सोमवार, 10 जुलाई 2017

कलेक्टर की बिदाई!

कलेक्टर की बिदाई!

18 जून
संजय दीक्षित
एक कलेक्टर की बिदाई की आजकल खूब चटखारे लिए जा रहे है। बताते हैं, बिदाई को हाईप्रोफाइल बनाने के लिए मीटिंग के नाम पर संभाग के सभी कलेक्टरों को मुख्यालय बुलवाया गया। क्लास तो तब हुआ, जब जिस कमिश्नर ने कलेक्टरां को बुलाया, मीटिंग से वे ही गायब मिले। एक डिप्टी कलेक्टर ने कलेक्टरों को चाय पिलाकर मीटिंग की रस्म अदायगी पूरी की। इसके बाद कलेक्टरों को हौले से बताया गया, फलां कलेक्टर साब की बिदाई है….जिला पंचायत के सीईओ के बंगले पर पहुंचना है। वहां पुलिस के आईजी, डीआईजी, एसपी भी मौजूद थे। वहां क्या-क्या हुआ, हम लिख नहीं सकते। मगर बिदाई लेने का यह तरीका कई कलेक्टरों को बड़ा नागवार गुजरा।

फंस गए सुब्रत

प्रिंसिपल सिकरेट्री हेल्थ सुब्रत साहू बुरे ग्रह-दशा में फंस गए हैं। सरकार ने नए सीईओ के लिए तीन आईएएस के नाम भेजे थे, निर्वाचन आयोग ने सुब्रत के नाम को टिक कर दिया। और, उपर से पेंच लगा दिया, वे एडिशनल चार्ज में नहीं रह सकते। हालांकि, सरकार ने पुनर्विचार के लिए आयोग को लेटर लिखा है। लेकिन, इसमें राहत मिलने की संभावना कम है। अलबत्ता, निर्वाचन में अभी कोई काम भी नहीं है। अगले साल मतदाता सूची के पुनरीक्षण के समय जून-जुलाई से काम बढ़ेगा। तब तक पीएस लेवल का एक अफसर चुनाव में डंप रहेगा। और, यही नहीं, कम-से-कम जुलाई 2019 से पहिले इस पोस्ट से उन्हें छुटकारा भी नहीं मिलने वाला। क्योंकि, विधानसभा चुनाव के जस्ट बाद लोकसभा चुनाव आ जाता है।

कैरियर खराब!

राज्य बनने के बाद जितने चीफ इलेक्शन आफिसर बनें हैं, उनमें अपवाद के तौर पर केके चक्रवर्ती को छोड़ दें, तो सभी परेशानी में पड़े या फिर उनका कैरियर खराब हो गया। राज्य बनने के बाद चक्रवर्ती पहले मुख्य निर्वाचन अधिकारी बने थे। 2003 का चुनाव उन्होंने कराया था। इसके बाद सीईओ की कुर्सी की ग्रह-दशा की स्थिति इतनी खराब हो गई कि जो भी सीईओ बना, उसे काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीजेपी सरकार की पहली पारी में बीएल अग्रवाल सीईओ बने थे। वे तिहाड़ से हाल ही में जमानत पर छूटे हैं। उनके बाद डा0 आलोक शुक्ला सीईओ रहे। प्रिंसिपल सिकरेट्री रैंक के इस तेज और काबिल अफसर की क्या गति हो गई है, बताने की जरूरत नहीं है। शुक्ला के बाद सुनील कुजूर सीईओ बने। वो तो आईपीएस राजीव श्रीवास्तव को उन्हें थैंक्स करना चाहिए, जिसके चलते वे एसीएस बन गए। वरना, हो सकता था, वे आज भी पीएस होते। इसके बाद आई निधि छिब्बर। निधि भी कम परेशान नहीं रहीं। पिछले साल उनका डिफेंस में पोस्टिंग मिल गई थी। मगर यहां से रिलीव न होने से डीओपीटी ने उन्हें डिबार कर दिया। निधि ने कैट में लड़ाई लड़ी। तब जाकर उन्हें न्याय मिला। लेकिन, इस चक्कर में एक साल निकल गया। अब, नम्बर है सुब्रत साहू का। दुआ कीजिए, सुब्रत 2019 में सही-सलामत मंत्रालय लौट जाएं।

रायपुर में सीबीआई

22 जून से रायपुर में सीबीआई का एंटी करप्शन आफिस चालू हो जाएगा। माना एयरपोर्ट के पास इसकी बिल्डिंग तैयार हो गई है। सीबीआई डायरेक्टर आलोक कुमार वर्मा इसका लोकार्पण करेंगे। अभी यह आफिस भिलाई में था। लेकिन, रायपुर कैपिटल है और करप्शन की स्थिति भी ठीक-ठाक है। इसलिए, सीबीआई अपने आफिस को रायपुर शिफ्थ कर रही है। जाहिर है, अब स्टेट के एसीबी को भी अलर्ट रहना होगा। एसीबी से जो बड़े मुर्गे बच जाएंगे, उसे हलाल करने के लिए सीबीआई रहेगी। ऐसे में, भ्रष्ट लोगों की नींद उड़नी लाजिमी है।

