में अर्जी लगाई। कोर्ट ने मेडिकल टेस्ट कर रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया। मगर जिला अस्पताल के डॉक्टरों से किसी बीमारी के कागज पर साइन कराना कितना आसान है, इसे बताने की जरूरत नहीं। महिला अफसर ने कागज जमा कर दिया। हालांकि, मामला अभी खतम नहीं हुआ है। मगर यही टेस्ट अगर एम्स में कराया गया होता तो जाहिर है, महिला डिप्टी कलेक्टर को नौकरी बचाना मुश्किल हो जाता।
छत्तीसगढ़ की पूजा खेड़कर-2
पुराने लोग पोरा बाई को भूले नहीं होंगे। पोरा बाई 2008 में बारहवीं बोर्ड में मेरिट में टॉप आई थी। सेकेंड, थर्ड डिवीजन से हमेशा परीक्षा पास करने वाला अगर प्रदेश में टॉप आ जाएगा, तो कोहराम मचना ही था। बलौदा बाजार जिले की रहने वाली पोरा बाई ने नकल के नाम पर कुख्यात जांजगीर के बिर्रा स्कूल से परीक्षा में बैठी थी। मेरिट में टॉप आने के बाद लोगों के कान खड़े हो गए...टॉपर स्टूडेंट परीक्षा में बैठने के लिए स्कूल तो नहीं बदलते। माध्यमिक शिक्षा मंडल के तत्कालीन चेयरमैन बीकेएस रे ने जांच हुई तो पता चला आंसरशीट में हैंडराईटिंग किसी और की निकली। पुलिस ने पोरा बाई समेत स्कूल के प्रिंसिपल और परीक्षक समेत आधा दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया। पोरा बाई जेल भी गई। मगर 12 साल बाद इस आधार पर कोर्ट ने बरी कर दिया कि पुलिस ने अभियोजन को साबित नहीं किया। पराकाष्ठा तो यह हो गई कि जांच में हैंडराईटिंग किसी और का पाए जाने के बाद भी माशिमं ने पोरा बाई का रिजल्ट केंसिल नहीं किया। और वे इस समय बलौदा बाजार में शिक्षिका बन गई हैं।
मंत्री की बेटी, मंत्री की पोती
देश में जब नीट परीक्षा और पूजा खेड़कर का मामला सुर्खियो में है तो छत्तीसगढ़ का पीएमटी परीक्षा कांड कैसे विस्मित हो सकता है। मामला 2011 पीएमटी का है। तब नीट प्रारंभ नहीं हुआ था। राज्य अपने-अपने हिसाब से प्री मेडिकल टेस्ट लेते थे। 2011 में राज्य सरकार को दो बार पीएमटी परीक्षा निरस्त करनी पड़ी। एक बार गलत पेपर बंटने की वजह से। और दूसरी बार यूपी के एक गैंग ने पर्चा हथिया उसे 13-13 लाख रुपए में बेचने पर। दूसरी बार भंडाफोड़ तब हुआ, जब बिलासपुर जिले के तखतपुर के एक बड़े हॉल में 72 बच्चे पीएमटी का पर्चा हल करते पकड़े गए थे। इनमें मुंगेली से बिलांग करने वाले एमपी के समय के एक पूर्व स्वास्थ्य मंत्री की पोती भी शामिल थी। इतने के बाद अब परीक्षा रद्द तो बनता ही था। ले-देकर तीसरी बार में परीक्षा जाकर संपन्न हो पाई, जब सरकार ने प्रदीप चौबे को परीक्षा नियंत्रक बनाया। मगर छत्तीसगढ़ में जैसा कि होता है, इतने बड़े कांड के बाद भी कुछ हुआ नहीं। तमाम साक्ष्यों के बाद भी पुलिस ने ऐसा केस बनाया कि सारे आरोपी बरी हो गए। जबकि, मध्यप्रदेश के व्यापम कांड में मंत्री तक जेल चले गए थे। उससे पहले एक स्वास्थ्य मंत्री की बेटी कोटे के चलते पीएमटी क्लियर कर ली थी। मगर बारहवी बोर्ड परीक्षा में फेल हो गई, क्योंकि उसमें कोटा होता नहीं। बाद में सप्लीमेंट्री परीक्षा में पास कराकर एमबीबीएस में दाखिला करा दिया गया, तब तक मेडिकल की सीट रोक रखी गई। मेडिकल एजुकेशन के डायरेक्टर ने नियमों को ताक पर रख सेंट्रल कोटे से अपनी बेटी का रायपुर मेडिकल कॉलेज में दाखिला करा दिया। कोर्ट ने इस आधार पर 50 हजार रुपए फाइन करके छोड़ दिया कि अब दो साल की पढ़ाई पूरी कर ली है उनकी बेटी। प्रायवेट कालेज में उस समय 60 लाख फीस थी। अब 60 लाख की जगह 50 हजार में सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़कर बेटी डॉक्टर बन गई, डीएमई साब फायदे में ही रहे। कहने का मतलब यह है कि छत्तीसगढ़ का परीक्षाओं का ट्रेक रिकार्ड पोरा बाई और मुन्ना भाई, मुन्नी बहनों से भरा पड़ा है।
कलेक्टर से रिटायर
बीजापुर कलेक्टर अनुराग पाण्डेय अगले महीने 31 अगस्त को रिटायर हो जाएंगे। चूकि उनके रिटायरमेंट में अब एक महीना 10 दिन बच गए हैं, सो नहीं लगता कि उनका अब कहीं और ट्रांसफर किया जाएगा। याने कलेक्टर से ही वे सेवानिवृत्त होंगे। कलेक्टर से रिटायर होने वाले अनुराग छत्तीसगढ़ के दूसरे आईएएस होंगे। उनसे पहिले गरियाबंद कलेक्टर छतरसिंह देहरे 2021 में गरियाबंद कलेक्टर से रिटायर हुए थे।
उमेद पर भरोसा
पिछली सरकार से एसपी सीएम सिक्यूरिटी की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रफुल्ल ठाकुर को राज्य सरकार ने हटा दिया है। उन्हें चौथी बटालियन में कमांडेंट बनाकर भेजा गया है। उनकी जगह पर बलरामपुर जिले के एसपी लाल उमेंद सिंह को सीएम सिक्यूरिटी की कमान सौंपी गई है। उमेंद मैच्योर पुलिस अधिकारी हैं। राजधानी रायपुर में लंबे समय तक पोस्टेड रहे हैं। मगर इससे इतर लोगों की उत्सुकता इस बात को जानने में है कि आईपीएस राजेश अग्रवाल कैसे उमेंद को खो कर बलरामपुर एसपी बनने में कामयाब हो गए?
अंत में दो सवाल आपसे
1. आईएएस विनीत नंदनवार को ब्रेवरेज कारपोरेशन का एमडी बनाकर सरकार ने पहले उपर चढ़ाया और फिर तीन महीने के भीतर पूर्व की स्थिति में पहुंचा दिया, ऐसा क्यों?
2. SAS अफसर अभिषेक अग्रवाल शराब मार्केंटिंग कंपनी से हटाकर बिना विभाग क्यों कर दिए गए?
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