जवाब नहीं मंत्रीजी का

संस्कृति और पर्यटन मंत्री दयालदास बघेल का जवाब नहीं है। टूरिज्म के बारे में स्टडी करने मंत्रीजी विदेश गए थे। वहां से लौटे तो पत्रकारों को बताया कि किस तरह विदेशों में अंगूर से शराब बनती है…..छत्तीसगढ़ में भी ऐसा किया जा सकता है। मंत्रीजी को कौन बताएं कि छत्तीसगढ में खाने के लिए तो अंगूर होते नहीं, शराब बनाने के लिए अंगूर कहां से आएंगे। और, दूसरी अहम बात, सरकार शराब बंदी की दिशा में बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ की आबकारी टीम उन राज्यों के भ्रमण पर निकली है, जहां शराब बंद है। ऐसे में, राज्य के संस्कृति मंत्री शराब बनाने का आइडिया देंगे तो जाहिर है, सरकार तो नाराज होगी ही।

प्रायवेट हेलीपैड

इलेक्शन कैंपेन के लिए अजीत जोगी की उड़न चिड़ैया छत्तीसगढ़ पहुंच गई है। उड़न चिड़ैया किराये का है या…….नो कमेंट्स। मगर हेलीपैड जोगी का प्रायवेट होगा। दरअसल, रायपुर के माना एयरपोर्ट पर लैंडिंग और पार्किंग का प्राब्लम आ रहा है। जोगी को हेलिकाप्टर पार्क करने का अच्छा-खासा किराया देना होगा। उपर से एयर ट्रैफिक इतना अधिक है कि उनका हेलिकाप्टर अपने हिसाब से टेकऑफ नहीं कर पाएगा। लिहाजा, जोगी ने तय किया है कि अपनी जमीन पर ही हेलीपैड बनवाया जाए। इसके लिए जगह का चयन किया जा चुका है। जल्द ही जोगीजी के प्रायवेट हेलीपैड पर उनका हेलिकाप्टर लैंड करने लगेगा।

बैजेंद्र का इम्पेनलमेंट

एसीएस टू सीएम एन बैजेंद्र कुमार का पिछले महीने भारत सरकार में सिकरेट्री के इक्विवैलेंट पोस्ट के लिए इम्पेनलमेंट हुआ था। डीओपीटी से इसका आर्डर यहां पहुंच गया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा, सरकार उन्हें दिल्ली जाने देती है या यहीं पर रखेगी। क्योंकि, दोनों के अपने निहितार्थ हैं।

2005 बैच का दबदबा

2005 बैच के आईएएस राजेश टोप्पो को सरकार ने जनसंपर्क सचिव का स्वतंत्र प्रभार दिया है। सिकरेट्री पीआर का पोस्ट कितना अहम है, इससे समझ सकते हैं, सुनील कुमार, एमके राउत, बैजेंद्र कुमार, अमन सिंह जैसे अफसर इस पोस्ट पर रह चुके हैं। ये सभी सचिव, प्रमुख सचिव स्तर के अफसर थे। जबकि, राजेश ज्वाइंट सिकरेट्री हैं। देश में कोई दृष्टांत नहीं है कि ज्वाइंट सिकरेट्री लेवल का आईएएस पीआर हेड बना हो। राजेश सिकरेट्री के साथ डायरेक्टर भी रहेंगे। कुल मिलाकर 2005 बैच ने सरकार में अपना दबदबा बना लिया है। रजत कुमार स्टडी के लिए हावर्ड गए तो उनकी जगह पर 05 बैच के मुकेश बंसल को बिठाया गया। सीएम सचिवालय से लेकर उनके पास जो-जो चार्ज थे, सभी मुकेश के हवाले कर दिए गए। जीएडी के सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन आईएएस विंग में इसी बैच की आर संगीता पोस्ट की गई है। और, सुनिये, सीएम ने कोरिया कलेक्टर एस प्रकाश को रायपुर के हेलीपैड पर हटाने का ऐलान किया, वे भी डायरेक्टर एजुकेशन बनने में कामयाब हो गए। रायपुर के कलेक्टर ओपी चौधरी हैं ही। और, यह भी तय है, अगले साल मार्च, अप्रैल में ओपी चौधरी शिफ्थ होंगे तो उनकी जगह पर 05 बैच का ही कलेक्टर बनेगा। ये होती है बैच की यूनिटी।

अमित का डेपुटेशन

2004 बैच के आईएएस अमित कटारिया का भारत सरकार में डेपुटेशन का प्रॉसेज अंतिम चरण में है। कभी भी उनका आर्डर आ सकता है। बस्तर कलेक्टर से रिलीव होने के बाद सर्वशिक्षा अभियान में उन्होंने एक दिन के लिए ज्वाईन किया। इसके बाद वे छुट्टी पर दिल्ली चले गए हैं। जाहिर है, वे भी वेट ही कर रहे हैं। ऐसे में, सरकार को सर्वशिक्षा अभियान के लिए नए एमडी की तलाश शुरू कर देनी चाहिए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस आला आईपीएस पर नक्सल हिंसा में शहीद की विधवा को प्रताड़ित करने का आरोप लग रहा है?
2. ऐसा क्यों कहा जा रहा है, सचिवालय की रौनक बढ़ती जा रही है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें